Monday, 3 August 2015

क्यों ब्रह्मोस के सामने बेबस है अमरिका ?


 क्यों ब्रह्मोस के सामने बेबस है अमरिका ?
भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित,अब तक की सर्वश्रेष्ठ क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की मारक क्षमता ने अमेरिका और अन्य उत्तरी अटलांटिक राष्ट्रों को भयाक्रान्तित किया हुआ है
1) ऐसी माना जाता है कि ब्रह्मोस को मार गिराना लगभग असंभव है,क्योंकि इसकी गति लगभग 2-3 मैक है,इसलिए इसका पता लगाना बेहद कठिन है.नाटो के पास सिर्फ 1 से 1.5 मैक की गति की मिसाइल को रोकने की क्षमता है.हालांकि वह अब दावा करता है कि वह 2मैक की गति की एंटी-शिप मिसाइल को वह नष्ट कर सकता है.
2) लेकिन इसकी कुछ कमियों जैसे इसकी रेंज महज लो एल्टिट्यूड में महज 120 किलोमीटर का होना,और इंटेलीजेंसी का अभाव होना यानी यह मिसाइल मार्ग में किसी इंटरसेप्टरस को ध्यान न रखते हुए,पूर्व नियोजित पथ पर हमला करने की प्रवत्ति को और एडवांस किये जाने की आवश्यकता है.USA इस पर ख़ास ध्यान दे रहा है.
3) ब्रह्मोस के हमले के समय,US सबसे पहले अपने जहाज़ों की रक्षा करेगा,इसके लिए वह अपने AshM लांच प्लेटफार्म का इस्तेमाल करेगा.इस एयरक्राफ्ट से वह लॉन्ग रेन्जड सिस्टम के SM-2,SM-6,और एस्टर-30 जैसे मारक मिसाइलों से हमला करेगा.लेकिन उसके पास इसका प्रतिरोध करने के लिए उसके पास समय की बेहद अल्पता होगी.
4) SM-2 मिसाइल की मारक क्षमता 90 किलोमीटर से ज्यादा है,इसके साथ अपने टॉप क्लास के अर्ध सक्रिय होमिंग राडार का उपयोग किया जाएगा.ब्रह्मोस की खासियत है कि 3 केंद्रीकृत SPG-62 जैसे इलूमिनेटार्स भी पकड नहीं पाते.इस राडार की सहायता से भी ब्रह्मोस का पता कर पाना बेहद मुश्किल है.
5) बेहद तेज गति से ऊँचाई में उडती हुई ब्रह्मोस का पता लगते ही,1 ब्रह्मोस के सामने कम से कम 4-5 SM-2 मिसाइल की आवश्यकता होगी,क्योंकि इन SM-2 की गति 1-1.5 मैक से ज्यादा नहीं होगी.इस कारण निशाना चूकने की प्रायिकता बड़ी होगी.
6) जब सुपर सोनिक मिसाइल निचली ऊँचाई से उड़ रही होगी,तब SM-6 का इस्तेमाल किया जा सकता है.ये दोनों मिसाइलें सबसे महत्वपूर्ण होंगी.
7) अमेरिका का कैरियर बैटल ग्रुप(CBG) भी मार्ग में ब्रह्मोस को रोकने के लिए होगा.लेकिन उसके फाइटरस इसे रोकने में नाकाफी होंगे.क्योंकि ब्रह्मोस की गति इनकी तुलना में 3 गुना ज्यादा होगी.जब मिसाइल की दूरी महज 25-30 किलोमीटर होगी.क्योंकि इसका पता भले ही 150 KM की दूरी पर AWACS द्वारा लगा लिया जाए.फिर भी लॉन्ग रेंज मिसाइल फ़ैल हो जाएगी.ऐसे में मीडियम रेंज की SAM मिसाइल उपयोग की जा सकती हैं.
8) 50 KM रेंज की ESSM मिसाइल जो की क्वाड पैक्ड होती है,के द्वारा हमला किया जा सकता है.हालंकि 4 ESSM द्वारा 1 ब्रह्मोस पर हमले से 100% निशाना लग लगता है,पर ब्रह्मोस 1-2 नहीं 8-8 के व्यूह में टारगेट पर निशाना लगाएगी.वो भी ध्वनि की तीन गुना तेज गति से.
9) 24 ESSM को न्यूनतम 24 सेकेण्ड लगेंगे और 4 ESSM जब 1 ब्रह्मोस पर टार्गेट करेंगे तब वे केवल 6 हमलावर मिसाइल ही नष्ट कर सकते हैं,यदि 2 मिसाइलें इंटरसेप्ट न की जा सके.तब CIWS मिसाइलों का जत्था इन 2 बांकी मिसाइलों का खात्मा कर सकता है.लेकिन 3000 किलोमीटर/घंटे से गतिमान ब्रह्मोस पलक झपकने का मौका नहीं देती.
10) विश्व का सबसे बेहतरीन AEGIS भी 20 से 30 ब्रह्मोस मिसाइल को अकेले नहीं रोक सकता है.इसके लिए CBG को 3 AEGIS के साथ-साथ E-2 एयर-क्राफ्टर के साथ 48 CAP भी इंटरसेप्शन में तैनात किये जा सकते हैं.आईएनएस कोलकाता में 16 ब्रह्मोस और 32 खतरनाक बराक-8 मिसाइलों को तैनात किया जा सकता है,जो ऐसे किसी भी इंटरसेप्शन का नामोनिशान तक मिटा सकती है.
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इतना तो तय है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा भारत के रक्षा तंत्र का गंभीर विश्लेषण किया जा रहा है.इसलिए भारत की ताकत के रूप में उभरी ‘ब्रह्मोस’ क्रूज मिसाइल पर पेंटागन में खलबली मची हुई है.अमेरिका ब्रह्मोस का तोड़ ढूँढने में जुटा हुआ है.यह स्पष्ट संकेत है कि हमें अपनी मिसाइल तकनीकी को और उन्नत करने की आवश्यकता है,जिससे हम हर तरह के टार्गेट को ध्वस्त कर सकें,और हर हमले की रक्षा कर सकें.हालांकि ब्रह्मोस-2 पर निरंतर कार्य जारी है,जिसकी गति मौजूदा ब्रह्मोस की लगभग ढाई गुना होगी.आगामी ब्रह्मोस के सामने टिकना तो नामुमकिन होगा.

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