Thursday, 1 September 2016

घाघरा-कुर्ती और ओढऩी पहने एक साधारण सी महिला। दिनचर्या में  सुबह जल्दी उठकर घर का चूल्हा- चौका संभालना। आम महिलाओं की तरह बच्ची को स्कूल भेजना और उसके बाद खुद तैयार होकर कॉलेज आना। यह है बाड़मेर के एमबीसी गर्ल्स कॉलेज की छात्रसंघ अध्यक्ष। बाड़मेर में अब बेटी ही नहीं बहू को भी पढ़ाया जा रहा है। इसका नतीजा है कि पहली बार बाड़मेर कॉलेज में बहू अध्यक्ष बनी है।एमबीसी महिला महाविद्यालय की नवनिर्वाचित छात्रसंघ अध्यक्ष मूली चौधरी बाड़मेर की पहली विवाहित छात्रा प्रतिनिधि है। मूली को विवाह के बाद ससुर राऊराम ने पढऩे को प्रोत्साहित किया। पति का भी साथ मिला तो विवाह से पूर्व दसवीं तक पढ़ी मूली कॉलेज में आ गई। कॉलेज में अभी वह द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत है और इस साल छात्रसंघ चुनाव में उसको टिकट मिला और जीत गई। छात्रसंघ अध्यक्ष मूली कहती है कि बहू को पढ़ाना चाहिए। हमारा जिला अभी भी पिछड़ा है और यहां बारहवीं कक्षा तक आते-आते बेटियों का विवाह कर दिया जाता है। ऐसे में उसकी आगे की पढ़ाई का जिम्मा ससुराल पक्ष और पति पर आ जाता है। अब कई परिवार सहयोग कर रहे हैं।  बाड़मेर जिले में माहौल बदल रहा है। मेरे कॉलेज में भी बड़ी संख्या में विवाहित छात्राएं हैं, जिनको परिजन नियमित विद्यार्थी के रूप में पढ़ा रहे हैं। तीन वर्ष की बेटी के साथ संभाल रही परिवार: मूली चौधरी वर्तमान में अपने लक्ष्मीनगर स्थित ससुराल में है। उसके साथ सास, ससुर, देवर सहित पूरा परिवार है। छात्रसंघ की राजनीति के साथ परिवार के साथ समय बिता कर चूल्हा चौका भी संभालती है। बेटी की देखरेख खुद करती है। तथा कॉलेज पहुंच नियमित अध्ययन के साथ छात्राओं की समस्याओं को लेकर संघर्ष कर रही है।कॉलेज में पढ़ रही 100 से अधिक बहुएं- बाड़मेर कॉलेज में सौ से अधिक बहुएं नियमित छात्राए हैं। वहीं, धोरीमन्ना के एक निजी कॉलेज में भी दो सौ से अधिक नियमित छात्राएं विवाहित है। कमोबोश एेसी स्थिति जिले के अन्य महाविद्यालयों में भी है। 

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