दुःख लेकर बैठ जाने से दुःख और अधिक बढ़ता है ! दुःख को दूर भगाने के लिए मन को टटोलिये ! पर ये मन भी न, बहुत अजीब होता है ! जब ये दुखी अनुभव करता है तो बस थोड़ा सा दार्शनिक बन जाइये फिर दिखिए आपका दुःख/संताप आप से कोसो दूर हो जाएगा ! "मन"बड़ा चमत्कारी शब्द होता है, इसके आगे " न" लगाने पर यह "नमन"हो जाता है और पीछे " न"लगाने पर "मनन" हो जाता है.! जीवन में "नमन" और "मनन" करते चलिए, जीवन "सफल"ही नहीं "सार्थक" भी हो जाएगा.!
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