Tuesday 15 January 2013

मेरठ के काली नदी में

मेरठ के काली नदी में वहा पर चलने वाले क़त्ल खानों से रोज हज़ारो हज़ार लीटर पशुओ के खून और उनके अप्रयुक्त अंग जैसे के पैर का निचला हिस्सा , अतडिया इत्यादि प्रवाहित कर दिया जाता है. यह नदी आगे जाकर गंगा जी में मिल जाती है. सरकारी आकड़ो के हिसाब से चुकी इस नदी के प्रवाह का वेग कम होता है इस कारण ,गंगा जी में मिलने और प्रयाग के संगम तट को पार करने में इस काली नदी के पानी को २० दिवस लगता है.
सरकार ने कुम्भ को देखते हुए प्रत्येक शाही स्नान से दो दिन पहले इन क़त्ल खानों को बंद करने की घोषणा कर दी परन्तु खुनी और अशुद्ध जल तो संगम तट तक तो पहले से ही पहुच चूका है. कई बार इन क़त्ल खानों में गोमांस भी पकड़ा गया है अतः जिस जल को हम अत्यधिक आस्था और श्रद्दा से स्नान एवं हवन इत्यादि के योग्य समझते है उसे सरकार ने कुछ विशेष लोगो को लाभान्वित करने और वर्ग विशेष के कट्टर पंथी मानसिकता को पुष्ट करने के लिए अशुद्ध बना दिया है. अगला शाही स्नान १० फरवरी को है अतः यदि सरकार २०जनवरी से लेकर पुरे कुम्भ मेले तक मेरठ में चलने वाले इन क़त्ल खानों को बंद कर दे तो अगले स्नान में शायद हम पुन्य के भागी हो जाय नहीं तो हम लोग अपने गो माता के खून में ही स्नान करेंगे.
इसी विषय पर मुझे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक जाने माने आरटीआई कार्यकर्ता से कुछ तस्वीरे प्राप्त हुई है जो की आप को सच्चाई से अवगत कराएगी की पंथ विशेष का जायका न खराब हो इसका कारण हिन्दुओ के सर्वश्रेष्ठ एवं दुर्लभ आयोजन को पाप योग्य बना रही है..सरकार की इन निकृष्ट नीतियों से लोगो को अवगत करने की महती जिम्मेवारी को स्वीकार करे और अधिक से अधिक लोगो तक यह जानकारी पहुचाये. 

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