‘’ आज से कुछ वर्ष पहले राष्ट्रिय
अल्पसंख्यक आयोग ने मुझसे सम्पर्क
किया और कहा कि हमें आपसे कुछ
चर्चा करनी है , मैंने कहा तुम
लोगों को तो अपने एक घंटे का भी समय
नहीं दूँगा क्योंकि तुम लोग सुधरने वाले
हो नहीं , इसकी बजाए अपना एक
घंटा अपने हिंदू भाइयों के साथ
बैठूँगा तो मेरी शक्ति बढ़ेगी , तो उस समय
के उनके आयोग के अध्यक्ष मेरे पास
आए और बोले अरे नहीं नहीं डॉक्टर साहब
मैं तो आपको प्यार करता हूँ ,ऐसा-
वैसा कुछ नहीं है ,आप प्लीज एक बार
जरूर आइए , तो उनके कहने पर मैं गया उनके
आयोग कि बैठक में ,लेकिन साथ में क्या लेकर
गया पता है ,अंग्रेजी में कुरान लेकर के
गया, उसका मोहम्मद पित्थल ने
अरबी भाषा से अंग्रेजी भाषा में अनुवाद
किया हुआ था ,मैं जब वहाँ गया तो वहाँ
बड़े-२ मुल्ला-मौलवी बैठे हुए थे , मैंने उनसे पूछा
कि ये अरबी कि कुरान को मोहम्मद पित्थल के
द्वारा अनुवादित करके अंग्रेजी कि कुरान
में बनाया गया है क्या इसे आप सही और
असली कुरान मानते हो ?? तो उन सब
मुल्ला-मौलवी ने उसे देखने के बाद
कहा हाँ ये बिलकुल सही और असली कुरान
ही है फिर मैंने उसके पन्ने पलट-2 कर उन
सबको दिखाया कि कैसे उसमें ये सब
मौजूद है कि जो हिंदू है वो काफिर
है ,उसका गला कैसे काट
देना चाहिए ,उसका कत्ल किस प्रकार से
किया जाना चाहिए वो सब उनको पढकर
सुना दिया ,बेचारे अब इससे पलट
भी नहीं सकते थे क्योंकि उनको पहले
ही अच्छे से दिखा दिया था और उन्होनें
भी माना था कि हाँ ये सही कुरान है
तो अब इसका जवाब उनके पास
था नहीं तो मुझसे बोले कि डॉक्टर साहब
आप चाहते क्या हो ??
मैंने कहा बुलाया आपने है आप बताओ
कि आप क्या चाहते हो ??
वे बोले हम तो भाईचारा चाहते हैं
तो मैंने कहा कि अगर आप प्रत्येक
मुसलमान परिवार में पैदा हुए छोटे-२
बच्चों को ये सिखाओगे कि क्योंकि ये हिंदू
हैं ,ये मूर्तियों कि पूजा करते हैं ,ये अल्लाह
को ना मानकर देवी-देवताओं को मानते हैं
और इसलिए ये काफिर हैं ,तुम्हारे दुश्मन
हैं और इसलिए इनकी हत्या कर
देनी चाहिए ,तो क्या इससे
भाईचारा बढ़ेगा ??
वे बोले कि फिर आप ही बताओ
क्या करना चाहिए मैंने कहा कि कुरान में से
इन पन्नों को फाड़ दो वे बोले यह तो अल्लाह
के द्वारा कही हुई बातें हैं ,इस कारण हम इनको
नहीं फाड़ सकते हैं और ना ही इसमें से एक भी शब्द
बदल सकते हैं तो मैंने उनसे पूछा कि जब तुम
अपने बच्चों को हमें मारने कि शिक्षा देना बंद
नहीं कर सकते हो तो मुझे सिर्फ एक
कारण बता दो ऐ मुसलमानों कि मुझे जान
से मारने वालों को मैं जिन्दा क्यों रहने दूँ ??
इस सवाल पर सबको सांप सूंघ गया और
किसी से जवाब देते नहीं बना और आजतक
भी इसका जवाब नहीं मिला है ‘
अल्पसंख्यक आयोग ने मुझसे सम्पर्क
किया और कहा कि हमें आपसे कुछ
चर्चा करनी है , मैंने कहा तुम
लोगों को तो अपने एक घंटे का भी समय
नहीं दूँगा क्योंकि तुम लोग सुधरने वाले
हो नहीं , इसकी बजाए अपना एक
घंटा अपने हिंदू भाइयों के साथ
बैठूँगा तो मेरी शक्ति बढ़ेगी , तो उस समय
के उनके आयोग के अध्यक्ष मेरे पास
आए और बोले अरे नहीं नहीं डॉक्टर साहब
मैं तो आपको प्यार करता हूँ ,ऐसा-
वैसा कुछ नहीं है ,आप प्लीज एक बार
जरूर आइए , तो उनके कहने पर मैं गया उनके
आयोग कि बैठक में ,लेकिन साथ में क्या लेकर
गया पता है ,अंग्रेजी में कुरान लेकर के
गया, उसका मोहम्मद पित्थल ने
अरबी भाषा से अंग्रेजी भाषा में अनुवाद
किया हुआ था ,मैं जब वहाँ गया तो वहाँ
बड़े-२ मुल्ला-मौलवी बैठे हुए थे , मैंने उनसे पूछा
कि ये अरबी कि कुरान को मोहम्मद पित्थल के
द्वारा अनुवादित करके अंग्रेजी कि कुरान
में बनाया गया है क्या इसे आप सही और
असली कुरान मानते हो ?? तो उन सब
मुल्ला-मौलवी ने उसे देखने के बाद
कहा हाँ ये बिलकुल सही और असली कुरान
ही है फिर मैंने उसके पन्ने पलट-2 कर उन
सबको दिखाया कि कैसे उसमें ये सब
मौजूद है कि जो हिंदू है वो काफिर
है ,उसका गला कैसे काट
देना चाहिए ,उसका कत्ल किस प्रकार से
किया जाना चाहिए वो सब उनको पढकर
सुना दिया ,बेचारे अब इससे पलट
भी नहीं सकते थे क्योंकि उनको पहले
ही अच्छे से दिखा दिया था और उन्होनें
भी माना था कि हाँ ये सही कुरान है
तो अब इसका जवाब उनके पास
था नहीं तो मुझसे बोले कि डॉक्टर साहब
आप चाहते क्या हो ??
मैंने कहा बुलाया आपने है आप बताओ
कि आप क्या चाहते हो ??
वे बोले हम तो भाईचारा चाहते हैं
तो मैंने कहा कि अगर आप प्रत्येक
मुसलमान परिवार में पैदा हुए छोटे-२
बच्चों को ये सिखाओगे कि क्योंकि ये हिंदू
हैं ,ये मूर्तियों कि पूजा करते हैं ,ये अल्लाह
को ना मानकर देवी-देवताओं को मानते हैं
और इसलिए ये काफिर हैं ,तुम्हारे दुश्मन
हैं और इसलिए इनकी हत्या कर
देनी चाहिए ,तो क्या इससे
भाईचारा बढ़ेगा ??
वे बोले कि फिर आप ही बताओ
क्या करना चाहिए मैंने कहा कि कुरान में से
इन पन्नों को फाड़ दो वे बोले यह तो अल्लाह
के द्वारा कही हुई बातें हैं ,इस कारण हम इनको
नहीं फाड़ सकते हैं और ना ही इसमें से एक भी शब्द
बदल सकते हैं तो मैंने उनसे पूछा कि जब तुम
अपने बच्चों को हमें मारने कि शिक्षा देना बंद
नहीं कर सकते हो तो मुझे सिर्फ एक
कारण बता दो ऐ मुसलमानों कि मुझे जान
से मारने वालों को मैं जिन्दा क्यों रहने दूँ ??
इस सवाल पर सबको सांप सूंघ गया और
किसी से जवाब देते नहीं बना और आजतक
भी इसका जवाब नहीं मिला है ‘
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