वेदों के प्रचार के लिए हिन्दू-मुस्लिम लड़कियों ने खोला नया गुरुकुल कांगडी
प्रस्तुति: फरहाना ताज
प्रस्तुति: फरहाना ताज
परीक्षितगढ़ के नारंगपुर में बने श्रीमद् दयानंद आर्य कन्या गुरुकुल के बारे में हमें नहीं पता कि आप कितना जानते हैं, लेकिन बेटियों को शिक्षित करने के लिए आर्य समाज ने महान योगदान दिया है, परंतु अब बेटियां आर्य समाज के इस ऋण को उतारने लगी हैं। इसी कड़ी में दो सहेलियों एक हिन्दू और एक मुस्लिम लड़की ने मिलकर स्थापित किया है श्री दयानंद सरस्वती आर्ष गुरुकुल। आज यह गुरुकुल आठ बिगाह में फैलचुका है और यहां की कई लड़कियां शिक्षा के बाद विविध क्षेत्र में धाक जमा चुकी हैं। रश्मि आर्य एक शाही खानदान से हैं, लेकिन आर्य समाज के प्रचार के लिए घर छोड़कर चली गई थी। गुलशन कट्टर मुस्लिम परिवार से हैं, लेकिन वेदो में निष्ठा है आज गुलशन की छोटी बहन गुरुकुल की शिक्षा-दीक्षा में अहम् रोल अदा कर रही हैं। धनी लोगों को इनके गुरुकुल में आधुनिक प्रयोगशालाएं बनवाने के लिए आगे आना चाहिए। गुरुकुल को सरकार ने भी मान्यता दी है। यह पांचवीं तक ही मान्यता प्राप्त है, लेकिन रश्मि और गुलशन एमए और एमबीए तक की शिक्षा का प्रबंध निशुल्क कराती हैं कन्याओं को! इस गुरुकुल में शुद्ध रूप से वैदिक संस्कार दिए जाते हैं और वेदों के मधुर मंत्रो के बीच आधुनिक शिक्षा भी प्रदान की जाती है। यह समाचार उन लड़कियों के लिए है, जो घर छोड़कर चली जाती हैं, यदि घर छोड़ना ही है तो रश्मि की तरह गुरुकुल स्थापित करने के लिए छोडिए, तब किसी को न गम होगा न बदनामी!
No comments:
Post a Comment