Thursday, 27 September 2012

भारत की मीडिया


सन २००५ में एक
फ़्रांसिसी पत्रकार
भारत दौरे पर आया उसका नाम फ़्रैन्कोईस था उसने भारत में हिंदुत्व के ऊपर हो रहे
अत्याचारों के बारे में
अध्ययन किया और उसने फिर बहुत हद तक इस कार्य के लिए
मीडिया को जिम्मेवार
ठहराया. फिर उसने
पता करना शुरू किया तो वह आश्चर्य चकित रह गया की भारत
में चलने वाले न्यूज़ चैनल, अखबार वास्तव में भारत के है ही नहीं…

फिर मैंने एक लम्बा अध्ययन किया उसमे
निम्नलिखित जानकारी निकल कर आई जो मै आज सार्वजानिक कर रहा हुँ....
विभिन्न मीडिया समूह
और उनका आर्थिक
सोत्र ..

१- दि हिन्दू-जोशुआ
सोसाईटी, बर्न, स्विट्जरलैंड, इसके संपादक एन राम,
इनकी पत्नी ईसाई में
बदल चुकी है.

२- एन डी टी वी-गोस्पेल ऑफ़ चैरिटी, स्पेन, यूरोप

३- सी.एन.एन, आई.बी.एन.७, सी.एन.बी.सी-१०० %
आर्थिक सहयोग द्वारा साउदर्न बैपिटिस्ट चर्च

४- दि टाइम्स ऑफ़ इंडिया, नवभारत, टाइम्स नाऊ-बेनेट एंड कोल्मान द्वारा संचालित, ८०% फंड
वर्ल्ड क्रिस्चियन काउंसिल द्वारा, बचा हुआ २०% एक अँगरेज़ और इटैलियन
द्वारा दिया जाता है.
इटैलियन व्यक्ति का नाम रोबेर्ट माइन्दो है
जो यु.पी.ए. अध्यक्चा सोनिया गाँधी का निकट सम्बन्धी है.

५-हिन्दुस्तान टाइम्स,
दैनिक हिन्दुस्तान-मालिक बिरला ग्रुप लेकिन टाइम्स ग्रुप के साथ जोड़ दिया गया है...

६- इंडियन एक्सप्रेस-इसे दो भागो में बाँट
दिया गया है, दि इंडियन एक्सप्रेस और न्यू इंडियन एक्सप्रेस (साउदर् एडिसन)

७- दैनिक जागरण ग्रुप-इसके एक प्रबंधक समाजवादी पार्टी से राज्य सभा में सांसद है यह एक
मुस्लिम्वादी पार्टी है.

८- दैनिक सहारा-इसके प्रबंधन सहारा समूह देखती है इसके निदेशक सुब्रोतो राय
भी समाजवादी पार्टी के बहुत मुरीद है

९- आंध्र ज्योति-हैदराबाद की एक मुस्लिम पार्टी एम् आई एम् (MIM) ने इसे कांग्रेस के एक मंत्री के साथ कुछ साल
पहले खरीद लिया

१०- स्टार टीवी ग्रुप-सेन्ट पीटर पोंतिफिसिअल चर्च, मेलबर्न,ऑस्ट्रेलिया

११- दि स्टेट्स मैन-कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़
इंडिया द्वारा संचालित

इस तरह से एक लम्बी लिस्ट हमारे सामने है जिससे ये पता चलता है की भारत की मीडिया भारतीय बिलकुल भी नहीं है.. और जब इनकी फंडिंग विदेश से होती है तो भला भारत के बारे में कैसे सोच सकते है...

अपने को पाक साफ़ बताने वाली मीडिया के भ्रस्टाचार की चर्चा करना यहाँ पर पूर्णतया उचित ही होगा,,,, बरखा दत्त
जैसे लोग जो की भ्रस्टाचार का रिकार्ड कायम किया है उनके भ्रस्ताचरण की चर्चा दूर दूर तक है, इसके अलावा आप लोगो को शायद न मालूम हो पर आपको बता दूँ की ये १००% सही बात है की NDTV की एंकर बरखा दत्त ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है....

प्रभु चावला जो की खुद रिलायंस के मामले में सुप्रीम कोर्ट में फैसला फिक्स कराते हुए पकडे गए उनके सुपुत्र आलोक चावला, अमर उजाला के बरेली संस्करण
में घोटाला करते हुए पकडे गए.

दैनिक जागरण ग्रुप ने
अवैध तरीके से एक ही रजिस्ट्रेसन नम्बर पर बिहार में कई जगह पर गलत ढंग से स्थानीय संस्करण प्रकाशित किया जो की कई साल बाद में पकड़ में आया और इन अवैध संस्करणों से सरकार को २०० करोड़ का घटा हुआ.

दैनिक हिन्दुस्तान ने
भी जागरण के नक्शे कदम पर चलते हुए यही काम किया उसने भी २०० करोड़ रुपये का नुकसान सरकार
को पहुचाया इसके लिए हिन्दुस्तान के मुख्य संपादक शशि शेखर के ऊपर मुक़दमा भी दर्ज हुआ है..

शायद यही कारण है
की भारत की मीडिया भी काले धन, लोकपाल जैसे मुद्दों पर सरकार के साथ
ही भाग लेती है..

सभी लोगो से अनुरोध है की इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो के पास पहुचाये
ताकि दूसरो को नंगा करने वाले मीडिया की भी सच्चाई का पता लग सके ।
 Mahendra Singh

खाद्य सुरक्षा विभाग के खिलाफ मानहानि का दावा करेंगेः स्वामी रामदेव जी



योग गुरू स्वामी रामदेव जी ने उनके प्रतिष्ठानों को बदनाम करने वाले खाद्य सुरक्षा विभाग के खिलाफ मानहानि का दावा करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि विभाग ने केवल लेबल प्रिटिंग और मिस ब्रांडिंग के आरोप लगाए हैं। इन आरोपों में इसलिए भी कोई दम नहीं है कि लेबल मापदंड का पालन करने के लिए उनके पास अभी चार महीने का समय शेष है। 

स्वामी रामदेव जी ने कहा कि जब भी वह कोई आंदोलन शुरू करते हैं तभी उनके प्रतिष्ठानों को बदनाम करने की साजिश की जाती है। बुधवार को पत्रकारों से स्वामी रामदेव जी ने कहा कि सरकारी एजेंसियां षड़यंत्र के तहत उनके खिलाफ काम कर रही हैं। कैंसरग्रस्त कांग्रेस सरकार ऐसा व्यवहार कर रही है मानो वे राष्ट्रद्रोही हों। 

स्वामी रामदेव जी ने कहा कि गुणवत्ता की दृष्टि से उनके प्रोडक्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरे हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा लेबल प्रिटिंग या मिस ब्रांडिंग के आरोप लगाए गए हैं। एफएसएसएआई के निर्देशानुसार लेबलिंग की जा रही थी। अब एफएसएसएआई ने नए निर्देश भेजकर लेबल चेंज करने को कहा है। 95 प्रतिशत लेबल बदले जा चुके हैं। लेबलिंग मापदंड पालन के लिए सरकार की ओर से दिया गया समय चार फरवरी, 2013 तक है। अभी चार महीने का समय शेष रहते हुए इस तरह की कार्रवाई शर्मनाक है।

स्वामी रामदेव जी ने कहा कि सरकार के षड़यंत्र का उनके आंदोलन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। नौ अगस्त के आंदोलन से पूर्व आचार्य बालकृष्ण जी को जबरन गिरफ्तार किया गया था। अब दो अक्तूबर के आंदोलन से घबराकर बेवजह रिपोर्ट का हल्ला मचाया गया है। उन्होंने कहा कि न्यायालय में अपने हक की लड़ाई लड़ी जाएगी तथा खाद्य सुरक्षा विभाग के खिलाफ मानहानि का दावा किया जाएगा। गुरुवार से भारत स्वाभिमान के दो हजार कार्यकर्ता हरिद्वार जिले के गांव-गांव फैलकर सरकार के काले कारनामों को उजागर करेंगे।

ब्रह्मास्त्र, आग्नेयास्त्र जैसे अस्त्र अवश्य ही परमाणु शक्ति से सम्पन्न थे,

आधुनिक भारत में अंग्रेजों के समय से जो इतिहास पढाया जाता है वह चन्द्रगुप्त मौर्य के वंश से आरम्भ होता है। उस से पूर्व के इतिहास को ‘ प्रमाण-रहित’ कह कर नकार दिया जाता है। हमारे ‘देसी अंग्रेजों’ को यदि सर जान मार्शल प्रमाणित नहीं करते तो हमारे ’बुद्धिजीवियों’ को विशवास ही नहीं होना था कि हडप्पा और मोइन जोदडो स्थल ईसा से लग भग 5000 वर्ष पूर्व के
 समय के हैं और वहाँ पर ही विश्व की प्रथम सभ्यता ने जन्म लिया था।

विदेशी इतिहासकारों के उल्लेख

विश्व की प्राचीनतम् सिन्धु घाटी सभ्यता मोइन जोदडो के बारे में पाये गये उल्लेखों को सुलझाने के प्रयत्न अभी भी चल रहे हैं। जब पुरातत्व शास्त्रियों ने पिछली शताब्दी में मोइन जोदडो स्थल की खुदाई के अवशेषों का निरीक्षण किया था तो उन्हों ने देखा कि वहाँ की गलियों में नर-कंकाल पडे थे। कई अस्थि पिंजर चित अवस्था में लेटे थे और कई अस्थि पिंजरों ने एक दूसरे के हाथ इस तरह पकड रखे थे मानों किसी विपत्ति नें उन्हें अचानक उस अवस्था में पहुँचा दिया था।

उन नर कंकालों पर उसी प्रकार की रेडियो -ऐक्टीविटी के चिन्ह थे जैसे कि जापानी नगर हिरोशिमा और नागासाकी के कंकालों पर एटम बम विस्फोट के पश्चात देखे गये थे। मोइन जोदडो स्थल के अवशेषों पर नाईट्रिफिकेशन के जो चिन्ह पाये गये थे उस का कोई स्पष्ट कारण नहीं था क्यों कि ऐसी अवस्था केवल अणु बम के विस्फोट के पश्चात ही हो सकती है।

मोइनजोदडो की भूगोलिक स्थिति

मोइन जोदडो सिन्धु नदी के दो टापुओं पर स्थित है। उस के चारों ओर दो किलोमीटर के क्षेत्र में तीन प्रकार की तबाही देखी जा सकती है जो मध्य केन्द्र से आरम्भ हो कर बाहर की तरफ गोलाकार फैल गयी थी। पुरात्तव विशेषज्ञ्यों ने पाया कि मिट्टी चूने के बर्तनों के अवशेष किसी ऊष्णता के कारण पिघल कर ऐक दूसरे के साथ जुड गये थे। हजारों की संख्या में वहां पर पाये गये ढेरों को पुरात्तव विशेषज्ञ्यों ने काले पत्थरों ‘बलैक -स्टोन्स’ की संज्ञा दी। वैसी दशा किसी ज्वालामुखी से निकलने वाले लावे की राख के सूख जाने के कारण होती है। किन्तु मोइन जोदडो स्थल के आस पास कहीं भी कोई ज्वालामुखी की राख जमी हुयी नहीं पाई गयी।

निशकर्ष यही हो सकता है कि किसी कारण अचानक ऊष्णता 2000 डिग्री तक पहुँची जिस में चीनी मिट्टी के पके हुये बर्तन भी पिघल गये । अगर ज्वालामुखी नहीं था तो इस प्रकार की घटना अणु बम के विस्फोट पश्चात ही घटती है।
महाभारत के आलेख

इतिहास मौन है परन्तु महाभारत युद्ध में महा संहारक क्षमता वाले अस्त्र शस्त्रों और विमान रथों के साथ ऐक एटामिक प्रकार के युद्ध का उल्लेख भी मिलता है। महाभारत में उल्लेख है कि मय दानव के विमान रथ का परिवृत 12 क्यूबिट था और उस में चार पहिये लगे थे। देव दानवों के इस युद्ध का वर्णन स्वरूप इतना विशाल है जैसे कि हम आधुनिक अस्त्र शस्त्रों से लैस सैनाओं के मध्य परिकल्पना कर सकते हैं। इस युद्ध के वृतान्त से बहुत महत्व शाली जानकारी प्राप्त होती है। केवल संहारक शस्त्रों का ही प्रयोग नहीं अपितु इन्द्र के वज्र अपने चक्रदार रफलेक्टर के माध्यम से संहारक रूप में प्रगट होता है। उस अस्त्र को जब दाग़ा गया तो ऐक विशालकाय अग्नि पुंज की तरह उस ने अपने लक्ष्य को निगल लिया था। वह विनाश कितना भयावह था इसका अनुमान महाभारत के निम्न स्पष्ट वर्णन से लगाया जा सकता हैः-

“अत्यन्त शक्तिशाली विमान से ऐक शक्ति – युक्त अस्त्र प्रक्षेपित किया गया…धुएँ के साथ अत्यन्त चमकदार ज्वाला, जिस की चमक दस हजार सूर्यों के चमक के बराबर थी, का अत्यन्त भव्य स्तम्भ उठा…वह वज्र के समान अज्ञात अस्त्र साक्षात् मृत्यु का भीमकाय दूत था जिसने वृष्ण और अंधक के समस्त वंश को भस्म करके राख बना दिया…उनके शव इस प्रकार से जल गए थे कि पहचानने योग्य नहीं थे. उनके बाल और नाखून अलग होकर गिर गए थे…बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के बर्तन टूट गए थे और पक्षी सफेद पड़ चुके थे…कुछ ही घण्टों में समस्त खाद्य पदार्थ संक्रमित होकर विषैले हो गए…उस अग्नि से बचने के लिए योद्धाओं ने स्वयं को अपने अस्त्र-शस्त्रों सहित जलधाराओं में डुबा लिया…”

उपरोक्त वर्णन दृश्य रूप में हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु विस्फोट के दृश्य जैसा दृष्टिगत होता है।

ऐक अन्य वृतान्त में श्री कृष्ण अपने प्रतिदून्दी शल्व का आकाश में पीछा करते हैं। उसी समय आकाश में शल्व का विमान ‘शुभः’ अदृष्य हो जाता है। उस को नष्ट करने के विचार से श्री कृष्ण नें ऐक ऐसा अस्त्र छोडा जो आवाज के माध्यम से शत्रु को खोज कर उसे लक्ष्य कर सकता था। आजकल ऐसे मिस्साईल्स को हीट-सीकिंग और साऊड-सीकरस कहते हैं और आधुनिक सैनाओं दूारा प्रयोग किये जाते हैं।

राजस्थान से भी…
प्राचीन भारत में परमाणु विस्फोट के अन्य और भी अनेक साक्ष्य मिलते हैं। राजस्थान में जोधपुर से पश्चिम दिशा में लगभग दस मील की दूरी पर तीन वर्गमील का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर रेडियोएक्टिव राख की मोटी सतह पाई जाती है, वैज्ञानिकों ने उसके पास एक प्राचीन नगर को खोद निकाला है जिसके समस्त भवन और लगभग पाँच लाख निवासी आज से लगभग 8,000 से 12,000 साल पूर्व किसी विस्फोट के कारण नष्ट हो गए थे।

‘लक्ष्मण-रेखा’ प्रकार की अदृष्य ‘इलेक्ट्रानिक फैंस’ तो कोठियों में आज कल पालतु जानवरों को सीमित रखने के लिये प्रयोग की जातीं हैं, अपने आप खुलने और बन्द होजाने वाले दरवाजे किसी भी माल में जा कर देखे जा सकते हैं। यह सभी चीजे पहले आशचर्य जनक थीं परन्तु आज ऐक आम बात बन चुकी हैं। ‘मन की गति से चलने वाले’ रावण के पुष्पक-विमान का ‘प्रोटोटाईप’ भी उडान भरने के लिये चीन ने बना लिया है।

निस्संदेह रामायण तथा महाभारत के ग्रंथकार दो प्रथक-प्रथक ऋषि थे और आजकल की सैनाओं के साथ उन का कोई सम्बन्ध नहीं था। वह दोनो महाऋषि थे और किसी साईंटिफिक – फिक्शन के थ्रिल्लर – राईटर नहीं थे। उन के उल्लेखों में समानता इस बात की साक्षी है कि तथ्य क्या है और साहित्यक कल्पना क्या होती है। कल्पना को भी विकसित होने के लिये किसी ठोस धरातल की आवश्यक्ता होती है।
हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित ब्रह्मास्त्र, आग्नेयास्त्र जैसे अस्त्र अवश्य ही परमाणु शक्ति से सम्पन्न थे, किन्तु हम स्वयं ही अपने प्राचीन ग्रंथों में वर्णित विवरणों को मिथक मानते हैं और उनके आख्यान तथा उपाख्यानों को कपोल कल्पना, हमारा ऐसा मानना केवल हमें मिली दूषित शिक्षा का परिणाम है जो कि, अपने धर्मग्रंथों के प्रति आस्था रखने वाले पूर्वाग्रह से युक्त, पाश्चात्य विद्वानों की देन है, पता नहीं हम कभी इस दूषित शिक्षा से मुक्त होकर अपनी शिक्षानीति के अनुरूप शिक्षा प्राप्त कर भी पाएँगे या नहीं।

खुद को भारतीय कहने वालो गर्व करो 

Saturday, 15 September 2012

भारत को अमेरिका का बाजार बना के रख देंगे

अब सारे एन्जीनेरिंग कॉलेज पोलिटेक्निक कॉलेज बंद करके ताला लगाओ, आर्मी छोडो, एन्जिनारिंग छोडो, मेडिकल छोडो, एम् बी ए छोडो, सरकारी नौकरी भी छोडो और सब सेल्समेन बनने के लिए तैयार हो जाओ कांग्रेस पार्टी ने रिटेल खोल कर सबके लिए वाल मार्ट में 5000-10000 के सेल्समेन की नौकरी पक्की कर दी, अब पढ़ने की क्या जरुरत है, दसवी बारहवी करके ही सेल्समेन की नौकरी मिल जाएगी तो पहले मनरेगा में भारत को मजदूर बनाने के बाद अब यही बाकि रह गया था भारत को अमेरिका का बाजार बना के रख देंगे ये कांग्रेसी कीड़े. खुद तो देश को घुन की तरह खा गए और अब शिक्षा, व्यापार रोजगार सब चोपट करके रख देंगे, - Aditya Gautam

तभी तो होगा सोनिया, मनमोहन सिंह का भारत बर्बाद का सपना पूरा!!

अब किस मुद्दे को पकडे...???

भाजपा ने 2G घोटाले पर काँग्रेस को पकड़ना चाहा तब तक काँग्रेस ने CWG कर दिया, बहस का विषय CWG घोटाला हो गया, भाजपा अभी ढंग से CWG घोटाले पर काँग्रेस को घेर ही नहीं पाई की 2G पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया, फिर बहस का विषय 2G हो गया लोग CWG घोटाला भूल गए, अभी भाजपा 2G पर कुछ कर पाती तब तक काँग्रेस ने मैदान में टीम अन्ना उतार दी, देश का ध्यान टीम अन्ना और लोकपाल पर चला गया, लोकपाल से फुर्सत मिलते ही काँग्रेस ने COAL BLOCK घोटाला कर दिया, जबतक भाजपा कोयला घोटाले पर सरकार के खिलाफ माहौल बना पाती, काँग्रेस ने डीजल और गैस सिलेंडर के दाम बढ़ा दिए, अभी भाजपा ढंग से महंगाई पर बयान भी न दे पाई थी कि सरकार ने FDI और एविएशन में विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी | 

भाजपा अब किस मुद्दे को पकडे...?

Tuesday, 4 September 2012

मनमोहन सिंह के बारे में कुछ अनकहे अनसुने तथ्य ..........!!!


जिसके बारे में जान के आप के कान खड़े हो जायेंगे और दिमाग की बत्ती बुझ जाएगी ...
कुछ दिन पहले मनमोहन सिंह ने भारतीय सैनिको की आत्महत्या पर संसद में बयान दिया था कि''ऐसे छोटे मोटे हादसों का जिक्र संसद में ना किया करे''.
मनमोहन के उस बयान के बाद मेरे मन में सबाल उठा की आखिर देश के प्रधानमंत्री के पद पर बैठा इंसान अपने देश की सेनाओं के बारे में इतना संवेदनहीन कैसे हो सक्ता है ... इसके बाद ये विचार आया की इंसान संबेदनशील और खुश किसके प्रति होता है ... फिर ध्यान गया की इंसान कौन कौन सी गुलामी का शिकार हो सक्ता है .. तब विचार आया की गुलामी दो प्रकार की होती है ..

एक . मानसिक गुलामी ... दूसरी अहसानो में दब कर की जाने बाली गुलामी .....!!!
घटनाक्रम है इंदिरा गांधी द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल (Emergency ) का ..उस समय भारत की रिजर्व बैक का पदेन निदेशक था मनमोहन सिंह नाम का एक नौकरशाह ……..बर्ष 1977 जनतापार्टी की मोरारजी देसाई सरकार में एच ऍम पटेल देश के वित्तमंत्री थे और डाक्टर इन्द्रप्रसाद गोवर्धन भाई पटेल रिजर्ब बैंक आफ इण्डिया के गवर्नर .... उसी समय बैक आफ क्रेडिट एंड कामर्स इंटरनेशनल जिसका अध्यक्ष एक पाकिस्तानी था .. ने भारत में अपनी व्यावसायिक शाखा खोलने के लिये आवेदन दिया जब रिजर्व बैक आफ इण्डिया ने उसके आवेदन की जांच की तो पता चला की ये पाकिस्तानी बैंक काले धन को विदेशी बैंको में भेजने का काम करता है जिसे मनी लांड्रिंग कहते है इसलिए इसको अनुमति नहीं दी गयी ...........
इस वीच रिजर्व बैक के गवर्नर आई जी पटेल को प्रलोभन मिला की अगर बो इस बैक को अनुमति देने में सहयोग करते है तो उनके ससुर और प्रख्यात अर्थशास्त्री ए.के.दासगुप्ता के सम्मान में एक अंतराष्ट्रीय स्तर की संस्था खोली जायेगी ..पर ईमानदार गवर्नर उस प्रलोभन में नहीं फंसे ..
इस वीच आई जी पटेल की सेवानिवृत्ति का समय पास आ चुका था अंतिम दिनों में उनको पाकिस्तानी बैंक BCCI के मुम्बई प्रतिनिधि कार्यालय से एक फोन आया जिसमें उनसे निवेदन किया गया की बो BCCI के अध्यक्ष आगा हसन अबेदी से एक बार मुलाक़ात कर ले RBI के गवर्नर ने इसकी अनुमति दी लेकिन
मुलाक़ात से एक दिन पहले उनके पास फोन आया की अब मुलाक़ात की कोई जरुरत नहीं है क्यों की जो काम मुंबई में होना था अब दो दिल्ली में हो चुका है ..
साथ ही उनको बताया गया की बो जल्दी ही सेवानिवृत्त होने बाले है ..! समय 23-06-1980 के बाद का इंदिरा गाँधी के पुत्र संजीव गाँधी उर्फ संजय गांधी की म्रत्यु से खाली हुए शक्ति केंद्र पर राजीव गाँधी की पत्नी का कब्ज़ा ... उस समूह में शामिल थे बी. के नेहरु जिन्हें पाकिस्तानी बैंक BCCI ने पहले से ही सम्मानित कर रक्खा था ...!!
काल खंड 15-09-1982... भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर आई जी पटेल सेवानिवृत ..एक दिन बाद मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बने .....
काल खंड 14-01-1980 इंदिरा गाँधी फिर से देश की प्रधानमंत्री बनी केंद्रीय सत्ता के अज्ञात और अनाम समूह ने पाकिस्तानी बैंक BCCI के अध्यक्ष आगा हसन अबेदी को विश्वास दिलाया की मनमोहन सिंह ही भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बनेगे शायद इसीलिये अध्यक्ष आगा हसन अबेदी ने आई जी पटेल से मुम्बई में
अपनी मुलाक़ात केंसिल की थी ....!
कालखंड सन 1983 .भारतीय गुप्तचर एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस बिंग के बिरोध के बाबजूद पाकिस्तानी बैंक BCCI को मुम्बई में पूर्ण व्यावसायिक शाखा खोलने की अनुमति मिली जिसका मुख्यालय लंदन में .............! पाकिस्तानी मूल के नागरिक आगा हसन अबेदी की भारत के बित्त मंत्रालय में घुसपैठ का अंदाज इस बात से लगाए की उसको पहले ही सूचना मिल गयी की मनमोहन ही भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर होगे ... इस वीच मनमोहन की बेटी की बिदेश में पढ़ाई के लिये छात्रवृत्ति की व्यवस्था .........! 
15-09-1982 मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बने ..  इस पद पर उनको तीन साल का कार्यकाल पूरा करना था लेकिन इस वीच बोफोर्स कांड सामने आया और मनमोहन ने अज्ञात कारणों से समय से पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद छोड़ अपनी पोस्टिंग योजना आयोग में करवाई ...!
काल खंड बोफोर्स दलाली कांड के खुलासे के बाद का .... लोकसभा चुनाव के बाद बी.पी. सिंह देश के प्रधानमंत्री बने .. लेकिन इससे पहले ही मनमोहन सिंह नाम के नौकरशाह ने भारत छोड़ जिनेवा की राह पकड़ी और सेक्रेटरी जनरल एंड कमिश्नर साऊथ कमीशन जिनेवा में पद ग्रहण किया ............!
काल खंड 10-11-1990..... ... कांग्रेस के समर्थन/ बैशाखियों से चंद्रशेखर भारत के प्रधानमंत्री बने इसी दौर में फिर से मनमोहन सिंह ने जिनेवा की नौकरी छोड़ भारत की ओर रुख किया और राजीव गाँधी के समर्थन से बनी चंद्रशेखर सरकार में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार का पद ग्रहण किया .इसी वीच देश में
भुगतान संकट की स्थिति पैदा हुई और मनमोहन की सलाह पर भारत का कई टन सोना इंग्लैण्ड की बैंको में गिरवी रखना पड़ा ..जिसकी बदनामी आई प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के हिस्से में ...........!

कालखण्ड नरसिंह राव के प्रधानमंत्री बनने के समय का ..............
कांग्रेस की अल्पमत सरकार ने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के पांच सदस्यों सहित कई सांसदों को खरीद कर अपनी सरकार बचाई .. सरकार बचाने के इस रिश्वती खेल को नाम मिला ‘’झारखण्ड मुक्ति मोर्चा रिश्बत कांड’’ जिसका केस भारत की अदालत में भी चला और कुछ सांसदों को जेल जाना पड़ा ...........इसी सरकार
में मनमोहन सिंह नाम का नौकरशाह भारत का बित्त मंत्री बना....!
बाद के घटनाक्रम में कभी देश के बित्त मंत्री रहे प्रणव मुखर्जी के सचिब के रूप में प्रणब मुखर्जी के आधीन काम करने बाले इस नौकरशाह की ताकत और तिकडमो का अंदाज तो लगाईये की उन्ही प्रणब मुखर्जी को इस नौकरशाह की प्रधानमंत्रित्व के नीचे वित्त मंत्री के रूप में काम करना पड़ा .........
इनके खाते में शेयर बाजार का सबसे बड़ा घोटाला भी दर्ज है जिसे हर्षद मेहता कांड के नाम से जाना जाता है जिसमे देश की जनता को खरबो रुपये का चूना लगा था उस समय मनमोहन देश के वित्त मंत्री हुआ करते थे ... बाद के समय 2009 में इनकी सरकार बचाने के लिये एक बार फिर एक कांड हुआ जिसे देश .. कैश फार वोट नाम के घोटाले के रूप में जनता है .....इन सब बातो के बाबजूद अगर देश के जादातर नेता समाजसेवी ..बुद्धिजीवी और अन्ना जैसे अनशनकारी इनको व्यक्तिगत रूप से ईमानदार होने का सार्टिफिकेट देते है और भारत का मीडिया भी इनको मिस्टर क्लीन की उपाधि देता है ... तो इसे भारत का दुर्भाग्य कहा जाए या बिडंबना इसका निर्णय आप स्वयं करे ......!

Saturday, 1 September 2012

फांसी वाली रस्सी का इतिहास

फांसी वाली रस्सी का इतिहास

देश में मात्र एक जगह मौत का फंदा तैयार होता है। वह जगह कहीं और नहीं, बल्कि बिहार का केन्द्रीय कारा बक्सर है। जी हां यह सच है। इस जेल में बन्द कैदी ही अपने साथियों के लिए मौत का फंदा तैयार करते है। इस विशेष रस्सी 
का नाम मनीला रस्सी है।

वर्ष 1844 ई. में अंग्रेज शासकों द्वारा केन्द्रीय कारा बक्सर में मौत का फंदा तैयार करने की फैक्ट्री लगाई गई थी। यहां तैयार किए गए मौत के फंदे से पहली बार सन 1884 ई. में एक भारतीय नागरिक को फांसी पर लटकाया गया था। वर्तमान समय में देश में जब-जब मौत का फरमान जारी होता है, तब-तब केन्द्रीय कारा बक्सर के कैदी ही मौत का फंदा तैयार करते हैं।

अब तक तैयार रस्सी का इतिहास

जेल सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जेल स्टाफ आनंद शर्मा व शशि कुमार के नेतृत्व में छ: सजायाफ्ता कैदी फांसी देने वाली विशेष प्रकार की मनीला रस्सी का निर्माण करते हैं। राज्य सरकारों की विशेष मांग पर अब-तक सन 1995 में केन्द्रीय कारा भागलपुर, 1981 में महाराष्ट्र, 1990 में पश्चिम बंगाल, 2003 में आंध्रप्रदेश और 2004 में पश्चिम बंगाल को यह रस्सी दी गई थी।

मौत के फंदे का दाम मात्र 182 रुपए

168 किलोग्राम वजन उठाने की क्षमता वाली विशेष प्रकार की रस्सी की कीमत मात्र 182 रुपये है। इस कीमत में बढ़ोतरी आजादी के बाद से नहीं की गई है। अंग्रेजों के जमाने में रुई-सुता से इस रस्सी का निर्माण किया जाता था। मनीला रस्सी का निर्माण आज भी पंजाब में उत्पादित होने वाली जे-34 गुणवत्ता वाली रुई की सूत से किया जाता है जो विशेष आर्द्रता में तैयार 50 धागों से बना होता है। इसका वजन 3 किलो 950 ग्राम और लंबाई 60 फीट होती है।

बक्सर के अलावा मनीला रस्सी तैयार करने पर देश में पूर्ण प्रतिबंध

उद्योग मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि बक्सर केन्द्रीय कारा को छोड़ कर भारतीय फैक्ट्री लॉ में इस क्वालिटी की रस्सी के निर्माण पर पूरे देश में पूर्ण प्रतिबंध है। वहीं, वरीय प्रशासनिक अधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार केवल सरकारी आदेश को छोड़ कर इस विशेष प्रकार के रस्सी के उपयोग पर पूरे देश में पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।