रहस्यमय और भयानक झील को जहाँ
जो भी जाता है पत्थर बन जाता है ...
यु तो आज भी दुनिया हजारो आश्चर्यो से भरी हुई है,पर आज जो अद्भुत तथ्य हम आपको बता रहे है वो वास्तव में ही आपके होश उड़ाने के लिए काफी है, जी हां इस जगह का नाम है लेक नाट्रन ये स्थान उत्तरी तंजानिया के सुदूर प्रान्त में आज भी मौजूद है….
आपने राजा मिडास की कहानी तो जरुर सुनी होगी जो जिस चीज़ को भी छुता है वो सोने की बन जाती है लेकिन क्या आपने ऐसी झील के बारे में सुना है जिसके पानी को जो भी छुता है वो पत्थर बन जाता है? आज हम आपको एक ऐसी ही झील के बारे में बता रहे है यह है उत्तरी तंजानिया की नेट्रान लेक जो अपनी पानी में गिर कर प्राणियों को पत्थर बना देने की क्षमता के कारण काफी चर्चित और कुख्यात है।
फोटोग्राफर निक ब्रांड्ट जब उत्तरी तंजानिया की नेट्रान लेक की तटरेखा पर पहुंचे तो वहां के दृश्य ने उन्हें चौंका दिया। झील के किनारे जगह-जगह पशु-पक्षियों के स्टैच्यू नजर आए। वे स्टैच्यू असली मृत पक्षियों के थे। दरअसल झील के पानी में जाने वाले जानवर और पशु-पक्षी कुछ ही देर में कैल्सिफाइड होकर पत्थर बन जाते हैं।
ब्रांड्ट अपनी नई फोटो बुक ‘Across the Ravaged Land’ में लिखते है की “कोई भी निश्चित रूप से नहीं जानता है की ये कैसे हुआ और क्यों हुआ यह तो आश्चर्य ही है, पर लगता है की लेक की अत्यधिक रिफ्लेक्टिव नेचर ने उन्हें दिग्भ्रमित किया फलस्वरूप वे सब पानी में गिर गए। ” वो आगे लिखते है की ” पानी में नमक और सोडा की मात्रा बहुत ही जयादा है, इतनी जयादा की इसने मेरी कोडक फिल्म बॉक्स की स्याही को कुछ ही सेकंड में जमा दिया। पानी में सोडा और नमक की ज्यादा मात्रा इन पक्षियों के मृत शरीर को सुरक्षित रखती है।”
इन पक्षियों के फोटो का संकलन ब्रांड्ट ने अपनी नई किताब ‘Across the Ravaged Land’ में किया है। यह किताब उस फोटोग्राफी डाक्यूमेंट का तीसरा वॉल्यूम है, जिसे निक ने पूर्वी अफ्रीका में जानवरों के गायब होने पर लिखा है।
पानी में अल्कलाइन का स्तर पीएच9 से पीएच 10.5 है, यानी अमोनिया जितना अल्कलाइन। लेक का तापमान भी 60 डिग्री तक पहुंच जाता है। पानी में वह तत्व भी पाया गया जो ज्वालामुखी की राख में होता है। इस तत्व का प्रयोग मिस्रवासी ममियों को सुरक्षित करने के लिए रखते थे।
वो अपनी किताब में आगे लिखते है ” सारे प्राणी calcification के कारण चट्टान की तरह मजबूत हो चुके थे इसलिए बेहतर फोटो लेने के लिए हम उनमे किसी भी तरह का बदलाव नहीं कर सकते थे इसलिए फोटो लेने के लिए हमने उन्हें वैसी ही अवस्था में पेड़ो और चट्टानों पर रख दिया। और इसी कारण वश वे इनकी सभी तस्वीरे लेने में सक्षम हो पाए वास्तव में तो ये अब भी एक कौतुक ही है की क्या ये सब महज केल्सीफिकासन के कारण ही होता है या इसका कोई और भी गुप्त कारण है।
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