गजब की शिल्प कला।
भारत के दक्षिणी छोर में स्थित राज्य जिसको अभी कुछ दिनों
पहले ही दो भागों में विभक्त कर दिया गया जिसमें से एक का नाम तेलंगाना
और दूसरे का सीमान्ध्रा (आंध्रप्रदेश) रख दिया गया है I
इसी आंध्रप्रदेश राज्य के अनंतपुर जिले में स्थित एक विशाल मंदिर
16वी. सदी से लेकर आजतक पूरी दुनिया के
लिए रहस्य का विषय बना हुआ है I
न केवल देश के बल्कि जब देश अंग्रेजों के हाथों गुलाम था तब बड़े-बड़े अंग्रेज
इंजीनियरों ने भी इस मंदिर के रहस्यों के बारे में पता करने
की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे I कहा जाता है कि यह
मंदिर में पत्थर के 72 पिलरों पर बसा हुआ है लेकिन इनमे से एक पिलर
जमीन को छूता ही नहीं है I फिर बिना
जमीन को छुए हुए ही यह मंदिर का भार अपने ऊपर उठा
रहा है I
इस पवित्र और रहस्यमयी मंदिर को कई नामों से पुकारा जाता है जैसे –
वीरभद्र मंदिर, लेपाक्षी मंदिर आदि I लेकिन इस मंदिर का
सबसे चर्चित नाम लेपाक्षी मंदिर है और इसी नाम से यह
पूरी दुनिया में प्रसिद्द है I
कैसे पड़ा मंदिर का नाम लेपाक्षी –
इस मंदिर के नाम के संबंध में कहा जाता है कि त्रेता युग में जब भगवान्
श्री राम अपने भ्राता लक्ष्मण जी और पत्नी
श्री सीता जी के साथ वनवास काट रहे थे
उसी समय जब लंका का राजा रावण माँ सीता का हरण कर
आकाश मार्ग से लंका ले जा रहा था तब यही वह जगह है जहाँ
पक्षियों के राजा जटायु से उसका युद्ध हुआ था I यहीं पर जटायु रावण
से युद्ध करते हुए घायल हो कर गिर गए थे I और जब भगवान् राम माता
सीता को खोजते –खोजते यहाँ पहुंचे थे तब उन्होंने जटायु से सारा हाल
जान उन्हें कहा था “हे पक्षिराज जटायु उठो, मै आपको पहले की
ही तरह से स्वस्थ कर देता हूँ I” और हे पक्षी उठो का
तेलगू भाषा में अर्थ होता है “लेपाक्षी” इसी कारण से इस
मंदिर का नाम लेपाक्षी पड़ गया है I
किसने करवाया मंदिर का निर्माण –
इस मंदिर के निर्माण के संबंध मान्यता है कि इस मंदिर का पुरातन काल में निर्माण
महर्षि अगस्त ने करवाया था I और इसके अतिरिक्त अगर हम किसी
अन्य बात को मानें तो मंदिर को सन् 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने
वाले दो भाईयों (विरुपन्ना और वीरन्ना) ने बनाया था। इस मंदिर में भगवान
शिव, विष्णु और वीरभद्र की मूर्तियाँ उपलब्ध है। यहां
तीनों भगवानों के अलग-अलग मंदिर भी मौजूद हैं।
विशाल नंदी मूर्ति –
इसमंदिर परिसर में ही एक विशाल नंदी की मूर्ति
भी बनी हुई है जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यह
दुनिया में सबसे बड़ी नंदी की मूर्ती
है इससे बड़ी मूर्ति पूरी दुनिया में नंदी
की कोई और नहीं है I साथ ही इस मूर्ति
की एक विशेषता यह भी है कि यह पूरी
की पूरी मूर्ति केवल एक ही पत्थर से
बनायी गयी है I
शिवलिंग –
इस मंदिर प्रांगण के एक दूसरे छोर में ही भगवान् शिव का एक शिवलिंग
भी बना हुआ है यह भी काफी बड़ा और सबसे
विशाल शिव लिंग है I इस शिवलिंग के बारे में भी कहावत है कि यह
शिवलिंग भी पूरा का पूरा एक ही पत्थर का बना हुआ है I
काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी इस मूर्ति में एक शिवलिंग के ऊपर सात फन
वाला नाग बैठा है।
रामपदम् –
दूसरी ओर, मंदिर में रामपदम (मान्यता के मुताबिक श्रीराम के
पांव के निशान) स्थित हैं, जबकि कई लोगों का मानना है की यह माता
सीता के पैरों के निशान हैं।
भारत के दक्षिणी छोर में स्थित राज्य जिसको अभी कुछ दिनों
पहले ही दो भागों में विभक्त कर दिया गया जिसमें से एक का नाम तेलंगाना
और दूसरे का सीमान्ध्रा (आंध्रप्रदेश) रख दिया गया है I
इसी आंध्रप्रदेश राज्य के अनंतपुर जिले में स्थित एक विशाल मंदिर
16वी. सदी से लेकर आजतक पूरी दुनिया के
लिए रहस्य का विषय बना हुआ है I
न केवल देश के बल्कि जब देश अंग्रेजों के हाथों गुलाम था तब बड़े-बड़े अंग्रेज
इंजीनियरों ने भी इस मंदिर के रहस्यों के बारे में पता करने
की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे I कहा जाता है कि यह
मंदिर में पत्थर के 72 पिलरों पर बसा हुआ है लेकिन इनमे से एक पिलर
जमीन को छूता ही नहीं है I फिर बिना
जमीन को छुए हुए ही यह मंदिर का भार अपने ऊपर उठा
रहा है I
इस पवित्र और रहस्यमयी मंदिर को कई नामों से पुकारा जाता है जैसे –
वीरभद्र मंदिर, लेपाक्षी मंदिर आदि I लेकिन इस मंदिर का
सबसे चर्चित नाम लेपाक्षी मंदिर है और इसी नाम से यह
पूरी दुनिया में प्रसिद्द है I
कैसे पड़ा मंदिर का नाम लेपाक्षी –
इस मंदिर के नाम के संबंध में कहा जाता है कि त्रेता युग में जब भगवान्
श्री राम अपने भ्राता लक्ष्मण जी और पत्नी
श्री सीता जी के साथ वनवास काट रहे थे
उसी समय जब लंका का राजा रावण माँ सीता का हरण कर
आकाश मार्ग से लंका ले जा रहा था तब यही वह जगह है जहाँ
पक्षियों के राजा जटायु से उसका युद्ध हुआ था I यहीं पर जटायु रावण
से युद्ध करते हुए घायल हो कर गिर गए थे I और जब भगवान् राम माता
सीता को खोजते –खोजते यहाँ पहुंचे थे तब उन्होंने जटायु से सारा हाल
जान उन्हें कहा था “हे पक्षिराज जटायु उठो, मै आपको पहले की
ही तरह से स्वस्थ कर देता हूँ I” और हे पक्षी उठो का
तेलगू भाषा में अर्थ होता है “लेपाक्षी” इसी कारण से इस
मंदिर का नाम लेपाक्षी पड़ गया है I
किसने करवाया मंदिर का निर्माण –
इस मंदिर के निर्माण के संबंध मान्यता है कि इस मंदिर का पुरातन काल में निर्माण
महर्षि अगस्त ने करवाया था I और इसके अतिरिक्त अगर हम किसी
अन्य बात को मानें तो मंदिर को सन् 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने
वाले दो भाईयों (विरुपन्ना और वीरन्ना) ने बनाया था। इस मंदिर में भगवान
शिव, विष्णु और वीरभद्र की मूर्तियाँ उपलब्ध है। यहां
तीनों भगवानों के अलग-अलग मंदिर भी मौजूद हैं।
विशाल नंदी मूर्ति –
इसमंदिर परिसर में ही एक विशाल नंदी की मूर्ति
भी बनी हुई है जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यह
दुनिया में सबसे बड़ी नंदी की मूर्ती
है इससे बड़ी मूर्ति पूरी दुनिया में नंदी
की कोई और नहीं है I साथ ही इस मूर्ति
की एक विशेषता यह भी है कि यह पूरी
की पूरी मूर्ति केवल एक ही पत्थर से
बनायी गयी है I
शिवलिंग –
इस मंदिर प्रांगण के एक दूसरे छोर में ही भगवान् शिव का एक शिवलिंग
भी बना हुआ है यह भी काफी बड़ा और सबसे
विशाल शिव लिंग है I इस शिवलिंग के बारे में भी कहावत है कि यह
शिवलिंग भी पूरा का पूरा एक ही पत्थर का बना हुआ है I
काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी इस मूर्ति में एक शिवलिंग के ऊपर सात फन
वाला नाग बैठा है।
रामपदम् –
दूसरी ओर, मंदिर में रामपदम (मान्यता के मुताबिक श्रीराम के
पांव के निशान) स्थित हैं, जबकि कई लोगों का मानना है की यह माता
सीता के पैरों के निशान हैं।
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