Wednesday, 9 October 2013

उस समय मुख्यमन्त्री प्रधानमंत्री कौन था ?

- 1947 का बंटवारा
1984 के सिख विरोधी दंगों के दाग किसके ऊपर हैं उस समय मुख्यमन्त्री प्रधानमंत्री कौन था ?
1992 मैं मुख्यमन्त्री कौन था
2012 दंगे किस के राज में हुए
मुजफ्फरनगर दंगे किसके राज में हुए मैं तो गिन गिन के थक चुकी हूँ 700 से ज्यादा साम्प्रदायिक घटनाओं दंगों का इतिहास है कांग्रेस पार्टी का और इस से आगे चलो तो कोयले की कालिख किसके मुँह पर लगी है किसके राज में ये सब घोटाले बड़े घोटाले हुए हैं ??? अगर इन सब के बाद भी ये कांग्रेस वाले दूसरों में इल्जाम लगाते हैं तो मुझे ये बैमानी लगती है
 – भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी जी प्रेस वार्ता 8 अक्टूबर 2013,,,
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हम जब उस भारत की कल्पना करते हँ जिस भारत में दूध-दही की नदिया बहती थी तो उस भारत को सिर्फ कल्पना में ही देख सकते हैं, लेकिन आपको प्रत्यक्ष देखना हँ तो श्री गौ धाम महातीर्थ पथमेड़ा (दुनिया की सबसे बड़ी गोशाला) जाइये वहाँ आपको दुध-दही की नदिया बहने वाले भारत का दर्शन हो जायेगा। 

श्री पथमेड़ा में श्री गिरिराज धरण मन्दिर जहाँ से परिक्रमा शुरू होती हैं उसी के पास एक वाटर कूलर लगा हुआ है जिसमे छाछ डाली हुई हैं वहाँ के गौ-सेवक बताते हैं कि यहाँ 24 घंटे भारतीय देशी नस्ल की गौ-माता की छाछ भरी रहती हँ कोई भी पी सकता है। काश ऐसा पूरे भारत में हो जाये।

फोटो में हैं श्री बुधगीरी जी महाराज की मंढी फतेहपुर शेखावाटी सीकर के महंत और महान गौ सेवक श्री दिनेशगिरी जी महाराज और उन के सहयोगी गौ सेवक श्री सुनील जी।

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" लो कल्लो बात ...मुलायम सिंह ईमानदार हैं .... उनका पूरा कुनबा ईमानदार है ...मायाबती भी ईमानदार हैं ....यह आय से अधिक संपत्ति क्या होती है ? ...अरे भाई आय हुयी तभी तो संपत्ति बढी ...CBI की नज़र में यह ईमानदार हैं और CBI ने हमारे आपके करोड़ों रूपये खर्च कर दसियों साल की विवेचना के बाद यह लोमहर्षक घोषणा की है ...मुलायम सिंह ...मायाबती ...रोबर्ट्स बढेरा ...ए .राजा ....कनीमोझी ...कलमाणी ...सोनियाँ ...शरद पवार सभी ईमानदार हैं ...यह है ईमानदारी की नयी परिभाषा , अब भी क्या इनसे आपको शेष बची है कोई आशा ? .....चमगादड़ के शब्दकोष में सूरज अंधियारा करता है ...अब मानना पडेगा वेश्याएं चरित्रहीन नहीं होतीं ...शेर शाकाहारी होते हैं ...आयकर/ कस्टम /सेल्स टैक्स के अधिकारी ईमानदार होते हैं उतने ही जितने मुलायम सिंह ,मायाबती,रोबर्ट्स बढेरा,.ए .राजा, कनीमोझी,कलमाणी,सोनियाँ,शरद पवार, मधुकौडा या जयललिता सभी ईमानदार हैं ...उतने ही ईमानदार और मासूम जितने CBI की नज़र में इशरत जहाँ और सोहराबुद्दीन थे .(इशरत जहाँ और सोहराबुद्दीन केस में कांग्रेस के मनमाफिक काम करने का ईनाम सीबीआई के संयुक्त निदेशक सलीम अली को मिला ..अगले महीने निवृत हो रहे सलीम अली को केंद्र सरकार जामिया मिलिया का चांसलर बनाने जा रही है)"
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गुरु जी की शक्ति का  एक सच्चा किस्सा ... 

दिल्ली में एक जगह है, नानक पुरा, रिंग रोड पर, धौला कुआँ या मोती बाग के पास है ये। यहाँ एक गुरद्वारा भी है, आज मै आपको इसी गुरूद्वारे का गौरव शाली इतिहास बता रहा हूँ। यहाँ से गुरु गोविन्द सिंह जी ने २ तीर चलाये थे, जो लाल किला में जा कर दीवाल में गड गए थे। नानक पुरा से लाल किला की दूरी 12.8 किलो मीटर है।

आज भी कोई ऐसी बन्दूक नहीं बनी है, जो इतनी दूर तक मार कर सके।

इसी गुरूद्वारे में आज भी गुरु जी के अस्त्र और शश्त्र रखे हुए है। गुरु जी के अस्त्रों की फोटो भी, मै यहाँ आपके सामने ला रहा हूँ। आशा करता हूँ की आपको अच्चा लगेगा, ये मेरा एक पर्यास है अपने गौरवशाली इतिहास को सबके सामने लाने का।
नीचे मै इंटर नेट का लिंक भी आपको दे रहा हूँ , ताकि आप खुद भी इसे चेक कर सके की मेरी बातो में कितनी सच्चाई है।

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 1791 में जन्मे हरी सिंह नलवा 'बाघ मार' के नाम से प्रसिद्ध थे. ऐसा प्रतापी पुरुष की आज भी अफगान माताएँ अपने बालक को नलवा के नाम से डराती है| हरीसिंह नलवा महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति थे |हरि सिंह नलवा का जन्म गुजरांवाला में पिता गुरदयाल सिंह उप्पल के घर हुआ था। पेशावर, मुल्तान और कंधार, हैरत, कलात, बलूचिस्तान और फारस आदि पर नलवा ने जीत कर राजा रणजीत सिंह के राज्य सीमा के विजय अभियान में शामिल कर दिया | मुल्तान विजय में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी | आज जो ये पठान औरतो जैसे बुर्के पहनते है, ये भी नलवा के पहनाये हुए है | जब पठानों ने आक्रमण किया और हिन्दू महिलाओ के साथ दुर्व्यवहार करने की कोशिस की तब नलवा ने पठानों को परास्त कर उन्हें महिलाओ के कपडे पहना कर वापिस भेजा था | जिसे आज ये पठान बड़े चाव के साथ पहनते है | पठान नलवा का नाम सुनकर कांप जाते थे और उसे देखकर ही युद्ध मैदान से दबे पाँव भाग जाते थे | नलवा का नाम सुनते ही पठानों की सेना में भगदड़ मचा जाती थी | अगर हम पाकिस्तान के नार्थ ईस्ट फ्रंटियर के कबीलाई (ग्रामीण) इलाकों में जाएं तो नलवा का खौफ साफ दिखाई देता है। जब कोई बच्चा रोता है तो मां उसे चुप कराने के लिए कहती है-‘सा बच्चे हरिया रागले’ अर्थात सो जा बच्चे नहीं तो हरी सिंह नलवा आ जाएगा। 1837 के जमरूद के युद्ध में अफगानियों के विरुद्ध हरी सिंह गम्भीर रूप से घायल हो गए और देश पर बलिदान हुए...
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१) जापान में अभी तक किसी प्रकार के दंगे या आतंकी कृत्य हो नहीं पाया।
२) जापान में चार शतक पूर्व तक १० लक्ष मुसलमान थे,अब केवल पौने दो लक्ष शेष बचे है।राष्ट्रिय परिवार नियोजन तथा एक विवाह का नियम है।
३) जापान के मुसलमान केवल जापानी भाषा-लिपि का ही प्रयोग कर सकते है। जापानी भाषा में अनुवाद किया हुआ ही कुरान रख सकते है।
४) नमाज भी केवल जापानी में ही पढ़ सकते है।
५) जापान में केवल पांच मुस्लिम राष्ट्र के दूतावास है और उनके कर्मचारियों को भी जापानी भाषा में ही संवाद करना होता है।
६) जापान में धर्मांतरण प्रतिबंधित है। इसके आलावा लव जिहाद ,आतंकी जिहाद /देश का विभाजन होने जैसे के तो पैदा होने का सवाल ही नहीं....!!
७) ईसाई धर्मगुरू (पाद्री) भी यहाँ बेरोजगार है।गत ५० वर्ष में जापान निवासी ईसाईयो की जनसँख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।

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