Tuesday 31 October 2017

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"विकास जब पागल"होता है ...

 कभी शुष्क और बंजर धरती से पटा हुआ कच्छ आज हरियाली की चादर ओढ़े गुजरात की कृषि ग्रोथ बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है...कच्छ में अब नर्मदा का पानी नहरों के जरिये क्रांति ला रहा है भचाऊ में नर्मदा प्रोजेक्ट का बड़ा पम्पिंग स्टेशन  है जिससे पूरे कच्छ की सिंचाई व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके.
राज्य की दो-तिहाई भूमि शुष्क व अर्ध-शुष्क उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र के तहत आती है। बावजूद इसके वर्ष 2002-03 में गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार ने सबसे पहले खेतों व उद्योगों की बिजली आपूर्ति में सुधार का फैसला किया।  रात में बिजली मिलने से किसानों ने ‘थ्री-फेज’ बिजली पर अपने पम्प चलाए। इससे किसानों को फायदा हुआ।  ‘ड्रिंप एवं स्प्रिंक्लर सिंचाई तकनीक’ ने कच्छ जिले की सूरत बदल दी है। जो क्षेत्र कभी पूरी तरह बंजर भूमि के तौर पर जाना जाता था, आज वहां आंवला, खजूर, अंजीर, अनार, आम, अरबी आदि की खूब पैदावार होती है।
 अकेले कच्छ जिले से पश्चिम एशिया को 70,000 टन से ज्यादा केसर आम निर्यात किया जाता है। साल 2001 तक ड्रिप तकनीक सिर्फ 10,000 हेक्टेयर भूमि पर ही उपलब्ध थी, किंतु आज सात लाख हेक्टेयर भूमि इससे सिंचित हैं। ये कृषि क्राति का ही नतीजा है कि भारतीय तिलहन व उपज निर्यात प्रोत्साहन परिषद के अनुमानों के अनुसार, इस साल गर्मियों में गुजरात का मूंगफली उत्पादन 4,59,000 टन रहेगा जो कि पिछले साल के 2,94,000 टन से 56 प्रतिशत अधिक है.

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सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार वाले 10 देश..
आर्थिक विकास और मुद्रा संकट की घड़ी में विदेशी मुद्रा भंडार बहुत काम आता है. इसके बूते देशों की साख तय होती है, अंतरराष्ट्रीय कर्ज की अदायगी होती है.
1. चीन
3081 अरब डॉलर
2. जापान
1188 अरब डॉलर
3. स्विट्जरलैंड
773 अरब डॉलर
4. सऊदी अरब
489 अरब डॉलर
5. ताईवान
441 अरब डॉलर6. भारत
406 अरब डॉलर
7. हॉन्ग कॉन्ग
393 अरब डॉलर
8. दक्षिण कोरिया
370 अरब डॉलर
9. ब्राजील
360 अरब डॉलर
10. यूरोजोन
344 अरब डॉलर

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"IS OF DOING BUSINESS"
 आजादी के बाद  भारत पहली बार उन 100 देशों की श्रेणी आया जहा व्यापार करना आसान है.ये  "वर्ल्ड बैंक"की रिपोर्ट है 
जब वर्ल्ड बैंक किसी देश को इस तरह की श्रेणी के लिए चुनती है तो उस देश की कर प्रणाली,कानून व्यवस्था,दफ्तरों के चक्कर तो नही लगाने पड़ते,आवागमन हेतु रास्ते,उद्योगों के लिए उपयुक्त संसाधन,बिजली,पानी और आर्थिक स्थिति आदी की कड़ाई से जांच करती है.,बिना जानकारी के ,GST और नोटबंदी पर बेतुके विचार रखने वाले लोगो के मुंह पर वर्ल्ड बैंक की ये रिपोर्ट एक तमाचा है.भारत की अर्थव्यवस्था पर आजकल मीडिया जो नकारात्मक हल्ला मचा रहा था इस रिपोर्ट से ये साबित होता है कि मीडिया झूठा है...
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चीन सीमा के पास लद्दाख में बनी दुनिया की सबसे ऊंची वाहन चलने लायक सड़क !
सीमाओं पर ढांचागत सुविधाओं को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम बढ़ाते हुए भारत ने लद्दाख में वाहन चलने योग्य दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बना दी है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में यह सड़क बना कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। बीआरओ की ओर से बनाई गई यह सड़क लद्दाख के उमलिंगा टॉप से होकर गुजरेगी, जो 19,300 फुट की ऊंचाई पर है।
पिछले कुछ समय से पाकिस्तान और चीन के साथ चल रहे विवाद को लेकर भारत सीमा पर अपनी चौकसी बढ़ा रहा है। इसी को लेकर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने लद्दाख में वाहनों के आवागमन के लिए दुनिया में सबसे ऊंची सड़क बना दी है।  बीआरओ के प्रॉजेक्ट हिमांक के तहत इस सड़क का निर्माण किया गया है।

इतनी अधिक ऊंचाई पर सड़क बनाना चुनौतियों से भरा हुआ काम था। यहां की जलवायु निर्माण गतिविधियों के लिए हमेशा ही प्रतिकूल रहती है। गर्मियों में तापमान शून्य से -20 डिग्री सेल्सियस तक कम रहता है, जबकि सर्दियों में यह शून्य से 40 डिग्री नीचे चला जाता है। इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा भी सामान्य स्थानों से 50 फीसदी कम रहती है।
 LAC पर 17 भूमिगत सुरंगें ...
 अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के साथ ही भारत LAC पर 17 भूमिगत सुरंगें बनाने की योजना पर काम कर रहा है। सड़कों से भिन्न सुरंगें बनने से LAC तक पहुंचने की दूरी काफी कम हो जाएगी। साथ ही हर मौसम में कनेक्टिविटी बनी रहेगी। ऐसे में अगर डोकलाम जैसे विवाद भविष्य में हुए तो भारी बर्फबारी के समय भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर सैनिकों की टुकड़ी या आपूर्ति को आसानी से पहुंचाया जा सकेगा जबकि अभी सड़क मार्ग बंद हो जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सीमा पर सड़क बनाने में जमीन अधिग्रहण और फ़ॉरेस्ट क्लियरंस मिलने में काफी मुश्किल आती है। जबकि सुरंगों के मामले में ऐसा नहीं होगा।
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लद्दाख में 11,500 फीट की ऊंंचाई पर विद्युत सब स्टेशन तैयार
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की आेर से जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में मोटर वाहन चलने लायक दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बनाने का काम पूरा करने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की पावर ग्रिड काॅरपोरेशन ने भी लेह-लद्दाख में 11,500 फुट की ऊंचाई पर देश की सबसे ऊँची पारेषण लाइनट्रांसमिशन परियोजना पूरी करने में सफलता हासिल की है. पावर ग्रिड ने 220 केवी एलुसतेंग (श्रीनगर)-लेह पारेषण लाइन के 220 केवी लेह-खालस्ती लाइन खंड की परियोजना पूरी कर ली है. 
यह परियोजना 31 अक्तूबर 2017 पूरी हुई ...रणनीतिक रूप से इस महत्वपूर्ण परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त, 2014 में रखी थी. इससे लेह-लद्दाख क्षेत्र में निमो बाजगो पनबिजली परियोजना से भरोसेमंद बिजली उपलब्ध करायी जा सकेगी.

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जिन्हें UPA ने धीमे धीमे मारा वो सब जी उठे हैं 

 अटल जी के ज़माने में जो Indian Airlines और Air India profit में थी वो UPA में 40,000 करोड़ के loss में क्यों चली गयी ...उस ज़माने में जब प्रफुल्ल पटेल उड्डयन मंत्री थे, चुन चुन के सबसे बढ़िया timings Jet Airways को दिए जाने लगे ...IA की एक flight शाम 6 बजे लखनऊ दिल्ली मुंबई जाती थी एकदम फुल । फिर एक दिन ऊपर से फरमान आया और IA की flight 2 बजे और सहारा शाम 6 बजे जाने लगी.... IA पिट गयी और सहारा भर के जाने लगी । इसी तरह अन्य private airlines को आगे बढाया गया AI और IA की कीमत पे ... छोटे airports पे जहां parking slots की दिक्कत होती है, जान बूझ के Air India की flights को ATC लेट करते जिस से कि प्लेन रनवे के एक कोने पर घंटा-घंटा भर खडा रहता.... Passengers लाचार खिड़की से देखते कि Jet की flight आ के चली भी गयी.....
इसी तरह UPA सरकार में BSNL को मार के Airtel और Idea को बढाया , इसी तरह DD को मारा गया । वहाँ दूरदर्शन के एक मित्र ने बताया कि पहले हम लोग शास्त्री भवन में अनाथ टूअर की तरह बैठे रहते थे  और मंत्री हमारी ओर ताकते तक न थे । हमारे सामने NDTV और Pvt channels आते तो यही कपिल सिब्बल खुद उठ के बाहर आते थे बरखा दत्त को रिसीव करने...जबकि हम DD वाले 3 घंटे से इंतज़ार कर रहे होते. पर अब मोदी राज में ये हाल है कि मंत्रालय सबसे पहले हमको बुलाते हैं । इनको कोई घुसने नहीं देता । PM के विदेश दौरों पे सिर्फ DD का crew जाता है । लोक सभा और राज्य सभा TV की TRP NDTV से ऊपर जा रही है.....वो तमाम सरकारी उपक्रम जिन्हें UPA ने धीमे धीमे मारा वो सब जी उठे हैं और profit में आ रहे हैं......









जिस लडकी को लगता है
कि ,ताजमहल प्यार की निशानी है, भगवान करे उसे शाहजहाँ जैसा पति 
और ...औरंगजेब जैसा बेटा मिले..॥
लव जिहाद लाइव:
 शाम 7 बजे घर से अपने बीमार बच्चे के लिए दवाई लेने मार्किट निकला था, अचानक आशीष तिवारी जी का फ़ोन आया, बोले भाईसाहब 2 लड़के पकड़े हैं एक लड़की का बलात्कार करते हुए रंगे हांथों, मैंने कहा पकड़ कर रखिये में आ रहा हूं, 
वहां पहुँच कर देखा तो आशीष भाई ने लड़को को बैठा रखा था, मैंने पूछा क्या नाम है बेटा ? तो एक ने अमित कुशवाह तो दूसरे ने राजू पाल नाम बताया, स्थानीय लोगों ने इनकी अच्छी फिटनेस बनाई थी और लड़की को जाने दिया था, पुलिस को बुलाया गया और इन दोनों लड़को को थाने ले जाया गया,
 अब कंप्लेंट कौन करेगा? तो हम वापस उस लड़की का घर ढूंढते हुए उसके घर पहुँचे, पहले तो माँ बाप ने साफ इनकार कर दिया कि उनकी बेटी के साथ कोई घटना नही हुई, लेकिन जब मैंने आशीष भाई ने और चौबे जी ने खूब समझाया की हम आपके साथ हैं तब वे माने और शिकायत दर्ज करवाने को राजी हुए, हम उन्हें ले कर थाने पहुचे, तब तक पुलिस वालों ने लड़को की जम कर धुनाई की,
हम FIR करवाने लगे तभी कुछ बॉडी बिल्डर टाइप मुसलमान लोग आए और एक बोला में तालिब खान का भाई हूँ दूसरा बोला में आसिफ बेग का भाई हूँ, भाईसाहब लड़को से गलती हो गयी उन्हें माफ कर दीजिए, हमने कहा नही भाई आपको गलत फ़हमी हुई है हमारा तालिब और आसिफ से कोई लेना देना नही है, तो वे बोले आप बलात्कार वाले केस में आये हो ना ? हम उन्ही लड़कों के भाई हैं, बुरी तरह पिट चुके और लॉकअप में बंद अमित और राजू के पास मैं गया औए पूछा तालिब कौन है? तो एक उच्चक के आया और बोला 'में हूँ', मैने पूछा आसिफ कौन है तो दूसरा बोला 'मैं हूँ',
 जो पब्लिक से पिट चुके थे पुलिस से भी पिट चुके थे और तब भी अपना असली नाम नही बता रहे थे उन्होंने अपने भाइयों को देखते ही अपने असली नाम बता दिए, दोनों ने ही इस लड़की का पीछा हिन्दू बनकर करते थे और आज मौका मिलते है बलात्कार करने उतारू हो गए, अब मुस्लिम भीड़ इकट्ठी होने लगी और पुलिस पर दबाव बनाने लगी, हम तक खबर पहुचाई गयी मामला दबा दो वर्ना अच्छा नही होगा, देख लेंगे एक एक को, घर नही पहुँच पाओगे वगैरह,
 मैंने हिन्दू जागरण मंच के प्रांतीय मंत्री श्री बसंत गोड्याले जी को फ़ोन लगा कर पूरी वस्तुस्थिति सुनाई, जल्दी ही उनकी टीम थाने पर हाज़िर थी, कुछ ही देर में वे खुद वा उपाध्यक्ष ऊदल सिंह परिहार जी, विभाग महामंत्री श्री प्रकाश सिंह तोमर जी, जिला मंत्री सचिन चंदेल जी, व अन्य साथी भी आ गए, हम सब अड़ गए कि मामला बलात्कार का है, जबकि पुलिस रिपोर्ट अपने हिसाब से लिखना चाहती थी, हम सब इस पर अड़ गए कि जो बेटी बोलेगी वो लिखना होगा, पुलिस द्वारा बदलाव करवाने के बाद अब पुलिस अटक गई कि धाराएं कौन सी लगाएं ? 
मैंने थाने में मौजूद किताब में से ही उन्हें धाराओं के पन्ने खोल-खोल कर पकड़ा दिए, पुलिस हैरान परेशान अब करें तो क्या करें पढ़े लिखे लोग से पल्ला पड़ गया, आखिरकार हार कर पुलिस ने मुकदमा कायम किया, भला हो आशीष भाई का और कॉलोनी वालो का कि उस लड़की की इज़्ज़त बचा ली, और हिन्दू जागरण मंच का, वरना बलात्कार का मामला छेड़छाड़ का मामला बता कर रफा-दफा कर दिया जाता,
विचारणीय बिंदु:
1.अपनी बेटी नही उसकी सहेलियों और उनके दोस्तों पर भी नज़र रखिये । इस लकड़ी का पता एक दूसरी हिन्दू लड़की ने दिया जो आसिफ के लव जिहाद का शिकार हो चुकी है, आसिफ उसे ब्लैकमेल करने लगा और कहा मेरे दोस्त ताबिल के लिए भी कोई हिन्दू लड़की ढूढ़ कर दो नही तो तुम्हारी फोटो व वीडियो सब को दिखा दूँगा,
 उसने ताबिल का शिकार बनाने के लिए इस लड़की का पता द्दे दिया, यानी जो लड़की लव जिहाद में फंस चुकी है जिसके मुस्लिम लड़के या लड़का दोस्त हों उस लड़की से अपनी बेटी का मेल जोल तुरंत खत्म करवा दें, वर्ना आपकी बेटी कभी भी गैंग रेप का शिकार हो सकती है, 
2. जब इन मुस्लिम लड़को के भाई रिश्तेदार थाने में आये तो ,सब के सब हुष्ट-पुष्ट एक से बढ़कर एक बॉडी बिल्डर, दूसरी तरह हम सब जिनमे से एक भी बॉडी बिल्डर नही था, अगर लड़ाई होती तो हम सब पिटते, इसलिए सभी हिन्दू भाइयों से निवेदन हैं अपनी शारीरिक क्षमताओं को बढ़ाएं, व्यायाम और लठ्ठ चलाना सीखें, RSS शाखा में ये सब फ्री में सिखाया जाता है, वर्ना किसी दिन आप हमारी जैसी स्थिति में फंसे तो भगवान् ही आपका मालिक होगा, हमारी तो किस्मत अच्छी थी सो बच गए ।
3. अगर समय पर हिन्दू जागरण मंच के लोग नही पहुचते तो FIR तो दूर की बात है उल्टा हम सब की पिटाई और हो जाती, यानी RSS और हिन्दू संगठनों से जुड़ने का बहुत फायदा है, ये ज़रूरत के वक्त आपकी हर प्रकार से सहायता करते हैं ।
4. लड़को को बाकायदा फंडिंग की गई थी, लड़के आवारा है फिर भी उन्हें किसी दोस्त की मोटरसाइकिल मोहैया करवाई गई थी ताकि वे आराम से बाइक पर घूम फिर सके और हिन्दू लड़कियों को फसा सकें ।
5.  यदि आपके घर पर एक से अधिक बेटियां हैं तो आपका घर पर जिहादियों के निशाने पर है ।सबसे ज़रूरी बात, आखिर इसी लड़की को शिकार क्यो बनाया गया, क्योंकि यह एक गरीब परिवार से आती है , पहली को येनकेन प्रकारेण अपने जाल में फंसा कर उसकी बाकी की 3 बहनों को फसाने का प्लान था, बलात्कार कर वीडियो बनाया जाता फिर ब्लैकमेल किया जाता और बाकी की बहनों को भी एक एक कर लव जिहाद का शिकार बनाया जाता,
 इस पूरी काली रात ने मेरी सोच को बदल कर रख दिया, मुझे अभी तक अपनी आंखों और अपने कानों पर विश्वास नही हो रहा, , ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसे घिनोने कृत्य के लिए भला कोई समाज कैसे समर्थन दे सकता है? मेरी आँखें तो कल पूरी रात जागने के बाद खुल गयीं, और आपकी??
क्या इस सच्ची कहानी को अपनी वाल पर कॉपी पेस्ट कर के किसी बहन या बेटी की इज़्ज़त बचाएंगे आप? कृपया शेयर के बजाए कॉपी पेस्ट करने का कष्ट करें 🙏Nitin Shukla

Monday 30 October 2017

सोशल स्टडीज की क्लास चल रही थी तभी शिक्षक ने छात्रों से प्रश्न किया
बच्चों :- "पाकिस्तान कि राजधानी" कहा है ? एक छात्रा :---दिल्ली ..... 
टिचर :--- क्या बोल रही हो, पाकिस्तान की राजधानी दिल्ली कैसे ? 
छात्रा :---- जब आप,"भारत की राजधानी दिल्ली"में,अगर कभी," घूमने" आएँ..तब आपको पता चलेगा कि,आप "शाहजहां" रोड़ से निकलकर, "अकबर" रोड़ पर पहुँच जायेंगे, आगे जाकर, "बाबर" रोड़ पर मुड़ जायेंगे । फिर "हुमायूं" रोड़ पर सीधे चले जाइयेगा
गोल चक्कर मिलेगा, जहाँ से आप, "तुगलक" लेन में घुस जायेंगे, "लोधी" रोड़ पर आगे बढिये ."सफदरजंग" रोड़ आ जाएगीइसके बाद,"तुगलकाबाद" एवं "जामिया नगर"होते हुए,"कुतुबमीनार" तक जाइए..और जब इस "सूफियाने माहौल' में, "दम घुटने लगे" तो..."सराय कालेखाँ" होते हुए..."निजामुद्दीन" रेलवे स्टेशन से,अपने शहर की,"रेलगाड़ी"में बैठिए,और घर वापस आ जाइये !!!!और,"घर बैठ कर",सोचते रहिये.."दिल्ली"....."भारत की राजधानी" है. या,"पाकिस्तान" की ?😜
ना महाराणा प्रताप ना वीर शिवाजी ना बाबू राजेंद्र प्रसाद ना वीर कुँअर सिंह और ना ही लक्ष्मी बाई...हमने लगभग सभी को भुला दिया है ...ये कांग्रेस की नहीं तो किसकी देन है?? क्या ये सही नहीं कि हम 65/70 साल से सो रहे हैं .. वैसे 2014 में मोदी सरकार आने के बाद से दिल्ली में औरंगजेब नाम की सड़क को हटा दिया गया, तो ये कांग्रेस कितना चिढ़ी थी इसे भी मत भूलिए

jharokhe se...

bharat men aatm heenata ki shuruwat...

अनेक गोरखों ,सिखों और राजपूत राजाओं ने १८५७ में कम्पनी के पक्ष में लड़ाई लड़ी और ब्रिटिश महारानी से संधि कर उन्हें भारत बुलाया जिसने लिखित आश्वासन दिया कि हम उनकी सीमाओं में भी छेड़छाड़ नहीं करेंगे और हम भारतीय राजाओं के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे .
अब चूंकि यह आश्वासन रानी का था ,लफंगों की कंपनी का नहीं तो महारानी ने बड़ी सीमा तक उसे निभाया 
   ,यह भी सत्य है पर तब भी कई उन्मत्त पादरी कभी छिपकर ,कभी खुलकर पाप पंथ बढाने में लगे रहे और अपनी महारानी पर भी दबाव बनाते रहे पर मुख्य काम तो शिक्षा के समूल नाश का किया गया और इसीलिए भारतीय पंडितों के विरुद्ध नियोजित झूठ फैलाया गया .
    स्वयं अंग्रेजों ने रिकॉर्ड एकत्र किया कि भारत के हर गाँव में एक विद्यालय है और शहरों में अनेक हैं जहाँ हर जाती के शिक्षक हैं और हर जाती के विद्यार्थी हैं .
उनका रिकॉर्ड धर्मपाल द्वारा संग्रहीत कर टिपण्णी सहित छपा है और अहमदाबाद से इंदुमती कात्दारे जी ने गुजरती तथा हिंदी में भी छापा है पर इंग्लैंड जाकर पढने की प्रेरणा बड़े लोगों को दी गयी और वहां से पड़कर जो देशभक्त लौटे वे देशभक्त होकर भी कई मामलों में ब्रिटिश प्रचार से अभिभूत थे और भारत में अशिक्षा , अंधविश्वास आदि आदि रटने लगे बताने लगे ,इस से अंग्रेजो को बड़ी मदद मिली और सबसे बड़ी मदद स्वयं गांधी जी ने अंग्रेजों की यह कहते हुए कि कि पहले हम अपनी बुराइयां दूर करें जबकि अंग्रेजों की बुराइयों की बहुत कम चर्चा हुयी . वहां स्त्रियों की आत्मा नहीं मानी जाती थी ,वहां भयावह गन्दगी थी ,वहां महामारियां ,रोग , कंगाली थी ,९८ प्रतिशत लोग भयंकर शोषण का शिकार थे , भारत की लूट से पहली बार इंग्लैंड धनिक बन रहा था , यह कुछ नहीं बताया

note---. लगभग आधे से कुछ कम जो भारत स्वाधीन था ,उसे भी पराधीन प्रचारित करने का पाप इंग्लैंड में पढ़े लोगों ने भारत में किया .जिन प्रतापी राजाओं ने भारत को स्वाधीन रखा था ,उनके गौरव को भी इतिहास से मिटा डाला ६२५ रियासतों की इंग्लैंड से संधि थी तो संधि को भी दासता ही बता दिया . यह वस्तुतः तो देश द्रोह है पर चल रहा है ...

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न कभी गांधी ने स्वयं को राष्ट्रपिता कहा .न किसी प्रामाणिक भारतीय ने उन्हें राष्ट्रपिता कहा , न कोई ज्ञानी उन्हें राष्ट्रपिता कहता , कुछ राजनेता क्या कहते हैं ,यह उनके चेलों का सिरदर्द है ,हमारा नहीं . 
नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने जब Father of Nation उन्हें कहा तो १ अपने घोर विरोधी को शांत कर लक्ष्य प्राप्ति की एकता का प्रयोजन था , २.अंग्रेजी में इसका अर्थ है नए उदीयमान राज्य के परिकल्पक जैसे अविवाहित पादरी लोग फादर होते हैं तो वे किसी के पिता नहीं होते .. प्रेरक या मार्गदर्शक होते हैं और वहां नेशन का अर्थ राष्ट्र नहीं राज्य है क्योंकि यूरोप में नेशन स्टेट १५० वर्ष पूर्व ही बने हैं ,पहले कभी नहीं थे ...
, बाद में कतिपय कांग्रेसियों ने संघ एवेम हिन्दू समाज को नष्ट करने के लिए इस शब्द का भयंकर प्रचार किया , संविधान में कहीं ऐसा कोई शब्द गाँधी जी के लिए नहीं है और किसी शासकीय आदेश अध्यादेश में भी ऐसा कुछ कहा नहीं गया है अतः राष्ट्रपिता पर बहस समय नष्ट करने का तरीका है ,आप उस से दूर रहें ,
कौन आपको लट्ठ मारकर किसी को राष्ट्रपिता कहने को मजबूर कर रहा है ? कर रहा हो तो बताइये ,हम कुछ उपाय करेंगे .किसी को गांधीजी को राष्ट्रपिता ही कहने की धुन है तो उसे कहने दीजिये , हर बात में लड़ना मानवोचित नहीं है , इस शब्द से देश का न कोई हित हुआ है ना अहित . इसे भूल जाएँ .

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 आज विश्व में परस्पर घनिष्ठता आई है अतः सीधा युद्ध कभी कभी ही होगा ,शेष समय बौद्धिक रणनैतिक युद्ध चल रहे हैं इसके लिये कई संस्थाओं की अलग अलग भूमिका होती है 
जैसे यूरोपीय देशो के राज्य अलग खेल खेलते हैं और चर्च अलग ,कम्पनियाँ अलग ,NGOs अलग और सब मिलकर गोल करते हैं पर भारत में १९४७ में नेहरु ने समस्त भारतीय संस्थानों को अनधिकृत बनाते हुए केवल राज्य को एकमात्र वैध शक्ति बना डाला है इसलिए हिन्दू धर्मतंत्र के पास कोई अधिकृत वैधानिक स्वतंत्र शक्ति बचने नहीं दी गयी हैअतः हिन्दू धर्माचार्य वह भूमिका निभा ही नहीं सकते जो पोप पादरी आदि निभा रहे है ,यह बहुत बड़ा पाप नेहरु ने किया और आज भाजपा भी उसे जारी रखे है क्योंकि कोई विद्याकेंद्र (अपरा विद्याओं का ) हिन्दुओं का है ही नहीं .
 ऐसे मे भारतीय राज्य की शक्ति सीमित हो जाती है ,वह ज्यादा से ज्यादा उतना ही तो कर सकता है (अभी तक किया नहीं है पर मोदी जी कर सकते हैं ), जितना यूरोप के राज्य कर रहे हैं पर वहां जो काम पादरी पोप आदि कर रहे हैं ,NGOs कर रहे हैं , कम्पनियाँ कर रही हैं Universities कर रही हैं ,वह कुछ भारत में संभव नहीं क्योंकि राज्य कम्युनिस्ट देशों की तरह सर्वग्रासी है , जुदिसिअरी(Judiciary) राज्य का ही आँगन (कोर्ट ) है , खाप तथा परंपरागत पंचायतें नेहरु ने खा डालीं और विनाशकारी दलबाजी वाली पंचायतें खड़ी की गयीं , परंपरागत व्यापारिक संस्थाएं नष्ट और अधिकार रहित कर डाली गयीं , धर्मतंत्र की स्वतंत्र सत्ता नष्ट कर डाली गयी . यह आत्मघाती स्थिति है ,परिपक्व समाज इकहरी संस्थाओं से नहीं चलते जैसा वर्तमान में भारत में राज्य एकमात्र अधिकृत संस्था है और दल उसके ही एक उपकरण हैं पर धर्म , व्यापार , न्याय आदि की परंपरागत संस्थाएं नष्ट कर डाली गयी हैं ,यह स्थिति भारत को बेहद कमजोर स्थिति में ला रखती है . 
जो लोग इन विषयों पर सोच सकने की सामर्थ्य ही नहीं रखते ,उनसे विवाद मैं नहीं करूंगा .जो लोग किसी न किसी दल या नेता के दीवाने हैं ,वे उन से तो बेहतर हैं जो नटों और नटिनियों के दीवाने हैं पर वे इस विमर्श में सक्षम नहीं हैं अतः उन्हें कोई उत्तर मैं नहीं दूंगा . जो इस विषय का महत्त्व समझेंगे , उनसे ही इस विषय पर संवाद संभव है . आगे जैसी भारत माता (जो साक्षात् जगदम्बा हैं ,कोई बेड़ियों में जकड़ी असहाय सी स्त्री नहीं ,महा शक्तिशाली परम ऐश्वर्यमयी चिन्मय सत्ता है ) की, महाकाल की , भगवान की इच्छा और योजना . हर हर महादेव .
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देखिये मित्रो , १८८५ से १९०७ तक कांग्रेस ब्रिटिश भक्त थी , १९०७ से उसमे जान आई . मालवीय जी ,लाल बाल पाल ने उसे राष्ट्रिय बनाया इस से अंग्रेज डर गए और मिनटों मारले के बाद स्वायत्तता देकर जाने यानी दोस्तों को सौंपने की बातें करने लगे क्योंकि क्रांति कारियों से वे डर गए थे , अचानक गाँधी उनके यानी अंग्रेजों के परम मित्र बनकर उभरे और खुद को ब्रिटिश राज की परम राजभक्त प्रजा कहा और तबसे चतुर सुजान कांग्रेस में जाकर अंग्रेजों को पटाने लगे कि गद्दी हमें ही दे जाना जिस से अंग्रेजों ने जाने का विचार छोड़ दिया और कांग्रेस में कुछ लोगों को पालने लगे तथा कम्युनिष्ट पार्टी लन्दन में बनवाई या फैलवायी . इसलिए अंग्रेज मित्र कांग्रेसियों को प्रखर हिंदुत्व से तथा भारत के राजाओं और ब्राह्मणों से एवं धर्मनिष्ठ व्यापारियों से सबसे ज्यादा चिढ हो गयी पर शीघ्र ही भारत का नरसिंह सपूत नेताजी सुभाष अंग्रेजों की छाती में मूंग दलने लगा तो गाँधी जी ने पूरी शक्ति नेताजी सुभाष को कमजोर करने में लगा दी .
दुसरे महायुद्ध में अंग्रेज और फ्रेंच भारतीय सनिकों की दया पर निर्भर हो गए तो जाना तय हो गया ,सौदेबाजी होने लगी इसमें नेहरु सबसे बाजी मार ले गए
अब नेहरु को संघ ,सावरकरजी तथा हिन्दू महासभा से खतरा दिखा और आर्य समाज से भी तो इनको परस्पर लड़ाने लगे . गाँधी जी की ह्त्या को अपनी राजनीती के लिए अवसर में बदल दिया नेहरु ने , कम्युनिष्टों को खरीदा और अल्पसंख्यक मोर्चा बनाकर तथा जातिवाद फैलाकर हिन्दू समाज को कमजोर रखने में पूरा ध्यान लगाया , शिक्षा और संचार में कम्युनिष्टों की नक़ल कर सरकारी एकाधिकार स्थापित कर सरकारी मान्यता और सम्मान के सहारे अपने बौद्धिक तैयार करने लगे जिन्हें मार्क्स ने आत्मा के इन्जीनीयर कहा था जो अत्यंत अपमान जनक शब्द है .
हिन्दू विद्या केंद्र के अभाव में धार्मिक हिन्दू भी अनेक सामाजिक राजनैतिक मामलं में इन्ही नास्तिक और रद्दी विचारों तथा जुमलों के फेर में आने लगे . हिन्दू समाज में बौद्धिक दरिद्रता १९६० के बाद तेजी से बढाई गयी


Rameshwar Mishra Pankaj

15 उपलब्धियों... घोटाला एक भी नहीं ...//

1.  *जाकिर नाइक* देश छोड़ कर भागा, और उसकी करोड़ों की संपत्ति जप्त कर ली गयी जो देश के काम आएगी ।
2.  नोटबन्दी से त्रस्त अलगाववादियों के 500 और हजार के करोड़ों नोट कागज के टुकड़े बनकर रह गए । *दाऊद के financer* ने टावर से कूदकर आत्महत्या कर ली ।
4.  *राम रहीम* कनाडा में एयरपोर्ट खरीदकर वहां बसने की तैयारी में यहाँ से निकलने ही वाला था । उसे दूसरा माल्या बनने से रोक लिया गया ।
5. दाऊद की *35000 करोड़ की दुबई में और 42000 करोड़ की सम्पत्ति लन्दन में* जप्त कर ली गयी।
6.  पहली बार हिम्मत दिखाकर NIA ने *अलगाववादियों को पाक से मिलने वाले फंड* के सबूतों के साथ धर दबोचना शुरू किया ।
7.  *आतंकवादियों की लाशों का अम्बार* लगने लग गया।
8. मांस कारोबारी *मोईन कुरैशी* जेल में डाला गया।
9.  साध्वी *प्रज्ञा ठाकुर* को रिहा किया गया।
10.  देशभक्त *कर्नल पुरोहित* आज़ाद हो गए।
11. विदेशी चंदे से अराजकता फैला रहे मिशनरीज और NGO पर नकेल कसी गयी।
12. वर्षों से भारत में रह रहे रोहिंगया मुसलमानो को बाहर निकालने की आवाज उठाई गई ।
13.  *तीन तलाक़ और हलाला जैसी मुस्लिम समाज की कुरीतियों सरकार द्वारा ही विरोध किया जाने लगा।*
14.  प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री आवास में *इफ्तार दावत की जगह नवरात्रि* की पूजा की जाने लगी।
15.  *डोकलां* जैसी महत्वपूर्ण जगह पर चीन युद्ध की धमकी देते देते खुद पीछे हटा और थूककर चाटने लगा ।

Saturday 28 October 2017

---------modi hi kyon ?---- युवा कवि ----- j. bakshi-------

https://www.facebook.com/I.Support.Ajit.Doval/videos/1491433350910589/

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kavita   युवा कवि Kavi Kamal Aagney को अवश्य सुनियेगा. इतनी सी आयु में, इतनी बड़ी बेबाक बात बोलकर सोये हिन्दुओं को जगाना बहुत बड़ा पुण्य कर्म है साथियों..

https://www.facebook.com/CyberSipahis/videos/1586131128118141/

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janaral bakshi....

https://www.facebook.com/WeSupportHindutva/videos/1731397357167135/
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aapatkal ki kahani

https://www.facebook.com/1148033371890757/videos/1898063506887736/

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ramjanmbhoomi

https://www.facebook.com/Bjpalindia/videos/1257339007668061/

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vahe guruji ka khalasa...

https://www.facebook.com/awadheshkumaravns/videos/2015266615384658/

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pruthviraj chuhan ki veer gatha....link

pruthviraj chuhan ki veer gatha....link
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https://www.facebook.com/www.narnarayanseva.org/videos/1947914615423068/

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savarkar...

https://www.facebook.com/Bjpalindia/videos/1455291434539483/

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कसाब गैंग ने मुंबई पहुँचने से पहले एक रात उसी आलिया बेट पर गुजारी थी !

कांग्रेस का हाँथ आतंकवाद के साथ .... सोनिया के नितांत निजी सचिव अहमद पटेल तथा भरूच के बारे में तथ्य ............स्टेट्स साभार ...@Jugal M Patel
▐ सबसे बड़ा खुलासा ▬E X C L U S I V E
▐ भरूच+अहमद पटेल+आतंकवाद ~ बड़ी गहरी जड़े है [ पढ़िये एक भरुची यानि खुद मेरी जानकारी से ]
~ जिस अस्पताल से 2 आईएस के आतंकी और अहमद पटेल का कनेक्षन निकला है, वो मेरे जैसे भरुची के लिए कोई चौंकाने वाली बात नहीं है ! इतिहास मे दबे आतंक के भरूच,और बरसो से अंकलेश्वर और भरूच की सीट पर एकचक्री शाशन करनेवाले अहमद पटेल से और आतंक से दूसरे भी कई कनेक्षन है !
~ सरदार पटेल अस्पताल, जिसमे दावा किया जा रहा है की अहमद पटेल ने 2014 मे उसके ट्रस्ट से इस्तीफा दे दिया था, तो 2016 मे उसके उदघाटन समारंभ मे राष्ट्रपति प्रणब मुकर्जी को बुलाने की हैसियत क्या हर ऐसे छोटेसे अस्पताल के ट्रस्ट की हो शकती है?
~ सरदार पटेल अस्पताल के ट्रस्ट ने 2 पन्नो की प्रेस विज्ञप्ति [एल्बम देखे] देकर ये साबित करना चाहा है की पकड़े जानेवाला आईएस आतंकी स्टीमरवाला कासिम तारीख 4-10-2017 को पहले ही वहाँ से इस्तीफा दिया था जिसे कबुल किया 24-10-2017 मतलब 20 दिन के बाद उसने अस्पताल की जॉब छोड़ी, तो भारतीय खुफिया agency और एटीएस को इतने दिन के भीतर ही उतने सुबूत मिल गए की उसे गिरफ्तार कर शके?
~ लोकल न्यूज चेनल का दावा ये है की उसे अस्पताल से गिरफ्तार किया है 25 तारीख को,
https://connectgujarat.com/terrorist-arrested-ankleshwar-ho… ]
तो मैनेजमेंट ने उसके एक दिन पहले ही इस्तीफा क्यूँ कबूल किया ?
~ आज पकड़े गए इसका मतलब कई महीनो से Security Agencies की इनकी हरकतों पर नजर होगी, और अगर इस्तीफे की कोई बात भी है तो रेडार मे होने का पता चलने पर ले लिया गया होगा । या फिर घटना को अंजाम देने की पूर्व तैयारी थी ये सब !
~ आज के ही दिन की खबर है की , ▐ चुनाव से पहले गुजरात में 26/11 जैसे हमले का खतरा, PAK ने छीने मछुआरों के आईडी कार्ड ! सूत्रों का कहना है कि चुनावी राज्य गुजरात को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई समुद्र के रास्ते आतंकियों को भेज सकती है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्टार कैंपेनर होंगे. [ http://aajtak.intoday.in/…/gujarat-election-2017-pak-seizur… ]
~ अस्पताल ने प्रेस विज्ञप्ति देकर अहमद पटेल को क्लीन चीट देने की कोशिश तो की है,लेकिन उसी कासिम के इस्तीफे की नकल तक नहीं दिखा पाई क्यों ?
~ 1993 मुंबई के धमाके याद है ? उसका एक आरोपी भरूच से ही मारुति वेन कार मे आरडीएक्स और पैसे छिपा कर ले गया था मुंबई तक । Riyaz Siddique – 10-year jail term. Drove a car from Mumbai to Bharuch to deliver Maruti van and money to Abu Salem. Special cavities were made inside the van to fit the arms and ammunition. [ http://www.news18.com/…/1993-mumbai-blasts-case-sentence-ha… ]
~ 16 अक्तूबर 2002 को भरूच के ही Darul-Uslam कंठारिया से 3 कश्मीरी आतंकियो को पकड़ा गया था [ http://zeenews.india.com/…/three-kashmiri-youth-detained-by… ] ये मादरेसा साउथ अफ्रीका से आने वाले पैसो से चलता है। एकबार जब बोस्टन से Ebrahim Moosa जो एक प्रोफेसर है और भरूच के नजदीक ही जिनका गाँव है वो आए तो उन्हे सबसे पहले सवाल किया गया की “क्या आपको आतंकवादी चाहिए ?” पढ़िये उनकी ही जुबान मे Inside Madrasa [ http://bostonreview.net/moosa-inside-madrasa ] Ebrahim Moosa is Professor of Religion and Islamic Studies at Duke University और भी कई पोल खोली है उन्होने खुद इस मद्रेसा के बारे मे, लेकिन वो आराम से पढ़ना पहले आगे पढ़ो ................
~ 26/11 याद है ना ? जहां पोरबंदर के मछुआरे की कुबेर नामकी नाँव पाकिस्तान ने कब्जे मे ले ली थी और उसी नौका का उपयोग कसाब और गैंग के मुंबई पहुँचने तक का हुआ था। भरूच की ही नर्मदा नदी मे एक बेट [छोटा सा टापू जैसा विस्तार] जिसे आलिया बेट के नाम से जानते है, तो दहेज बंदर और उसके आसपास के छोटे गांवो मे उस वक्त दबी जबान मे बात हो रही थी की कसाब गैंग ने मुंबई पहुँचने से पहले एक रात उसी आलिया बेट पर गुजारी थी !!! क्यूँ की ये विस्तार बंजर और सुनसान है ! और ऐसी ही आपराधिक गतिविधियो से बदनाम आलिया बेट पर मरीन कमांडो सेंटर बनाने की तैयारी हो रही है [https://www.divyabhaskar.co.in/…/DGUJ-BHA-MAT-latest-bharuc… ] ( तब भी जब मैंने ये बात सुनी तो कसाब गैंग को शह देनेवाला नाम भी अपने आप जबान से निकल गया था, “पटेल” )
~ 2008 के अहमदाबाद के सीरियल ब्लास्ट का IM के आतंकी यासीन भटकल ने भरूच शेरपुरा विस्तार के एक बंगले मे रहा था और July 18, 2008 को उसने यहाँ पूरा दिन गुजारा था, आखिर किसकी सर परस्ती मे?
~ उसी यासीन भटकल का एक साथी साजिद मंसूरी जिसने सूरत मे बम प्लांट किए थे उसे 2008 मे लुक़मान पार्क भरूच से गिरफ्तार कर लिया गया था [https://timesofindia.indiatimes.com/…/articles…/58017756.cms ]
~ अक्षरधाम हमले की फंडिंग के तार भी भरूच से ही जुड़े हुए थे, ऐसे कई सबूत मिले थे की इस हमले को अंजाम देने के लिए पैसो की सहायता भरूच के ही निवासी द्वारा की गई थी On 29 November 2003, Bharuch police began investigating the alleged involvement of four individuals from their district in the Akshardham attack. The charge sheet filed in the case with the POTA court included the names of Gulah Laheri, Majid Patel, Iqbal Patel and a 35-year-old unidentified individual. Even though the evidence suggested that these individuals resided in Bharuch and provided financial support for these terrorist activities [ https://en.wikipedia.org/wiki/Akshardham_Temple_attack ]
~ नवंबर 2015 मे भरूच मे ही 2 बड़े बीजेपी नेताओ की हत्या कर दी गई ! शिरीष बंगाली और प्रग्नेश मिस्त्री के इस हत्याकांड की छानबीन मे एटीएस भी सामील करनी पड़ी थी ! ये एक आंतरराष्ट्रीय सुपारी थी और दाऊद इब्राहिम गैंग का भी कनेक्षन निकला था । सिर्फ रेकी करने वाले को ही गिरफ्तार कर पाई है पुलिस Bharuch Deputy Superintendent of Police N D Chauhan said, “The contract to kill was given by Javed Dawood Patel, alias Javed Chikna, who stays in South Africa, to Inayat Vohra and Imran Saiyed of Surat. Javed Chikna (believed to be an aide of underworld don Dawood Ibrahim) is on the run for his involvement in the 1993 Mumbai Bomb blast case. [ http://indianexpress.com/…/bharuch-bjp-leaders-murder-one-h… ]
~ और ये दोनों बीजेपी और आरएसएस के बड़े नेताओ की हत्या कांड मे कुल 4 बड़े नेताओ को मारना था और मकसद था गुजरात मे दंगे फैलाना [ https://www.outlookindia.com/…/bharuch-murders-carri…/939754 ] अब सोचनेवाली बात है की 2002 से पीड़ित गुजरात और बीजेपी तो चाहेगी नहीं की फिर से कोई दंगा हो तो और कौन सी पार्टी दंगे चाहेगी? वही पार्टी चाहेगी जो 22 साल से सत्ता से बाहर है और जिसके गोधरा के कोरपोरेटर हाजी बिलाल ने साबरमती ट्रेन जला कर 57 हिन्दुओ की हत्या की थी वो ही वाली पार्टी !
~ ~ भरूच मुस्लिम बहुल जिल्ला है और कई मुस्लिम विदेशो मे जाकर खूब पैसा कमाए है, यूं समजो बार बार अहमद पटेल को लगातार ये सीट उनही के दम पर मिलती रही है ! और इसी लिए भरूच जिल्ला पहले ही एटीएस और आईबी की रडार पर है, यकीन करोगे? की यहाँ सालो से साइबर केफे बंद करवा दिये है, आज भी पूरे जिले मे एक भी साइबर काफ़े नहीं मिलेगा !
~ अब बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी..... अभी विश्राम लेता हूँ ! और ज्यादा जानकारी आपको इसके साथ रक्खे गए फोटो अल्बम से मिल जाएगी की भरूच...... गुजरात का आईएसआई हेडक्वार्टर बना हुआ है, क्यूँ की भरूच की राज्यसभा सीट हरबार एक ऐसे इंसान के हवाले कर दी गई है जो कॉंग्रेस का बेहद करीबी है ! पर उसी भरूच मे नेशनल हाइवे नंबर 8 पे एक ही पुल था आजादी के बाद से, दूसरा बनाया तो पहला जर्जर और बेकार हो गया जो इन्दिरा के जमाने का था! तो सोचो भरूच को क्या दिया है कॉंग्रेस के इतने करीबी नेता ने जो 10 साल सत्ता मे थी ? !
~ जब से मोदी सरकार केंद्र मे आई तब से न सिर्फ नेशनल हाइवे पर 3 साल मे ही दूसरा पुल बन गया है, बल्कि स्टेट हाइवे [OLD NH 8] पर भी एकाद और साल मे चौथा पुल बन जाएगा जिसपे अबतक 150 साल पुराना अंग्रेजोसे भीख मे मिला हुआ एक मात्र गोल्डेन ब्रिज था भरूच से अंकलेश्वर को जोड़ने वाले सबसे व्यस्त जिले के विस्तार के लिए
http://www.india.com/…/indias-longest-cable-bridge-in-bharu… ]
~ हाल ये है की भरूच स्थित एक बैंक को भी अपनी वेबसाइट पर आतंकवाद के बारे मे और उससे बचने के बारे मे पूरा एक वेबपेज लिखना पड़ता है, देखि है ऐसी किसी बेंक की वेबसाइट देख लो ये [ http://bharuchdistrictbank.com/effective-ways-to-bring-down… ]
~ यहाँ की पुलिस एसओजी को मरीन कमांडो के साथ मिलकर आतंकी हमले से बचने की मोक ड्रिल करनी पड़ती है, क्या भरूच कोई मेट्रो सिटी है ? यकीन नहीं तो देख लो [https://www.divyabhaskar.co.in/…/DGUJ-BHA-marine-and-sub-po… ]
~ पूरे गुजरात मे एनआईए की ब्रांच ऑफिस अहमदाबाद के अलावा स्पेशयल भरूच मे ही क्यूँ खोलनी पड़ी है मोदी सरकार को? इसका जवाब भी आपको मिल गया होगा। दोहराता हूँ, क्या भरूच कोई मेट्रो सिटी है ? नहीं ये अहमद पटेल और आतंक के आकाओ का पसंदीदा इलाका है । [ http://www.newkerala.com/news/fullnews-279173.html ]
~ अब गुजरात तय करेगा की वो “कमल पसंद करेगा या कुरान” ! जिस कुरान को हथियार बनाकर आज पूरी दुनिया को जलाया जा रहा है आतंकवाद के नाम पर ! विकसित और आगे बढ़ रहे विकाशशील गुजरात मे जिंदा रहना है की आरक्षण का झूठा आश्वासन लेकर बम धमाको से चीथड़ों मे उड़ जाना है ? ■©★® Jugal Eguru

Friday 27 October 2017


सऊदी अरबिया में 15 वर्षीय , 6 स्कूली छात्राओं को मौत की सज़ा सुनाई गई है ।
उनका अपराध ये था कि वो अपनी एक सहेली का हैप्पी बड्डे मनाने उसके घर चली गयी ।
वहां उनके 3 सहपाठी लड़के भी थे । बच्चों ने वहां happy बड्डे मनाया । उसके बाद सभी Music चला के dance करने लगे ।
बगल की मस्जिद के एक इमाम के लड़के ने , जो कि उन लड़कियों का सहपाठी ही था , Religious Police को फोन कर दिया । पुलिस ने छापा मार के लड़कियों को Dance करते रंगे हाथ पकड़ लिया ।
गिरफ्तारी हुई ।मुकद्दमा चला । आरोप है कि लड़की बिना किसी पुरुष अभिभावक के , घर से बाहर निकली कैसे ? ऊपर से ये जुर्रत कि बड्डे मनाए ? Music बजाए ? DANCE करे ?
दीनो मजहब खतरे में पड़ गया । लिहाजा दीन को बचाने के लिए सभी 6 लड़कियों को सरेआम चौराहे पे तलवार से गर्दन काट के मौत की सज़ा सुनाई गई है ।
मानवाधिकारों के सभी झंडाबरदार मुह में दही जमाये बैठे हैं ।
भारतीय कालीन उद्योग के कालीन का बहिष्कार सिर्फ इस मुद्दे पे कर देने वाले यूरोपीय लोग , कि भारतीय कालीन उद्योग में बच्चों से कालीन बिनवाया जाता है , बाल श्रम होता है .......इस एक मुद्दे पे भारतीय कालीन उद्योग बर्बाद कर दिया ......... बाल अधिकारों और मानवाधिकारों के वो झंडाबरदार सऊदी अरबिया के इस गला रेत- गर्दन काट शरई कानून पे मुह में दही जमाये बैठे हैं ........
बाल श्रम पे हमारे कालीन का बहिष्कार करने वाले 15 साल की बेटियों की गर्दन काटने वाले मुल्क के तेल पेट्रोल डीजल का बहिष्कार क्यों नही करते ?
महिला अधिकारों पे दिन रात छाती पीटने गाल बजाने वाला , No Bra Day मनाने वाला बड़ी बिंदी गिरोह कहां है ????????
Kiss ऑफ Love मनाने वाला गिरोह कहां है ?
Nobel peace Prize ले के मलाई काट रहे कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफजई कहां हैं ?
साभार: अजीत सिंह जी
प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर अपराधियों के संरक्षण का अड्डा बनता जा रहा है प्रेस क्लब!
प्रेस क्लब (PCI) की कुछ प्रेसवार्ताओं, बैठकों, गतिविधियों पर नजर डालें तो यह चित्र उभरता है:-
1) PCI को बलात्कार का अधिकार दो- तरुण तेजपाल के लिए प्रेस कांफ्रेंस!
2) PCI को मनी लाऊंड्रिंग का अधिकार दो- प्रणय राय के लिए प्रेस कांफ्रेंस!
3) PCI को ब्लैकमेलिंग का अधिकार दो- विनोद वर्मा के लिए प्रेस कांफ्रेंस!
4) PCI को अपराध आरोपियों को संरक्षण देने का अधिकार दो- कन्हैया कुमार को पुलिस से बचाने के लिए छुपाया! बकैत पांडे के बलात्कार आरोपी भाई को भी यदा-कदा वहां देखा गया!
5) PCI को सरकार गिराने का अधिकार दो- आंदोलन की आड़ में राजनीतिक साजिश रचने वाले अरविंद केजरीवाल और उनके अपराध आरोपी साथी सोमनाथ भारती जैसों के लिए कथित पत्रकारों द्वारा बैठकों का आयोजन।
6) PCI को फैसला सुनाने का अधिकार दो- गौरी लंकेश की हत्या में बिना सबूत हिंदू संगठनों को गुनाहगार ठहराने के लिए बैठक!
7) PCI को सामाजिक एडिटर नियुक्ति का अधिकार दो- कन्हैया कुमार, उमर खालिद जैसों के लिए बकैत गिरोह द्वारा प्रेस वार्ता और मार्च का आयोजन।
यह है दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की सच्चाई! इस क्लब में नक्सलियों, आतंकियों, अलगा्वादियों, अपराधियों के लिए खुलेआम बैठकें होती हैं! प्रेस का भय दिखाकर समाज और सरकार को ब्लैकमेल किया जाता है! वामपंथी गिरोह ने इसे क्रियेटिव सेंटर की जगह डिस्ट्रक्टिव सेंटर बना रखा है!
जो लोग वास्तविक पत्रकारिता कर रहे हैं, उन्हें चाहिए कि एकजुट होकर यहां से मिल रहे अपराध के संरक्षण पर रोक लगाएं और समाज को तोड़ने वाले तथाकथित पत्रकारों की सदस्यता खारिज कर उन्हें बाहर निकालें! प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर अपराध आरोपियों के संरक्षण का अड्डा बनता जा रहा है #PCI
भरतीय पत्रकारिता मर चुकी है और उसकी लाश अब बदबू मार रही है!
BBC के इमरान कुरैशी की रिपोर्ट पढ़िए। फर्जी स्टांप पेपर घोटाले के मास्टर माइंड अब्दुल करीम तेलगी की मौत के बाद लिखी इस रिपोर्ट में तेलगी जैसे अपराधी के लिए कितना सम्मान प्रकट किया गया है! उसे रॉबिनहुड बनाने का प्रयास करते हुए उसके लिए 'उन्होंने', 'गए', 'हैं'- जैसे शब्द का इस्तेमाल किया गया है!
आपको याद है अभी NDTV में काम करने वाले सुशांत ने रवीश को नंगा करते वक्त यह बताया था कि वहां शहीद भारतीय सैनिकों के लिए 'शहीद' लिखने पर रोक लगा दिया गया था!
अपराधियों के लिए सम्मान और सैनिकों के लिए अपमान भरे शब्द लिखने वाले लोग व संस्थान पत्रकार और मीडिया हाउस तो नहीं ही हो सकते हैं!
आज ही एक दूसरी घटना में वसूली के धंधे के आरोप में एक अन्य पत्रकार को छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। वह भी कभी इसी बीबीसी का पत्रकार रहा था!
इस देश की मुख्यधारा की पत्रकारिता अब केवल 'एजेंडा जर्नलिज्म' है! भारतीय पत्रकारिता मर चुकी है और उसकी लाश अब बदबू मार रही है!

---- भारत के प्रत्येक संस्थान में सेक्युलरिस्टों (स्लीपर सेल और गद्दार) को घुसा कर उन पर काबिज हो जाना और अपने मन मुताबिक संचालित करने की साजिश खान्ग्रेसी गिरोह की स्थापना के समय से ही रही है । जिस किसी भी माध्यम से जनता के विचारों को अपने अनुसार नियंत्रित किया जा सकता हो - वहाँ सेक्यूलरिस्ट शीर्ष पदों पर मिलेंगे । अदालतें अपवाद नहीं रहीं ।
---1962 में चीन से बुरी तरह हारने के बावजूद कम्युनिस्टों का वर्चस्व हर वैचारिक नियंत्रण वाले क्षेत्र (अखबार, सिनेमा, नाटक, टीवी, शिक्षा, इतिहास इत्यादि) में कम होने के बजाय बढ़ते जाना इस सत्य का प्रमाण है कि तत्कालीन शीर्ष नेतृत्व नकाबपोश कम्युनिस्ट था ।
पारिजात या हरसिंगार के 15 चमत्कारिक फायदे :
  1. गठिया : पारिजात पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस ले और चटनी बनाइये फिर एक ग्लास पानी में इतना गरम कीजिये की पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके पीजिये तो बीस-बीस साल पुराना गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
  2. घुटनों की चिकनाई : अगर घुटनों की चिकनाई (Smoothness) हो गई हो और जोड़ो के दर्द में किसी भी प्रकार की दवा से आराम ना मिलता हो तो ऐसे लोग हारसिंगार (पारिजात) पेड़ के 10-12 पत्तों को पत्थर पे कूटकर एक गिलास पानी में उबालें-जब पानी एक चौथाई बच जाए तो बिना छाने ही ठंडा करके पी लें- इस प्रकार 90 दिन में चिकनाई पूरी तरह वापिस बन जाएगी। अगर कुछ कमी रह जाए तो फिर एक माह का अंतर देकर फिर से 90 दिन तक इसी क्रम को दोहराएँ निश्चित लाभ की प्राप्ति होती है।
  3. साइटिका : हारसिंगार या पारिजात के पत्तों को धीमी आंच पर उबालकर काढ़ा बना लें। इसे साइटिका के रोगी को सेवन कराने से लाभ मिलता है। यह बंद रक्त की नाड़ियों को खोल देता है यही कारण है की ये साइटिका में कारगर है।
  4. बालों का झड़ना या गंजेपन का रोग : हारसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल आना शुरू हो जाते हैं। जड़ो से नये बाल फूटने लगते है।
  5. चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया : इस के पत्ते को पीस कर गरम पानी में डाल के पीजिये तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दवा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है; जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है। हारसिंगार के 7-8 पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार समाप्त हो जाता है।
  6. बवासीर : पारिजात बवासीर के निदान के लिए रामबाण औषधी है। इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। पारिजात के बीज का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से बवासीर के रोगी को राहत मिलती है।
  7. यकृत या लिवर : 7-8 हारसिंगार के पत्तों के रस को अदरक के रस और शहद के सुबह-शाम सेवन करने से यकृत और प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि ठीक हो जाती है।
  8. हृदय रोग : इसके फूल हृदय के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं। वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलों के रस का सेवन किया जाए तो हृदय रोग से बचा जा सकता है।
  9. दाद : हारसिंगार की पत्तियों को पीसकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है। दाद में ये बहुत चमत्कारी औषिधि है।
  10. सूखी खाँसी : इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी ठीक हो जाती है।
  11. त्वचा रोगों में : इसी तरह पारिजात की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधि रोग ठीक हो जाते हैं। पारिजात की पत्तियों से बने हर्बल तेल का भी त्वचा रोगों में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है।
  12. श्वास या दमा का रोग : हारसिंगार की छाल का चूर्ण 1 से 2 रत्ती पान में रखकर प्रतिदिन 3-4 बार खाने से कफ का चिपचिपापन कम होकर श्वास रोग (दमा) में लाभकारी होता है।
  13. क्रोनिक बुखार : पारिजात की कोंपल को यदि पाँच काली मिर्च के साथ महिलाएँ सेवन करें तो महिलाओं को स्त्री रोग में लाभ मिलता है। वहीं पारिजात के बीज जहाँ बालों के लिए शीरप का काम करते हैं तो इसकी पत्तियों का जूस क्रोनिक बुखार को ठीक कर देता है।
  14. खुजली : हारसिंगार के पत्ते और नाचकी का आटा मिलाकर पीसकर लगाने या दही में सोनागेरू घिसकर पिलाने या हरसिंगार के पत्ते दूध में पीसकर लेप करने से लाभ मिलता है।

कृपया ध्यान रहे : 
  • हारसिंहार खांसी में नुकसानदायक है। हारसिंगार के दोषों को दूर करने के लिए कुटकी का उपयोग किया जाता है।

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पाकिस्तान के पास जो सबसे बड़ा हथियार है वह उसका परमाणु बम नहीं ...
 वे 33 करोड़ मुसलमान हैं जो हमारे देश में रह रहे हैं....
यह स्ट्रेटेजिक डॉक्ट्राइन 80 के दशक में जनरल जिया-उल-हक ने दी थी. उसने कहा था कि जब भारत में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान हैं तो हमें अपने फौजी लड़ने के लिए भेजने की क्या जरूरत है?
तब से पाकिस्तान ने भारत के मुसलमानों को रेडिकलाइज (उग्र) करने में इन्वेस्ट (funding)करना शुरू किया. भारत की कॉन्ग्रेस सरकार ने indirectly एक तरह से समर्थन दे दिया।
अगर बिलकुल कट्टर याने दंगाई मुसलामानों की भी जोड़ेंगे तो ये पूरे भारत की फौजों से तीस - पेंतीस गुना ज्यादा पड़ेंगे। अब अगर पाकिस्तान इन्हें भारत में दंगे-फसाद फैलाने का सिग्नल दे दे, तो आप कैसे संभालोगे?
बाकी के बचे मुसलमान भी या तो मूक दर्शक बनकर हवा का रुख भांपेंगे, या शोर मचाएँगे कि मुसलमानों के साथ कितना अत्याचार हो रहा है. वामपंथी पुरस्कार लौटाने लगेंगे और कांग्रेस जैसे दल सियार की तरह 'हुआँ हुआँ' करने लगेंगे। अगर दो-चार प्रतिशत मुसलमान सचमुच इसके विरोध में भी होंगे तो वे वैसे ही अप्रासंगिक होंगे जैसे 1947 के पहले थे.
भारत के अलग-अलग शहरों में किसी ना किसी बहाने से पचास हजार-एक लाख और ढाई लाख तक मुसलमान मारकाट करने को जुटे हैं, इसलिए कोई कल्पना मत समझिये। हाल ही में पश्चिम बंगाल मालदा की घटना आपके सामने है.
मुंबई के हिंसक प्रदर्शन आप देख चुके भुगत चुके हैं. कभी किसी हिन्दू त्योहार के मौके पर, या कहीं पैगम्बर से गुस्ताखी के विरोध के बहाने से. यह सब उसी मारक हथियार की मिकेनिज्म को दंगे के बहाने पाकिस्तान टेस्ट करता है।
आतंकी हमलों के विरोध में पाकिस्तान पर आस्तीनें चढ़ाना अपनी जगह है. पर कोई लड़ाई छेड़ने से पहले यह सोच लीजिए कि उनके इस हथियार का आपके पास क्या जवाब है? इस लड़ाई को सरकार तो नहीं लड़ पायेगी, सब आपके हाथ होगा, क्योंकि सेना देश के हरेक मोहल्ले में तो नहीं जाएगी।
(पिछले साल की पोस्ट)
अरून शुक्ला
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आर्मी ..मोदी ..और मेरे अनुभव !!!
दौर था वर्ष 1990 .91 का ...उस समय कश्मीर में तैनात सुरक्षावलो के आत्मविश्वास को तत्कालीन सरकार ने अत्यंत कमजोर कर दिया था ...चरम आतंकवाद के दौर में एक आतंकवादी को भी मारने के बाद सुरक्षावलो को तमाम तरह की सफाई और सबूत देने होते थे ......दिन ढलने के बाद रातो को सुरक्षा वलो से मुलाक़ात में उनका दर्द सुनने को मिलता था ...आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षावलो के हाँथ लगभग बाँध रक्खे थे सरकार ने ..उस दौर के अर्जित मेरे अनुभव आज भी मेरे जेहन में ज़िंदा है ..समय गुजरता रहा ...
 फिर दौर आया अटल विहारी बाजपेयी की राजग सरकार का ..उस दौर में भी अल्पमत सरकार होने के कारण बैसा माहौल नहीं बन पाया जैसा पिछले तीन सालो में बना .कुछ समय पहले जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर रामवन के पास BSF और Army के अधिकारियों से कई मुलाकाते हुयी ....मेरा सवाल था ..पहले के दौर और मोदी सरकार में आप क्या फर्क पाते है ..उत्तर था .हम फायर करने से पहले दो बार नहीं सोचते ,.अब दिल्ली की सरकार हमारे साथ है ...दुश्मन के खिलाफ हमारा फायर अनुपात कभी कभी 01 : 10 का भी होता है ..खैर ये तथ्य हुए थोड़े से पुराने .
.आज बंगाल से बापसी की यात्रा में ट्रेन में कई फौजियों से मुलाक़ात हुयी जिनमे से कुछ सेना में थे और कुछ BSF में .चर्चा के दौरान मेरा वही पुराना सवाल ...मोदी युग में आप कैसा महसूस करते हो भाई ..सभी का उत्तर था .आज तक ऐसा प्रधानमन्त्री नहीं देखा ..OROP , सेना को मिल रहे नए आधुनिक हथियार तथा माहौल महसूस कराता है की सच में दिल्ली में बैठा देश का प्रधान जनसेवक हमारे दर्द और मेहनत को महसूस कर रहा है !

पवन अवस्थी
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sanskar-dec

घर से जब भी बाहर जाये*
*तो घर में विराजमान अपने प्रभु से जरूर मिलकर जाएं*
*और*
*जब लौट कर आए तो उनसे जरूर मिले*
*क्योंकि*
*उनको भी आपके घर लौटने का इंतजार रहता है*
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"घर" में यह नियम बनाइए की जब भी आप घर से बाहर निकले तो घर में मंदिर के पास दो घड़ी खड़े रह कर "प्रभु चलिए..आपको साथ में रहना हैं"..!
ऐसा बोल कर ही निकले क्यूँकि आप भले ही *"लाखों की घड़ी" हाथ में क्यूँ ना पहने हो पर "समय" तो "प्रभु के ही हाथ" में हैं न*

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एक बार एक कुत्ते और गधे के बीच शर्त लगी कि जो जल्दी से जल्दी दौडते हुए दो गाँव आगे रखे एक सिंहासन पर बैठेगा...
वही उस सिंहासन का अधिकारी माना जायेगा, और राज करेगा.
जैसा कि निश्चित हुआ था, दौड शुरू हुई.
कुत्ते को पूरा विश्वास था कि मैं ही जीतूंगा.
क्योंकि ज़ाहिर है इस गधे से तो मैं तेज ही दौडूंगा.
पर अागे किस्मत में क्या लिखा है ... ये कुत्ते को मालूम ही नही था.
शर्त शुरू हुई .
कुत्ता तेजी से दौडने लगा.
पर थोडा ही आगे गया न गया था कि अगली गली के कुत्तों ने उसे लपकना ,नोंचना ,भौंकना शुरू किया.
और ऐसा हर गली, हर चौराहे पर होता रहा..
जैसे तैसे कुत्ता हांफते हांफते सिंहासन के पास पहुंचा..
तो देखता क्या है कि गधा पहले ही से सिंहासन पर विराजमान है.
तो क्या...!
गधा उसके पहले ही वहां पंहुच चुका था... ?
और शर्त जीत कर वह राजा बन चुका था.. !
और ये देखकर
निराश हो चुका कुत्ता बोल पडा..
अगर मेरे ही लोगों ने मुझे आज पीछे न खींचा होता तो आज ये गधा इस सिंहासन पर न बैठा होता ...
तात्पर्य ...
अपने लोगों को काॅन्फिडेंस में लो. सबको साथ रखो। मिल जुलकर रहो.
उमा शंकर सिंह
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रस्सी कूदने का शौक कई सारे लोगों को होता है। अधिकतर रस्सी कूदना लड़कियों को बहुत अधिक पसंद होता है। जब भी हम रस्सी कूदते है तो हमें अपने स्कूल के दिन अवश्य ही याद आ जाते हैं। अगर आप रोजाना रस्सी कूदते है तो आपको कोई भी एक्सरसाइज करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती। रस्सी कूदना जितना आसान है उतना ही यह हमारी सेहत के लिए फायदेमंद भी है। आज हम आपको बताते है कि रस्सी कूदने से क्या-क्या फायदे होते हैं।

रस्सी कूदने के कुछ महत्वपूर्ण फायदे :

1. पूरे शरीर की कसरत
रस्सी कूदने से पूरे शरीर की कसरत हो जाती है। इससे आपके शरीर में चुस्ती, ताकत और हर काम को करने के क्षमता बढ़ती है।

2. दिमाग होता है तेज
कई बार हम काम करके बोर हो जाते है और फ्रेश होने के लिए रस्सी कूदते है। एेसा करने से हमारा दिमाग फिर से काम करना शूरू कर देता है। इससे आपका दिमाग अधिक चलता है और पैरों पर इतना प्रेशर नहीं पड़ता।
3. वजन करें कम
लोग वजन कम करने के लिए सुबह सैर करने जाते हैं लेकिन शायद आप यह नहीं जानते कि रस्सी कूदने से जल्दी वजन कम होता है। अगर आप भी वजन कम करना चाहते है कि रस्सी कूदना शूरू करें।

4. सांस लेने की क्षमता
रस्सी कूदने से आपकी सांस लेनी की क्षमता बढ़ती है। स्वास्थ्य रहने के लिए हम कई तरह की एक्सरसाइज करते है जिसमें हम अपनी सांस को भी कुछ समय तक रोकते है। वहीं रस्सी कूदते समय आपको सांस रोकनी नहीं पड़ती।
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 जिसने 13 साल में एवरेस्ट फतह कर 

बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड...

जो सोचते हैं कि लड़कियां हर काम नहीं कर सकतीं। उनके लिए मालावथ पूर्णा एक मिसाल है। सिर्फ 13 साल की उम्र में एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी छूकर पूर्णा ये साबित कर दिया कि लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं। तेलंगाना के छोटे से पकाला गांव में रहने वाली पूर्णा देखते ही देखते एक ऐसी शख्सिायत बन गई हैं, जिसके बारे में जानने और जिसकी सफलता की कहानी सुनने को हर आदमी उत्सुक है।माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी को सबसे कम उम्र में छूने वाली दुनिया की दूसरी और भारत की पहली व्यक्तिं हैं और दुनिया की पहली लड़की हैं। दरअसल, पूर्णा ने जब एवरेस्ट की चढ़ाई की तब वो 13 साल 11 महीने की थीं, जबकि जॉर्डन रोमेरो ने 13 साल 10 महीने की उम्र में यह कारनामा किया था।इसके लिए पूर्णा को कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। उस वक्त पूर्णा तेलंगाना के गवर्नमेंट स्कूल की नौंवी क्लास में पढ़ती थी। उनका स्कूल रेसीडेंशियल था, इसलिए बाहरी दुनिया की बहुत कम चीज़ों से वाकिफ थी। एक दिन रॉक क्लाइम्बिंग स्कूल से एक टीम आई जो माउंटेनियरिंग ट्रेनिंग के लिए स्टूडेंट्स सिलेक्ट कर रही थी। आठ महीने तक फिज़िकल और मेंटल ट्रेनिंग दी गई। दार्जलिंग, सिक्किम और लद्दाख में हमें जॉगिंग, ट्रेकिंग, वेट कैरिंग जैसी एक्सरसाइज़ और मेडिटेशन के ज़रिए माउंटेनियरिंग के लिए तैयार किया गया। 110 में से केवल दो स्टूडेंट्स का सिलेक्शन किया गया। उसमें से पूर्णा एक थी।पूर्णा ने 25 मई 2014 को क्लाइंबिंग स्टार्ट की। 54 दिन में पूर्णा एवरेस्ट फतह करके वापस आ गई। पूर्णा जब नीचे आई तब उनको पता चला कि उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया है। वो माउंट एवरेस्ट समित करने वाली सबसे कम उम्र की पर्वतारोही हैं।पूर्णा को इस दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई बार वो विचलित भी हुई लेकिन हिम्मत नहीं हारी। ऊंचाई, बफिर्ली हवाएं, सब ज़ीरो टेम्परेचर और मेंटल स्टेट, ऐसी कई चुनौतियां आपको ऊपर चढ़ने से रोकती हैं। क्लाइम्बिंग के दौरान कई माउंटेनियर्स की डेड बॉडीज भी रास्तों में मिलती हैं जो सालों से वहीं पड़ी हैं।लेकिन पूर्णा ने अपना ध्यान समिट करने में लगा रखा था। आखिरकार पूर्णा ने वो कर दिखाया, जो पर्वातारोहियों का सपना होता है।
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जसवंत थड़ा 

जोधपुर दुर्ग मेहरानगढ़ के पास ही सफ़ेद संगमरमर का एक स्मारक बना है जिसे जसवंत थड़ा कहते है। इसे सन 1899 में जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह जी (द्वितीय)(1888-1895) की यादगार में उनके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था। यह स्थान जोधपुर राजपरिवार के सदस्यों के दाह संस्कार के लिये सुरक्षित रखा गया है। इससे पहले राजपरिवार के सदस्यों का दाह संस्कार मंडोर में हुआ करता था। इस विशाल स्मारक में संगमरमर की कुछ ऐसी शिलाएँ भी दिवारों में लगी है जिनमे सूर्य की किरणे आर-पार जाती हैं। इस स्मारक के लिये जोधपुर से 250 कि, मी, दूर मकराना से संगमरमर का पत्थर लाया गया था। स्मारक के पास ही एक छोटी सी झील है जो स्मारक के सौंदर्य को और बढा देती है इस झील का निर्माण महाराजा अभय सिंह जी (1724-1749) ने करवाया था।

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चेतक की अपने मालिक के प्रति वफ़ादारी
महाराणा प्रताप के साथ-साथ चेतन भी किसी सम्माननीय शक्सियत से कम नही था।
कहा जाता है की चेतक बहुत ही समझदार और वीर घोड़ा था। हल्दीघाटी में अकबर के साथ युद्ध के समय चेतक महाराणा प्रताप का बड़ा सहयोगी था। उस समय चेतक ने अपनी जान दांव पर लगाकर 25 फुट गहरे दरिया से कूदकर महाराणा प्रताप की रक्षा की थी| हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप विजयी हुए लेकीन युद्ध में बुरी तरह घायल होने पर महाराणा प्रताप को रणभूमि छोड़नी पड़ी थी और अंत में इसी युद्धस्थल के पास चेतक घायल हो कर उसकी मृत्यु हो गयी।

हिंदी कवि श्याम पाण्डेय द्वारा लिखी गयी कविता “चेतक की वीरता” में चेतक का पूरा वर्णन दिया हुआ हैं| हल्दीघाटी में आज भी चेतक का मंदिर बना हुआ है और वहा चेतक के पराक्रम कथा वर्णित हुई है।
वास्तव में चेतक काफी उत्तेजित और फुर्तीला था और वो खुद अपने मालिक को ढूंडता था, चेतक ने महाराणा प्रताप को ही अपने मालक के रूप में चुना था। कहा जाता है की महाराणा प्रताप और चेतक के बीच एक गहरा संबंध था। वास्तव में यदि देखा जाए तो महाराणा प्रताप भी चेतक को बहुत चाहते थे।
वह केवल इमानदार और फुर्तीला ही नही बल्कि निडर और शक्तिशाली भी था।
उस समय चेतक की अपने मालिक के प्रति वफ़ादारी किसी दुसरे राजपूत शासक से भी ज्यादा बढ़कर थी। अपने मालिक कि अंतिम साँस तक वह उन्ही के साथ था और युद्धभूमी से भी वह अपने घायल महाराज को सुरक्षित रूप से वापिस ले आया था। इस बात को देखते हुए हमें इस बात को वर्तमान में मान ही लेना चाहिए की भले ही इंसान वफादार हो या ना हो, जानवर हमेशा वफादार ही होते है।
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