Monday 28 January 2019

srijan-march

देश पहले या धर्म?
अगर मुझसे ये सवाल आज से कुछ साल पहले पूछा गया होता तो देश बोलने में 1 सेकण्ड नहीं लगाता ...
पर आज मैं 'धर्म' बोलने में देर नहीं करूँगा!
देश....
.... क्या है देश ? ?
जब तक आप इस देश में हैं, जब तक आप इस देश में सुरक्षित हैं, तभी तक तो है ये आपका देश!
देश तो ये तब भी कहलायेगा जब कोई इस देश पर कब्ज़ा कर ले और आपको भगा दे.......
लेकिन तब ये देश उस आक्रमणकारी का होगा, आपका नहीं!
मतलब साफ है जब तक देश में आपका राज है ...
.... तभी तक देश आपका है!
देश बचता है धर्म से!
जिस मजहब के लोगों के पास एक भी देश नहीं था ...
उसने सिर्फ धर्म पर अडिग रहकर 52 देश बना लिए ....
सवाल ये नहीं कि उनका मजहब ख़राब था या अच्छा!!
जिसने धर्म से ज्यादा राष्ट्रीयता को महत्त्व दिया उसके हाथ से देश निकल गया।
हमारे हाथों से पाकिस्तान के रूप में, अफगानिस्तान के रूप में देश का बड़ा भाग क्यों निकला ?
क्योंकि हम धार्मिक कम सेक्युलर ज्यादा हो गए।
अगर हिन्दु कट्टरवादी होते, अड़ जाते ...
लड़ जाते कि जान जायेगी ...
लेकिन दूसरे धर्म के लोगों को नहीं देंगे अपनी जगह ....
.... तब पाकिस्तान नहीं बनता!
कैराना, कांधला, अलीगढ, आसाम, कश्मीर आदि क्यों हिंदुओं के हाथ से निकला,
क्योंकि उनके लिए देश पहले था धर्म नहीं!
नतीजा धर्म भी गया और देश (स्थान) भी गया!
अब दो सवाल हैं ....
1. क्या पाकिस्तान में "हिन्दू धर्म" है.... ? ?
2. क्या पाकिस्तान हमारा देश रहा ? ?
याने देश भी गया और धर्म भी गया...
..... क्यों गया ?
क्योंकि भारत की तरफ से गाँधी नेहरू जैसे एक जमात ने धर्म छोड़कर सेकुलरिज्म अपनाया!
जबकि जिन्ना ने सिर्फ अपने धर्म की बात कहा,
देश भी माँगा धर्म के आधार पर माँगा ....।
नतीजा उनका धर्म बचा ही नहीं बल्कि बढ़ा और साथ में देश भी पाया!
हिन्दू उल्टा करते हैं,
देश के नाम पर धर्म छोड़ देते हैं!
धर्म छोड़ते ही कमजोर हो जाते हैं।
... और इनके हाथ से धर्म तो जाता ही है, देश भी निकल जाता है!
मेरा पक्ष यही है इस सवाल पर। अगर ये मुसलमान जेहादी सैनिकों की ऐसी हालत कर सकते हैं तो हमारा क्या हाल करेंगे सोचो --mahesh sinha
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प्रशांत भूषण बोले, ‘सेना की वजह से ही कश्मीर में युवा बन रहे आतंकी’
प्रशांत भूषण ने बड़े ही शर्मनाक तरीके से आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार का पक्ष लिया। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए कहा, “आदिल सुरक्षाबलों द्वारा मार खाने के बाद आतंकी बना। यहां ये समझना बहुत जरुरी है कि क्यों कश्मीर में युवा आतंक की राह को अपना रहे हैं और आतंकवादी बन रहे यहां तक कि वो मरने के लिए तैयार हो रहे हैं। यहां तक कि बड़े पैमाने पर आत्मघाती हमलों के बाद भी अमेरिकी सेना अफगानिस्तान और इराक को रोक नहीं रोक सका।” भूषण का मतलब साफ़ है कि अगर आदिल आतंक की राह पर चला तो उसकी जिम्मेदार सेना है। इस पूरे बयान पर गौर करें तो प्रशांत भूषण के अनुसार अगर कोई युवक पत्थरबाजी करे और सुरक्षाबलों पर हमला करे तो उसे सजा न दो क्योंकि वो इससे और आक्रोशित होंगे और बदले की आग में जलेंगे। जबकि सुरक्षा कर्मी पहले युवकों को समझाने का प्रयास करते हैं लेकिन फिर भी कश्मीर में उन्हें पत्थरबाजी का सामना करना पड़ता है। फिर भी प्रशांत भूषण के मुताबिक, सुरक्षाकर्मियों द्वारा युवकों को कोई सजा नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वो भटक जायेंगे और बदले की आग में जलेंगे। इस तरह वो आतंक का दामन थाम लेंगे और इसकी जिम्मेदार सेना ही होगी। ऐसा लगता है कि भूषण अपने इस बयान से कश्मीरी युवाओं के मनोबल को और बढ़ावा दे रहे हैं।
3 नवंबर 2014 को कश्मीर के बड़गाम में 5 कश्मीरी किशोर मोहर्रम में भाग लेने के बाद कार से लौट रहे थे। आर्मी ने संदिग्ध समझ कर रोकने का प्रयास किया। पर ये दो चेकपोस्ट को पार कर गए। तीसरे चेकपोस्ट पर सेना ने वही किया, जो ऐसे में उसे करना चाहिए। दो किशोर मारे गए।
फिर बवाल मचा पूरी कश्मीर घाटी में। सेना चौतरफ़ा दबाव में आ गयी। आनन-फ़ानन में सेना ने एकदम दुर्लभ फ़ैसला लेते हुए माफ़ी मांगा और अपने 14 जवानों पर कार्रवाई की, जिनमें 4 का कोर्ट मार्शल कर दिया गया। उन दो किशोरों के परिवारों को 5-5 लाख ₹ आर्मी ने दिए, भाई-बहनों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया और दोनों परिवारों के एक-एक सदस्य को बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन में नौकरी दी गयी।
अब कतिपय लोग कह रहे कि जब सेना और अर्द्धसैन्य बलों को यह इनपुट था कि उनके काफ़िले पर आरडीएक्स से भी हमला हो सकता है, तो सीआरपीएफ ने ख़ुद की सुरक्षा के लिए कदम क्यों नहीं उठाए ? अब बताइए कि जम्मू से लेकर श्रीनगर तक के रास्ते को सीआरपीएफ कहां-कहां सैनिटाइज करती जाती ?
फिर सेना इस 20 साल के आदिल अहमद की स्कोर्पियो को रोकती और गोली मार देती कैसे ? ज़ाहिर है सेना और अर्द्धसैन्य बलों के दिमाग़ में बड़गाम की वह घटना घूम जाती होगी कि भैया, कोर्ट मार्शल हो जाएगा। कोई कम्युनिस्ट चीन या इजराइल की सेना थोड़े न है !
अब सुप्रीम कोर्ट के बड़े भारी वक़ील अशांत विभीषण ट्वीट कर रहे कि इस आदिल अहमद को सेना ने 2016 में स्कूल से आते वक्त पीट दिया था तो तभी से वह उग्रवादी हो गया था और अंततः बदला लेने के लिए सुसाइड बॉम्बर बन गया। वह आगे लिख रहे कि अमेरिकी सेना तो इराक और अफगानिस्तान में सुसाइड बॉम्बर्स के सामने टिक ही न पायी।
मतलब औक़ात बता रहे अशांत विभीषण हमारी सेना की कि फिर वह कश्मीर में क्या कर लेगी। अशांत विभीषण यह नहीं बताते कि सेना ने तब आदिल अहमद की इसलिए पिटाई की थी क्योंकि वह सेना पर पत्थरबाजी कर रहा था। बक़ौल अशांत विभीषण के तब तो हमारी आर्मी को चाहिए था कि वह मारे डर के थर-थर कांपते हुए इस देशद्रोही आदिल अहमद की आरती उतारती और फूल बरसाती कि भैया, वरना यह सुसाइड बॉम्बर बन जायेगा नहीं तो !
कुछ ओवरस्मार्ट लोगों को देख रहा कि लिख रहे कि यहां लोग बदले की बात कर रहे, पाकिस्तान से युद्ध की बात कर रहे, पता नहीं कि युद्ध में सैनिक बलिदान देगा तो उसके परिवार पर क्या बीतेगी, ख़ुद तो बैठ कर लिखना है, लड़ना तो है नहीं ब्लाह-ब्लाह।
अरे अक्ल के शकरकन्दों, ख़ुद जो सैनिक हमारे बलिदान दिए हैं उनके ही पिता, भाई, घर वाले कह रहे कि हमारा दूसरा लड़का भी जाएगा फ़ौज में लेकिन पाकिस्तान से बदला लो।
और फिर गर हम सैनिक नहीं हो पाए [कमसेकम मेरा सीडीएस और सीपीएफ (एसी) में लिखित पास करने के बाद भी अंतिम रूप से चयन नहीं हुआ था, फिर चश्मा लग जाने के कारण भी मन में हुआ कि अब शायद नहीं हो पायेगा], तो इसका मतलब यह नहीं कि हम लोग उसकी बात नहीं कर सकते। यहां अधिकांश लोगों के घर-परिचित में कहीं न कहीं कोई सेना/अर्द्धसैन्य बलों में लोग हैं।
मतलब ये होशियार की दुम चाह रहे कि वो हमें मारते रहे और हम महात्मा बन कर भीगी बिल्ली बने रहे। बहुत चालाकी से ये हमारी कौम को पूरी तरह कायर बनाना चाह रहे। मेरे देश का एक जवान भी बलिदान देता है तो कष्ट मुझे भी होता है। और हां, जरूरत पड़ी तो हम भी भाग ले सकते हैं युद्ध में। कोई भय नहीं। मौत जब आनी होगी, आ ही जाएगी। जिनको मरने से डर लगता होगा, वो डरे..हमसे भिड़ियेगा तो हम छोड़ने वालों में से नहीं। जिगरे से सिंह हैं, भेड़-बकरी नहीं..मरते दम तक सिंह बन कर ही रहेंगे।
कुछ मीर जाफ़रों को लग रहा कि यह हमला मोदी-शाह ने ही कराया है चुनावों में फ़ायदा लेने के लिए कि हम होशियारचन्द न कहते थे कि मोदिया अंतिम साल में पाकिस्तान से युद्ध तक करवा देगा चुनाव जीतने के लिए। इन करमज़लों को कौन बताए कि यहां जैश ए मोहम्मद जिम्मेवारी ले चुका है।
कुछ गंवार टाइप के लोग राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जी पर ही उंगली उठा रहे उनके बेटे पर निशाना साध कर कि उनके सम्बन्ध किसी पाकिस्तानी से हैं। गज़ब गिरे कुछ लोग। पूर्व आईपीएस अजीत डोभाल जैसा देशभक्त सदियों में आता है। कुछ लिखने से पहले सोच लो गंवारों।
कुछ धूर्त हुतात्मा सैनिकों की जाति ढूंढ रहे। यहां भी बाज न आएं। तो सबसे बड़ा धूर्त यह सवाल उठा रहा कि अर्द्धसैन्य क्यों कहा जाता है सीआरपीएफ को। इन्हें भी सैन्य बल कहा जाए। मतलब बिना टॉपिक के टॉपिक। इन सबके स्थान विशेष पर जो रैपिड एक्शन फ़ोर्स वाली करंट वाली बेंत पड़ेगी, यह धूर्त तभी सुधरेंगे।
वक्त आ गया कि अब कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए की समाप्ति हो। मज़हबी कट्टरपंथ के खात्मे के लिए यह बेहद जरूरी है कि शेष भारतीयों को कश्मीर घाटी में बसाया जाए जैसा कि वामपंथी चीन ने अपने एकमात्र मुस्लिम बहुल प्रान्त शिनजियांग में किया। विशेषकर यूपी-बिहार के लोगों को बसा दीजिये वहां, कसम से पाक अधिकृत ग़ुलाम कश्मीर भी कुछ वर्षों में अपने ख़ेमे में आ जायेगा। यह मज़ाक नहीं कर रहा, पूरी गम्भीरता से कह रहा। पूरा राष्ट्र साथ खड़ा रहेगा।
अच्छी बात है कि विपक्ष भी अब हर कदम में सरकार के साथ खड़ा है। हमारी सेना को पूरी छूट दे दी गयी है कश्मीर में व पाकिस्तान के साथ डीलिंग में। अब समय, स्थान और धमाका सब कुछ हमारी सेना तय करेगी।
देश के बाह्य दुश्मनों से ज़्यादा ख़तरनाक भीतर वाले हैं। इन्होंने हमारी सहिष्णुता को हमारी कायरता समझ बहुत मौज किया है। इन्हें ठीक करना बेहद जरूरी है। विशेषकर घर के भेदिए जिन कथित बुद्धिजीवी हिंदुओं को sickularism का रोग लगा है, वे हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं। ये वही लोग हैं जिनके कारण हमारा देश लगातार कमज़ोर होता रहा व टूटता रहा है।
इन नराधमों को कश्मीरी मुसलमानों का दर्द दिखता है, कश्मीरी पंडितों का नहीं जो कब के बर्बाद हो गए। इनको रोहिंग्या मुसलमानों से प्यार है, पर बौद्ध चकमा शरणार्थियों से नहीं। अंतर समझियेगा। एक तरफ़ कट्टरता और दूसरी तरफ़ शराफ़त का चोला पहन कर विक्टिम कार्ड खेलना कोई इनसे सीखे। और इस तरह हम मूर्ख सिकुड़ते-सिमटते जा रहें।
जयहिंद 🇮🇳
- साभार कुमार प्रियांक
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सिर्फ विरोध का स्तर #अनसब्सक्राइब तक नही इस चैनल को जो भी एड देगा उस #कम्पनी का बहिष्कार जरूरी है ....
आज से कसम है उस कम्पनी का कोई प्रोडक्ट नही लूंगा जो इस चैनल पे दिखाए जाएंगे फिर चाहे बो #पतंजलि ओर jio के ही क्यो न हो...
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गांधी परिवार और कांग्रेस के इशारों पर पाकिस्तान ने करवाया सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमला? डॉक्टर गौरव प्रधान का चौंकाने वाला खुलासा!
कश्मीर में आज जैश-ए-मोहम्मद नाम के इस्लामिक संगठन ने फिदायीन हमला किया, जिसमे भारत के 42 जवान बलिदान हो गए. अब एक के बाद एक कई चौंकाने वाले दावे सामने आ रहे हैं. सबसे पहले तो कई जानकारों का दावा है कि इस आतंकी हमले में कश्मीर पुलिस की भी मिलीभगत है, क्युकी 350 किलो विस्फोटक आतंकियों तक पहुंच गया हो और पुलिस को कानोकान खबर तक नहीं हुई, लोकल खुफिया एजेंसियों को भी पता नहीं चला, ये भी नामुमकिन है.

इसके अलावा डाटा वैज्ञानिक गौरव प्रधान ने ट्वीट करके दावा किया है कि गांधी परिवार व् कांग्रेस के बड़े नेताओं को इस आतंकी हमले की जानकारी पहले से ही थी. गौरव प्रधान ने 7 फरवरी को ही ट्वीट करके जानकारी दी थी कि कांग्रेस के इशारे पर कश्मीर में आतंकी वारदात हो सकती है.बता दें कि इससे पहले कर्नल पुरोहित की रिहाई के बाद भी वैज्ञानिक गौरव प्रधान ने खुलासा किया था कि सोनिया गांधी के आतंकी सरगना हाफिज सईद के साथ कनेक्शन है.

उनके मुताबिक़ 2010 में सोनिया गाँधी और हाफिज सईद की मुलाकात होनी थी. पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद इटालियन माता से 2010 में मिलना चाहता था, मगर इटालियन माता ने इंकार कर दिया क्योंकि इसमें काफी रिस्क था.वैसे सोनिया गांधी की आतंकियों से हमदर्दी कोई नयी बात नहीं है, इससे पहले पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद भी आजमगढ़ की चुनावी रैली में कबूल कर चुके हैं कि बाटला हाउस एनकाउंटर में आतंकियों के मारे जाने की तस्वीरें देखकर सोनिया गांधी रो पड़ी थी.

दाऊद को बचाने के लिए अजित डोवाल को करवाया गिरफ्तार ?

डॉक्टर प्रधान ने ये भी खुलासा किया था कि 2005 में सोनिया-मनमोहन की सरकार के दौरान आज के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल को मुंबई में गिरफ्तार कर लिया गया था, क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान मे बैठे दाऊद को मारने की पूरी योजना बना ली थी.

पाकिस्तान के कहने पर कर्नल पुरोहित को किया गिरफ्तार !

डॉक्टर गौरव प्रधान ने ये भी खुलासा किया था कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमले से ठीक पहले ही कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार किया गया, क्योंकि कर्नल पुरोहित सेना के जासूस थे और 26/11 आतंकी हमले के प्लान के बारे में जानते थे. डॉ गौरव ने ये भी बताया था कि कर्नल पुरोहित की पत्नी अपर्णा पुरोहित ने कहा था कि पाकिस्तान चाहता था कि कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार कर लिया जाए और सोनिया-मनमोहन सरकार भी इसके बारे में विचार भी कर रही थी.

अपने खुफिया मिशन के दौरान कर्नल पुरोहित पाकिस्तान के कई संवेदनशील और नापाक राज जान गए थे, कर्नल पुरोहित का बड़ा जासूसी नेटवर्क भी पाकिस्तान में खुफिया जानकारियां जुटा रहा था. इसीलिए पाकिस्तान कर्नल पुरोहित की कस्टडी की मांग कर रहा था.

गौरव प्रधान ने आगे खुलासा किया कि पाकिस्तानी जनरल पाशा के कहने पर ही कर्नल पुरोहित को ठीक 26/11 आतंकी हमले से पहले गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि पाकिस्तानियों को शक था कि कर्नल पुरोहित को इस आतंकी हमले की भनक लग चुकी थी और वो हमले को विफल कर सकते थे.

बता दें कि इन गंभीर आरोपों की जांच करनी बेहद जरूरी है. जबसे आतंकी हमला हुआ है तबसे गांधी परिवार समेत कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने पाकिस्तान के खिलाफ एक शब्द तक नहीं कहा है, सिर्फ मोदी की बुराई किये जा रहे हैं.

ऐसे में गौरव प्रधान समेत कई जानकार ये दावे कर रहे हैं कि मोदी के खिलाफ देश में माहौल बनाने के लिए कांग्रेस ने ही पाकिस्तान के जरिये से आतंकी हमला करवा दिया है.

आप रणदीप सिंह सुरजेवाला के ट्वीट देखिये, एक भी बार इनके मुह से पाकिस्तान और आतंकियों की आलोचना नहीं निकलती, ये सिर्फ मोदी-मोदी कर रहे है, .ऐसा लग रहा है कि मानो कोंग्रेसी तैयार ही बैठे थे कि हमला हो और वो मोदी के नाम की गालियां निकालना शुरू कर दें. क्या राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए ही ये हमला करवाया गया है? सोशल मीडिया पर लोगों ने इसकी जांच की मांग करनी शुरू कर दी है.
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सच_से_मुंह_मत_चुराइये और सेना तथा सरकार पर दबाव मत बनाइये क्योंकि युद्ध का फैसला कुश्ती लड़कर नहीं हथियारों से होगा।...
 देश ने 30 साल से कोई तोप नहीं खरीदी।
 देश ने 31 साल से कोई आधुनिक बमवर्षक लड़ाकू विमान नहीं खरीदा।
 2009 में देश की सेना ने 3,86,000 बुलेटप्रूफ जैकेट 1.48 लाख बैलेस्टिक हेलमेट मांगे। पर मई 2014 तक सेना को एक भी नहीं दिए गए।
 मई 2014 में वो जब सरकार छोड़कर गए तो सेना को 8.5 लाख अत्यधुनिक बंदूकों की कमी के साथ छोड़ गए।
 2014 में ही CAG रिपोर्ट ही यह भी बता रही थी कि युद्ध की स्थिति में सेना के पास केवल 10 दिन का गोला बारूद है।
हथियारों की यह 30 साल लम्बी कंगाली 2-4 साल में नहीं खत्म होती क्योंकि यह चीजें किसी दुकान में रेडीमेड नहीं मिलती। जब कोई देश ऑर्डर देता है तब उसे बेचने वाला देश अपने यहां बनाता है।
ध्यान रहे कि...
✔️ मोदी ने 1.86 लाख बुलेटप्रूफ जैकेट, 1.5 लाख बैलेस्टिक हेलमेट सेना को दे दिए हैं।मोदीं ने धनुष और सारंग तोप देश में बनवाई हैं और पहली तोप सेना को इसी जनवरी में मिली है।
✔️ मोदी ने विश्व स्तरीय K-9 होवित्जर तोप देश में बनवाई है। इसी जनवरी में सेना को पहली तोप मिली है।
मोदी ने 59000 करोड़ के राफेल खरीदे, पहली खेप इस वर्ष सितम्बर में मिलेगी।
✔️ मोदी ने 40,000 करोड़ के 5 S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम रूस से खरीदे, जो अगले साल सितंबर में मिलेंगे।
✔️ मोदी ने रूस और अमेरिका से 7.5 लाख अत्याधुनिक बंदूकें खरीदीं जो किस्तों में मिलना शुरू हुई हैं।
✔️ पिनाकू अपाचे ओर हनूफ जैसे अत्याधुनिक जहाज ओर ड्रोन अब मिलना सुरु हुए है ...राफेल जैसे जहाज भी अभी नही मिले है और सेना आज भी #उड़ता_ताबूत मिग से काम चला रही है और काँग्रेज़ ने पूरा जोर लगा दिया है कि #राफेल डील केंसिल हो
उपरोक्त सभी खबरें आप सभी मित्रों ने कभी ना कभी पढ़ी ही होंगी।
यह तैयारी किस के लिए हो रही है.?
लेकिन अब जब मुसीबत गले पड़ ही गयी है तो इसका सामना तो देश की सेना करेगी ही। लेकिन जिन हालातों का ऊपर जिक्र किया है उन हालातों में सेना को केवल बल से नहीं बल्कि बुद्धि से भी काम लेना है। इसके लिये थोड़ा समय लगेगा। वह समय उसे दीजिये।
आज यह इसलिए लिखा क्योंकि कल से देख रहा हूं कि कुछ मठाधीश इधर-उधर की कतरनों, सच्ची झूठी कही सुनी के सहारे सोशलमीडियाई जेम्सबांड बनकर यह ऐलान करते घूम रहे हैं कि मानो भारतीय सेना आज रात को ही हमला करने जा रही है।
ऐसी अफवाहें बहुत घातक हैं। क्योंकि या तो ऐसा कोई हमला कुछ घण्टों के भीतर ही होता, जिसमें पाकिस्तान को सम्भलने का मौका नहीं मिलता।
लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ इसका कारण केवल सेना जानती है और हमसे आपसे करोड़ों गुना अधिक बेहतर जानती है। अतः सेना द्वारा अब जो हमला या कार्रवाई होनी है उसमें 1-2 हफ्ते भी लग सकते हैं।
तबतक अपने धैर्य और संयम के बांध मत टूटने दीजिये।

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1 लाख ब्राह्मणों का कत्ल भुला दिया गया...
31 जनवरी से 3 फरवरी 1948 तक पुणे में हुए चित्पावन ब्राहमणों के सामूहिक नरसंहार को आज भारत के 99% लोग संभवत: भुला चुके होंगे, कोई आश्चर्य नही होगा मुझे यदि कोई पुणे का मित्र भी इस बारे में साक्ष्य या प्रमाण मांगने लगे l
सोचने का गंभीर विषय उससे भी बड़ा यह कि उस समय न तो मोबाइल फोन थे, न पेजर, न फैक्स, न इंटरनेट… अर्थात संचार माध्यम इतने दुरुस्त नहीं थे, परन्तु फिर भी नेहरु ने इतना भयंकर रूप से यह नरसंहार करवाया कि आने वाले कई वर्षों तक चित्पावन ब्राह्मणों को घायल करता रहा l
राजनीतिक रूप से भी देखें तो यह कहने में कोई झिझक नही होगी मुझे कि जिस महाराष्ट्र के चित्पावन ब्राह्मण सम्पूर्ण भारत में धर्म तथा राष्ट्र की रक्षा हेतु सजग रहते थे… उन्हें वर्षों तक सत्ता से दूर रखा गया, अब 67 वर्षों बाद कोई प्रथम चित्पावन ब्राह्मण देवेन्द्र फडनवीस के रूप में मनोनीत हुआ है l
हिंदूवादी संगठनों द्वारा मैंने पुणे में कांग्रेसी अहिंसावादी आतंकवादियों के द्वारा चितपावन ब्राह्मणों के नरसंहार का मुद्दा उठाते कभी नही सुना । मैं सदैव सोचता था कि यह विषय 7 दशक पुराना हो गया है इसलिए नही उठाते होंगे। परन्तु जब जब गाँधी वध का विषय आता है समाचार चेनलों पर, तब भी मैंने किसी भी हिंदुत्व का झंडा लेकर घूम रहे किसी भी नेता को इस विषय का संज्ञान लेते हुए नही पाया l
👉क्या चित्पावन ब्राहमण, संघ परिवार या बीजेपी की हिंदुत्व की परिभाषा के दायरे में नही आते…?? या
👉इसलिये कि वे हिदू महासभाई थे...?? या
👉हिन्दू के नरसंहार वही मान्य होंगे जो मुसलमानों या ईसाईयों द्वारा किये गये होंगे ??
...फिर वो भले कांग्रेसी आतंकवादियों द्वारा किये गये हों, या सिख आतंकवादियों द्वारा, उनकी कोई बात नही करता इस देश में l
31 जनवरी 1948 की रात,
पुणे शहर की एक गली,
गली में कई लोग बाहर ही चारपाई डाल कर सो रहे थे …
एक चारपाई पर सो रहे आदमी को कुछ लोग जगाते हैं और … उससे पूछते हैं
कांग्रेसी अहिंसावादी आतंकवादी: नाम क्या है तेरा…?
सोते हुए जगाया हुआ व्यक्ति … अमुक नाम बताता है … (चित्पावन ब्राह्मण)
अधखुली और नींद-भरी आँखों से वह व्यक्ति अभी न उन्हें पहचान पाया था, न ही कुछ समझ पाया था… कि उस पर कांग्रेस के अहिंसावादी आतंकवादी मिटटी का तेल छिडक कर चारपाई समेत आग लगा देते हैं l
चित्पावन ब्राहमणों को चुन चुन कर … लक्ष्य बना कर मारा गया l
घर, मकान, दूकान, फेक्ट्री, गोदाम… सब जला दिए गये l
महाराष्ट्र के हजारों-लाखों ब्राह्मण के घर-मकान-दुकाने-स्टाल फूँक दिए गए। हजारों ब्राह्मणों का खून बहाया गया। ब्राह्मण स्त्रियों के साथ दुष्कर्म किये गए, मासूम नन्हें बच्चों को अनाथ करके सडकों पर फेंक दिया गया, साथ ही वृद्ध हो या किशोर, सबका नाम पूछ पूछ कर चित्पावन ब्राह्मणों को चुन चुन कर जीवित ही भस्म किया जा रहा था… ब्राह्मणों की आहूति से सम्पूर्ण पुणे शहर जल रहा था l
31 जनवरी से लेकर 3 फरवरी 1948 तक जो दंगे हुए थे पुणे शहर में उनमें सावरकर के भाई भी घायल हुए थे l
“ब्राह्मणों… यदि जान प्यारी हो, तो गाँव छोड़कर भाग जाओ..” –
31 जनवरी 1948 को ऐसी घोषणाएँ पश्चिम महाराष्ट्र के कई गाँवों में की गई थीं, जो ब्राह्मण परिवार भाग सकते थे, भाग निकले थे, अगले दिन 1 फरवरी 1948 को कांग्रेसियों द्वारा हिंसा-आगज़नी-लूटपाट का ऐसा नग्न नृत्य किया गया कि इंसानियत पानी-पानी हो गई. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि “हुतात्मा पंडित नथुराम गोडसे” स्वयम एक चित्पावन ब्राह्मण थे l
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 मशहूर अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने अब जो लेख लिखा है ....
और उसमे जो खुलासे किये हैं, उन्हें देख आपके पैरों तले जमीन खिसक जायेगी.
जेनेट लेवी का दावा ------
बंगाल जल्द बनेगा एक अलग इस्लामिक देश
जेनेट लेवी ने अपने ताजा लेख में दावा किया है ....
कि कश्मीर के बाद बंगाल में जल्द ही गृहयुद्ध शुरू होने वाला है ... जिसमे बड़े पैमाने पर हिन्दुओं का कत्लेआम करके मुगलिस्तान नाम से एक अलग देश की माँग की जायेगी ....
यानी भारत का एक और विभाजन होगा और वो भी तलवार के दम पर .....
और बंगाल की वोटबैंक की भूखी ममता बनर्जी की सहमति से होगा सब कुछ.
जेनेट लेवी ने अपने लेख में इस दावे के पक्ष में कई तथ्य पेश किए हैं. उन्होंने लिखा है .....
कि “बँटवारे के वक्त भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 फीसदी से कुछ ज्यादा थी,
जबकि पाकिस्तान के हिस्से में गए पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी थी.
आज पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 27 फीसदी हो चुकी है.
कुछ जिलों में तो ये 63 फीसदी तक हो गई है.
वहीँ दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू 30 फीसदी से घटकर केवल 8 फीसदी ही बचे हैं.”
आप यहाँ जेनेट का पूरा लेख खुद भी पढ़ सकते हैं. http://www.americanthinker.com/…/the_muslim_takeover_of_wes…
बढ़ती हुई मुस्लिम आबादी को ठहराया जिम्मेदार
बता दें कि जेनेट ने ये लेख ‘अमेरिकन थिंकर’ मैगजीन में लिखा है.
ये लेख एक चेतावनी के तौर पर उन देशों के लिए लिखा गया है,
जो मुस्लिम शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल रहे हैं.
जेनेट लेवी ने बेहद सनसनीखेज दावा करते हुए लिखा है ....
कि किसी भी समाज में मुस्लिमों की 27 फीसदी आबादी काफी है ....
कि वो उस जगह को अलग इस्लामी देश बनाने की माँग शुरू कर दें.
उन्होंने दावा किया है ....
कि मुस्लिम संगठित होकर रहते हैं और 27 फीसदी आबादी होते ही इस्लामिक क़ानून शरिया की माँग करते हुए अलग देश बनाने तक की माँग करने लगते हैं.
पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा है ....
कि ममता बनर्जी के लगातार हर चुनाव जीतने का कारण वहाँ के मुस्लिम ही हैं.
बदले में ममता मुस्लिमों को खुश करने वाली नीतियाँ बनाती है.
सऊदी से आने वाले पैसे से चल रहा जिहादी खेल?
जल्द ही बंगाल में एक अलग इस्लामिक देश बनाने की माँग उठने जा रही है ....
और इसमें कोई संदेह नहीं कि सत्ता की भूखी ममता इसे मान भी जाए. उन्होंने अपने इस दावे के लिए तथ्य पेश करते हुए लिखा ....
कि ममता ने सऊदी अरब से फंड पाने वाले 10 हजार से ज्यादा मदरसों को मान्यता देकर वहाँ की डिग्री को सरकारी नौकरी के काबिल बना दिया है.
सऊदी से पैसा आता है ...
और उन मदरसों में वहाबी कट्टरता की शिक्षा दी जाती है.
ममता ने शुरू किया इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट?
गैर मजहबी लोगों से नफरत करना सिखाया जाता है.
उन्होंने लिखा कि ममता ने मस्जिदों के इमामों के लिए तरह-तरह के वजीफे भी घोषित किए हैं,
मगर हिन्दुओं के लिए ऐसे कोई वजीफे नहीं घोषित किये गए.
इसके अलावा उन्होंने लिखा कि ममता ने तो बंगाल में बाकायदा एक इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है.
पूरे बंगाल में मुस्लिम मेडिकल, टेक्निकल और नर्सिंग स्कूल खोले जा रहे हैं,
जिनमें मुस्लिम छात्रों को सस्ती शिक्षा मिलेगी.
इसके अलावा कई ऐसे अस्पताल बन रहे हैं, जिनमें सिर्फ मुसलमानों का इलाज होगा.
मुसलमान नौजवानों को मुफ्त साइकिल से लेकर लैपटॉप तक बाँटने की स्कीमें चल रही हैं.
इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है ....
कि लैपटॉप केवल मुस्लिम लड़कों को ही मिले, मुस्लिम लड़कियों को नहीं.
जेनेट ने मुस्लिमों को आतंकवाद का दोषी ठहराया .....
जेनेट लेवी ने लिखा है ....
कि बंगाल में बेहद गरीबी में जी रहे लाखों हिंदू परिवारों को ऐसी किसी योजना का फायदा नहीं दिया जाता.
जेनेट लेवी ने दुनिया भर की ऐसी कई मिसालें दी हैं ....
जहाँ मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता और अपराध के मामले बढ़ने लगे.
आबादी बढ़ने के साथ ऐसी जगहों पर पहले अलग शरिया क़ानून की माँग की जाती है ....
और फिर आखिर में ये अलग देश की माँग तक पहुँच जाती है.
जेनेट ने अपने लेख में इस समस्या के लिए इस्लाम को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है.
उन्होंने लिखा है कि कुरान में यह संदेश खुलकर दिया गया है ...
कि दुनिया भर में इस्लामिक राज स्थापित हो.
तस्लीमा नसरीन का उदाहरण किया पेश .....
जेनेट ने लिखा है कि हर जगह इस्लाम जबरन धर्म-परिवर्तन या गैर-मुसलमानों की हत्याएं करवाकर फैला है.
अपने लेख में बंगाल के हालातों के बारे में उन्होंने लिखा है.
बंगाल में हुए दंगों का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा है ....
कि 2007 में कोलकाता में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ दंगे भड़क उठे थे.
ये पहली कोशिश थी जिसमे बंगाल में मुस्लिम संगठनों ने इस्लामी ईशनिंदा (ब्लासफैमी) कानून की माँग शुरू कर दी थी.
भारत की धर्म निरपेक्षता पर उठाये सवाल ....
1993 में तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनको जबरन मुसलमान बनाने के मुद्दे पर किताब ‘लज्जा’ लिखी थी.
किताब लिखने के बाद उन्हें कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था.
वो कोलकाता में ये सोच कर बस गयी थी कि वहाँ वो सुरक्षित रहेंगी क्योंकि भारत तो एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वहाँ विचारों को रखने की स्वतंत्रता भी है.
मगर हैरानी की बात है कि धर्म निरपेक्ष देश भारत में भी मुस्लिमों ने तस्लीमा नसरीन को नफरत की नजर से देखा.
भारत में उनका गला काटने तक के फतवे जारी किए गए.
देश के अलग-अलग शहरों में कई बार उन पर हमले भी हुए.
मगर वोटबैंक के भूखी वामपंथी और तृणमूल की सरकारों ने कभी उनका साथ नहीं दिया.
क्योंकि ऐसा करने पर मुस्लिम नाराज हो जाते और वोटबैंक चला जाता.
बंगाल में हो रही है ‘मुगलिस्तान’ देश की माँग ....
जेनेट लेवी ने आगे लिखा है ....
कि 2013 में पहली बार बंगाल के कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग ‘मुगलिस्तान’ की माँग शुरू कर दी.
इसी साल बंगाल में हुए दंगों में सैकड़ों हिंदुओं के घर और दुकानें लूट लिए गए ....
और कई मंदिरों को भी तोड़ दिया गया.
इन दंगों में सरकार द्वारा पुलिस को आदेश दिये गए कि वो दंगाइयों के खिलाफ कुछ ना करें.
हिन्दुओं का बहिष्कार किया जाता है?
ममता को डर था कि मुसलमानों को रोका गया ....
तो वो नाराज हो जाएंगे और वोट नहीं देंगे.
लेख में बताया गया है .....
कि केवल दंगे ही नहीं बल्कि हिन्दुओं को भगाने के लिए जिन जिलों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहाँ के मुसलमान हिंदू कारोबारियों का बायकॉट करते हैं.
मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में मुसलमान हिंदुओं की दुकानों से सामान तक नहीं खरीदते.
यही वजह है कि वहाँ से बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन होना शुरू हो चुका है.
कश्मीरी पंडितों की ही तरह यहाँ भी हिन्दुओं को अपने घरों और कारोबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ रहा है.
ये वो जिले हैं जहाँ हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं.
आतंक समर्थकों को संसद भेज रही ममता ....
इसके आगे जेनेट ने लिखा है ....
कि ममता ने अब बाकायदा आतंकवाद समर्थकों को संसद में भेजना तक शुरू कर दिया है.
जून 2014 में ममता बनर्जी ने अहमद हसन इमरान नाम के एक कुख्यात जिहादी को अपनी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा.
हसन इमरान प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सह-संस्थापक रहा है.
हसन इमरान पर आरोप है ...
कि उसने शारदा चिटफंड घोटाले का पैसा बांग्लादेश के जिहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी तक पहुँचाया, ताकि वो बांग्लादेश में दंगे भड़का सके.
हसन इमरान के खिलाफ एनआईए और सीबीआई की जाँच भी चल रही है.
लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट के मुताबिक कई दंगों और आतंकवादियों को शरण देने में हसन का हाथ रहा है. उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से रिश्ते होने के आरोप लगते रहे हैं.
जेनेट के मुताबिक़ बंगाल का भारत से विभाजन करने की माँग अब जल्द ही उठने लगेगी.
इस लेख के जरिये जेनेट ने उन पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है,
जो मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहाँ बसा रहे हैं,
कि जल्द ही उन्हें भी इसी सब का सामना करना पडे

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मोदी_का_मायाज़ाल_लुटियन_दलाल_बेहाल😊
26 जनवरी को एयर इंडिया के एक बोइंग जेट विमान ने कैरेबियन द्वीप के लिए उड़ान भरी थी। आश्चर्यजनक रूप से लगभग 350 यात्रियों की क्षमता वाले इस विमान में केवल 24-25 यात्री सवार थे। यह सभी यात्री भारतीय जांच एजेंसियों के अधिकारियों की एक टीम के सदस्य थे। उस विमान की दिल्ली से कैरेबियन द्वीप समूह के लिए रवानगी भी उस विमान की कोई नियमित उड़ान नहीं थी। सुनियोजित तरीके से यह खबर आधी अधूरी जानकारी के साथ कुछ न्यूज एजेंसियों को लीक भी कर दी गयी थी। साथ में यह भी संकेत दिया गया था कि अपना कार्य पूरा करके यह टीम सम्भवतः 29 जनवरी तक वापस आएगी। परिणामस्वरूप देश और दुनिया की निगाहें कैरेबियन द्वीप समूह, विशेषकर एंटीगुआ आइलैंड पर टिक गयी थी। लुटियनिया दलाल कार्रवाई का हल्ला मचाकर भगोड़ों को #Alert करने में जुट गए थे। भगोड़ा चौकसी बयानबाजी भी करने लगा था।
लेकिन जिस समय पूरी दुनिया की जांच एवं गुप्तचर एजेंसियों के साथ ही साथ लुटियनिया दलालों की निगाहें कैरेबियन द्वीप पर गड़ी हुईं थीं उस समय वहां से लगभग 12000 किमी दूर दुबई की धरती पर भारतीय जांच एजेंसियों की टीम अपना जाल बिछा रही थी। उसके उस जाल में हज़ारों करोड़ के रक्षा सौदे कराने वाले हथियार दलाल दीपक तलवार और राजीव सक्सेना आराम से फंस गए थे। जिन्हें लेकर भारतीय जांच एजेंसियों की टीम 30 जनवरी की रात भारत के लिए रवाना हो गयी थी.? 26 जनवरी को कैरेबियन द्वीप समूह के लिए जिस विमान ने उड़ान भरी थी क्या वो वहां पहुंचा था.? या आकाश में ही अपना रास्ता बदलकर वो दुबई पहुंच गया था.?
यह सवाल अनुत्तरित ही हैं और सम्भवतः अनुत्तरित ही रहेंगे। लेकिन पूरी ताकत से दायां हाथ लहराने के बाद अचानक बाएं हाथ से थप्पड़ मारकर सामने वाले को बुरीतरह चौंका देने की यह रणनीतिक शैली है लाजवाब। मोदी की इस रणनीति के थप्पड़ से लुटियनिया दलालों का मुंह लगातार लाल होता रहा है।
लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व उरी में सेना के कैम्प पर हुए हमले के बाद भी मोदी सरकार ने अपने शत्रु पाकिस्तान पर इसीतरह प्रहार कर के उसे चौंकाया था और चित्त कर दिया था।
याद करिए कि उड़ी में सेना के कैम्प पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान का पानी काट देने की चर्चा जोर शोर से शुरू हो गयी थी। जल संसाधन मंत्री समेत जल संसाधन मंत्रालय तथा अन्य सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ प्रधानमंत्री रक्षामंत्री विदेशमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की ताबड़तोड़ बैठकें दिल्ली के नार्थ और साउथ ब्लॉक में होने लगी थी। 5-6 दिन में ऐसा समां बन गया था मानो अगले कुछ ही दिनों में पाकिस्तान का पानी रोक दिया जाएगा। हालांकि थोड़ी सी भी तकनीकी जानकारी रखनेवाला व्यक्ति यह समझ सकता था कि पाकिस्तान का पानी रोके जाने पर उस पानी का भारतीय सीमा के भीतर ही निस्तारण करने की समुचित व्यवस्था किए बिना पाकिस्तान जानेवाले पानी को स्थायी रूप से रोका जाना सम्भव ही नहीं तथा ऐसी किसी व्यवस्था को करने में कम से कम दो से ढाई वर्ष का समय लगेगा ही लगेगा। लेकिन उस समय मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तान को जा रहे पानी को रोके जाने का समां इतने शातिर और सधे हुए अंदाज़ में बनाया गया था कि पाकिस्तान में भी हड़कम्प मच गया था। वहां के न्यूजचैनलों में इसबात पर घण्टों बहस होने लगी थी कि भारत द्वारा पाकिस्तान का पानी रोके जाने के क्या और कैसे परिणाम होंगे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपरोक्त प्रकरण जबरदस्त चर्चा का विषय बन गया था। ऐसे किसी भी भारतीय निर्णय के अच्छे बुरे भावी परिणामों की अटकलों अनुमानों का बाज़ार गर्म होकर जब अपने चरम पर पहुंच चुका था तब ही 28 सितम्बर की सुबह भारतीय सेना के DGMO ने आकस्मिक पत्रकार वार्ता बुलाकर यह एलान कर के देश के साथ साथ दुनिया को भी चौंका दिया था कि आज बीती रात को हमारी सेना के कमांडों जवानों ने पाकिस्तानी सीमा के भीतर घुसकर 250 किमी के दायरे में स्थित आतंकी अड्डों पर हमला कर उन अड्डों को नेस्तनाबूद कर के भारी संख्या में आतंकवदियों को मौत के घाट उतार के उड़ी हमले का बदला ले लिया है।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह रणनीतिक मुद्रा अत्यन्त विशिष्ट है। प्रधानमंत्री मोदी अपना बायां हाथ लहराते झुलाते हुए अपने दाएं हाथ से झन्नाटेदार थप्पड़ अचानक और कब मार देंगे😊
#इसका_पता_थप्पड़_मारे_जाने_के_बाद_ही_लगता_है😊
Satish Chandra Mishra ji ki post
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मोदी का बोनांजा बजट और कांग्रेस की परेशानी
आज बजट पेश किया गया, और उम्मीदों के अनुसार ही सरकार ने किसानों, मध्यमवर्गीय लोगो, गरीबो, आर्गनाइज्ड और unorganized सेक्टर के लोगो के लिए जमकर रियायतें दी हैं। ये ऐसा बजट बनाया गया है, जिसकी बुराई करना लगभग असंभव ही प्रतीत होता है।
लेकिन विरोधी तो विरोधी ही हैं ना?
बजट पेश करते समय जब जब किसानों और मध्यमवर्गीय लोगो के लिए रियायतों की घोषणा की गई, तब तब आपने कांग्रेसी और अन्य विपक्षी नेताओं के चेहरे भी देखे होंगे। खासकर जब 5 लाख तक कि आमदनी को टैक्स फ्री करने की घोषणा की गई, तब आप कांग्रेसी नेताओ की बॉडी लैंग्वेज देखिये, जब पूरा सदन मेजें थपथपा रहा था, तब विपक्ष ऐसा लग रहा था जैसे शमशान में बैठा हो.....एक अजीब सी चुप्पी छाई हुई थी।
बजट के बाद राहुल गांधी संसद से बाहर निकले, और पत्रकारों को बिना कोई byte दिए बाहर चले गए। वहीं दूसरी ओर चिदंबरम ने पहले तो इस बजट को वोट के लिए बनाया हुआ बता दिया। वोटर्स को खरीदने वाला बताया, बाद में चिदंबरम ने ही कहा कि ये BJP ने उनकी ही नकल की है 😊
वहीं राहुल गांधी ने किसानों के खाते में सालाना 6000 रुपये ट्रांसफर करने को शर्मनाक बताया। जबकि कुछ ही साल पहले उन्ही की सरकार ने 27 रुपये प्रतिदिन कमाने वाले को गरीबी की रेखा से ऊपर वाला बताया।
वहीं ये भी खबर आ रही है कि कांग्रेस समर्थित वकील ML Sharma, जो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा फर्जी PIL डालने पर लतियाये भी जा चुके हैं, उन्होंने इस बजट को असंवैधानिक बता कर इसे रद्द करने की याचिका डाल दी है।
अब कांग्रेस सीधे सीधे तो विरोध करेगी नही, तो अपने प्यादों को लगा दिया है एक लोकलुभावन बजट को रोकने के लिए।
वहीं अन्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इस बजट को जुमला बताया है।
वहीं गुप्त सूत्रों से यह ख़बर भी आ रही है कि अगर किसी भी तरह महागठबंधन की सरकार बनी, तो सरकार बनाने के पश्चात पूर्ण बजट पेश करने के दौरान इन सभी रियायतों को वापस ले लिया जाएगा, और इसे मोदी सरकार के एक जुमले के तौर पर प्रचारित किया जाएगा।
जानकारी के लिए बता दूं, कि ये एक अंतरिम बजट था, और सरकार बनने के बाद नए वित्त मंत्री पूर्ण बजट पेश करते हैं। उस समय इन सभी प्रावधानों को वापस ले कर इन्हें एक जुमले के तौर पर प्रचारित करने के लिए सभी विपक्षी दलों में सहमति बन गयी है।
अब ये सब वोटर्स को सोचना है कि उन्हें अपना फायदा देखना है या इन विपक्षी पार्टियों का। इतने दशकों से ये हमजे लूटते रहे, और आज आम जनता को फायदा हुआ तो इनके पेट मे दर्द होने लगा।
निर्णय आपको लेना है, सोच समझ कर निर्णय लें......एक छोटी सी गलती आपके भविष्य को अंधेरी गर्त में डाल सकती है।
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Super Bug : एलोपैथिक चिकित्सा का षड्यंत्र :
हाल ही में एक अमेरिकन स्त्री की मृत्यु एक ऐसे जीवाणु के संक्रमण से हो गयी जिस पर अब तक ज्ञात सभी ऐंटीबायोटिक बेअसर साबित हुए उसके अंदर मौजूद निमोनिया के जीवाणु ने एक जीन विकसित कर लिया जिसके कारण उस पर सभी एंटीबीओटिक फ़ैल हो गयी उस महिला का इलाज़ भारत में हुआ था इस लिए उस जीवाणु की उत्पत्ति भारत से मानी गयी और कारण भारत में सभी एंटीबीओटिक के अत्यधिक प्रयोग को माना गया ।
ये क्या हुआ इसको समझने के लिए प्रकर्ति के सामान्य सिद्धांत को समझ लेते हैं जहाँ कहीं भी आहार होगा उसको पंचतत्वों (अग्नि,वायु,जल,भूमि,आकाश) में विलीन करने के लिए चारों और से माइक्रोब्स(जीवाणु) सक्रीय हो जाएंगे और तब तक कार्य करेंगे जब तक विलीनीकरण की क्रिया सम्पूर्ण नहीं हो जाती । उदहारण के लिए यदि हम एक हंडिया में मल भरकर रख देते हैं तो उसमें जीवाणु और कीड़े पैदा गो जाएंगे और तेजी से उसको मिटटी में बदलने का कार्य करने लगेंगे अब यदि प्रक्रिया के बीच में हम उसमे गमैक्ससीन नामक जहर डाल दें तो जीवाणु मर जायेंगे किन्तु प्रक्रिया अधूरी रहने की वजह से जीवाणु गमैक्ससीन से प्रतिरोध पैदा करके फिर सक्रीय होंगे और अब गमैक्सीन जहर से नहीं मरेंगे अब उनको मारने के लिए अगली पीढ़ी का ज्यादा शक्तिशाली जहर चाहिए जैसे एंडोसल्फान आदि लेकिन जीवाणु तब तक प्रतिरोध पैदा करके वापसी करता रहेगा जब तक मल का मिटटी में रूपांतरण न कर ले । यही होता है शरीर में जब हमारा शरीर मल से भर जाता है कब्ज और कफ के रूप में । और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जब मल बाहर फेंकने के लिए दस्त, उल्टी, बुखार व जुकाम शुरू करती है (इनको आयुर्वेद में मित्र रोग कहां जाता है) पर एलोपैथिक डॉक्टर उसको रोग कह कर दवाई देकर रोक देते हैं और एंटीबायोटिक नामक जहर से जीवाणु (इन्फेक्शन) को मार देते हैं परंतु शरीर की मल फैंकने की क्षमता को नहीं बढ़ाते । इस लिए इन्फेक्शन बार बार रिपीट करता है और हर बार ज्यादा शक्तिशाली antibiotic की जरूरत पड़ती है |
ऐसा भी होता है जब वो मल एवम् इन्फेक्शन अंतरंग अंगों को फेल करने लगते हैं तथा शरीर के कार्यों में अवरोध पैदा होता है | (सेप्टीसीमिया)WHO ने 2019 तक सभी एंटीबायोटिक दवाओं के जीवाणुओं पर बेअसर होने की भविष्यवाणी कर दी है ।
Detoxification क्या है ? :-
आयुर्वेद में ऐसे मरीज़ जिन पर दवाइयों का असर समाप्त हो जाता है उनको आयुर्वेद से उल्टी,दस्त,मूत्र मार्ग द्वारा शरीर से गंदगी जहर वेशाक्त प्रदार्थ निकाल दिए जाते हैं तो औषधि उन पर पुनः कार्य करने लगती है ।
यही किर्या द्वारा जिससे दस्त शुरू हो जाते हैं ये तब तक किया जाता है जब तक पानी पीकर पानी ही बाहर न आने लगे ।
कफ निकालने के लिए जल नेति एवं कुंज्जर क्रिया (पानी पीकर उलटी करना) का अभ्यास किया जाता है जिससे नज़ला-जुकाम- दमा-निमोनिया आदि का जड़ से निदान हो जाता है और वो दुबारा नहीं पनपता है ।
ऊपर दिए उदाहराण से स्पष्ट है कि एलोपेथी ने कितना विकास किया है |
दरअसल वो गन्दगी को बिना साफ़ किये जहर के इंजेक्शन से इन्फेक्शन नियंत्रण करना चाहते हैं |
जो कि सिद्धांतत: गलत है और उसका अंत आखिर एलोपैथिक चिकित्सा के हार के रूप में ही मिलना है तो भारत पर इसका आरोप डाल कर पश्चिम जगत अपनी उपचार पद्धति की हार को लंबे समय तक नहीं छुपा सकेगा ।
तब तक आइये स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत अपने शरीर की मलशुद्धि के साथ शुरू करते हैं और दिखा देते हैं पश्चिम जगत को कि एंटीबायोटिक के फेल होने से हम नहीं मरने वाले ।
यदि उनको जीवित रहना है तथा रोगों का स्थायी उपचार करना है तो हमारी भारतीय चिकित्सा प्रणाली " अयुर्वेद,प्राकृतिक चिकित्सा/योग " की शरण में आना ही होगा ।
सर्वाणाम् रोगणाम् कारणम् - कुपित मलम् ।
अत: 20,000वर्ष पुराने अयुर्वेद,
नेचुरोपैथी को अपनाकर, जीवन स्वस्थ बनाईये ।
शुद्ध-सात्विक रहन-सहन, और सादा भोजन खाईये।



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