https://www.youtube.com/watch?v=02DH_Y94M0E
पूर्व रॉ अधिकारी ने केजरीवाल को नक्सली बताते हुए उन्हें मफलर के पीछे का रावण तक की संज्ञा दे डाला। सिंह ने कहा कि अगर अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बन जाते हैं तो वो पूरे देश को अराजकता के हवाले कर देंगे। उन्होंने कहा कि अरविन्द केजरीवाल भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक आतंकवादी हैं।
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AAP's Prashant Bhushan EXPOSED by an Ex RAW officer...
Scathing remarks of former RAW officer RSN Singh about our Secular Govts
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Former RAW Officer RSN Singh Exposed NGO: Seva Ya Sazish (एनजीओः सेवा या साज़िश) PART- 1
पूर्व रॉ अधिकारी ने केजरीवाल को नक्सली बताते हुए उन्हें मफलर के पीछे का रावण तक की संज्ञा दे डाला। सिंह ने कहा कि अगर अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बन जाते हैं तो वो पूरे देश को अराजकता के हवाले कर देंगे। उन्होंने कहा कि अरविन्द केजरीवाल भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक आतंकवादी हैं।
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AAP's Prashant Bhushan EXPOSED by an Ex RAW officer...
https://www.youtube.com/watch?v=LQOw9J3LeE8
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Scathing remarks of former RAW officer RSN Singh about our Secular Govts
https://www.youtube.com/watch?v=KGxB8J98gmc
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Former RAW Officer RSN Singh Exposed NGO: Seva Ya Sazish (एनजीओः सेवा या साज़िश) PART- 1
https://www.youtube.com/watch?v=wFfU0eHmueE
Published on Feb 25, 2015
पूर्व रॉ अधिकारी आरएसएन सिंह ने बताया कि हमारे देश में साल 1993-94 में विदेशी फंडिंग वाले कुल 15 हजार पंजीकृत एनजीओ थे। जो बढ़कर 2012-13 में 41-42 हजार हो गये। वहीं, 1993-94 में इन एनजीओ को 1800 करोड़ रुपये सलाना विदेशों में फंडिंग होते थे, वह आज करीब 11 हजार करोड़ रुपये हो गये हैं। आरएसएन सिंह ने कहा कि क्या वजह है कि विदेशी फंडिंग वाले एनजीओ में इतना बढ़ोत्तरी हो रहा है।
सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि देश के केवल 56 फिसदी एनजीओ ही अपना ऑडिट करवाती है। उन्होंने कहा कि इन एनजीओ के टॉप डोनर हैं अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस। उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि इन टॉप डोनरों की सहभागिता इन एनजीओ के साथ कम हुआ है, वहीं फंडिंग करने वाले अन्य देशों की सहभागिता बढ़ गया है।' सिंह ने कहा, 'इसका मतलब यह है कि इन टॉप डोनरों को महसूस हो गया है कि हम भारत के स्कैनर में आ गये हैं। इसलिए वो दूसरों रास्तों से अब भारत में फंडिंग कर रहे हैं।'
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Published on Feb 25, 2015
पूर्व रॉ अधिकारी आरएसएन सिंह ने बताया कि हमारे देश में साल 1993-94 में विदेशी फंडिंग वाले कुल 15 हजार पंजीकृत एनजीओ थे। जो बढ़कर 2012-13 में 41-42 हजार हो गये। वहीं, 1993-94 में इन एनजीओ को 1800 करोड़ रुपये सलाना विदेशों में फंडिंग होते थे, वह आज करीब 11 हजार करोड़ रुपये हो गये हैं। आरएसएन सिंह ने कहा कि क्या वजह है कि विदेशी फंडिंग वाले एनजीओ में इतना बढ़ोत्तरी हो रहा है।
सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि देश के केवल 56 फिसदी एनजीओ ही अपना ऑडिट करवाती है। उन्होंने कहा कि इन एनजीओ के टॉप डोनर हैं अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस। उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि इन टॉप डोनरों की सहभागिता इन एनजीओ के साथ कम हुआ है, वहीं फंडिंग करने वाले अन्य देशों की सहभागिता बढ़ गया है।' सिंह ने कहा, 'इसका मतलब यह है कि इन टॉप डोनरों को महसूस हो गया है कि हम भारत के स्कैनर में आ गये हैं। इसलिए वो दूसरों रास्तों से अब भारत में फंडिंग कर रहे हैं।'
सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि देश के केवल 56 फिसदी एनजीओ ही अपना ऑडिट करवाती है। उन्होंने कहा कि इन एनजीओ के टॉप डोनर हैं अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस। उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि इन टॉप डोनरों की सहभागिता इन एनजीओ के साथ कम हुआ है, वहीं फंडिंग करने वाले अन्य देशों की सहभागिता बढ़ गया है।' सिंह ने कहा, 'इसका मतलब यह है कि इन टॉप डोनरों को महसूस हो गया है कि हम भारत के स्कैनर में आ गये हैं। इसलिए वो दूसरों रास्तों से अब भारत में फंडिंग कर रहे हैं।'
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