Thursday 15 December 2011

गृह संसद और सामाजिक संसद सर्वत्र बनें ..


सहारा ,सुरक्षा और उचित मार्गदर्शन के आभाव से आज हर परिवार और समाजके लोग परेशान हैं ....विवाहों का टूटना ,नशे का बढना ,अत्याचार ,और उपेक्षा क़ी ओर ध्यान नही दिया जाना हमारे लिये  ,अनेक समस्याओं का कारण बना हुवा है ...
परिवार और समाज को हम समय नही दे रहे ...जबकि समस्याएँ यहीं से उपज रहीं हैं ...आत्म केन्द्रित व्यक्ति इन्हीं हालातों क़ी उपज हैं ...जीवन में तेज गति ,और सबकुछ स्वयम बटोर लेने क़ी भावना ,यहीं से बल पाती है ...मूल इच्छा पइसा बटोरने क़ी नही सम्मान पूर्वक और सुख पूर्वक जीने  क़ी है ...न तो कोई तनाव चाहता है ,नहीं यह चाहता है क़ी वह इनके चलते रोगों का शिकार बने ...
हमारे पास अभी भी समय है ...शिक्षा ,मार्गदर्शन ,संस्कार ,सुरक्षा और निश्चिंतता क़ी सुव्यवस्था करने वाले पारिवारिक  एवं सामाजिक तन्त्र का महत्व समझा जाय ...समझदार लोग इस कार्य को प्राथमिकता से करें ...यही हमारी एकता ,शक्ति ,सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य का आधार है ...यही हमारी संस्कृति का सारऔर हिंदुत्व क़ी पहिचान है ...इसी तन्त्र के महत्व को देख कर हमने ,ज्ञान दे वाले गुरु ,जन्म देने वाले माता पिता ही नही, सन्मार्ग दिखाने वाले पंचों कोभी परमेश्वर का दर्जा देकर उनका मान बढ़ाया है ...  
विवेक सुरंगे

Thursday 17 November 2011

'' गृह संसद'' को अपने यहाँ कैसे शुरू करें ?


'' गृह संसद'' को अपने यहाँ कैसे शुरू करें ?
 गृह संसद चलती कैसे है ?
कौन से मुद्दे आएंगे -
यह पारिवारिक पंचायत क़ी तरह है ..महीनें में एक दिन परिवारों को एक साथ किसी शक्ति पीठ में बुलाते हैं . गायत्री मन्त्र से औपचारिक प्रारम्भ करते हैं उस दिन केलिए अध्यक्ष उपाध्यक्ष क़ी घोषणा क़ी जाती है .हर सभा के प्रारम्भ में नये सदस्य परिवार को शपथ दिलाई जाती है .जिसे सभी लोग दोहराते हैं .  बच्चों के गीत भजन के बाद प्रतिभाओं का सम्मान किया जाता है ..इसके बाद बच्चों का समूह अलग किया जाता है जिनके लिए खेल और कहानियों के द्वारा उनके सामान्य ज्ञान और संस्कार में वृद्धि का प्रयास किया जाता है ...इधर संसद क़ी बैठक अलग चलती है .सदन केसामने सामयिक मुद्दे सदस्यों द्वारा बारी बारी से उठाये जाते हैं.. हर सदस्य हाथ उठा कर अध्यक्ष क़ी अनुमति से अपने विचार सदन में रखता है .सदस्य द्वारा उठाये जाने वाले मुद्दे ,सभा के प्रारम्भ में ही सदस्य द्वारा लिखित में जमा कर दिए जाते हैं 
कौन से मुद्दे आएंगे -
पारिवारिक सामाजिक व्यवस्था ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,संस्कृति ,पर्व एवं परम्पराएँ ,सामाजिक सहयोग ,स्वावलम्बन ,राष्ट्रिय चेतना का जागरण जैसे मुद्दे सदन में उठाये जासकते है .सचिव अपने स्वविवेक से ,उपस्थित मुद्दों क़ी सूचि अध्यक्ष को देते हैं ..तब अध्यक्ष जो सदस्य हाँथ उठाते हैं उन्हें  पारी पारी से बोलने क़ी अनुमति देते हैं .बीच बीच में अध्यक्ष या विशेष प्रतिनिधि विषय को स्पष्ट करने में मदद करते हैं 
इसके बाद भोजन अवकाश होता है 
.जिसके बाद विशिष्ट जानकारी ,सामूहिक पर्व ,काव्य गोष्ठी ,वृत्त चित्रों का प्रदर्शन ,सुगम संगीत और विशिष्ट परिचय के आयोजन हो सकते हैं ..आगामी कार्यक्रम क़ी रूप रेखा बनती है ,सदस्यों केलिए विविध प्रशिक्षणों क़ी व्यवस्था अलग से भी क़ी जा सकती है .यात्राओं का आयोजन अथवा विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी हो सकता है 
नोट ...-सदस्य  परिवारों के लिये सदयता शुल्क रखा जाता है ,उद्घाटन कार्यक्रम भारत माता क़ी सामूहिक आरती से होता है ,विभिन्न सामाजिक एवं अच्छे संगठनो से सम्पर्क करके उनका एक सामूहिक मिलन का क्षेत्र बनाने का प्रयास किया जाता है विशेष जानकारी के लिये फोल्डर  पढ़ें 

Sunday 23 October 2011


नित्य प्रार्थना -
 सतबुद्धि ,सन्मार्ग , और कार्य का संकल्प देना ..
अडिग रहे विश्वास तुम पर ,  ऐसा अन्तह करदेना  ,
मेरे हृदय में आने में  ,तुह्में कोई संकोच न हो ..
हे गुरुदेव मुझे नजरों से ,दूर कभी न होने देना ...    -विवेक 


नित्य प्रार्थना -
 सतबुद्धि ,सन्मार्ग , और कार्य का संकल्प देना ..
अडिग रहे विश्वास तुम पर ,  ऐसा अन्तह करदेना  ,
मेरे हृदय में आने में  ,तुह्में कोई संकोच न हो ..
हे गुरुदेव मुझे नजरों से ,दूर कभी न होने देना ...    -विवेक 

इस बदलती हुई दुनिया में भी हमारे दिल के किसी कोने में संस्कारों का दीपक आज भी टीम टिमा रहा है ..सीमाओं पर डटे सैनिक भी अपनी बंकर के किसी कोने में दीपावली का एक दीपक अवश्य जलाएँगे .इन भावनाओं और संस्कारों में सभी के कल्याण  क़ी चाहत है ...आप क्या कहते हैं ?






जीवन का लक्ष तय है, तो वही कीमती है ,याद रखना 
 आदमी टूटे भी ,तो कोई बात नही ,याद रखना 
बहुत सस्ता है ,लोगों क़ी ठोकरों से सीख मिल जाए यदि ,
इंसानी सम्बन्धों क़ी सचाई..... हमेशा याद रखना ...
सुख दुःख, मन क़ी ही हार जीत है ,और कुछ भी  नही..
जो कुछ हम करेंगे ,वही दिखेगा ,वही मिलेगा याद रखना ...
---विवेक  

क्या है हमारी बेचैनी का राज ?.....


क्या है हमारी बेचैनी का राज ?.....
.जिसकी योजना से हमारा जन्म हुआ है ,जिस उद्देश्य क़ी पूर्ती केलिए हमारा जन्म हुआ है ...उस कारण में छिपा है यह रहस्य .
.यह भाषण बाजी का नही ..आत्म साक्षात्कार का विषय है ...हम अपने प्रिय संस्कारों के अनुसार ही जी रहे हैं ..हमारी चाह्त और अस्वीकृति  वहीं से उपजती है .
.यहीं हम क्रिया -प्रतिक्रिया में उलझे रहते हैं ..मन क़ी अनुकूलता  हमें हसाती  है ,और प्रतिकूलता दर्द का अहसास देती है 
जिन्दगी कविता है ..वह खूबसूरत भी है और कल्याणकारी भी ,पर तभी ,जब उसका व्याकरण और प्रस्तुतीकरण भी सही हो ....--.विवेक 

Sunday 10 July 2011

नाथूराम का दर्द ....


आज ८ करोड बंग्लादेशी अवैध रूप से भारत में बसे हुवे हैं यह संसद भी स्वीकार कर चुकी है .घुसपैठिए अभी भी आ रहे हैं ..भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने में इनका बड़ा हाथ है यह भी प्रमाणित हो चूका है .इन हालातों में हमारे प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह बांग्लादेश की यात्रा पर जा रहे हैं .वे वहां बांग्लादेश की सरकार को एक खरब डालर की आर्थिक सहायता देकर २० नई परियोजनाएं चालू करवाएँगे .
एक ओर भारत में डीजल ,पेट्रोल ,गैस के दाम बढ़ा कर जनता का गला घोंटा जा रहा है ,वहीं दूसरी और वही पैसा बांग्लादेश को दान में दिया जा रहा है .. इसका क्या मतलब निकालें ..?
आज नाथू राम का दर्द समझ में आ रहा है....

Wednesday 6 July 2011

आदिवासी भाइयों पर एक और मुसीबत ....

श्री महेंद्र कर्मा ठीक कह रहे हैं ..सरकार, सलवाजुडूम के सन्दर्भ में अपना पक्ष सही ढंग से नही रख सकी ..अब इसके भयंकर परिणाम निकल सकते हैं .स्थानीय युवा बेरोजगार तो होंगे ही ..शस्त्र विहीन हो जाने से उनका जीना मुश्किल हो जाएगा ..नक्सली उन्हें छोड़ेंगे नहीं ..एस .पि. ओ .तो पहले ही उनकी हिट लिस्ट में हैं ..

क्या आप जानते हैं .संघर्ष किसके साथ है ?

पहले तो नक्सली समर्थक विनायक सेन योजना आयोग का सदस्य बन गया ..अब दूसरे नक्सली समर्थक अग्निवेश पर हुए तथा कथित हमले की सि.बी .आई .जाँच के भी आदेश जारी हो गये हैं ..क्या  सि.बी .आई .अब हर छोटे मोटे प्रदर्शनों की भी जाँच करते रहेगी ?
आखिर ऐसे आदेश जारी कैसे हो रहे हैं ...?

Tuesday 5 July 2011

आखिर किसी ने तो दम दिखया .....

आज जब यह स्पष्ट हो चुका है की भ्रष्टाचार करने वालों में मंत्री, ऑफिसर तथा कॉर्पोरेट्स  की तिकड़ी ही प्रमुख रूप से शामिल हैं .सभी भारतीय अपने आप को काफी अकेला सा महसूस कर रहे हैं. .तब सुप्रीम कोर्ट दमदारी से  हमारे सम्मुख आया है..परेशान भारतियों के लिए यह सचमुच बहुत बड़ी राहत है ..जो भी लोग देश की वर्तमान स्थिति से चिंतित हैं और किसी भी कीमत पर देश को इस मुसीबत से बाहर निकालना चाहते हैं उनके लिए न्यायालय के रूप में एक भरोसेमंद सहारा सामने उपस्थित हुआ है ....
पहले सूचना का अधिकार और अब दमदार न्यायालय ...जो भी लोग आज न्याय पाने या देश को, इन देशी लुटेरों से बचाने के लिए संघर्ष करने की सचमुच चाह रखते हैं ..वे इन साधनों का उपयोग जरूर करें ..देश की स्थिति पर केवल चिंता प्रकट करने मात्र से कुछ नही होने वाला ....
सुप्रीम कोर्ट को बुद्धिजीवियों का भी साथ मिल जाए ..तब देश के उज्ज्वल भविष्य को कोई रोक नही सकता ...

Saturday 2 July 2011

श्रद्धांजली ...जिसने बचाई १५०० लोगों की जान....

गुरुवार दोपहर १ बजे जबलपुर के पास भेडाघाट  रेल्वे ट्रेक पर राजकोट एक्सप्रेस आ रही थी ''दसई'' का गेंग उसी ट्रेक पर काम कर रहा था.. .उसने देखा फिश प्लेट के नट बोल्ट लटक रहे थे .फिश प्लेट भी झूल रही थी , परन्तु ट्रेन भी नजदीक आ चुकी थी .. अगर ट्रेन उस पर से गुजरती तो निश्चित ही पलट जाती .. ''दसई '' अपने दो साथियों  के साथ उसे टाईट करने में जुट गया ..लेकिन ट्रेन बहुत नजदीक आ चुकी थी ..दो साथी किनारे आ गये .लेकिन वह ट्रेन को देख कर भी काम में जुटा रहा ..उधर ड्राइवर सिटी पर सिटी बजाते जा रहा था और ''दसई '' ..को ट्रेन में सवार १५०० लोगों की जान जाती दिख रही थी ..वह आखिर तक नट कसते रहा ..धड धड करती ट्रेन '' दसई '' के परखच्चे उड़ाती निकल गई.. मौत उसके सामने थी ..चाहता तो वह भी अपनी जान बचा सकता था ..लेकिन उसने अपने से ज्यादा लोगों का ध्यान रखा .. ऐसे देव  पुरुष को हमारी आत्मिक श्रद्धांजली ...

Wednesday 29 June 2011

गुप चुप एक और विस्फोट कीं तैयारी...

केंद्र सरकार गुप चुप ढंग से एक और विवादास्पद विधेयक लाने जा रही है . प्रिवेंशन ऑफ़ कम्युनल वायलेंस बिल २०११ ...
इस विधेयक में कुल ९ अध्याय और १३८ धाराएं हैं .यह विधेयक देश की जनता को दो वर्गों में बाँट रहा है ..पहले वर्ग में धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति और जनजातियों को रखा गया है तथा दुसरे वर्ग में शेष अन्य समुदाय को रखा गया है .. इसके बाद, साम्प्रदायिक दंगा , लैंगिक अपराध , विद्वेषपूर्ण प्रचार , इत्यादि  को परिभाषित किया गया है.
इस विधेयक के अनुसार यदि किसी दंगे में, पहले वर्ग के सदस्य के जानमाल को किसी भी प्रकार की क्षति होती है तो  यह  साम्प्रदायिक और उद्देश्य पूर्ण हिंसा माना गया है और दुसरे वर्ग के साथ यदि यही हिंसा होती है  तो यह साम्प्रदायिक हिंसा नही मानी जाएगी ..(कंडिका ३)
यदि कोई हिन्दू (सामान्य वर्ग )का व्यक्ति उपर्युक्त ढंग से शिकार बनता है तो उसे ..पीड़ित नहीं माना जाएगा .यदि दुसरे वर्ग की कोई महिला किसी अल्पसंख्यक के हवस का शिकार बनती है तो यह कानून उसे बलात्कार नहीं मानेगा लेकिन ..कंडिका ७ के अनुसार यदि अल्पसंख्यक वर्ग की महिला के साथ कोई दूसरे वर्ग का व्यक्ति ऐसा ही दुराचार करता है तो उसे लैंगिक अपराध का दोषी माना जाएगा ...अर्थात यदि इमराना के साथ उसका स्वसुर बलात्कार करता है ,तो इस मसौदे के अनुसार वह बलात्कार नहीं माना जाएगा ....
इस मसौदे के अनुसार गवाह की भी नई परिभाषा रची गई है ...अल्पसंख्यक वर्ग के साथ हुई घटना की केवल जानकारी रखने वाला भी गवाह है .जबकि बहुसंख्यक वर्ग को यही सुविधा नहीं है ..
कंडिका ८ के अनुसार ..आप बाइबिल , कुरान, अल्पसंख्यकों की मांगों आदि पर कोई टिका टिप्पणी नहीं कर सकता.. उदाहरण  के तौर पर ..यदि किसी राम लीला कमेटी के किसी सदस्य द्वारा किसी अल्पसंख्यक पर छींटा कशी की जाती है या व्यापर में उस से कोई झगडा हो जाता है ..तो पूरी रामलीला कमेटी पर मुकदमा चलाया जाएगा ..
किसी अल्पसंख्यक को आपने उसके मांगने पर किराये पर घर नहीं दिया , अथवा पैसे उधार नहीं दिए  तो भी आप अपराधिक कानून के शिकार होंगे ..यही कानून शिया सुन्नी झगड़े पर या ईसाई मुस्लिम झगडे पर लागू नहीं होगा.. इस वर्ग में अनुसूचित जाति जनजातियों को इसलिए रखा गया है ताकि मिशनरियों द्वारा इनके सुनियोजित धर्म परिवर्तन  तथा मुस्लिम जेहादी संगठनों द्वारा मँगाए गए पेट्रो  डॉलर के उपयोग पर अब आप आपत्ति  नहीं उठा सकें ..यदि आप ऐसा करेंगे तो आप पर आपराधिक मुकदमा चलेगा .. ऐसा हर आरोपी स्वतः ही अपराधी बन जाएगा ...उसे साबित करना होगा की वह अपराधी नहीं है ...
कानून के क्षेत्र में इस जालसाजी की सूत्रधार हैं सोनिया गाँधी की अध्यक्षता वाली.. राष्ट्रिय सलाहकार समिति, जिसने यह विधेयक तैयार किया है ..संविधानेत्तर इस संस्था में तीस्ता सेतलवाड,हर्ष मंदर,ज़ोन दयाल ,जैसे लोग हैं जो विदेशी पैसे एवं प्रभाव के आरोपों में चमकते तारे की तरह सबको दिखाई पड रहे हैं ...

Monday 27 June 2011

यह तमाशा बंद करो .....

जो लोग इस देश के सच्चे मालिक हैं और जिनका सुख दुःख इस देश की परिस्थितियों पर ही निर्भर है ,उन्ही के पास इस देश के हालातों को सुधारने के लिए समय नहीं है ...ऐसे में देश का वही होना था जो आज हो रहा है ...

इसाई मिशनरियों से सबक लेना होगा ....


हिन्दू बाबाओं और मठों के विरुद्ध ही हमेशा लिखा बोला जाता है .क्योंकि हिन्दू धर्म आजादी देता है .विरोधियों को मौत के घाट  नहीं उतारता..हमारे शंकराचार्यों को जेल मेभी डाल दिया जाए .हिन्दू उग्र प्रतिक्रिया नहीं देता है सत्ता के सौदागर  इसी बात का फायदा उठाते आए हैं .भारत का विशाल हिन्दू समाज अपने आचार्यों, मंदिरों को अपनी कमाई का एक अंश दान  में  देता है ,कई लोग तो अपने आराध्य को अपने बिजनेस में पार्टनर बना लेते हैं और ईमानदारी से वह धन मंदिरों में जमा करते हैं ..सब कुछ देश के कानून के हिसाब से होने पर भी प्रगतिशीलता का ढोंग करने वाले बड़े लोग इस आय पर संदेह का घेरा खींच देते हैं .चोरों को सब चोर ही नजर आते हैं ..अब  यह तो होता ही है .
 गलती इन बडबोले और तथाकथित विद्वान लोंगों की कम और धर्म पीठों की ही ज्यादा है .दर असल धन का संग्रह है ही बुरी बात .लक्ष्मी तो नारायण की होती है अर्थात जनता जनार्दन की होती है, उसे जनता की सेवा में ही लगना चाहिए ..आजादी के बाद से अबतक इसाई मिशनरियां इस देश में पूरी तरह से एक समानांतर  शासन व्यवस्था चला रही हैं अरबों खरबों का धन विदेशों सेतो आता ही है .देशमें भी अर्जित किया जा रहा है . केरल,पूर्वांचल के राज्यों, वनवासी क्षेत्रों औरयहाँ तक की देश के सभी नगरों की गन्दी बस्तियों में धर्म बदल कर लोगों  को इसाई बनाने के लिए  दस हजार रूपए प्रतिमाह तक खर्चा करके इसाई वोटों के ब्लोक बनाए जा रहे हैं ..पूर्वांचल के राज्यों में तो इनकी अनुमति के बिना  सरकारें बनती ही नहीं ..हर जगह धर्मांतरण विरोधी कानूनों का विरोध इसी लिए  होता है ......यह सब लिखने का मतलब यह की वो लोग तो धन बल से नया  इसाई राष्ट्र बनानेमें लगे हैं ..सोचकर देखो यह कितनी बड़ी बात है ..और हिन्दुओं का धन मठों से बाहर ही नहीं आरहा  है ..  

Wednesday 22 June 2011

जीवन   का लक्ष्य तय है ,तो यही कीमती है ..याद रखना 
आदमी टूटे भी ,तो अच्छा है ,कोई बात नहीं ..याद रखना 
बहुत सस्ता है लोगों की ठोकरों से ,सीख मिलजाए यदि ...
इंसानी संबंधों की सच्चाई ...हमेशा याद रखना 
सुख दुःख ,मन की ही हार जीत है ,और कुछ भी नहीं ......
जो कुछ हम करेंगे ,वाही दिखेगा ..वाही मिलेगा ..याद रखना ..

Monday 20 June 2011

..हर बात की माफ़ी नहीं मिलती....

हर बात की माफ़ी नहीं मिलती....
छोटे मोटे अपराधों को जनता उतनी गंभीरता से नहीं लेती ..लेकिन वह हर बात को भूल जाएगी यह सोचना भी गलत है... शराब की खपत बढाए जाने पर आमजनता में सख्त नाराजगी है .. विशेष कर माताएं बहने आपको माफ़ नहीं करेंगी ....आपने पिछले  सात साल से प्रदेश के युवाओं को राज्य प्रशासनिक सेवा में प्रवेश नहीं दिया है ..बच्चों  की उम्र निकल गई.. वो आपको माफ़ नहीं करनेवाले ..अस्पतालों में डाक्टर  मिलते नहीं.., दवाएं काल बाह्य हो चुकी होती हैं.. .स्कूल में मास्टर नहीं मिलते ,अफसरों पर मंत्रियों की भी नहीं चलती, बात पाठ्यपुस्तक निगम की हो या उच्च शिक्षा की.. कहीं पर भी ऐसा नहीं दीखता की इस प्रान्त में सरकार नाम की भी कोई चीज है ..
लोगों ने सरकार चलाने के लिए  आपको चुना था ...लोग तो देख रहें हैं  ना..आप क्या सोचते हैं ..वो यह सब भूल जाएँगे ...?

Saturday 18 June 2011

आदर्शों को जीता नहीं 
ओढ़े खड़ा है आदमी 
आस प्रेम की  ,छाँव सुखों की 
ढूंढ रहा है आदमी 
कर्तव्य पालन, समर्पण न कर 
बेचैनी ही बढ़ा रहा है 
अपने हाथों .अपना ही गला 
घोंट रहा है आदमी ...

Friday 17 June 2011

सामाजिक ,पारिवारिक चेतना का लोप सबसे बड़ा नुकसान ...

नवभारत राजधानी  
 १८जून ,पृष्ठ ६पर ,गरियाबंद क्षेत्र की श्रीमती जोह्तारिनबाई का ह्रदय विदारक समाचार पढ़ा ..
ह्रदय विहीन सरकारें जन सेवा नहीं कर सकती .. सद्य प्रसव माता का कृषकाय पड़ा शरीर हमारी व्यवस्था को धिक्कार रहा है ... प्रगति और आधुनिकता के नाम पर हमसे छल किया जा रहा है ....इस नकलची दौड़ में हमारा सबसे बड़ा नुकसान यह हुवा  है की हम अपनी पारिवारिक और सामाजिक चेतना खोते जा रहे हैं .यह क्षति अपूरणीय है ..

यह सब अमानवीय है ..

रायपुर नगर निगम ने भरी बरसात में दो दो बस्तिओं पर ड़ोसेर चला कर वहां के निवासियों को  खुले आसमान के नीचे भीगने पर मजबूर कर दियाहै ..यह ठीक नहीं है ..यह तो अमानवीय घटना है ...शासन को जो करना चाहिए उसे तो वह करता नहीं और ऐसे काम वह बड़ी मुस्तैदी  से करता है ...

Wednesday 1 June 2011

गाँधी का परिष्कृत और आधुनिक रूप ...हमारे सामने ...

मित्रों,........ हम जिन  स्वर्णिम दिनों का स्वप्न देखते आए हैं उसके साकार होने के क्षण करीब हैं . राष्ट्र संत बाबा रामदेव ने  1 लाख किलोमीटर की सफल जनजागरण यात्रा पूर्ण कर ली है . आगामी ४ जून को राजधनी दिल्ली के राम लीला मैदान से ऐतेहासिक सत्याग्रह प्रारंभ होने जा रहा है.  राजधानी में एक लाख तथा देशभर के जिला केन्द्रों पर एक करोड़ लोग सत्याग्रह पैर बैठ रहे हैं .....इसी के साथ  सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन  का शुभारम्भ  .होने जा रहा है ....
            हम जहाँ भी रहतेहैं ,हमारा जोभी कार्यक्षेत्र है, वहीँ पर इस आन्दोलन की सफलता के लिए कुछ  न कुछ प्रयास अवश्य  करें ...राष्ट्र के उज्वल भविष्य हेतु यह हमारा ऐतिहासिक योगदान होगा ..इतिहास में ऐसे अवसर बार बार नहीं आते ...अवश्य लाभ उठाएं ..

अच्छे भावनात्मक संबंधों से स्वास्थ्य भी बेहतर होता है ...

प्यार तनाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है .प्रेमपूर्ण संतुष्ट जीवन से adrenalin  gland D.H.E.A.नामक हारमोन सक्रिय रहता है .जो तनाव को कम करता है .यह दिमाग को  शांत व स्थिर करने के साथ ही nerves के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है .d.h.e.a. हार्मोन वास्तव में एंटी एजिंग हार्मोन भी है ,जो बढ़ती उम्र के प्रभावों को रोकने में भी कारगर है . इससे व्यक्ति युवा और उत्साहित महसूस करता है .
          व्यक्ति अधिक तनावग्रस्त होता है तो उसे सर दर्द या माइग्रेन की समस्या अधिक होती है .सामाजिक रिश्तों का दायरा सीमित होने से ऐसा अधिक होता है. विशेषग्य कहते हैं की अच्छे भावनात्मक सम्बन्ध बने रहे तो व्यक्ति न केवल स्वस्थ रहता है बल्कि बुरी आदतों से भी बचा रहता है  ऐसे लोंगों का B.P. ठीक रहता है , उन्हें  दिल का रोग और केंसर जैसे रोगों की संभावना भी कम होती है .