त्यागी और बच्च..न ...पुत्रजीवी बीज से पुत्र मिले न मिले पर
AXE लगाने से लड़की जरूर मिलती है ....कभी इस पर भी मूहँ खोलिए......
AXE लगाने से लड़की जरूर मिलती है ....कभी इस पर भी मूहँ खोलिए......
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कुछ लोग आयुर्वेद की पुत्रजीवक वटी को लेकर अत्यंत भ्रमित नजर आ रहे हैं......
यदि कुछ अति विद्वान (?) की माने तो पुत्र जीवक सेवन करने से पुत्र होता है
फिर तो उनके अनुसार .......
अश्वगंधा से अश्व (घोड़े) होंगे।....
सर्पगंधा से सांप होगे....
मकर ध्वज मगर मच्छ होंगे।......
वानरी गुटिका से बंदर होंगे।.....
गज केसरी रस से हाथी होंगे।......
और शायद रजनीगन्धा खाने से रजनी कान्त भी हो जाए...........
क्या यार ? कुछ भी ?
यदि कुछ अति विद्वान (?) की माने तो पुत्र जीवक सेवन करने से पुत्र होता है
फिर तो उनके अनुसार .......
अश्वगंधा से अश्व (घोड़े) होंगे।....
सर्पगंधा से सांप होगे....
मकर ध्वज मगर मच्छ होंगे।......
वानरी गुटिका से बंदर होंगे।.....
गज केसरी रस से हाथी होंगे।......
और शायद रजनीगन्धा खाने से रजनी कान्त भी हो जाए...........
क्या यार ? कुछ भी ?
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पाकिस्तान के नेपाल में गौमांस भेजने पर बहुत गुस्सा आ रहा है ना ?
काश यही गुस्सा मैगी,नेस्ले और डेयरीमिल्क पर भी आता जो हमें सालों से सूअर और बछड़े का मांस खिला रहे हैं .!
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मैकाले ने झूठ का नंगा नाच कैसे नचाया ,,, उसका नजारा देखे
महान गणितज्ञ व् शून्य के अविष्कारक आर्यभट्ट जिनका जन्म लबभग 2500 ईसा पूर्व हुआ था उन्हें मैकाले नाम के चोर ने आज से मात्र 1000 साल पूर्व जन्मा बता दिया
देश में धर्म की स्थापना करके बौद्धों व् जैनियो को पराजित करने वाले आदिगुरु शंकराचार्य जिनका जन्म लगभग 2300 ईसा पूर्व का है मैकाले नाम के चोर ने उन्हें 700 ईस्वी में जन्मा बताया।
मैकाले नाम के इस चोर को एक अक्षर संस्कृत नहीं आती थी जबकि इंग्लैंड के लुटेरे जिन्होंने हमे लूट कर अपने देश को धनवान बनाया वे ये कहते नहीं थकते की मैकाले को संस्कृत भी आती थी। जबकि वेटिकन में पाणिनि की संस्कृत व्याकरण का ग्रन्थ भी 1981 के बाद उपलब्ध हुआ है
मैकाले नाम का चोर जो खुद को संस्कृत का विद्वान कहता था उसके पाद सदा संस्कृत और इंग्लिश बोलने वाले हिन्दू विद्वानों का दल रहता है जो उसे संस्कृत की पुस्तके इंग्लिश में अनुवाद करके देते थे
मैकाले नाम के शातिर चोर ने वेदों के विषय में मनगढ़ंत बाते लिखी की वेद लगभग 1500 ईसा पूर्व सरस्वती नदी के तट पर लिखे गए थे पर ये मूढ़ भूल गया की महाभारत के ग्रन्थ भी कहते है की सरस्वती उस समय सूखने लग गयी थी और वैज्ञानिक भी प्रमाणित करते है की सरस्वती 4000 ईसा पूर्व सूख चुकी थी तो मैकाले ने कहाँ से पढ़ लिया की वेद मात्र 3000 साल पुराने है
मैकॉले नाम का ये चोर आर्यो को आक्रमणकारी बताता है और इसके लिए तर्क देता है की द्रविड़ लोगों की नाक चपटी व् रंग गहरा है जबकि ऐसा वहां की जलवायु के कारण है अब नार्थ ईस्ट के व् पहाड़ी हिमालय के लोगों के अधिक गौरा होने का वो क्या तर्क देता। साथ ही अमेरिका व् भारत के कई वैज्ञानिको ने डीएनए परीक्षण से सिद्ध कर दिया है की arya invasion थ्योरी मात्र एक बकवास है और द्रविड़ व् उत्तर भारत के लोगों का डीएनए एक ही है पर यूरोप के लोगों का डीएनए कई जगह अलग अलग है तो क्या यूरोप के लोग स्वयं ही विदेशी है।
मैकाले खुद पुरे भारत ने घूमता है और देश की समृद्धि का बखान करते हुए कहता है की न मैंने कोई गरीब देखा न कोई अनपढ़ न कोई चोर न कोई भूखा फिर भी आज के मुर्ख हिन्दू भारत के इतिहास को गुलामी भरा बता कर हीन भावना में जी रहे है और खुद को अंग्रेजो की औलाद बताते है।
देश में धर्म की स्थापना करके बौद्धों व् जैनियो को पराजित करने वाले आदिगुरु शंकराचार्य जिनका जन्म लगभग 2300 ईसा पूर्व का है मैकाले नाम के चोर ने उन्हें 700 ईस्वी में जन्मा बताया।
मैकाले नाम के इस चोर को एक अक्षर संस्कृत नहीं आती थी जबकि इंग्लैंड के लुटेरे जिन्होंने हमे लूट कर अपने देश को धनवान बनाया वे ये कहते नहीं थकते की मैकाले को संस्कृत भी आती थी। जबकि वेटिकन में पाणिनि की संस्कृत व्याकरण का ग्रन्थ भी 1981 के बाद उपलब्ध हुआ है
मैकाले नाम का चोर जो खुद को संस्कृत का विद्वान कहता था उसके पाद सदा संस्कृत और इंग्लिश बोलने वाले हिन्दू विद्वानों का दल रहता है जो उसे संस्कृत की पुस्तके इंग्लिश में अनुवाद करके देते थे
मैकाले नाम के शातिर चोर ने वेदों के विषय में मनगढ़ंत बाते लिखी की वेद लगभग 1500 ईसा पूर्व सरस्वती नदी के तट पर लिखे गए थे पर ये मूढ़ भूल गया की महाभारत के ग्रन्थ भी कहते है की सरस्वती उस समय सूखने लग गयी थी और वैज्ञानिक भी प्रमाणित करते है की सरस्वती 4000 ईसा पूर्व सूख चुकी थी तो मैकाले ने कहाँ से पढ़ लिया की वेद मात्र 3000 साल पुराने है
मैकॉले नाम का ये चोर आर्यो को आक्रमणकारी बताता है और इसके लिए तर्क देता है की द्रविड़ लोगों की नाक चपटी व् रंग गहरा है जबकि ऐसा वहां की जलवायु के कारण है अब नार्थ ईस्ट के व् पहाड़ी हिमालय के लोगों के अधिक गौरा होने का वो क्या तर्क देता। साथ ही अमेरिका व् भारत के कई वैज्ञानिको ने डीएनए परीक्षण से सिद्ध कर दिया है की arya invasion थ्योरी मात्र एक बकवास है और द्रविड़ व् उत्तर भारत के लोगों का डीएनए एक ही है पर यूरोप के लोगों का डीएनए कई जगह अलग अलग है तो क्या यूरोप के लोग स्वयं ही विदेशी है।
मैकाले खुद पुरे भारत ने घूमता है और देश की समृद्धि का बखान करते हुए कहता है की न मैंने कोई गरीब देखा न कोई अनपढ़ न कोई चोर न कोई भूखा फिर भी आज के मुर्ख हिन्दू भारत के इतिहास को गुलामी भरा बता कर हीन भावना में जी रहे है और खुद को अंग्रेजो की औलाद बताते है।
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