राजीव गांधी और संजय गांधी का बाप एक नहीं था इसी वजह से दोनों का सवभाव भी एक नहीं था संजय अपनी माँ ( इंदिरा गांधी ) की अय्याशियों के बारे में जानता था जिस की वजह से वो अपनी माँ अपने जैविक बाप का नाम भी पूछा करता था जिस की वजह से दोनों में झगड़ा रहता था.......एक और राजीव गांधी पायलट की नौकरी करते हुए अपनी माँ के नक़्शे कदम पे चल रहा था और विदेशी कंपनियो से दलाली खा कर धन कमा रहा था.....वही दूसरी और सनकी संजय अपने बाप की तरह दबंग था और अपनी माँ की अय्याशियों को बर्दाशत करने का मादा उस में नहीं था जिस वजह से संजय गांधी की माँ इंदिरा गांधी अपने ही बेटे के व्यहवार से और अपनी पोल खुलने के डर से परेशान थी.... संजय गांधी की संदिग्ध हत्या का एक कारण यह भी था.....संजय गांधी के जैविक पिता का नाम मोहममद युनुस था.... दरअसल में इन्दिरा गाँधी उर्फ़ मैमुना बेगम उर्फ़ फ़िरोज खान का दूसरा बेटा संजय गाँधी, फ़िरोज गांधी की असल सन्तान नहीं था, संजय गाँधी एक और मुस्लिम '' मोहम्मद यूनुस '' का बेटा था.... संजय गाँधी का असली नाम दरअसल संजीव गाँधी था, अपने बडे भाई राजीव गाँधी से मिलता जुलता.... लेकिन संजय नाम रखने की नौबत इसलिये आई क्योंकि उसे लन्दन पुलिस ने इंग्लैण्ड में कार चोरी के आरोप में पकड़ लिया था और तब संजीव गांधी से नाम बदलकर नया पासपोर्ट संजय गाँधी के नाम से बनवाया था !!!!
मोहम्मद यूनुस ने अपनी पुस्तक “पर्सन्स, पैशन्स एण्ड पोलिटिक्स” में बालक संजय का इस्लामी रीतिरिवाजों के मुताबिक खतना होना बताया है, हालांकि उसे “फ़िमोसिस” नामक बीमारी के कारण किया गया कृत्य बताया गया है, ताकि हम लोग '' निःशब्द '' और मुर्ख बने रहे …. संजय गांधी , नेहरु और महात्मा गांधी की और अपने भाई राजीव की तर्ज पर चल रहा था , बहुत अय्याश था , संजय गाँधी के तीन अन्य मित्र कमलनाथ, अकबर अहमद डम्पी और विद्याचरण शुक्ल, ये चारों उन दिनों “चाण्डाल चौकडी” कहलाते थे… इनकी रंगरेलियों के किस्से तो बहुत मशहूर हो थे जैसे कि अंबिका सोनी और रुखसाना सुलताना जो कि अभिनेत्री अमृता सिंह की माँ थी ,, के साथ इन लोगों की विशेष नजदीकिया थी.... मेनका आनन्द जो कि एक सिख लडकी थी, संजय की रंगरेलियों की वजह से गर्भवती हो गईं थीं और फ़िर मेनका के पिता कर्नल आनन्द ने संजय को जान से मारने की धमकी दी थी, फ़िर उनकी शादी हुई और वो भी मोहम्मद युनुस के घर पर जहाँ मेनका का नाम बदलकर “मानेका” किया गया, क्योंकि इन्दिरा गाँधी को “मेनका” नाम पसन्द नहीं था क्योकि यह इन्द्रसभा की नृत्यांगना टाईप का नाम लगता था.... पसन्द तो मेनका, मोहम्मद यूनुस को भी नहीं थी क्योंकि उन्होंने एक मुस्लिम लडकी संजय के लिये देख रखी थी....फ़िर भी मेनका कोई साधारण लडकी नहीं थीं, क्योंकि उस जमाने में उन्होंने बॉम्बे डाईंग के लिये सिर्फ़ एक तौलिये में विज्ञापन किया था....संजय की शादी मोहमद युनुस के घर पे हुयी.. और रजिस्ट्रार मैरिज के यहाँ उसके दस्तखत भी बतौर गवाह दर्ज हैं.. सबूत के तौर पर एक फोटो दे रही हु संजय - मेनका की शादी का आप खुद देखे ( Sanjay Gandhi (left) and Smt Maneka's marriage register being signed by a witness Mohammed Yunus (right) as Prime Minister Indira Gandhi (2nd left) looks on, in New Delhi on August 1, 1974.) !!!
संजय गाँधी इंदिरा उर्फ़ मैमुना को हमेशा ब्लैकमेल करता था जिसके कारण उनके सभी बुरे कृत्यों पर इन्दिरा ने हमेशा परदा डाला और उसे अपनी मनमानी करने की छूट दी क्योकि संजय गाँधी को उसके असली पिता का नाम मालूम हो गया था और यही इन्दिरा की कमजोर नस थी, जिसके चलते संजय के विशेष नसबन्दी अभियान (जिसका मुसलमानों ने भारी विरोध किया था) के दौरान उन्होंने चुप्पी साधे रखी....संजय गांधी के राजनीति में बढ़ते अदम्य कदमो से इटली से ट्रांसप्लांट की गयी एंटोनियो माइनो उर्फ़ सोनिया गांधी को इंदिरा से भी ज्यादा बड़ा खतरा लगने लगा और एक दिन जब संजय गांधी की रहस्यमय हत्या करा दी गयी.....जब संजय गांधी का हवाई जहाज नाक के बल गिरा तो उसमे विस्फोट नही हुआ क्योकि उसमे पेट्रोल ही नही था जबकि फ्लाईट रजिस्टर के अनुसार निकलते वक्त टैंक पूरा फूल किया गया था....संजय गांधी की हत्या के तत्काल बाद काफ़ी समय तक इंदिरा गांधी एक चाभियों का गुच्छा खोजती रहीं थी जो शायद उन्हें मालूम नही मिला भी या नही परन्तु संजय गांधी की लाश पर दहाडें मार कर रोने वाले मोहम्मद युनुस एकमात्र बाहरी व्यक्ति था !!!
ये इतिहास की वो '' निशब्द '' सी इबारते हैं , जिन्हें जान बुझकर भारत की जनता से वाकिफ नही करवाया गया , जब यह तथ्य मुझे ज्ञात हुए तब मैंने आपके सम्मुख रख दिए क्योकि इन नकली गांधी के हर तथ्यों को बारीकी से जानने का हर भारतीय को अधिकार हैं !!!
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