Tuesday 11 June 2013

सभी उद्योगों में भारत दुनिया में सबसे आगे



लेफ्टिनेंट कर्नल ए॰ वॉकर उसने भारत की शिपिंग इंडस्ट्री पर सबसे ज्यादा शोध किया है। वो कहता है की "भारत का जो अदभूत लोहा/ स्टील है वो जहाज बनाने के काम में सबसे ज्यादा आता है। दुनिया में जहाज बनाने की सबसे पहली कला और तकनीकी भारत में ही विकसित हुई है और दुनिया के देशों ने पानी के जहाज बनाना भारत से सीखा है। फिर वो कहता है की भारत इतना विशाल देश है जहां दो लाख गाँव हैं जो समुद्र के किनारे स्थापित हुआ माना जाता है इन सभी गाँव में जहाज बनाने का काम पिछले हजारों वर्षों से चलता है। वो कहता है की हम अंग्रेजों को अगर जहाज खरीदना हो तो हम भारत में जाते है और जहाज खरीद कर लाते हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी के जितने भी पानी के जहाज दुनिया में चल रहे हैं ये सारे के सारे जहाज भारत की स्टील से बने हुए हैं ये बात मुझे कहते हुए शर्म आती है की हम अंग्रेज़ अभी तक इतनी अच्छी क्वालिटी का स्टील बनाना नही शुरू कर पाये हैं। वो कहता है भारत का कोई पानी का जहाज जो 50 साल चल चुका है उसको हम खरीद कर ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा में लगाएँ तो 50 साल भारत में चलने के बाद भी वो हमारे यहाँ 20-25 साल और चल जाता है इतनी मजबूत पानी के जहाज बनाने की कला और टेक्नालजी भारत के कारीगरों के हाथ में है। आगे वो कहता है हम जितने धन में 1 नया पानी का जहाज बनाते हैं उतने ही धन में भारतवासी 4 नए जहाज पानी के बना लेते हैं। फिर वो अंत में कहता है की हम भारत से पुराने पानी के जहाज खरीदें और उसको ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा में लगाएँ यही हमारे लिए अच्छा है। इसी तरह से वो कहता है भारत में तकनीक के द्वारा ईंट बनती है, ईंट से ईंट को जोड़ने का चूना बनता है उसके अलावा 36 तरह के दूसरे इंडस्ट्री हैं। इन सभी उद्योगों में भारत दुनिया में सबसे आगे है, इसलिए हमें भारत से व्यापार करके ये सब तकनीकी लेनी है और इन सबको इंग्लैंड में लाकर फिर से पुन: उत्पादित करना है।"
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“एक राष्ट्र को जितके गुलाम बनाने के दो तरीके है, एक तलवार के द्वारा और दूसरा ऋण के द्वारा”
- जॉन ऐडम्स (संयुक्त राज्य अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति, 1735–1826)

‘इकनोमिक हिटमैन’ उच्च वेतन पानेवाले पेशेवर लोग है जो विश्व भर के देशों को अरबो डॉलर का धोखा देते है| वे यह काम कैसे करते है ? आइये जाने –

पहले वे एक ऐसी देश की पहचान करते है जिस देश की बहुत प्राकृतिक सम्पदा हो और वह प्राकृतिक सम्पदा उस देश की निगमों के अधीन हो जैसे तेल, गैस, कोयला, मिनरल्स इत्यादि फिर वो उस देश के लिए विश्व बैंक से या विश्व बैंक के किसी दुसरे संस्था से देश की बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ऋण देने की व्यवस्था करते है |

लेकिन वास्तव मे उस देश के लिए पैसा कभी नही जाता है बजाये वो उनके बड़े निगमों को जाता है जो उस देश मे बिजली संयंत्र, औद्योगिक पार्क, बंदरगाहों जैसे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निर्माण करते है जिससे उस देश के कुछ अमीर लोगों को और उनके निगमों को हि फायदा होता है पर देश के अधिकतर लोगोंको कुछ नही मिलता|

हालांकि 99% जनसँख्या, पूरा देश एक विशाल ऋण के तले दब जाता है जिसको कभी भुगतान नही किया जा सकता और उस देश 
की यही अवस्था उनकी योजना का हिस्सा है; ऐसी अवस्था मे इकनोमिक हिटमैन उस देश के नेतृत्व के पास फिर से पोहुंच जाता है और प्रस्ताव देता है के ‘आपके देश को पैसा चाहिए और आप ऋण से दबे है तो आपको और लोन देंगे परन्तु आपको अपने देश का तेल सस्ते मे हमारे कंपनी को बेचना होगा, या आपके देश मे हम अपना मिलिट्री अड्डा बनाना चाहते है, या संयुक्त राष्ट्र के वोटिंग मे हमारे पक्ष मे वोट करिए, इराक की युद्ध मे सहायता के लिए अपनी सेना भेजिए, अपने देश के बिजली संयंत्र की निजीकरण करिए, जल संसाधन को भी निजीकरण करिए और अमेरिकी कंपनी को बेच दीजिये, बीमा व्यवस्था को विदेशी कंपनी को बेच दीजिये, अपने देश कि मुद्रा का अवमूल्यन करिए इत्यादि’|

इसी तरह वो देश धीरे धीरे आर्थिक गुलामी से सम्पूर्ण गुलामी मे फंसता चला जाता है ...

अधिक जानकारी के लिए यह विडियो देखे:
https://www.youtube.com/watch?v=RVsB07CcSNw

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