Saturday 31 August 2013

क्या आप जानते हैं कि..... हमारे देश का नाम ............... “भारतवर्ष” कैसे पड़ा....?????

साथ ही क्या आप जानते हैं कि....... हमारे प्राचीन भारत का नाम......"जम्बूदीप" था....?????

परन्तु..... क्या आप सच में जानते हैं जानते हैं कि..... हमारे भारत को ""जम्बूदीप"" क्यों कहा जाता है ... और, इसका मतलब क्या होता है .....?????? 

दरअसल..... हमारे लिए यह जानना बहुत ही आवश्यक है कि ...... भारतवर्ष का नाम भारतवर्ष कैसे पड़ा.........????

क्योंकि.... एक सामान्य जनधारणा है कि ........महाभारत एक कुरूवंश में राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के प्रतापी पुत्र ......... भरत के नाम पर इस देश का नाम "भारतवर्ष" पड़ा...... परन्तु इसका साक्ष्य उपलब्ध नहीं है...!

लेकिन........ वहीँ हमारे पुराण इससे अलग कुछ अलग बात...... पूरे साक्ष्य के साथ प्रस्तुत करता है......।

आश्चर्यजनक रूप से......... इस ओर कभी हमारा ध्यान नही गया..........जबकि पुराणों में इतिहास ढूंढ़कर........ अपने इतिहास के साथ और अपने आगत के साथ न्याय करना हमारे लिए बहुत ही आवश्यक था....।

परन्तु , क्या आपने कभी इस बात को सोचा है कि...... जब आज के वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं कि........ प्राचीन काल में साथ भूभागों में अर्थात .......महाद्वीपों में भूमण्डल को बांटा गया था....।

लेकिन ये सात महाद्वीप किसने और क्यों तथा कब बनाए गये.... इस पर कभी, किसी ने कुछ भी नहीं कहा ....।

अथवा .....दूसरे शब्दों में कह सकता हूँ कि...... जान बूझकर .... इस से सम्बंधित अनुसंधान की दिशा मोड़ दी गयी......।

परन्तु ... हमारा ""जम्बूदीप नाम "" खुद में ही सारी कहानी कह जाता है ..... जिसका अर्थ होता है ..... समग्र द्वीप .

इसीलिए.... हमारे प्राचीनतम धर्म ग्रंथों तथा... विभिन्न अवतारों में.... सिर्फ "जम्बूद्वीप" का ही उल्लेख है.... क्योंकि.... उस समय सिर्फ एक ही द्वीप था...
साथ ही हमारा वायु पुराण ........ इस से सम्बंधित पूरी बात एवं उसका साक्ष्य हमारे सामने पेश करता है.....।

वायु पुराण के अनुसार...............अब से लगभग 22 लाख वर्ष पूर्व .....त्रेता युग के प्रारंभ में ....... स्वयम्भुव मनु के पौत्र और प्रियव्रत के पुत्र ने........ इस भरत खंड को बसाया था.....।

चूँकि महाराज प्रियव्रत को अपना कोई पुत्र नही था......... इसलिए , उन्होंने अपनी पुत्री के पुत्र अग्नीन्ध्र को गोद ले लिया था....... जिसका लड़का नाभि था.....!

नाभि की एक पत्नी मेरू देवी से जो पुत्र पैदा हुआ उसका नाम........ ऋषभ था..... और, इसी ऋषभ के पुत्र भरत थे ...... तथा .. इन्ही भरत के नाम पर इस देश का नाम...... "भारतवर्ष" पड़ा....।

उस समय के राजा प्रियव्रत ने ....... अपनी कन्या के दस पुत्रों में से सात पुत्रों को......... संपूर्ण पृथ्वी के सातों महाद्वीपों के अलग-अलग राजा नियुक्त किया था....।
राजा का अर्थ उस समय........ धर्म, और न्यायशील राज्य के संस्थापक से लिया जाता था.......।

इस तरह ......राजा प्रियव्रत ने जम्बू द्वीप का शासक .....अग्नीन्ध्र को बनाया था।
इसके बाद ....... राजा भरत ने जो अपना राज्य अपने पुत्र को दिया..... और, वही " भारतवर्ष" कहलाया.........।

ध्यान रखें कि..... भारतवर्ष का अर्थ है....... राजा भरत का क्षेत्र...... और इन्ही राजा भरत के पुत्र का नाम ......सुमति था....।

इस विषय में हमारा वायु पुराण कहता है....—

सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत।
अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।।
प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम्।।
तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:।
ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।।
नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत। (वायु 31-37, 38)

मैं अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए..... रोजमर्रा के कामों की ओर आपका ध्यान दिलाना चाहूँगा कि.....

हम अपने घरों में अब भी कोई याज्ञिक कार्य कराते हैं ....... तो, उसमें सबसे पहले पंडित जी.... संकल्प करवाते हैं...।

हालाँकि..... हम सभी उस संकल्प मंत्र को बहुत हल्के में लेते हैं... और, उसे पंडित जी की एक धार्मिक अनुष्ठान की एक क्रिया मात्र ...... मानकर छोड़ देते हैं......।

परन्तु.... यदि आप संकल्प के उस मंत्र को ध्यान से सुनेंगे तो.....उस संकल्प मंत्र में हमें वायु पुराण की इस साक्षी के समर्थन में बहुत कुछ मिल जाता है......।

संकल्प मंत्र में यह स्पष्ट उल्लेख आता है कि........ -जम्बू द्वीपे भारतखंडे आर्याव्रत देशांतर्गते….।

संकल्प के ये शब्द ध्यान देने योग्य हैं..... क्योंकि, इनमें जम्बूद्वीप आज के यूरेशिया के लिए प्रयुक्त किया गया है.....।

इस जम्बू द्वीप में....... भारत खण्ड अर्थात भरत का क्षेत्र अर्थात..... ‘भारतवर्ष’ स्थित है......जो कि आर्याव्रत कहलाता है....।

इस संकल्प के छोटे से मंत्र के द्वारा....... हम अपने गौरवमयी अतीत के गौरवमयी इतिहास का व्याख्यान कर डालते हैं......।

परन्तु ....अब एक बड़ा प्रश्न आता है कि ...... जब सच्चाई ऐसी है तो..... फिर शकुंतला और दुष्यंत के पुत्र भरत से.... इस देश का नाम क्यों जोड़ा जाता है....?

इस सम्बन्ध में ज्यादा कुछ कहने के स्थान पर सिर्फ इतना ही कहना उचित होगा कि ...... शकुंतला, दुष्यंत के पुत्र भरत से ......इस देश के नाम की उत्पत्ति का प्रकरण जोडऩा ....... शायद नामों के समानता का परिणाम हो सकता है.... अथवा , हम हिन्दुओं में अपने धार्मिक ग्रंथों के प्रति उदासीनता के कारण ऐसा हो गया होगा... ।

परन्तु..... जब हमारे पास ... वायु पुराण और मन्त्रों के रूप में लाखों साल पुराने साक्ष्य मौजूद है .........और, आज का आधुनिक विज्ञान भी यह मान रहा है कि..... धरती पर मनुष्य का आगमन करोड़ों साल पूर्व हो चुका था, तो हम पांच हजार साल पुरानी किसी कहानी पर क्यों विश्वास करें....?????

सिर्फ इतना ही नहीं...... हमारे संकल्प मंत्र में.... पंडित जी हमें सृष्टि सम्वत के विषय में भी बताते हैं कि........ अभी एक अरब 96 करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ तेरहवां वर्ष चल रहा है......।

फिर यह बात तो खुद में ही हास्यास्पद है कि.... एक तरफ तो हम बात ........एक अरब 96 करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ तेरह पुरानी करते हैं ......... परन्तु, अपना इतिहास पश्चिम के लेखकों की कलम से केवल पांच हजार साल पुराना पढ़ते और मानते हैं....!

आप खुद ही सोचें कि....यह आत्मप्रवंचना के अतिरिक्त और क्या है........?????

इसीलिए ...... जब इतिहास के लिए हमारे पास एक से एक बढ़कर साक्षी हो और प्रमाण ..... पूर्ण तर्क के साथ उपलब्ध हों ..........तो फिर , उन साक्षियों, प्रमाणों और तर्कों केआधार पर अपना अतीत अपने आप खंगालना हमारी जिम्मेदारी बनती है.........।

हमारे देश के बारे में .........वायु पुराण का ये श्लोक उल्लेखित है.....—-हिमालयं दक्षिणं वर्षं भरताय न्यवेदयत्।तस्मात्तद्भारतं वर्ष तस्य नाम्ना बिदुर्बुधा:.....।।

यहाँ हमारा वायु पुराण साफ साफ कह रहा है कि ......... हिमालय पर्वत से दक्षिण का वर्ष अर्थात क्षेत्र भारतवर्ष है.....।

इसीलिए हमें यह कहने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि......हमने शकुंतला और दुष्यंत पुत्र भरत के साथ अपने देश के नाम की उत्पत्ति को जोड़कर अपने इतिहास को पश्चिमी इतिहासकारों की दृष्टि से पांच हजार साल के अंतराल में समेटने का प्रयास किया है....।

ऐसा इसीलिए होता है कि..... आज भी हम गुलामी भरी मानसिकता से आजादी नहीं पा सके हैं ..... और, यदि किसी पश्चिमी इतिहास कार को हम अपने बोलने में या लिखने में उद्घ्रत कर दें तो यह हमारे लिये शान की बात समझी जाती है........... परन्तु, यदि हम अपने विषय में अपने ही किसी लेखक कवि या प्राचीन ग्रंथ का संदर्भ दें..... तो, रूढि़वादिता का प्रमाण माना जाता है ।

और.....यह सोच सिरे से ही गलत है....।

इसे आप ठीक से ऐसे समझें कि.... राजस्थान के इतिहास के लिए सबसे प्रमाणित ग्रंथ कर्नल टाड का इतिहास माना जाता है.....।

परन्तु.... आश्चर्य जनक रूप से .......हमने यह नही सोचा कि..... एक विदेशी व्यक्ति इतने पुराने समय में भारत में ......आकर साल, डेढ़ साल रहे और यहां का इतिहास तैयार कर दे, यह कैसे संभव है.....?

विशेषत: तब....... जबकि उसके आने के समय यहां यातायात के अधिक साधन नही थे.... और , वह राजस्थानी भाषा से भी परिचित नही था....।

फिर उसने ऐसी परिस्थिति में .......सिर्फ इतना काम किया कि ........जो विभिन्न रजवाड़ों के संबंध में इतिहास संबंधी पुस्तकें उपलब्ध थीं ....उन सबको संहिताबद्घ कर दिया...।

इसके बाद राजकीय संरक्षण में करनल टाड की पुस्तक को प्रमाणिक माना जाने लगा.......और, यह धारणा बलवती हो गयीं कि.... राजस्थान के इतिहास पर कर्नल टाड का एकाधिकार है...।

और.... ऐसी ही धारणाएं हमें अन्य क्षेत्रों में भी परेशान करती हैं....... इसीलिए.... अपने देश के इतिहास के बारे में व्याप्त भ्रांतियों का निवारण करना हमारा ध्येय होना चाहिए....।

क्योंकि..... इतिहास मरे गिरे लोगों का लेखाजोखा नही है...... जैसा कि इसके विषय में माना जाता है........ बल्कि, इतिहास अतीत के गौरवमयी पृष्ठों और हमारे न्यायशील और धर्मशील राजाओं के कृत्यों का वर्णन करता है.....।

इसीलिए हिन्दुओं जागो..... और , अपने गौरवशाली इतिहास को पहचानो.....!

हम गौरवशाली हिन्दू सनातन धर्म का हिस्सा हैं.... और, हमें गर्व होना चाहिए कि .... हम हिन्दू हैं...!

Friday 30 August 2013

रूपए की कीमत और डालर

रूपए की कीमत और डालर
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इस पर बहुत सारी पोस्ट फेसबुक पर आ रही है l मैंने सोचा मै भी अपने मन की बात लिख दूँ ,,राजीव दिक्सित जी का एक विडिओ देखा था l आखिर क्यों लगातार रुपया गिरता जा रहा है ,,कुछ लोग कांग्रेस से ऊपर सोचते ही नहीं यही भुल है l कांग्रेस तो छोटा सा प्यादा है उनका (इल्क्लुमिनाती का )l कुछ लोग सोचते हैं की दूसरी सरकार आएगी और रुपया डालर बराबर कर देगी ,,,हा हा हा जितना हंसू उतना कम है l सही मायने में तो रोना आता है ,,की आप देश भक्ति को वोट से जोड़ देते हो ,,सरकार बदलने से पेट्रोल आपको सस्ता नहीं मिलेगा l सरकार बदलने से आप रूपए की कीमत नहीं बढ़ा पाओगे l ये तो साजिश के तहत घटाया जा रहा है l जी हाँ आपको गरीब बनाने के लिए ,,,जी हाँ आपके खनिज को लुटने के लिए ,,,कौन लूट रहा है आपके खनिज ...कांग्रेस ,,,नहीं उसके उपर भी कोई है उनके बाप ,,,वो बाप लोग यहाँ की सरकार को कंट्रोल करते हैं चाहे कांग्रेस की हो या किसी की l वो बाप लोग मिडिया और न्यायालय को अपनी बपौती समझते हैं ,,दुसरे शब्दों में कहूँ संविधान भी उन्ही का दिया हुआ है l
इल्लुमिनाती (यूरोप के वो तेरह राजघराने ,अंग्रेज कह लीजिए ),,जब देश को आज़ाद (नकली आज़ादी )करके गई तो लोगो ने सोचा हम आज़ाद हो गए ,,अब हमसे कोई लगान नहीं लिया जाएगा ,,,अब हमसे कोई टेक्स नहीं लिया जाएगा l पर क्या ऐसा हुआ ?
हुआ यूँ की उन तेरह राज घरानों(इल्लुमिनाती ) ने लूटने का फार्मूला बदल दिया ,,,अब वो डंडा लेकर नहीं परेशान करते ,,बल्कि डंडे वालो की फ़ौज खड़ी कर दी ,पुलिस जज कोर्ट सरकार संविधान सब उन्ही का ही तो काम करते हैं l

बात करते है राजीव जी के उस विडिओ की
https://www.youtube.com/watch?v=hCcPuXVYmKI

इल्लुमिनाती ने तीन प्रमुख संस्थाएं बनाई ,,,imf और वर्ल्ड बैंक ,,,तीसरा कारखाना लगाया जिसको आप अमेरिकी फेड रिजर्व के नाम से जानते हैं ,,पर बहुत लोग जानते होंगे की अमेरिका सरकार का है वो फेड रिजर्व l अम्रेरिका का नहीं इल्लुमिनाती का है वो फेड रिजर्व l फेड रिजर्व में ठोक भाव में डालर (कागज़ )छापना शुरू किया ,,कर्जा बाटने के लिए ,,,जी हाँ अमेरिका को भी कर्जा दिया ,,,सारे देशो को फ्री में कागज(डालर ) के बाटा ,,बदले में उनको क्या चाहिए था ? संसाधन ,,कैसा संसाधन ,,अरब देशो से पेट्रोल,,,भारत से लोहा कोयला आदि आदि l जब की संसाधनों पर मूल हक़ देश की जनता का होना चाहिए l पर उन राक्षसों को जनता नाम से नफरत है ,,,पूरी पृथ्वी उनके बाप की है ऐसा सोचते हैं वो राक्षस l
१९४५ के आस पास की बात है जब उन्होंने न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का प्रोग्राम आस्तित्व में लाए ,उसके बाद ही उपर्युक्त तीन संस्थाओं को बनाया l

कैसे लुटती है इल्लुमिनाती इन संस्थाओं से
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जबरन विश्व के सारे देशों को इनमे शामिल होने के लिए दबाव बनवाया ,,,डालर यानी कागज़ देने का लालच दिया ,,,नेहरु तो उनका एजेंट मान गया सारी बात ,,नहीं मानता तो मौत होती ,,मिला कर्जा (डालर, कागज )भारत को पहली बार ,जब की भारत को कर्ज की आवश्यकता ही नहीं थी इतने संसाधन खुद थे भारत के पास l बदले में विदेशी कंपनियों का जाल बिछाया और ठेका मिलने लगा खदानों का ,,लूटने लगे वो संसाधनों को ,,आज तक लुट रहे हैं l

अब थोड़ी सी दिकत आने लगी राक्षसों को ,,,संसाधन उनको महंगे मिलते थे ,,इसलिए imf से दबाव बनवा कर रूपए की किमत गिरवाने लगे ,,,आज तक वो सिलसिला जारी है ,,कोई भी प्रधान मंत्री बनता है वो रुपया गिरवाता है ,,सरकार को डर इस बात का रहता है की कहीं वर्ल्ड बैंक पुराना कर्जा न मांगने लगे l जब की कर्जा कैसा ,,लिया तो डालर यानी कागज ही था l
वैनिजुएला के राष्ट्रपति ने इतना बोला की मुझे पेट्रोल के बदले डालर नहीं चाहिये सोना गोल्ड चाहिए ,,मरवा दिया इल्लुमिनाती ने l

पहले लोहा इल्लुमिनाती 50 रूपए किलो खरीदती थी आज आठ रूपए किलो खरीद रही है ,,,मतलब जनता के लिए मंहगाई बढ़ रही है उनके लिए घट रही है ,,,कैसे रूपए का दाम गिरवा कर ,,किस्से अपनी ही बनाई संस्था imf से l


ब्रम्ह वाक्य ==

wto ,वर्ड बैंक ,imf ,,से रिश्ता तोड़ो ,भारत की सेना मजबूत करो ,सेना के हथियार भारत में बनवाओ ,सेना इतनी मजबूत होनी चाहिए की इन तीनो संस्थाओं से सम्बन्ध टूटने के बाद जो राक्षसों द्वारा युद्ध थोपा जाएगा उस युद्ध को भारत की सेना लड़ सके l भारत की सेना इतनी मजबूत होनी चाहिए की नाटो की सेना से युद्ध लड़ सके l


समाधान =पुरे इल्लुमिनाती नेटवर्क का विनाश ,,,कैसे होगा युद्ध से ,,,कौन लडेगा ,,कोई भारत वासी ,,,कैसा युद्ध होगा ,,योगमाया से युद्ध लड़ा जाएगा ,,सनातन धर्म की स्थापना का समय आ चूका है ,,पापी बढ़ चुके हैं ,,राक्षसों का विनाश होगा l अगला महाभारत होगा l

आप लोग क्या करें =गीता को केवल पढ़ें ही न उसको जीवन में उतारे ,,देखें कहीं आपके अन्दर तो दानव ने तो नहीं प्रवेश कर लिया l चिंतन करें l आत्मज्ञान ले l सब कुछ पैसा नहीं है ऐसा सोचे l अपने धन को आप कहीं गलत कार्यों में तो नहीं लगा रहे......देश और धर्म का रक्षक बनें......यही अंतिम समाधान है.......

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हर दिन इस मार्केट से ट्रेन गुजरती है।

दुनिया में कई ऐसी जगह हैं, जहां लोग अपनी जान हथेली पर रखकर खरीदारी करने का जोखिम उठाते हैं। इन्हीं में से एक खतरनाक बाजार है थाईलैंड में।
इस मार्केट के बीचों-बीच से एक रेलवे लाइन गई है और हर दिन इस मार्केट से ट्रेन गुजरती है। 


हम इसी बात को दूसरे शब्दों में भी कह सकते हैं कि थाई के लोग अधिकांश अपनी शॉपिंग ऑनलाइन करते हैं। जी हां, ऑनलाइन मतलब मैक्लोंग रेलवे लाइन।

इस अतिव्यस्त और संकीर्ण गलियों के मार्केट से प्रतिदिन आठ विशेष ट्रेन गुजरती हैं। गाड़ियों के आने के पहले चेतावनी के लिए एक साइरन भी बजाया जाता है। ताकि दुकानदार अपनी दुकान के बक्से और दुकान के बाहर की तरफ लगाई गई पन्नियां हटा लें।

थाईलैंड के मे-क्लोंग डिस्ट्रिक्ट का रोम हूप मार्केट दुनिया की सबसे खतरनाक मार्केट है। यह मार्केट मे-क्लोंग रेलवे स्टेशन के बगल में है। दिलचस्प बात यह है कि जब भी ट्रेन आती है दुकानदार अपने छाते फोल्ड कर लेते हैं, खाने-पीने का सामान पटरियों से पीछे खींच लिया जाता है और ट्रेन के जाते ही दुकाने फिर सज जाती हैं। ऐसा दिन में 8 बार होता है।
 —

और तूने चंद रुपयों के लिए मेरा बेटा मर जाने दिया ".....

एक गरीब मज़दूर था..मज़दूरी करके वो अपना घर
चलता था...कुछ दिनों से बीमार पड जाने के कारण
वो काम पर नही जा सका..
जब घर में खाने को कुछ नही बचा तो उसका 9 साल
का लड़का उससे बोला,
बापू..आज काम पर मैं चला जाता हूँ ताकि कुछ पैसे
आए तो खाने का कुछ ईंतज़ाम हो जाए..बाप के
लाख माना करने के बावजूद वो लड़का चला गया..
कुछ देर बाद बाप को ख़बर मिली कि उसके लडके
का एक्सीडेंट
हो गया है...वो भागा भागा अस्पताल जाता है
तो देखता है कि उसका लड़का बेंच पर पड़ा
है और बहुत खून बह रहा है..कोई डॉक्टर उसका इलाज
नही कर रहा..उसने पूछा तो डॉक्टर बोला कि पहले
20000 रुपए जमा करवो..
उसने डॉक्टर की बहुत मिन्नते की..पाँव पकडे
कि आप मेरे पास इतने
पैसेनही हैं लेकिन आप मेरे बेटे को बचा लो... मैं
ज़िंदगी भर आपकी गुलामी करूँगा लेकिन डॉक्टर ने
उसकी एक नही सुनी...वो सबसे मदद की भींख
मांगता
रहा लेकिन किसी ने उसकी मदद नही की..
कुछ देर बाद इलाज के अभाव में उसके बेटे ने दम तोड़
दिया..
वो रोने लगा..तभी उसकी नजर अस्पताल में लगे
टीवी पर पडी
जिसमे
ब्रेकिंग न्यूज थी..
"टुंडा की हार्ट सर्जरी सफल, पेसमेकर लगाया गया "
उसने पूछा कि ये कौन है और ये पेसमेकर
क्या होता है ?
डौक्टर ने ज़वाब दिया; चाचा..ये

आतंकवादी है..इसका भारत सरकार ने मुफ्त
में इलाज करवाया है..लाखो का आता है पेसमेकर..
ये सुनते ही उसने एक झन्नाटेदार थप्पड डॉक्टर
को लगाया और बोला कि
"और तूने चंद रुपयों के लिए मेरा बेटा मर जाने
दिया ".....
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2,27,100 करोड़ की गैस बनेगी भारत के गाँवों में

2,27,100 करोड़ की गैस बनेगी भारत के गाँवों में : बाबा रामदेव जी के इस काम को करेगा कौन???...मोदी या राहुल...???

यह काम बाबा रामदेवजी के “भारत स्वाभिमान” के एजेंडे में हैं जिसे नरेन्द्र मोदी करने के लिए तैयार हो गए हैं. गो उत्पादों पर अनुसंधान केंद्र भी बनाये जायेंगे जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को स्थाई रूप से सुदृढ़ बनाया जा सके. 

भारत के 6,34,800 गावों में गोबर गैस बाटलिंग प्लांट लगाकर 634800X8 = 50,78,400 युवाओं को स्थाई नौकरी दी जा सकती है. गाव वालो को गोबर से भी कमाई होगी और गोबर गैस केंद्र से सस्ते में ६ हुना ताकत वाला कम्पोस्ट भी किसानो को मिल जायेगा. इस केंद्र पर युवा गैस की बाटलिंग करके उससे भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा बचा सकते हैं. यह केंद्र उच्च गुणवत्ता वाले कम्पोस्ट सप्लाई का केंद्र भी होगा जिससे बढ़िया खेती की जा सकेगी.

सबसे बड़ी बात होगी युवाओ को गाव में ही काम मिल जायेगा, हर केंद्र पर एक टेक्नीशियन, हेल्पर, मजदूर, गैस कर्मी आदि बहुत सारे लोग लगेंगे हमने तो कम लिखा है. कम से कम एक वाहन सिलिंडर के लिए और एक गोबर धोने के लिए लगेगा , २ तो वाहन चालक ही हो गए यानी गोपालन के साथ रोजगार को बढ़ावा मिलेगा.

भारत गोपालन और गोबर गैस के व्यापक उपयोग से बहुत ज्यादा मात्रा में विदेशी मुद्रा को बचा सकता है जिससे भारत की साख बचेगी क्योकि डीजल के बदले गैस इस्तेमाल होगी. गोबर गैस से सीधे ही बिजली जनरेटर चलाये जाते हैं जो डीजल से बहुत सस्ता पड़ता है बिना इंजन में फेरबदल किये ही.
एक केंद्र से हर दिन 20 से 35 सिलिंडर भरे जा सकेंगे यानि भारत हर साल

634800 VILAGE X 20 CYLINDERS X 365 DAYS X 14KG X 35/-PERKG = 227100 करोड़ रुपये

की गैस पैदा कर सकेंगे जिससे गाडिया भी चल सकती हैं जैसे CNG से चलती हैं यह गैस सस्ती भी है और डालर भी बचायेगी.

साथ ही खाद भी मिलेगी. जिससे विष मुक्त बढ़िया खेती होकर लोगो को स्वस्थ खाना मिलेगा. गो पालन बढ़ने से दूध शुद्ध मिलेगा .

यह काम किसे करना चाहिए....कांग्रेस इसे कभी नहीं करेगी........अब मोदी का ही सहारा है......

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मीडिया और खान्ग्रेस के हकले किस 31 हज़ार टन
सोने की बात कर रहे हैं ??
"वर्ल्ड गोल्ड कॉन्सिल " के आंकड़ो के अनुसार
भारत के पास 557 टन सोना है.
बाकि का सोना कहीं इंदिरा द्वारा जयपुर
राजघराने से लूटा हुआ सोना है या पद्मनाभ
मंदिर का सोना ????
कहीं ये देश को फिर एक बार अँधेरे में रख कर लुटे
जाने की साजिश तो नहीं ????

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Monday 26 August 2013

अरब के कुरैशियों का वंश सूत्र कुरुओं का वंश

अमेरिकी संस्था नासा निर्मित प्लैनेटोरियम सॉफ्टवेयर के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ईसा से ३२०० साल यानि कि आज से ५२०० साल पहले अवतरित हुए थे। पूर्व गणना करते हुए यही सॉफ्टवेयर बताता है कि अरब के कुरैशियों का वंश सूत्र कुरुओं का वंश सूत्र है। विदित हो कि मोहमद इसी कुरैश वंश में जन्मा था। कुरान भी इन्हीं कुरैशियों के नाम है और इसमें दिया गया आदेश दुराग्रही कौरवों के आदेशों से भी मेल खाता है। यदि यह एतिहासिक साक्ष्य सच है तो मानना पड़ता है कि मुलायम यादव और उसका बेटा कुछ और नहीं स्वंय अपनी ही जाति-कौम का नाश कर कौरवों की ऐतिहासिक वापसी करवा रहा है। क्या तब भगवान अपना वचन पूरा करेंगे ..कि यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतस्य..
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Friday 23 August 2013

तुर्की एक मुस्लिम बहुमुल देश

तुर्की एक मुस्लिम बहुमुल देश है और यह वही स्थान है जहा के तानाशाही शाषक भारत देश पर आक्रमणकर्ता बने रहे थे लेकिन 1923 में एक बड़े आन्दोलन के बाद कमाल-पाशा ने देश को प्रजातन्त्र घोषित किया और स्वयं प्रथम राष्ट्रपति बने। अब राज्य लगभग निष्कण्टक हो चुका था, पर मुल्लाओं की ओर से उनका निरन्तर विरोध हो रहा था। इसपर कमाल ने सरकारी अखबारों में इस्लाम के विरुद्ध प्रचार शुरू किया। अब तो धार्मिक नेताओं ने उनके विरुद्ध फतवे जारी कर दिये और यह कहना शुरू किया कि कमाल ने अंगोरा में स्त्रियों को पर्दे से बाहर निकाल कर देश में आधुनिक नृत्य का प्रचार किया है, जिसमें पुरुष स्त्रियों से सटकर नाचते हैं, इसका अन्त होना चहिए। हर मस्जिद से यह आवाज उठायी गयी। तब कमाल ने 1924 के मार्च में खिलाफत प्रथा का अन्त किया और तुर्की को धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र घोषित करते हुए एक विधेयक संसद में रखा। अधिकांश संसद सदस्यों ने इसका विरोध किया, पर कमाल ने उन्हें कसके धमकाया। उनकी इस धमकी का पुरजोर असर हुआ और विधेयक पारित हो गया।
पर भीतर-भीतर मुल्लाओं के विद्रोह की आग बराब सुलगती रही। कमाल के कई भूतपूर्व साथी मुल्लाओं के साथ मिल गये थे। इन लोगों ने विदेशी पूँजीपतियों से धन भी लिया था। कमाल ने एक दिन इनके मुख्य नेताओं को गिरफ्तार कर फाँसी पर चढ़ा दिया। कमाल ने देखा कि केवल फाँसी पर चढ़ाने से काम नहीं चलेगा, देश को आधुनिक रूप से शिक्षित करना है तथा पुराने रीति रिवाजों को ही नहीं, पहनावे आदि को भी समाप्त करना है।
कमाल ने पहला हमला तुर्की टोपी पर किया। इस पर विद्रोह हुए, पर कमाल ने सेना भेज दी। इसके बाद इन्होंने इस्लामी कानूनों को हटाकर उनके स्थान पर एक नई संहिता स्थापित की जिसमें स्विटज़रलैंड, जर्मनी और इटली की सब अच्छी-अच्छी बातें शामिल थीं। बहु-विवाह गैरकानूनी घोषित कर दिया गया। इसके साथ ही पतियों से यह कहा गया कि वे अपनी पत्नियों के साथ ढोरों की तरह-व्यवहार न करके बराबरी का बर्ताव रखें। प्रत्येक व्यक्ति को वोट का अधिकार दिया गया। सेवाओं में घूस लेना निषिद्ध कर दिया गया और घूसखोरों को बहुत कड़ी सजाएँ दी गर्इं। स्त्रियों के पहनावे से पर्दा उठा दिया गया और पुरुष पुराने ढंग के परिच्छेद छोड़कर सूट पहनने लगे।
इससे भी बड़ा सुधार यह था कि अरबी लिपि को हटाकर पूरे देश में रोमन लिपि की स्थापना की गयी। कमाल स्वयं सड़कों पर जाकर रोमन वर्ण-माला में तुर्की भाषा पढ़ाते रहे। इसका परिणाम यह हुआ कि सारा तुर्की संगठित होकर एक हो गया और अलगाव की भावना समाप्त हो गयी।
इसके साथ ही कमाल ने तुर्की सेना को अत्यन्त आधुनिक ढंग से संगठित किया। इस प्रकार तुर्क जाति कमाल पाशा के कारण आधुनिक जाति बनी। सन् 1938 के नवम्बर मास की 10 तारीख को मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क की मृत्यु हुई तब तक आधुनिक तुर्की के निर्माता के रूप में उनका नाम संसार में सूरज की तरह चमक चुका था। आज भी तुर्की चमक रहा है... आशा करे कि हमारे देश में भी वोटबेंक और कट्टरवाद की राजनीती ख़त्म हो और सही मायने में यह देश धर्मनिरपेक्ष हो. ऐसा देश जहा पर धर्म के आधार पर सरकारी नीतियों में एक दुसरे से भेद न हो...सिर्फ एकता हो..
जय बक्क्षी (अड्मिन)

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Thursday 22 August 2013

Jitendra Pratap Singh
आखिर सीरिया में कत्लेआम क्यों मचा है ?? जबकि सीरिया में गरीबी बिलकुल नही है 

मित्रो, सीरिया की जनसंख्या में 80% सुन्नी मुसलमान है और सिर्फ 15% शिया मुसलमान है 5% अन्य जिसमे कुर्द, ईसाई आदि है |

असद परिवार करीब ३० सालो से सीरिया पर शासन कर रहा है .. और ये असद परिवार शिया है |
वर्तमान राष्ट्रपति डा.बशर अल असद लन्दन में आई सर्जन थे जो अपने पिता हाफिज अल असद के मृत्यु के बाद सीरिया लौट आये और शुरा के द्वारा राष्ट्रपति चुने गये |

असल में सीरिया का बहुसंख्यक सुन्नी मुसलमान इसे अपना अपमान मानता है की एक अल्पसंख्यक शिया उनके उपर राज करे |
जबकि असद परिवार को आज के सीरिया का कुशल शिल्पी माना जाता है .. असद परिवार ने सीरिया में कभी कट्टरपंथी कठमुल्लों को पनपने नही दिया और जितने भी कट्टरपंथी गुट से सबका खात्मा कर दिया,

सीरिया की राजधानी दमिश्क जिसे अंग्रेजी में दमाश्क्स कहते है विश्व के खुबसूरत शहरों में सुमार हो गया था | सीरिया ओलिव ओयल, क्रुड, आदि चीजो का बड़ा उत्पादक बनकर उभरा था |

फिर इजिप्त की क्रांति जिसमे लोगो ने होस्नी मुबारक हो सत्ता से बेदखल कर दिया उससे प्रेरणा लेकर सीरिया के कट्टरपंथी सुन्नी मुल्ले एकजुट होकर बशर के खिलाफ विद्रोह कर दिए |

लेकिन मजे की बात ये की इस लड़ाई में ईरान सीरिया सरकार के साथ है और साथ ही लेबनान का हिज्बुलाह भी दो गुटों में बट गया . हिजबुल्लाह का शिया गुट बशर के साथ है |
सीरिया की लड़ाई में अरब देशो के मुसलमानों में शिया सुन्नी को लेकर और ज्यादा कटुता बढने लगी है और जल्द ही ये लड़ाई पड़ोसी जार्डन को भी अपने चपेट में लेने वाली है

लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर मुसलामन किसी देश में शांति से क्यों नही रहते ?? विश्व के हर ऐसे देश में जहाँ दंगे या लड़ाई होती है तो एक पक्ष मुस्लिम ही क्यों होता है ?

सीरिया में इन्हें शिया का शासन स्वीकार नही है

भारत में इन्हें हिन्दू का शासन स्वीकार नही है

पाकिस्तान में इन्हें ताकतवर गुट पंजाबी सुन्नी का शासन स्वीकार नही है
म्यांमार में इन्हें बौद्ध का शासन स्वीकार नही है
चेचेन्या और लेबनान, बोस्निया, हर्जेगोविना, सर्विया में इन्हें ईसाई शासन स्वीकार नही है

अफगानिस्तान में इन्हें दुसरे कबीले के मुसलमान का शासन स्वीकार नही है

और मजे की बात ये की पुरे विश्व में सबसे खुशहाल और शांति से जिस भी देश में मुसलमान है वहाँ मुसलमान अल्पसंख्यक है ... लेकिन जिस देश में ये बहुसंख्यक है उस देश में दुसरे धर्मो के मानने वालो को खत्म कर देते है |

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************** स्व मूल्यांकन ***************

एक चौदह पंद्रह साल का लड़का एक टेलीफोन बूथ पर जाकर एक नंबर लगाता है और किसी के साथ बात करता है, बूथ मालिक उस लड़के की बात को ध्यान से सुनता रहता है ;
लड़का : किसी महिला से कहता है कि, मैंने बैंक से कुछ क़र्ज़ लिया है और मुझे उसका क़र्ज़ चुकाना है, इस कारण मुझे पैसों की बहुत जरुरत है, मैडम क्या आप मुझे अपने बगीचे की घास काटने की नौकरी दे सकती हैं..? महिला : (दूसरी तरफ से) मेरे पास तो पहले से ही घास काटने वाला माली है..
लड़का : परन्तु मैं वह काम आपके माली से आधी तनख्वाह पर कर दूंगा..
महिला : तनख्वाह की बात ही नहीं है मैं अपने माली के काम से पूरी तरह संतुष्ट हूँ..
लड़का : (और निवेदन करते हुए) घास काटने के साथ साथ मैं आपके घर की साफ़ सफाई भी कर दूंगा वो भी बिना पैसे लिए..
महिला : धन्यवाद और ना करके फोन काट दिया..लड़का चेहरे पर विस्मित भाव लिए फोन रख देता है..
बूथ मालिक जो अब तक लड़के की सारी बातों को सुन चूका होता है,लड़के को अपने पास बुलाता है..
दुकानदार : बेटा मेरे को तेरा स्वभाव बहुत अच्छा लगा, मेरे को तेरा सकारात्मक बात करने का तरीका भी बहुत पसंद आया..अगर मैं तेरे को अपने यहाँ नौकरी करने का ऑफ़र दूं तो क्या तू मेरे यहाँ काम करेगा..??
लड़का : नहीं, धन्यवाद.
दुकानदार : पर तेरे को नौकरी की सख्त जरुरत है और तू नौकरी खोज भी रहा है.
लड़का : नहीं श्रीमान मुझे नौकरी की जरुरत नहीं है मैं तो नौकरी कर ही रहा हूँ, वो तो मैं अपने काम का मूल्यांकन कर रहा था..मैं वही माली हूँ जिसकी बात अभी वो महिला फोन पर कर रही थी..!!!

इसे कहते हैं ''स्व मूल्यांकन''

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नेहरू खान दान को काफी लोग मुग़ल खानदान से जोड़कर देखते है | ऐसा कहने का उनके पास अपना तर्क भी है, और वे लोग तर्क का आधार है बताते है नेहरू के सेक्रेटरी एम ओ मथाइ पुस्तक “रेमेनिसेंसेस ऑफ़ नेहरू एज” (जो भारत में प्रतिबंधित है) तथा के एन राव की पुस्तक “द नेहरू डायनेस्टी” | ये पुस्तके नेहरू के करीबियों ने लिखी है. हमारे पास ऐसा मानने के अलग तर्क है |
(१)-मुग़ल खानदान को भारत के इतिहास में इतना महत्वपूर्ण और विस्तृत रूप से क्यों पढाया जाता है क्यों ? मुग़ल कक्षा ६ से शुरू होकर बीए, एमए और फिर पीसीएस आईएएस की सर्वोच्च परीक्षाओ तक छात्रो और अभ्यर्थियों का पीछा नहीं छोड़ते है | यदि हम ज्यादा पीछे भी न जाएँ तो भी महाराजा परिक्षत से लेकर सम्राट पृथवीराज चौहान तक हमारा गौरवशाली इतिहास रहा है | इस कालखंड में हम सोने की चिड़िया और जगतगुरु रहे | पर पाठ्यक्रमो से सब गायब है |

(२)-८नवम्बर २०१० में भारत दौरे पर आये अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को क्या हुमायूँ का मकबरा ही मिला था दिखाने के लिए ? दिल्ली में तो पुराना किला जैसी एक से एक हजारो वर्ष पुरानी इमारते है |

(३)- अफगानिस्तान स्थित बाबर की मजार पर बार- बार नेहरू खानदान के लोग क्यों जाते है ? २००४ में राहुल और प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह गए | इंदिरा गाँधी भी अपने कार्यकाल में गई | ये लोग प्रोटोकोल तोड़ कर गए, अफगान सरकार के मना करने पर गए, वह क्षेत्र तालिबानी आतंकवाद ग्रसित है तब भी गए क्यों ?

(४)– विश्व संस्था यूनेस्को ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है की “भारत में एक से बढ़ कर एक गैर मुगलकालीन बेहतरीन ऐतिहासिक स्म्मारक स्थित है | पर न जाने क्यों यहाँ की सरकार मुगलकालीन स्मारकों की ही सिफारिश विश्व धरोहर की सूचि के लिए करती हैं | यहाँ की सरकारों को अपना नजरिया बदलना चाहिए | और गैर मुग़ल स्मारकों को भी सूचि के लिए भेजना चाहिए | फ़िलहाल भारत की २७ स्मारक विश्व धरोहर सूचि में शामिल है लालकिला इनमे सबसे अंत में शामिल हुआ |” ये विचार एक कार्यक्रम के दौरे पर भारत आयी यूनेस्को की संस्कृति कार्यक्रम विशेषज्ञ मोइचिबा ने कहे | अब प्रश्न ये उठता है की मुग़ल स्मारकों से ही इतना मोह क्यों ? वो भी ये विश्व संस्था कह रही है |

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आखिर सीरिया में कत्लेआम क्यों

Jitendra Pratap Singh
आखिर सीरिया में कत्लेआम क्यों मचा है ?? जबकि सीरिया में गरीबी बिलकुल नही है 

मित्रो, सीरिया की जनसंख्या में 80% सुन्नी मुसलमान है और सिर्फ 15% शिया मुसलमान है 5% अन्य जिसमे कुर्द, ईसाई आदि है |

असद परिवार करीब ३० सालो से सीरिया पर शासन कर रहा है .. और ये असद परिवार शिया है |
वर्तमान राष्ट्रपति डा.बशर अल असद लन्दन में आई सर्जन थे जो अपने पिता हाफिज अल असद के मृत्यु के बाद सीरिया लौट आये और शुरा के द्वारा राष्ट्रपति चुने गये |

असल में सीरिया का बहुसंख्यक सुन्नी मुसलमान इसे अपना अपमान मानता है की एक अल्पसंख्यक शिया उनके उपर राज करे |
जबकि असद परिवार को आज के सीरिया का कुशल शिल्पी माना जाता है .. असद परिवार ने सीरिया में कभी कट्टरपंथी कठमुल्लों को पनपने नही दिया और जितने भी कट्टरपंथी गुट से सबका खात्मा कर दिया,

सीरिया की राजधानी दमिश्क जिसे अंग्रेजी में दमाश्क्स कहते है विश्व के खुबसूरत शहरों में सुमार हो गया था | सीरिया ओलिव ओयल, क्रुड, आदि चीजो का बड़ा उत्पादक बनकर उभरा था |

फिर इजिप्त की क्रांति जिसमे लोगो ने होस्नी मुबारक हो सत्ता से बेदखल कर दिया उससे प्रेरणा लेकर सीरिया के कट्टरपंथी सुन्नी मुल्ले एकजुट होकर बशर के खिलाफ विद्रोह कर दिए |

लेकिन मजे की बात ये की इस लड़ाई में ईरान सीरिया सरकार के साथ है और साथ ही लेबनान का हिज्बुलाह भी दो गुटों में बट गया . हिजबुल्लाह का शिया गुट बशर के साथ है |
सीरिया की लड़ाई में अरब देशो के मुसलमानों में शिया सुन्नी को लेकर और ज्यादा कटुता बढने लगी है और जल्द ही ये लड़ाई पड़ोसी जार्डन को भी अपने चपेट में लेने वाली है

लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर मुसलामन किसी देश में शांति से क्यों नही रहते ?? विश्व के हर ऐसे देश में जहाँ दंगे या लड़ाई होती है तो एक पक्ष मुस्लिम ही क्यों होता है ?

सीरिया में इन्हें शिया का शासन स्वीकार नही है

भारत में इन्हें हिन्दू का शासन स्वीकार नही है

पाकिस्तान में इन्हें ताकतवर गुट पंजाबी सुन्नी का शासन स्वीकार नही है
म्यांमार में इन्हें बौद्ध का शासन स्वीकार नही है
चेचेन्या और लेबनान, बोस्निया, हर्जेगोविना, सर्विया में इन्हें ईसाई शासन स्वीकार नही है

अफगानिस्तान में इन्हें दुसरे कबीले के मुसलमान का शासन स्वीकार नही है

और मजे की बात ये की पुरे विश्व में सबसे खुशहाल और शांति से जिस भी देश में मुसलमान है वहाँ मुसलमान अल्पसंख्यक है ... लेकिन जिस देश में ये बहुसंख्यक है उस देश में दुसरे धर्मो के मानने वालो को खत्म कर देते है |

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***दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ से भी कई शताब्दी पहलेपृथवीराज चौहान द्वारा बनवाया हुआ लाल कोट

इतिहास के नाम पर झूठ क्यों पढ़ रहे है ??

क्या कभी किसी ने सोचा है की इतिहास के नाम पर हम झूठ क्यों पढ़ रहे है?? सारे प्रमाण होते हुए भी झूठ को सच क्यों बनाया जा रहा है?? हम भारतीयो की बुद्धि की आज ऐसी दशा हो गयी है की अगर एक आदमी की पीठ मे खंजर मार कर हत्या कर दी गयी हो और उसको आत्महत्या घोषित कर दिया जाए तो कोई भी ये भी सोचने का प्रयास नही करेगा की कोई आदमी खुद की पीठ मे खंजर कैसे मार सकता है....यही हाल है हम सब का की सच देख कर भी झूठ को सच मानना फ़ितरत बना ली है हमने.....

***दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ से भी कई शताब्दी पहलेपृथवीराज चौहान द्वारा बनवाया हुआ लाल कोट है*** जिसको शाहजहाँ ने पूरी तरह से नष्ट करने की असफल कोशिश करी थी ताकि वो उसके द्वारा बनाया साबित हो सके..लेकिन सच सामने आ ही जाता है.

*इसके पूरे साक्ष्य प्रथवीराज रासो से मिलते है

*शाहजहाँ से २५० वर्ष पहले १३९८ मे तैमूर लंग ने पुरानी दिल्ली का उल्लेख करा है (जो की शाहजहाँ द्वारा बसाई बताई जाती है)

*सुअर (वराह) के मुह वाले चार नल अभी भी लाल किले के एक खास महल मे लगे है. क्या ये शाहजहाँ के इस्लाम का प्रतीक चिन्ह है या हमारे हिंदुत्व के प्रमाण??

*किले के एक द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति अंकित है राजपूत राजा लोग गजो( हाथियों ) के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात थे ( इस्लाम मूर्ति का विरोध करता है)

* दीवाने खास मे केसर कुंड नाम से कुंड बना है जिसके फर्श पर हिंदुओं मे पूज्य कमल पुष्प अंकित है, केसर कुंड हिंदू शब्दावली है जो की हमारे राजाओ द्वारा केसर जल से भरे स्नान कुंड के लिए प्रयुक्त होती रही है

* मुस्लिमों के प्रिय गुंबद या मीनार का कोई भी अस्तित्व नही है दीवानेखास और दीवाने आम मे.

*दीवानेखास के ही निकट राज की न्याय तुला अंकित है , अपनी प्रजा मे से ९९% भाग को नीच समझने वाला मुगल कभी भी न्याय तुला की कल्पना भी नही कर सकता, ब्राह्मानो द्वारा उपदेशित राजपूत राजाओ की न्याय तुला चित्र से प्रेरणा लेकर न्याय करना हमारे इतिहास मे प्रसीध है

*दीवाने ख़ास और दीवाने आम की मंडप शैली पूरी तरह से 984 के अंबर के भीतरी महल (आमेर--पुराना जयपुर) से मिलती है जो की राजपूताना शैली मे बना हुवा है

*लाल किले से कुछ ही गज की दूरी पर बने देवालय जिनमे से एक लाल जैन मंदिर और दूसरा गौरीशंकार मंदिर दोनो ही गैर मुस्लिम है जो की शाहजहाँ से कई शताब्दी पहले राजपूत राजाओं ने बनवाए हुए है.

*लाल किले का मुख्या बाजार चाँदनी चौक केवल हिंदुओं से घिरा हुआ है, समस्त पुरानी दिल्ली मे अधिकतर आबादी हिंदुओं की ही है, सनलिष्ट और घूमाओदार शैली के मकान भी हिंदू शैली के ही है ..क्या शाजहाँ जैसा धर्मांध व्यक्ति अपने किले के आसपास अरबी, फ़ारसी, तुर्क, अफ़गानी के बजे हम हिंदुओं के लिए मकान बनवा कर हमको अपने पास बसाता ???

*एक भी इस्लामी शिलालेख मे लाल किले का वर्णन नही है

*""गर फ़िरदौस बरुरुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्ता, हमीं अस्ता, हमीं अस्ता""--अर्थात इस धरती पे अगर कहीं स्वर्ग है तो यही है, यही है, यही है....
इस अनाम शिलालेख को कभी भी किसी भवन का निर्मांकर्ता नही लिखवा सकता ..और ना ही ये किसी के निर्मांकर्ता होने का सबूत देता है

इसके अलावा अनेकों ऐसे प्रमाण है जो की इसके लाल कोट होने का प्रमाण देते है, और ऐसे ही हिंदू राजाओ के सारे प्रमाण नष्ट करके हिंदुओं का नाम ही इतिहास से हटा दिया गया है, अगर हिंदू नाम आता है तो केवल नष्ट होने वाले शिकार के रूप मे......ताकि हम हमेशा ही अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ कर इस झूठे इतिहास से प्रेरणा ले सके...सही है ना???..लेकिन कब तक अपने धर्म को ख़तम करने वालो की पूजा करते रहोगे और खुद के सम्मान को बचाने वाले महान हिंदू शासकों के नाम भुलाते रहोगे..ऐसे ही....??????? -

इस सारी सच्चाई को ज्यादा जानने के लिए प्रो. पी.एन. ओक जी की ये पुस्तके डाउनलोड करे और पढे ::

http://www.archive.org/download/HindiBooksOfP.n.Oak/DilliKeLalKilaLalKothHeiP.n.Oak.pdf

http://www.archive.org/download/HindiBooksOfP.n.Oak/FatehpurSikriEkHinduNagar.pdf..


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नरेन्द्र दभोलकर की हत्या

नरेन्द्र दभोलकर की हत्या खान्ग्रेस और
एनसीपी के द्वारा पूर्व नियोजित षडयंत्र
द्वारा की गयी है इसाई मिशनरीयो के इशारे पे।
निष्कर्ष तक पहुचने के कारण :-
1) हत्या के तुरंत बाद से ही सारे मराठी चैनल्स पे
सिर्फ नरेन्द्र दभोलकर के प्रोग्राम ही दिखाए
जा रहे हैं और हत्या के लिए सीधे सीधे
बिना किसी सबूत या साक्ष्य के सनातन संस्था,
हिन्दू जनजाग्रति व् अन्य सनातनी संस्थाओ
को दोषी बताया जा रहा है जबकि पुलिस ने
अभी तक इस मामले पे कोई आधिकारिक बयान
नही दिया है।
2) हत्या के तुरंत बाद ही आनन् फानन में
अंध्श्रधा उन्मूलन कानून बिना किसी चर्चा के
पास करके गवर्नर के पास भेज दिया गया है। ये
महाराष्ट्र चुनाव से पहले हिन्दुओ को बाटने और
मुस्लिम-इसाई तुष्टिकरण का षडयंत्र है।
3) हत्या के तुरंत बाद ही दभोलकर समर्थको के
भेष में खान्ग्रेस और एनसीपी के कार्यकर्ताओ ने
महाराष्ट्र में उत्पात मचाना शुरू कर दिया और
पुणे बंद का एलान कर दिया गया।
इस कानून का पास हो जाना भारत में सनातन
धर्म पे सबसे बड़ी चोट होगी क्यूंकि महाराष्ट्र में
पास होते ही अन्य राज्यों में बिल पास होने के
दरवाजे खुल जायेंगे। ये कानून केवल हिन्दू
रीती रिवाजों को कवर करता है, इस कानून में
हाथ पे कलावा बांधना, टीका लगाना, हवन
करना, सत्यनारण का पाठ करना जैसी हिन्दू
रीतियो को ढोंग बताया गया है और इन सब के
लिए 7 साल तक की सजा है। इस्लाम और ईसाइयत
को इस कानून में पूरी छुट है।
अंध्श्रधा उन्मूलन कानून बनाने वाले नरेन्द्र
दभोलकर को भाई राजीव दिक्षित ने काफी समय
पहले expose किया और बताया है की किस तरह
दभोलकर को विदेशो से पैसा लेकर केवल सनातन
धर्म के खिलाफ कार्य करता था और इस दभोलकर
के बेटे का नाम हमीद है और वो इस्लाम कबूल कर
चूका है।
हम सब को मिलकर एक स्वर में इस कानून
का विरोध करना होगा अन्यथा वो दिन दूर
नही जब हाथ जोड़कर प्रार्थना करना भी ढोंग
बता के आपको जेल में ठूस दिया जायेगा।
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Monday 19 August 2013

गुलामी की आदत-

गुलामी की आदत-

सूखे हुए एक शापित पेड़ की डाल पर बैठा बूढा जटायु कहानी सुना रहा था. आस-पास बहुत से पशु-पक्षी ध्यान से सुन रहे थे.

एक जंगल था. हजारों वर्षों से इस जंगल के पशुओं पर बाहर के भेड़िये जुल्म करते आए थे. कुछ वर्ष पहले भी सैंकड़ों भेड़िये चालबाजी से उस जंगल में घुस आए थे और सारे पशु-पक्षियों पर बहुत अत्याचार किया था. उन्होंने खूब नोच-खसोट की और जो कुछ अच्छा लगा, उसे अपने जंगल में भिजवा दिया. 

गुलामी के दंश से पीड़ित सभी पशु-पक्षियों ने एक साथ विद्रोह कर दिया. भेड़िये अंतत: भाग खड़े हुए लेकिन जाते-जाते वे एक धूर्त लकड़बग्गे को वन राज की गद्दी सौंप गए. साथ ही अपना राजनीति का मूल मंत्र " फूट डालो और राज करो " भी दे गए.
इस मंत्र के आधार पर धूर्त लकड़बग्गे को जंगल पर राज करने में कोई समस्या नहीं हुई. उसकी कई पीढी आसानी से राज करती चली गईं. जनता को गुलामी की आदत सी जो हो गयी थी.

इसी बीच विरासत में बने राजा को दुसरे जंगल की एक सुनहरी लोमड़ी ने सम्मोहित कर लिया. उसने एक दिन षड्यंत्र कर राजा लकड़बग्गे को मरवा डाला. धीरे-धीरे उसने ऐसे हालात कर दिये कि अब उसके इशारे के बिना जंगल में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता था. सबसे बड़ा आश्चर्य यह था कि जंगल के पशु-पक्षियों को आज भी यह पता नहीं था कि वे अब गुलाम हैं या आज़ाद??

इतना कह कर जटायु ने बेबसी में छलक आईं आँखें पोंछी.
एक युवा श्रोता ने पूछा- " दद्दू ! आप के मन में इतनी पीड़ा क्यों है.....आप कौन हैं ? "
गहरी सांस लेते हुए जटायु ने कहा- " मैंने भेड़ियों के विरुद्ध विद्रोह में भाग लिया था. मेरे जैसे हजारों परिवारों ने आजादी हेतु अपना सर्वस्व होम कर दिया था. इन आँखों ने सारे जंगल को आजादी की खुशियाँ मनाते हुए देखा है. अफ़सोस तो यह है कि उस बार तो सैंकड़ों भेड़ियों ने गुलाम बनाया था और इस बार मात्र एक लोमड़ी ने. ??"
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ऐसे थे हमारे सत्यवादी.............

 शहीदे आजम भगतसिंह को फांसी दिए जाने पर अहिंसा के महान पुजारी गांधी ने कहा था, ‘‘हमें ब्रिटेन के विनाश के बदले अपनी आजादी नहीं चाहिए ।’’ और आगे कहा, ‘‘भगतसिंह की पूजा से देश को बहुत हानि हुई और हो रही है । वहीं इसका परिणाम गुंडागर्दी का पतन है । फांसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे । ” अर्थात् गांधी की परिभाषा में किसी को फांसी देना हिंसा नहीं थी ।
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इसी प्रकार एक ओर महान् क्रान्तिकारी जतिनदास को जो आगरा में अंग्रेजों ने शहीद किया तो गांधी आगरा में ही थे और जब गांधी को उनके पार्थिक शरीर पर माला चढ़ाने को कहा गया तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया अर्थात् उस नौजवान द्वारा खुद को देश के लिए कुर्बान करने पर भी गांधी के दिल में किसी प्रकार की दया और सहानुभूति नहीं उपजी, ऐसे थे हमारे अहिंसावादी गांधी ।

जब सन् 1937 में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नेताजी सुभाष और गांधी द्वारा मनोनीत सीताभिरमैया के मध्य मुकाबला हुआ तो गांधी ने कहा यदि रमैया चुनाव हार गया तो वे राजनीति छोड़ देंगे लेकिन उन्होंने अपने मरने तक राजनीति नहीं छोड़ी जबकि रमैया चुनाव हार गए थे। इसी प्रकार गांधी ने कहा था, “पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा” लेकिन पाकिस्तान उनके समर्थन से ही बना । ऐसे थे हमारे सत्यवादी गांधी । 

इससे भी बढ़कर गांधी और कांग्रेस ने दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का समर्थन किया तो फिर क्या लड़ाई में हिंसा थी या लड्डू बंट रहे थे ? पाठक स्वयं बतलाएं ? गांधी ने अपने जीवन में तीन आन्दोलन (सत्याग्रहद्) चलाए और तीनों को ही बीच में वापिस ले लिया गया फिर भी लोग कहते हैं कि आजादी गांधी ने दिलवाई ।

इससे भी बढ़कर जब देश के महान सपूत उधमसिंह ने इंग्लैण्ड में माईकल डायर को मारा तो गांधी ने उन्हें पागल कहा इसलिए नीरद चौ० ने गांधी को दुनियां का सबसे बड़ा सफल पाखण्डी लिखा है । इस आजादी के बारे में इतिहासकार सी. आर. मजूमदार लिखते हैं – “भारत की आजादी का सेहरा गांधी के सिर बांधना सच्चाई से मजाक होगा । यह कहना उसने सत्याग्रह व चरखे से आजादी दिलाई बहुत बड़ी मूर्खता होगी । इसलिए गांधी को आजादी का ‘हीरो’ कहना उन सभी क्रान्तिकारियों का अपमान है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया ।”
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"जो जीता वही चंद्रगुप्त ना होकर...
जो जीता वही सिकन्दर हो गया...क्यों ?

क्यों महराणा प्रताप महान ना होकर..
अकबर महान हो गया...?

क्यों सवाई जय सिंह महान वास्तुप्रिय
राजा ना होकर.. शाहजहाँ को यह
उपाधि मिली ..क्यों ?

क्यों जो स्थान वीर
शिवाजी को मिलना चाहिये वो... क्रूर
औरंगजेब को मिला..क्यों ?

क्यों स्वामी विवेकानंद और आचार्य
चाणक्य की जगह... गांधी को थोप
दिया गया...क्यों ?

कैसे तेजोमहालय- ताजमहल, लालकोट- लाल
किला, फतेहपुर सीकरी का देवमहल-
बुलन्द दरवाजा,
सुप्रसिद्घ गणितज्ञ वराह मिहिर
की मिहिरावली (महरौली) स्थित
वेधशाला- कुतुबमीनार हो गया...क्यों ?

वन्दे मातर्म की जगह- गुलामी का प्रतीक
जन-गण-मन हो गया...क्यों ?

और राम, कृष्ण, तो इतिहास सेकहाँ गायब
हो गये पता ही नहीं चला,,,,क्यों ?

सबको अपदस्थ कर दिया गया....सिर्फ
काँग्रेस की वर्धा योजना ने.....इस
कांग्रेस ने हमसे विश्वगुरु का अलंकार छीन
लिया...--
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एक चेतावनी ---देश का कोई मीडिया चैनल नहीं बताएगा --सेंसर कर दी गयी है
देश की आर्थिक हालात अत्यंत खराब हो चुकी है ---
चूँकि पिछले दस साल मे कांग्रेस सरकार ने कुल मिलाकर १७५ खराब डालर का
कर्जा लीया हुआ है --ये कर्जा ,आई.एम.ऍफ़ ,वर्ल्ड बैकं और दुसरे देशों से लीया गया
है --इस कर्जे की ई.एम.आई पिछले छ: महीने से नहीं चुकाई गयी है --२५ अरब
डालर के हिसाब से १५० अरब की ई.एम आई बकाया हो चुकी है --इसका कारण हैं
की देश के दो धुरंधर अर्थशात्री चिदम्बरम और मनमोहन की आर्थिक उदारीकरण
नीतिया जिम्मेदार हैं ---
इससे निबटने के लिए भारत सरकार " बांड " निकालेगी --यानी की देश के
एअरपोर्ट ,रेलवे स्टेशन ,बिजली आदि सभी जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर विदेशी कंपनियों के
हाथ गिरवी रखना पड़ेगा ---
देश वासियों --कांग्रेस देश को बेच चुकी है --और जो अभी न चेते तो काया तब
चेतोगे जब आप अपने बच्चे की फीस ,घर का किराया ,बिजली का बिल ,भी जमा
करने लायक नहीं रह जाओगे ---
इस अर्थ व्यवस्था के ऊपर देश के प्रधानमंत्री अभी १९९२ जैसे हालात होने की
आशा कर रहे है --उनका मानना है की अभी १९९२ जैसे हालात नहीं आये है -जब
देश का सोना गिरवी रखने की नौबत आयी थी --मनमोहन सिंह साहब अब तो सोना
भी गिरवी रख कर कोई फायदा नहीं होने वाला --क्या कीमत रह गयी है अंतर्राष्ट्रीय
बजार मे सोने की ---
शर्म करो मनमोहन सिंह जी कहते हैं डायन भी एक घर छोड़ देती है --माना की
आपका जन्म पाकिस्तान मे हुआ है लेकिन नमक तो इस देश का खाया है --कम से
कम दूसरी कौम की तरह नमक हरामी तो न करो --देस को युम्हारी और तुम्हारी
नीति की कोई जरूरत नहीं है ---
एक इंसान का खून करने की सजा फांसी होती है --पूरे देश के नागरिक का खून
करने की सजा ----???
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क्या आप जानते हैं... श्री मोती लाल नेहरु के परिवार को ?

मोती लाल नेहरु की 1 धर्म पत्नी और 4 अन्य अवैध पत्नियाँ थीं.

(1) श्रीमती स्वरुप कुमारी बक्शी (विवाहिता पत्नी) से दो संतानें थीं .
(2) थुस्सू रहमान बाई - से श्री जवाहरलाल नेहरु और शैयद हुसैन. (अपने मालिक मुबारक अली से पैदा हुए थे! मालिक को निपटा दिया उसके बाद उसकी धन संपत्ति और बीबी बच्चे हथिया लिए थे )
(3) श्रीमती मंजरी - से श्री मेहरअली सोख्ता (आर्य समाजी नेता ).
(4) ईरान की वेश्या - से मुहम्मद अली जिन्ना .
(5) नौकरानी (रसोइया )- से शेख अब्दुल्ला (कश्मीर के मुख्यमंत्री ).


(1) श्रीमती स्वरुप कुमारी बक्शी (विवाहिता पत्नी) से दो संतानें थीं
A. श्रीमती कृष्णा w/o श्री जय सुख लाल हाथी (पूर्व राज्यपाल ).
B. श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित w/o श्री आर.एस.पंडित (पूर्व. राजदूत रूस), पहले विजय लक्ष्मी ने अपने आधे भाई शैयद हुसैन से सरारिक सम्बन्ध स्थापित किये थे जिससे संतान हुई चंद्रलेखा जिसको श्री आर.एस.पंडित ने अपनी बेटी के रूप में स्वीकार किया !
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(2) थुस्सू - रहमान बाई - से श्री जवाहरलाल नेहरु और शैयद हुसैन -
यह इनके मालिक मुबारिक अली की संतान थी जिनको इन्होने मुबारिक की मौत के बाद अपना लिया था. मुबारक अली की एक और संतान थी मंज़ूर अली जोकि इंदिरा की खुनी पिता थे चोसेकी जवाहर ने कमला कॉल को कभी अपनी पत्नी नहीं माना था और सुहागरात भी नहीं मनाई! कमला कश्मीरी पंडित थी यह जवाहर को एकदम नहीं जाचा चोसेकी वोह सिर्फ मुल्ले या अँगरेज़ को ही उच्ची रचे का घोडा मानते थे! कमला की जिंदगी एक दासी के प्रकार सी थी जिस अबला नारी को मंजूर अली ने ही हाथ थम लिया था! इसी कारण वस नेहरु को इंदिरा जरा भी नही सुहाती थी! अब जब कनोनन तौर पर इंदिरा ही उसकी बेटी थी इसलिए न चाहते हुए भी उसको इंदिरा को आगे बढ़ाना पड़ा हलाकि उसके जीतीजी इंदिरा कोई खेल नहीं कर पाए थी! वोह तो बेचारे शास्त्री जी इसकी बातों मई आकर ताशकंत चले गए थे पाकिस्तान से समझोता करने वहां इंदिरा ने याह्या खान की मदद से शास्त्री जी को जहर देकर मर डाला था और बताया की मौत ह्रदय की गति रुकने से हो गए. कोई पोस्ट मोर्तेम नहीं कोई रिपोर्ट नहीं. इंदिरा ने मौका पते ही झट से कुर्सी हड़प ली थी
प्रियदर्शिनी नेहरु उर्फ़ मैमूना बेगम उर्फ़ श्रीमती इंदिरा खान -w/o श्री फिरोज जेहंगिर खान (पर्शियन मुस्लमान) जोकि बाद में गाँधी बन गए थे!

से दो पुत्र एक राजीव खान (पिता फ़िरोज़ जेहंगिर खान) और संजीव खान (पिता मोहम्मद युनुस), तीसरा बच्चा जो म. ओ. मथाई (जवाहरलाल का पी ऐ) जिसको गिरा दिया गया चोसेकी वोह आशंका थी की कही रंग दबा हुआ (काला) निकला तब कैसे मुह चुपएँगी!

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(3) श्रीमती मंजरी - से 1 पुत्र श्री
मेहरअली सोख्ता (आर्य समाजी नेता ).
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(4) ईरान की वेश्या - से
मुहम्मद अली जिन्ना
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(5) नौकरानी (रसोइया ) से
शेख अब्दुल्ला (कश्मीर के मुख्यमंत्री ). शेख अब्दुल्लाह के दो पुत्र फारूक अब्दुल्ला , पुत्र उमर अब्दुल्ला

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नेहरु ने देश के ३ टुकड़े करे थे – इंडिया (इंदिरा के लिए), पाकिस्तान (अपने आधे भाई जिन्ना के लिए) और कश्मीर (अपने आधे भाई शेख अब्दुल्लाह के लिए)! अरे वाह वाह एक ही परिवार तीनो जगह सियासत! बही मन्ना पड़ेगा नेहरु के दिमाग को!
यह वही नेहरु है जिनके मुह बोले पिता मोतीलाल के पिता गयासुद्दीन गाजी जमुना नहर वाले देल्ली से चम्पत हो गए थे १८५७ की म्युटिनी में और जाकर चुप गए कश्मीर में! जेहा अपना नाम परिवर्तित किया था गयासुद्दीन गाजी से पंडित गंगाधर नेहरु! नया नाम और सर पर गाँधी टोपी लगाये पहुच लिए इलाहबाद! लड़के को वकील बनाया और लगा दिया मुबारक अली की लॉ कंपनी में जेहा अपनी कर्तूरतो से बाज नहीं आये!
नोट:- एक घर से तीन प्रधानमन्त्री और चौथा राहुल को कांग्रेस बनाने जा रही है !

साभार - जॉन मथाई की आत्मकथा से (जवाहरलाल नेहरु के व्यक्तिगत सचिव ).

आर्याव्रत क्रांति

15 अगस्‍त 1947 को ‪#‎भारत_आजाद_नहीं_हुआ‬ था।

यह ‪#‎नेहरू_का_वो_पत्र_है_जो_साबित‬ करता है कि>>>>>>>
15 अगस्‍त 1947 को ‪#‎भारत_आजाद_नहीं_हुआ‬ था।

पुरा लेख पठिए ओर सोचिए क्या भारत देश आज आजाद देश है...........

15 अगस्त आजादी नहीं धोखा है, देश का समझौता है , शासन नहीं शासक बदला है, गोरा नहीं अब काला है 15 अगस्त 1947 को देश आजाद नहीं हुआ तो हर वर्ष क्यों ख़ुशी मनाई जाती है ?

क्यों भारतवासियों के साथ भद्दा मजाक …किया जा रहा है l
यह नेहरू का वो पत्र है जो साबित करता है कि 15 अगस्‍त 1947 को भारत आजाद नहीं हुआ था। इस पत्र से जाहिर होता है कि देश को कांग्रेस ने एक और झूठ बताया है।
1948 में लिखे गए इस ‪#‎पत्र_मे_नेहरू_ने_इंग्लैंड_की_महारानी‬ के निर्देश और आदेश पर राजगोपालाचारी को भारत उपनिवेश में ‪#‎महारानी_का_प्रतिनिधि_बताया है।

भारत के दुसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने निम्न शपथ ली l “मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ की मैं सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा, एवं मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूँ की मैं गवर्नर जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सेवा करूँगा l ”

इस सन्दर्भ में निम्नलिखित तथ्यों को जानें …. :

1. भारत को सत्ता हस्तांतरण 14-15 अगस्त 1947 को गुप्त दस्तावेज के तहत, जो की 1999 तक प्रकाश में नहीं आने थे (50 वर्षों तक ) l

2. भारत सरकार का संविधान के महत्वपूर्ण‪#‎अनुच्छेदों_में_संशोधन_करने_का_अधिकार_नहीं‬ है l

3. संविधान के अनुच्छेद 348 के अंतर्गत उच्चतम न्यायलय, उच्च न्यायलय तथा संसद की कार्यवाही अपनी‪#‎राष्ट्रभाषा_हिंदी_में_होने_के_बजाय_अंग्रेजी_भाषा_में_होगी‬ l

4. अप्रैल 1947 में लन्दन में उपनिवेश देश के प्रधानमंत्री अथवा अधिकारी उपस्थित हुए, यहाँ के घोषणा पत्र के खंड 3 में भारत वर्ष की इस इच्छा को निश्चयात्मक रूप में बताया है की वह …

क ) ज्यों का त्यों ब्रिटिश का राज समूह सदस्य बना रहेगा तथा

ख ) ब्रिटिश राष्ट्र समूह के देशों के स्वेच्छापूर्ण मिलाप का ब्रिटिश सम्राट को चिन्ह (प्रतीक) समझेगा, जिनमे शामिल हैं ….. (इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्री लंका) … तथा

ग ) सम्राट को ब्रिटिश समूह का अध्यक्ष स्वीकार करेगा l

5. भारत की विदेश नीति तथा अर्थ नीति,
‪#‎भारत_के_ब्रिटिश_का_उपनिवेश_होने_के_कारण_स्वतंत्र_नहीं_है‬ अर्थात उन्हीं के अधीन है l

6. नौ-सेना के जहाज़ों पर आज भी तथाकथित भारतीय राष्ट्रीय ध्वज नहीं है l

7. जन गन मन अधिनायक जय हे …‪#‎हमारा_राष्ट्रगान_नहीं_है‬, अपितु जार्ज पंचम के भारत आगमन पर उसके स्वागत में गाया गया गान है, उपनिवेशिक प्रथाओं के कारण दबाव में इसी गीत को राष्ट्र-गान बना दिया गया … जो की हमारी गुलामी का प्रतीक है l

8. सन 1948 में बने बर्तानिया कानून के अंतर्गत भाग 1 (1) 1948 के बर्तानिया के कानून के अनुसार हर भारतवासी बर्तानिया की रियाया है और यह कानून भारत के गणराज्य प्राप्त कर लेने के पश्चात भी लागू है l

9. यदि 15 अगस्त 1947 को
‪#‎भारत_स्वतंत्र_हुआ_तो_प्रथम_गवर्नर_जनरल_माउन्ट_बेटन_को_क्यों_बनाया‬ गया ??

10. 22 जून 1948 को भारत के दुसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने निम्न शपथ ली l “मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ की मैं सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा, एवं मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूँ की मैं गवर्नर जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सव्वा करूँगा l ”

11. 14 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतन्त्रता विधि से भारत के दो उपनिवेश बनाए गए जिन्हें‪#‎ब्रिटिश_Common_Wealth‬ की … धारा नं. 9 (1) – (2) – (3) तथा धारा नं. 8 (1) – (2) धारा नं. 339 (1) धारा नं. 362 (1) – (3) – (5) G – 18 के अनुच्छेद 576 और 7 के अंतर्गत …. इन उपरोक्त कानूनों को तोडना या भंग करना भारत सरकार की सीमाशक्ति से बाहर की बात है तथा‪#‎प्रत्येक_भारतीय_नागरिक_इन_धाराओं_के_अनुसार_ब्रिटिश_नागरिक_अर्थात_गोरी_सन्तान_है‬ l

12. भारतीय संविधान की व्याख्या अनुच्छेद 147 के अनुसार गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 तथा indian independence act 1947 के अधीन ही की जा सकती है … यह एक्ट ब्रिटिश सरकार ने लागू किये l

13. भारत सरकार के ‪#‎संविधान_के_अनुच्छेद‬ नं. 366, 371, 372 एवं 392 को
‪#‎बदलने‬ या रद्द करने की ‪#‎क्षमता_भारत_सरकार_को_नहीं‬ है l

14. भारत सरकार के पास ऐसे‪#‎ठोस_प्रमाण_अभी_तक_नहीं_हैं,
जिनसे ‪#‎नेताजी‬ की वायुयान दुर्घटना में ‪#‎मृत्यु‬ साबित होती है l
इसके उपरान्त मोहनदास गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और
मौलाना अबुल कलाम आजाद ने ब्रिटिश न्यायाधीश के साथ यह
‪#‎समझौता_किया_कि_अगर_नेताजी_ने_भारत_में‬ प्रवेश किया,

तो वह ‪#‎गिरफ्तार_कर_ब्रिटिश_हुकूमत_को_सौंप_दिया_जाएगाl‬ बाद में ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल के दौरान उन सभी राष्ट्रभक्तों की गिरफ्तारी और सुपुर्दगी पर मुहर लगाईं गई जिनको ब्रिटिश सरकार पकड़ नहीं पाई थी l

15. डंकल व् गैट, ‪#‎साम्राज्यवाद_को_भारत_में‬ पीछे के दरवाजों से लाने का सुलभ रास्ता बनाया है ताकि‪#‎भारत_की_सत्ता_फिर_से_इनके_हाथों‬ में आसानी से‪#‎सौंपी_जा_सके‬ l
उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है की सम्पूर्ण भारतीय जनमानस को आज तक एक धोखे में ही रखा गया है, तथा कथित ‪#‎नेहरु_गाँधी_परिवार_इस_सच्चाई‬ से पूर्ण रूप से अवगत थे परन्तु सत्तालोलुभ पृवृत्ति के चलते आज तक उन्होंने भारत की जनता को अँधेरे में रखा और विश्वासघात करने में पूर्ण रूप से सफल हुए l

http://www.youtube.com/watch?v=tx509AAwTU0

Sunday 18 August 2013

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के पिताश्री: महर्षि पाणिनि

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के पिताश्री: महर्षि पाणिनि - Ancient Programming By Maharshi Panini

महर्षि पाणिनि के बारे में बताने पूर्व में आज की कंप्यूटर प्रोग्रामिंग किस प्रकार कार्य करती है इसके बारे में कुछ बताना चाहूँगा

आज की कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषाएँ जैसे C, C++, Java आदि में प्रोग्रामिंग हाई लेवल लैंग्वेज (high level language) में लिखे जाते है जो अंग्रेजी के सामान ही होती है | इसे कंप्यूटर की गणना सम्बन्धी व्याख्या (theory of computation) जिसमे प्रोग्रामिंग के syntex आदि का वर्णन होता है, के द्वारा लो लेवल लैंग्वेज (low level language) जो विशेष प्रकार का कोड होता है जिसे mnemonic कहा जाता है जैसे जोड़ के लिए ADD, गुना के लिए MUL आदि में परिवर्तित किये जाते है | तथा इस प्रकार प्राप्त कोड को प्रोसेसर द्वारा द्विआधारी भाषा (binary language: 0101) में परिवर्तित कर क्रियान्वित किया जाता है |

इस प्रकार पूरा कंप्यूटर जगत Theory of Computation पर निर्भर करता है |

इसी Computation पर महर्षि पाणिनि (लगभग 500 ई पू) ने एक पूरा ग्रन्थ लिखा था

महर्षि पाणिनि संस्कृत भाषा के सबसे बड़े व्याकरण विज्ञानी थे | इनका जन्म उत्तर पश्चिम भारत के गांधार में हुआ था। कई इतिहासकार इन्हें महर्षि पिंगल का बड़ा भाई मानते है | इनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है जिसमें आठ अध्याय और लगभग चार सहस्र सूत्र हैं। संस्कृत भाषा को व्याकरण सम्मत रूप देने में पाणिनि का योगदान अतुलनीय माना जाता है। अष्टाध्यायी मात्र व्याकरण ग्रंथ नहीं है। इसमें प्रकारांतर से तत्कालीन भारतीय समाज का पूरा चित्र मिलता है।
इनके द्वारा भाषा के सन्दर्भ में किये गये महत्त्व पूर्ण कार्य 19वी सदी में प्रकाश में आने लगे |
19वी सदी में यूरोप के एक भाषा विज्ञानी Franz Bopp (14 सितम्बर 1791 – 23 अक्टूबर 1867) ने श्री पाणिनि के कार्यो पर गौर फ़रमाया । उन्हें पाणिनि के लिखे हुए ग्रंथों में तथा संस्कृत व्याकरण में आधुनिक भाषा प्रणाली को और परिपक्व करने के नए मार्ग मिले |

इसके बाद कई संस्कृत के विदेशी चहेतों ने उनके कार्यो में रूचि दिखाई और गहन अध्ययन किया जैसे: Ferdinand de Saussure (1857-1913), Leonard Bloomfield (1887 – 1949) तथा एक हाल ही के भाषा विज्ञानी Frits Staal (1930 – 2012).

तथा इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए 19वि सदी के एक जर्मन विज्ञानी Friedrich Ludwig Gottlob Frege (8 नवम्बर 1848 – 26 जुलाई 1925 ) ने इस क्षेत्र में कई कार्य किये और इन्हें आधुनिक जगत का प्रथम लॉजिक विज्ञानी कहा जाने लगा |

जबकि इनके जन्म से लगभग 2400 वर्ष पूर्व ही श्री पाणिनि इन सब पर एक पूरा ग्रन्थ लिख चुके थे

अपनी ग्रामर की रचना के दोरान पाणिनि ने Auxiliary Symbols (सहायक प्रतीक) प्रयोग में लिए जिसकी सहायता से कई प्रत्ययों का निर्माण किया और फलस्वरूप ये ग्रामर को और सुद्रढ़ बनाने में सहायक हुए |

इसी तकनीक का प्रयोग आधुनिक विज्ञानी Emil Post (फरवरी 11, 1897 – अप्रैल 21, 1954) ने किया और आज की समस्त computer programming languages की नीव रखी |
Iowa State University, अमेरिका ने पाणिनि के नाम पर एक प्रोग्रामिंग भाषा का निर्माण भी किया है जिसका नाम ही पाणिनि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज रखा है: यहाँ देखे -http://www.paninij.org/

एक शताब्दी से भी पहले प्रिसद्ध जर्मन भारतिवद मैक्स मूलर (१८२३-१९००) ने अपने साइंस आफ थाट में कहा -

"मैं निर्भीकतापूर्वक कह सकता हूँ कि अंग्रेज़ी या लैटिन या ग्रीक में ऐसी संकल्पनाएँ नगण्य हैं जिन्हें संस्कृत धातुओं से व्युत्पन्न शब्दों से अभिव्यक्त न किया जा सके । इसके विपरीत मेरा विश्वास है कि 2,50,000 शब्द सम्मिलित माने जाने वाले अंग्रेज़ी शब्दकोश की सम्पूर्ण सम्पदा के स्पष्टीकरण हेतु वांछित धातुओं की संख्या, उचित सीमाओं में न्यूनीकृत पाणिनीय धातुओं से भी कम है ।

अंग्रेज़ी में ऐसा कोई वाक्य नहीं जिसके प्रत्येक शब्द का 800 धातुओं से एवं प्रत्येक विचार का पाणिनि द्वारा प्रदत्त सामग्री के सावधानीपूर्वक वेश्लेषण के बाद अविशष्ट 121 मौलिक संकल्पनाओं से सम्बन्ध निकाला न जा सके ।"

The M L B D News letter ( A monthly of indological bibliography) in April 1993, में महर्षि पाणिनि को first softwear man without hardwear घोषित किया है। जिसका मुख्य शीर्षक था " Sanskrit software for future hardware "
जिसमे बताया गया " प्राकृतिक भाषाओं (प्राकृतिक भाषा केवल संस्कृत ही है बाकि सब की सब मानव रचित है ) को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए अनुकूल बनाने के तीन दशक की कोशिश करने के बाद, वैज्ञानिकों को एहसास हुआ कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में भी हम 2600 साल पहले ही पराजित हो चुके है। हालाँकि उस समय इस तथ्य किस प्रकार और कहाँ उपयोग करते थे यह तो नहीं कह सकते, पर आज भी दुनिया भर में कंप्यूटर वैज्ञानिक मानते है कि आधुनिक समय में संस्कृत व्याकरण सभी कंप्यूटर की समस्याओं को हल करने में सक्षम है।

व्याकरण के इस महनीय ग्रन्थ मे पाणिनि ने विभक्ति-प्रधान संस्कृत भाषा के 4000 सूत्र बहुत ही वैज्ञानिक और तर्कसिद्ध ढंग से संगृहीत हैं।

NASA के वैज्ञानिक Mr.Rick Briggs.ने अमेरिका में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence) और पाणिनी व्याकरण के बीच की शृंखला खोज की। प्राकृतिक भाषाओं को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए अनुकूल बनाना बहुत मुस्किल कार्य था जब तक कि Mr.Rick Briggs. द्वारा संस्कृत के उपयोग की खोज न गयी।
उसके बाद एक प्रोजेक्ट पर कई देशों के साथ करोड़ों डॉलर खर्च किये गये।

महर्षि पाणिनि शिव जी बड़े भक्त थे और उनकी कृपा से उन्हें महेश्वर सूत्र से ज्ञात हुआ जब शिव जी संध्या तांडव के समय उनके डमरू से निकली हुई ध्वनि से उन्होंने संस्कृत में वर्तिका नियम की रचना की थी। तथा इन्होने महादेव की कई स्तुतियों की भी रचना की |

नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्।
उद्धर्त्तुकामो सनकादिसिद्धानेतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम्॥ -माहेश्वर सूत्र

पाणिनीय व्याकरण की महत्ता पर विद्वानों के विचार:

"पाणिनीय व्याकरण मानवीय मष्तिष्क की सबसे बड़ी रचनाओं में से एक है" (लेनिन ग्राड के प्रोफेसर टी. शेरवात्सकी)।

"पाणिनीय व्याकरण की शैली अतिशय-प्रतिभापूर्ण है और इसके नियम अत्यन्त सतर्कता से बनाये गये हैं" (कोल ब्रुक)।

"संसार के व्याकरणों में पाणिनीय व्याकरण सर्वशिरोमणि है... यह मानवीय मष्तिष्क का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अविष्कार है" (सर डब्ल्यू. डब्ल्यू. हण्डर)।

"पाणिनीय व्याकरण उस मानव-मष्तिष्क की प्रतिभा का आश्चर्यतम नमूना है जिसे किसी दूसरे देश ने आज तक सामने नहीं रखा"। (प्रो. मोनियर विलियम्स)

ये है भारतीय हिन्दू सनातन संस्कृति की महानता एवं वैज्ञानिकता

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