औरंगजेब ने पूछाः “मतिदास कौन है?”….तो भाई मतिदास ने आगे बढ़कर कहाः “मैं हूँ मतिदास। यदि गुरुजी आज्ञा दें तो मैं यहाँ बैठे-बैठे दिल्ली और लाहौर का सभी हाल बता सकता हूँ। तेरे किले की ईंट-से-ईंट बजा सकता हूँ।”
•••
औरंगजेब गुर्राया और उसने भाई मतिदास को धर्म-परिवर्तन करने के लिए विवश करने के उद्देश्य से अनेक प्रकार की यातनाएँ देने की धमकी दी। खौलते हुए गरम तेल के कड़ाहे दिखाकर उनके मन में भय उत्पन्न करने का प्रयत्न किया, परंतु धर्मवीर पुरुष अपने प्राणों की चिन्ता नहीं किया करते। धर्म के लिए वे अपना जीवन उत्सर्ग कर देना श्रेष्ठ समझते हैं।
•••
जब औरंगजेब की सभी धमकियाँ बेकार गयीं, सभी प्रयत्न असफल रहे, तो वह चिढ़ गया। उसने काजी को बुलाकर पूछाः “बताओ इसे क्या सजा दी जाये?”
•••
काजी ने हवाला देकर हुक्म सुनाया कि ‘इस काफिर को
इस्लाम ग्रहण न करने के आरोप में आरे से लकड़ी की तरह चीर दिया जाये।’
•••
औरंगजेब ने सिपाहियों को काजी के आदेश का पालन करने का हुक्म जा-री कर दिया।
•••
दिल्ली के चाँदनी चौक में भाई मतिदास को दो खंभों के बीच
रस्सों से कसकर बाँध दिया गया और सिपाहियों ने ऊपर से आरे के द्वारा उन्हें चीरना प्रारंभ किया। किंतु उन्होंने ‘सी’ तक
नहीं की।
•••
औरंगजेब ने पाँच मिनट बाद फिर कहाः “अभी भी
समय है। यदि तुम इस्लाम कबूल कर लो, तो तुम्हें छोड़ दिया
जायेगा और धन-दौलत से मालामाल कर दिया जायेगा।”
•••
वीर मतिदास ने निर्भय होकर कहाः “मैं जीते जी अपना धर्म नहीं छोड़ूँगा।”
ऐसे थे धर्मवीर मतिदास ! जिन्हे अपना बलिदान देकर धर्म की रक्षा की !!
_____________________________________________
और इसे ज्यादा शर्म की बात क्या होगी ! मुगलो के शासन
खत्म होने के बाद आज ही दिल्ली मे गुरुओ के हत्यारे औरंगजेब की नाम की सड़क है !!
...
aurngjeb road google पर सर्च करे !
•••
यह चित्र मोहाली- सरहिन्द मार्ग पर स्थित 'सिख इतिहास संग्रहालय' से लिया गया है।
------------------------------------------------------------
मतिदास सिख इतिहास के सर्वश्रेष्ठ शहीदों में गिने जाते हैं।
•••
औरंगजेब गुर्राया और उसने भाई मतिदास को धर्म-परिवर्तन करने के लिए विवश करने के उद्देश्य से अनेक प्रकार की यातनाएँ देने की धमकी दी। खौलते हुए गरम तेल के कड़ाहे दिखाकर उनके मन में भय उत्पन्न करने का प्रयत्न किया, परंतु धर्मवीर पुरुष अपने प्राणों की चिन्ता नहीं किया करते। धर्म के लिए वे अपना जीवन उत्सर्ग कर देना श्रेष्ठ समझते हैं।
•••
जब औरंगजेब की सभी धमकियाँ बेकार गयीं, सभी प्रयत्न असफल रहे, तो वह चिढ़ गया। उसने काजी को बुलाकर पूछाः “बताओ इसे क्या सजा दी जाये?”
•••
काजी ने हवाला देकर हुक्म सुनाया कि ‘इस काफिर को
इस्लाम ग्रहण न करने के आरोप में आरे से लकड़ी की तरह चीर दिया जाये।’
•••
औरंगजेब ने सिपाहियों को काजी के आदेश का पालन करने का हुक्म जा-री कर दिया।
•••
दिल्ली के चाँदनी चौक में भाई मतिदास को दो खंभों के बीच
रस्सों से कसकर बाँध दिया गया और सिपाहियों ने ऊपर से आरे के द्वारा उन्हें चीरना प्रारंभ किया। किंतु उन्होंने ‘सी’ तक
नहीं की।
•••
औरंगजेब ने पाँच मिनट बाद फिर कहाः “अभी भी
समय है। यदि तुम इस्लाम कबूल कर लो, तो तुम्हें छोड़ दिया
जायेगा और धन-दौलत से मालामाल कर दिया जायेगा।”
•••
वीर मतिदास ने निर्भय होकर कहाः “मैं जीते जी अपना धर्म नहीं छोड़ूँगा।”
ऐसे थे धर्मवीर मतिदास ! जिन्हे अपना बलिदान देकर धर्म की रक्षा की !!
_____________________________________________
और इसे ज्यादा शर्म की बात क्या होगी ! मुगलो के शासन
खत्म होने के बाद आज ही दिल्ली मे गुरुओ के हत्यारे औरंगजेब की नाम की सड़क है !!
...
aurngjeb road google पर सर्च करे !
•••
यह चित्र मोहाली- सरहिन्द मार्ग पर स्थित 'सिख इतिहास संग्रहालय' से लिया गया है।
------------------------------------------------------------
मतिदास सिख इतिहास के सर्वश्रेष्ठ शहीदों में गिने जाते हैं।
भाई मतिदास तथा उनके छोटे भाई सती दास और भाई दयालदास नवें गुरु तेगबहादुर के साथ शहीद हुए थे।
भाई मतिदास जी को औरंगजेब के आदेश से दिल्ली के चांदनी चौक में 09 नवम्बर 1675 को आरे से चीर दिया गया था। उन्हें मृत्यु स्वीकार थी, परंतु धर्म परिवर्तन नहीं। भाई मतिदास गुरु तेगबहादुर के प्रधानमंत्री थे। ‘भाई’ का सम्मान स्वयं गुरु गोबिंद सिंह ने इस परिवार को दिया था।समस्त हिन्दू समाज इनका ऋणी रहेगा ।मैं इस बलिदानी को कोटि कोटि नमन करता हूँ ।
No comments:
Post a Comment