Thursday, 24 October 2013

गुर्दों में पथरी



 गुर्दों में पथरी होने का प्रारंभ में रोगी को कुछ पता नहीं चलता है, लेकिन जब वृक्कों से निकलकर पथरी मूत्रनली में पहुंच जाती है तो तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। पथरी के कारण तीव्र शूल से रोगी तड़प उठता है।

उत्पत्ति :
भोजन में कैल्शियम, फोस्फोरस और ऑक्जालिकल अम्ल की मात्रा अधिक होती है तो पथरी का निर्माण होने लगता है। उक्त तत्त्वों के सूक्ष्म कण मूत्र के साथ निकल नहीं पाते और वृक्कों में एकत्र होकर पथरी की उत्पत्ति करते हैं। सूक्ष्म कणों से मिलकर बनी पथरी वृक्कों में तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। कैल्शियम, फोस्फेट, कोर्बोलिक युक्त खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से पथरी का अधिक निर्माण होता है।

लक्षण :
पथरी के कारण मूत्र का अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है। मूत्र रुक-रुक कर आता है और पथरी के अधिक विकसित होने पर मूत्र पूरी तरह रुक जाता है। पथरी होने पर मूत्र के साथ रक्त भी निकल आता है। रोगी को हर समय ऐसा अनुभव होता है कि अभी मूत्र आ रहा है। मूत्र त्याग की इच्छा बनी रहती है। पथरी के कारण रोगी के हाथ-पांवों में शोध के लक्षण दिखाई देते हैं। मूत्र करते समय पीड़ा होती है। कभी-कभी पीड़ा बहुत बढ़ जाती है तो रोगी पीड़ा से तड़प उठता है। रोगी कमर के दर्द से भी परेशान रहता है।

क्या खाएं?
* वृक्कों में पथरी पर नारियल का अधिक सेवन करें।
* करेले के 10 ग्राम रस में मिसरी मिलाकर पिएं।
* पालक का 100 ग्राम रस गाजर के रस के साथ पी सकते हैं।
* लाजवंती की जड़ को जल में उबालकर कवाथ बनाकर पीने से पथरी का निष्कासन हो जाता है।
* इलायची, खरबूजे के बीजों की गिरी और मिसरी सबको कूट-पीसकर जल में मिलाकर पीने से पथरी नष्ट होती है।
* आंवले का 5 ग्राम चूर्ण मूली के टुकड़ों पर डालकर खाने से वृक्कों की पथरी नष्ट होती है।
* शलजम की सब्जी का कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करें।
* गाजर का रस पीने से पथरी खत्म होती है।
* बथुआ, चौलाई, पालक, करमकल्ला या सहिजन की सब्जी खाने से बहुत लाभ होता है।
* वृक्कों की पथरी होने पर प्रतिदिन खीरा, प्याज व चुकंदर का नीबू के रस से बना सलाद खाएं।
* गन्ने का रस पीने से पथरी नष्ट होती है।
* मूली के 25 ग्राम बीजों को जल में उबालकर, क्वाथ बनाएं। इस क्वाथ को छानकर पिएं।
* चुकंदर का सूप बनाकर पीने से पथरी रोग में लाभ होता है।
* मूली का रस सेवन करने से पथरी नष्ट होती है।
* जामुन, सेब और खरबूजे खाने से पथरी के रोगी को बहुत लाभ होता है।
नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन करने से पहले चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।

क्या न खाएं?
* वृक्कों में पथरी होने पर चावलों का सेवन न करें।
* उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
* गरिष्ठ व वातकारक खाद्य व सब्जियों का सेवन न करें।
* चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
* चइनीज व फास्ट फूड वृक्कों की विकृति में बहुत हानि पहंुचाते हैं।
* मूत्र के वेग को अधिक समय तक न रोकें।
* अधिक शारीरिक श्रम और भारी वजन उठाने के काम न करें.

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सोमरस और शराब में बहुत बड़ा अंतर है 

सबसे जादा चाय कोफ़ी से भी पहले बियर, वाइन , हुइस्कि ..शराब एक ऐसा आहार है जो आपके शारीर को जरुरत से जादा गरम कर देता है । और शारीर में जरुरत से जादा गर्मी आने के कारन ही मनुष्य वो सब करता जो सामान्य स्थिति में उससे वो करने की अपेक्षा नही की जा सकती । तो आपकी शारीर को बहुत जादा गरम करे ऐसी शराब अगर है तो ये प्रकृति के अनुकूल नही है, और जो आपके प्रकृति के अनुकूल नही है वो आपकी संस्कृति के भी अनुकूल नही है । क्योंकि आपके प्रकृति के संस्कार ही संस्कृति को निर्धारित करेंगे न, तो आपके संस्कृति के अनुकूल नही है तो शराब न पिये । राजीव भाई ने कुछ परिक्षण किये - जब भी एक साधारण स्वस्थ व्यक्ति को कोई भी शराब पिलाई जाये तो तुरंत उसका Blood Pressure बढना सुरु हो जाता है । अगर इसको आयुर्वेद की भाषा में कहा जाये तो तुरन्त उसका पित्त बढना सुरु हो जाती है , पित्त माने आग लगना सुरु होती है शारीर में । अब हमारा शारीर तो समशीतोष्ण है , जब आग लगेगी शारीर में तो शारीर की साडी प्रतिरक्षा प्रणाली इस आग को शांत करने में लगेगी, और परिरक्ष प्रणाली को काम करने के लिए रक्त इंधन के रूप में चाहिये ; तो आप का रक्त शरीरी का सरे अंगो से भाग कर उहाँ आयेगा जहां आपकी आग को शांत करने का काम चलेगा , माने पेट की तरफ सारा रक्त आ जायेगा । इसका माने रक्त जहां जाना चाहिए उहाँ नही होगा, ब्रेन को चाहिए उहाँ नही है, हार्ट को चाहिए उहाँ नही है, किडनी को चाहिए उहाँ नही है, लीवर को चाहिए उहाँ नही है .. वो सब आ गया पेट में , और ये रहेगा दो से पांच घंटे तक मने दो से पांच घंटे तक आपके शारीर के बाकि ओर्गन्स रक्त की कमी से तड़पेंगे और उनमे खराबी आना सुरु हो जायेंगे । इसलिए शराब पिने वालो के अन्दर के सारे अंग ख़राब होते है और उनको मृत्यु की डर सबसे जादा होते है । इसलिए भारत की प्रकृति और संस्कृति में शराब का स्थान नही है ।


लोग कहते है के, लेकिन सोमरस तो था !! सोमरस और शराब में बहुत बड़ा अंतर है - सोमरस और शराब में अंतर उतना ही है जितना डालडा और गाय के घी में है । सोमरस जो है आयुर्वेद का एक औषधीय रूप है जो आपके शारीर के शांत पित्त को बढाने का काम करता है, माने भूख जादा ठीक से लगे इसके लिये सोमरस पिया जाता है भारत में । शराब और सोमरस में जमीन असमान का अंतर है - शराब क्या करती है जो पित्त आपके शारीर में शांत है उसको भड़का देती है, एक सुलगना होता है एक भड़कना होता है । आग कहीं धीरे धीरे सुलग रहा है तो खतरे की सम्भावना बहुत कम हैं और आग भड़क के लग गयी है तो अस पड़ोसके बिल्डिंग ऐ जल जाएगी । तो शराब जो है वो पित्त को भड़काती है और सोमरस पित्त को सुलगाती है । तो सुलगा हुआ पित्त ये तो हमे चाहिये पर भड़का हुआ नही चाहिये , मने सरब नही चाहिये .. अगर चाहिये तो सोमरस चाहिये । अगर कोई सोमरस पिता है तो उसे जिन्दगी में कभी भी पित्त का रोग नही होगा । सोमरस बहुत ही संतुलित है जैसे नीबू की सरवत और शराब नीबू का रस ।
भारतीय संस्कृति का हिस्सा नही है शराब । और इतनी शराब जो लोग पिने लगे है वो यूरोप की नक़ल से आये, दुर्भाग्य से 450 साल तक हम भारतवासी यूरोपियन की सांगत में फंस गये या तो उनके गुलाम हो गये, तो उनकी नक़ल कर कर के हमने ये सुरु कर दिया ।
अधिक जानकारी के लिए निचे दिए गए लिंक पे click करे:
http://www.youtube.com/watch?v=cV2s70aF6c4 
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बैटरी सबसे पहले भारत मे बनी | बैटरी बनाने की जो विधि है जो आधुनिक विज्ञानं ने भी स्वीकार कर रखी है वो महर्षि अगस्त द्वारा दी गयी विधि है | महर्षि अगस्त ने सबसे पहले बैटरी बनाई थी और उसका विस्तार से वर्णन है अगस्त संहिता मे | पूरा बैटरी बनाने की विधि या तकनीक उन्होंने दिया है और कई लोगोने बनाके भी देखा है, और ये तकनीक हजारो वर्ष पहले की है | 

माने जो सभ्यता बैटरी बनाना जानते हो वो विद्युत् के बारे मे भी जानते होंगे क्योंकि बैटरी येही करता है, कर्रेंट के फ्लो के लिए हि हम उसका उपयोग करते है| ये अलग बात है के वो डायरेक्ट कर्रेंट है और आज की दुनिया मे हम जो उपयोग करते है वो अल्टरनेटिव करेंट है; लेकिन डायरेक्ट कर्रेंट का सबसे पहले जानकारी दुनिया को हुई तो वो भारत मे महर्षि अगस्त को हि है |

अगस्त्य संहिता में एक सूत्र हैः

संस्थाप्य मृण्मये पात्रे ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌।
छादयेच्छिखिग्रीवेन चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥

अर्थात् एक मिट्टी का बर्तन लें, उसमें अच्छी प्रकार से साफ किया गया ताम्रपत्र और शिखिग्रीवा (मोर के गर्दन जैसा पदार्थ अर्थात् कॉपरसल्फेट) डालें। फिर उस बर्तन को लकड़ी के गीले बुरादे से भर दें। उसके बाद लकड़ी के गीले बुरादे के ऊपर पारा से आच्छादित दस्त लोष्ट (mercury-amalgamated zinc sheet) रखे। इस प्रकार दोनों के संयोग से अर्थात् तारों के द्वारा जोड़ने पर मित्रावरुणशक्ति की उत्पत्ति होगी।

यहाँ पर उल्लेखनीय है कि यह प्रयोग करके भी देखा गया है जिसके परिणामस्वरूप 1.138 वोल्ट तथा 23 mA धारा वाली विद्युत उत्पन्न हुई। स्वदेशी विज्ञान संशोधन संस्था (नागपुर) के द्वारा उसके चौथे वार्षिक सभा में ७ अगस्त, १९९० को इस प्रयोग का प्रदर्शन भी विद्वानों तथा सर्वसाधारण के समक्ष किया गया।
अगस्त्य संहिता में आगे लिखा हैः

अनेन जलभंगोस्ति प्राणो दानेषु वायुषु।
एवं शतानां कुंभानांसंयोगकार्यकृत्स्मृत:॥

अर्थात सौ कुम्भों (अर्थात् उपरोक्त प्रकार से बने तथा श्रृंखला में जोड़े ग! सौ सेलों) की शक्ति का पानी में प्रयोग करने पर पानी अपना रूप बदल कर प्राण वायु (ऑक्सीजन) और उदान वायु (हाइड्रोजन) में परिवर्तित हो जाएगा।

फिर लिखा गया हैः

वायुबन्धकवस्त्रेण निबद्धो यानमस्तके उदान स्वलघुत्वे बिभर्त्याकाशयानकम्‌।

अर्थात् उदान वायु (हाइड्रोजन) को बन्धक वस्त्र (air tight cloth) द्वारा निबद्ध किया जाए तो वह विमान विद्या (aerodynamics) के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।

स्पष्ट है कि यह आज के विद्युत बैटरी का सूत्र (Formula for Electric battery) ही है। साथ ही यह प्राचीन भारत में विमान विद्या होने की भी पुष्टि करता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारे प्राचीन ग्रन्थों में बहुत सारे वैज्ञानिक प्रयोगों के वर्णन हैं, आवश्यकता है तो उन पर शोध करने की। किन्तु विडम्बना यह है कि हमारी शिक्षा ने हमारे प्राचीन ग्रन्थों पर हमारे विश्वास को ही समाप्त कर दिया है।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

http://www.youtube.com/watch?v=w_FKQn3HDno

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पेट की वीमारी का इलाज :

राजीव भाई कहते है अगर आपकी पेट ख़राब है दस्त हो गया है , बार बार आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो इसकी सबसे अछि दावा है जीरा | अध चम्मच जीरा चबाके खा लो पीछे से गुनगुना पानी पी लो तो दस्त एकदम बंध हो जाते है एक ही खुराख में |

अगर बहुत जादा दस्त हो ... हर दो मिनिट में आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो आधा कप कच्चा दूध ले लो बिना गरम किया हुआ और उसमे निम्बू डालके जल्दी से पी लो | दूध फटने से पहले पीना है और बस एक ही खुराक लेना है बस इतने में ही खतरनाक दस्त ठीक हो जाते है |

और एक अछि दावा है ये जो बेल पत्र के पेड़ पर जो फल होते है उसका गुदा चबाके खा लो पीछे से थोडा पानी पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है | बेल का पाउडर मिलता है बाज़ार में उसका एक चम्मच गुनगुना पानी के साथ पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है |

पेट अगर आपका साफ़ नही रहता कब्जियत रहती है तो इसकी सबसे अछि दावा है अजवाईन | इसको गुड में मिलाके चबाके खाओ और पीछे से गरम पानी पी लो तो पेट तुरंत साफ़ होता है , रात को खा के सो जाओ सुबह उठते ही पेट साफ होगा |

और एक अछि दावा है पेट साफ करने की वो है त्रिफला चूर्ण , रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण ले लो पानी के साथ पेट साफ हो जायेगा |

पेट जुडी दो तिन ख़राब बिमारिय है जैसे बवासीर, पाईल्स, हेमोरोइड्स, फिसचुला, फिसर .. ये सब बिमारिओ में अछि दावा है मुली का रस | एक कप मुली का रस पियो खाना खाने के बाद दोपहर को या सबेरे पर शाम को मत पीना तो हर तरेह का बवासीर ठीक हो जाता है , भगंदर ठीक होता है फिसचुला, फिसर ठीक होता है .. अनार का रस पियो तो भी ठीक हो जाता है |

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:
http://www.youtube.com/watch?v=PHuYbNe2lBw

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