Friday 7 February 2014

जहाँ तिरंगा नहीं मिलेगा उनकी खैर नहीं होगी....

राजमहल को शर्म नहीं है घायल होती धाती पर,
भारत मुर्दाबाद लिखा है श्रीनगर की छाती पर ;

मन करता है फूल चढ़ा दूं लोकतंत्र की अर्थी पर,
भारत के बेटे निर्वासित हैं अपनी ही धरती पर।

वे घाटी से खेल रहे हैं गैरों के बलबूतेपर,
जिनकी नाक टिकी रहती है पाकिस्तानी जूतों पर!

माओवादियों को साथी बनाकर वनांचल से खेलें वो,
वोटों के खातिर, अपने लोगों के प्राण तक ले लें वो ;

अब केवल आवश्यकता है हिम्मत की,खुद्दारी की,
दिल्ली में मोदी जी को मोहलत दे दो तैय्यारी की।
सेना को आदेश थमा दो, घाटी ग़ैर नहीं होगी,
जहाँ तिरंगा नहीं मिलेगा उनकी खैर नहीं होगी....

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