देवी-देवताओं की भूमि है भारत. यहाँ हर नगर अपनी पौराणिक इतिहास की गाथा को बयां करता है. इन्हीं स्थानों में से एक है धनुषकोटि. यह वही धनुषकोटि है जिसका रामायण में भी वर्णन है. इस धार्मिक स्थान की साथर्कता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हिन्दू धर्म में धनुषकोटि को पवित्र स्थानों में से एक माना गया है. यह स्थान भारत के तमिलनाडु राज्य के पूर्वी तट पर स्थित रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी भाग पर स्थित छोटा सा शहर है.
धनुषकोटि का नामकरण-
लंका विजय के बाद भगवान राम ने उस राज्य का शासन विभीषण को सौंप दिया था. राजा बनने के बाद विभीषण ने प्रभु राम से यह निवेदन किया कि वे लंका तक आने वाले रामसेतु को तोड़ दें. राम ने निवेदन को स्वीकारते हुए अपने धनुष के एक छोर से सेतु को तोड़ दिया. तभी से उस स्थान को धनुषकोटि कहा जाता है. धनुषकोटि ही भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्थलीय सीमा है.
धनुषकोटि का नामकरण-
लंका विजय के बाद भगवान राम ने उस राज्य का शासन विभीषण को सौंप दिया था. राजा बनने के बाद विभीषण ने प्रभु राम से यह निवेदन किया कि वे लंका तक आने वाले रामसेतु को तोड़ दें. राम ने निवेदन को स्वीकारते हुए अपने धनुष के एक छोर से सेतु को तोड़ दिया. तभी से उस स्थान को धनुषकोटि कहा जाता है. धनुषकोटि ही भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्थलीय सीमा है.
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