Thursday 27 February 2014

गाय मे भी स्वदेशी -विदेशी

गाय मे भी स्वदेशी -विदेशी कर दिया ! अरे गाय तो माँ होती है तुमने माँ को भी अच्छी बुरी कर दिया !! लेकिन मित्रो सच यही है की ये जर्सी गाय नहीं ये पूतना है ! पूतना की कहानी तो आपने सुनी होगी भगवान कृष्ण को दूध पिलाकर मारने आई थी वही है ये जर्सी गाय !!

सबसे पहले आप ये जान लीजिये की स्वदेशी गाय और विदेशी जर्सी गाय (सूअर ) की पहचान क्या है ? देशी और विदेशी गाय को पहचाने की जो बड़ी निशानी है वो ये की देशी गाय की पीठ पर मोटा सा हम्प होता है जबकि जर्सी गाय की पीठ समतल होती है ! आपको जानकर हैरानी होगी दुनिया मे भारत को छोड़ जर्सी गाय का दूध को नहीं पीता ! जर्सी गाय सबसे ज्यादा डैनमार्क ,न्यूजीलैंड , आदि देशो मे पायी जाती है ! डैनमार्क मे तो कुल लोगो की आबादी से ज्यादा गाय है ! और आपको ये जानकार हैरानी होगी की डैनमार्क वाले दूध ही नहीं पीते ! क्यों नहीं पीते ? क्योंकि कैंसर होने की संभवना है ,घुटनो कर दर्द होना तो आम बात है ! मधुमेह (शुगर होने का बहुत बड़ा कारण है ये जर्सी गाय का दूध ! डैनमार्क वाले चाय भी बिना दूध की पीते है ! डैनमार्क की सरकार तो दूध ज्यादा होने पर समुद्र मे फेंकवा देती है वहाँ एक line बहुत प्रचलित है
! milk is a white poison !

और जैसा की आप जानते है भारत मे 36000 कत्लखानों मे हर साल 2 करोड़ 50 गाय काटी जाती है और जो 72 लाख मीट्रिक टन मांस का उत्पन होता है वो सबसे ज्यादा अमेरिका और उसके बाद यूरोप और फिर अरब देशों मे भेजा जाता है ! आपके मन मे स्वाल आएगा की ये अमेरिका वाले अपने देश की गाय का मांस क्यो नहीं खाते ?

दरअसल बात ये है की यूरोप और अमेरिका की जो गाय है उसको बहुत गंभीर बीमारियाँ है और उनमे एक बीमारी का नाम है Mad cow disease ! इस बीमारी से गाय के सींघ और पैरों मे पस पर जाती और घाव हो जाते हैं सामान्य रूप से जर्सी गायों को ये गंभीर बीमारी रहती है अब इस बीमारी वाली गाय का कोई मांस अगर खाये तो उसको इससे भी ज्यादा गंभीर बीमारियाँ हो सकती है ! इस लिए यूरोप और अमेरिका के लोग आजकल अपने देश की गाय मांस कम खाते हैं भारत की गाय के मांस की उन्होने ज्यादा डिमांड है ! क्योंकि भारत की गायों को ये बीमारी नहीं होती है ! आपको जानकार हैरानी होगी जर्सी गायों को ये बीमारी इस लिए होती है क्योंकि उसको भी मांसाहारी भोजन करवाया जाता है ताकि उनके शरीर मे मांस और ज्यादा बढ़े ! यूरोप और अमेरिका के लोग गाय को मांस के लिए पालते है मांस उनके लिए प्राथमिक है दूध पीने की वहाँ कोई परंपरा नहीं है वो दूध पीना अधिक पसंद भी नहीं करते !!

तो जर्सी गाय को उन्होने पिछले 50 साल मे इतना मोटा बना दिया है की वे भैंस से भी ज्यादा बत्तर हो गई है ! यूरोप की गाय की जो मूल प्रजातियाँ है holstein friesian ,jarsi ये बिलकुल विचित्र किसम की है उनमे गाय का कोई भी गुण नहीं बचा है ! जितने दुर्गुण भैंस मे होते हैं वे सब जर्सी गाय मे दिखाई देते हैं !
उदाहरण के लिए जर्सी गाय को अपने बचे से कोई लगाव नहीं होता और जर्सी गाय अपने बच्चे को कभी पहचानती भी नहीं ! कई बार ऐसा होता है की जर्सी गाय का बच्चा किसी दूसरी जर्सी गाय के साथ चला जाए उसको कोई तकलीफ नहीं !

लेकिन जो भारत की देशी गाय है वो अपने बच्चे से इतना प्रेम करती है इतना लगाव रखती है की अगर उसके बच्चे को किसी ने बुरी नजर से भी देखा तो वो मर डालने के लिए तैयार हो जाती है ! देशी गाय की जो सबसे बड़ी विशेषता है वो ये की वह लाखो की भीड़ मे अपने बच्चे को पहचान लेती है और लाखो की भीड़ मे वो बच्चा अपनी माँ को पहचान लेता हैं ! जर्सी गाय कभी भी पैदल नहीं चल पाती ! चलाने की कोशिश करो तो बैठ जाती है ! जबकि भारतीय गाय की ये विशेषता है
उसे कितने भी ऊंचे पहाड़ पर चढ़ा दो चढ़ती चली जाएगी !

कभी आप हिमालय पर्वत की परिक्रमा करे जितनी ऊंचाई तक मनुष्य जा सकता है उतनी ऊंचाई तक आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! आप ऋषिकेश ,बद्रीनाथ ,आदि जाए जितनी ऊंचाई पर जाए 8000 -9000 फिट तक आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! जर्सी गाय को 10 फिट ऊपर चढ़ाना पड़े तकलीफ आ जाती है
जर्सी गाय का पूरा का पूरा स्वभाव भैंस जैसा है बहुत बार ऐसा होता है जर्सी गाय सड़क पर बैठ जाये और पीछे से लोग होरन बजा बजा कर पागल हो जाते है लेकिन वो नहीं हटती ! क्योंकि हटने के लिए जो i q चाहिए वो उसमे नहीं है !!
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सामान्य रूप से ये जो जर्सी गाय उसके बारे मे यूरोप के लोग ऐसा मानते है की इसको विकसित किया गया है डुकर (सूअर )के जीन से ! भगवान ने गाय सिर्फ भारत को दी है और आपको सुन कर हैरानी होगी ये जितनी भी जर्सी गाय है यूरोप और अमेरिका मे इनका जो वंश बढ़ाया गया है वो सब artificial insemination से बढ़ाया गया और आप सब जानते है artificial insemination मे ये गुंजाइश है की किसी भी जानवर का जीन चाहे घोड़े ,का चाहें सूअर का उसमे डाल सकते है ! तो इसे सूअर से विकसित किया गया है ! और artificial insemination से भी उसको गर्भवती बनाया जाता है ये उनके वहाँ पिछले 50 साल से चल रहा है !!

यूरोप और अमेरिका के भोजन विशेषज्ञ (nutrition expert ) हैं ! उनका कहना है की अगर जर्सी गाय का भोजन करे तो 15 से 20 साल मे कैंसर होने की संभवना ,घुटनो का दर्द तो तुरंत होता है ,sugar,arthritis,ashtma और ऐसे 48 रोग होते है इसलिए उनके देश मे आजकल एक अभियान चल रहा है की अपनी गाय का मांस कम खाओ और भारत की सुरक्षित गाय मांस अधिक खाओ ! इसी लिए यूरोपियन कमीशन ने भारत सरकार के साथ समझोता कर रखा है और हर साल भारत से 72 लाख मीट्रिक टन मांस का निर्यात होता है जिसके लिए 36000 कत्लखाने इस देश मे चल रहें हैं !!
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तो मित्रो उनके देश के लोग ना तो आजकल अपनी गाय का मांस खा रहे हैं और ना ही दूध पी रहें हैं ! और हमारे देश के नेता इतने हरामखोर है की एक तरह तो अपनी गाय का कत्ल करवा रहें हैं और दूसरी तरफ उनकी सूअर जर्सी गाय को भारत मे लाकर हमे बर्बाद करने मे लगे है ! पंजाब और गुजरात से सबसे ज्यादा जर्सी गाय है ! और एक गंभीर बात आपको सुन कर हैरानी होगी भारत की बहुत सी घी बेचने वाली कंपनियाँ बाहर से जर्सी गाय का दूध import करती है !

दूध को दो श्रेणियों मे बांटा गया है A1 और A2 !
A1 जर्सी का A2 भारतीय देशी गाय का !

तो होता ये है की इन कंपनियो को अधिक से अधिक रोज घी बनाना है अब इतनी गाय को संभलना उनका पालण पोषण करना वो सब तो इनसे होता नहीं ! और ना ही इतनी गाय ये फैक्ट्री मे रख सकते है तो ये लोग क्या करते है डैनमार्क आदि देशो से A1 दूध (जर्सी गाय ) का मँगवाते है powder (सूखा दूध )के रूप मे ! उनसे घी बनाकर हम सबको बेच रहें है ! और हम सबकी मजबूरी ये है की आप इनके खिलाफ कुछ कर नहीं सकते क्योंकि भारत मे कोई ऐसा कानून नहीं बना जो ये कहता है की जर्सी गाय का दूध A1 नहीं पीना चाहिए ! अगर कानून होगा तो ही आप कुछ करोगे ना ? यहाँ A1 - को जाँचने की लैब तक नहीं ! नेता देश बेचने मे मस्त हैं
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तो आप सबसे निवेदन है की आप देसी गाय का ही दूध पिये उसी के गोबर से राजीव भाई द्वारा बताए फार्मूले से खाद बनाए और खेती करे ! देशी गाय की पहचान हमने ऊपर बताई थी की उसकी पीठ पर मोटा सा हम्प होता है ! दरअसल ये हम्प ही सूर्य से कुछ अलग प्रकार की तिरंगे लेता है वही उसके दूध ,मूत्र और गोबर को पवित्र बनाती है जिससे उसमे इतने गुण है ! गौ माता सबसे पहले समुन्द्र मंथन से निकली थी जिसे कामधेनु कहते है गौ माता को वरदान है की इसके शरीर से निकली को भी वस्तु बेकार नहीं जाएगी ! दूध ,हम पी लेते है ,मूत्र से ओषधि बनती है ,गोबर से खेती होती है ! और गोबर गैस गाड़ी चलती है , बिजली बनती है ! सूर्य से जो किरणे इसके शरीर मे आती है उसी कारण इसे दूध मे स्वर्ण गुण आता है और इसके दूध का रंग स्वर्ण (सोने जैसा होता है ) ! और गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलोस्ट्रोल नहीं बढ़ता !

कल से ही देशी गाय का दूध पिये अपने दूध वाले भाई से पूछे वो किस गाय का दूध लाकर आपको दे रहा है (वैसे बहुत से दूध वालों को देशी -जर्सी गाय का अंतर नहीं पता होगा ) आप बता दीजिये दूध देशी गाय का ही पिये ! और घी भी देशी गाय का ही खाएं !! गाय के घी के बारे मे अधिक जानकारी के लिए ये जान लीजिये !

गाय का घी मुख्य रूप से 2 तरह का है एक खाने वाला घी है और दूसरा पंचग्व्या नाक मे डालकर इलाज करने वाला ! ( पंचग्व्या घी की लागत कम होती है क्योंकि 2 -2 बूंद नाक मे या नाभि मे पड़ता है 48 रोग ठीक करता है ( 8 से 10 हजार रूपये लीटर बिकता है ) लेकिन 10 ML ही महीना चल जाता है ! इसको असली विधि जो आयुर्वेद मे लिखी उसी ढंग से बनाने वाले भारत मे ना मात्र लोग है !
एक गुजरात मे भाई है dhruv dave जी वैसे वो सबको नहीं बेचते केवल रोगी को ही देते हैं लेकिन फिर भी कभी एक बार इस्तेमाल करने की इच्छा हो तो आप email से संपर्क कर सकते हैं davedhruvever@gmail.com अगर उत्पादन मे हुआ तो शायद आपको मिल जाएँ !

आयुर्वेद मे खाने वाला गाय के दूध का घी निकालने की जो विधि लिखी है उस विधि से आप घी निकले तो आपको 1200 से 2000 रुपए किलो पड़ेगा ! क्योकि 1 किलो घी के लिए 25 से 30 लीटर दूध लग जाता है ! महंगा होने का कारण ये भी है की देशी गाय की संख्या काम होती जा रही है कत्ल बहुत हो रहा है वैसे तो यही घी सबसे बढ़िया है ! लेकिन एक दूसरे ढंग से भी आजकल निकालने लग गए हैं ! जिससे दूध से सीधा क्रीम निकालकर घी बनाया जाता है ! अब समस्या ये है की लगभग सभी कंपनियाँ या तो भैंस का घी बेचती है या गाय का घी बोलकर जर्सी का बेच रही है !

आपको अगर घी खाना ही है तो भारत की सबसे बड़ी गौशाला - विश्व की भी सबसे बढ़ी गौशाला वो है राजस्थान मे उसका नाम है पथमेढ़ा गौ शाला ! उनका घी खा सकते हैं पथमेढ़ा गौशाला मे 3 लाख देशी गाय है ! इनके घी की सबसे बड़ी विशेषता है ये है की ये देशी गाय का घी ही बेचते हैं ! बस अंतर ये है की यह क्रीम वाले ढंग से निकाला बनाया जाता है लेकिन फिर भी भैंस और जर्सी सूअर के घी की तुलना मे बहुत बहुत बढ़िया है ! लेकिन इसका मूल्य साधारण घी से थोड़ा ज्यादा है ये 1 लीटर 600 रूपये मे उपलब्ध है ! भगवान की अगर आप पर आर्थिक रूप से ज्यादा कृपा तो आप देशी गाय ही घी खाएं !! कम खा लीजिये लेकिन जर्सी का कभी मत खाएं !! और दूध भी हमेशा देशी गाय का ही पिये !

और अंत मे एक और बात जान लीजिये अब इन विदेशी लोगो को भारत की गाय की महत्ता का अहसास होने लगा है आपको जानकर हैरानी होगी भारतीय नस्ल की सबसे बढ़िया गाय( गीर गाय ) को जर्मनी वाले अपने देश मे ले जाकर इनका वंश आगे बढ़ाकर 2 लाख डालर (लगभग 1 करोड़ की एक गाय बेच रहें है !
जबकि भारत मे ये गीर गाय सिर्फ 5000 ही रह गई है !! तो मित्रो सबसे पहला कार्य अगर आप देश के लिए करना चाहते हैं तो गौ रक्षा करें गौ रक्षा ही भारत रक्षा है !!

आपने पूरी पोस्ट पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !
एक बार यहाँ जरूर click करें

https://www.youtube.com/watch?v=AclsCffns1c
अंध श्र्द्धा निर्मूलन कानून !
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ये कानून अगर पास हो गया ! तो पुजा पाठ करना,रामायण आदि का पाठ करवाना ! और आपने किसी को ऐसा बोल दिया कि बजरंगबलि की बहुत कृपा है !
या माता वैष्नु की बहुत कृपा है तो ये सब अंध श्र्द्धा माना जाएगा ! अगर कानून पास होता है तो मंदिर मे घंटी बजाना ! अंधश्रद्धा माना जाएगा !! मंदिर मे दीपक जलाना अंधश्रद्धा !!
भारत मे बहुत साधू संत है जो भिक्षा मांग कर अपना जीवन चलाते हैं !! तो इस कानून के पास होती ही भिक्षा मांगने वाले और भिखारी एक बराबर माने जाएंगे !!
क्यूंकि इन मूर्खो को भिखारी ,भिक्षा मांगने वाले का अनतर नहीं मालूम !!

इस कानून के पास होने के बाद अगर मान लो आप किसी व्यक्ति के पास जाते है वो आपके दुख दर्द दूर करता है ! मान लो आपके पेट मे दर्द है आप किसी आयुर्वेद का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति के पास गए ! उसने आपको बोल दिया कि त्रिफला चूर्ण खा लो ,या जीरे का पानी पी लो ! तो ये अंधश्रद्धा माना जाएगा !

हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति को पूरी तरह ख़तम करने के लिए इस देश विदेशी पैसे से ऐसे -ऐसे .N.G.O.S चल रहे है जो दिन रात सिर्फ एक ही काम करने में लगे है !
कि किसी भी तरह हिन्दू धर्म और हमारी संकृति का पूरी तरह सर्वनाश कर दिया जाये !!
भारत की भ्रष्ट सराकर भी इनके साथ मिली हुई है !! आप सिर्फ उसमे से एक NGO अंध श्रधा निर्मूलन समिति की कहानी सुनिए !!
आप के रोंगटे खड़े हो जाये गये की कितने बड़े सत्रह ये लोग हमारे हिन्दू धर्म को पाखंड बता कर सारे मंदिरों पर कब्ज़ा करने का खेल खेल रही है !!!
और हम हिन्दू कुम्ब्करण की नीद सो रहे है !!और पुरे देश में यह तमाशा चल रहा है !!
कृपया इस बात को ignore मत करे !! आपके पास थोड़ा वक्त हो तो ये विडियो जरूर जरूर देखें !!

यहाँ क्लिक करे !

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lifebouy है जहां तंदरुस्ती है वहाँ !
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दोस्तो ये कैसा मूर्खता का विज्ञापन हर समय विदेशी कंपनी द्वारा TV पर दिखाया जाता है !( lifebouy है जहां तंदरुस्ती है वहाँ !) इसका मतलब तंदरुस्ती lifebouy से आ रही है ?

तो रोटी -पानी क्यूँ कर रहे हो भाई ???
खाना क्यूँ खा रहे हो ??
lifebouy ही लगाओ तंदरुस्ती आती रहेगी !!

आप बताओ तंदरुस्ती का साबुन lifebouy हो सकता है ??

तंदरुस्ती का आधार दूध हो सकता है, दही हो सकता है , सब्जियाँ हो सकती हैं चावल हो सकता है दालें हो सकती हैं ये lifebouy कब से हुआ ???

अब अकल की बात तो यही हैं न साबुन तंदरुस्ती का आधार नहीं होता लेकिन मूर्ख लोग फिर भी इसे खरीदते हैं !!

आपको मालूम है lifebouy दुनिया का सबसे घटिया साबुन है !

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दुनिया में 3 तरह के साबुन होते हैं ।
1) bath Soap
2) toilet Soap
3) carbolic soap

bath Soap नहाने के लिये ।

toilet Soap हाथ धोने के लिये ।

और carbolic Soap जानवारो को नहलाने के लिये ।

lifebouy carbolic Soap हैं |

और ये बात मैं नहीं कहता ।
कंपनी खुद इस बात को मानती है । ये carbolic Soap है ।

यहाँ click कर CHECK करें ।
http://www.youtube.com/watch?v=wAsmljwhLok

यूरोप के देशो में लोग lifebouy से कुते,बल्लियां,गधो आदि को नहलाते हैं । लेकिन भारत में 7 करोड लोग रोज़ lifebouy से नहाते है..|

विदेशी कंपनिया देश में जो भी जहर बेचें ।

लेकिन देश की भ्रष्ट सरकार और बिका हुआ मीडीया अपने मुँह में
फ़ैवीकोल डाल कर बैठे हैं। इनको सिर्फ़ दूध,घी,मावा आदि में
ही जहर नजर आता हैं । वो भी दिवाली के दिनो में तकि विदेशी कंपनियो का माल बिके । ।

इसके घटिया होने का प्रमाण देखना हो तो आप lifebouy से नहाइये !
नहाने के बाद अपनी बाजू पर नाखून से रगड़े ! आप देखेंगे ! सफ़ेद रंग की एक लाइन खींची जाएगी !
ऐसा इस लिए हुआ इस llifebouy के कैमिकल कचरे ने आपकी त्वचा का natural oil पी लिया । और आपकी त्वचा रूखी और बेजान हो गई !

और रूखी और बेजान त्वचा पर अगर आप बार-बार साबुन रगड़े गए तो एक न एक दिन आपको Egsema,होने ही वाला है Psoriasis होने ही वाला है ! ये विदेशी कंपनी का जहर lifebouy हैं |

पढ़े लिखे मुर्खो को कुछ नहीं पता बस t.v par AD देखो और product की smell
सुघीं और उठा कर घर ले आये ।
बीच में क्या हैं भगवान जाने । ।

और एक बात ध्यान दे विज्ञापन मे बोलते है lifebouy मैल मे छिपे किटाणुओ को धो डालता है !

मैल को नहीं धोता मैल मे छिपे कीटाणुओ को धो डालता है !!

और मारता नहीं है धोता है इसका मतलब धो -पोंचछ के उनको और
तंदरुस्त बना देता है !!   


http://www.youtube.com/watch?v=wAsmljwhLok
http://www.youtube.com/watch?v=Lw7ZNxnllGM

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9 साल पहले जब भाई राजीव दीक्षित जी ने कहा कि ये विदेशी कंपनी nestle maggi मे सूअर के मास का रस मिलाती है ! तो लोगो ने उन पर बहुत बकवास की ! ये आदमी दिमाग खराब है ये कोई देहाती है ! और पता नहीं क्या क्या बोला ! आज वही nestle कंपनी खुद मानती है कि वे अपनी चाकलेट kitkat मे बछड़े के मांस का रस मिलाती है ! तो क्या दूसरी चीजों मे नहीं मिलती होगी ????????

यहाँ जरूर click करे !!

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=425939114178987&set=a.247926088646958.48221.245769338862633&type=1&theater

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क्या आप WTO Agreement के बौद्धिक सम्पत्ति अधिकार (Intellectual Property Rights Agreement) समझौता को जानते है ???

1 जनवरी 2005 से नई पेटेन्ट व्यवस्था लागू हो गई है। इसके पूर्व 31 दिसम्बर को केन्द्र सरकार ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिये ’अध्यादेश’ का सहारा लिया। संसद के फरवरी 2005 के बजट सत्र में सरकार ने राजनैतिक कलाबाजियों के जरिए पेटेंट बिल पारित करवा लिया है। अब भारतीय पेटेंट कानून 1970 बदल गया है।

नई पटेन्ट व्यवस्था, विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक सम्पत्ति अधिकार समझौते के तहत लागू की जा रही है। इस बौद्धिक सम्पत्ति अधिकार समझौते को जानना हम सबके लिए आवश्यक है।

ट्रिप्स समझौते के खण्ड 5 का अनुच्छेद 27 कहता है तकनीक के सभी क्षेत्रों में उत्पाद और प्रक्रिया पेटेन्ट दिये जायेंगे। स्वयं प्रजनित पौधों और पशुओं को छोड़कर जो जीव या पौधे प्रयोगशाला में जैव तकनीक द्वारा विकसित होंगे (अनुच्छेद 3.इ) उन पर भी पेटेन्ट लागू होगा। जिन जीवों को पेटेन्ट से मुक्त रखा गया है, उन पर भी चार साल बाद (समझौता लागू होने के) पुर्नविचार किया जाएगा।

ट्रिप्स समझौते के तहत खण्ड 1 के अनुच्छेद 3, 4 और 5 का कथन है कि विदेशियों की बौद्धिक सम्पति के साथ भी, अपनी ही सम्पत्ती जैसा राष्ट्रीय व्यवहार करना होगा।

नई पेटेन्ट प्रणाली के तहत औद्योगिक तकनीकी के सभी क्षेत्रों में हरेक अन्वेषण को उत्पाद और प्रक्रिया पेटेन्ट देने ही होंगे (ट्रिप्स का अनुच्छेद-27)। पेटेन्ट संरक्षण की अवधि 20 वर्ष होगी (ट्रिप्स का अनुच्छेद-33) यह नई पेटेन्ट प्रणाली अमेरिकी पेटेन्ट प्रणाली से भी अधिक दुःसह होगी। नई प्रणाली के कारण 20 वर्ष तक उत्पाद पेटेन्ट और अगले 20 वर्ष तक प्रक्रिया पेटेन्ट अधिकार होंगे। अमेरिका की तरह दवाइयों के नये कम्बीनेशनों पर, नई डोसेज पर, नये उपयोग रूपों पर भी पेटेन्ट अधिकार लागू होंगे। और ये केवल नये उत्पादों पर ही नहीं, वर्तमान उत्पादों पर भी लागू होंगे। अमेरिका में आज 85% से 90% फीसदी उत्पादों को किसी न किसी प्रकार का पेटेंट संरक्षण मिला हुआ है। इसी प्रकार भारत में भी पेटेंट और इसी तरह का संरक्षण किसी न किसी रूप में हमारे दवा उत्पादों के कम से कम 70% से 80% फीसदी पर 20 वर्ष से ज्यादा लम्बी अवधि के लिये लगाने होगें।

परिणामस्वरूप एकछत्र उत्पाद पेटेंट एकाधिकार कायम हो जाने से दवाइयो के दाम दस गुना से ज्यादा यानि 1000 फीसदी तक बढ़ जाने की सम्भावना है। जिन देशों में उत्पाद पेटेन्ट प्रणाली लागू है उनके उदाहरण से इस बात को समझा जा सकता है। मान लीजिए रेनीटीडीन - जैनेटिक दवाई ग्लैक्सो नामक बहुराष्ट्रीय कम्पनी बनाती है और इसका दस गोली का पत्ता पाकिस्तान में 260 रू. में, अमेरिका में 744.65 रूपये में, इंग्लैण्ड में 481.31 रूपये में बेचा जाता है। इन सभी देशों में उत्पाद पेटेंट प्रणाली लागू है जबकि भारत में यही दवा मात्र 29.03 रूपये में मिलती है। (यहां अभी उत्पाद पेटेंट प्रणाली लागू नहीं है) इसी तरह बहुराष्ट्रीय कम्पनी सीबा गाइगी, डाइक्लो फिनाक-वोवरान नामक दवाई की दस गोली पाकिस्तान में 55.80 रूपये, इग्लैण्ड में 95.84 रूपये, अमेरिका में 239.47 रूपये और भारत में 5.96 रूपये में बेचती है। ग्लैक्सो तथा सीबा गाइगी भारत के विपरीत अन्य तीन देशों में दस गुना से चालीस गुना यानि 1000 से 4000 फीसदी ज्यादा कीमत वसूल रही हैं। भारत में इन कम्पनियों के अतिरिक्त और भी कई कम्पनियाँ इन दवाइयों को बनाती है और इस प्रकार कीमतों में मुकाबला होने के कारण इन दवाइया की कीमतें बहुत कम हैं । अन्य तीनों देशों में केवल यही दो बहुराष्ट्रीय कम्पनियां इन दो दवाइयों को बेच रही हैं। नई प्रणाली के अन्र्तगत भारत की पेटेंट व्यवस्था भी अमेरिका, इंग्लैण्ड और पाकिस्तान जैसी हो जायेगी तथा एकाधिकार होने के कारण दवाइयों की कीमतें कई गुना (लगभग 1000 से 4000 फीसदी तक) बढ़ जायेंगी।

यह असर सिर्फ नई दवाइयों पर ही नहीं बल्कि वर्तमान दवाइयों के कम्बीनेशनों, डोसेज रूपों पर भी होगा और उनके दाम भी उसी अनुपात में बढ़ जायेंगे।

लेखक : श्री राजीव दीक्षित

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 पाकिस्तान की साजिश है ! कि 1971 में भारत ने पाकिस्तान से बांग्लादेश अलग करवा दिया !
तो अब वो भारत का जम्मु और कश्मीर अलग करवाना चाहता है ! इसी लिए 1971 के बाद पाकिस्तान में जितने भी शासक हुए उन्हों ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया हे !

औरआज आतंकवाद वहाँ इतना बढ़ चूका हे की अब तक हमारे 1 lakh से ज्यादा जवान उसमे शहीद हो चुके हे| जम्मु कश्मीर हमारे देश में रहे इसके लिए हमारे देश में संविधान बदल गया है |
संविधान में एक Article 370 दाखिल किया गया..उसके तहत जम्मु कश्मीर को एक देश का दरज्जा दिया गया है |

भारत का सुप्रीम कोर्ट कोई भी फैसला सुनाये जम्मु कश्मीर में वो लागु नहीं होता |
भारत की संसद जो भी कानून बनाये जम्मु कश्मीर में वो लागु नहीं होता |

हमारी संसद जो कानून बनाती हे उस कानून का जब आप पहला पन्ना पढेंगे उसमे पहले ही वाक्य में कहा जाता हे Except Jammu and Kashmir. मतलब ये कानून बनाया जा रहा हे जम्मु कश्मीर को छोड़कर|
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हमारी सरकार ने आज़ादी के 64 साल बाद ऐसे कई कानून बनाये हे जो आप पर लागु है ,
हम पर लागु हे,सारे देश पर लागु है लेकिन जम्मु कश्मीर के ऊपर लागु नहीं है |
उनके कानून उनकी संसद में जिनको वो Assembly कहते हे वहाँ बनते है |
भारत की संसद मे नहीं बनते !

आपको शायद मालूम नहीं होगा की आज़ादी के कई सालो बाद तक जम्मु कश्मीर के मुख्यमंत्री को “सदरे रियासत “ कहा जाता था जिसको हिंदी में प्रधानमंत्री कहते है |

उनका झंडा अलग हे भारत का झंडा अलग हे |

उनका कानून अलग है भारत का कानून अलग है |

उनका संविधान अलग हे भारत का संविधान अलग हे |

फिर हमारी सरकार कहती हे की, “Jammu and Kashmir is the INTEGRAL PART OF INDIA (जम्मु कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हे )”
यह भारत सरकार हमें मुर्ख बनाने के लिए कह रही है ताकि की हम जम्मु कश्मीर को भारत मे विलय के लिए बगावत ना करे |

आपको सुनकर हेरानी होगी की भारत सरकार आपके लिए कोई भी खर्चा करे उसकी पाई पाई का हिसाब CAG (Controller Auditor General of India) रखता है !
लेकिन जम्मू कश्मीर के लोगो के ऊपर हजारों साल से करोडो रुपये खर्च होता है उसका हिसाब किसी के पास नहीं है !!

क्योकि जम्मू कश्मीर का हिसाब दिल्ली में नहीं रखा जाता उनका हिसाब जम्मू कश्मीर की सरकार के पास रखा जाता है |

CAG (Controller Auditor General of India)को जब पूछा गया कि जम्मू कश्मीर कि सरकार ने आजतक कितना पैसा कहाँ खर्च किया है इसका हिसाब दो ???

तो जवाब आया हमारे पास नहीं है कश्मीर की सरकार को पूछो !!

और जब कश्मीर की सरकार को चिठी लिखी गई ! तब वहाँ से जवाब आया !कि हम किसी भारतवासी को अपना हिसाब बताने के लिए मजबूर नहीं है !!

वो मानते ही नहीं की हम भारत का अंग है ....हम जबर दस्ती कहते हे की यह भारत का अंग है |

पाकिस्तान वहा जबरदस्ती आतंकवादी भेजता हे,उनके लिए पैसे उपलब्ध कराता रहता हे|आपको क्या लगता हे पाकिस्तान (जो खुद भुखमरी के कगार पर खड़ा हे) ! जिसका 95 % बजट विदेशी कर्जे पर बनता है !! जो सुई भी खुद नहीं बना सकता !

उसमे में उतनी ताकत हे की वो 60 सालो तक आतंकवादी ओ को पैसा भेज सके?????

आपको शायद पता होगा की पाकिस्तान में इतना दम नहीं हे लेकिन पाकिस्तान को ये सब करने के लिए अमरीका उकसाता रहता है और हर साल उसको साहयता के नाम पर करोडो रूपये उपलब्ध कराता रहता है |

और पाकिस्तान वो पैसा जम्मू कश्मीर में भेजता है और आखिर वो पैसा लश्करे तैयबा,जैश ए मोहमद ,हिजबुल मुजाहिद्दीन जेसे खतरनाक आतंकवादी संगठनो को पैसा मिलता हे और वो पैसे से वो पैसे से सारे देश में बम ब्लास्ट करते है |

हमारी आर्मी की रिपोर्ट के अनुसार जम्मू कश्मीर में जो भी सभी आतंकवादी गतिविधि करते हे वो सब विदेशो से घुसाए गए है !पाकिस्तान से और अफघानिस्तान से रोज आ रहे हैं ! और पेसो की लिए यह सब करते हे|

हमारी सरकार भी कैसी विचित्र है जम्मु कश्मीर में एक संगठन हे उसका नाम हे हुर्रियत कोन्फेरेंस यह छोटी छोटी पार्टियो का एक बड़ा समूह हे|इस हुर्रियत कोन्फेरेंस में एक आदमी हे उसका नाम हे यासीन मलिक आपने शायद टीवी पर देखा हो|उस यासीन मलिक को जानबूझ कर भारत सरकार ने सुपर हीरो बनाकर रखा है

क्यों????

भारत सरकार जब भी बातचीत करती है !यासीन मालिक से ही करती है !इन चक्करों में अखबारों में नाम आता है , टीवी की चर्चा में नाम आता है और वो चर्चा में चढ़ता ही चला जाता है वो चर्चा फिर अमरिका तक जाती हे और बाद में अमरीका की सब N.G.O. से सीधा पैसा उसको आना शरू हो जाता है !|

आप पूछेंगे की अमरीका को क्या Interest हे ?????

भारत का जो जम्मु कश्मीर हे वो अमरीका को चाहिए.....पाकिस्तान के लिए तो ये कुछ इतना काम का नहीं है | पाकिस्तान खुद अपने देश को संभाल नहीं पा रहा है ! जो हमारा छीना हुआ कश्मीर उसके पास है !वही उससे संभाला नहीं जो रहा ! जम्मु और कश्मीर को क्या संभालेगा|

अमरीका को इसलिए चाहिए क्योकि जम्मु कश्मीर की सीमा चीन से लगी हुई है |अमरीका और चीन का पुरानी दुश्मनी है |तो अमरीका की योजना हे की एक दिन चीन पर हमला करना हे जेसा इराक पे किया तो हमला करने के लिए अमरीका के जहाजों को एक ऐसा ग्राउंड चाहिए जहाँ से हवाई जहाज उड़े और चीन पर जाकर मिसाइल डाले और वो स्थान जम्मु में है !|
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आपके मन मे सवाल आएगा ! कि राजीव भाई किस आधार पर कहते है !????
कि अमेरिका को कश्मीर पर कब्जा कर वहाँ सनिक अड्डा बनाना है ????
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ध्यान से पढे !

कुछ साल पहले अमेरिका कि विदेश मंत्री हेलेरी कलिंटन भारत आई ! और हमारे यहाँ एक tv चैनल जिसका नाम आजतक है ! आजतक के प्रभु चावला ने उसका interview लिया !
और interview मे एक ऐसा सवाल पूछा ! जिसका जवाब गलती से हेलेरी कलिंटन सच बता दिया !!
(कई बार ऐसा हो जाता मुह से कोई छुपाने वाली बात सच निकाल जाती है !!)

प्रभु चावला ने पूछा !कि अमेरिका ने पिछले 50 साल मे united nation मे कश्मीर मुद्दे पर भारत का हमेशा विरोध किया है! पाकिस्तान का साथ दिया है क्यूँ ???

(आप जानते है 1952 -53 से जम्मू कश्मीर का मुद्दा नेहरू कि मूर्खता के कारण united nation मे है !
वरना युद्ध मे तो भारतीय सेनिकों ने बुरी रोंद दिया था पाकिस्तान को ! और दो दिन अगर और मिलते तो लाहोर भी भारत मे आ जाता ! तब नेहरू को internationalism याद आ गया ! और बिना मतलब के मुद्दा united nation मे ले गाया ! और तब से अमेरिका उसको दबा कर बैठा है ! और हमेशा भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ देता गया !))

तो प्रभु चावला ने पूछा ! एक तरफ आप कहते है भारत से रिश्ते अच्छे बनाने है और ! आपने हमेशा पाकिस्तान का साथ दिया है !
आखिर आप चाहते क्या है ?? ????????

तो हेलेरी कलिंटन ने गलती से बोल दिया कि हमारी अमेरिका की संसद मे प्रस्ताव पारित हुआ है ! कि जम्मू कश्मीर पर हमे सेनिक अड्डा बनाना है !

तो उससे पूछा प्रस्ताव कब पारित हुआ था ??

तो उसने कहा 1989 मे !!!

तो उससे पूछा प्रस्ताव नमबर ??!

तब एक दम हलेरी कलिंटन को लगा कुछ गलत बोल दिया है ! तो उसने बात को घूमा दिया !
और कहा मुझे ज्यादा नहीं मालूम ! बस ऐसा है वैसा है !!
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राजीव भाई वो interview सुन रहे थे ! तो उन्होने बिना देरी किए हुये अमेरिका मे अपने कुछ दोस्तो को फोन लगाया और कहा ! पता करो 1989 मे अमेरिका कि संसद मे ऐसा कौन सा प्रस्ताव पारित हुआ ??
जिसने कहा गया अमेरिका को जम्मू कश्मीर चाहीये वहाँ सेनिक अड्डा बनाने के लिए ??

तो पता चला प्रस्ताव का नंबर है 657 और 1989 को अमरीकी संसद मे पास हुआ !! और उसमे कहा गया है कि एक न दिन तो अमेरिका को जम्मू कश्मीर पर कब्जा कर सैनिक अड्डा बनाना ही है !

क्यूँ ??

कारण एक ही है ! जम्मू कश्मीर ही एक ऐसा area है ! जहां अमेरिका सैनिक अड्डा बनाकर चीन ,भारत और पाकिस्तान तीनों पर नजर रख सकता है ! और भविष्य मे कभी चीन हमला करना पड़े ! तो उससे बढ़िया को स्थान नहीं !

इसलिए अमरीका को ये चाहिए |
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तो अमरीका बंदूक चला रहा हे पाकिस्तान के कंधे पर रखके और ये बंदूक हे की जम्मु कश्मीर भारत से अलग हो जाये ! अपना खुद देश बना ले (जेसे बांग्लादेश बना )|अमरीका उसको सहाय देकर अपने प्रभाव में ले लेगा और वहा सैनिक अड्डा बनाएगा और वो सैनिक अड्डा एक दिन चीन के खिलाफ काम आयेगा|ये राजनीती चल रही हे भारत को बर्बाद करने के लिए |

अगर ये राजनीती चल रही हे भारत को बर्बाद करने के लिए !!!!

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अब आप कहेंगे कि हम क्या कर सकते है !! तो आपसे एक ही निवेदन है ! आप कुछ साल के लिए जम्मू कश्मीर जाना छोड़ दो !
आप कहेगे सारी ज़िंदगी इसी केलिए तो पैसा इख्ठा करते है कि जम्मू कश्मीर घूमने जाएँगे !
और आप कह रहे है वहाँ जाना छोड़ दो !??

मित्रो आपको मालूम नहीं ! जब आप वहाँ घूमने जाते है तो जितना tax भारत सरकार आपके ऊपर नहीं लगती उससे कई गुना ज्यादा tax जम्मू कश्मीर सरकार आपके ऊपर लगती है !!

और वो सारा पैसा कुछ हाथो से घूमता हुआ आतंकवादियो के पास जाता है ! और सरकार मे आतंकवादियो के आदमी बैठे हुई है !

वैष्णो देवी के मंदिर का सारा हिसाब किताब shrine bord संभालता है ! हर साल लाखो हिन्दू करोड़ो रुपए वहाँ चढ़ाते है !! और आप वहाँ कि सरकार से एक पैसे का हिसाब नहीं मांग सकते कि उन्होने कहाँ खर्च किया कितना खर्च किया !!!
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दोस्तो सेना जब युद्ध लड़ती है ! तो उसका मुख्य काम होता है ! दुश्मन की supply line काटना !और कश्मीर के आतंकवादियो कि supply line भारत सरकार के मिलने वाले पैसे के बाद हमारे हाथ से गुजर कर जाती है !! सिर्फ 2 या 3 साल के लिए ही हम सब भारत के लोग कश्मीर घूमने जाना छोड़ दे ! तो 100 % वहाँ सरकार कि आर्थिक कमड़ टूट जाएगी !! और जम्मू कश्मीर झकमार के हिंदुस्तान मे वापिस आ जाएगा !
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इसके इलावा आजकल वहाँ एक काम शुरू हुआ है ! कश्मीर से कुछ लोग आपके शहर आते है शाले बेचने ले किए ! आपको मालूम नहीं है कि कौन उनमे से आतंकवादी है कौन सच्चा भारतीय !! आप हाथ जोड़ कर उनको माना करे दे कि हम आपकी शाले तब तक नहीं खरीदेगे !

जब तक जम्मू कश्मीर घोषणा न कर दे ! कि वे भारत का अभिन्न अंग है !!!
यहाँ जरूर जरूर click कर देखें !!

http://youtu.be/2AbadmEh_vc
http://youtu.be/2AbadmEh_vc
विज्ञानं के क्षेत्र में भारत और India का अंतर:

भारत में : किसीको वैज्ञानिक बनने से पहले उसका ऋषि होना आवशक होता था।
इंडिया में: वैज्ञानिक बनने के लिए पुस्तकों का ज्ञान और कुछ जड़ का प्रयोग करने की क्षमता काफी है।
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भारत में: भारतीय वैज्ञानिक जानते थे की मनुष्य प्राकृतिक वातावरण में ही स्वस्थ रहता है उन्नति करता है इसलिए यहाँ प्रकृति को पुष्ट कर उससे अधिक से अधिक लाभ उठाने का विज्ञानं विकसित हुआ, भारत का विज्ञानं समृद्धि का विज्ञानं था।
इंडिया में: इंडिया ने प्रकृति को उजड़ा लोगोंको प्रकृति से दूर कर दिया, इससे जो अभाव और विकृतिया पैदा हुई उसकी पूर्ति करने के लिए विज्ञानं का विकास किया, इसलिए इंडिया का विज्ञानं अभाव एवं दुर्गति का विज्ञानं है।
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भारत में: प्रकृति से जुड़े होने के कारन भारत में स्वस्य्थ जीवन का विज्ञानं विकसित हुआ।
इंडिया में: प्रकृति विरोधी होने के कारन रोग बड़े तो इंडिया ने पश्चिम की चिकित्सा पद्धति अपनाया।
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भारत में: यही विज्ञानं का विकास हुआ सभी बड़े आविष्कार यहाँ हुए।
इंडिया में: हमारे वैज्ञानिक सिद्धांतो के आधार पर आविष्कार करने वाले अंग्रेजो को ही मूल आविष्कार मानना, पश्चिम के इसी विज्ञानं की नक़ल और उसपर आधारित तकनीक का विकास हो रहा हैं।
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भारत में: भारत के हर गाँव और शहर बहुत ही समृद्ध थे, गाँव में ही रोजगार उपलब्ध थे, बेरोजगारी नामक शब्द तक नही था समाज में, कभी व्यापारी, तीर्थयात्री, विद्यान दूर दूर तक आते थे, यात्रियों को कोई कष्ट न हो इसलिए अतिथि सत्कार की परंपरा विकसित हुई, भारत निर्यात में बहुत आगे था, इसलिए यहाँ नौका विज्ञानं अति समृद्ध था, वास्कोडिगामा ने भारत की खोंज नही की थी वह अफ्रीका के नाविकों और व्यापारियों के साथ यहाँ पहुंचा था।
इंडिया में: शहरों को बसने के लिए गाँव को उजाड़ा। गाँव से शहर, शहर से महानगर, दूरियों के कारन यातायात के लिए नेशनल हाईवे, ट्रक, रेल, विमान इसी तरह शहरों में भीड़ बड़ी तो शहरों में ऊँची इमारतों आदि मजबूरी का विज्ञानं विकसित हो रहा हैं। 5 लाख से अधिक जनसँख्या होने के बाद शहर विकृत होने लगते हैं, उस विकृति को दूर करने के लिए जिस विज्ञानं की आवश्यकता होती हैं वह प्रकृति के विरुद्ध होने से विकृति का विज्ञानं हैं।
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भारत में: प्रकृति से जुडाव होने के कारण हर व्यक्ति की सोच वैज्ञानिक थी।
इंडिया में: प्रकृति से कटा व्यक्ति भेद चाल चल रहा है, सुनामी यहाँ एक भी वनवासी या खुला पशु नही मरा, पड़े लिखे समाज के लाखों लोग मरे। होटलों, आधुनिक अनुष्ठानो का अधिक से अधिक क्षति हुआ। पशु जितना सामान्य ज्ञान न होने के बाद भी यह अहंकार की हम वैज्ञानिक युग में जी रहें है, व्यक्ति को प्रकृति से जोड़ने की वजाय, आपदा की सुचना के लिए वैज्ञानिक अनुसंधानों पर अरबों खरबों खर्च किया जाता हैं।
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भारत में: समाज की प्रगति के लिए विज्ञानं की तकनीकों का विकास होता था।
इंडिया में: तकनिकी प्रगति के अनुरूप समाज को ढलने का प्रयत्न किया जाता हैं।
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भारत में: भारत के ऋषि जानते थे की शक्ति का आधार आहार नही है उसमे निहित प्राण हैं। अतः प्राण विज्ञानं आधारित बैल से कृषि का विकास हुआ।
इंडिया में: इंडिया का वैज्ञानिक जानते ही नही के क्या है प्राण। सारा आहार प्राणहीन ही नही प्राणनाशक होता जा रहा हैं।
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भारत में: गेहूं पिसने की घट्टी, तेल निकलने की घाणी, घी निकालने की बिलोना पद्धति, रोटी बनाने वाली आदि तकनीकों का विकास प्राण विज्ञानं के आधार पर हुआ, विज्ञानं में पिछड़ेपन का कारण नही।
इंडिया में: आता चक्की, तेल मिल, डेयरी घी यह अज्ञान की दें हैं विज्ञानं की नही, ब्रेड बनाने में गेहूं के 23 पौष्टिक गुण नष्ट हो जाते हैं फिर उसमे 8 कृत्तिम और सुगन्धित गुण डालकर कंपनी कहती है 'एनरिच्ड ब्रेड' 'हमारा आटा बिना मिलावट वाला' और पड़ी लिखी महिलाये उसे खरीद कर गौरान्वित होती हैं।
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भारत में: प्रकृति आधारित आयुर्वेद के मानदंडो पर खरा उतरने पर ही किसी विद्या को स्वस्थ विज्ञानं का प्रमाण पत्र मिलता हैं।
इंडिया में: अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति के मानदंडो पर खरा उतरने पर ही किसी विद्या को स्वस्थ विज्ञानं का प्रमाण मिलता हैं।
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भारत में: स्वस्थ अर्थात स्व में स्थित।
इंडिया में: स्वस्थ अर्थात रोग मुक्त।
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भारत में: वैज्ञानिक भाषा संस्कृत का विकास हुआ।
इंडिया में: सभी भाषाएँ अवैज्ञानिक भाषा अंग्रेजी के अधीन हैं।
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अंग्रेजो ने एक ऐसा इंडिया का निर्माण किया जो भारत से घृणा करता है - जिसके लिए भारत की हर बात अंधविश्वास, अवैज्ञानिकता, दकियानूसी सोच और पिछड़ेपन का प्रतिक है, जो इतनी अधिक हिन भावना से ग्रस्त है की उसके लिए अमेरिका, यूरोप स्वर्ग है, वहाँ की हर सोच प्रगति की निशानी वहाँ के औरतों के नंगेपन में उसे नारी स्वतंत्रता का दर्शन होता है, वहाँ की अवैज्ञानिक भाषा उसे विश्वभाषा दिखाई देती है, वहाँ का अज्ञान उसकी दृष्टि में विज्ञान है, उनकी क्रूरता में उसके साहस और उसकी कायरता में अहिंसा का दर्शन होता है, लूट से एकत्रित संपत्ति की और न देख वह उसे एक विकसित राष्ट्र कहता है।

अंग्रेज जाते जाते एक संधि के अनुसार यहाँ के गाँधी-नेहरु को सत्ता सौंप गए लेकिन विभाजन से पीड़ित हमलोगोंको का ध्यान इस ओंर नही गया अंग्रेजो के जाने को ही हमने आजादी मान ली। 15 अगस्त 1947 से पहले भारत अंग्रेजो का गुलाम था और आज इंडिया का गुलाम है। व्यक्ति हो या देश जब अपनि प्रकृति का विरोध करने लगता है, बीमार हो जाता है और जबतक वह अपनी प्रकृति को नहीं समझता स्वस्थ नही हो सकता।

भारत ऋषि प्रधान राष्ट्र था; ऋषि अर्थात जिन्होंने जड़ से ऊपर एक चेतन तत्त्व का साक्षातकार किया था उनका उद्देश्य शरीर की सीमा में अपने आपको बांधने की प्रबृत्ति से मनुष्य को मुक्त करना रहा। भोग में डूबा व्यक्ति शरीर की सीमा से मुक्त नही हो सकता, इसलिए ऋषियों ने त्याग को महत्व दिया और भोग की निःसारता को समझ उसे त्यागना ही उचित समझा। भौगोलिक दृष्टि से भारत का सम्बंध जितने भी देश से रहा हो लेकिन भारत की संस्कृति का प्रभाव पूरी दुनिया पर था। भारत पर अंग्रेजों, मुघलों का आक्रमण केबल एक देश का दुसरे देश पर आक्रमण ही नही था अपितु यह असुरों का ऋषि संस्कृति पर आक्रमण था। असुर अर्थात शरीर को ही सबकुछ मानने वाले।

शरीर को ही सबकुछ मानने से शरीर को भोगों से तृप्त करने के लिए अधिक से अधिक भोग जुटाना ही एक मात्र उद्देश्य रह जाता है, इसके लिए अधिक से अधिक लोगों के अधिकार छीनना अधिकाधिक को अपने वश में करना बहुत बड़ा गुण मन जाता है यह अत्यन्त स्वाभाविक है की जहाँ त्याग की प्रबृत्ति वाले अधिक हो वहाँ भोग की सामग्री प्रचुर मात्रा में ही होगी इसलिए भारत पर हमेशा से असुरों का आक्रमण होता रहा और कई बार असुरों का राज्य स्थापित हो गया। इंडिया असुरों को आदर्श मानने वालों का देश हैं। रामायण का युद्ध सरल था क्योंकि उसमे एक पक्ष में धर्म था और एक पक्ष में अधर्म था जबकि महाभारत का युद्ध जटिल था उसमे दोनों पक्ष में अपने ही प्रियजन थे। आज भी यही स्थिति हमारी है, आज भारत का युद्ध इंडिया से है इसलिए यह युद्ध बहुत ही जटिल है। ब्रेनवाश होने और मेकौले की शिक्षा गले में उतरने से बहुत से युवा उस अंग्रेजो के बनाये इंडिया के खेमे में है।
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..1966.. के पाकिस्तान के भारत पर होने वाले हमले से पूर्व चीन ने भारत पर हमला किया था 1962 ने !
और ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हमला था ! इसको इसलिए दुर्भाग्यपूर्ण माना जाता है कि उस समय vk krishna menon जैसा नेता भारत का रक्षा मंत्री था !!

दुर्भाग्यपूर्ण वाली बात ये है कि VK krishan menon थे तो भारत के रक्षा मंत्री लेकिन हमेशा विदेश घूमते रहते थे ! उनको हिदुस्तान रहना अच्छा ही नहीं लगता था आमेरिका अच्छा लगता था !फ्रांस अच्छा लगता था !ब्रिटेन अच्छा लगता था ! नुयोर्क उनको हमेशा अच्छा लगता था ! उनकी तो मजबूरी थी कि भारत मे पैदा हो गए थे ! लेकिन हमेशा उनको विदेश रहना और वहाँ घूमना ही अच्छा लगता था ! और जो काम उनको रक्षा मंत्री का सौंपा गया था उसको छोड़ वो बाकी सब काम करते थे ! विदेश मे घूमते रहना !कभी किसी देश कभी किसी देश मे जाकर कूट नीति ब्यान दे देना ! !

और ये किस तरह के अजीब किसम के आदमी थे !आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है ! 1960 -61 मे एक बार संसद मे बहस हो रही थी तो वीके कृशन ने खड़े होकर अपनी तरफ से एक प्रस्ताव रखा !

प्रस्ताव क्या रखा ??

उन्होने कहा देखो जी पाकिस्तान ने तो 1948 मे हमसे समझोता कर लिया कि वह आगे से कभी हम पर हमला नहीं करेगा ! और दुनिया के आजू-बाजू मे और कोई हमारा दुश्मन है नहीं ! तो हमे बार्डर पर सेना रखने कि क्या जरूरत है सेना हटा देनी चाहिए ! ऐसे उल्टी बुद्धि के आदमी थे vk krishan menon ! और ये बात वो कहीं साधारण सी बैठक मे नहीं लोकसभा मे खड़े होकर बोल रहे थे ! कि ये सेना हमको हटा देनी चाहिए ! इसकी जरूरत नहीं है !!

तो कुछ सांसदो मे सवाल किया कि अगर भविष्य मे किसी देश ने हमला कर दिया तो कया करेंगे ???? अभी तो आप बोल रहे है कि सेना हटा लो ! पर अमरजनसी जरूरत पड़ गई तो कया करेंगे ???
तो उन्होने ने कहा इसके लिए पुलिस काफी है ! उसी से काम चला लेगे ! ऐसा जवाब vk krishann manon ने दिया !!

ऐसी ही एक बार कैबनेट कि मीटिंग थी प्रधान मंत्री और बाकी कुछ मंत्री माजूद थे ! vk kirshan ने एक प्रस्ताव फिर लाया और कहा ! देखो जी हमने सीमा से सेना तो हटा ली है ! अगर सेना नहीं रखनी तो पैसे खर्च करने कि क्या जरूरत है ! तो बजट मे से सेना का खर्च भी कम कर दिया !

और तो और एक और मूर्खता वाला काम किया ! उन्होने कहा अगर सेना ही नहीं है तो ये बंब,बंदुके
बनाने की क्या जरूरत है ! तो गोला बारूद बनाने वाले कारखानो मे उत्पादन पर रोक लगा दी और वहाँ काफी बनाने के प्याले चाय बनाने के प्याले आदि का काम शुरू करवा दिया !!

और उनको जो इस तरह के बयान आते थे तो चीन को लगा कि ये तो बहुत मूर्ख आदमी है ! कहता है सेना को हटा लो ! सेना का खर्चा कम कर दो ! गोला बारूद बनाना बंद कर दो ! और खुद दुनिया भर मे घूमता रहता है ! कभी सेना के लोगो के पास न जाना ! सेना के साथ को meeting न करना ! इस तरह के काम करते रहते थे !

तो चीन को मौका मिल गया ! और चीन एक मौका ये भी मिल गया !चीन को लगा की vk kirashan तो प्रधानमंत्री (नेहरू ) के आदमी है !! तो शायद नेहरू की भी यही मान्यता होगी ! क्यूंकि vk krishan नेहरू का खास दोस्त था तो नेहरू ने उसको रक्षा मंत्री बना दिया था ! वरना vk krishan कोई बड़ा नेता नहीं था देशा का ! जनता मे कोई उनका प्रभाव नहीं था ! बस नेहरू की दोस्ती ने उनको रक्षा मंत्री बना दिया !!

और वो हमेशा जो भाषण देते थे !लंबा भाषण देते थे 3 घंटे 4 घंटे ! लेकिन आप उनके भाषण का सिर पैर नहीं निकाल सकते थे कि उन्होने बोला क्या ! ऐसे मूर्ख व्यक्ति थे vk krishan menon !

तो ये सब मूर्खता देख कर चीन ने भारत पर हमला किया और भारत का एक इलाका था aksai chin !
वहाँ चीन ने पूरी ताकत से हमला किया ! और हालात क्या थे आप जानते है ! सेना को वापिस बुला लिया था पहले ही !! सेना का बजट कम था ! गोला बारूद के कारखाने बंद थे !! तो चीनी सैनिको ने बहुत मनमानी कि उस askai chin के क्षेत्र मे !!

और जो सबसे बुरा काम किया ! चीनी सैनिको ने सैंकड़ों महिलाओ के साथ जमकर बलत्कार किए !! वहाँ हजारो युवको कि ह्त्या करी ! askai chin का जो इलाका है वहाँ सुविधाए कुछ ऐसे है कि लोग वैसे ही अपना जीवन मुश्किल से जी पाते है ! रोज का जीवन चलाना ही उनको लिए किसी युद्ध से कम नहीं होता ऊपर से चीन का हमला !!

तो वहाँ के लोगो ने उस समय बहुत बहुत दुख झेला ! और वहाँ हमारी सेना नहीं थी ! तो वहाँ लोगो के मन हमारी सरकार के विरुद्ध एक विद्रोह की भावना उतपन हुई ! और वो आज भी झलकती है ! आज भी आप वहाँ जाये तो वहाँ लोग ये सवाल करते है कि जब चीन ने हमला किया था तो आपकी सेना कहाँ थी ! और सच है हम लोगो के पास इसका कोई जवाब नहीं ! तो उनमे एक अलगाव कि भावना उतपन हुई जो अलग क्षेत्र की मांग करने लगे !!!

तो हमले मे चीन ने हमारी 72 हजार वर्ग मील जमीन पर कब्जा कर लिया ! और हमारा तीर्थ स्थान कैलाश मानसरोवर भी चीन के कब्जे मे चला गया ! और बहुत शर्म कि बात है आज हमे अपने तीर्थ स्थान पर जाने के लिए चीन से आज्ञा लेनी पड़ती है ! और इसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ नेहरू और vk krishan menon जैसे घटिया और मूर्ख किसम के नेता थे !!!
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तो युद्ध के बाद एक बार संसद मे भारत-चीन युद्ध पर चर्चा हुई ! सभी सांसदो के मुह से जो एक स्वर सुनाई दे रहा था ! वो यही था !कि किसी भी तरह चीन के पास गई 72 हजार वर्ग मील जमीन और हमारा तीर्थ स्थान कैलाश मानसरोवर वापिस आना चाहिए !

महावीर त्यागी जी जो उस समय के बहुत महान नेता थे !उन्होने ने सीधा नेहरू को कहा कि आप ही थे जिनहोने सेना हटाई ! सेना का बजट कम किया ! गोला बारूद बनाने के कारखाने बंद करवाये! आप ही के लोग विदेशो मे घूमा करते थे ! और आपकी इन गलितयो ने चीन को मौका मिला और उसमे हमला किया और हमारी 72 हजार वर्ग मील जमीन पर कब्जा कर लिया !!

अब आप ही बताए कि आप ये 72 हजार वर्ग मील जमीन को कब वापिस ला रहे है ?????!

तो इस हरामखोर नेहरू का जवाब सुनिए ! नेहरू ने कहा फिर क्या हुआ अगर वो जमीन चली गई ! चली गई तो चली गई ! वैसे भी बंजर जमीन थी घास का टुकड़ा नहीं उगता था ! ऐसी जमीन के लिए क्या चिंता करना !!

तो त्यागी जी ने बहुत ही बढ़िया जवाब दिया ! त्यागी जी ने कहा नेहरू जी उगता तो आपके सिर पर भी कुछ नहीं ! तो इसको भी काट कर चीन को देदो ! और इत्फ़ाक से नेहरू उस समय पूरी तरह गंजा हो चुका था !! 

तो दोस्तो इस नेहरू ने धरती माँ को एक जमीन का टुकड़ा मान लिया ! और अपनी गलती मानने के बजाय ! उल्टा ब्यान दे रहा है जमीन चली गई तो चली गई !

इससे ज्यादा घटिया बात कुछ और नहीं हो सकती ! !

और लानत है भारत की जनता पर आज चीन युद्ध के 50 साल बाद भी नेहरू परिवार के वंशज देश चला रहे हैं !! हमे दिन रात लूट रहे हैं !हमे मूर्ख बना रेह हैं !

1962 का युद्ध सारी घटना यहाँ देखे !!
must click here !!

http://www.youtube.com/watch?v=S4390QXdYF4




नेताजी बोस भारतीय नोटो पे
यह नोट भारतीय चलन मे 1948 तक मोजूद था । 
पर हमारे "नहरू " सरकार ने इस पर रोक लगा दी?????


हींग एक पौधे का चिकना रस है जिसे निकालकर सुखा लिया जाता है। यह स्वाद और गंध में बहुत ही तीखी होती है। हींग भूख को बढ़ाती है, कफ और वात को खत्म करती है, सांस की बीमारी और खांसी का नाश करती है। आइए जानें कि हींग के और क्या-क्या फायदे हैं

* दांतों में कीड़ा लग जाने पर रात्रि को दांत में हींग दबाकर सोएं। कीड़े खुद-ब-खुद निकल जाएंगे।

* यदि शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभ गया हो तो उस स्थान पर हींग का घोल भर दें। कुछ समय में कांटा स्वतः निकल आएगा।

* हींग में रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है। दाद, खाज, खुजली व अन्य चर्म रोगों में इसको पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से लाभ होता है।

* हींग का लेप बवासीर, तिल्ली व उदरशोथ में लाभप्रद है।

* कब्जियत की शिकायत होने पर हींग के चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिलाकर रात्रि को फांक लें, सबेरे शौच साफ होगा।

* पेट के दर्द, अफारे, ऐंठन आदि में अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करें तो लाभ होगा।

* पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनिमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।

* जख्म यदि कुछ समय तक खुला रहे तो उसमें छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर हींग का चूर्ण डालने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।

* प्रतिदिन के भोजन में दाल, कढ़ी व कुछ सब्जियों में हींग का उपयोग करने से भोजन को पचाने में सहायक होती है

भारतीय और इंडियन...

यहाँ दो पात्र हैं : एक है भारतीय और एक है इंडियन ! आइए देखते हैं दोनों में क्या बात होती है !

इंडियन : ये शिव रात्रि पर जो तुम इतना दूध चढाते हो शिवलिंग पर, इस से अच्छा तो ये हो कि ये दूध जो बहकर नालियों में बर्बाद हो जाता है, उसकी बजाए गरीबों मे बाँट दिया जाना चाहिए ! तुम्हारे शिव जी से ज्यादा उस दूध की जरुरत देश के गरीब लोगों को है. दूध बर्बाद करने की ये कैसी आस्था है ?

भारतीय : सीता को ही हमेशा अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है, कभी रावण पर प्रश्न चिन्ह क्यूँ नहीं लगाते तुम ?

इंडियन : देखा ! अब अपने दाग दिखने लगे तो दूसरों पर ऊँगली उठा रहे हो ! जब अपने बचाव मे कोई उत्तर नहीं होता, तभी लोग दूसरों को दोष देते हैं. सीधे-सीधे क्यूँ नहीं मान लेते कि ये दूध चढाना और नालियों मे बहा देना एक बेवकूफी से ज्यादा कुछ नहीं है !

भारतीय : अगर मैं आपको सिद्ध कर दूँ की शिवरात्री पर दूध चढाना बेवकूफी नहीं समझदारी है तो ?

इंडियन : हाँ बताओ कैसे ? अब ये मत कह देना कि फलां वेद मे ऐसा लिखा है इसलिए हम ऐसा ही करेंगे, मुझे वैज्ञानिक तर्क चाहिएं.

भारतीय : ओ अच्छा, तो आप विज्ञान भी जानते हैं ? कितना पढ़े हैं आप ?

इंडियन : जी, मैं ज्यादा तो नहीं लेकिन काफी कुछ जानता हूँ, एम् टेक किया है, नौकरी करता हूँ. और मैं अंध विशवास मे बिलकुल भी विशवास नहीं करता, लेकिन भगवान को मानता हूँ.

भारतीय : आप भगवान को मानते तो हैं लेकिन भगवान के बारे में जानते नहीं कुछ भी. अगर जानते होते, तो ऐसा प्रश्न ही न करते ! आप ये तो जानते ही होंगे कि हम लोग त्रिदेवों को मुख्य रूप से मानते हैं : ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी (ब्रह्मा विष्णु महेश) ?

इंडियन : हाँ बिलकुल मानता हूँ.

भारतीय : अपने भारत मे भगवान के दो रूपों की विशेष पूजा होती है : विष्णु जी की और शिव जी की ! ये शिव जी जो हैं, इनको हम क्या कहते हैं - भोलेनाथ, तो भगवान के एक रूप को हमने भोला कहा है तो दूसरा रूप क्या हुआ ?

इंडियन (हँसते हुए) : चतुर्नाथ !

भारतीय : बिलकुल सही ! देखो, देवताओं के जब प्राण संकट मे आए तो वो भागे विष्णु जी के पास, बोले "भगवान बचाओ ! ये असुर मार देंगे हमें". तो विष्णु जी बोले अमृत पियो. देवता बोले अमृत कहाँ मिलेगा ? विष्णु जी बोले इसके लिए समुद्र मंथन करो !

तो समुद्र मंथन शुरू हुआ, अब इस समुद्र मंथन में कितनी दिक्कतें आई ये तो तुमको पता ही होगा, मंथन शुरू किया तो अमृत निकलना तो दूर विष निकल आया, और वो भी सामान्य विष नहीं हलाहल विष !
भागे विष्णु जी के पास सब के सब ! बोले बचाओ बचाओ !

तो चतुर्नाथ जी, मतलब विष्णु जी बोले, ये अपना डिपार्टमेंट नहीं है, अपना तो अमृत का डिपार्टमेंट है और भेज दिया भोलेनाथ के पास !
भोलेनाथ के पास गए तो उनसे भक्तों का दुःख देखा नहीं गया, भोले तो वो हैं ही, कलश उठाया और विष पीना शुरू कर दिया !
ये तो धन्यवाद देना चाहिए पार्वती जी का कि वो पास में बैठी थी, उनका गला दबाया तो ज़हर नीचे नहीं गया और नीलकंठ बनके रह गए.

इंडियन : क्यूँ पार्वती जी ने गला क्यूँ दबाया ?

भारतीय : पत्नी हैं ना, पत्नियों को तो अधिकार होता है ..किसी गण की हिम्मत होती क्या जो शिव जी का गला दबाए......अब आगे सुनो
फिर बाद मे अमृत निकला ! अब विष्णु जी को किसी ने invite किया था ????
मोहिनी रूप धारण करके आए और अमृत लेकर चलते बने.

और सुनो -
तुलसी स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, स्वादिष्ट भी, तो चढाई जाती है
कृष्ण जी को (विष्णु अवतार).

लेकिन बेलपत्र कड़वे होते हैं, तो चढाए जाते हैं भगवान भोलेनाथ को !

हमारे कृष्ण कन्हैया को 56 भोग लगते हैं, कभी नहीं सुना कि 55 या 53 भोग लगे हों, हमेशा 56 भोग !
और हमारे शिव जी को ? राख , धतुरा ये सब चढाते हैं, तो भी भोलेनाथ प्रसन्न !

कोई भी नई चीज़ बनी तो सबसे पहले विष्णु जी को भोग !
दूसरी तरफ शिव रात्रि आने पर हमारी बची हुई गाजरें शिव जी को चढ़ा दी जाती हैं......

अब मुद्दे पर आते हैं........इन सबका मतलब क्या हुआ ???

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विष्णु जी हमारे पालनकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से हमारे प्राणों का रक्षण-पोषण होता है वो विष्णु जी को भोग लगाई जाती हैं !
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और शिव जी ?

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शिव जी संहारकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से हमारे प्राणों का नाश होता है, मतलब जो विष है, वो सब कुछ शिव जी को भोग लगता है !
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इंडियन : ओके ओके, समझा !

भारतीय : आयुर्वेद कहता है कि वात-पित्त-कफ इनके असंतुलन से बीमारियाँ होती हैं और श्रावण के महीने में वात की बीमारियाँ सबसे ज्यादा होती हैं. श्रावण के महीने में ऋतू परिवर्तन के कारण शरीर मे वात बढ़ता है. इस वात को कम करने के लिए क्या करना पड़ता है ?
ऐसी चीज़ें नहीं खानी चाहिएं जिनसे वात बढे, इसलिए पत्ते वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिएं !

और उस समय पशु क्या खाते हैं ?

इंडियन : क्या ?

भारतीय : सब घास और पत्तियां ही तो खाते हैं. इस कारण उनका दूध भी वात को बढाता है ! इसलिए आयुर्वेद कहता है कि श्रावण के महीने में (जब शिवरात्रि होती है !!) दूध नहीं पीना चाहिए.
इसलिए श्रावण मास में जब हर जगह शिव रात्रि पर दूध चढ़ता था तो लोग समझ जाया करते थे कि इस महीने मे दूध विष के सामान है, स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, इस समय दूध पिएंगे तो वाइरल इन्फेक्शन से बरसात की बीमारियाँ फैलेंगी और वो दूध नहीं पिया करते थे !
इस तरह हर जगह शिव रात्रि मनाने से पूरा देश वाइरल की बीमारियों से बच जाता था ! समझे कुछ ?

इंडियन : omgggggg !!!! यार फिर तो हर गाँव हर शहर मे शिव रात्रि मनानी चाहिए, इसको तो राष्ट्रीय पर्व घोषित होना चाहिए !

भारतीय : हम्म....लेकिन ऐसा नहीं होगा भाई कुछ लोग साम्प्रदायिकता देखते हैं, विज्ञान नहीं ! और सुनो. बरसात में भी बहुत सारी चीज़ें होती हैं लेकिन हम उनको दीवाली के बाद अन्नकूट में कृष्ण भोग लगाने के बाद ही खाते थे (क्यूंकि तब वर्षा ऋतू समाप्त हो चुकी होती थी). एलोपैथ कहता है कि गाजर मे विटामिन ए होता है आयरन होता है लेकिन आयुर्वेद कहता है कि शिव रात्रि के बाद गाजर नहीं खाना चाहिए इस ऋतू में खाया गाजर पित्त को बढाता है !
तो बताओ अब तो मानोगे ना कि वो शिव रात्रि पर दूध चढाना समझदारी है ?

इंडियन : बिलकुल भाई, निःसंदेह ! ऋतुओं के खाद्य पदार्थों पर पड़ने वाले प्रभाव को ignore करना तो बेवकूफी होगी.

भारतीय : ज़रा गौर करो, हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है ! ये इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें पढ़ाया जा रहा है उस से हम अपनी परम्पराओं को समझ नहीं सकते !

जिस संस्कृति की कोख से मैंने जन्म लिया है वो सनातन (=eternal) है, विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें !

(और अंतिम बात आज भारत मे प्रति बर्ष 2 करोड़ गायों का कत्ल कर मांस का निर्यात किया जाता वो जिंदा रहे तो ये 2 करोड़ गाय जिंदा रहे तो वर्ष का कितने करोड़ लीटर दूध मिलेगा लेकिन इस पर कोई सवाल नहीं उठाएगा )

हर हर महादेव
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भारत के बारे ऐसी और आश्चर्यजनक कहानियाँ जाने !
must click
http://www.youtube.com/watch?v=ERpKXAY7vmI&

Wednesday 26 February 2014

भगवान शिवजी का प्राचीन मंदिर कांबोडिया के अंगकोर म़े निर्माण किया गया था 11 शताबदी मे , इश मंदिर का नाम बफुओन है | कांबोडिया म़े अनेक प्राचीन शिव मंदिर है |

Saturday 22 February 2014

heart attek and its prvention....

पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करे !!
http://www.youtube.com/watch?v=C8NbDw4QGVM&feature=plcp

दोस्तो अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनिया जो दवाइया भारत मे बेच रही है ! वो अमेरिका मे 20 -20 साल से बंद है ! आपको जो अमेरिका की सबसे खतरनाक दवा दी जा रही है ! वो आज कल दिल के रोगी (heart patient) को सबसे दी जा रही है !! भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास !

और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर वो 3 से 5 लाख रुपए मे बेचते है और ऐसे लूटते हैं आपको !

और एक बार attack मे एक stent डालेंगे ! दूसरी बार दूसरा डालेंगे ! डाक्टर को commission है इसलिए वे बार बार कहता हैं angioplasty करवाओ angioplasty करवाओ !! इस लिए कभी मत करवाए !

तो फिर आप बोलेंगे हम क्या करे ????!

आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है ! और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लूटता है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!
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हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!
उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !

अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अमलता दो तरह की होती है !
एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!
आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline )

अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral होता है सब जानते है !!
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तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और रक्त मे अमलता neutral हो गई ! तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????

आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए ! और अगर आ गया है ! तो दुबारा न आए !!
_________________सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है वह है लोकी !! जिसे दुदी भी कहते है !! english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!

स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !

वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और वो इतने हरामखोर है आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!

तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!

कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!
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इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
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कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !! हमारी गौ माता बचेगी तो भारत बचेगा !!
__________________http://www.youtube.com/watch?v=C8NbDw4QGVM&feature=plcp

Friday 21 February 2014



लूटेरी काँग्रेस ने 51 FDI की मंजूरी दी !
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मित्रो 65 से साल से झूठे तर्क देकर सरकार विदेशी कंपनियों को भारत बुला रही
हैं| और आज हालत यह हो गई है कि 5000 से ज्यादा विदेशी कंपनिया भारत में घुस
चुकी हैं ।

जब कि इतिहास इस बात का गवा है। कि गल्ती से हमने एक ईस्ट इंडिया कंपनी को
बुला लिया था और 250 के लिये अपनी आजादी गवा बैठे थे ।

फ़िर आजादी पाने के लिये
(भगत,सिहं उधम सिहं , सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय, विपिन चंद्र पाल,नाना
सहिब पेश्व,) और ऐसे 7 लाख 32 हजार क्रतिंकरियो को अपना बलिदान देना पड़ा तब
जाकरआजादी मिली ।

लेकिन आज तो 5000 विदेशी कंपनिया हो गई हैं । क्या ये हमारे देश कि आजादी के
लिये दुबारा खतरा नहीं है ??

जब ये सवाल भारत सरकार से पूछा जाता हैं तो भारत सरकार विदेशी कंपनियों को
भारत में
बुलाने के लिये 4 तर्क देती हैं.

1)विदेशी कंपनिया आती हैं तो पूंजी लाती है।

2) विदेशी कंपनिया आती हैं तो technology लाती हैं !

3) विदेशी कंपनिया आती है तो export बढ़ाती है ।

4) विदेशी कंपनिया आती है तो हमारे देश के लोगो को रोजगार देती रोजगार बढ़ती
हैं !!

मित्रो हो सकता है आपके दिमाग में भी यही तर्क हो !!

लेकिन सरकार के अपने आंकड़े ही सरकार की poll खोलते हैं ! ये 4 तर्क कितने
झूठे हैं उनका पुरा खुलासा राजीव दिक्षित जी ने पुरे दस्तावेजो और सबूतो के
साथ इस विडियो में किया हैं । ये इतनी बड़ी लूट है जो 65 सालो से देश में चल
रही है !! और इस पर हर राजनीतिक पार्टी शांत है !

मित्रो ये एक ऐसा videos है ! जो देश के पढ़े लिखे लोगो का दिमाग घूमा कर रख
देगा !!
ऐसा जानकारी न उन्हे कोई रजीनीतिक पार्टी देगी ! न ही मीडिया !! और न ही किसी
किताब में मिलेगी

ये videos अगर हर भारतीय को दिखा दिया जाए !! तो पूरे देश में ऐसे आर्थिक
क्रांति होगी ! जो भारत को विश्व गुरु बना देगी !!

कृपया पूरा video ही देखें ! अगर आपके पास अभी समय न हो तो link save कर ले !
और बाद में जरूर देखें !! पर पूरा विडियो ही देखें !!

वन्देमातरम !!
यहाँ click करे
http://www.youtube.com/watch?v=b9N-G3aovL8

vandematram

वन्देमातरम !!
यहाँ click करे
http://www.youtube.com/watch?v=b9N-G3aovL8

10 पैसा यूनिट बिजली भी बना सकते हैं

10 पैसे किलो कोयला बेचने वाले शातिर 10 पैसा यूनिट बिजली भी बना सकते हैं लेकिन यह विदेशी ईसाइयो के लिए घातक होगा......इसीलिये कांग्रेस ने हर क्षेत्र के अनुसंधान को भी बंद करा रखा है.....

सौरी ऊर्जा से बिजली बनाने में कुछ भी नहीं करना होता है...आप खाना खाने को भूल सकते हैं लेकिन आपका पैनल बिजली बनाना नहीं भूलेगा..

सोलर पैनल की 25 साल की गारंटी होती है और 40साल तक की वारंटी यानी यह काम करेगा लेकिन
80% क्षमता पर....आंधी में टूट नहीं गया तो 40 साल तक बिजली देगा..

भारत में उपलब्ध तकनीक और संसाधनों का प्रयोग किया जाये तो यह पैंनल 20/- प्रति वाट के हिसाब से बाजार में सरकार लाकर हर घर को 11 घंटे अनिवार्य बिजली दे सकती है क्योकि पैनल उष्मा से नहीं, प्रकाश से काम करते हैं.

यही 1000 वाट का पैनल ११ घंटे काम करे तो ११ Unit बिजली बनेगी और यह बिना रुके 365 दिन और 30 साल (औसत) काम करेगा. अपने जीवन काल में बिना कुछ खर्च किये

11 x 365 x30 years x @Rs.3.00 Unit =Rs.3,61,350/- की बिजली मिलेगी..

1000 वाट पैनल लगाने पर 1000 x 20 = 20,000/- रुपये खर्च होंगे.

30 साल में 30 x 365 x 11 यूनिट बिजली बनेगी यानी 120450 यूनिट

20,000/- के खर्चे को 120450 यूनिट दे भाग दीजिए तो यह 16.60 पैसे प्रति यूनिट आएगा और आप अपने पॉवर हाउस स्वयं मालिक होंगे और रोज गारंटेड बिजली मिलेगी.. अब इसी खर्चे में सब जोडते जाइए—लेकिन यह 1.00 रुपये कभी भी नहीं हो पायेगा.

चीन इस समय सोलर पैनलो का बेतहाशा उत्पादन कर रहा है और उसका खर्च 25/- रुपये वाट पड रहा है लेकिन भारी मात्र में उत्पादन से और ऊर्जा के लिए खुद सूर्य ऊर्जा ही प्रयोग किया जाये तो यह खर्चा भारत के लिए 20/- रुपया ही आएगा......

सूर्य ऊर्जा और थोरियम भारत को विश्व का राजा बना देंगे..लेकिन बीच में लुटेरो की जमात कांग्रेस आ जाती है....

भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए सभी बधाओं को हटाने का संकल्प ले..2अक्तूबर के दिन....याद रखे..
जय भारत..
SANJAY KUMAR MAURYA