सन १९९० में Air National Guarde पायलट Bill Miller द्वारा ऑरेगोन शुष्क झील में निचे देखा तो उन्हें श्री यन्त्र का डिजाईन दिखा। जिसकी रेखाएं 13 मील तक फैली थी हर एक लाइन की चौड़ाई 10 चौड़ी थी तथा 3 इंच गहरी थी। उस जगह पर मनुष्य निर्मित होने कोई सबूत नहीं मिला यह किसी द्वारा बनाया नहीं गया बल्कि प्राकृतिक बना है।
समझते है की Cymatics क्या होता है ?
समझते है की Cymatics क्या होता है ?
ध्वनी से उत्पन्न तरंगों को मूरत रूप देना (making sound visible) Cymatics Science कहलाता है |
उदहारण के लिए यदि जल से भरे पात्र की दीवार पर चम्मच आदि से चोट करने पर जल में तरंगे प्रत्यक्ष दिखाई पड़ती है परन्तु यदि पात्र खाली हो तो ध्वनी तो सुनाई पड़ेगी किन्तु तरंग देखना संभव नही होगा । बस यही Cymatics है | यह प्रयोग रेत के बारीख कणों, जल, पाउडर तथा ग्लिसरीन आदि पर किया जाता है |
Cymatics Science की आवश्यकता की अनुभूति इसलिए हुई क्यू की विभिन्न धार्मिक ग्रंथो में एक बात तो समान है की स्रष्टि की उत्पति एक 'शब्द' से हुई है ! आधुनिक काल में Hans Jenny (1904) जिन्हें cymatics का जनक कहा जाता है, ने ॐ ध्वनी से प्राप्त तरंगों पर कार्य किया ।
Hans Jenny ने जब ॐ ध्वनी को रेत के बारीक़ कणों पर स्पंदित किया (resonate om sound in sand particles) तब उन्हें वृताकार रचनाएँ तथा उसके मध्य कई निर्मित त्रिभुज दिखाई दिए | जो आश्चर्यजनक रूप से श्री यन्त्र से मेल खाते थे । इसी प्रकार ॐ की अलग अलग आवृति पर उपरोक्त प्रयोग करने पर अलग अलग परन्तु गोलाकार आकृतियाँ प्राप्त होती है । ॐ से उत्पन्न तरंगो से श्री यन्त्र के ढांचे का निर्माण कैसे होता है इसका एक उदाहरण आप निम्न विडियो में देख सकते हैं।
इसके पश्चात तो बस जेनी आश्चर्य से भर गये और उन्होंने संस्कृत के प्रत्येक अक्षर (52 अक्षर होते है जैसे अंग्रेजी में 26 है) को इसी प्रकार रेत के बारीक़ कणों पर स्पंदित किया तब उन्हें उसी अक्षर की रेत कणों द्वारा लिखित छवि प्राप्त हुई।
निष्कर्ष :
1. ॐ ध्वनी को रेत के बारीक़ कणों पर स्पंदित करने पर प्राप्त छवि --> श्री यन्त्र
2. जैसा की हम जानते है श्री यन्त्र संस्कृत के 52 अक्षरों को व्यक्त करता है |
3. ॐ -->श्री यन्त्र-->संस्कृत वर्णमाला
4. ॐ --> संस्कृत
संस्कृत के संदर्भ में हमने सदेव यही सुना की यह इश्वर प्रद्त भाषा है ।
ब्रह्म द्वारा सृष्टि उत्पति समय संस्कृत की वर्णमाला का अविर्भाव हुआ !
यह बात इस प्रयोग से स्पस्ट है की ब्रह्म (ॐ मूल) से ही संस्कृत की उत्पति हुई ।
अब समझ में आ गया होगा संस्कृत क्यों देव भाषा/ देव वाणी कही जाती है !!
*श्री राम जी का चरण सेवक *
गूगल पर ऑरेगोन झील में श्रीयन्त्र डाल कर देखिये, आप भी आश्चर्यचकित रह जायेंगे,...
Neeraj Kaushik
Cymatics Science की आवश्यकता की अनुभूति इसलिए हुई क्यू की विभिन्न धार्मिक ग्रंथो में एक बात तो समान है की स्रष्टि की उत्पति एक 'शब्द' से हुई है ! आधुनिक काल में Hans Jenny (1904) जिन्हें cymatics का जनक कहा जाता है, ने ॐ ध्वनी से प्राप्त तरंगों पर कार्य किया ।
Hans Jenny ने जब ॐ ध्वनी को रेत के बारीक़ कणों पर स्पंदित किया (resonate om sound in sand particles) तब उन्हें वृताकार रचनाएँ तथा उसके मध्य कई निर्मित त्रिभुज दिखाई दिए | जो आश्चर्यजनक रूप से श्री यन्त्र से मेल खाते थे । इसी प्रकार ॐ की अलग अलग आवृति पर उपरोक्त प्रयोग करने पर अलग अलग परन्तु गोलाकार आकृतियाँ प्राप्त होती है । ॐ से उत्पन्न तरंगो से श्री यन्त्र के ढांचे का निर्माण कैसे होता है इसका एक उदाहरण आप निम्न विडियो में देख सकते हैं।
इसके पश्चात तो बस जेनी आश्चर्य से भर गये और उन्होंने संस्कृत के प्रत्येक अक्षर (52 अक्षर होते है जैसे अंग्रेजी में 26 है) को इसी प्रकार रेत के बारीक़ कणों पर स्पंदित किया तब उन्हें उसी अक्षर की रेत कणों द्वारा लिखित छवि प्राप्त हुई।
निष्कर्ष :
1. ॐ ध्वनी को रेत के बारीक़ कणों पर स्पंदित करने पर प्राप्त छवि --> श्री यन्त्र
2. जैसा की हम जानते है श्री यन्त्र संस्कृत के 52 अक्षरों को व्यक्त करता है |
3. ॐ -->श्री यन्त्र-->संस्कृत वर्णमाला
4. ॐ --> संस्कृत
संस्कृत के संदर्भ में हमने सदेव यही सुना की यह इश्वर प्रद्त भाषा है ।
ब्रह्म द्वारा सृष्टि उत्पति समय संस्कृत की वर्णमाला का अविर्भाव हुआ !
यह बात इस प्रयोग से स्पस्ट है की ब्रह्म (ॐ मूल) से ही संस्कृत की उत्पति हुई ।
अब समझ में आ गया होगा संस्कृत क्यों देव भाषा/ देव वाणी कही जाती है !!
*श्री राम जी का चरण सेवक *
गूगल पर ऑरेगोन झील में श्रीयन्त्र डाल कर देखिये, आप भी आश्चर्यचकित रह जायेंगे,...
Neeraj Kaushik
No comments:
Post a Comment