Thursday, 31 January 2019

vichar








इतिहास गवाह है,हम आस्तीन के सांपो के कारण गुलाम हुए वरना किसी भी गोरी, गजनी, खिजली, अब्दाली, बाबर की औकात नहीं थी हमें हराने की
अगर आप देशद्रोही प्रजाति के पत्रकारों के समाचार सुन या पढ़ के बार बार भ्रमित हो रहे है... तो मान के चलिए आप देश के गद्दारो और दुश्मनो का एजेंडा ही पूरा कर रहे है , जनसत्ता , नेशनल हेराल्ड , The Hindu , Times of India , Hindustan Times, दैनिक भास्कर , दिव्य भास्कर , अमर उजाला , प्रिंट , वायर ,NDT V जैसे मीडिया समूह के समाचार पढ़ के दिन में दस बीस बार शक और भ्रम का शिकार हो रहे है तो ऐसे समाचारो की पुष्टि अवश्य करे , पुष्टि न हो पाए तो भी जोश में होश मत खोये -- पवन अवस्थी

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यूपीए सरकार के चार मंत्रियों ने पत्रकार शेखर गुप्ता और इंडियन एक्सप्रेस के साथ मिलकर रची थी भारतीय सेना को बदनाम करने की साजिश
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12 जनवरी को राहुल गांधी दुबई में पाकिस्तान दूतावास पर क्या करने गया था..?
पूर्व ISI चीफ सुजा पासा भी था वहां
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यूरोपीय यूनियन ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट लिस्ट में डाला..
यूरोप के 23 देशों में बिजनेस करना और कर्ज बंद
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मोदी को हटाने के लिए मणिशंकर ने पाकिस्तान से मदद मांगी थी और पाकिस्तान ने मदद देना शुरू कर दी
पुलवामा
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देश में सेकुलरिज्म ही सबसे बड़ा घोटाला है,वो कहते हैं कि अगर सत्ता में आये तो RSS को बन्द कर देंगे। क्या वो कभी बोले कि जैश ए मोहम्मद या लश्कर ए तैयबा को बन्द कर देंगे?
 सेकुलरिज्म के कारण ही देश के हर हिस्से में आज बड़े बड़े मिनी पाकिस्तान बन चुके है
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अब एक मुहिम वकील भाई छेड़े की प्रशांत भूषण वकालत न कर सके, ऐसे देशद्रोही का न्यायपालिका में कोई काम नहीँ जूते मार के कोर्ट से भगाए।
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पाक से आयात होने वाली हर वस्तु पर 200% ड्यूटी लगेगी,
इन तेवरों का इशारा चीन के लिए काफी है
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मुंबई की एक फार्मा कंपनी ने कश्मीर के कर्मचारी रियाज अहमद की छुट्टी कर दी इसने आतंकी हमले की तारीफ की थी...दिल्ली में मकान मालिको ने कश्मीरी किरायेदारों से मकान खाली करवाना शुरू कर दिया हैअंबाला के गांव,मुलाना के लोगो ने कश्मीरी विद्यार्थियों को 24 घंटे में गांव छोड़ने की चेतावनी दी
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शवाना आज़मी ने भारत तेरे टुकड़े गैंग को प्रमोट किया था, असल मे फ़िल्म इंडस्ट्री में एंटी नेशनल लोग भरे पड़े हैं - कंगना रानावत

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ईसाइयों के नियम बाइबल तय करती हैं, मुस्लिमों के कुरान तय करती है ,..मगर हिंदुओं के नियम
लॉर्ड साहब तय करेंगे...//..ऐसा क्यो..?
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5 बड़े संत जिनहोने हिंदुओं के साथ विश्वशघात किया और कॉंग्रेस के दलाल के रूप में अपनी पहचान बनाई 

किसी मौलवी या पादरी ने अपने मजहब के साथ गद्दारी नहीं की लेकिन हिन्दू धर्म में जन्मे कुछ संत का मुख्य कार्य ही हिन्दू धर्म को मिटाना है ।

ये कोंग्रेसचार्य अपने हिन्दू धर्म के खिलाफ ही बोलते हैं अपने धर्म के खिलाफ बयान देते हैं विवादित बयान देते हैं जो हिंदू की आस्था पर कुठाराघात करते हैं इसलिए मीडिया में छाए रहते हैं
.................Hari Shankar Tripathi इन दलालों को "संत" कहना संतों का अपमान हैं, ये कांग्रेसी दलाल हैं जिनका मुख्य काम हिन्दूओ का अपमान व तिरस्कार करना है, ये सब दस जनपथ के दरबारी है,
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"हिंदी हिंदू और हिंदुत्व देश बांटते है" :शशि थरूर

और जब यही 80% हिंदी बोलने वाले वोट न देंगे तो कांग्रेस कहेगी कि EVM हैक हो गया
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मुस्लिम हिन्दुओ के साथ ही रह  सकते थे तो गांधी ने अलग पाकिस्तान क्यों बनने दिया और नहीं रह सकते थे तो इनको भारत में क्यों रख लिया ?,
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मैं हिन्दू हु
कभी ईरान के सीमा तक फैला था मेरा साम्राज्य.पर सदियों से काटा जा रहा हु,मारा जा रहा,जलाया जा रहा हु,गोली से उड़ाया जा रहा हु,बम विस्फोटों में मेरे चिथड़े उड़ाए जा रहे है.धीरे धीरे सिमटता भी जा रहा हु कभी गांधार देश था वो अब अफगानिस्तान है कभी पंजाब,गुजरात,राजस्थान प्रदेश का हिस्सा था पर अब पाकिस्तान के नाम से पहचाना जाता हूं,कभी मीठी बांग्ला भाषा से पहचाना जाता था आज भाषा तो वही है पर मुझे रहने के लिए जगह नही है क्योंकि बांग्लादेश अब मुस्लिम राष्ट्र हो गया है.
सिलसिला अभी थमा नही है मुझे तो काश्मीर से भी भागना पड़ा,लोगो ने जलाया,काटा और लूटा भी मैं कभी कारसेवक के रूप में जलाया जाता हूं,कभी कारसेवकों पर नरसंहार का हिस्सा बन जाता हूं कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश कभी बंगाल कभी केरल में मारा जाता हूं,जलाया जाता हूं,काटा जाता हूं.
पर फिर भी में सुधरने वाला नही हु.क्योकि मैं हिन्दू हु मुझे तो नदी,पहाड़,पेड़,गाय,कुत्ता,शेर,भैंसा,यहां तक कि उल्लू में भी ईश्वर दिखाई देता है.क्या यही मेरा अपराध है? --abhay arondrkar 
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आखिर मोदी जी के विरोध कौन और क्यों कर रहे है?इसका मूल कारण #भ्रष्टाचार, #हरामखोरी और #विदेशी_हस्तक्षेप है।
इस देश में #भ्रष्टाचारी_खांग्रेस और उन्ही की मानसिकता वाले दलों का शासन रहा है, जिनके शीर्ष-नेतृत्व भ्रष्टाचार में बुरी तरह डूबे हुए है। आप कोई भी नाम उठा ले। सोनिया, राहुल, पवार, जयललिता, करूणानिधि, माया, मुलायम, ममता, लालू, केजरी, चौटाला..... आदि सभी के सब कानून का दुरूपयोग कर बचते आ रहे है। अब इन सबके होश उड़े हुए है। इनके साथ वे #पूँजीपति भी है जो सरकारी संस्थाओं केकीमत पर देश को लूटने को लूट रहे है।
दूसरा ग्रुप है उन #पत्रकार, तथाकथित #बुद्धिजीवी और #एनजीओ का जो सत्ता की दलाली कर हराम की कमाई कर रहे थे। जिसमे अग्रणी है कम्युनिस्ट और अंग्रेज के वंसज जो हमेशा से इस देश के संस्कृति के खिलाफ काम करते रहे है।
तीसरा वह ग्रुप है जो फोर्ड फाउंडेशन जैसे संस्था के लिये काम करते है #विदेशी_एजेंट के रूप में। जिनका मूल उद्देश्य हिंदुस्तान को अस्थिर करना, कमजोर सरकार बनबना, इसके शिक्षा व आतंरिक शांति को तहस नहस करना है। ऐसे लोग ही पाकिस्तान की जी-हजूरी, आतंकवादियों का समर्थन करते है।
करीब 3 लाख करोड़ का एनपीए, हेराल्ड, 2जी, कोल, शारदा, यूपी के यादव सिंह, वाड्रा, शाहरुख़, क्रिकेट बोर्ड, माल्या,कालाधन जैसे के खिलाफ जब सरकार कारवाही करेगी, उन सीनियर अफसर के खिलाफ करवाई करेगी तो वे अपने अस्तित्व के लिये शोर तो मचाएंगे ही।
ये तो होना ही है, इसके लिये हम सब #भ्रष्टाचार_विरोधी लोगों को सम्मलित प्रयास करना होगा और हर गाँव-गली तक पहुँच कर लोगो को हकीकत बतानी होगी।
कुमार अवधेश सिंह
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कई तथ्य हैं जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि ममता बनर्जी स्वयं शारदा ग्रुप को प्रमोट कर रही थी और ममता बनर्जी के निजी आर्थिक हित शारदा ग्रुप से जुड़े हुए थे,
 बंगाल की मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए ममता बनर्जी शारदा ग्रुप के लोगों के साथ उठती बैठती थी, ममता बनर्जी पश्चिमी मिदनापुर के जंगलमहल इलाके में इसी शारदा ग्रुप द्वारा दान की गई एंबुलेंस और मोटरसाइकिलों का प्रयोग अपने लाव लश्कर में करवाती थी
 तृणमूल कांग्रेस के सांसद कुणाल घोष शारदा ग्रुप के CEO के पद पर रहते हुए प्रतिमाह ₹16लाख की सैलेरी लेते थे,
तृणमूल कांग्रेस के सांसद श्रीएंजॉय बॉस शारदा ग्रुप के मीडिया ऑपरेशन में सीधे तौर पर जुड़े हुए थे,
तृणमूल कांग्रेस की सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री रहे मदन मित्रा शारदा ग्रुप के एंप्लोई यूनियन की अध्यक्षता करते थे, और बंगाल के ट्रांसपोर्ट मंत्री के पद पर रहते हुए सार्वजनिक रूप से लोगों को शारदा ग्रुप में निवेश करने के लिए प्रेरित भी करते थे,
शारदा ग्रुप के मालिक सुदीप्तो सेन ने ममता बनर्जी की कई बचकानी सी पेंटिंग करोड़ों रुपए का मूल्य चुका कर खरीदी, जिनके विषय में कहा जाता है कि यह एकदम वैध तरीके से ममता बनर्जी को शारदा ग्रुप के मालिक ने घुस दी थी
 मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी सरकार द्वारा यह निर्देश जारी करवाया था कि बंगाल के सभी सरकारी विभाग और पब्लिक लाइब्रेरी केवल शारदा ग्रुप द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र ही खरीदेंगे और डिस्प्ले पर रखेंगे,
 इसी शारदा ग्रुप ने एक डूबी हुई "लैंडमार्क सीमेंट" नामक कंपनी भी खरीदी थी जिसके सह-मालिक थे बंगाल के टेक्सटाइल मंत्री श्याम्पदा मुखर्जी,
 सुदीप्तो सेन ने स्वीकार किया था कि उसने ढाई करोड़ रुपए कांग्रेस नेता व् कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे मतंग सिंह की पत्नी मनोरंजना को और 30 लाख रुपये उसके पिता के.एन गुप्ता को दिए थे।
शारदा घोटाले में जिस प्रकार से बड़े-बड़े राजनेताओं के कनेक्शन थे यह प्रमाणित करता है कि इन्हीं लोगों के संरक्षण के कारण यह घोटाला इतने लंबे समय तक चलता रहा और 17 लाख भोले भाले लोगों के मेहनत की गाढ़ी कमाई के 40 हजार करोड़ लूट लिए गये।
अब विडंबना देखिए जिस घोटालेबाज औरत और वर्तमान बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने ही राज्य के 17 लाख लोगों को शारदा घोटाले के सूत्रधार के संग मिलकर लूटा, आज वही घोटालेबाज ममता बनर्जी अपने आप को बचाने के लिए धरने पर बैठी हुई है, और इसे लोकतंत्र बचाने का सत्याग्रह कहकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है और दोष भाजपा व् मोदी पर मढ़कर अपना राजनीतिक उल्लू भी सीधा करने में जुटी हुई है,
ममता को भय है कि सारदा घोटाले का यही सत्य कहीं भाजपा नेता चुनाव प्रचार के समय अपनी रैलियों में ना बोल दे इसीलिए अमित शाह और आदित्यनाथ के हेलीकॉप्टर को लैंडिंग की परमिशन नहीं मिलती जिससे कि उनकी रैलियां रद्द हो सके, परंतु यह इंटरनेट और सोशल मीडिया का युग है जहां सूचनाएं एक क्षण में यहां से वहां पहुंच जाती है,
भाजपा नेताओं को रोककर, तृणमूल अध्यक्षा ममता बनर्जी अपनी घोटालेबाजों संग साँठगाँठ का सत्य बंगाल की जनता तक पहुंचने से रोक नहीं सकती।
🇮🇳Rohan Sharma🇮🇳

Monday, 28 January 2019

srijan-march

देश पहले या धर्म?
अगर मुझसे ये सवाल आज से कुछ साल पहले पूछा गया होता तो देश बोलने में 1 सेकण्ड नहीं लगाता ...
पर आज मैं 'धर्म' बोलने में देर नहीं करूँगा!
देश....
.... क्या है देश ? ?
जब तक आप इस देश में हैं, जब तक आप इस देश में सुरक्षित हैं, तभी तक तो है ये आपका देश!
देश तो ये तब भी कहलायेगा जब कोई इस देश पर कब्ज़ा कर ले और आपको भगा दे.......
लेकिन तब ये देश उस आक्रमणकारी का होगा, आपका नहीं!
मतलब साफ है जब तक देश में आपका राज है ...
.... तभी तक देश आपका है!
देश बचता है धर्म से!
जिस मजहब के लोगों के पास एक भी देश नहीं था ...
उसने सिर्फ धर्म पर अडिग रहकर 52 देश बना लिए ....
सवाल ये नहीं कि उनका मजहब ख़राब था या अच्छा!!
जिसने धर्म से ज्यादा राष्ट्रीयता को महत्त्व दिया उसके हाथ से देश निकल गया।
हमारे हाथों से पाकिस्तान के रूप में, अफगानिस्तान के रूप में देश का बड़ा भाग क्यों निकला ?
क्योंकि हम धार्मिक कम सेक्युलर ज्यादा हो गए।
अगर हिन्दु कट्टरवादी होते, अड़ जाते ...
लड़ जाते कि जान जायेगी ...
लेकिन दूसरे धर्म के लोगों को नहीं देंगे अपनी जगह ....
.... तब पाकिस्तान नहीं बनता!
कैराना, कांधला, अलीगढ, आसाम, कश्मीर आदि क्यों हिंदुओं के हाथ से निकला,
क्योंकि उनके लिए देश पहले था धर्म नहीं!
नतीजा धर्म भी गया और देश (स्थान) भी गया!
अब दो सवाल हैं ....
1. क्या पाकिस्तान में "हिन्दू धर्म" है.... ? ?
2. क्या पाकिस्तान हमारा देश रहा ? ?
याने देश भी गया और धर्म भी गया...
..... क्यों गया ?
क्योंकि भारत की तरफ से गाँधी नेहरू जैसे एक जमात ने धर्म छोड़कर सेकुलरिज्म अपनाया!
जबकि जिन्ना ने सिर्फ अपने धर्म की बात कहा,
देश भी माँगा धर्म के आधार पर माँगा ....।
नतीजा उनका धर्म बचा ही नहीं बल्कि बढ़ा और साथ में देश भी पाया!
हिन्दू उल्टा करते हैं,
देश के नाम पर धर्म छोड़ देते हैं!
धर्म छोड़ते ही कमजोर हो जाते हैं।
... और इनके हाथ से धर्म तो जाता ही है, देश भी निकल जाता है!
मेरा पक्ष यही है इस सवाल पर। अगर ये मुसलमान जेहादी सैनिकों की ऐसी हालत कर सकते हैं तो हमारा क्या हाल करेंगे सोचो --mahesh sinha
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प्रशांत भूषण बोले, ‘सेना की वजह से ही कश्मीर में युवा बन रहे आतंकी’
प्रशांत भूषण ने बड़े ही शर्मनाक तरीके से आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार का पक्ष लिया। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए कहा, “आदिल सुरक्षाबलों द्वारा मार खाने के बाद आतंकी बना। यहां ये समझना बहुत जरुरी है कि क्यों कश्मीर में युवा आतंक की राह को अपना रहे हैं और आतंकवादी बन रहे यहां तक कि वो मरने के लिए तैयार हो रहे हैं। यहां तक कि बड़े पैमाने पर आत्मघाती हमलों के बाद भी अमेरिकी सेना अफगानिस्तान और इराक को रोक नहीं रोक सका।” भूषण का मतलब साफ़ है कि अगर आदिल आतंक की राह पर चला तो उसकी जिम्मेदार सेना है। इस पूरे बयान पर गौर करें तो प्रशांत भूषण के अनुसार अगर कोई युवक पत्थरबाजी करे और सुरक्षाबलों पर हमला करे तो उसे सजा न दो क्योंकि वो इससे और आक्रोशित होंगे और बदले की आग में जलेंगे। जबकि सुरक्षा कर्मी पहले युवकों को समझाने का प्रयास करते हैं लेकिन फिर भी कश्मीर में उन्हें पत्थरबाजी का सामना करना पड़ता है। फिर भी प्रशांत भूषण के मुताबिक, सुरक्षाकर्मियों द्वारा युवकों को कोई सजा नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वो भटक जायेंगे और बदले की आग में जलेंगे। इस तरह वो आतंक का दामन थाम लेंगे और इसकी जिम्मेदार सेना ही होगी। ऐसा लगता है कि भूषण अपने इस बयान से कश्मीरी युवाओं के मनोबल को और बढ़ावा दे रहे हैं।
3 नवंबर 2014 को कश्मीर के बड़गाम में 5 कश्मीरी किशोर मोहर्रम में भाग लेने के बाद कार से लौट रहे थे। आर्मी ने संदिग्ध समझ कर रोकने का प्रयास किया। पर ये दो चेकपोस्ट को पार कर गए। तीसरे चेकपोस्ट पर सेना ने वही किया, जो ऐसे में उसे करना चाहिए। दो किशोर मारे गए।
फिर बवाल मचा पूरी कश्मीर घाटी में। सेना चौतरफ़ा दबाव में आ गयी। आनन-फ़ानन में सेना ने एकदम दुर्लभ फ़ैसला लेते हुए माफ़ी मांगा और अपने 14 जवानों पर कार्रवाई की, जिनमें 4 का कोर्ट मार्शल कर दिया गया। उन दो किशोरों के परिवारों को 5-5 लाख ₹ आर्मी ने दिए, भाई-बहनों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया और दोनों परिवारों के एक-एक सदस्य को बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन में नौकरी दी गयी।
अब कतिपय लोग कह रहे कि जब सेना और अर्द्धसैन्य बलों को यह इनपुट था कि उनके काफ़िले पर आरडीएक्स से भी हमला हो सकता है, तो सीआरपीएफ ने ख़ुद की सुरक्षा के लिए कदम क्यों नहीं उठाए ? अब बताइए कि जम्मू से लेकर श्रीनगर तक के रास्ते को सीआरपीएफ कहां-कहां सैनिटाइज करती जाती ?
फिर सेना इस 20 साल के आदिल अहमद की स्कोर्पियो को रोकती और गोली मार देती कैसे ? ज़ाहिर है सेना और अर्द्धसैन्य बलों के दिमाग़ में बड़गाम की वह घटना घूम जाती होगी कि भैया, कोर्ट मार्शल हो जाएगा। कोई कम्युनिस्ट चीन या इजराइल की सेना थोड़े न है !
अब सुप्रीम कोर्ट के बड़े भारी वक़ील अशांत विभीषण ट्वीट कर रहे कि इस आदिल अहमद को सेना ने 2016 में स्कूल से आते वक्त पीट दिया था तो तभी से वह उग्रवादी हो गया था और अंततः बदला लेने के लिए सुसाइड बॉम्बर बन गया। वह आगे लिख रहे कि अमेरिकी सेना तो इराक और अफगानिस्तान में सुसाइड बॉम्बर्स के सामने टिक ही न पायी।
मतलब औक़ात बता रहे अशांत विभीषण हमारी सेना की कि फिर वह कश्मीर में क्या कर लेगी। अशांत विभीषण यह नहीं बताते कि सेना ने तब आदिल अहमद की इसलिए पिटाई की थी क्योंकि वह सेना पर पत्थरबाजी कर रहा था। बक़ौल अशांत विभीषण के तब तो हमारी आर्मी को चाहिए था कि वह मारे डर के थर-थर कांपते हुए इस देशद्रोही आदिल अहमद की आरती उतारती और फूल बरसाती कि भैया, वरना यह सुसाइड बॉम्बर बन जायेगा नहीं तो !
कुछ ओवरस्मार्ट लोगों को देख रहा कि लिख रहे कि यहां लोग बदले की बात कर रहे, पाकिस्तान से युद्ध की बात कर रहे, पता नहीं कि युद्ध में सैनिक बलिदान देगा तो उसके परिवार पर क्या बीतेगी, ख़ुद तो बैठ कर लिखना है, लड़ना तो है नहीं ब्लाह-ब्लाह।
अरे अक्ल के शकरकन्दों, ख़ुद जो सैनिक हमारे बलिदान दिए हैं उनके ही पिता, भाई, घर वाले कह रहे कि हमारा दूसरा लड़का भी जाएगा फ़ौज में लेकिन पाकिस्तान से बदला लो।
और फिर गर हम सैनिक नहीं हो पाए [कमसेकम मेरा सीडीएस और सीपीएफ (एसी) में लिखित पास करने के बाद भी अंतिम रूप से चयन नहीं हुआ था, फिर चश्मा लग जाने के कारण भी मन में हुआ कि अब शायद नहीं हो पायेगा], तो इसका मतलब यह नहीं कि हम लोग उसकी बात नहीं कर सकते। यहां अधिकांश लोगों के घर-परिचित में कहीं न कहीं कोई सेना/अर्द्धसैन्य बलों में लोग हैं।
मतलब ये होशियार की दुम चाह रहे कि वो हमें मारते रहे और हम महात्मा बन कर भीगी बिल्ली बने रहे। बहुत चालाकी से ये हमारी कौम को पूरी तरह कायर बनाना चाह रहे। मेरे देश का एक जवान भी बलिदान देता है तो कष्ट मुझे भी होता है। और हां, जरूरत पड़ी तो हम भी भाग ले सकते हैं युद्ध में। कोई भय नहीं। मौत जब आनी होगी, आ ही जाएगी। जिनको मरने से डर लगता होगा, वो डरे..हमसे भिड़ियेगा तो हम छोड़ने वालों में से नहीं। जिगरे से सिंह हैं, भेड़-बकरी नहीं..मरते दम तक सिंह बन कर ही रहेंगे।
कुछ मीर जाफ़रों को लग रहा कि यह हमला मोदी-शाह ने ही कराया है चुनावों में फ़ायदा लेने के लिए कि हम होशियारचन्द न कहते थे कि मोदिया अंतिम साल में पाकिस्तान से युद्ध तक करवा देगा चुनाव जीतने के लिए। इन करमज़लों को कौन बताए कि यहां जैश ए मोहम्मद जिम्मेवारी ले चुका है।
कुछ गंवार टाइप के लोग राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जी पर ही उंगली उठा रहे उनके बेटे पर निशाना साध कर कि उनके सम्बन्ध किसी पाकिस्तानी से हैं। गज़ब गिरे कुछ लोग। पूर्व आईपीएस अजीत डोभाल जैसा देशभक्त सदियों में आता है। कुछ लिखने से पहले सोच लो गंवारों।
कुछ धूर्त हुतात्मा सैनिकों की जाति ढूंढ रहे। यहां भी बाज न आएं। तो सबसे बड़ा धूर्त यह सवाल उठा रहा कि अर्द्धसैन्य क्यों कहा जाता है सीआरपीएफ को। इन्हें भी सैन्य बल कहा जाए। मतलब बिना टॉपिक के टॉपिक। इन सबके स्थान विशेष पर जो रैपिड एक्शन फ़ोर्स वाली करंट वाली बेंत पड़ेगी, यह धूर्त तभी सुधरेंगे।
वक्त आ गया कि अब कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए की समाप्ति हो। मज़हबी कट्टरपंथ के खात्मे के लिए यह बेहद जरूरी है कि शेष भारतीयों को कश्मीर घाटी में बसाया जाए जैसा कि वामपंथी चीन ने अपने एकमात्र मुस्लिम बहुल प्रान्त शिनजियांग में किया। विशेषकर यूपी-बिहार के लोगों को बसा दीजिये वहां, कसम से पाक अधिकृत ग़ुलाम कश्मीर भी कुछ वर्षों में अपने ख़ेमे में आ जायेगा। यह मज़ाक नहीं कर रहा, पूरी गम्भीरता से कह रहा। पूरा राष्ट्र साथ खड़ा रहेगा।
अच्छी बात है कि विपक्ष भी अब हर कदम में सरकार के साथ खड़ा है। हमारी सेना को पूरी छूट दे दी गयी है कश्मीर में व पाकिस्तान के साथ डीलिंग में। अब समय, स्थान और धमाका सब कुछ हमारी सेना तय करेगी।
देश के बाह्य दुश्मनों से ज़्यादा ख़तरनाक भीतर वाले हैं। इन्होंने हमारी सहिष्णुता को हमारी कायरता समझ बहुत मौज किया है। इन्हें ठीक करना बेहद जरूरी है। विशेषकर घर के भेदिए जिन कथित बुद्धिजीवी हिंदुओं को sickularism का रोग लगा है, वे हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं। ये वही लोग हैं जिनके कारण हमारा देश लगातार कमज़ोर होता रहा व टूटता रहा है।
इन नराधमों को कश्मीरी मुसलमानों का दर्द दिखता है, कश्मीरी पंडितों का नहीं जो कब के बर्बाद हो गए। इनको रोहिंग्या मुसलमानों से प्यार है, पर बौद्ध चकमा शरणार्थियों से नहीं। अंतर समझियेगा। एक तरफ़ कट्टरता और दूसरी तरफ़ शराफ़त का चोला पहन कर विक्टिम कार्ड खेलना कोई इनसे सीखे। और इस तरह हम मूर्ख सिकुड़ते-सिमटते जा रहें।
जयहिंद 🇮🇳
- साभार कुमार प्रियांक
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सिर्फ विरोध का स्तर #अनसब्सक्राइब तक नही इस चैनल को जो भी एड देगा उस #कम्पनी का बहिष्कार जरूरी है ....
आज से कसम है उस कम्पनी का कोई प्रोडक्ट नही लूंगा जो इस चैनल पे दिखाए जाएंगे फिर चाहे बो #पतंजलि ओर jio के ही क्यो न हो...
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गांधी परिवार और कांग्रेस के इशारों पर पाकिस्तान ने करवाया सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमला? डॉक्टर गौरव प्रधान का चौंकाने वाला खुलासा!
कश्मीर में आज जैश-ए-मोहम्मद नाम के इस्लामिक संगठन ने फिदायीन हमला किया, जिसमे भारत के 42 जवान बलिदान हो गए. अब एक के बाद एक कई चौंकाने वाले दावे सामने आ रहे हैं. सबसे पहले तो कई जानकारों का दावा है कि इस आतंकी हमले में कश्मीर पुलिस की भी मिलीभगत है, क्युकी 350 किलो विस्फोटक आतंकियों तक पहुंच गया हो और पुलिस को कानोकान खबर तक नहीं हुई, लोकल खुफिया एजेंसियों को भी पता नहीं चला, ये भी नामुमकिन है.

इसके अलावा डाटा वैज्ञानिक गौरव प्रधान ने ट्वीट करके दावा किया है कि गांधी परिवार व् कांग्रेस के बड़े नेताओं को इस आतंकी हमले की जानकारी पहले से ही थी. गौरव प्रधान ने 7 फरवरी को ही ट्वीट करके जानकारी दी थी कि कांग्रेस के इशारे पर कश्मीर में आतंकी वारदात हो सकती है.बता दें कि इससे पहले कर्नल पुरोहित की रिहाई के बाद भी वैज्ञानिक गौरव प्रधान ने खुलासा किया था कि सोनिया गांधी के आतंकी सरगना हाफिज सईद के साथ कनेक्शन है.

उनके मुताबिक़ 2010 में सोनिया गाँधी और हाफिज सईद की मुलाकात होनी थी. पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद इटालियन माता से 2010 में मिलना चाहता था, मगर इटालियन माता ने इंकार कर दिया क्योंकि इसमें काफी रिस्क था.वैसे सोनिया गांधी की आतंकियों से हमदर्दी कोई नयी बात नहीं है, इससे पहले पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद भी आजमगढ़ की चुनावी रैली में कबूल कर चुके हैं कि बाटला हाउस एनकाउंटर में आतंकियों के मारे जाने की तस्वीरें देखकर सोनिया गांधी रो पड़ी थी.

दाऊद को बचाने के लिए अजित डोवाल को करवाया गिरफ्तार ?

डॉक्टर प्रधान ने ये भी खुलासा किया था कि 2005 में सोनिया-मनमोहन की सरकार के दौरान आज के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल को मुंबई में गिरफ्तार कर लिया गया था, क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान मे बैठे दाऊद को मारने की पूरी योजना बना ली थी.

पाकिस्तान के कहने पर कर्नल पुरोहित को किया गिरफ्तार !

डॉक्टर गौरव प्रधान ने ये भी खुलासा किया था कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमले से ठीक पहले ही कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार किया गया, क्योंकि कर्नल पुरोहित सेना के जासूस थे और 26/11 आतंकी हमले के प्लान के बारे में जानते थे. डॉ गौरव ने ये भी बताया था कि कर्नल पुरोहित की पत्नी अपर्णा पुरोहित ने कहा था कि पाकिस्तान चाहता था कि कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार कर लिया जाए और सोनिया-मनमोहन सरकार भी इसके बारे में विचार भी कर रही थी.

अपने खुफिया मिशन के दौरान कर्नल पुरोहित पाकिस्तान के कई संवेदनशील और नापाक राज जान गए थे, कर्नल पुरोहित का बड़ा जासूसी नेटवर्क भी पाकिस्तान में खुफिया जानकारियां जुटा रहा था. इसीलिए पाकिस्तान कर्नल पुरोहित की कस्टडी की मांग कर रहा था.

गौरव प्रधान ने आगे खुलासा किया कि पाकिस्तानी जनरल पाशा के कहने पर ही कर्नल पुरोहित को ठीक 26/11 आतंकी हमले से पहले गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि पाकिस्तानियों को शक था कि कर्नल पुरोहित को इस आतंकी हमले की भनक लग चुकी थी और वो हमले को विफल कर सकते थे.

बता दें कि इन गंभीर आरोपों की जांच करनी बेहद जरूरी है. जबसे आतंकी हमला हुआ है तबसे गांधी परिवार समेत कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने पाकिस्तान के खिलाफ एक शब्द तक नहीं कहा है, सिर्फ मोदी की बुराई किये जा रहे हैं.

ऐसे में गौरव प्रधान समेत कई जानकार ये दावे कर रहे हैं कि मोदी के खिलाफ देश में माहौल बनाने के लिए कांग्रेस ने ही पाकिस्तान के जरिये से आतंकी हमला करवा दिया है.

आप रणदीप सिंह सुरजेवाला के ट्वीट देखिये, एक भी बार इनके मुह से पाकिस्तान और आतंकियों की आलोचना नहीं निकलती, ये सिर्फ मोदी-मोदी कर रहे है, .ऐसा लग रहा है कि मानो कोंग्रेसी तैयार ही बैठे थे कि हमला हो और वो मोदी के नाम की गालियां निकालना शुरू कर दें. क्या राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए ही ये हमला करवाया गया है? सोशल मीडिया पर लोगों ने इसकी जांच की मांग करनी शुरू कर दी है.
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सच_से_मुंह_मत_चुराइये और सेना तथा सरकार पर दबाव मत बनाइये क्योंकि युद्ध का फैसला कुश्ती लड़कर नहीं हथियारों से होगा।...
 देश ने 30 साल से कोई तोप नहीं खरीदी।
 देश ने 31 साल से कोई आधुनिक बमवर्षक लड़ाकू विमान नहीं खरीदा।
 2009 में देश की सेना ने 3,86,000 बुलेटप्रूफ जैकेट 1.48 लाख बैलेस्टिक हेलमेट मांगे। पर मई 2014 तक सेना को एक भी नहीं दिए गए।
 मई 2014 में वो जब सरकार छोड़कर गए तो सेना को 8.5 लाख अत्यधुनिक बंदूकों की कमी के साथ छोड़ गए।
 2014 में ही CAG रिपोर्ट ही यह भी बता रही थी कि युद्ध की स्थिति में सेना के पास केवल 10 दिन का गोला बारूद है।
हथियारों की यह 30 साल लम्बी कंगाली 2-4 साल में नहीं खत्म होती क्योंकि यह चीजें किसी दुकान में रेडीमेड नहीं मिलती। जब कोई देश ऑर्डर देता है तब उसे बेचने वाला देश अपने यहां बनाता है।
ध्यान रहे कि...
✔️ मोदी ने 1.86 लाख बुलेटप्रूफ जैकेट, 1.5 लाख बैलेस्टिक हेलमेट सेना को दे दिए हैं।मोदीं ने धनुष और सारंग तोप देश में बनवाई हैं और पहली तोप सेना को इसी जनवरी में मिली है।
✔️ मोदी ने विश्व स्तरीय K-9 होवित्जर तोप देश में बनवाई है। इसी जनवरी में सेना को पहली तोप मिली है।
मोदी ने 59000 करोड़ के राफेल खरीदे, पहली खेप इस वर्ष सितम्बर में मिलेगी।
✔️ मोदी ने 40,000 करोड़ के 5 S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम रूस से खरीदे, जो अगले साल सितंबर में मिलेंगे।
✔️ मोदी ने रूस और अमेरिका से 7.5 लाख अत्याधुनिक बंदूकें खरीदीं जो किस्तों में मिलना शुरू हुई हैं।
✔️ पिनाकू अपाचे ओर हनूफ जैसे अत्याधुनिक जहाज ओर ड्रोन अब मिलना सुरु हुए है ...राफेल जैसे जहाज भी अभी नही मिले है और सेना आज भी #उड़ता_ताबूत मिग से काम चला रही है और काँग्रेज़ ने पूरा जोर लगा दिया है कि #राफेल डील केंसिल हो
उपरोक्त सभी खबरें आप सभी मित्रों ने कभी ना कभी पढ़ी ही होंगी।
यह तैयारी किस के लिए हो रही है.?
लेकिन अब जब मुसीबत गले पड़ ही गयी है तो इसका सामना तो देश की सेना करेगी ही। लेकिन जिन हालातों का ऊपर जिक्र किया है उन हालातों में सेना को केवल बल से नहीं बल्कि बुद्धि से भी काम लेना है। इसके लिये थोड़ा समय लगेगा। वह समय उसे दीजिये।
आज यह इसलिए लिखा क्योंकि कल से देख रहा हूं कि कुछ मठाधीश इधर-उधर की कतरनों, सच्ची झूठी कही सुनी के सहारे सोशलमीडियाई जेम्सबांड बनकर यह ऐलान करते घूम रहे हैं कि मानो भारतीय सेना आज रात को ही हमला करने जा रही है।
ऐसी अफवाहें बहुत घातक हैं। क्योंकि या तो ऐसा कोई हमला कुछ घण्टों के भीतर ही होता, जिसमें पाकिस्तान को सम्भलने का मौका नहीं मिलता।
लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ इसका कारण केवल सेना जानती है और हमसे आपसे करोड़ों गुना अधिक बेहतर जानती है। अतः सेना द्वारा अब जो हमला या कार्रवाई होनी है उसमें 1-2 हफ्ते भी लग सकते हैं।
तबतक अपने धैर्य और संयम के बांध मत टूटने दीजिये।

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1 लाख ब्राह्मणों का कत्ल भुला दिया गया...
31 जनवरी से 3 फरवरी 1948 तक पुणे में हुए चित्पावन ब्राहमणों के सामूहिक नरसंहार को आज भारत के 99% लोग संभवत: भुला चुके होंगे, कोई आश्चर्य नही होगा मुझे यदि कोई पुणे का मित्र भी इस बारे में साक्ष्य या प्रमाण मांगने लगे l
सोचने का गंभीर विषय उससे भी बड़ा यह कि उस समय न तो मोबाइल फोन थे, न पेजर, न फैक्स, न इंटरनेट… अर्थात संचार माध्यम इतने दुरुस्त नहीं थे, परन्तु फिर भी नेहरु ने इतना भयंकर रूप से यह नरसंहार करवाया कि आने वाले कई वर्षों तक चित्पावन ब्राह्मणों को घायल करता रहा l
राजनीतिक रूप से भी देखें तो यह कहने में कोई झिझक नही होगी मुझे कि जिस महाराष्ट्र के चित्पावन ब्राह्मण सम्पूर्ण भारत में धर्म तथा राष्ट्र की रक्षा हेतु सजग रहते थे… उन्हें वर्षों तक सत्ता से दूर रखा गया, अब 67 वर्षों बाद कोई प्रथम चित्पावन ब्राह्मण देवेन्द्र फडनवीस के रूप में मनोनीत हुआ है l
हिंदूवादी संगठनों द्वारा मैंने पुणे में कांग्रेसी अहिंसावादी आतंकवादियों के द्वारा चितपावन ब्राह्मणों के नरसंहार का मुद्दा उठाते कभी नही सुना । मैं सदैव सोचता था कि यह विषय 7 दशक पुराना हो गया है इसलिए नही उठाते होंगे। परन्तु जब जब गाँधी वध का विषय आता है समाचार चेनलों पर, तब भी मैंने किसी भी हिंदुत्व का झंडा लेकर घूम रहे किसी भी नेता को इस विषय का संज्ञान लेते हुए नही पाया l
👉क्या चित्पावन ब्राहमण, संघ परिवार या बीजेपी की हिंदुत्व की परिभाषा के दायरे में नही आते…?? या
👉इसलिये कि वे हिदू महासभाई थे...?? या
👉हिन्दू के नरसंहार वही मान्य होंगे जो मुसलमानों या ईसाईयों द्वारा किये गये होंगे ??
...फिर वो भले कांग्रेसी आतंकवादियों द्वारा किये गये हों, या सिख आतंकवादियों द्वारा, उनकी कोई बात नही करता इस देश में l
31 जनवरी 1948 की रात,
पुणे शहर की एक गली,
गली में कई लोग बाहर ही चारपाई डाल कर सो रहे थे …
एक चारपाई पर सो रहे आदमी को कुछ लोग जगाते हैं और … उससे पूछते हैं
कांग्रेसी अहिंसावादी आतंकवादी: नाम क्या है तेरा…?
सोते हुए जगाया हुआ व्यक्ति … अमुक नाम बताता है … (चित्पावन ब्राह्मण)
अधखुली और नींद-भरी आँखों से वह व्यक्ति अभी न उन्हें पहचान पाया था, न ही कुछ समझ पाया था… कि उस पर कांग्रेस के अहिंसावादी आतंकवादी मिटटी का तेल छिडक कर चारपाई समेत आग लगा देते हैं l
चित्पावन ब्राहमणों को चुन चुन कर … लक्ष्य बना कर मारा गया l
घर, मकान, दूकान, फेक्ट्री, गोदाम… सब जला दिए गये l
महाराष्ट्र के हजारों-लाखों ब्राह्मण के घर-मकान-दुकाने-स्टाल फूँक दिए गए। हजारों ब्राह्मणों का खून बहाया गया। ब्राह्मण स्त्रियों के साथ दुष्कर्म किये गए, मासूम नन्हें बच्चों को अनाथ करके सडकों पर फेंक दिया गया, साथ ही वृद्ध हो या किशोर, सबका नाम पूछ पूछ कर चित्पावन ब्राह्मणों को चुन चुन कर जीवित ही भस्म किया जा रहा था… ब्राह्मणों की आहूति से सम्पूर्ण पुणे शहर जल रहा था l
31 जनवरी से लेकर 3 फरवरी 1948 तक जो दंगे हुए थे पुणे शहर में उनमें सावरकर के भाई भी घायल हुए थे l
“ब्राह्मणों… यदि जान प्यारी हो, तो गाँव छोड़कर भाग जाओ..” –
31 जनवरी 1948 को ऐसी घोषणाएँ पश्चिम महाराष्ट्र के कई गाँवों में की गई थीं, जो ब्राह्मण परिवार भाग सकते थे, भाग निकले थे, अगले दिन 1 फरवरी 1948 को कांग्रेसियों द्वारा हिंसा-आगज़नी-लूटपाट का ऐसा नग्न नृत्य किया गया कि इंसानियत पानी-पानी हो गई. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि “हुतात्मा पंडित नथुराम गोडसे” स्वयम एक चित्पावन ब्राह्मण थे l
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 मशहूर अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने अब जो लेख लिखा है ....
और उसमे जो खुलासे किये हैं, उन्हें देख आपके पैरों तले जमीन खिसक जायेगी.
जेनेट लेवी का दावा ------
बंगाल जल्द बनेगा एक अलग इस्लामिक देश
जेनेट लेवी ने अपने ताजा लेख में दावा किया है ....
कि कश्मीर के बाद बंगाल में जल्द ही गृहयुद्ध शुरू होने वाला है ... जिसमे बड़े पैमाने पर हिन्दुओं का कत्लेआम करके मुगलिस्तान नाम से एक अलग देश की माँग की जायेगी ....
यानी भारत का एक और विभाजन होगा और वो भी तलवार के दम पर .....
और बंगाल की वोटबैंक की भूखी ममता बनर्जी की सहमति से होगा सब कुछ.
जेनेट लेवी ने अपने लेख में इस दावे के पक्ष में कई तथ्य पेश किए हैं. उन्होंने लिखा है .....
कि “बँटवारे के वक्त भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 फीसदी से कुछ ज्यादा थी,
जबकि पाकिस्तान के हिस्से में गए पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी थी.
आज पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 27 फीसदी हो चुकी है.
कुछ जिलों में तो ये 63 फीसदी तक हो गई है.
वहीँ दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू 30 फीसदी से घटकर केवल 8 फीसदी ही बचे हैं.”
आप यहाँ जेनेट का पूरा लेख खुद भी पढ़ सकते हैं. http://www.americanthinker.com/…/the_muslim_takeover_of_wes…
बढ़ती हुई मुस्लिम आबादी को ठहराया जिम्मेदार
बता दें कि जेनेट ने ये लेख ‘अमेरिकन थिंकर’ मैगजीन में लिखा है.
ये लेख एक चेतावनी के तौर पर उन देशों के लिए लिखा गया है,
जो मुस्लिम शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल रहे हैं.
जेनेट लेवी ने बेहद सनसनीखेज दावा करते हुए लिखा है ....
कि किसी भी समाज में मुस्लिमों की 27 फीसदी आबादी काफी है ....
कि वो उस जगह को अलग इस्लामी देश बनाने की माँग शुरू कर दें.
उन्होंने दावा किया है ....
कि मुस्लिम संगठित होकर रहते हैं और 27 फीसदी आबादी होते ही इस्लामिक क़ानून शरिया की माँग करते हुए अलग देश बनाने तक की माँग करने लगते हैं.
पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा है ....
कि ममता बनर्जी के लगातार हर चुनाव जीतने का कारण वहाँ के मुस्लिम ही हैं.
बदले में ममता मुस्लिमों को खुश करने वाली नीतियाँ बनाती है.
सऊदी से आने वाले पैसे से चल रहा जिहादी खेल?
जल्द ही बंगाल में एक अलग इस्लामिक देश बनाने की माँग उठने जा रही है ....
और इसमें कोई संदेह नहीं कि सत्ता की भूखी ममता इसे मान भी जाए. उन्होंने अपने इस दावे के लिए तथ्य पेश करते हुए लिखा ....
कि ममता ने सऊदी अरब से फंड पाने वाले 10 हजार से ज्यादा मदरसों को मान्यता देकर वहाँ की डिग्री को सरकारी नौकरी के काबिल बना दिया है.
सऊदी से पैसा आता है ...
और उन मदरसों में वहाबी कट्टरता की शिक्षा दी जाती है.
ममता ने शुरू किया इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट?
गैर मजहबी लोगों से नफरत करना सिखाया जाता है.
उन्होंने लिखा कि ममता ने मस्जिदों के इमामों के लिए तरह-तरह के वजीफे भी घोषित किए हैं,
मगर हिन्दुओं के लिए ऐसे कोई वजीफे नहीं घोषित किये गए.
इसके अलावा उन्होंने लिखा कि ममता ने तो बंगाल में बाकायदा एक इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है.
पूरे बंगाल में मुस्लिम मेडिकल, टेक्निकल और नर्सिंग स्कूल खोले जा रहे हैं,
जिनमें मुस्लिम छात्रों को सस्ती शिक्षा मिलेगी.
इसके अलावा कई ऐसे अस्पताल बन रहे हैं, जिनमें सिर्फ मुसलमानों का इलाज होगा.
मुसलमान नौजवानों को मुफ्त साइकिल से लेकर लैपटॉप तक बाँटने की स्कीमें चल रही हैं.
इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है ....
कि लैपटॉप केवल मुस्लिम लड़कों को ही मिले, मुस्लिम लड़कियों को नहीं.
जेनेट ने मुस्लिमों को आतंकवाद का दोषी ठहराया .....
जेनेट लेवी ने लिखा है ....
कि बंगाल में बेहद गरीबी में जी रहे लाखों हिंदू परिवारों को ऐसी किसी योजना का फायदा नहीं दिया जाता.
जेनेट लेवी ने दुनिया भर की ऐसी कई मिसालें दी हैं ....
जहाँ मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता और अपराध के मामले बढ़ने लगे.
आबादी बढ़ने के साथ ऐसी जगहों पर पहले अलग शरिया क़ानून की माँग की जाती है ....
और फिर आखिर में ये अलग देश की माँग तक पहुँच जाती है.
जेनेट ने अपने लेख में इस समस्या के लिए इस्लाम को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है.
उन्होंने लिखा है कि कुरान में यह संदेश खुलकर दिया गया है ...
कि दुनिया भर में इस्लामिक राज स्थापित हो.
तस्लीमा नसरीन का उदाहरण किया पेश .....
जेनेट ने लिखा है कि हर जगह इस्लाम जबरन धर्म-परिवर्तन या गैर-मुसलमानों की हत्याएं करवाकर फैला है.
अपने लेख में बंगाल के हालातों के बारे में उन्होंने लिखा है.
बंगाल में हुए दंगों का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा है ....
कि 2007 में कोलकाता में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ दंगे भड़क उठे थे.
ये पहली कोशिश थी जिसमे बंगाल में मुस्लिम संगठनों ने इस्लामी ईशनिंदा (ब्लासफैमी) कानून की माँग शुरू कर दी थी.
भारत की धर्म निरपेक्षता पर उठाये सवाल ....
1993 में तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनको जबरन मुसलमान बनाने के मुद्दे पर किताब ‘लज्जा’ लिखी थी.
किताब लिखने के बाद उन्हें कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था.
वो कोलकाता में ये सोच कर बस गयी थी कि वहाँ वो सुरक्षित रहेंगी क्योंकि भारत तो एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वहाँ विचारों को रखने की स्वतंत्रता भी है.
मगर हैरानी की बात है कि धर्म निरपेक्ष देश भारत में भी मुस्लिमों ने तस्लीमा नसरीन को नफरत की नजर से देखा.
भारत में उनका गला काटने तक के फतवे जारी किए गए.
देश के अलग-अलग शहरों में कई बार उन पर हमले भी हुए.
मगर वोटबैंक के भूखी वामपंथी और तृणमूल की सरकारों ने कभी उनका साथ नहीं दिया.
क्योंकि ऐसा करने पर मुस्लिम नाराज हो जाते और वोटबैंक चला जाता.
बंगाल में हो रही है ‘मुगलिस्तान’ देश की माँग ....
जेनेट लेवी ने आगे लिखा है ....
कि 2013 में पहली बार बंगाल के कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग ‘मुगलिस्तान’ की माँग शुरू कर दी.
इसी साल बंगाल में हुए दंगों में सैकड़ों हिंदुओं के घर और दुकानें लूट लिए गए ....
और कई मंदिरों को भी तोड़ दिया गया.
इन दंगों में सरकार द्वारा पुलिस को आदेश दिये गए कि वो दंगाइयों के खिलाफ कुछ ना करें.
हिन्दुओं का बहिष्कार किया जाता है?
ममता को डर था कि मुसलमानों को रोका गया ....
तो वो नाराज हो जाएंगे और वोट नहीं देंगे.
लेख में बताया गया है .....
कि केवल दंगे ही नहीं बल्कि हिन्दुओं को भगाने के लिए जिन जिलों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहाँ के मुसलमान हिंदू कारोबारियों का बायकॉट करते हैं.
मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में मुसलमान हिंदुओं की दुकानों से सामान तक नहीं खरीदते.
यही वजह है कि वहाँ से बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन होना शुरू हो चुका है.
कश्मीरी पंडितों की ही तरह यहाँ भी हिन्दुओं को अपने घरों और कारोबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ रहा है.
ये वो जिले हैं जहाँ हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं.
आतंक समर्थकों को संसद भेज रही ममता ....
इसके आगे जेनेट ने लिखा है ....
कि ममता ने अब बाकायदा आतंकवाद समर्थकों को संसद में भेजना तक शुरू कर दिया है.
जून 2014 में ममता बनर्जी ने अहमद हसन इमरान नाम के एक कुख्यात जिहादी को अपनी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा.
हसन इमरान प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सह-संस्थापक रहा है.
हसन इमरान पर आरोप है ...
कि उसने शारदा चिटफंड घोटाले का पैसा बांग्लादेश के जिहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी तक पहुँचाया, ताकि वो बांग्लादेश में दंगे भड़का सके.
हसन इमरान के खिलाफ एनआईए और सीबीआई की जाँच भी चल रही है.
लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट के मुताबिक कई दंगों और आतंकवादियों को शरण देने में हसन का हाथ रहा है. उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से रिश्ते होने के आरोप लगते रहे हैं.
जेनेट के मुताबिक़ बंगाल का भारत से विभाजन करने की माँग अब जल्द ही उठने लगेगी.
इस लेख के जरिये जेनेट ने उन पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है,
जो मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहाँ बसा रहे हैं,
कि जल्द ही उन्हें भी इसी सब का सामना करना पडे

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मोदी_का_मायाज़ाल_लुटियन_दलाल_बेहाल😊
26 जनवरी को एयर इंडिया के एक बोइंग जेट विमान ने कैरेबियन द्वीप के लिए उड़ान भरी थी। आश्चर्यजनक रूप से लगभग 350 यात्रियों की क्षमता वाले इस विमान में केवल 24-25 यात्री सवार थे। यह सभी यात्री भारतीय जांच एजेंसियों के अधिकारियों की एक टीम के सदस्य थे। उस विमान की दिल्ली से कैरेबियन द्वीप समूह के लिए रवानगी भी उस विमान की कोई नियमित उड़ान नहीं थी। सुनियोजित तरीके से यह खबर आधी अधूरी जानकारी के साथ कुछ न्यूज एजेंसियों को लीक भी कर दी गयी थी। साथ में यह भी संकेत दिया गया था कि अपना कार्य पूरा करके यह टीम सम्भवतः 29 जनवरी तक वापस आएगी। परिणामस्वरूप देश और दुनिया की निगाहें कैरेबियन द्वीप समूह, विशेषकर एंटीगुआ आइलैंड पर टिक गयी थी। लुटियनिया दलाल कार्रवाई का हल्ला मचाकर भगोड़ों को #Alert करने में जुट गए थे। भगोड़ा चौकसी बयानबाजी भी करने लगा था।
लेकिन जिस समय पूरी दुनिया की जांच एवं गुप्तचर एजेंसियों के साथ ही साथ लुटियनिया दलालों की निगाहें कैरेबियन द्वीप पर गड़ी हुईं थीं उस समय वहां से लगभग 12000 किमी दूर दुबई की धरती पर भारतीय जांच एजेंसियों की टीम अपना जाल बिछा रही थी। उसके उस जाल में हज़ारों करोड़ के रक्षा सौदे कराने वाले हथियार दलाल दीपक तलवार और राजीव सक्सेना आराम से फंस गए थे। जिन्हें लेकर भारतीय जांच एजेंसियों की टीम 30 जनवरी की रात भारत के लिए रवाना हो गयी थी.? 26 जनवरी को कैरेबियन द्वीप समूह के लिए जिस विमान ने उड़ान भरी थी क्या वो वहां पहुंचा था.? या आकाश में ही अपना रास्ता बदलकर वो दुबई पहुंच गया था.?
यह सवाल अनुत्तरित ही हैं और सम्भवतः अनुत्तरित ही रहेंगे। लेकिन पूरी ताकत से दायां हाथ लहराने के बाद अचानक बाएं हाथ से थप्पड़ मारकर सामने वाले को बुरीतरह चौंका देने की यह रणनीतिक शैली है लाजवाब। मोदी की इस रणनीति के थप्पड़ से लुटियनिया दलालों का मुंह लगातार लाल होता रहा है।
लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व उरी में सेना के कैम्प पर हुए हमले के बाद भी मोदी सरकार ने अपने शत्रु पाकिस्तान पर इसीतरह प्रहार कर के उसे चौंकाया था और चित्त कर दिया था।
याद करिए कि उड़ी में सेना के कैम्प पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान का पानी काट देने की चर्चा जोर शोर से शुरू हो गयी थी। जल संसाधन मंत्री समेत जल संसाधन मंत्रालय तथा अन्य सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ प्रधानमंत्री रक्षामंत्री विदेशमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की ताबड़तोड़ बैठकें दिल्ली के नार्थ और साउथ ब्लॉक में होने लगी थी। 5-6 दिन में ऐसा समां बन गया था मानो अगले कुछ ही दिनों में पाकिस्तान का पानी रोक दिया जाएगा। हालांकि थोड़ी सी भी तकनीकी जानकारी रखनेवाला व्यक्ति यह समझ सकता था कि पाकिस्तान का पानी रोके जाने पर उस पानी का भारतीय सीमा के भीतर ही निस्तारण करने की समुचित व्यवस्था किए बिना पाकिस्तान जानेवाले पानी को स्थायी रूप से रोका जाना सम्भव ही नहीं तथा ऐसी किसी व्यवस्था को करने में कम से कम दो से ढाई वर्ष का समय लगेगा ही लगेगा। लेकिन उस समय मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तान को जा रहे पानी को रोके जाने का समां इतने शातिर और सधे हुए अंदाज़ में बनाया गया था कि पाकिस्तान में भी हड़कम्प मच गया था। वहां के न्यूजचैनलों में इसबात पर घण्टों बहस होने लगी थी कि भारत द्वारा पाकिस्तान का पानी रोके जाने के क्या और कैसे परिणाम होंगे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपरोक्त प्रकरण जबरदस्त चर्चा का विषय बन गया था। ऐसे किसी भी भारतीय निर्णय के अच्छे बुरे भावी परिणामों की अटकलों अनुमानों का बाज़ार गर्म होकर जब अपने चरम पर पहुंच चुका था तब ही 28 सितम्बर की सुबह भारतीय सेना के DGMO ने आकस्मिक पत्रकार वार्ता बुलाकर यह एलान कर के देश के साथ साथ दुनिया को भी चौंका दिया था कि आज बीती रात को हमारी सेना के कमांडों जवानों ने पाकिस्तानी सीमा के भीतर घुसकर 250 किमी के दायरे में स्थित आतंकी अड्डों पर हमला कर उन अड्डों को नेस्तनाबूद कर के भारी संख्या में आतंकवदियों को मौत के घाट उतार के उड़ी हमले का बदला ले लिया है।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह रणनीतिक मुद्रा अत्यन्त विशिष्ट है। प्रधानमंत्री मोदी अपना बायां हाथ लहराते झुलाते हुए अपने दाएं हाथ से झन्नाटेदार थप्पड़ अचानक और कब मार देंगे😊
#इसका_पता_थप्पड़_मारे_जाने_के_बाद_ही_लगता_है😊
Satish Chandra Mishra ji ki post
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मोदी का बोनांजा बजट और कांग्रेस की परेशानी
आज बजट पेश किया गया, और उम्मीदों के अनुसार ही सरकार ने किसानों, मध्यमवर्गीय लोगो, गरीबो, आर्गनाइज्ड और unorganized सेक्टर के लोगो के लिए जमकर रियायतें दी हैं। ये ऐसा बजट बनाया गया है, जिसकी बुराई करना लगभग असंभव ही प्रतीत होता है।
लेकिन विरोधी तो विरोधी ही हैं ना?
बजट पेश करते समय जब जब किसानों और मध्यमवर्गीय लोगो के लिए रियायतों की घोषणा की गई, तब तब आपने कांग्रेसी और अन्य विपक्षी नेताओं के चेहरे भी देखे होंगे। खासकर जब 5 लाख तक कि आमदनी को टैक्स फ्री करने की घोषणा की गई, तब आप कांग्रेसी नेताओ की बॉडी लैंग्वेज देखिये, जब पूरा सदन मेजें थपथपा रहा था, तब विपक्ष ऐसा लग रहा था जैसे शमशान में बैठा हो.....एक अजीब सी चुप्पी छाई हुई थी।
बजट के बाद राहुल गांधी संसद से बाहर निकले, और पत्रकारों को बिना कोई byte दिए बाहर चले गए। वहीं दूसरी ओर चिदंबरम ने पहले तो इस बजट को वोट के लिए बनाया हुआ बता दिया। वोटर्स को खरीदने वाला बताया, बाद में चिदंबरम ने ही कहा कि ये BJP ने उनकी ही नकल की है 😊
वहीं राहुल गांधी ने किसानों के खाते में सालाना 6000 रुपये ट्रांसफर करने को शर्मनाक बताया। जबकि कुछ ही साल पहले उन्ही की सरकार ने 27 रुपये प्रतिदिन कमाने वाले को गरीबी की रेखा से ऊपर वाला बताया।
वहीं ये भी खबर आ रही है कि कांग्रेस समर्थित वकील ML Sharma, जो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा फर्जी PIL डालने पर लतियाये भी जा चुके हैं, उन्होंने इस बजट को असंवैधानिक बता कर इसे रद्द करने की याचिका डाल दी है।
अब कांग्रेस सीधे सीधे तो विरोध करेगी नही, तो अपने प्यादों को लगा दिया है एक लोकलुभावन बजट को रोकने के लिए।
वहीं अन्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इस बजट को जुमला बताया है।
वहीं गुप्त सूत्रों से यह ख़बर भी आ रही है कि अगर किसी भी तरह महागठबंधन की सरकार बनी, तो सरकार बनाने के पश्चात पूर्ण बजट पेश करने के दौरान इन सभी रियायतों को वापस ले लिया जाएगा, और इसे मोदी सरकार के एक जुमले के तौर पर प्रचारित किया जाएगा।
जानकारी के लिए बता दूं, कि ये एक अंतरिम बजट था, और सरकार बनने के बाद नए वित्त मंत्री पूर्ण बजट पेश करते हैं। उस समय इन सभी प्रावधानों को वापस ले कर इन्हें एक जुमले के तौर पर प्रचारित करने के लिए सभी विपक्षी दलों में सहमति बन गयी है।
अब ये सब वोटर्स को सोचना है कि उन्हें अपना फायदा देखना है या इन विपक्षी पार्टियों का। इतने दशकों से ये हमजे लूटते रहे, और आज आम जनता को फायदा हुआ तो इनके पेट मे दर्द होने लगा।
निर्णय आपको लेना है, सोच समझ कर निर्णय लें......एक छोटी सी गलती आपके भविष्य को अंधेरी गर्त में डाल सकती है।
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Super Bug : एलोपैथिक चिकित्सा का षड्यंत्र :
हाल ही में एक अमेरिकन स्त्री की मृत्यु एक ऐसे जीवाणु के संक्रमण से हो गयी जिस पर अब तक ज्ञात सभी ऐंटीबायोटिक बेअसर साबित हुए उसके अंदर मौजूद निमोनिया के जीवाणु ने एक जीन विकसित कर लिया जिसके कारण उस पर सभी एंटीबीओटिक फ़ैल हो गयी उस महिला का इलाज़ भारत में हुआ था इस लिए उस जीवाणु की उत्पत्ति भारत से मानी गयी और कारण भारत में सभी एंटीबीओटिक के अत्यधिक प्रयोग को माना गया ।
ये क्या हुआ इसको समझने के लिए प्रकर्ति के सामान्य सिद्धांत को समझ लेते हैं जहाँ कहीं भी आहार होगा उसको पंचतत्वों (अग्नि,वायु,जल,भूमि,आकाश) में विलीन करने के लिए चारों और से माइक्रोब्स(जीवाणु) सक्रीय हो जाएंगे और तब तक कार्य करेंगे जब तक विलीनीकरण की क्रिया सम्पूर्ण नहीं हो जाती । उदहारण के लिए यदि हम एक हंडिया में मल भरकर रख देते हैं तो उसमें जीवाणु और कीड़े पैदा गो जाएंगे और तेजी से उसको मिटटी में बदलने का कार्य करने लगेंगे अब यदि प्रक्रिया के बीच में हम उसमे गमैक्ससीन नामक जहर डाल दें तो जीवाणु मर जायेंगे किन्तु प्रक्रिया अधूरी रहने की वजह से जीवाणु गमैक्ससीन से प्रतिरोध पैदा करके फिर सक्रीय होंगे और अब गमैक्सीन जहर से नहीं मरेंगे अब उनको मारने के लिए अगली पीढ़ी का ज्यादा शक्तिशाली जहर चाहिए जैसे एंडोसल्फान आदि लेकिन जीवाणु तब तक प्रतिरोध पैदा करके वापसी करता रहेगा जब तक मल का मिटटी में रूपांतरण न कर ले । यही होता है शरीर में जब हमारा शरीर मल से भर जाता है कब्ज और कफ के रूप में । और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जब मल बाहर फेंकने के लिए दस्त, उल्टी, बुखार व जुकाम शुरू करती है (इनको आयुर्वेद में मित्र रोग कहां जाता है) पर एलोपैथिक डॉक्टर उसको रोग कह कर दवाई देकर रोक देते हैं और एंटीबायोटिक नामक जहर से जीवाणु (इन्फेक्शन) को मार देते हैं परंतु शरीर की मल फैंकने की क्षमता को नहीं बढ़ाते । इस लिए इन्फेक्शन बार बार रिपीट करता है और हर बार ज्यादा शक्तिशाली antibiotic की जरूरत पड़ती है |
ऐसा भी होता है जब वो मल एवम् इन्फेक्शन अंतरंग अंगों को फेल करने लगते हैं तथा शरीर के कार्यों में अवरोध पैदा होता है | (सेप्टीसीमिया)WHO ने 2019 तक सभी एंटीबायोटिक दवाओं के जीवाणुओं पर बेअसर होने की भविष्यवाणी कर दी है ।
Detoxification क्या है ? :-
आयुर्वेद में ऐसे मरीज़ जिन पर दवाइयों का असर समाप्त हो जाता है उनको आयुर्वेद से उल्टी,दस्त,मूत्र मार्ग द्वारा शरीर से गंदगी जहर वेशाक्त प्रदार्थ निकाल दिए जाते हैं तो औषधि उन पर पुनः कार्य करने लगती है ।
यही किर्या द्वारा जिससे दस्त शुरू हो जाते हैं ये तब तक किया जाता है जब तक पानी पीकर पानी ही बाहर न आने लगे ।
कफ निकालने के लिए जल नेति एवं कुंज्जर क्रिया (पानी पीकर उलटी करना) का अभ्यास किया जाता है जिससे नज़ला-जुकाम- दमा-निमोनिया आदि का जड़ से निदान हो जाता है और वो दुबारा नहीं पनपता है ।
ऊपर दिए उदाहराण से स्पष्ट है कि एलोपेथी ने कितना विकास किया है |
दरअसल वो गन्दगी को बिना साफ़ किये जहर के इंजेक्शन से इन्फेक्शन नियंत्रण करना चाहते हैं |
जो कि सिद्धांतत: गलत है और उसका अंत आखिर एलोपैथिक चिकित्सा के हार के रूप में ही मिलना है तो भारत पर इसका आरोप डाल कर पश्चिम जगत अपनी उपचार पद्धति की हार को लंबे समय तक नहीं छुपा सकेगा ।
तब तक आइये स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत अपने शरीर की मलशुद्धि के साथ शुरू करते हैं और दिखा देते हैं पश्चिम जगत को कि एंटीबायोटिक के फेल होने से हम नहीं मरने वाले ।
यदि उनको जीवित रहना है तथा रोगों का स्थायी उपचार करना है तो हमारी भारतीय चिकित्सा प्रणाली " अयुर्वेद,प्राकृतिक चिकित्सा/योग " की शरण में आना ही होगा ।
सर्वाणाम् रोगणाम् कारणम् - कुपित मलम् ।
अत: 20,000वर्ष पुराने अयुर्वेद,
नेचुरोपैथी को अपनाकर, जीवन स्वस्थ बनाईये ।
शुद्ध-सात्विक रहन-सहन, और सादा भोजन खाईये।



sanskar--march

वैसे तो चीकू पूरे वर्ष बाजार में उपलब्ध रहता है ...पर इस समय चीकू की बहार रहती है.... इसे सर्दी का मेवा भी कहा जाता है....चीकू मध्यम आकार का फलीय वृक्ष है.... गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्यों में इसकी बड़े क्षेत्रफल में खेती की जाती है....अब तो मध्यप्रदेश में भी इसकी बड़े स्तर पर खेती होने लगी है..… इस फल में दो से तीन काले रंग के बीच होते है...इसे बीज और ग्राफ्टिंग दोनो प्रकार से लगाया जा सकता है..इस पेड़ की ग्राफ्टिंग रायण(खिरनी) पर की जाती है.....इसे हम घर के आंगन या बाड़े में आसानी से लगा सकते हैं..।
चीकू में शर्करा पर्याप्त मात्रा में होती है...इसमे फास्फोरस,लोह तत्व और वसा प्रचुर मात्रा में पायी जाती है....इस कारण इसे सर्दी का मेवा भी कहा जाता है
चीकू पचने में थोडा भारी होता है... यह फ्रूक्टोज एवं सुक्रोज का एक अच्छा स्रोत है.... वैसे इस फल को आप कभी भी खा सकते हैं लेकिन भोजन ग्रहण करने के बाद चीकू खाने से इसका स्वास्थ्य लाभ एवं औषधीय गुण कई गुना बढ़ जाता है।
बालो का झड़ना हो या आंखों की बीमारी...त्वचा की सुंदरता हो या हड्डियों की मजबूती चीकू फल का सेवन समाधान है.....चीकू के बीज को पीसकर खाने से किडनी की #पथरी पैसाब के रास्ते बाहर निकल जाती है ।
इसमें पाए जाने वाला "टैनिन" हमे कब्ज दस्त और एनीमिया से बचाता है...
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झांसी के अंतिम संघर्ष में #महारानी_लक्ष्मीबाई की पीठ पर बंधा उनका बेटा #दामोदर_राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ?
वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने उसी गुलाम भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी.

अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी. ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली.

1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा.

महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया. उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं हिंदुस्तान के लोग भी बराबरी से थे.

आइये, दामोदर की कहानी दामोदर की जुबानी सुनते हैं –

15 नवंबर 1849 को नेवलकर राजपरिवार की एक शाखा में मैं पैदा हुआ. ज्योतिषी ने बताया कि मेरी कुंडली में राज योग है और मैं राजा बनूंगा. ये बात मेरी जिंदगी में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सच हुई. तीन साल की उम्र में महाराज ने मुझे गोद ले लिया. गोद लेने की औपचारिक स्वीकृति आने से पहले ही पिताजी नहीं रहे.

मां साहेब (महारानी लक्ष्मीबाई) ने कलकत्ता में लॉर्ड डलहॉजी को संदेश भेजा कि मुझे वारिस मान लिया जाए. मगर ऐसा नहीं हुआ.

डलहॉजी ने आदेश दिया कि झांसी को ब्रिटिश राज में मिला लिया जाएगा. मां साहेब को 5,000 सालाना पेंशन दी जाएगी. इसके साथ ही महाराज की सारी सम्पत्ति भी मां साहेब के पास रहेगी. मां साहेब के बाद मेरा पूरा हक उनके खजाने पर होगा मगर मुझे झांसी का राज नहीं मिलेगा.

इसके अलावा अंग्रेजों के खजाने में पिताजी के सात लाख रुपए भी जमा थे. फिरंगियों ने कहा कि मेरे बालिग होने पर वो पैसा मुझे दे दिया जाएगा.

मां साहेब को ग्वालियर की लड़ाई में शहादत मिली. मेरे सेवकों (रामचंद्र राव देशमुख और काशी बाई) और बाकी लोगों ने बाद में मुझे बताया कि मां ने मुझे पूरी लड़ाई में अपनी पीठ पर बैठा रखा था. मुझे खुद ये ठीक से याद नहीं. इस लड़ाई के बाद हमारे कुल 60 विश्वासपात्र ही जिंदा बच पाए थे.

नन्हें खान रिसालेदार, गनपत राव, रघुनाथ सिंह और रामचंद्र राव देशमुख ने मेरी जिम्मेदारी उठाई. 22 घोड़े और 60 ऊंटों के साथ बुंदेलखंड के चंदेरी की तरफ चल पड़े. हमारे पास खाने, पकाने और रहने के लिए कुछ नहीं था. किसी भी गांव में हमें शरण नहीं मिली. मई-जून की गर्मी में हम पेड़ों तले खुले आसमान के नीचे रात बिताते रहे. शुक्र था कि जंगल के फलों के चलते कभी भूखे सोने की नौबत नहीं आई.

असल दिक्कत बारिश शुरू होने के साथ शुरू हुई. घने जंगल में तेज मानसून में रहना असंभव हो गया. किसी तरह एक गांव के मुखिया ने हमें खाना देने की बात मान ली. रघुनाथ राव की सलाह पर हम 10-10 की टुकड़ियों में बंटकर रहने लगे.

मुखिया ने एक महीने के राशन और ब्रिटिश सेना को खबर न करने की कीमत 500 रुपए, 9 घोड़े और चार ऊंट तय की. हम जिस जगह पर रहे वो किसी झरने के पास थी और खूबसूरत थी.

देखते-देखते दो साल निकल गए. ग्वालियर छोड़ते समय हमारे पास 60,000 रुपए थे, जो अब पूरी तरह खत्म हो गए थे. मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि सबको लगा कि मैं नहीं बचूंगा. मेरे लोग मुखिया से गिड़गिड़ाए कि वो किसी वैद्य का इंतजाम करें.

मेरा इलाज तो हो गया मगर हमें बिना पैसे के वहां रहने नहीं दिया गया. मेरे लोगों ने मुखिया को 200 रुपए दिए और जानवर वापस मांगे. उसने हमें सिर्फ 3 घोड़े वापस दिए. वहां से चलने के बाद हम 24 लोग साथ हो गए.

ग्वालियर के शिप्री में गांव वालों ने हमें बागी के तौर पर पहचान लिया. वहां तीन दिन उन्होंने हमें बंद रखा, फिर सिपाहियों के साथ झालरपाटन के पॉलिटिकल एजेंट के पास भेज दिया. मेरे लोगों ने मुझे पैदल नहीं चलने दिया. वो एक-एक कर मुझे अपनी पीठ पर बैठाते रहे.

हमारे ज्यादातर लोगों को पागलखाने में डाल दिया गया. मां साहेब के रिसालेदार नन्हें खान ने पॉलिटिकल एजेंट से बात की.

उन्होंने मिस्टर फ्लिंक से कहा कि झांसी रानी साहिबा का बच्चा अभी 9-10 साल का है. रानी साहिबा के बाद उसे जंगलों में जानवरों जैसी जिंदगी काटनी पड़ रही है. बच्चे से तो सरकार को कोई नुक्सान नहीं. इसे छोड़ दीजिए पूरा मुल्क आपको दुआएं देगा.

फ्लिंक एक दयालु आदमी थे, उन्होंने सरकार से हमारी पैरवी की. वहां से हम अपने विश्वस्तों के साथ इंदौर के कर्नल सर रिचर्ड शेक्सपियर से मिलने निकल गए. हमारे पास अब कोई पैसा बाकी नहीं था.

सफर का खर्च और खाने के जुगाड़ के लिए मां साहेब के 32 तोले के दो तोड़े हमें देने पड़े. मां साहेब से जुड़ी वही एक आखिरी चीज हमारे पास थी.

इसके बाद 5 मई 1860 को दामोदर राव को इंदौर में 10,000 सालाना की पेंशन अंग्रेजों ने बांध दी. उन्हें सिर्फ सात लोगों को अपने साथ रखने की इजाजत मिली. ब्रिटिश सरकार ने सात लाख रुपए लौटाने से भी इंकार कर दिया.

दामोदर राव के असली पिता की दूसरी पत्नी ने उनको बड़ा किया. 1879 में उनके एक लड़का लक्ष्मण राव हुआ.दामोदर राव के दिन बहुत गरीबी और गुमनामी में बीते। इसके बाद भी अंग्रेज उन पर कड़ी निगरानी रखते थे। दामोदर राव के साथ उनके बेटे लक्ष्मणराव को भी इंदौर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी।
इनके परिवार वाले आज भी इंदौर में ‘झांसीवाले’ सरनेम के साथ रहते हैं. रानी के एक सौतेला भाई चिंतामनराव तांबे भी था. तांबे परिवार इस समय पूना में रहता है. झाँसी के रानी के वंशज इंदौर के अलावा देश के कुछ अन्य भागों में रहते हैं। वे अपने नाम के साथ झाँसीवाले लिखा करते हैं। जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे तब इंदौर में रहते हुए उनकी चाची जो दामोदर राव की असली माँ थी। बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा देती है लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का देहांत हो जाता है। दामोदर राव की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ। दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया। अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए। कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरूण राव तथा चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए।

दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ के याद में उनके कई चित्र बनाये हैं जो झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं।

उनके वंशज श्री लक्ष्मण राव तथा कृष्ण राव इंदौर न्यायालय में टाईपिस्ट का कार्य करते थे ! अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से बतौर जूनियर इंजीनियर 2002 में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका बेटा योगेश राव सॅाफ्टवेयर इंजीनियर है। वंशजों में प्रपौत्र अरुणराव झाँसीवाला, उनकी धर्मपत्नी वैशाली, बेटे योगेश व बहू प्रीति का धन्वंतरिनगर इंदौर में सामान्य नागरिक की तरह माध्यम वर्ग परिवार हैं।

कांग्रेस के चाटुकारों ने तो सिर्फ नेहरू परिवार की ही गाथा गाई है इन लोगों को तो भुला ही दिया गया है जिन्होंने असली लड़ाई लड़ी थी अंग्रेजो के खिलाफ आइए इस को आगे पीछे बढ़ाएं और लोगों को सच्चाई से अवगत कराए !!
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चौरीचौरा उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में हैं जो ब्रिटिश शासन काल में कपड़ों और अन्य वस्तुओं की बड़ी मंडी हुआ करता था। अंग्रेजी शासन के समय गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य अंग्रेजी शासन का विरोध करना था। इस आन्दोलन के दौरान देशवासी ब्रिटिश उपाधियों, सरकारी स्कूलों और अन्य वस्तुओं का त्याग कर रहे थे। इसी प्रकार #चौरीचौरा के स्थानीय बाजार में भी भयंकर विरोध हो रहा था। इस विरोध प्रदर्शन के चलते 2 फरवरी 1922 को पुलिस ने दो क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया था। अपने साथियों की गिरफ़्तारी का विरोध करने के लिए करीब 4 हजार आन्दोलनकरियों ने थाने के सामने ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी करने लगे। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग की। फिर भी जब प्रदर्शनकारी नहीं माने तो उन लोगों पर ओपन फायर किया गया जिसके कारण #3_प्रदर्शनकारियों_की_मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। पुलिसकर्मियों की गोलिया खत्म होने के बाद वे थाने में ही छिप गए। अपने साथी क्रांतिकारियों की मौत से आक्रोशित क्रांतिकारियों ने थाना घेरकर उसमे आग लगा दी। इस घटना में थानाध्यक्ष समेत 22 पुलिसकर्मी जिंदा जल गए।
#गांधी को यह घटना जब पता चली तो वो क्रांतिकरियो से बहुत नाराज हुए थे। उन्होंने उनके लिए कठोर शब्दों का उपयोग किया था और इतना ही नहीं, चौरीचौरा के क्रांतिकारियों को ही दोषी बताते हुए उन्होंने अपना #असहयोग_आंदोलन वापस ले लिया। इसी के चलते चौरीचौरा के वो बलिदानी समाज की नजर में उपेक्षित हो गये। उनको ऐसे देखा जाने लगा जैसे गांधी का कहा न मान कर उन्होंने देश का कोई बहुत बड़ा नुक्सान कर दिया हो।
इसके बाद 9 जनवरी 1923 के दिन चौरीचौरी कांड के लिए 172 लोगों को आरोपी बनाया गया था। अत्याचारी ब्रिटिश हुकूमत ने 19 को फांसी और 14 को काला पानी की सजा सुनाई थी।

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 सोचिए - विज्ञान हमे कहाँ ले आया ?*
*पहले  वो कुँए का पानी पीकर भी 100 वर्ष जी लेते थे
*अब  RO का शुद्ध पानी पीकर 40 वर्ष में बुढे हो रहे है
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*पहले  वो घाणी का मैला सा तैल खाके बुढ़ापे में भी मेहनत कर लेते थे।
*अब  हम डबल-ट्रिपल फ़िल्टर तैल खा कर जवानी में भी हाँफ जाते है
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*पहले  वो डले वाला नमक खाके बीमार ना पड़ते थे।
*अब  हम आयोडीन युक्त खाके हाई-लो बीपी लिये पड़े है
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*पहले  वो नीम-बबूल कोयला नमक से दाँत चमकाते थे और 80 वर्ष तक भी चब्बा-चब्बा कर खाते थे
*अब  कॉलगेट सुरक्षा वाले रोज डेंटिस्ट के चक्कर लगाते है
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*पहले  वो नाड़ी पकड़ कर रोग बता देते थे
*अब  आज जाँचे -रिपोर्ट -कराने पर भी रोग नहीं जान पाते है
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*पहले  वो 7-8 बच्चे जन्मने वाली माँ 80 वर्ष की अवस्था में भी खेत का काम करती थी।
*अब  पहले महीने से डॉक्टर की देख-रेख में रहते है फिर भी बच्चे पेट फाड़ कर जन्मते है
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*पहले  काले गुड़ की मिठाइयां खूब खा जाते थे
*अब  खाने से पहले ही सुगर की बीमारी हो जाती है
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*पहले  बुजर्गो के भी घुटने नहीं दुखते थे
*अब  जवान भी घुटनो और कन्धों के दर्द से कहराता है
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*समझ नहीं आता ये विज्ञान का युग है या अज्ञान का ?*
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इतने दिग्गजों के बीच पद्मश्री पाने वाला एक नाम है एक चाय बनाने वाले कटक,ओडिसा के डी.प्रकाशराव का.इतने दिग्गजों के बीच एक चाय वाला???लेकिन चायवाला क्यो??क्योकि चायवाला जो काम कर रहा है वो देश और समाज के समक्ष मिसाल है.
वह रोज सुबह 4 बजे जगते हैं। कटक के बख्‍शीबाजार में उनकी एक छोटी सी चाय की दुकान है। 10 बजे दिन तक डी. प्रकाश राव आपको यही मिलेंगे। वह बीते 50 साल से चाय बेच रहे हैं। उनके पिता भी यही काम करते थे। लेकिन प्रकाश राव की असली जिंदगी दिन के 10 बजे के बाद शुरू होती है। वह गरीब बच्‍चों के लिए स्‍कूल चलाते हैं। अपनी कमाई का अध‍िकतर हिस्‍सा 80 बच्‍चों के लिए चलाए जा रहे स्‍कूल में लगा देते हैं। श‍िक्षा की अलख जगा रहे प्रकाश राव की जिंदगी एक मिसाल है
प्रकाश राव को चाय बेचकर जो भी पैसा मिलता है, उसका बड़ा हिस्सा वह समाज सेवा में लगा देते हैं। वह 1976 से बख्‍शीबाजार में चाय की दुकान चला रहे हैं। उनके पिताजी भी यही दु‍कान चलाते थे। पिता ने दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया था। कहते हैं कि इंसान खुद जिस चीज के लिए तरसता है, दूसरों को उस दर्द में कभी नहीं देखना चाहता। यही बात डी. प्रकाश राव के साथ भी है। पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। लेकिन पिता चाहते थे कि प्रकाश राव काम में उनका हाथ बंटाए। लिहाजा, बचपन चाय की केतली के इर्द-गिर्द ही बीता।हालांकि, स्‍कूल में पढ़ाई का सिलसिला भी जारी रहा। जब डी. प्रकाश राव 11वीं कक्षा में थे, तब उनके पिता गंभीर रूप से बीमार हो गए। परिवार के पालन-पोषण की जिम्‍मेदारी प्रकाश राव पर आ गई। पढ़ाई छूट गई और दुकानदारी ही जिंदगी बन गई। लेकिन एक टीस थी, जो सीने में जलती रही। प्रकाश राव ने देखा कि उनके आसपास झुग्गी में रहने वाले बच्चे स्कूल नहीं जाते। उन बच्‍चों के माता-पिता नन्‍हें-मुन्‍नों से कमाई करवाना ज्‍यादा जरूरी मानते हैं। आसपास कोई स्कूल भी नहीं था।
डी. प्रकाश राव ने एक शुरुआत करने की ठानी। साल 2000 में एक छोटा सा स्कूल खोल दिया। आसपास रहने वाले लोगों से बात की और उन्‍हें बच्‍चों को स्‍कूल भेजने के लिए मनाया। कुछ शिक्षक भी नियुक्त किए और खुद भी थोड़ा बहुत पढ़ाने लगे। डी. प्रकाश राव का यह स्‍कूल अभी सिर्फ तीसरी क्‍लास तक है। इसके बाद प्रकाश राव बच्‍चों का सरकारी स्कूल में दाखिल करवा देते हैं। उनके स्कूल के बच्चे पढ़ाई में अव्‍वल आते हैं। खेल की दुनिया में इन बच्‍चों का नाम है। 2013 में गोवा में हुए नेशनल विंड सर्फिंग कंपीटिशन में डी. प्रकाश राव के स्कूल के महेश राव ने छह गोल्ड मेडल जीते थे।
प्रकाश राव शुरुआत में स्कूल चलाने का पूरा खर्चा खुद उठाते थे। लेकिन अब दूसरे लोग भी इसमें उनकी मदद करते हैं। स्कूल चलाने के अलावा प्रकाश राव निकट के एससीबी अस्पताल में सरकार की मदद से एक सहायता केंद्र भी चलाते हैं। इस सहायता केंद्र से वो मरीजों को दूध, गर्म पानी, आइस क्यूब और अन्य जरूरत की चीजें उपलब्ध करवाते हैं। बीते 40 साल से वह लगातार रक्तदान भी करते आ रहे हैं।
आज के युग मे जहां लोग जमीन जायदाद और थोड़े से पैसों के लालच में अपनो को मार रहे ऐसे युग मे चाय बेचकर दुसरो के गरीब बच्चो को पढ़ाना और दीं दुखियों की सेवा करने वाले प्रकाश राव असाधारण कार्य कर रहे है और ये प्रकाशराव का नही बल्कि पद्मश्री का सन्मान है.,
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गौरवशाली है हम लोग... हिन्दू धर्म मे जन्म मिला ....
भगवान शिव की नटराज स्वरुप प्रतिमा 2008 में जेनेवा मे यूरोपियन आर्गनाइजेशन फार न्यूकिलर रिसर्च ( सर्न ) की
महाप्रयोगशाला के बाहर स्थापित की गयी थी ।
भारत ने नटराज की ये मूर्ति भी भेंट की थी जो चोल काल की बताई जाती है। हिन्दु धर्मानुसार 33 कोटी के देवी देवताओं मे  से भगवान शिव ही सृष्ट्रि के रचियता और सँहारक है. 
 जेनेवा मे यूरोपियन आर्गनाइजेशन फार न्यूकिलर रिसर्च ( सर्न ) मे 2008 मे जब एक महाप्रयोग की शुरुआत की गयी तब भगवान शिव की नटराज स्वरुप प्रतिमा महाप्रयोगशाला के बाहर पूर्णत वैदिक मँत्रोच्चार के साथ स्थापित कर उनके आर्शिवाद के साथ इस महाप्रयोग को शुरु किया गया था। क्योकि ऐसी आशँका थी कि उस प्रयोग से ब्लैकहोल निर्मित हो सकते है जो दुनिया के विनाश का कारण बन सकते है ।

अपने ही देश मे हम हिन्दू व्यक्तिगत रूप के सिवा अन्यत्र कही ऐसा करने की सोच भी नहीं सकते, क्योंकि यहाँ तो हमपर सांप्रदायिक होने का ठप्पा लगा दिया जाता है । शर्म आनी चाहिए धर्मनिरपेक्षियों को जो सर्वधर्मसमभाव का नारा ले कर चलते है ।
इस बात को स्वीकार करे कि हम कितने अधिक भाग्यशाली और गौरवशाली है हम लोग, कि हमको इस महान हिन्दू धर्म मे जन्म मिला ...

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रामेश्वर मिश्र पंकज
मणिकर्णिका फिल्म से सीखने योग्य कुछ और बातें:
1.भारत के हिन्दू राजाओं रानियों के विराट पुस्तकालय होते थे और वे अत्यंत अध्ययन शील होते थे।
2 ईसाइयों को पुस्तकालय जलाने की घृणित आदत मुसलमानों जैसी ही थी।भारत में इसकी जानकारी नहीं है।युरप में यह तथ्य सर्वविदित हैं।किसी हिन्दू राजा ने कभी किसी के पुस्तकालय नहीं जलाए।
3ग्वालियर महाराजा के सैनिक और अधिकारियों के शरीर के आभूषण देखिए।वैसे आभूषण रानी विक्टोरिया के पास तब तक नहीं थे जब तक उन्हें भारत से उपहार नहीं मिले।
महाराजा के समान आभूषण तो किसी यरोपीय राजा के पास आजतक कभी नहीं रहे।
4कम्पनी की वह हैसियत स्वयं की नहीं थी।भारतीय राजाओं के सहयोग से शक्ति बनी पर ईसाइयत ने उन्हें राक्षस बना दिया।कोई हिन्दू राजा या हिन्दू कम्पनी या हिन्दू धनिक लोग वैसे बर्बर कभी नहीं हो सकते।
मणिकर्णिका फिल्म से कुछ और तथ्य
1 कंपनी के राक्षसों और कमीनों को कुचलने के लिए सैनिक दीन दीन ,,हर हर महादेव कहकर दौड़ते हैं जिससे स्पष्ट है कि यह ईसाइयत की नीचता और ढिठाई ,लूट और डाका जनी के विरुद्ध हिंदुओं और मुसलमानों का संयुक्त मोर्चा था।
अतः स्वाधीनता के बाद ईसाइयत को भारत में प्रचार की छूट देने वाले सभी नेता अपराधी हैं क्योंकि गांधी जी ने स्वयं कहा था कि स्वतंत्र भारत में 1 दिन के लिए भी पादरियों को धर्मांतरण की छूट नहीं दी जा सकेगी क्योंकि धर्मांतरण यानी कनवर्जन राष्ट्रद्रोह है और वह भयंकर जहर है ,,मानव जाति के लिए हलाहल विषहै।
उस हलाहल विष और राष्ट्रद्रोह को शब्दों के छल से वागाडमबर से ढककर सभी दल भारत में निरंतर फैलने दे रहे हैं अतः इस मोर्चे पर सभी नेता भारत द्रोह और हिंदू द्रोह के दोषी हैं।
2 15 August 19 47 के बाद मुसलमान नेताओं ने तो इस्लाम के लिए एक बड़ा हिस्सा हड़पने के बाद भी शेष भारतवर्ष में दीन और ईमान की पढ़ाई सरकारी खजाने से जारी रखवाई। अतः वे तो अपने दीनन के लिए वफादार निकले यद्यपि मानवता के लिए हानिकारक है।
परंतु हिंदू नेता हिंदू समाज के प्रति पूरी तरह कृतघ्न निकले और मानवता के प्रति भी।
क्योंकि उन्होंने इस महान युद्ध में हिंदुओं के द्वारा निरंतर लगाए जाने वाले हर हर महादेव और वंदे मातरम के उद्घोष ओं के अनुरूप भावना का सम्मान नहीं किया और हिंदू धर्म को शासन के द्वारा संरक्षण योग्य अधिकृत तथा विधिक रुप से संरक्षण योग्य धर्म नहीं घोषित किया यह स्वयं में महापाप है।
3 फिल्म दिखाती है कि भारत के राजा महाराजा संस्कृत की विद्या परंपरा और भारत की ज्ञान परंपरा के अच्छे खासे जानकार होते थे और श्रद्धा रखते थे ।
1947 ईस्वी के बाद भारत की किसी भी पार्टी का कोई भी शासन में गया हुआ नेता ऐसा नहीं है जो कालिदास, भारवि, माघ, दंडी आदि कवियों को या बाणभट्ट आदि को पढ़ चुका हो या भारत की ज्ञान परंपरा से परिचित हो।
यहां तक कि महाभारत तथा अर्थशास्त्र में प्रतिपादित राज्य के आदर्शों से परिचित हो और उनको शासन के स्तर पर प्रतिष्ठित करने के लिए जिसने कभी भी संकल्प तक दिखाया हो

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राजपूत_शब्द_का_मतलब_राजस्थान_से_नही_है ...राजपूत मतलब धरती पुत्र
अंग्रेजो की मेहरबानी से आज के क्षत्रियो को राजपूत शब्द का मतलब तक नही पता । राजपूत शब्द को " राजस्थान " से जोड़कर देखते है।
जबकि यह सत्य नही है -- राजपूत शब्द का राजस्थान से तो कोई लेना देना ही नही है , ओर ना ही राजपूताने का राजस्थान से कोई लेना देना है ।

#आप_स्वंय_सोंचे-----------
ना तो राठौड़ मूल रूप से राजस्थान के है,
ना कुशवाह
ना यदुवँशी राजस्थान् मूल के है,
ओर ना ही तंवर राजस्थान मूल के है
यहां तक कि जिन महाराणा प्रताप का नाम गर्व से सुनते है, उनका खुद का मूल राजस्थान से नही है ।
राम के वंशजो की पुरानी गद्दी अयोध्या से शुरू होती है, कृष्ण की गद्दी भी द्वारिका से, यह दोनों ही प्रदेश राजस्थान में नही है, पांडव दिल्ली से है, ओर परमार, प्रतिहारो का गढ़ भी पूर्व में राजस्थान् के बाहर ही रहा है ।
राजस्थान में राजपूतो का जमघड़ लगने का एक ही कारण था, बॉर्डर से दुश्मन को देश मे ना घुसने दिया जाए । इसी कारण विभिन्न भारतीय प्रदेशो के राजपूतो ने राजस्थान में आके डेरा डाल लिया ।
राजपूत का अर्थ इस तरह है --
रज = मिट्टी
पूत = पुत्र
मिट्टी का पुत्र, राजपूत -- धरती का पुत्र राजपूत ।
जो अपना अस्तित्व मिट्टी से जोड़े, वह राजपूत । इसमे राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र आदि को बीच मे लाने की आवश्यकता क्या है ??
#राजपूतो का तो कोई एक प्रदेश कभी हो ही नही सकता।
राजपूत के घोड़े का मुख जिधर है, वहीं प्रदेश राजपूत का है , इस बात को भूलकर अगर आप प्रान्त के नाम पर लड़ते हो, ऊँचा या नीचा समझते हो, तो आपको अपने आप को ठीक कर लेना चाहिए ।
याद रखे --
ना कोई कश्मीर का
ना राजस्थान का
ना महाराष्ट्र का
ना हिमाचल का
सिंध से लेकर रामेश्वरम तक सभी राजपूत ---- राजपूत मतलब धरती पुत्र ।
क्षत्रिय केवल राजपूत --
राजपूत ओर क्षत्रिय में कोई भेद नही है ।
यह मराठा, राजपुताना, हिमाचली, पहाड़ी, यह सब आपस मे ऊंच नीच कर खुद को बर्बाद कर लेने के रास्ते है, इस रास्ते पर न चले।
जय शिवाजी
जय महाराणा ।।
#पूजासिंह क्षत्राणी
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जंगल_जलेबी
चित्र को देखते ही आप जंगल जलेबी को पहचान गए होंगे..…इस समय जंगल जलेबी पर फलियों की बहार हैं....हममे से अधिकतर लोगों की बचपन की यादे जो इससे जुड़ी हैं.....।
जंगल जलेबी को गंगा ईमली,चिचबिलाई,अंग्रेजी इमली और हमारे क्षेत्र में इसे कढ़ीग भी कहते है ....बच्चों की अतिप्रिय गंगा ईमली अब दुर्लभ होती जा रही है...इसके पेड़ अब कोई लगाना नही चाहता,,आज का बचपन इन्हें कम ही जानता है..।
#गंगा_ईमली के फल में प्रोटीन, वसा, कार्बोहैड्रेट, केल्शियम, फास्फोरस, लौह, थायामिन, रिबोफ्लेविन आदि तत्व भरपूर मात्र में पाए जाते हैं. इसके पेड की छाल के काढे से पेचिश का इलाज किया जाता है.... त्वचा रोगों, मधुमेह और आँख के जलन में भी इसका इस्तेमाल होता है. पत्तियों का रस दर्द निवारक का काम भी करती है और यौन संचारित रोगों में भी कारगर है ... इसके पेड की लकड़ी का उपयोग इमारती लकड़ी की तरह ही किया जा सकता है....।