Tuesday 25 August 2020

sanskrut bhasha --- sushma swraj

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Monday 10 August 2020

भारतीय "गणित ग्रन्थ",

 भारतीय "गणित ग्रन्थ", नाम ही पढ़ लो तो बहुत है पता नहीं कितने बचे है और कितने चुराए गए या जला दिए गए मुगलों द्वारा

- ग्रंथ -- रचनाकार
#वेदांग ज्योतिष -- लगध
#बौधायन शुल्बसूत्र -- बौधायन
#मानव शुल्बसूत्र -- मानव
#आपस्तम्ब शुल्बसूत्र -- आपस्तम्ब
#सूर्यप्रज्ञप्ति --
#चन्द्रप्रज्ञप्ति --

#स्थानांग सूत्र --
#भगवती सूत्र --
#अनुयोगद्वार सूत्र
#बख्शाली पाण्डुलिपि
#छन्दशास्त्र -- पिंगल
#लोकविभाग -- सर्वनन्दी

#आर्यभटीय -- आर्यभट प्रथम
#आर्यभट्ट सिद्धांत -- आर्यभट प्रथम
#दशगीतिका -- आर्यभट प्रथम
#पंचसिद्धान्तिका -- वाराहमिहिर
#महाभास्करीय -- भास्कर प्रथम
#आर्यभटीय भाष्य -- भास्कर प्रथम
#लघुभास्करीय -- भास्कर प्रथम
#लघुभास्करीयविवरण -- शंकरनारायण

#यवनजातक -- स्फुजिध्वज
#ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त -- ब्रह्मगुप्त
#करणपद्धति -- पुदुमन सोम्याजिन्
#करणतिलक -- विजय नन्दी
#गणिततिलक -- श्रीपति
#सिद्धान्तशेखर -- श्रीपति
#ध्रुवमानस -- श्रीपति

#महासिद्धान्त -- आर्यभट द्वितीय
#अज्ञात रचना -- जयदेव (गणितज्ञ), उदयदिवाकर की सुन्दरी नामक टीका में इनकी विधि का उल्लेख है।
#पौलिसा सिद्धान्त --
#पितामह सिद्धान्त --
#रोमक सिद्धान्त --
#सिद्धान्त शिरोमणि -- भास्कर द्वितीय
#ग्रहगणित -- भास्कर द्वितीय
#करणकौतूहल -- भास्कर द्वितीय

#बीजपल्लवम् -- कृष्ण दैवज्ञ -- भास्कराचार्य के 'बीजगणित' की टीका
#बुद्धिविलासिनी -- गणेश दैवज्ञ -- भास्कराचार्य के 'लीलावती' की टीका
#गणितसारसंग्रह -- महावीराचार्य
#सारसंग्रह गणितमु (तेलुगु) -- पावुलूरी मल्लन (गणितसारसंग्रह का अनुवाद)

#वासनाभाष्य -- पृथूदक स्वामी -- ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त का भाष्य (८६४ ई)

#पाटीगणित -- श्रीधराचार्य
#पाटीगणितसार या त्रिशतिका -- श्रीधराचार्य
#गणितपञ्चविंशिका -- श्रीधराचार्य
#गणितसार -- श्रीधराचार्य
#नवशतिका -- श्रीधराचार्य

#क्षेत्रसमास -- जयशेखर सूरि (भूगोल/ज्यामिति विषयक जैन ग्रन्थ)
#सद्रत्नमाला -- शंकर वर्मन ; पहले रचित अनेकानेक गणित-ग्रन्थों का सार

#सूर्य सिद्धान्त -- रचनाकार अज्ञात ; वाराहमिहिर ने इस ग्रन्थ का उल्लेख किया है।
#तन्त्रसंग्रह -- नीलकण्ठ सोमयाजिन्
#वशिष्ठ सिद्धान्त --
#वेण्वारोह -- संगमग्राम के माधव
#युक्तिभाषा या 'गणितन्यायसंग्रह' (मलयालम भाषा में) -- ज्येष्ठदेव
#गणितयुक्तिभाषा (संस्कृत में) -- रचनाकार अज्ञात

#युक्तिदीपिका -- शंकर वारियर
#लघुविवृति -- शंकर वारियर
#क्रियाक्रमकरी (लीलावती की टीका) -- शंकर वारियर और नारायण पण्डित ने सम्मिलित रूप से रची है।
#भटदीपिका -- परमेश्वर (गणितज्ञ) -- आर्यभटीय की टीका

#कर्मदीपिका -- परमेश्वर -- महाभास्करीय की टीका
#परमेश्वरी -- परमेश्वर -- लघुभास्करीय की टिका
#विवरण -- परमेश्वर -- सूर्यसिद्धान्त और लीलावती की टीका

#दिग्गणित -- परमेश्वर -- दृक-पद्धति का वर्णन (१४३१ में रचित)
#गोलदीपिका -- परमेश्वर -- गोलीय ज्यामिति एवं खगोल (१४४३ में रचित)
#वाक्यकरण -- परमेश्वर -- अनेकों खगोलीय सारणियों के परिकलन की विधियाँ दी गयी हैं।

#गणितकौमुदी -- नारायण पंडित
#तगिकानि कान्ति -- नीलकान्त
#यंत्रचिंतामणि -- कृपाराम
#मुहर्ततत्व -- कृपाराम

#भारतीय ज्योतिष (मराठी में) -- शंकर बालकृष्ण दीक्षित
#दीर्घवृत्तलक्षण -- सुधाकर द्विवेदी
#गोलीय रेखागणित -- सुधाकर द्विवेदी
#समीकरण मीमांसा -- सुधाकर द्विवेदी
#चलन कलन -- सुधाकर द्विवेदी

#वैदिक गणित -- स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ
#सिद्धान्ततत्वविवेक -- कमलाकर
#रेखागणित -- जगन्नाथ सम्राट
#सिद्धान्तसारकौस्तुभ -- जगन्नाथ सम्राट
#सिद्धान्तसम्राट -- जगन्नाथ सम्राट
#करणकौस्तुभ -- कृष्ण दैवज्ञ

आज की पीढ़ी किस किताब को पढ़ रही है...

इन गणित वैज्ञानिकों के नाम किताबो में क्यो नहीं है...
क्यो की ये सब हिन्दू थे और गुरुकुल के महर्षि थे...

यदि देश के पहले 5 शिक्षा मंत्री मुस्लिम रहेंगे तो सिलेबस भी बैसे रहेंगे....

चलिए आपको कुछ बताते है
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गणित के बच्चो के लिए... कितना समृद्ध था प्राचीन वैदिक गणित
।। वर्ग की एक अन्य सर्वसमिका (Identity) ।।
।। मानस-गणित (Vedic-Mathematics) ।।

हमारे वैदिक संस्कृति की दिव्यता के वर्णन में गणित की बीजगणितीय शाखा के एक सर्वसमिका (Identity) की चर्चा करेंगे जो हमारे प्राचीन गणितीय ज्ञान को न सिर्फ प्रमाणित करेगा बल्कि गणित को सरल तथा रोचक बनाने में मदद करेगा।
.
—श्रीधराचार्य ने की एक विधि के अन्तर्गत एक अन्य प्रसिद्ध सर्वसमिका प्रकट की है।

इष्टोनयुतवधो वा तदिष्ट-वर्गान्वितो वर्गाः।
( —त्रिशतिका, श्लोक - 11)
.
अर्थात :-
जिस संख्या का वर्ग करना है, उसमें किसी इष्ट संख्या को घटावें तथा उसमें उसी को जोड़े। पुनः घटाई गई तथा जोड़ी गई संख्या का आपस में गुणन करें तथा तथा इस गुणनफल में इष्ट संख्या को जोड़ने से उस संख्या का वर्ग प्राप्त होता है।
.
—भास्कराचार्य द्वारा

इष्टोनयुग्राशिवधः कृतिः स्यादिष्टस्य वर्गेण समन्वितो वा।
( —लीलावती, अभिन्नपरिकर्माष्टक, श्लोक - 9)
.
अर्थात :-
वर्ग करने योग्य संख्या से किसी कल्पित संख्या को एक जगह जोड़कर तथा दूसरी जगह घटाकर उन दोनों योगान्तरों के गुणनफल में उस कल्पित संख्या का वर्ग जोड़ देने से उस आलोच्य संख्या का वर्ग प्राप्त होता है।

—प्राचीन गणित का प्रसिद्ध कथन
.
वरगान्तरं तु योगान्तरघातसमो भवन्ति।
.
अर्थात :-
किन्हीं दो वर्ग संख्याओं का अन्तर उन्ही संख्याओं के योग तथा अन्तर के फलों के गुणन के समतुल्य होता है।

इस नियम को गणित की भाषा में इस प्रकार लिखते हैं —
a² = ( a + b) × ( a - b) + b²

उदाहरण (Example) :-
( 67) ² = ( 67 + 3) × ( 67 - 3) + 3 ²
= 70 × 64 + 9
= 4489 ( उत्तर)
.
इस सूत्र पर समीकरण के नियम का उपयोग करते हुए हम यह सर्वसमिका ( Identity) प्राप्त करते हैं —
a ² — b ² = ( a + b) ( a - b)
उपरोक्त सूत्र का प्रयोग गणित के विभिन्न अध्याय में होता है जो कि विषय को सरलता तथा मनोरंजक तरीके से हल करने के लिए आवश्यक है।
अभ्यास (Exercise) :-
(1) (67) ² (2) 43 × 37 (3) 66 × 54 (4) 35 ² - 14 ² (5) 69 ² - 49 ²

—×—
।। देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा।