Friday, 8 May 2015

सरस्वती नदी :

१०,००० साल बाद सरस्वती नदी मिली। हमारे पुराणों को नकारने वाले और दंत कथा कहने वाले अब कहा है? हिँदुस्थान में कुछ भी ग़लत नही है। कुछ मुर्ख तो प्रभु श्रीराम और श्री कृष्ण भगवान जी के होने पर सवाल उठाते रहे है। उनका एक हि कु तर्क होता है, कहा है रिकॉर्ड ? अब देख लो। १०.००० साल तक जो हमारी श्रध्दा को नकारते थे वह अब तो आँखे खोले। हमारी श्रध्दा इतनी मज़बूत है कि हम सबने नकारने के बावजूद बोर्ड लगाते थे। अब हमारी बात साबीत हुइ है तो कितना सीना चौड़ा हो रहा है! आप समज सकते है। ‪#‎सरस्वती_नदी‬
 खुदाई में सहायक नदियों के चैनल भी मिले
चैनल इतने विशाल हैं कि इनमें अथाह पानी स्टोर हो सकता है।
हरियाणा के यमुनानगर में फिर से मिली सरस्वती नदी को लेकर भूवैज्ञानिकों ने बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है। गांव मुगलवाली और रूलाहेड़ी गांव में खुदाई के दौरान मिल रहे जल और अन्य नदियों के पानी को स्टोर करने के लिए जमीन के नीचे बहुत से सूखे प्राचीन जल मार्ग (पेलियो चैनल) भी मौजूद हैं। यह जलमार्ग बाढ़ की विभीषिका से
बचा सकते हैं और यहां अथाह पानी एकत्र किया जा सकता है।
एकत्र पानी प्रदेश की पेयजल और सिंचाई की समस्या को समाप्त कर सकता है। यह दावा
हरियाणा स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर की रिपोर्ट में किया गया है। सेंटर प्रदेश सरकार को यह रिपोर्ट पहले ही सौंप चुका है।
सेंटर ने हरियाणा प्रदेश में जमीन के नीचे मौजूद पेलियो चैनल (प्राचीन जल मार्ग) को खोजा वर्ष 2013 में तत्कालीन प्रदेश सरकार को इसकी रिपोर्ट सौंपी।
हरियाणा स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर के वैज्ञानिकों ने माइक्रोवेव सेटेलाइट के माध्यम से इन चैनलों का पता लगाया था।
सेटेलाइट में लगे सेंसर की मदद से जमीन के नीचे काफी गहराई में होने के बावजूद
इन पेलियो चैनल को सेटेलाइट तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है। ये पेलियो चैनल उत्तरी हरियाणा में बहुतायत में हैं।
यमुनानगर, अंबाला, कुरुक्षेत्र और कैथल में ये चैनल काफी संख्या में हैं। वहीं दक्षिण हरियाणा में हिसार, जींद और सिरसा जिले में हैं। ये चैनल सरस्वती की सहायक नदियों के हैं।
हरियाणा स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर के चीफ साइंटिस्ट डॉ. आर हुड्डा ने बताया कि हजारों वर्ष पूर्व सरस्वती और उसकी सहायक नदियां जमीन के नीचे काफी गहराई में चली गईं।
भूकंप के कारण नदियों के रास्तों में अवरोध आ जाने से इनमें अधिकतर में पानी नहीं बचा है। ये चैनल इतने विशाल हैं कि इनमें अथाह पानी स्टोर हो सकता है।

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