Sunday, 23 August 2015


थाईलैंड में आज भी राम का राज्य है !
दुनिया का शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो भगवान राम के बारे में नहीं जनता हो , सभी भारतीय धर्मग्रंथों में राम का नाम आदर से लया गया है , राम के बिना हिन्दू धर्म और संस्कृति अधूरी है , जैसे हिन्दू अभिवादन के लिए "राम राम " शब्द का प्रयोग करते है मृत्यु बाद भी राम नाम सत्य है कहते हैं , यहां तक कि मरते समय गांधी में मुह से भी " हे राम " निकल पड़ा था ,और जो गांधी भारत में राम राज्य की इच्छा चाहते थे लेकिन जब भी हिन्दू जय श्री राम का उद्घोष करते हैं तो , उसी गांधी के अनुयायी हिन्दुओं को सम्प्रदायवादी बताकर अपमानित करते हैं , जब सेकुलर नीति के कारण बरसों से राम मंदिर का मामला अटका हुआ है , तो भारत में राम राज्य कब आयेगा , यह बात श्री राम ही बता सकते हैं .इसके मुख्य कारण हिन्दू समाज की निष्क्रियता , धर्म के नाम पर आडम्बर ,और महापुरषों के इतिहास का अधूरा ज्ञान है , जैसे हिन्दू समझते हैं कि भगवान राम का इतिहास उनके बाद पूरा हो गया , या जो टी वी सीरियल में दिखाया जाता है , वही राम का इतिहास है , लेकिन ऐसे लोगों को यह जान कर प्रसन्नता होगी कि भारत के बाहर भी थाईलेंड में आज भी संवैधानिक रूप में राम राज्य है , और वहां भगवान राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सम्राट " भूमिबल अतुल्य तेज " राज्य कर रहे हैं , जिन्हें नौवां राम ( Rama 9 th ) कहा जाता है ,
1-भगवान राम का संक्षिप्त इतिहास
वाल्मीकि रामायण एक धार्मिक ग्रन्थ होने के साथ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ भी है , क्योंकि महर्षि वाल्मीकि राम के समकालीन थे , रामायण के बालकाण्ड के सर्ग ,70 . 71 और 73 में राम और उनके तीनों भाइयों के विवाह का वर्णन है , जिसका सारांश है कि ,
मिथिला के राजा सीरध्वज थे , जिन्हें लोग विदेह भी कहते थे उनकी पत्नी का नाम सुनेत्रा ( सुनयना ) था , जिनकी पुत्री सीता जी थीं , जिनका विवाह राम से हुआ था , राजा जनक के कुशध्वज नामके भाई थे , इनकी राजधानी सांकाश्य नगर थी ,जो इक्षुमती नदी के किनारे थी , इन्होंने अपनी बेटी उर्मिला लक्षमणसे , मांडवी भरत से और श्रुतिकीति का विवाह शत्रुघ्न से करा दी थी ,
केशव दास रचित " रामचन्द्रिका "-पृष्ठ 354 ( प्रकाशन -संवत 1715 ) .के अनुसार ,राम और सीता के पुत्र लव और कुश ,लक्ष्मण और उर्मिला के पुत्र अंगद और चन्द्रकेतु , भरत और मांडवी के पुत्र पुष्कर और तक्ष , शत्रुघ्न और श्रुतिकीर्ति के पुत्र ,सुबाहु और शत्रुघात ,हुए थे , भगवान राम के समय ही राज्यों बटवारा इस प्रकार हुआ था ,पश्चिम में लव को लवपुर (लाहौर ) पूर्व में कुश को कुशावती , तक्ष को तक्षशिला , अंगद को अंगद नगर , चन्द्रकेतु को चंद्रावती ,कुश ने अपना राज्य पूर्व की तरफ फैलाया और एक नाग वंशी कन्या से विवाह किया था थाईलेंड के राजा उसी कुश के वंशज हैं , इस वंश को "चक्री वंश ( Chakri Dynasty ) कहा जाता है , चूँकि राम को विष्णु का अवतार माना जाता है , और विष्णु का आयुध चक्र है इसी लिए थाईलेंड के लॉग चक्री वंश के हर राजा को "राम " की उपाधि देकर नाम के साथ संख्या दे देते हैं ,जैसे अभी राम (9 th ) राजा हैं .जिनका नाम "भूमिबल अतुल्यतेज " है
2-थाईलैंड की अयोध्या
लोग थाईलैंड की राजधानी को अंगरेजी में बैंगकॉक ( Bangkok ) कहते हैं , क्योंकि इसका सरकारी नाम इतना बड़ा है , की इसे विश्व का सबसे बडा नाम माना जाता है , इसका नाम संस्कृत शब्दों से मिल कर बना है , देवनागरी लिपि में पूरा नाम इस प्रकार है ,
"क्रुंग देवमहानगर अमररत्नकोसिन्द्र महिन्द्रायुध्या महातिलकभव नवरत्नरजधानी पुरीरम्य उत्तमराजनिवेशन महास्थान अमरविमान अवतारस्थित शक्रदत्तिय विष्णुकर्मप्रसिद्धि "
थाई भाषा में इस पूरे नाम में कुल 163 अक्षरों का प्रयोग किया गया है , इस नाम की एक और विशेषता है , इसे बोला नहीं बल्कि गाकर कहा जाता है . कुछ लोग आसानी के लिए इसे "महेंद्र अयोध्या " भी कहते है , अर्थात इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या , थाई लैंड के जितने भी राम ( राजा ) हुए हैं सभी इसी अयोध्या में रहते आयेहैं ,
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3-असली राम राज्य थाई लैंड में है
बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने से विष्णु का अवतार मानते हैं ,इसलिए ,थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है वहां के राजा को भगवान श्रीराम का वंशज माना जाता है ,थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना 1932 में हुई। भगवान राम के वंशजों की यह स्थिति है कि उन्हें निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता है वे पूजनीय हैं।
थाई शाही परिवार के सदस्यों के सम्मुख थाई जनता उनके सम्मानार्थ सीधे खड़ी नहीं हो सकती है बल्कि उन्हें झुक कर खडे़ होना पड़ता है. उनकी तीन पुत्रियों में से एक हिन्दू धर्म की मर्मज्ञ मानी जाती हैं।
राजा राम 9 और पत्नी
4-थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है
यद्यपि थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के लोग बहुसंख्यक हैं , फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है ,जिसे थाई भाषा में " राम कियेन " कहते हैं , जिसका अर्थ राम कीर्ति होता है , जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है , इस ग्रन्थ की मूल प्रति सन 1767 में नष्ट हो गयी थी , जिससे चक्री राजा प्रथम राम (1736–1809), ने अपनी स्मरण शक्ति से फिर से लिख लिया था , थाईलैंड में रामायण को राष्ट्रिय ग्रन्थ घोषित करना इसलिए संभव हुआ ,क्योंकि वहां भारत की तरह दोगले हिन्दू नहीं है ,जो नाम के हिन्दू हैं , लेकिन उनके असली बाप का नाम उनकी माँ भी नहीं बता सकती , हिन्दुओं के दुश्मन यही लोग है ,
थाई लैंड में राम कियेन पर आधारित नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन देखना धार्मिक कार्य माना जाता है , राम कियेन के मुख्य पात्रों के नाम इस प्रकार हैं ,
फ्र राम (राम ),2 फ्र लक (लक्ष्मण 3,पाली ( बाली ) 4,सुक्रीप ( सुग्रीव ) ,5 ओन्कोट ( अंगद ) , 6खोम्पून ( जाम्बवन्त ) ,7बिपेक ( विभीषण ) 8,तोतस कन ( दशकण्ठ ) रावण 9,सदायु ( जटायु )10,सुपन मच्छा ( शूर्पणखा ) 11मारित ( मारीच ) 12,इन्द्रचित ( इंद्रजीत ) मेघनाद ,13 फ्र पाई ( वायु देव ) ,इत्यादि ,थाई राम कियेन में हनुमान की पुत्री और विभीषण की पत्नी का नाम भी है , जो यहाँ के लोग नहीं जानते ,रामकियेन इस लिंक में है
5-थाईलैंड में -हिन्दू देवी देवता
थाई लैंड में बौद्ध बहुसंख्यक और हिन्दू अल्पसंख्यक हैं , वहां कभी सम्प्रदायवादी दंगे नहीं हुए , इस से सिद्ध होता है दंगे और आतंकवाद केवल मुसलमान ही करते हैं , कुछ दिन ब्रह्मा के मंदिर में विस्फोट करने वाले मुस्लिम ही थे , थाई लैंड में बौद्ध भी जिन हिन्दू देवताओं की पूजा करते है , उनके नाम इस प्रकार हैं ,
1 . फ्र ईसुअन ( ईश्वन ) ईश्वर ,शिव ,2 ,फ्र नाराइ ( नारायण ) विष्णु , 3 , फ्र फ्रॉम ( ब्रह्म ) ब्रह्मा ,4 . फ्र इन ( इंद्र ) , 5 . फ्र आथित ( आदित्य ) सूर्य , 6 . फ्र पाय ( पवन ) वायु ,
6-थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़
गरुड़ एक बड़े आकार का पक्षी है , जो लगभग लुप्त हो गया है ,अंगरेजी में इसे ब्राह्मणी पक्षी (The brahminy kite ) कहा जाता है , इसका वैज्ञानिक नाम "Haliastur indus " है . फ्रैंच पक्षी विशेषज्ञ Mathurin Jacques Brisson ने इसे सन 1760 में पहली बार देखा था , और इसका नाम Falco indus रख दिया था , इसने दक्षिण भारत के पाण्डीचेरी शहर के पहाड़ों में गरुड़ देखा था . इस से सिद्ध होता है कि गरुड़ काल्पनिक पक्षी नहीं है , इसीलिए भारतीय पौराणिक ग्रंथों में गरुड़ को विष्णु का वाहन माना गया है , चूँकि राम विष्णु के अवतार हैं , और थाईलैंड के राजा राम के वंशज है और बौद्ध होने पर भी हिन्दू धर्म पर अटूट आस्था रखते हैं , इसलिए उन्होंने " गरुड़ " को राष्ट्रीय चिन्ह ( ) घोषित किया है , यहां तक कि थाई संसद के सामने गरुड़ बना हुआ है ,
7-सुवर्णभूमि हवाई अड्डा
हम इसे हिन्दुओं की कमजोरी समझें या दुर्भाग्य , क्योंकि हिन्दू बहुल देश होने पर भी देश के कई शहरों के नाम मुस्लिम हमलावरों या बादशाहों के नामों पर हैं ,यहाँ ताकि राजधानी दिल्ली के मुख्य मार्गों के नाम तक मुग़ल शाशकों के नाम पार हैं , जैसे हुमायूँ रोड , अकबर रोड , औरंगजेब रोड इत्यादि , इसके विपरीत थाईलैंड की राजधानी के हवाई अड्डे (AirPort ) का नाम सुवर्ण भूमि है , यह आकार के मुताबिक दुनियां का दूसरे नंबर का एयर पोर्ट है ,इसका क्षेत्र फल (563,000 square metres or 6,060,000 square feet). है . इसके स्वागत हाल के अंदर समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ है , पौराणिक कथा के अनुसार देवोँ और ससुरों ने अमृत निकालने के लिए समुद्र का मंथन किया था , इसके लिए रस्सी के लिए वासुकि नाग , मथानी के लिए मेरु पर्वत का प्रयोग किया था , नाग के फन की तरफ असुर और पुंछ की तरफ देवता थे , मथानी को स्थिर रखने के लिए कच्छप केरूप में विष्णु थे , और जो भी व्यक्ति इस ऐयर पोर्ट के हॉल जाता है वह यह दृश्य देख कर मन्त्र मुग्ध हो जाता है ,देखिये स्वर्णभूमि
इस लेख का उदेश्य लोगों को यह बताना है कि असली सेकुलरज्म क्या होता है , यह थाईलैंड से सीखो , अपने धर्म की उपेक्षा करके और दुश्मनों की चाटुकारी करके सेकुलर बनने से तो मर जाना ही श्रेष्ठ है , और जिन लोगों को खुद के रामभक्त होने पर गर्व है वह विचार करें की थाईलैंड में भी आपके धर्म भाई हैं , जो आपके प्रेम के भूखे हैं ,सोचिये उन को कैसा लगता होगा जब हमारे प्रधान मंत्री उनको छोड़ कर मुस्लिम देशों से सम्बन्ध बनाने को जाते हैं , और उनके पास थाईलैंड आने के लिए समय नहीं है , क्या भगवान राम हिन्दुओं द्वारा राम के वंशज की ऐसे उपेक्षा को क्षमा करेंगे ?

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