Thursday, 15 September 2016

 स्वचालित पनडुब्बी बनाकर
 बिहार के छात्र ने दुनिया को चौंकाइस कठिन प्रतियोगिता में ग्यारह देशों की टीम में भारतीय टीम द्वारा बनाई गई पनडुब्बी मत्स्या ने सभी अपेक्षाओं पर खरा उतर कर प्रतियोगिता में सफलता हासिल की है। अंशुमन की सात सदस्यीय इंजीनियरों की टीम ने अमेरिका में आयोजित इस प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल किया है। अंशुमन के अलावा टीम में शामिल तुषार शर्मा, अंगीता, सुधाकर, हरि प्रसाद, जयप्रकाश और संदीप की कड़ी मेहनत ने अमेरिका में इंडिया का लोहा मनवाया है।

भारतीय नेवी को काफी मदद मिलेगी
इस तरह की पनडुब्बी से भारतीय नेवी को काफी मदद मिलेगी। समुद्र में जिस स्थान पर इंसान को पहुंचना मुश्किल है, वहां इस तरह का स्वचालित पनडुब्बी कई तरह का काम कर सकती है। इसके अलावे इंडियन नेवी इसका इस्तेमाल कई कार्यों में कर सकती है।

पिता चलाते हैं पान की दुकान
आईआईटी मुंबई के छात्र अंशुमन के पिता सुनील कुमार की गया में एक छोटी सी पान की दुकान है और मां मीणा गुप्ता गृहणी हैं। अपने बेटे की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए उसके माता-पिता बताते हैं कि अंशुमन अपने तीन भाइयों में दूसरे स्थान पर है, उनका कहना है कि अंशुमन बचपन से ही मेधावी था।पिता का कहना है कि अंशुमन के सपने बड़े हैं, उसका ध्येय है कि भारत यांत्रिकीकरण में आत्म निर्भर बने। 

पिता ने बताया कि अंशुमन ने गया के कैन्ट एरिया के डीएवी स्कूल में बीएसई की परीक्षा पास की थी। क्रेन स्कूल से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी कर आईआईटी में चयन के बाद आईआईटी मुंबई में पढ़ाई कर रहा है।

रोबोसब प्रतियोगिता में भारत सहित 11 देशों की टीम ने हिस्सा लिया था। जिसमें कनाडा, जापान, अमेरिका, चीन, रूस आदि देशों की इंजीनियरों की टीम ने भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में स्वचालित पनडुब्बी बनाना था। पनडुब्बी को समुद्री वातावरण में विभिन्न रंगों के गुब्बारे को पहचान कर उसे चुनना था। इसके अलावे कुछ सामान को उठाकर एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना था। पनडुब्बी का सबसे महत्वपूर्ण काम था, छिद्रों की पहचान कर उसमें मिसाइल जैसी वस्तु डालना और अलग-अलग आवाजों की पहचान करना था।

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