Thursday, 25 December 2014

जिन लोगों ने हिंदू जाति को कायर कहते हुए हजार वर्ष तक उसके गुलाम रहने की घोषणा का महापाप किया उन्हें लाला लाजपतराय जी ने अपनी पुस्तक ‘छत्रपति शिवाजी’ की प्रस्तावना में इन शब्दों में लताड़ा है-‘जो जाति अपने पतन के काल में भी राजा कर्ण, गोरा और बादल, महाराणा सांगा और प्रताप, जयमल और फत्ता, दुर्गादास और शिवाजी, गुरू अर्जुन, गुरू तेगबहादुर, गुरू गोविंद सिंह और हरि सिंह नलवा जैसे हजारों शूरवीरों को उत्पन्न कर सकती है, उस आर्य हिंदू जाति को हम कायर कैसे मान लें? जिस देश की स्त्रियों ने आरंभ से आज तक श्रेष्ठ उदाहरणों को पेश किया है, जहां सैकड़ों स्त्रियों ने अपने हाथों से अपने भाईयों, पतियों और पुत्रों की कमर में शस्त्र बांधे और उनको युद्घ में भेजा, जिस देश की अनेक स्त्रियों ने स्वयं पुरूषों का वेश धारण कर अपने धर्म व जाति की रक्षा के लिए युद्घ क्षेत्र में लड़ कर सफलता पायी, अपनी आंखों से एक बूंद भी आंसू नही गिराया, जिन्होंने अपने पातिव्रत्य धर्म की रक्षा के लिए दहकती प्रचण्ड अग्नि में प्रवेश किया, वह जाति यदि कायर है तो संसार की कोई भी जाति वीर कहलाने का दावा नही कर सकती।’

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