अभी यूट्यूब पर पाकिस्तान के जिहादियों ने एक वीडियो डाला है जिसमे बच्चे खतरनाक हथियारों के साथ आर्मी के पोशाकों में है और छोटे बच्चे की आवाज में एक गाना चल रहा होता है कि "अम्मी इजाजत दो मुझे कश्मीर जाना है"।
कोई भी सभ्य समाज बचपन का इतना क्रूर शोषण स्वीकार नहीं कर सकता। ये बच्चे आतंकवादी संगठनों के सरगनाओं के नहीं है। उनके बच्चे आधुनिक स्कूल कॉलेजों में पढ़ रहे है और अपना एक राजनीतिक भविष्य बनाने में लगे है। जिहाद में झोंके जाने वाले बच्चे गरीब घरों के मदरसों से निकले बच्चे हैं। ये बच्चे अफगान जिहादी कमांडर जैसे जलालुद्दीन हक्कानी तथा गुलाबदीन हेकमतयार के कारनामों के कायल हैं और समझते है कि जिस तरह से जिहाद के बल पर सोवियत सेना अफगानिस्तान छोड़ कर चली गई थी, उसी तरह भारत सरकार कशमीर छोड़ कर चली जाएगी।
कोई भी सभ्य समाज बचपन का इतना क्रूर शोषण स्वीकार नहीं कर सकता। ये बच्चे आतंकवादी संगठनों के सरगनाओं के नहीं है। उनके बच्चे आधुनिक स्कूल कॉलेजों में पढ़ रहे है और अपना एक राजनीतिक भविष्य बनाने में लगे है। जिहाद में झोंके जाने वाले बच्चे गरीब घरों के मदरसों से निकले बच्चे हैं। ये बच्चे अफगान जिहादी कमांडर जैसे जलालुद्दीन हक्कानी तथा गुलाबदीन हेकमतयार के कारनामों के कायल हैं और समझते है कि जिस तरह से जिहाद के बल पर सोवियत सेना अफगानिस्तान छोड़ कर चली गई थी, उसी तरह भारत सरकार कशमीर छोड़ कर चली जाएगी।
इनकी शिक्षा पद्धति ही इन्हें आतंकवाद के रास्ते पर प्रेरित करती है
जिहाद के परिपेक्ष में पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनो में इन दोनों की तुलना हमेशा होती है। पाकिस्तानी गरीब बच्चे इन आतंकवादियों के प्रभाव में तुरंत आ जाते हैंI इनकी शिक्षा पद्धति ही इन्हें आतंकवाद के रास्ते पर प्रेरित करती है। सन् 2003 में इस्लामाबाद के सस्टेनेबल डेवलपमेंट पॉलिसी इंस्टिट्यूट ने अपने रिपोर्ट में लिखा की पाकिस्तान की तीन पीढ़ियां गलत शिक्षा नीति के कारण प्रभावित रहींI अपनी रिपोर्ट में इसने लिखा कि पाकिस्तानी शिक्षा के मूल में धार्मिक असहनशीलता, जिहाद एवं शहादत का महिमामंडन, युद्ध तथा बल प्रयोग पर जोर जैसी जिहादी मानसिकता पनपती हैं।
सारे स्कूलों की किताबें जिहाद को गौरवान्वित करते हुए देखी जा सकती हैं। ये किताबें सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जा रही हैं, तो फिर मदरसों की स्थिति तो स्वयं समझी जा सकती है। पाकिस्तानी युवा जिहादी हीरोगिरी का शिकार है। जिहादी बनने से उसे पैसा, सम्मान तथा कुछ साहस दिखाने का मौका मिलता है, जिसे अशिक्षित एवं बेरोजगार युवक मजे लेकर करने को तैयार .....
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जिस देश में उसताद बिस्मिल्लाह खां काशी विश्वनाथ में शहनाई बजाकर शिव की आराधना करते हैं ......
जिस देश में राष्ट्रपति कलाम गीता का पाठ करते हो ....
राही मासूम रजा महाभारत की पटकथा लिखते हो ........
जहाँ रसखान जैसे कृष्ण भक्त कवी पैदा हुवे हों ......
अज़ीम प्रेमजी ......जैसे मुसलमान उद्योगपति पैदा हुवे हो ...........,,
उस देश की धरती पर .. आतंकी कैसे पैदा हो सकता है..?
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जिस देश में उसताद बिस्मिल्लाह खां काशी विश्वनाथ में शहनाई बजाकर शिव की आराधना करते हैं ......
जिस देश में राष्ट्रपति कलाम गीता का पाठ करते हो ....
राही मासूम रजा महाभारत की पटकथा लिखते हो ........
जहाँ रसखान जैसे कृष्ण भक्त कवी पैदा हुवे हों ......
अज़ीम प्रेमजी ......जैसे मुसलमान उद्योगपति पैदा हुवे हो ...........,,
उस देश की धरती पर .. आतंकी कैसे पैदा हो सकता है..?
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