Saturday, 1 August 2015


वाहिदा रहमान और गुरुदत्त खूब प्यार करते थे ... सबको लगता था की दोनों शादी करेंगे .. लेकिन वहीदा रहमान जो एक कट्टर कोंकणी -मालाबारी मुस्लिम थी उन्होंने गुरुदत्त के सामने एक शर्त रखी .. उन्होंने कहा की मै हिन्दू नही बनूंगी यदि तुम मुझसे सच में प्यार करते हो तो तुम्हे इस्लाम कुबूल करना होगा .. गुरुदत्त ने उनकी ये शर्त मानने से इंकार कर दिया .. और एक दिन नींद की ढेर सारी गोलियां खाकर आत्महत्या कर ली ...
ठीक यही देवानंद के साथ भी हुआ .. सुरैया मुस्लिम थी .. सुरैया और उनकी नानी दोनों देवानंद पर इस्लाम कुबूल करने का दबाव डालती थी ... देवानद के नही मानने पर सुरैया की नानी ने सुरैया की ऊँगली से देवानंद के द्वारा पहनाई गयी हीरे की अंगूठी को निकालकर समुंदर में फेक दिया था ...
न जाने कब हिन्दू लडकियाँ इन उदाहरण से सीख लेंगी
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सपा नेता ने कहा याकूब की पत्नी को बनाया जाये सांसद !
तौबा है इन लुच्चो की, एक आतंवादी मरा तो उसकी पत्नी को सांसद, लेकिन 1993 में जिन 257 लोगो को याकूब और उसके साथियो
ने मारा था, फिर उनकी विधवाओ को परधानमंत्री या राष्ट्रपति बनाने की मांग क्यों नही करते !
अरे करेंगे भी क्यों वहा राजनीति करने को नही मिलेगी ना इन बेगैरत कुत्तो और सुवरों को !
क्या इन गन्दी नाली के खुजली वाले कीड़ो, अपनी अम्मी और बहनों के यार सपा नेताओ को राष्ट्र द्रोह के आलावा
कुछ और नही सूझता ! मुझे इंतज़ार है उस आदमी का जो इनके पिछवाड़े मैं गोली ठोक सके !
सारे सपा नेता ऐसे ही है कोई इनकी बहन को राह चलते छेड दे तो ये उसे अपना जीजा मान लेते है !
सोचती हु 1-2 काण्ड मैं भी कर दूं ! हमारे घर की आर्थिक स्थिति भी कुछ ठीक नही है आजकल !
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मुसलमानों का सबसे ताकतवर हथियार 'अल-तकिया' .....
इसने इस्लाम के प्रचार प्रसार में जितना योगदान दिया है उतना इनकी सैंकड़ों हजारों कायरों की सेनायें नहीं कर पायीं ।
इस हथियार का नाम है "अल - तकिया" । अल-तकिया के अनुसार यदि इस्लाम के प्रचार , प्रसार अथवा बचाव के लिए किसी भी प्रकार का झूठ, धोखा , द्रऋह करना पड़े - सब धर्म स्वीकृत है ।
उदहारणतः , हालांकि कुरान में गैर मुसलामानों से मित्रता की घोर मनाही है , लेकिन यदि मुसलमान किसी क्षेत्र में अल्पसंख्यक हों (< 20%) तो उन्हें कुरान ने आज्ञा दी है की वो झूठ-मूठ का शांतिप्रिय धर्मनिरपेक्ष होने का नाटक कर सकते हैं (क्योंकि यदि वो ऐसा नहीं करें तो इस्लाम वहां समूल नष्ट कर दिया जायेगा ) ।
जिस दिन ये बहुसंख्यक हो जाते हैं (>50 %) उस दिन अल तकिया की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और हर मुसलमान का परम कर्त्तव्य होता है की वो दर-उल -हरब (गैर मुस्लिम भूमि) को दर-उल-इस्लाम बनाये (मुस्लिम भूमि)।
इस प्रकार अल - तकिया ने मुसलामानों को सदियों से बचाए रखा है ।





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