वो गीता नही पढने देंगे-
वो राम मंदिर नही बनने देंगे,--
वो सच्चा इतिहास नही जानने देंगे,--
वो RSS पर प्रतिबंध लगायेगे--
वो साध्वी प्र्ग्या को फांसी देंगे --
वो बस हिंदू की नसबंदी करायेगे ,--
वो लक्षित हिंसा बिल पास करेंगे --
वो राम सेतू तोडेगे ,--
वो बस मंदिरो से लाऊडस्पीकर उतारेगे,--
वो सिर्फ मुसलमानो को मुआवजा देंगे..-
वो अमरनाथ यात्रा पर बैन लगायेगे,--
वो देवीयो की नंगी पेंटिग दिखायेगे,--
वो सिर्फ हिंदू को धर्मान्तरित करायेगे,--
वो भगत चंद्रशेखर को आतंकी कहेगे,--
वो राम मंदिर नही बनने देंगे,--
वो सच्चा इतिहास नही जानने देंगे,--
वो RSS पर प्रतिबंध लगायेगे--
वो साध्वी प्र्ग्या को फांसी देंगे --
वो बस हिंदू की नसबंदी करायेगे ,--
वो लक्षित हिंसा बिल पास करेंगे --
वो राम सेतू तोडेगे ,--
वो बस मंदिरो से लाऊडस्पीकर उतारेगे,--
वो सिर्फ मुसलमानो को मुआवजा देंगे..-
वो अमरनाथ यात्रा पर बैन लगायेगे,--
वो देवीयो की नंगी पेंटिग दिखायेगे,--
वो सिर्फ हिंदू को धर्मान्तरित करायेगे,--
वो भगत चंद्रशेखर को आतंकी कहेगे,--
फ़िर भी हिंदू ही उन्हे वोट देगा , क्योकि वो धर्म निर्पेक्ष अथवा ""सेकुलर"" है ..
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ॐ।।
लोकसभा में पारित विधेयकों ,बिलों का राज्यसभा में अटक जाना लोकतंत्र में जनमत का अपमान है क्योंकि लोकसभा में जनता द्वारा चुने गए असली जन प्रतिनधि होते हैं जबकि राज्यसभा में ‘डुप्लीकेट’......
लोकसभा में पारित विधेयकों ,बिलों का राज्यसभा में अटक जाना लोकतंत्र में जनमत का अपमान है क्योंकि लोकसभा में जनता द्वारा चुने गए असली जन प्रतिनधि होते हैं जबकि राज्यसभा में ‘डुप्लीकेट’......
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कैंसर पैदा करने वाली चीजें- http://dw.de/p/1FMb6 - चिप्स को कुरकुरा बनाए रखने के लिए निर्माता इसमें एक्रिलामाइड मिलाते हैं जो कि कैंसर पैदा कर सकता है.
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सऊदी अरब में महिलाओं की स्थिति
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कई मित्रों को यह गलतफहमी है कि इस्लाम में महिलाओं को पूरी इज्जत और बराबरी दी जाती है, जितनी और किसी धर्म में नहीं दी जाती।
इस बात के खोखलेपन की असलियत सभी जानते हैं,लेकिन कोई स्वीकार नहीं करता। परन्तु किसी न किसी रूप में सच सामने आ ही जाता है। अभी हाल ही में दैनिक भास्कर समाचार पत्र में एक लम्बी रिपोर्ट निकली है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि सऊदी अरब में महिलाओं की स्थिति नरक से भी बदतर है।
~~~~~
यह सऊदी अरब घोषित रूप में इस्लामी देश है और मक्का-मदीना आदि मुसलमानों के सभी प्रमुख तीर्थ वहीं स्थित हैं। हज करने के लिए दुनिया भर के मुसलमान वहीं जाते हैं।
~~~~~
वहाँ इस्लामी शरियत के अनुसार ही शासन चलाया जाता है, इसलिए कोई यह नहीं कह सकता कि उस देश में जो हो रहा है, वह इस्लाम के अनुसार नहीं है। यदि कोई ऐसा कहता है तो वह दूसरों के साथ-साथ स्वयं को भी धोखा दे
रहा है। जो लोग उस समाचार को पूरा पढने का कष्ट नहीं उठाना चाहते, उनके लिए उसकी मुख्य-मुख्य बातें मैं यहाँ लिख रहा हूँ।
~
1. रूढ़िवादी सऊदी अरब में महिला का अपना कोई जीवन नहीं होता। कानूनी रूप बालिग होने
बावजूद भी महिलाओं का कोई अस्तित्व नहीं है। सऊदी में प्रत्येक महिला का पुरुष अभिभावक होना चाहिए।
~~~~~
2. किसी भी सऊदी महिला को पढ़ाई,काम,यात्रा, शादी और यहां तक चिकित्सीय जांच के लिए भी पुरुषों से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है।
~~~~~
3. इसके अलावा बिना किसी भी पुरुष अभिभावक वे केस फाइल नहीं कर सकती और न्याय की बात तो भूल ही जाइए।
~~~~~
4. अभी भी यहां सिर्फ 10 साल की उम्र में बच्चियों की शादी करा देने और बलात्कार पर बेवकूफी भरा कानून अस्तित्व में हैं। इनके विरुद्ध कोई सुनवाई कहीं नहीं होती.
~~~~~
5. यहां लड़कियों को बालिग होने से पहले ही शादी करा दी जाती है और उन्हें हिजाब में रहना पड़ता है। बावजूद इसके यहां रेप की संख्या सबसे ज्यादा है,इसका जिम्मेदार बलात्कार के कानून को माना जाता है। बलात्कार के लिए
किसी आरोपी को तब तक सजा नहीं दी जा सकती जब तक उसके चार प्रत्यक्षदर्शी न हों।
इसी कारण बलात्कार होने पर भी महिला रिपोर्ट दर्ज नही करती. वैसे चार गवाह मिलते नही मगर यदि मिल भी जाए तो अपराधी को सजा तो होगी मगर शरिया के मुताबिक औरत को क्या सजा होगी आप खुद कुरान 4:15 पढे, इसी कारण कोई औरत रिपोर्ट दर्ज नही करती।
www.quran.com/4/15 .
ये हिंदी मे
www.quranhindi.com/p109.htm
~~~~~
6. सऊदी सरकार महिलाओं की नौकरी की कोई
व्यवस्था नहीं की जाती है।पीएचडी डिग्री वाली महिलाएं भी बेरोजगार हैं। दरअसल, सऊदी अरब में पुरुष साथी के साथ काम करने,साक्षात्कारों से बचने के लिए महिलाओं को नौकरी नहीं दी जाती है।
~~~~~
7. सऊदी अरब में महिलाओं के कार चलाने पर पाबंदी है। कई बार पुलिस महिलाओं को गाड़ी चलाते हुए रोक लेती है और उनसे शपथ पत्र लिखवाती हैं कि वह कभी गाड़ी नहीं चलाएंगी,कई बार उन्हें कोड़े मारने की सजा भी दी जाती है।
~~~~~
8. सऊदी लड़कियों को खेलों में भाग लेने और जिम जाने देने की इजाजत नहीं है।
Surat An-Nisa' [4:15] - The Noble Qur'an - القرآن الكريم
www.quran.com
~~~~~
जो लोग कहते है की शिरिया का कानून बेहतर है उनके लिए ये पोस्ट करारा तमाचा है उनके मुँह पर,शेयर करके सभी मित्रो को इस से अवगत कराये।
मुल्लो और आमिर को ये कानून नही दिखाई पड़ता है ये अँधा हो जाते है
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कई मित्रों को यह गलतफहमी है कि इस्लाम में महिलाओं को पूरी इज्जत और बराबरी दी जाती है, जितनी और किसी धर्म में नहीं दी जाती।
इस बात के खोखलेपन की असलियत सभी जानते हैं,लेकिन कोई स्वीकार नहीं करता। परन्तु किसी न किसी रूप में सच सामने आ ही जाता है। अभी हाल ही में दैनिक भास्कर समाचार पत्र में एक लम्बी रिपोर्ट निकली है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि सऊदी अरब में महिलाओं की स्थिति नरक से भी बदतर है।
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यह सऊदी अरब घोषित रूप में इस्लामी देश है और मक्का-मदीना आदि मुसलमानों के सभी प्रमुख तीर्थ वहीं स्थित हैं। हज करने के लिए दुनिया भर के मुसलमान वहीं जाते हैं।
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वहाँ इस्लामी शरियत के अनुसार ही शासन चलाया जाता है, इसलिए कोई यह नहीं कह सकता कि उस देश में जो हो रहा है, वह इस्लाम के अनुसार नहीं है। यदि कोई ऐसा कहता है तो वह दूसरों के साथ-साथ स्वयं को भी धोखा दे
रहा है। जो लोग उस समाचार को पूरा पढने का कष्ट नहीं उठाना चाहते, उनके लिए उसकी मुख्य-मुख्य बातें मैं यहाँ लिख रहा हूँ।
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1. रूढ़िवादी सऊदी अरब में महिला का अपना कोई जीवन नहीं होता। कानूनी रूप बालिग होने
बावजूद भी महिलाओं का कोई अस्तित्व नहीं है। सऊदी में प्रत्येक महिला का पुरुष अभिभावक होना चाहिए।
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2. किसी भी सऊदी महिला को पढ़ाई,काम,यात्रा, शादी और यहां तक चिकित्सीय जांच के लिए भी पुरुषों से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है।
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3. इसके अलावा बिना किसी भी पुरुष अभिभावक वे केस फाइल नहीं कर सकती और न्याय की बात तो भूल ही जाइए।
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4. अभी भी यहां सिर्फ 10 साल की उम्र में बच्चियों की शादी करा देने और बलात्कार पर बेवकूफी भरा कानून अस्तित्व में हैं। इनके विरुद्ध कोई सुनवाई कहीं नहीं होती.
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5. यहां लड़कियों को बालिग होने से पहले ही शादी करा दी जाती है और उन्हें हिजाब में रहना पड़ता है। बावजूद इसके यहां रेप की संख्या सबसे ज्यादा है,इसका जिम्मेदार बलात्कार के कानून को माना जाता है। बलात्कार के लिए
किसी आरोपी को तब तक सजा नहीं दी जा सकती जब तक उसके चार प्रत्यक्षदर्शी न हों।
इसी कारण बलात्कार होने पर भी महिला रिपोर्ट दर्ज नही करती. वैसे चार गवाह मिलते नही मगर यदि मिल भी जाए तो अपराधी को सजा तो होगी मगर शरिया के मुताबिक औरत को क्या सजा होगी आप खुद कुरान 4:15 पढे, इसी कारण कोई औरत रिपोर्ट दर्ज नही करती।
www.quran.com/4/15 .
ये हिंदी मे
www.quranhindi.com/p109.htm
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6. सऊदी सरकार महिलाओं की नौकरी की कोई
व्यवस्था नहीं की जाती है।पीएचडी डिग्री वाली महिलाएं भी बेरोजगार हैं। दरअसल, सऊदी अरब में पुरुष साथी के साथ काम करने,साक्षात्कारों से बचने के लिए महिलाओं को नौकरी नहीं दी जाती है।
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7. सऊदी अरब में महिलाओं के कार चलाने पर पाबंदी है। कई बार पुलिस महिलाओं को गाड़ी चलाते हुए रोक लेती है और उनसे शपथ पत्र लिखवाती हैं कि वह कभी गाड़ी नहीं चलाएंगी,कई बार उन्हें कोड़े मारने की सजा भी दी जाती है।
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8. सऊदी लड़कियों को खेलों में भाग लेने और जिम जाने देने की इजाजत नहीं है।
Surat An-Nisa' [4:15] - The Noble Qur'an - القرآن الكريم
www.quran.com
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जो लोग कहते है की शिरिया का कानून बेहतर है उनके लिए ये पोस्ट करारा तमाचा है उनके मुँह पर,शेयर करके सभी मित्रो को इस से अवगत कराये।
मुल्लो और आमिर को ये कानून नही दिखाई पड़ता है ये अँधा हो जाते है
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खेती हेतु गौमूत्र-गोबर की खाद बनाने पर महाराष्ट्र सरकार 35% सब्सिडी देगी. सरकार की तरफ से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि किसानों को अपनी गौशाला के फर्श को पक्का बनाना होगा, ताकि गौमूत्र एवं गोबर को मिट्टी-कचरे से मुक्त रखकर अलग-अलग टैंक में एकत्रित किया जा सके. इसके पश्चात गौमूत्र में एक निश्चित अनुपात में गोबर मिलाकर उसे खेतों में खाद के रूप में उपयोग करने से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा एवं रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी...
ज़ाहिर है कि इससे फसल की गुणवत्ता तो सुधरेगी ही, किसान की जेब पर महँगे उर्वरकों का बोझ भी थोड़ा कम होगा... इससे पहले हरियाणा सरकार भी इसी से मिलता-जुलता निर्णय ले चुकी है... भाजपा शासित राज्यों में धीरे-धीरे ही सही, लेकिन गौवंश संरक्षण सम्बन्धी कई निर्णय हो रहे हैं...
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GST टैक्स सुधार के लिए क्रांतिकारी कदम माना जा रहा जीएसटी देश के हर नागरिक को प्रभावित करने वाला है। जानिए जीएसटी से जुड़े हर सवाल का जवाब।
सवालः क्या है जीएसटी?
जवाबः जीएसटी का पूरा नाम है गुड्स एंड सर्विस टैक्स। ये एक अप्रत्यक्ष कर है यानी ऐसा कर जो सीधे-सीधे ग्राहकों से नहीं वसूला जाता लेकिन जिसकी कीमत अंत में ग्राहक की जेब से ही जाती है। अप्रैल 2016 यानी अगले वित्तीय वर्ष से जीएसटी को लागू होना है। इसे आजादी के बाद सबसे बड़ा टैक्स सुधार कदम कहा जा रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद दूसरे कई तरह के टैक्स समाप्त हो जाएंगे और उसकी जगह सिर्फ जीएसटी लगेगा।
सवालः जीएसटी कौन-कौन से टैक्स खत्म करेगा?
जवाबः जीएसटी लागू होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, एडीशनल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडीशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंडी एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्जरी टैक्स खत्म हो जाएंगे।
सवालः तो क्या जीएसटी में कोई टैक्स नहीं लगेगा?
जवाबः जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन टैक्स वसूले जाएंगे पहला सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी जो केंद्र सरकार वसूलेगी। दूसरा एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी। कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा। इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जएगा।
सवालः जीएसटी के क्या फायदा होगा?
जवाबः आज एक ही चीज अलग-अलग राज्य में अलग-अलग दाम पर बिकती है। इसकी वजह है कि अलग-अलग राज्यों में उसपर लगने वाले टैक्सों की संख्या और दर अलग-अलग होती है। अब ये नहीं होगा। हर चीज पर जहां उसका निर्माण हो रहा है, वहीं जीएसटी वसूल लिया जाएगा और उसके बाद उसके लिए आगे कोई चुंगी पर, बिक्री पर या अन्य कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। इससे पूरे देश में वो चीज एक ही दाम पर मिलेगी। कई राज्यों में टैक्स की दर बहुत ज्यादा है। ऐसे राज्यों में वो चीजें सस्ती होंगी।
सवालः क्या पेट्रोल और शराब पर भी लागू होगा फैसला?
जवाबः पेट्रोल-डीजल की कीमतें आज अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं। यही हाल शराब का है। जीएसटी लागू होने के बाद भी फिलहाल ऐसा जारी रहेगा। क्योंकि राज्यों की डिमांड पर केंद्र सरकार शराब को जीएसटी से बाहर रखने पर राजी हो गई है जबकि पेट्रो पदार्थों पर उसने निर्णय लिया है कि ये रहेंगे तो जीएसटी के अंदर लेकिन इनपर राज्य पहले की तरह ही टैक्स वसूलते रहेंगे। यानी पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में राज्यों में जो अंतर देखने को मिलता है वो मिलता रहेगा।
सवालः जीएसटी पर राज्यों के हाथ से तमाम टैक्स फिसलेंगे उनकी टैक्स भरपाई कौन करेगा?
जवाबः जीएसटी लागू होने से केंद्र सरकार, कारोबारी, दुकानदार व उपभोक्ता सबको तकरीबन फायदा होगा। हालांकि राज्यों को इससे कुछ नुकसान झेलना पड़ सकता है लेकिन उनको जितना नुकसान होगा तीन साल तक उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। चौथे साल 75 फीसदी और पांचवें साल 50 फीसदी नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करेगी। केंद्र सरकार राज्यों को भरपाई की गारंटी देने के लिए इसके लिए संविधान में भी व्यवस्था करने पर भी तैयार हो गई है।
सवालः जीएसटी से सरकार को क्या फायदा होगा?
जवाबः जीएसटी लागू होने के बाद देश की जीडीपी ग्रोथ में तकरीबन दो फीसदी तक का उछाल आने का अनुमान है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि टैक्स की चोरी रुकेगी क्योंकि अभी टैक्स कई स्तरों पर वसूला जाता है इससे हेराफेरी की, धांधली की गुजाइश ज्यादा रहती है। जीएसटी के चलते टैक्स जमा करना जब सुविधापूर्ण और आसान होगा तो ज्यादा से ज्यादा कारोबारी टैक्स भरने में रुचि दिखाएंगे। इससे सरकार की आय बढ़ेगी। व्यापारियों को भी जब अलग-अलग टैक्सों के झंझट से मुक्ति मिलेगी तो वे भी अपना व्यापार सही से कर पाएंगे। टैक्स को लेकर विवाद भी कम होंगे। अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
सवालः कैसे वसूला जाएगा जीएसटी?
जवाबः जीएसटी की वसूली ऑनलाइन होगी। वस्तु के मैनुफैक्चरिंग के स्तर पर ही इसे वसूल लिया जाएगा। किसी वस्तु का टैक्स जमा होते ही जीएसटी के सभी सेंटरों पर इस बाबत जानकारी पहुंच जाएगी। उसके बाद उस वस्तु पर आपूर्तिकर्ता, दुकानदार या ग्राहक को आगे कोई टैक्स नहीं देना होगा। अगर माल एक राज्य से दूसरे राज्य जा रहा है तो उसपर चुंगी भी नहीं लगेगा। यानी बॉर्डर पर ट्रकों की जो लंबी कतारें अभी दिखती हैं वे गायब हो जाएंगी।
सवालः जीएसटी की दर कौन तय करेगा?
जवाबः जीएसटी संबंधित फैसले लेने के लिए संवैधानिक संस्था जीएसटी काउंसिल का गठन किया जाएगा। जीएसटी काउंसिल में केंद्र व राज्य दोनों के प्रतिनिधि होंगे। इसके मुखिया केंद्रीय वित्त मंत्री होंगे जबकि राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य होंगे। जीएसटी काउंसिल जीएसटी की दर, टैक्स में छूट, टैक्स विवाद, टैक्स दायरे व अन्य व्यवस्थाओं पर सिफारिशें देगी।
सवालः जीएसटी इतना फायदेमंद तो अब तक क्यों अटका हुआ था?
जवाबः जीएसटी को लेकर राज्य सरकारें नुकसान की भरपाई पर अड़ी थीं और तमाम कोशिशों के बावजूद इसका कोई सर्वमान्य फॉर्मूला नहीं निकाला जा सका। अब सरकार ने राज्यों को नुकसान भरपाई का जो फॉर्मूला सुझाया है उसपर राज्यों ने सहमति दी है। केंद्र में मजबूत सरकार और तमाम राज्यों में बीजेपी की सरकार आने से भी स्थिति आसान हुई है।
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