-क्या आप जानते हैं कि क़ुरान के बहुत से शब्द संस्कृत से लिये गये हैं read this post वैदिक संस्कृत जिस बेलागपन से अपने समाज के क्रिया-कलापों को परिभाषित करती थी उतने ही अपनेपन के साथ दूरदराज़ के समाजों में भी उसका उठाना बैठना था. जिस जगह विचरती उस स्थान का नामकरण कर देती.
संस्कृत दुनिया की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है
दजला और फ़रात के भूभाग से गुज़री तो उस स्थान का नामकरण ही कर दिया. हरे भरे खुशहाल शहर को ‘भगवान प्रदत्त’ कह डाला. संस्कृत का भगः शब्द फ़ारसी अवेस्ता में “बग” हो गया और दत्त हो गया “दाद” और बन गया बग़दाद.
दजला और फ़रात के भूभाग से गुज़री तो उस स्थान का नामकरण ही कर दिया. हरे भरे खुशहाल शहर को ‘भगवान प्रदत्त’ कह डाला. संस्कृत का भगः शब्द फ़ारसी अवेस्ता में “बग” हो गया और दत्त हो गया “दाद” और बन गया बग़दाद.
इसी प्रकार संस्कृत का “अश्वक” प्राकृत में बदला “आवगन” और फ़ारसी में पल्टी मारकर “अफ़ग़ान” हो गया और साथ में स्थान का प्रत्यय “स्तान” में बदलकर मिला दिया और बना दिया हिंद का पड़ोसी अफ़ग़ानिस्तान -यानी निपुण घुडसवारों की निवास-स्थली.
स्थान ही नहीं, संस्कृत तो किसी के भी पूजाघरों में जाने से नहीं कतराती क्योंकि वह तो यह मानती है कि ईश्वर का एक नाम अक्षर भी तो है. अ-क्षर यानी जिसका क्षरण न होता हो.
इस्लाम की पूजा पद्धति का नाम यूँ तो कुरान में सलात है लेकिन मुसलमान इसे नमाज़ के नाम से जानते और अदा भी करते हैं. नमाज़ शब्द संस्कृत धातु नमस् से बना है.
इसका पहला उपयोग ऋगवेद में हुआ है और अर्थ होता है– आदर और भक्ति में झुक जाना. गीता के ग्यारहवें अध्याय के इस श्लोक को देखें – नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते.
इस संस्कृत शब्द नमस् की यात्रा भारत से होती हुई ईरान पहुंची जहाँ प्राचीन फ़ारसी अवेस्ता उसे नमाज़ पुकारने लगी और आख़िरकार तुर्की, आज़रबैजान, तुर्कमानिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, बर्मा, इंडोनेशिया और मलेशिया के मुसलामानों के दिलों में घर कर गई.
संस्कृत ने पछुवा हवा बनकर पश्चिम का ही रुख़ नहीं किया बल्कि यह पुरवाई बनकर भी बही. चीनियों को “मौन” शब्द देकर उनके अंतस को भी “छू” गई.
चीनी भाषा में ध्यानमग्न खामोशी को मौन कहा जाता है और स्पर्श को छू कहकर पुकारा जाता है.
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संस्कृत से आई 'नमाज़', इसी से मिला 'बग़दाद' - BBC Hindi - भारत
भाषा ना तो कॉपीराइट में विश्वास नहीं करती, और न किसी सीमा में बंधती है. वह तो समाज के आँगन में बसती है. जहां जाती है कुछ देकर आती है.
संस्कृत से आई 'नमाज़', इसी से मिला 'बग़दाद' - BBC Hindi - भारत
भाषा ना तो कॉपीराइट में विश्वास नहीं करती, और न किसी सीमा में बंधती है. वह तो समाज के आँगन में बसती है. जहां जाती है कुछ देकर आती है.
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निम्लिखित 6 कुरान में से असली कुरान कौनसी है...जो अल्लाह ने आसमान से भेजी है.....?
1. कूफी कुरान...आयत 6236
2. बशरी कुरान...आयात 6216
3. शयामि कुरान...आयत 6250
4. मक्की कुरान...आयत 6212
5. ईराकी कुरान...आयत 6214
6. साधारण कुरान (आम कुरान)...आयत 6666
2. बशरी कुरान...आयात 6216
3. शयामि कुरान...आयत 6250
4. मक्की कुरान...आयत 6212
5. ईराकी कुरान...आयत 6214
6. साधारण कुरान (आम कुरान)...आयत 6666
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