Wednesday, 30 April 2014

रूमी नाथ ... नाम याद है आपको ??

रूमी नाथ ... नाम याद है आपको ?? वही आसाम की विधायक डाक्टर पति और एक प्यारी सी बिटिया की मम्मी ... फेसबुक पर एक बांग्लादेश के मुस्लिम युवा से चैटिंग पर मिली .. वो उनसे १७ साल छोटा था ... प्यार हुआ ... फिर आसाम के एक मुस्लिम मंत्री ने अपने बंगले पर दोनों का निकाह करवाया ...
बाद में उनके पिताजी ने कहा की उनकी जिन्दगी की सबसे बड़ी गलती रही की कांग्रेसियो का उनके घर आना जाना रहा ..
आज उन्होंने अपने वर्तमान मुस्लिम पति के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई .. रिपोर्ट में लिखवाया की उनका पति उन्हें पैसे के लिए खूब मारता पीटता है ..और सारा दिन घर पर शराब पीता रहता है .. उन्होंने तलाक के लिए भी अर्जी लगाई है |
हिन्दू लडकियों और महिलाओ की आँखे अब खुल जानी चाहिए .. मुस्लिम आजकल सिर्फ हथियार के जिहाद पर ही नही बल्कि लव जिहाद पर भी काम कर रहे है और उनका मकसद है की हिन्दू लडकियों को बहला फुसलाकर उन्हें नर्क के गर्त में धकेल देना |
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ऑस्ट्रेलियन प्राइम मिनिस्टर
जूलिया गिलार्ड
इस महिला प्राइम मिनिस्टर ने
जो कहा है , उस बात को कहने के लिए बड़ा साहस और आत्मविश्वास चाहिए !
पूरी दुनिया के सब देशों में ऐसे ही लीडर होने चाहिए !!
वो कहती हैं :
"मुस्लिम , जो इस्लामिक शरिया क़ानून चाहते हैं उन्हें बुधवार तक ऑस्ट्रेलिया से
बाहर जाने के लिए कहा है
क्योंकि ऑस्ट्रेलिया देश के कट्टर
मुसलमानो को आतंकवादी समझता है ।
ऑस्ट्रेलिया के हर एक मस्जिद की जाँच होगी और मुस्लिम इस जाँच में हमे सहयोग दें ।
जो बाहर से उनके देश मे आए हैं, उन्हें ऑस्ट्रेलिया में रहने के लिए अपने आप को बदलना होगा और ना कि ऑस्ट्रेलियन
लोगो को .. अगर नहीं होता है
तो मुसलमान मुल्क छोड़ सकते हैं
कुछ ऑस्ट्रेलियन चिंतित है ये सोच के की क्या हम किसी धर्म का अपमान
तो नहीं कर रहे .. पर मैं ऑस्ट्रेलियन लोगों को विश्वास देती हूँ की हम जो भी कर रहे है वो सिर्फ़ ऑस्ट्रेलिया के
लोगों के हित में कर रहे हैं
हम यहा इंग्लिश बोलते है ना की अरब ..
इसलिए अगर इस देश में
रहना होगा तो आपको इंग्लिश
सीखनी ही होगी
ऑस्ट्रेलिया में हम JESUS को भगवान मानते हैं , हम भगवान को मानते है ! हम
सिर्फ़ हमारे CHRISTIAN RELIGION
को मानते है और किसी धर्म
को नहीं इसका यह मतलब नहीं कि हम
सांप्रदायिक है ! इसलिए हमारे
यहां भगवान की तस्वीर और धर्म ग्रंथ सब
जगह होते है ! अगर आपको इस बात से
आपत्ति है तो दुनिया में आप
कहीं भी जा सकते हैं ऑस्ट्रेलिया छोड़ कर ।
ऑस्ट्रेलिया हमारा मुल्क है ,
हमारी धरती है , और हमारी सभ्यता है ।
हम आपके धर्म को नहीं मानते पर
आपकी भावना को मानते हैं ! इसलिए अगर
आपको नमाज़ पढ़नी है तो ध्वनि प्रदूषण
ना करें .. हमारे ऑफिस , स्कूल
या सार्वजनिक जगहों में नमाज़ बिल्कुल ना पढ़ें ! अपने घरों में या मस्जिद में शांति से नमाज़ पढ़ें । जिस से हमें कोई तकलीफ़ ना हो ।
अगर आपको हमारे ध्वज से , राष्ट्रीय गीत
से , हमारे धर्म से या फिर हमारे रहन-सहन से कोई भी शिकायत है तो आप अभी इसी वक़्त ऑस्ट्रेलिया छोड़ दें " ।
- ऑस्ट्रेलिया प्राइम मिनिस्टर
जूलिया गिलार्ड
सीखो भारत के नेताओं ..
कुछ सीखो इनसे..

बुलढाणा जिलेमें वासनांध जिहादीयोंने २६२ हिंदु लडकियोंको अगुवा किया !

बुलढाणा (महाराष्ट्र) : जनवरी २०१३ से अप्रैल २०१४ की कालावधिमें वासनांध जिहादीयोंद्वारा नगरके २६२ हिंदु लडकियोंको अगुवा करनेका धक्कादायी वास्तव उजागर हुआ है । परंतु एक भी दुसरे धर्म की लडकी भागकर जानेकी घटना नहीं पाई गई । (जिहादीयोंके झूठे प्रेमपर बलि चढनेवाली हिंदु युवतियोंके लिए धर्मशिक्षाकी आवश्यकता स्पष्ट करनेवाली घटना ! यदि बुलढाणासमान तुलनमें अल्प विकसित जिलेमें इतनी बडी संख्यामें लडकियां जिहादीयोंके साथ पलायन करती हैं, तो अन्य विकसित जिलोंके संदर्भमें यह अंकवारी कितनी भयानक होगी, इसका विचार ही नहीं करना चाहिए ! इस स्थितिको परिवर्तित करने हेतु राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी राजनेता ही चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. पिछले डेढ वर्षोंमें अल्पायु हिंदु लडकियोंको विवाहका लालच दर्शाकर अगुवा करनेकी ९० घटनाएं पुलिसमें प्रविष्ट की गई हैं । (इसलिए हिंदु अभिभावकोंको चाहिए कि वे अब अपने लडकियोंको सतर्क करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. वर्ष २०१३ में बुलढाणेसे २२५ हिंदु लडकियोंको जिहादीयोंने अगुवा किया, जबकि जनवरी से अप्रैल २०१४ की कालावधिमें ३७ हिंदु लडकियोंको अगुवा किया गया । इनमें कुछ प्रकरणोंमें अपहरण एवं बलात्कारके अपराधोंकी भी प्रविष्टि की गई है ।
३. पलायन करनेवाली लडकियोंमें अल्पायु एवं सुशिक्षित लडकियोंकी मात्रा अधिक है ।
४. पूछताछ करनेपर स्पष्ट हुआ कि जिन हिंदु लडकियोंको जिहादीयोंने अगुवा किया, उनमें अधिकांश मुसलमान विवाहित थे । (इससे स्पष्ट होता है कि वासनांध जिहादी यह कृत्य लवजिहादके लिए ही करते हैं । लवजिहाद मिटानेके लिए अब हिंदुओंको छत्रपति शिवाजी महाराजकी साधना तथा संगठनके मार्गसे प्रयास करने चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
५. इस विषयमें बुलढाणा नगरके पुलिस शिक्षक संयुक्त दक्षता पथकद्वारा पिछले डेढ वर्षोंमें ५०० लडके-लडकियोंको चेतावनी दी गई है । (दक्षता पथकद्वारा सचेत किए गए बच्चोंकी संख्या भी न्यून नहीं है । इन ५०० में कितने लडकोंने हिंदु युवतियोंको अगुवा किया होगा इसकी जानकारी अबतक सामने नहीं आई । उपर दी गई २६२ संख्या भी केवल उजागर प्रकरणोंकी ही है । अतः प्रत्यक्षमें उजागर न होनेवाले तथा हिंदु अभिभावकोंद्वारा जिहादीयोंके साथ अपने लडकीके विवाहको दी गई सम्मतिके प्रकरणोंकी संख्या कितने भारी मात्रामें हो सकती है, क्या हिंदु इसका विचार करेंगे ? 
स्त्रोत : दैनिक सनातन

‘लव जिहाद’ संकटको पहचानो !

छह सहस्र (हजार) से अधिक लडकियोंको लव जिहादके जालमें फंसाकर बनाया गया मुसलमान !


केरलकी ‘कलाकौमुदी’ साप्ताहिक पत्रने प्रकाशित की, ‘लव जिहाद’के विषयमें  केंद्रीय गुप्तचर विभागके प्रतिवेदनमें बताई गई मार्मिक सत्य स्थिति !

लव जिहादका झटका ईसाइयोंको भी !
मुसलमानोंने इस समाचारपत्रकी उपलब्ध सभी प्रतियोंको खरीदकर जला दिया ! 
तिरुवनंतपुरम - केरलके ‘कलाकौमुदी’ नामक प्रसिद्ध साप्ताहिक समाचारपत्रने ‘लव जिहाद’प्रकरणमें मुसलमान जिहादियोंद्वारा हिंदू एवं ईसाई लडकियोंका किए गए धर्मपरिवर्तनोंकी सत्यस्थिति प्रकाशित की है । यह समाचार, किसी सुनी हुई कथा अथवा चर्चापर आधारित नहीं है, अपितु केंद्रीय गुप्तचर तंत्रका केंद्रीयगृहमंत्रालयको प्रेषित प्रतिवेदन है । यह समाचार प्रकाशित होते ही सब लोग हडबडाकर जागे, तो मुसलमान आतंकवादियोंने ‘कलाकौमुदी’की इस ‘लव जिहाद’ विशेषांककी पूरी प्रतियां अविलंब क्रय कर जला दिया । ( समाजमें ‘लव्ह जिहाद’के विषयमें जागृति होनेपर हमारा दांव विफल हो जाएगा, इसके लिए मुसलमान कितना सतर्क रहते हैं, यह स्पष्ट होता है ! धर्मनिरपेक्षताका ढिंढोरा पीटनेवाले जन्महिंदुओंको जिहादी मुसलमानोंका दांव कब समझमें आएगा ? हिंदू अपने धर्मके विषयमें इतने सतर्क होंगे क्या ?- संपादक ) यह समाचार ‘हेंदवाकेरलम’ जालस्थानकी मार्गिका -
समाचारपत्र विक्रेताओंसे यह विशेषांक मांगने पर उन्होंने कहा कि उनके पास उपलब्ध नहीं है, सब बिक गया है । इस विषयमें अधिक पूछ-ताछ करनेपर दुकानदारोंने बताया कि मुसलमाकोंके कुछ गुट इन अंकोंकी पूरी-की-पूरी प्रतियां खरीद कर ले गए हैं । 
कलाकौमुदी’ साप्ताहिकमें, ‘केरलके विनाशके लिए लव्ह जिहाद, धर्मांतरण और काला पैसा’ यह लेख प्रकाशित हुआ था । केंद्रीय गुप्तचर संस्थाद्वारा केंद्रीय गृहमंत्रालयको भेजे गए प्रतिवेदनके आधारपर यह लेख लिखा गया है । ( यह प्रतिवेदन यदि हिंदुओंसे संबंधित होता तथा गुप्तचर विभागने कहा होता कि लव जिहाद अस्तित्वमें नहीं, तो मुसलमानोंका पक्ष लेनेवाले केंद्रीय कांग्रेसी शासकोंने उसे तुरंत प्रकाशित कर हिंदुओंको अपकीर्त करनेका निंदनीय कृत्य आरंभ कर दिया होता । जन्महिंदुओ, अब तो जगो और ‘लव जिहाद’के राक्षसके विरुद्ध संगठित होकर कार्य करो ! - संपादक )
इस लेखमें ‘लव जिहाद’ में सम्मिलित मुसलमान आतंकवादी दलोंकी आलोचना की गई है । गुप्तचरोंके प्रतिवेदनके अनुसार वर्ष २००६ से मार्च २०१२ तक केरलमें कुल ६ सहस्र १२९ लडकियोंको ‘लव जिहाद’के माध्यमसे इस्लाम धर्ममें धर्मांतरित किया गया है । इसमें ४ सहस्र ९९७ लडकियां हिंदू हैं, तो १ सहस्र १३२ लडकियां ईसाई हैं । ( ईसाइयो, ‘लव जिहाद’का संकट केवल हिंदुओंपर नहीं है, अपितु यह ईसाइयोंपर भी है, यह ध्यानमें रखिए और उसका विरोध कीजिए ! ईसाइयो, आज ‘लव जिहाद’के विरोधमें जी-जानसे लडनेवाली श्रीराम सेनाका विरोध, केरलके ही आतंकवादी विचारधाराके संगठन, ‘पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ की सहायतासे गोवाके कुछ हिंदुद्वेषी लोग विरोध कर रहे हैं ।  यह संगठन भी लव जिहादकी गतिविधियोंमें सक्रियरूपसे लिप्त है । इसी संगठनके कार्यकर्ताओंने केरलमें एक ईसाई प्राध्यापकका हाथ तोडा था, स्मरण है न ? इस संगठनके अनेक कार्यकर्ता हिंसक कार्योंमें पकडे गए हैं तथा अनेकपर आतंकवादियोंसे मिले होनेका आरोप है । अतः, अब तो जागिए, मुसलमानोंकी धूर्तता पहचानिए ! - संपादक ) केरलके मल्लपुरममें सर्वाधिक २ सहस्र १३७ लडकियोंको जिहादी आतंकवादियोंने प्रेम-जालमें फंसाकर मुसलमान बनाया है ।  
स्त्रोत - दैनिक सनातन प्रभात

हिंदुओ, ‘लव-जिहाद’ तथा ‘जिहाद-ए-इश्क’के आक्रमण रोकने हेतु हिंदू लडकियोंको धर्मशिक्षा दें !

‘लव-जिहाद’ का लवण अब उत्तरप्रदेशके पश्चिमी क्षेत्रमें फैल गया !

नई देहली - देहली पुलिसके विशेष विभागद्वारा हाल-हीमें लष्कर-ए-तोयबाके महंम्मद शहीद एवं महंम्मद रशीद दो  हस्तकोंको बंदी बनाकर उनसे पूछताछ की गई । इससे ऐसी बात सामने आई है कि पाकिस्तानकी जिहादी गुप्तचर संस्था आय.एस.आय. तथा लष्कर-ए-तोयबाकी मिलीभगतसे धर्मांध युवकोंने हिंदुओंके नाम धारण कर हिंदुओंके लडकियोंको अपने जालमें फंसाकर विवाह करना एवं पश्चात उनका धर्मपरिवर्तन कर उन्हें छोड देना ऐसा प्रकार आरंभ किया है । ‘लव-जिहाद’के इस नए रूपको ‘जिहाद-ए-इश्क’ नाम दिया गया है । यह ऐसा षडयंत्र रचा गया है जिससे हिंदू समाजकी नैतिक एवं भावनाके स्तरपर हानि हो ।
१. उत्तरप्रदेशके मुजफ्फरनगर तथा मीरत दो जनपदोंमें आय.एस.आय.संस्थाने अपना जाल फैलया है । इसके लिए स्थानीय मदरसाओंके मौलवीओंकी सहायता भी ली गई है ।
२. आय.एस.आय. एवं लष्कर-ए-तोयबाकी सहायतासे अनेक बेरोजगार एवं धर्मांध युवकोंको हिंदू लडकियोंको प्रेमके जालमें फंसानेका प्रशिक्षण दिया जाता है ।
३. उन्हें हिंदू नाम देकर हिंदुओंके समान आचरण करना सीखाया जाता है । तत्पश्चात उन्हें दोपहिये, भ्रमणभाष संच तथा आकर्षक वस्र देकर हिंदू लडकियोंसे प्रेमका नाटक करनेको कहा जाता है ।
४. इन लडकियोंसे विवाह करनेके उपरांत ही उन्हें लडकोंकी पहचान होती है । तबतक बहुत देर हो जाती है । तदुपरांत इन लडकियोंका धर्मपरिवर्तन कर उन्हें वेश्याव्यसायमें धकेल दिया जाता है ।
५. यह जानकारी मिलनेपर देहली पुलिसके एक दलद्वारा उत्तरप्रदेशके इस क्षेत्रमें जाकर इस घटनाकी निश्चिती की गई; परंतु इस घटनाके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई यह स्पष्ट नहीं हो पाया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

'लव जिहादियों' ने फैलाया उत्तर प्रदेश में आतंक : अशोक सिंहल

मुजफ्फरनगर : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संरक्षक अशोक सिंहल ने कहा कि जब से देश में ‘लव जिहाद’ शुरू हुआ है, चारों तरफ अशांति बढ़ रही है। इस लिए केंद्र सरकार को ‘लव जिहाद’ पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, जब से प्रदेश में सपा सरकार आई तब से जिहादियों के हौसले बुलंद हो गए। उसी का विरोध करने के लिए जाट समुदाय ने ‘बहू-बेटियां बचाओ’ महापंचायत की। महापंचायत से घर लौटने वक्त लोगों पर हमले किए गए।
सिंहल ने कहा कि ये दंगे उसी की प्रतिक्रिया हैं। जिस तरह गुजरात में गोधरा कांड की भारी प्रतिक्रिया हुई थी, उसी तरह मुजफ्फरनगर में लोगों ने ‘लव जिहाद’ के प्रति अपना गुस्सा जताया है। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में वरुण गांधी से भी लोगों ने पूछा था कि उनकी बहू-बेटियों को ‘लव जिहाद’ से कैसे बचाया जाएगा, तब वरुण से  उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिया था।
जब उनसे पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री बनने पर नरेंद्र मोदी ऐसा कर सकते हैं, तो सिंहल ने कहा कि गुजरात का उदाहरण सामने है जहां लव जिहादियों की नहीं चलती है। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार हिंदुओं की दुश्मन के तौर पर काम कर रही है। सपा सरकार एक मंत्री आजम खान के कहने पर ऐसे फैसले कर रही है, जिससे प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल लगातार खराब हो रहा है।
स्त्रोत : पंजाब केसरी


Tuesday, 29 April 2014

महाभारत को ‘धर्मयुद्ध’ क्यों कहते है ?

महाभारत को ‘धर्मयुद्ध’ क्यों कहते है ?
१. दुर्योधन के अनेक कौरवबंधू और वीर योद्धा पांडवों द्वारा
मारे जाने से दुर्योधन का क्रोधित होना और भीष्माचार्य से इसका उत्तर मांगना । 
‘महाभारत के पहले तीन दिनों में दुर्योधन के अनेक कौरवबंधू एवं कौरवों के पक्ष के अन्य वीर योद्धा पांडवों द्वारा मारे गए । पांचों पांडव और उनके पक्ष के किसी भी प्रमुख सेनानी की मृत्यु नहीं हुई थी; इसलिए दुर्योधन क्रोधित हुआ और उसने कौरवों के सेनापति भीष्माचार्य से इसका उत्तर मांगा । तब भीष्माचार्य ने कहा, ‘‘कल मैं ५ बाणों से पांचों पांडवों को मारूंगा ।’’ इस पर दुर्योधन ने कहा, ‘‘नहीं वैसा नहीं ! जिन पांच बाणों से आप पांच पांडवों को मारने वाले हो, उन्हें अभिमंत्रित कर मुझे सौंप दीजिए । वे बाण मैं कल सवेरे युद्ध पर जाने के पूर्व आपको लाकर दूंगा । भीष्माचार्य ने पांच बाण अभिमंत्रित कर दुर्योधन को दिए । वे बाण लेकर दुर्योधन अपने शिविर में आया ।

२. भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से दुर्योधन के पास जाकर
पाच बाण मांगने के लिए कहना और अर्जुन को वर देने से
दुर्योधन निरूपाय होना और उसे बाण देना अनिवार्य होना ।
भगवान श्रीकृष्ण को इस बात का पता चला । उन्हें इसका उपाय भी सूझा । जब पांडव वनवास में थे तब एक बार दुर्योधन भी वन में गया था । उस समय अर्जुन ने उसके प्राण बचाए थे; इसलिए दुर्योधन ने उसे इच्छित वर मांगने के लिए कहा था । तब अर्जुन ने कहा था कि ‘‘अभी नहीं, आवश्यकता होने पर मैं तुमसे वर मांगूंगा । उस समय जो भी मांगूगा वह दे देना ।’’
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के शिविर में गए । उन्होंने अर्जुन को तुरंत दुर्योधन के पास जाकर वे पांच बाण मांगने के लिए कहा । अर्जुन दुर्योधन के पास गया और भीष्माचार्य द्वारा अभिमंत्रित पांच बाण मांगे । अर्जुन को वर देने से निरूपाय हुआ और उसके लिए बाण देना अनिवार्य हुआ । दुर्योधन ने भी अपने दिए हुए वचन के अनुसार वे पांच बाण अर्जुन को दे दिए; इसलिए इस युद्ध को ‘धर्मयुद्ध’ कहते है !’

पुरी में जगन्नाथ मंदिर केे कुछ आश्चर्यजनक तथ्य:-

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पुरी में जगन्नाथ मंदिर केे कुछ आश्चर्यजनक तथ्य:-

1. मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।

2. पुरी में किसी भी स्थान से आप मन्दिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही 

लगा दिखेगा।

3. सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है, और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में

इसका उल्टा होता है ।

4. पक्षी या विमानों को मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पायेगें।

5. मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है ।

6. मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ

नहीं जाती, चाहे हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं ।

7. मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखा जाता है और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया

जाता है । इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती

जाती है।

8. मन्दिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि

नहीं सुन सकते, आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें जब आप इसे सुन सकते हैं, इसे शाम को स्पष्ट

रूप से अनुभव किया जा सकता है।

साथ में यह भी जाने:-
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मन्दिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है।

प्रति दिन सांयकाल मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है।

मन्दिर का क्षेत्रफल चार लाख वर्ग फिट में है।

मन्दिर की ऊंचाई 214 फिट है।

विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद का निर्माण करने हेतु 500 रसोईये एवं उनके 300

सहायक-सहयोगी एक साथ काम करते है। सारा खाना मिट्टी के बर्तनो मे पकाया जाता है !

हमारे पूर्वज कितने बढे इंजीनियर रहें होंगे

अपनी भाषा अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता पर गर्व करो
गर्व से कहो हम हिन्दुस्तानी है

Sunday, 27 April 2014

पाक से भारत आ रहे ह‌थियार गायब !

कैबिनेट सचिवालय और गृह मंत्रालय ने आईबी और रॉ के खास अधिकारियों को हथियारों के एक लापता जखीरे को खोजने की जिम्मेदारी दी है। पिछले महीने के आखिरी सप्ताह में बांग्लादेश के रास्ते देश में दाखिल हथियारों की यह खेप एजेंसियों के रडार से अचानक गायब हो गई थी। 
चुनाव के मद्देनजर फरवरी महीने में समुद्री रास्तों से हथियार, मादक पदार्थ और नकली नोटों की तस्करी संबंधी गृह मंत्रालय की चेतावनी के बावजूद एजेंसियों के हाथों इस संवेदनशील मामले के फिसलने से खुफिया हलकों में खलबली मची हुई है। 
उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने अमर उजाला को बताया है कि यह जखीरा मार्च के आखिरी हफ्ते में एक मालवाहक जहाज में छुपाकर पाकिस्तान के कराची पोर्ट से बांग्लादेश के कुतुबदिया पोर्ट पर पहुंचाया गया। 

पाक से बांग्लादेश के रास्ते भेजा गया था भारत

एजेंसियों को पता चल चुका था कि पद्मा नामक जहाज से खतरनाक हथियारों की यह खेप बांग्लादेश पोर्ट पर उतरी है। एजेंसी कुछ दिनों तक खेप पर नजर गड़ाए उसे देश की सीमा में दाखिल होने का इंतजार करती रही। 
मगर बांग्लादेश के जेस्सौर के बाद यह खेप अचानक ओझल हो गई। एजेंसियों को अंदेशा है कि यह पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से लगी सीमा से होते हुए भारत में दाखिल हो चुकी है। 
इस मामले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के खुफिया विंग जी-ब्रांच की मदद भी ली जा रही है। सूत्रों ने बताया कि पद्मा जहाज की कंपनी के लोगों से गहन पूछताछ भी की गई है। हालांकि सूत्र मामले को काफी संवेदनशील बताते हुए इससे संबंधित पूरी जानकारी नहीं दे रहे।

भारत विरोधी कार्रवाई में इस्तेमाल होंगे हथियार

एजेंसियों को यह अंदाजा नहीं लग पाया है कि जखीरे में कौन से और कितने खतरनाक हथियार थे। खुफिया अधिकारियों के एक तबके का मानना है कि यह हथियार भारत विरोधी कार्रवाई में लगे पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई ने नक्सलियों को मजबूती देने के मकसद से भेजा है। 
लेकिन सूत्रों के मुताबिक नक्सलियों को पाकिस्तान से सीधे तौर हथियार मिलने की अब तक कोई खुफिया सूचना नहीं है। नक्सलियों के ज्यादातर हथियार पुलिस और अर्धसैनिक बलों से ही लूटे हुए होते हैं। 
हालांकि चीन की कुछ एजेंसियां और उत्तर-पूर्व के उग्रवादी गुटों की सांठगांठ से नक्सलियों को संचार और उससे संबंधित उपकरणों के मुहैया कराए जाने की बात भी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक चिंता का सबब यही है कि एजेंसियों को हथियार के इस जखीरे के गंतव्य का कुछ भी पता नहीं है। 
स्त्रोत : अमर उजाला 
 जदयू से भाजपा में आए और ४८ घंटे के भीतर बाहर किए गए साबिर अली पर इंडियन मुजाहिदीन [आइएम] और आतंकियों से रिश्ते का आरोप लगने से सनसनी फैल गई है। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी के आरोप सच हैं या झूठ, यह तो जांच का विषय है, लेकिन इससे सुरक्षा एजेंसियां सतर्क जरूर हो गई हैं। स्लीपिंग माड्यूल्स और शरणदाताओं पर केंद्रित एजेंसियों ने अब आइएम के सियासी रिश्तों की भी छानबीन शुरू कर दी है।
गोरखपुर में पकड़े गए दो पाकिस्तानी आतंकियों अब्दुल वलीद व फहीम से पूछताछ में एटीएस को कई अहम जानकारियां मिली हैं। इसके सहारे सियासी रिश्तों से भी परदा उठाने की तैयारी चल रही है। संभव है कि चुनाव के दौरान सुरक्षा एजेंसियां किसी पर हाथ न डाले, लेकिन सूत्रों का कहना है कि गोरखपुर से लेकर मुजफ्फरनगर के बीच सियासी आमदरफ्त रखने वाले तीन-चार लोग गिरफ्त में आ सकते हैं। कुछ दिन पहले नेपाल सीमा से पकड़े गए दस लाख के इनामी और आइएम के अगुवा तहसीन अख्तर उर्फ मोनू के चाचा एक राजनीतिक दल से जुड़े हैं। हालांकि, उन्होंने मोनू से किसी भी तरह का संबंध से इन्कार किया है। बाटला हाउस कांड से सुर्खियों में आए आजमगढ़ के एक आतंकी के पिता भी राजनीतिक दल से जुड़े रहे हैं। इंटेलीजेंस ब्यूरो ने राज्य सरकार को कई बार इस तरह के इनपुट दिए और ऐसे संरक्षणदाताओं और सहयोगियों पर निगाह रखने को भी कहा, लेकिन कभी इस दिशा में एजेंसियों ने सीधा हस्तक्षेप नहीं किया।
आतंकियों के सियासी रिश्तों की बुनियाद तो मंदिर आंदोलन के बाद से ही पड़नी शुरू हो गई। अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस के बाद जब भारत विरोधी ताकतें सक्रिय हुई तो सबसे पहले नेपाल के जरिये ही घुसपैठ शुरू हुई। उन दिनों नेपाल में यूपी के देवरिया का मूल निवासी मिर्जा दिलशाद बेग राजनीति में सक्रिय हुआ था। तस्करी के धंधे से सियासत में उतरे मिर्जा को आइएसआइ ने मोहरा बनाया और उसके जरिये वर्ष १९९३  को गोरखपुर के मेनका टाकीज में तिरंगा फिल्म के प्रदर्शन के दौरान विस्फोट कराया। इन सबके यूपी और बिहार में सियासी रिश्ते हैं। आइएसआइ के संरक्षण में चल रहे लश्कर-ए-तैयबा, सिमी और आइएम जैसे गुटों को उनसे मदद मिलने की सूचनाएं भी रहीं, पर कोई एजेंसी इन पर हाथ डालने में कामयाब नहीं हुई। उत्तर प्रदेश एसटीएफ के आइजी अशीष गुप्ता ने बताया कि गोरखपुर में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकियों से पूछताछ जारी है। कई अहम बातें पता चली हैं, लेकिन अभी उसे हम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। पूछताछ में मिली जानकारी के सत्यापन के लिए आतंकवाद निरोधक दस्ता [एटीएस] विभिन्न क्षेत्रों में गई है। समय पर जानकारी सार्वजनिक की जाएगी।

तहसीन ने यासीन भटकल की पत्नी को पहुंचाई थी रकम

जयपुर : इंडियन मुजाहिदीन के सह संस्थापक यासीन भटकल के लिए हवाला से पैसे मंगवाए गए थे। आइएम आतंकी तहसीन अख्तर ने जयपुर में हवाला के जरिये एक लाख रुपये मंगवाए जो यासीन भटकल की पत्नी जाहिदा को दिए गए थे। भटकल की पत्नी के भी अजमेर और जयपुर आने की जानकारी पुलिस को मिली है। एटीएस और पुलिस को मिली नई जानकारी के मुताबिक जोधपुर के एक युवक की फर्जी आइडी से खरीदी गई सिम भी तहसीन ने जाहिदा को दी थी। जयपुर, जोधपुर, अजमेर और सीकर से पकड़े गए आतंकी इसी सिम पर संपर्क करते थे। भटकल के मुंबई स्थित घर से बरामद सिम से राजस्थान में आतंकी नेटवर्क का पता चला। भटकल को गत वर्ष अगस्त में गिरफ्तार किया था। मुंबई स्थित घर की तलाशी में भटकल की पत्नी जाहिदा के पास राजस्थान की एक सिम मिली। जाहिदा ने तहसीन अख्तर द्वारा सिम देने की बात स्वीकारी।
स्त्रोत : जागरण 
इंडियन मुजाहिदीन [आइएम] का इरादा इस बार खदानों में प्रयोग होने वाले विस्फोटकों का इस्तेमाल कर तबाही मचाना था। राजस्थान मॉड्यूल की मदद से इस काम के लिए ७० किलोग्राम गन पाउडर, पांच किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट और डेटोनेटर की व्यवस्था की गई थी। आइएम संस्थापक रियाज भटकल ने लोकसभा चुनाव से पूर्व तबाही के इस ऑपरेशन की कमान खुद संभाली हुई थी। गिरफ्तार आइएम आतंकी मोहम्मद महरूफ, वकार अजहर एवं शाकिब अंसारी ने पूछताछ में बताया है कि रियाज बार-बार उन्हें पुलिस से सचेत रहने को कहता था। वह जल्द से जल्द धमाकों को अंजाम दिलवाना चाहता था।
स्पेशल सेल अधिकारियों के अनुसार विस्फोटकों का इंतजाम जोधपुर पुलिस की गिरफ्त में मौजूद आइएम आतंकी बरकत अली ने किया था। शाकिब अंसारी और बरकत पहले जोधपुर मेंचीरघर स्थित एक ही मोहल्ले में रहते थे। करीब चार साल से दोनों एक-दूसरे के संपर्क में थे। शाकिब ने बताया कि महरूफ के माध्यम से परिचय होने के बाद रियाज भटकल से उसकी सीधे बातचीत होने लगी थी। रियाज ने उससे जेहाद के लिए विस्फोटकों का इंतजाम करने को कहा। उसने करीब छह माह पूर्व बरकत अली से इसका जिक्र किया। शाकिब ने बिल्डर बरकत अली को आइएम से अपने संपर्क के बारे में भी बताया था। बरकत यह जानकर काफी प्रभावित हुआ। उसने भी जेहाद की लड़ाई में पूरा साथ देने की बात कही थी।

'बांगलादेश मायनॉरिटी वॉच'के प्रतिनिधिमंडलकी भारतके राष्ट्रपतिसे भेंट

नई देहली : ‘बांगलादेश मायनॉरिटी वॉच’ के संस्थापक अध्यक्ष अधिवक्ता रवींद्र घोष एवं बांगलादेशके कुछ प्रतिनिधियोंके प्रतिनिधिमंडलने २१ अप्रैलको भारतके राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जीसे राष्ट्रपति भवनमें भेंट की । इस भेंटमें बांगलादेशके अल्पसंख्यक हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारोंके विषयमें उन्होंने राष्ट्रपतिको जानकारी दी एवं उनकी ओरसे कुछ मांगे प्रस्तुत की ।
१. तत्पुर्व हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंने अधिवक्ता रवींद्र घोष एवं प्रतिनिधिमंडलसे भेंट की । उनसे हिंदुत्व एवं बांगलादेशी हिंदुओंपर होनेवाले अन्यायके संदर्भमें विविध सूत्रोंपर विचार विमर्श किया ।
२. इस अवसरपर अधिवक्ता रवींद्र घोषने रामनाथीमें (गोवा) होनेवाले तृतीय अखिल भारतीय हिंदु अधिवेशनमें अवश्य रूपसे उपस्थित रहनेका आश्वासन दिया तथा समितिद्वारा किए जानेवाले कार्यके विषयमें वहांपर उपस्थित विदेशी हिंदु बंधुओंको जानकारी दी ।
३. अधिवक्ता घोषने समितिके कार्यकी प्रशंसा की तथा समितिके प्रेरणास्थान प.पू.डॉ. आठवलेजीको श्रद्धापूर्वक प्रणाम कहा ।
४. इस अवसरपर सभी उपस्थित हिंदु बंधुओंको मासिक ‘सनातन प्रभात’ एवं समितिकी जानकारीके संदर्भमें पत्रक दिए गए ।
५. अधिवक्ता रवींद्र घोषद्वारा किए जानेवाले कार्यको समितिने शुभकामनाएं दी है । इस अवसरपर समितिके सर्वश्री संजीव कुमार, दैवेश रेडकर एवं गजानन केसकर उपस्थित थे ।
बांग्लादेश माइनोरिटी वाच’ इस हिंदुनिष्ठ संगठनके अध्यक्ष श्री. रवींद्र घोषद्वारा यह सूचना प्राप्त हुई है कि बांग्लादेशके सिल्हेटकी श्रीमती दिबाराणी डे इस हिंदु नगरसेविकाको अब्दुल मतीन नामक धर्मांध मुसलमानने पुलिसके सहयोगसे उसे प्राप्त झूठे परिवादके कारण बंदी बनाया । 
सिल्हेटके प्रभाग क्रमांक १३, १४ तथा १५ से नगरसेविकाके रूपमें श्रीमती दिबाराणी डे चुनकर आई हैं । अब्दुल मतीनकी आंखें श्रीमती दिबाराणी डेके जतरपुरके निवासस्थान तथा उसके निकटवाले मंदिरके स्थानपर थीं । 
उसने पुलिसके साथ श्रीमती दिबाराणी डेके विरोधमें याचिका प्रविष्ट की । निश्चित रूपसे मतीनने क्या याचिका प्रविष्ट की, यह अभीतक ज्ञात नहीं हुआ है; किंतु पुलिसद्वारा त्वरित कार्रवाई करनेकी सूचना प्राप्त हुई है । बांग्लादेश माइनोरिटी वाचके श्री. रवींद्र घोषने जब वरिष्ठ पुलिस अधिकारियोंसे संपर्क किया, तो उन्हें टोलमटोलवाले उत्तर प्राप्त हुए । श्रीमती डेको न्यायालयके समक्ष उपस्थित किए जानेके पश्चात उन्हें जमानत प्राप्त हुई । यह बताया जा रहा है कि श्रीमती डेके द्वारा चुनावमें सत्ताधारी दलके उम्मीदवारका पराभव करनेके कारण उनके विरुद्ध यह षडयंत्र रचा गया है । 

आतंकियों को मौत की सजा नही बल्कि अमेरिकी स्टाइल में सजा दो ...


आतंकियों को मौत की सजा नही बल्कि अमेरिकी स्टाइल में सजा दो ...यानी उन्हें जीते जी तडपा तडपा कर रखो की वो खुद हर पल मौत की भीख मांगे ...
अमेरिका ने सुदूर प्रशांत महासागर के एक टापू ग्वांतानामो पर एक ऐसी बदनाम जेल बनाई है जिसमे सिर्फ आतंकी ही रखे गये है .. इस द्वीप पर अमेरिका या कोई भी अंतर्राष्ट्रीय कानून लागु नही होता ...यहां करीब 5000 अमेरिकी सैनिक और असैनिक कर्मचारी रहते हैं.
यहां के समुद्री तटों पर रेत नहीं, बल्कि कंकड़ हैं. यह इग्वाना नाम की छिपकिली के लिए उपयुक्त माना जाता है और इस प्रजाति को नुकसान पहुंचाने वाले को 10000 डॉलर तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. पास में एक छोटा सा हवाई अड्डा है, जहां से हफ्ते में एक बार फ्लोरिडा की उड़ान भरी जा सकती है. रेडियो डीटीएमओ में काम करने वाले अधिकारी स्टैन टिरवियोली का कहना है, "ग्वांतानामो बे ऐसा है, जैसे कि आप 20 साल पीछे चले गए हों."
यहां फिलहाल 154 कैदी रहते हैं. इनमें 9/11 का मास्टरमाइंड कहा जाने वाला खालिद शेख मुहम्मद भी है. ज्यादातर कैदियों को बिना किसी आरोप के यहां रखा गया है और कईयों के खिलाफ कार्रवाई शुरू भी नहीं हुई है.
राष्ट्रपति बनने के बाद बराक ओबामा ने इस जेल को बंद करने की कोशिश की थी लेकिन अमेरिकी सांसदों के दबाव में वह ऐसा नहीं कर पाए.
खालिद शेख मुहम्मद ने अपने हर वालो को एक पत्र लिखा था जिसमे कहा था की खुदा से तुम लो यही प्रार्थना करो की मुझे जल्द से जल्द मौत नसीब हो और मुझे इस नर्क से छुटकारा मिले ... यहाँ कैदियों को हर रोज १०० से ज्यादा कोड़े मारे जाते है ...फिर उन्हें उस पर लाने के लिए बाम भी दिया जाता है फिर अले दिन फिर से कोड़े बरसाए जाते है ..
आर ऐसा भारत में होता तो सेकुलर सूअर, अदालते, मानवाधिकारवादी दोगले छाती कूट कूटकर पगला जाते

विमान नहीं ...ये है गुजरात की हाई-टेक बस ..







विमान नहीं ...ये है गुजरात की हाई-टेक बस ..
हरेक सीट पर 18 इंच की टच स्क्रीन के साथ डीटीएच कनेक्शन, रेफ्रीजरेटर, माइक्रोवेव, कॉफी वेंडिंग मशीन, टॉयलेट, मनोरंजन के लिए 50 फिल्में और 5000 गीतों का मजा, वाई-फाई व अन्य सुविधाएं..जैसी अद्भुत सुविधाओं से लैस यह नजारा किसी विमान का नहीं, बल्कि गुजरात की सबसे महंगी बस का है।
बस में मिलने वाली सुविधाएं किसी एयरलाइंस से कम नहीं। यहां यात्रियों के आरामदायक सफर के लिए मनोरंजन से लेकर हरेक बात का ध्यान रखा गया है। बस में एयर हॉस्टेस भी यात्रियों की सेवा में हाजिर रहती है।
यह बस राजकोट की निजी ट्रैवल कंपनी की है, जो राजकोट से अहमदाबाद तक चलती है। कंपनी इसके अलावा अन्य कई लग्जुरियस बसें भी चलाती है। ट्रैवल कंपनी के मालिक द्वारा बताए अनुसार इस बस की कीमत 2 करोड़ रुपए से ऊपर है।

बहन प्रज्ञा की मार्मिक दशा

बहन प्रज्ञा की मार्मिक दशा
: एक साध्वी को हिन्दू होने की सजा और कितनी देर तक|| बहन प्रज्ञा की सचाई अवश्य पढ़े |
मैं साध्वी प्रज्ञा चंद्रपाल सिंह ठाकुर, उम्र-38 साल, पेशा-कुछ नहीं, 7 गंगा सागर ...अपार्टमेन्ट, कटोदरा, सूरत,गुजरात राज्य की निवासी हूं जबकि मैं मूलतः मध्य प्रदेश की निवासिनी हूं. कुछ साल पहले हमारे अभिभावक सूरत आकर बस गये. पिछले कुछ सालों से मैं अनुभव कर रही हूं कि भौतिक जगत से मेरा कटाव होता जा रहा है. आध्यात्मिक जगत लगातार मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था. इसके कारण मैंने भौतिक जगत को अलविदा करने का निश्चय कर लिया और 30-01-2007 को संन्यासिन हो गयी.
जब से सन्यासिन हुई हूं मैं अपने जबलपुर वाले आश्रम से निवास कर रही हूं. आश्रम में मेरा अधिकांश समय ध्यान-साधना, योग, प्राणायम और आध्यात्मिक अध्ययन में ही बीतता था. आश्रम में टीवी इत्यादि देखने की मेरी कोई आदत नहीं है, यहां तक कि आश्रम में अखबार की कोई समुचित व्यवस्था भी नहीं है. आश्रम में रहने के दिनों को छोड़ दें तो बाकी समय मैं उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में धार्मिक प्रवचन और अन्य धार्मिक कार्यों को संपन्न कराने के लिए उत्तर भारत में यात्राएं करती हूं. 23-9-2008 से 4-10-2008 के दौरान मैं इंदौर में थी और यहां मैं अपने एक शिष्य अण्णाजी के घर रूकी थी. 4 अक्टूबर की शाम को मैं अपने आश्रम जबलपुर वापस आ गयी.
7-10-2008 को जब मैं अपने जबलपुर के आश्रम में थी तो शाम को महाराष्ट्र से एटीएस के एक पुलिस अधिकारी का फोन मेरे पास आया जिन्होंने अपना नाम सावंत बताया. वे मेरी एलएमएल फ्रीडम बाईक के बारे में जानना चाहते थे. मैंने उनसे कहा कि वह बाईक तो मैंने बहुत पहले बेच दी है. अब मेरा उस बाईक से कोई नाता नहीं है. फिर भी उन्होंने मुझे कहा कि अगर मैं सूरत आ जाऊं तो वे मुझसे कुछ पूछताछ करना चाहते हैं. मेरे लिए तुरंत आश्रम छोड़कर सूरत जाना संभव नहीं था इसलिए मैंने उन्हें कहा कि हो सके तो आप ही जबलपुर आश्रम आ जाईये, आपको जो कुछ पूछताछ करनी है कर लीजिए. लेकिन उन्होंने जबलपुर आने से मना कर दिया और कहा कि जितनी जल्दी हो आप सूरत आ जाईये. फिर मैंने ही सूरत जाने का निश्चय किया और ट्रेन से उज्जैन के रास्ते 10-10-2008 को सुबह सूरत पहुंच गयी. रेलवे स्टेशन पर भीमाभाई पसरीचा मुझे लेने आये थे. उनके साथ मैं उनके निवासस्थान एटाप नगर चली गयी.
यहीं पर सुबह के कोई 10 बजे मेरी साव
ंत से मुलाकात हुई जो एलएमएल बाईक की खोज करते हुए पहले से ही सूरत में थे. सावंत से मैंने पूछा कि मेरी बाईक के साथ क्या हुआ और उस बाईक के बारे में आप पडताल क्यों कर रहे हैं? श्रीमान सावंत ने मुझे बताया कि पिछले सप्ताह सितंबर में मालेगांव में जो विस्फोट हुआ है उसमें वही बाईक इस्तेमाल की गयी है. यह मेरे लिए भी बिल्कुल नयी जानकारी थी कि मेरी बाईक का इस्तेमाल मालेगांव धमाकों में किया गया है. यह सुनकर मैं सन्न रह गयी. मैंने सावंत को कहा कि आप जिस एलएमएल फ्रीडम बाईक की बात कर रहे हैं उसका रंग और नंबर वही है जिसे मैंने कुछ साल पहले बेच दिया था.
सूरत में सावंत से बातचीत में ही मैंने उन्हें बता दिया था कि वह एलएमएल फ्रीडम बाईक मैंने अक्टूबर 2004 में ही मध्यप्रदेश के श्रीमान जोशी को 24 हजार में बेच दी थी. उसी महीने में मैंने आरटीओ के तहत जरूरी कागजात (टीटी फार्म) पर हस्ताक्षर करके बाईक की लेन-देन पूरी कर दी थी. मैंने साफ तौर पर सावंत को कह दिया था कि अक्टूबर 2004 के बाद से मेरा उस बाईक पर कोई अधिकार नहीं रह गया था. उसका कौन इस्तेमाल कर रहा है इससे भी मेरा कोई मतलब नहीं था. लेकिन सावंत ने कहा कि वे मेरी बात पर विश्वास नहीं कर सकते. इसलिए मुझे उनके साथ मुंबई जाना पड़ेगा ताकि वे और एटीएस के उनके अन्य साथी इस बारे में और पूछताछ कर सकें. पूछताछ के बाद मैं आश्रम आने के लिए आजाद हूं.
यहां यह ध्यान देने की बात है कि सीधे तौर पर मुझे 10-10-2008 को गिरफ्तार नहीं किया गया. मुंबई में पूछताछ के लिए ले जाने की बाबत मुझे कोई सम्मन भी नहीं दिया गया. जबकि मैं चाहती तो मैं सावंत को अपने आश्रम ही आकर पूछताछ करने के लिए मजबूर कर सकती थी क्योंकि एक नागरिक के नाते यह मेरा अधिकार है. लेकिन मैंने सावंत पर विश्वास किया और उनके साथ बातचीत के दौरान मैंने कुछ नहीं छिपाया. मैं सावंत के साथ मुंबई जाने के लिए तैयार हो गयी. सावंत ने कहा कि मैं अपने पिता से भी कहूं कि वे मेरे साथ मुंबई चलें. मैंने सावंत से कहा कि उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए उनको साथ लेकर चलना ठीक नहीं होगा. इसकी बजाय मैंने भीमाभाई को साथ लेकर चलने के लिए कहा जिनके घर में एटीएस मुझसे पूछताछ कर रही थी.
शाम को 5.15 मिनट पर मैं, सावंत और भीमाभाई सूरत से मुंबई के लिए चल पड़े. 10 अक्टूबर को ही देर रात हम लोग मुंबई पहुंच गये. मुझे सीधे कालाचौकी स्थित एटीएस के आफिस ले जाया गया था. इसके बाद अगले दो
दिनों तक एटीएस की टीम मुझ?से पूछताछ करती रही. उनके सारे सवाल 29-9-2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट के इर्द-गिर्द ही घूम रहे थे. मैं उनके हर सवाल का सही और सीधा जवाब दे रही थी.
अक्टूबर को एटीएस ने अपनी पूछताछ का रास्ता बदल दिया. अब उसने उग्र होकर पूछताछ करना शुरू किया. पहले उन्होंने मेरे शिष्य भीमाभाई पसरीचा (जिन्हें मैं सूरत से अपने साथ लाई थी) से कहा कि वह मुझे बेल्ट और डंडे से मेरी हथेलियों, माथे और तलुओं पर प्रहार करे. जब पसरीचा ने ऐसा करने से मना किया तो एटीएस ने पहले उसको मारा-पीटा. आखिरकार वह एटीएस के कहने पर मेरे ऊपर प्रहार करने लगा. कुछ भी हो, वह मेरा शिष्य है और कोई शिष्य अपने गुरू को चोट नहीं पहुंचा सकता. इसलिए प्रहार करते वक्त भी वह इस बात का ध्यान रख रहा था कि मुझे कोई चोट न लग जाए. इसके बाद खानविलकर ने उसको किनारे धकेल दिया और बेल्ट से खुद मेरे हाथों, हथेलियों, पैरों, तलुओं पर प्रहार करने लगा. मेरे शरीर के हिस्सों में अभी भी सूजन मौजूद है.
13 तारीख तक मेरे साथ सुबह, दोपहर और रात में भी मारपीट की गयी. दो बार ऐसा हुआ कि भोर में चार बजे मुझे जगाकर मालेगांव विस्फोट के बारे में मुझसे पूछताछ की गयी. भोर में पूछताछ के दौरान एक मूछवाले आदमी ने मेरे साथ मारपीट की जिसे मैं अभी भी पहचान सकती हूं. इस दौरान एटीएस के लोगों ने मेरे साथ बातचीत में बहुत भद्दी भाषा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. मेरे गुरू का अपमान किया गया और मेरी पवित्रता पर सवाल किये गये. मुझे इतना परेशान किया गया कि मुझे लगा कि मेरे सामने आत्महत्या करने के अलावा अब कोई रास्ता नहीं बचा है.
14 अक्टूबर को सुबह मुझे कुछ जांच के लिए एटीएस कार्यालय से काफी दूर ले जाया गया जहां से दोपहर में मेरी वापसी हुई. उस दिन मेरी पसरीचा से कोई मुलाकात नहीं हुई. मुझे यह भी पता नहीं था कि वे (पसरीचा) कहां है. 15 अक्टूबर को दोपहर बाद मुझे और पसरीचा को एटीएस के वाहनों में नागपाड़ा स्थित राजदूत होटल ले जाया गया जहां कमरा नंबर 315 और 314 में हमे क्रमशः बंद कर दिया गया. यहां होटल में हमने कोई पैसा जमा नहीं कराया और न ही यहां ठहरने के लिए कोई खानापूर्ति की. सारा काम एटीएस के लोगों ने ही किया.
मुझे होटल में रखने के बाद एटीएस के लोगों ने मुझे एक मोबाईल फोन दिया. एटीएस ने मुझे इसी फोन से अपने कुछ रिश्तेदारों और शिष्यों (जिसमें मेरी एक महिला शिष्य भी शामिल थी) को फोन करने के लि
ए कहा और कहा कि मैं फोन करके लोगों को बताऊं कि मैं एक होटल में रूकी हूं और सकुशल हूं. मैंने उनसे पहली बार यह पूछा कि आप मुझसे यह सब क्यों कहलाना चाह रहे हैं. समय आनेपर मैं उस महिला शिष्य का नाम भी सार्वजनिक कर दूंगी.
एटीएस की इस प्रताड़ना के बाद मेरे पेट और किडनी में दर्द शुरू हो गया. मुझे भूख लगनी बंद हो गयी. मेरी हालत बिगड़ रही थी. होटल राजदूत में लाने के कुछ ही घण्टे बाद मुझे एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया जिसका नाम सुश्रुसा हास्पिटल था. मुझे आईसीयू में रखा गया. इसके आधे घण्टे के अंदर ही भीमाभाई पसरीचा भी अस्पताल में लाये गये और मेरे लिए जो कुछ जरूरी कागजी कार्यवाही थी वह एटीएस ने भीमाभाई से पूरी करवाई. जैसा कि भीमाभाई ने मुझे बताया कि श्रीमान खानविलकर ने हास्पिटल में पैसे जमा करवाये. इसके बाद पसरीचा को एटीएस वहां से लेकर चली गयी जिसके बाद से मेरा उनसे किसी प्रकार का कोई संपर्क नहीं हो पाया है.
इस अस्पताल में कोई 3-4 दिन मेरा इलाज किया गया. यहां मेरी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था तो मुझे यहां से एक अन्य अस्पताल में ले जाया गया जिसका नाम मुझे याद नहीं है. यह एक ऊंची ईमारत वाला अस्पताल था जहां दो-तीन दिन मेरा ईलाज किया गया. इस दौरान मेरे साथ कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं रखी गयी. न ही होटल राजदूत में और न ही इन दोनो अस्पतालों में. होटल राजदूत और दोनों अस्पताल में मुझे स्ट्रेचर पर लाया गया, इस दौरान मेरे चेहरे को एक काले कपड़े से ढंककर रखा गया. दूसरे अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मुझे फिर एटीएस के आफिस कालाचौकी लाया गया.
इसके बाद 23-10-2008 को मुझे गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के अगले दिन 24-10-2008 को मुझे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नासिक की कोर्ट में प्रस्तुत किया गया जहां मुझे 3-11-2008 तक पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश हुआ. 24 तारीख तक मुझे वकील तो छोड़िये अपने परिवारवालों से भी मिलने की इजाजत नहीं दी गयी. मुझे बिना कानूनी रूप से गिरफ्तार किये ही 23-10-2008 के पहले ही पालीग्रैफिक टेस्ट किया गया. इसके बाद 1-11-2008 को दूसरा पालिग्राफिक टेस्ट किया गया. इसी के साथ मेरा नार्को टेस्ट भी किया गया.
मैं कहना चाहती हूं कि मेरा लाई डिटेक्टर टेस्ट और नार्को एनेल्सिस टेस्ट बिना मेरी अनुमति के किये गये. सभी परीक्षणों के बाद भी मालेगांव विस्फोट में मेरे शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिल रहा था. आखिरकार 2 नवंबर को मुझे मे
री बहन प्रतिभा भगवान झा से मिलने की इजाजत दी गयी. मेरी बहन अपने साथ वकालतनामा लेकर आयी थी जो उसने और उसके पति ने वकील गणेश सोवानी से तैयार करवाया था. हम लोग कोई निजी बातचीत नहीं कर पाये क्योंकि एटीएस को लोग मेरी बातचीत सुन रहे थे. आखिरकार 3 नवंबर को ही सम्माननीय अदालत के कोर्ट रूम में मैं चार-पांच मिनट के लिए अपने वकील गणेश सोवानी से मिल पायी.
10 अक्टूबर के बाद से लगातार मेरे साथ जो कुछ किया गया उसे अपने वकील को मैं चार-पांच मिनट में ही कैसे बता पाती? इसलिए हाथ से लिखकर माननीय अदालत को मेरा जो बयान दिया था उसमें विस्तार से पूरी बात नहीं आ सकी. इसके बाद 11 नवंबर को भायखला जेल में एक महिला कांस्टेबल की मौजूदगी में मुझे अपने वकील गणेश सोवानी से एक बार फिर 4-5 मिनट के लिए मिलने का मौका दिया गया. इसके अगले दिन 13 नवंबर को मुझे फिर से 8-10 मिनट के लिए वकील से मिलने की इजाजत दी गयी. इसके बाद शुक्रवार 14 नवंबर को शाम 4.30 मिनट पर मुझे मेरे वकील से बात करने के लिए 20 मिनट का वक्त दिया गया जिसमें मैंने अपने साथ हुई सारी घटनाएं सिलसिलेवार उन्हें बताई, जिसे यहां प्रस्तुत किया गया है.
(मालेगांव बमकांड के संदेह में गिरफ्तार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा नासिक कोर्ट में दिये गये शपथपत्र पर आधारित.)

Wednesday, 16 April 2014

प्रश्नोत्तरी ( लव जिहाद विषय ) :-

प्रश्नोत्तरी ( लव जिहाद विषय ) :-
(1) प्रश्न :- लव जिहाद किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जब कोई मुसलमान पुरुष किसी गैर मुसलमान युवती को बहला फुसला कर उसके शील को भंग करके उससे शादी करके उसको ईस्लाम में दीक्षित कर लेता है । इसी को लव जिहाद कहा जाता है ।
(2) प्रश्न :- लव जिहाद क्यों किया जाता है ?
उत्तर :- ताकि गैर मुसलमानों का शीघ्रता से ईस्लामीकरण हो । क्योंकिं जैसे किसी भी जाती को समाप्त करना हो तो उनकी स्त्रीयों को दूषित किया जाता है । जिससे कि वो अपने समाज में आत्म सम्मान खो दें और दूसरे समाज में जाने को बाध्य हो सकें । जिससे कि मुसलमान उस लड़की की सम्पत्ति का मालिक बने और उस लड़की के घर वाले सिर उठा कर नहीं जी सकें। लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य है अल तकियाह, ( गज़्वा ए हिन्द ) यानी कि भारत का ईस्लामीकरण ।
(3) प्रश्न :- लव जिहाद से ईस्लामीकरण कैसे होता है ?
उत्तर :- क्योंकि लव जिहाद की शिकार युवती को उसका हिन्दू समाज अपनाने को तैय्यार नहीं होता है । और जिसके कारण उसके पास और कोई मार्ग शेष नहीं रहता तो वह मुसलमानी नर्क में जीने को विवष हो जाती है । तो इसी प्रकार जो उस लड़की के बच्चे होते हैं वो भी मुसलमान ही होते हैं । तो ऐसे मुसलमानों की संख्या वृद्धि होने से राष्ट्र शीघ्रता से ईस्लामीकरण की ओर बढ़ता है ।
(4) प्रश्न :- लव जिहाद की शिकार युवतियों की स्थिती कैसी होती है ?
उत्तर :- लव जिहाद की शिकार युवतियों की स्थिती नर्क से बदतर होती है । जैसा कि कई लड़कियों के मुसलमानों के साथ विवाह के बाद वो तलाक दे दी जाती हैं । और बाद में उनकों वैश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया जाता है । या फिर उनको भारत की यात्रा पर आये अरब के शेखों को बेच दिया जाता है । जो उनको अपने साथ अरब देशों में ले जाते हैं । वहाँ उनको 'नमकीन बेगम' के नाम से सम्बोधित किया जाता है, उन्हें गुलाम बनाकर इनके साथ शोषण किया जाता है । कई बार उनको नेपाल के माध्यम से पाकिस्तान भेजा जाता है , या फिर असम, त्रिपुरा या बंगाल से उनको बांग्लादेश भेजा जाता है ( बंगाल की कांग्रेस सांसद रूमी नाथ इसकी ताज़ा उदाहरण है जिसे एक जिहादी ने फेसबुक के ज़रिये शिकार बनाया और बंग्लादेश भेज दिया ) । ऐसी कई और उदाहरण हैं ।
(5) प्रश्न :- राष्ट्र के ईस्लामीकरण होने से क्या हानी होगी ?
उत्तर :- किसी भी राष्ट्र का ईस्लामीकरण होने से वहाँ कुरान का शरिया कानून लागू होता है, लोकतन्त्र समाप्त हो जाता है और विचारों को रखने की स्वतन्त्रता समाप्त हो जाती है । देश ईस्लाम की अत्यन्त संकुचित और नीच विचारधारा में जकड़ा जाता है । जिसमें स्त्रीयों का शोषण होता है । उनको पुरुषों की खेती समझा जाता है । जहाँ स्त्रीयों का सम्मान नहीं वहाँ पुरुष निर्दयी हो जाते हैं । पुरुषों के निर्दयी होने से समाज में भारी क्षोभ और वासनामय वातावरण होता है । जहाँ सत्ता ईसलाम के हाथ है वो देश एक बूचड़खाना होता है, जिसमें मानवों की कटती हुई लाशें, पशुओं की कटती हुई लाशें दिखाई देती हैं । स्त्रीयों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है । मुसलमान पुरुष जब चाहे उसे तीन बार "तलाक तलाक तलाक" कह कर उससे पीछा छुड़ा लेता है । खून के रिश्तों में या सगे रिश्तों में ही शादियाँ होने से नये जन्मे बच्चों का मान्सिक विकास नहीं होता है । और उस ईस्लामी देश में गैर मुसलमानों को अपने अपने धार्मिक कार्य करने की आज़ादी नहीं होती । उनकी स्त्रीयों को बंदूकों या तलवारों की नोक पर उठा लिया जाता है ( जैसा कि पैगम्बर मुहम्मद किया करता था यहूदी या ईसाई औरतों के साथ ) । उनके धार्मिक उत्सवों पर हमले किये जाते हैं , ( जैसे कि मुस्लिम बाहुल्य काशमीर में अमरनाथ यात्रियों के साथ होता है ) । स्त्रीयों की आँखें नोच ली जाची हैं । िकसी स्त्री के साथ कोई पुरुष जब बलात्कार करता है तो दंड पुरुष को नहीं स्त्री को ही दिया जाता है । स्त्रीयों को ज़मीन में आधा गाड़ कर उन पर संगसार ( पत्थरों की बारिश ) किया जाता है । चारों ओर मस्जिदों से मौलवीयों की मनहूस आज़ानें सुनाई देती हैं, ज़रा ज़रा सी बातों पर मुसलमानी मौहल्लों में लड़ाईयाँ और खून खराबा होता है, सड़कों पर लोगों के रास्ते रोक कर नमाजें पढ़ी जाती हैं । तो ऐसी अनेकों हानियाँ मानव समाज को उठानी पड़ती हैं । जो की देश के ईसलामीकरण का परिणाम है ।
(6) प्रश्न :- भारत में लव जिहाद संचालित कैसे होता है ?
उत्तर :- इसको संचालित करने के लिये पाकिस्तान, या अरब देशों से इनको वहाँ के शेखों द्वारा भारी पैसा आता है जो कि तेल के कुओं के मालिक होते हैं । ये पैसा उनको All India Muslim Scholarship Fund के रूप में दिया जाता है । प्रती माह इन मुस्लिम गुंडों को तैयार किया जाता है और हिन्दू लड़कियों को फंसाने के लिये इनको ₹ 8000 से ₹10000 मासिक वेतन दिया जाता है । तो मस्जिदों में किसी मुहल्ले के सभी मुसलमानों की मीटिंग रखी जाती है । जिसमें भाग लेने वाले अमीर से लेकर गरीब तबके के लोग आते हैं, जिसमें रेड़ीवाला, शॉल बेचने वाले कशमीरी पठान, घरों में काम करने वाले, नाई, चमार आदि । इनको हिन्दू या सिक्ख ईलाकों में घूम घूम कर ये पता लगाने को कहा जाता है कि किस घर की लड़की जवान हो गई है । तो शाल बेचने वाले पठान ये नज़र रखते हैं । और फिर ये लड़कियों की लिस्ट बनाई जाती है और जिहादी गुंडे जो कि दिखने में हट्टे कट्टे हों उनको तैयार किया जाता है, मोटर साईकलें खरीद कर दी जाती हैं । जिनको मस्जिदों में रखा जाता है । तो ये युवक अपनी कलाईयों पर मौलीयाँ बाँध कर निकल अपने नाम बदल कर हिन्दू नाम रख लेते हैं और इन लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं । और अगर कोई लड़की दो सप्ताह के भीतर नहीं फंसती तो फिर ये उसे छोड़ कर लिस्ट की दूसरी लड़की पर अपने जिहाद को आज़माने के लिये निकल पड़ते हैं । तो ऐसे ही पूरे मोहल्ले में से कोई न कोई लड़की लव जिहाद का शिकार हो ही जाती है ।
दूसरा तरीका ये है कि social networking sites जैसे कि faceook आदि पर ये लोग नकली Id या फिर अपनी असली Id से ही हिन्दू लड़कियों को request भेजते हैं । और जैसे कि इनकी training होती है वैसे ही ये लोग इन लड़कियों को फाँसने के लिये तरह तरह के message भेजते हैं । और वे लड़कियाँ इनके मोह जाल कसं फँसकर अपना सब कुछ गंवा देती हैं ।
(7) प्रश्न :- क्या इसके सिवा और भी तरीके हैं लव जिहाद करने के या यही हैं ?
उत्तर :- बहुत से हैं सभी के बारे में जान पाना तो बेहद कठिन है पर कुछ और बताते हैं । ये मुस्लिम जिहादी गुंडे
स्कूलों कालेजों के चक्कर लगाते रहते हैं । और लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं । या फिर स्कूलों में पढ़ने वाले मुस्लिम युवक अपनी मुस्लिम सहेलीयों की सहायता से उनकी हिन्दू सहेलियों से दोस्ती करते हैं और धीरे धीरे अपनी कारवाईयाँ शुरू कर देते हैं । या फिर कालेजों और स्कूलों के आगे मोबाईल की दुकानें मुसलमानों के द्वारा खोली जाती हैं । जिसमें जब हिन्दू, बौद्ध या जैन आदि लड़कियाँ फोन रिचार्ज करवाने जाती हैं, तो उनके नम्बरों को ये गलत इस्तेमाल करके आगे जिहादीयों को बाँट देते हैं । जिससे कि वे लोग गंदे गंदे अश्लील मैसेज भेजते हैं । पहले तो ये लड़तियाँ उसकी उपेक्षा करती हैं पर लगातार आने वाले मैसेजों को वे ज्यादा समय तक टाल नहीं पातीं । जिससे कि वो कामुक बातों में फँस कर अपना आपा खो देती हैं और अपना सर्वस्व जिहादीयों को सौंप देती हैं । और ये सब यूँ ही नहीं होता है । इन जिहादियों को ये सब करने की training दी जाती है कि किस प्रकार से लड़की कि मानसिक्ता को समझ कर उसे कैसे फाँसना है । तो ऐसे ही छोटे मोटो और भी तरीके हैं, परन्तु मुख्य यही हैं ।
(8) प्रश्न :- ये लव जिहाद की कुछ उदाहरणें दीजीये ।
उत्तर :- बड़ी बड़ी उदाहरणें आपके सम्मुख हैं :- Bollywood मायानगरी में मुसलमान अभिनेताओं की केवल हिन्दू पत्नियाँ ही क्यों होती हैं ? शाहरुख खान, आमीर खान, फरदीन खान, सुहैल खान, अरबाज़ खान, सैफ अली खान, साजिद खान आदि कितने ही नाम हैं जिनकी शादियाँ हिन्दू लड़कियों से ही हुई हैं । इनमें से किसी को भी मुसलमान लड़कियाँ क्यों नहीं पसंद आईं ? आमिर खान, और सैफ अली खान की शादी तो एक की बजाये दो दो हिन्दू लड़कियों से हुई । और इन्हीं को आदर्श मान कर हिन्दू लड़कियाँ मुसलमानों के चंगुल में फँस कर अपनी अस्मिता खो देती हैं । एक फिलम आई थी जिसमें अभिषेक बच्चन का नाम आफताब होता है और वो अजय देवगण की बहन का किरदार निभा रही प्राची देसाई से प्रेम करता है । तो अजय देवगण उसे रोकता है तो वो नीच लड़की सैफ और शाहरुख आदि का उदाहरण देती है और उनको अपना आदर्श स्विकार करती है । तो ये देख कर हिन्दू लड़कियों के मनों पर क्या प्रभाव पड़ता है ज़रा सोचिये । तो ऐसे ही इन लड़कियों को परिणाम की पर्वाह नहीं होती और इनको हर जिहादी सलमान या शाहरूख ही दिखता है । और अपना जीवन बर्बाद कर देती हैं ।
(9) प्रश्न :- ये सब करके इन मुसलमानों को मिलता क्या है ?
उत्तर :- इनको ये सब करने के लिये मासिक वेतन और भारी ईनाम मिलता है । दूसरा कारण है मज़हबी जुनून क्योंकि ईस्लाम की शिक्षा ही नफरत और कत्ल की बुनियाद पर टिकी है और मस्जिद के मौल्वीयों के द्वारा झूठी मुहम्मदी जन्नत का लालच दिया जाना । वो कहते हैं कि अगर कम से कम एक हिन्दू लड़की से शादी करो और बदले में सातवें आस्मान की जन्नत पाओ । तो चाहे वो जिहाद काफिरों की खेती को समाप्त करने का ही क्यों न हो इनके अरबी अल्लाह ने इनके लिये जन्नत तैय्यार रखी है । जिसमें फिर एक एक मुसलमान 72 पाक साफ औरतों का आनंद लेता है ।
ईस्लाम में वैसे बहुत प्रकार के जिहाद हैं पर सबसे मुख्य दो प्रकार के जिहाद हैं :-
जिहाद ए अकबर ( बड़ा जिहाद )
जिहाद ए असगर ( छोटा जिहाद )
ये लव जिहाद जो है, वो जिहाद ए अकबर का ही एक बड़ा स्वरूप है ।
(10) प्रश्न :- ये लव जिहादीयों को हिन्दू लड़की से शादी करने या नापाक करने का क्या ईनाम मिलता है ?
उत्तर :- ये निम्न लिखित ईनाम गैर मुसलमान लड़कियों को फँसाने के लिये घोषित किया है :-
सिक्ख लड़की = 9 लाख
पंजाबी हिन्दू लड़की = 8 लाख
हिन्दू ब्राह्मण लड़की = 7 लाख
हिन्दू क्षत्रीय लड़की = 6 लाख
हिन्दू वैश लड़की = 5 लाख
हिन्दू दलित लड़की = 2 लाख
हिन्दू जैन लड़की = 4 लाख
बौद्ध लड़की = 4.2 लाख
ईसाई कैथोलिक लड़की = 3.5 लाख
ईसाई प्रोटैस्टैंट लड़की = 3.2 लाख
शिया मुसलमान लड़की= 4 लाख
ईनाम इनसे थोड़ा कम या अधिक हो सकता है पर ज्यादा भेद नहीं है ।
(11) प्रश्न :- ये लव जिहाद के ईनाम की घोषणा और संचालन कहाँ से होता है ?
उत्तर :- केरल का मालाबार ही इसका मुख्य संचालन स्थान है । परन्तु अब उसकी शाखायें पूरे भारत में फैल गई हैं । क्योंकि केरल में ही लव जिहाद के 5000 से अधिक मामले कोर्ट के सामने आये हैं । तो पूरे भारत में कितने ही ऐसे मामले होंगे ?
(12) प्रश्न :- क्या लव जिहाद में केवल हिन्दू लड़कियों को ही लक्ष्य किया जाता है या अन्य को भी ?
उत्तर :- भारत में हिन्दू बहुसंख्यक हैं जिस कारण पहला लक्ष्य हिन्दू लड़कियाँ ही होती हैं । परन्तु इससे अतिरिक्त दूसरे मत ( बौद्ध, जैन, वाल्मिकी, सिक्ख, ईसाई ) की लड़कियाँ भी लक्ष्य की जाती हैं, क्योंकि ईस्लाम की विचारधार बहुत ही कुंठित और संकुचित है जिसमें कि दूसरे मत पंथों के विरुद्ध उग्र घृणा का भाव विद्यमान है, और स्त्रीयों को तो ईस्लाम जानवरों से भी बदतर समझता है ।
(13) प्रश्न :- हिन्दू लड़कियाँ लव जिहाद में ही क्यों फंस जाती हैं ? क्या इनमें दिमाग नहीं होता ?
उत्तर :-इसके ये मुख्य कारण हैं :-
(१) हिन्दू घरों में धार्मिक वातावरण नहीं रखता ।
(२) हिन्दू अपने बच्चों को वैिदक मत की श्रेष्ठता और अवैदिक मत की निकृष्टता नहीं बताता ।
(३) अपने इतिहास पुरुषों और स्त्रीयों की जीवनीयों और उनके बलिदानों को नहीं बताता।
(४) हिन्दू युवा अपने वीर योद्धायों से इतर बालिवुड के नायकों को अपना आदर्श मानता है ।
(५) घर में सास बहु के सीरियल चलने से वातावरण और दूषित हो जाता है ।
(६) हिन्दू अपने बच्चे को धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाता है और मुसलमान अपने बच्चे को दूसरों के प्रती नफरत सिखाता है । जिस कारण ये हिन्दू लड़कियाँ मुसलमान लड़कों से घुलने मिलने में झिझकती नहीं ।
(७) फेसबुक पर ज्यादातर हिन्दू लड़कियों की प्रोफाईल देखेंगे तो उन्होंने धार्मिक पेजों की बजाये, love, tv serials, pyar, ishq, bollywood masala, mickel jakson, shahrukh ,salman, hritik आदि के पेज लाईक किये होते हैं । और उनकी friend list में मुसलमान युवकों की संख्या बहुत ही पायी जाती है ।
(14) प्रश्न :- इन हिन्दू लड़कियों को कोई लव जिहाद के बारे में समझाता क्यों नहीं ?
उत्तर :- जब आप इनको समझाने लगते हैं तो ये लड़कियाँ नीचे लिखी बातें बोलती हैं :-
-------- आप तो नफरत फैलाते हो !!
-------- क्यूँ मुस्लिम भी तो ईंसान ही होते हैं ?
-------- तो इसमें क्या बुराई है ?
-------- हमको इससे क्या लेना देना ?
-------- हमें सोच बदलनी चाहिये, और इसी जातीवाद को खत्म करके development करनी चाहिये ।
-------- आपकी सोच पिछड़ी हुई है, देखो dude आगे बढ़ो इतनी hate speech मत फैलाओ !!
-------- मुस्लिम बनने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि profet mohammad भी तो god ही थे ।
-------- Hey you अपना काम करो mind your own buisness !!
-------- You know Dr. Abdul kalam भी मुस्लिम हैं ।
-------- U remember जोधा अकबर की great love story.
अभ आप स्वयं जान लीजिये इन हिन्दू लड़कियों की मान्सिक्ता कितनी नीच और घिरी हुई । जिस जाती की स्त्रीयों को अपने पराये का भेद ही नहीं पता, तो वो लव जिहादियों का शिकार न होंगी तो और क्या होगा ?
(15) प्रश्न :- इन हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद के बारे में समझाया कैसे जाये ?
उत्तर :- ये कार्य आप अपने ही घर से शुरू करें । जैसा कि पहले भी कहा गया है कि जब भी आप अपने घर में अपनी सगी बहन या फिर रिशते की बहनों के सामने बैठे हों तो ये लव जिहाद की चर्चा अवश्य ही छेड़ें । चाहे उनको ये बात अच्छी लगे या न लगे । क्योंकि जब मरीज़ डाक्टर से ईलाज करवाता है तो उसको भी कड़वी दवाई अच्छी नहीं लगती । पर वही दवा उस मरीज के भले के लिये होती है । तो इसी प्रकार ये चर्चा आपकी बहनों के लिये हितकर है । उनके कानों में यह विषय अवश्य ही पहुँचना चाहिये । तो ऐसे में जब भी रेलगाड़ी या बस में बैठे हुए किसी अजनबी से बातचीत शुरू हो ही जाये तो उससे भी जानबूझ कर इस विषय में किसी न किसी बहाने से लव जिहाद की चर्चा छेड़ दें । ताकि वो अपने घर की स्त्रीयों की रक्षा के बारे में सचेत हो जाये । दूसरा मार्ग यह है कि मेरे इस लेख को कम facebook पर हिन्दू लड़कियों के message box में डाल दें । क्योंकि मान लो इस काम को एक राष्ट्रवादी एक दिन में कम से कम 100 लड़कियों के inbox में ये लव जिहाद वाली प्रश्नोत्तरी को copy paste करे तो फिर मान लो ऐसे 100 राष्ट्रवादी हों तो एक दिन में कम से कम 100 x 100 = 10000 अलग अलग हिन्दू लड़कियों के message box में भी ये जानकारी पहुँचेगी । तो अगर उसमें से 5000 लड़कियाँ आपको block कर देती हैं । तो बाकी 5000 में से 2500 इस लेख की उपेक्षा करती हैं । तो 2500 उसको पढ़ेंगी और इनमें से मान लो 1500 लड़कियाँ पढ़ कर भी सहमत नहीं होतीं तो बाकी 1000 उससे सहमत होंगी तो, ये 1000 हिन्दू लड़कियाँ ईस्लामी लव जिहाद से सतर्क हो जायेंगी । तो ऐसे ही 1000 प्रती दिन हिन्दू लड़कियाँ सचेत हों तो एक माह में कितनी होंगी ( 30 x 1000 = 30000 ) प्रतीमाह हिन्दू लड़कियाँ लव जिहाद के बारे में सतर्क रहेंगी और मुसलमान गुंडों से सावधान रहेंगी और अपनी सहेलियों को भी सावधान करेंगी । तो ये बहुत ही कारगर तरीका है और फिर इस लेख को अपनी अपनी profile पर डालें और हिन्दू लड़कियों को इसमें tag करें और कृप्या इसको अधिक से अधिक Share करें ।
(16) प्रश्न :- क्या कोई और भी तरीका है लव जिहाद को रोकने का ?
उत्तर :- वैसे तो बार बार कहा जा रहा है कि लव जिहाद की जानकारी ही सबसे बड़ी बात है जो कि हिन्दू जनता को नहीं है । जानकारी किसी भी माध्यम से पहुँचायें पर पहुँचायें अवश्य ही, क्योंकि शायद आपकी कोई हिन्दू बहन राक्षसों के चंगुल में फँसने से बच जाये ।
(17) प्रश्न :- क्या इस लव जिहाद की कोई एतिहासिक साक्षी भी रही है ?
उत्तर :- भारत के मध्य काल में मुगल सेनायें जिस भी हिन्दू घर में चाहें घुस जाते थे । और उनकी बेटीयों या औरतों को उठा ले जाते थे और उनका शील भंग करके फिर से छोड़ जाते थे । तो बहुत से बादशाहों ने तो सुन्दर सुन्दर हिन्दू लड़कियों को टके टके के भावों में भी कसूर, लाहौर या काबुल के बाज़ारों में बेचा था । तो
इसके उपरान्त मुहम्मद बिन कासिम जो कि पहला यवन आक्रमणकारी था उसने भी यहाँ भारत से 5 लाख हिन्दू औरतों को अरबी बाज़ारों में ले जा कर बेचा था । और अब वर्तमान की बात करें तो पाकिस्तान मुस्लिम बाहुल्य होने से वहाँ हिन्दू, सिक्ख, ईसाई लड़कियों को जबरन बंदूकों की नोक पर उठाया जाता है, जब इनकी लड़कियाँ जवान होती हैं तो वहाँ के पठान और पश्तून इनके पीछे हाथ धो कर पड़ जाते हैं और मौका पाते ही इनका अपहरण कर लेते हैं फिर बलात्कार के बाद इनको मुसलमान बना कर किसी भी अधेड़ उमर के आदमी से या किसी से भी शादी कर दी जाती है । पाकिस्तानी बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में हिन्दुओं और गैर मुसलमानों के प्रती नफरत करने की शिक्षा दी जाती है ।
(18) प्रश्न :- लव जिहाद का विषय इतना ही महत्वपूर्ण है तो हिन्दू जनता इस ओर ध्यान क्यों नहीं देती ?
उत्तर :- जानकारी के अभाव के कारण, आलस्य के कारण, या थोथी सैक्युलरिज़म के कारण । हिन्दू की शिक्षा ने ही उसे अधकचरा और सैक्युलर बना दिया है । जिससे की कभी कभी समस्या के पता होने के बावजूद भी वो आँख मूंद कर रहता है । किसी हिन्दू की पहचान करनी हो तो उससे बात करना और वो दो ही शब्द बोलना जानता है, "तुझको क्या ?" या "मुझको क्या ?"। इसी सैक्युलरिज़म के कारण ही ये हिन्दू समाज इतना नपुंसक बन गया है । तो इसको ना अपने धर्म रक्षा की चिंता है, न संस्कृति की चिंता, न देश की चिंता, न अपनी संतानों की नैतिक शिक्षा की चिंता, न अपनी जाती रक्षा की चिंता । बस ये हिन्दू यही रट लगाता है :- " तुझे क्या ? मुझे क्या ? हमको क्या ? तुमको क्या ? हमें क्या लेना ? तुम्हें क्या लेना ? मुझे क्या करना ? तुझे क्या करना ? " इत्यादी ।
(19) प्रश्न :- अगर हमारी दृष्टि में कोई हिंदू लड़की लव जिहाद में फँस गई है, तो हमें क्या करना चाहिये ?
उत्तर :- अगर तो आप उसे समझा सकते हैं तो समझायें, निसंकोच होकर उसके घर जायें उसके माता पिता से इस बारे में बात चीत करें और उनको लव जिहाद के विषय में विस्तार से बतायें । अगर आप नहीं समझा सकते तो पास ही किसी क्रियाशील संगठन जैसे [ आर्य समाज, स्वयंसेवक संघ, शिव सेना, बजरंग दल ] आदि से सम्पर्क करें और उनको इसकी सूचना दें । अगर आपकी बेटी या बहन इस चक्कर में फँस रही है तो उसे गुस्से या ज़बरदस्ती से न समझायें । क्योंकि ऐसा करने से वो घर छोड़ कर भी भाग सकती है । ऐसी training लव जिहादीयों को मिली होती है कि वो पूरी तरह से इनको सम्मोहित कर लेते हैं कि ये हिन्दू लड़कियाँ घर तक छोड़ने को तैयार हो जाती हैं और भारत में कानून भी यह कहता है कि अगर लड़की बालिग हो तो वो जहाँ चाहे विवाह कर सकती है । तो इसी का लाभ ये मति भ्रष्ट लड़कियाँ उठाती हैं । अपने घरों में धार्मिक वातावरण बनाने के प्रयास करें । ऋषि दयानंद सरस्वति कृत अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश भी पढ़ायें जिसमें उन्होंने संसार के मुख्य मत पंथों की वैदिक धर्म से तुल्नात्मक समीक्षा की है । अवैदिक मतों का खण्डन किया है उसका प्रचार करें ।
(20) प्रश्न :- क्या लव जिहाद से किसी हिन्दू लड़कियों को बचाया भी गया है या नहीं ?
उत्तर :- हाँ निश्चित ही ऐसा हुआ है । हम महाराष्ट्र का उदाहरण देते हैं । सब जानते हैं कि वहाँ बाल ठाकरे के नेतृत्व में शिव सेना सक्रीय है । और वहाँ के रहने वाले मुसलमानों को दबा रखा है, उनके अल्लाह हो अकबर के जुनून को ठंडा किया हुआ है । वहाँ नासिक के किसी Resturant में एक मुसलमान किसी हिन्दू लड़की के साथ बैठा था इसकी भनक शिव सैनिकों को लगी तो वो वहाँ गये और जमकर उस मुसल्ले की धुनाई कर दी और ऐसे ही महाराष्ट्र में मौलवीयों ने फत्वा निकाला हुआ था कि हिन्दू लड़कियों को छेड़ो और जन्नत पाओ । तो शिव सेना ने स्कूलों कालेजों की घेरा बन्दी की हुई है और यदी कोई सरफिरा मजनू वहाँ घूमता हुआ या घात लगाता हुआ पकड़ा जाता तो उसकी पिटाई करके जन्नत के नज़ारे दिखा दिये जाते हैं । इस आन्दोलन का असर हुआ कि महाराष्ट्र में लव जिहाद की घटनाओं में भारी घिरावट आई । तो इसी कारण ये मुसलमान शिव सैनिकों या संघीयों को भगवा आतंकी कहते हैं । और बेचारे कहेंगे भी क्या ? क्योंकि इनके मनसूबों का नाकाम करके इनको आतंकित जो कर रखा है । केरल में संघ ने करीब 171 हिन्दू लड़कियों को बचाया गया है । ऐसे और भी कई मामले हैं । यही कारण है कि ये मुसल्ले सनातन धर्म की रक्षा करनेवाले संगठनो को आतंकवादी संगठन बताते हैं । अरे भाई !! सीधी सी बात है, "जिन्होंने ऐसे दहशतगर्दों को आतंकित कर रखा हो वो आतंकवादी नहीं तो और क्या हैं ?"

Tuesday, 15 April 2014

पिछले 10 सालो में सऊदी अरब की सरकार ने मक्का के 90% एतिहासिक और धार्मिक स्मारकों को विकास के नाम पर तोड़ दिया है ... [स्रोत --अल जजीरा ]

Saturday, 12 April 2014

भाग्यनगरमें श्रीरामनवमीके निमित्त ढाई लाख हिदुओंकी विशाल शोभायात्रा !

चैत्र शुक्ल पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११५

भाग्यनगरमें श्रीरामनवमीके निमित्त ढाई लाख हिदुओंकी विशाल शोभायात्रा !
हिंदुओ, धर्मांधोंद्वारा मार खानेके स्थानपर धर्मांधोंपर धाक उत्पन्न हो, ऐसा संगठन स्थापित करें !

भाग्यनगर : श्रीरामनवमीके निमित्त प्रतिवर्षके समान इस वर्ष भी यहां प्रखर हिंदुनिष्ठ एवं श्रीराम युवा सेनाके संस्थापक अध्यक्ष श्री. ठाकुर राजासिंहद्वारा आयोजित शोभायात्रामें ढाई लाख हिंदु सम्मिलित हुए । जय श्रीरामके गर्जनमें पुराने भाग्यनगरकी ढुलपेट से हनुमान व्यायामशालातक यह शोभायात्रा निकाली गई । इस शोभायात्रामें प्रमुख अतिथिके रूपमें सुश्री साध्वी सरस्वतीजी सम्मिलित हुई थीं ।
शोभायात्राके समाप्त होनेपर हनुमान व्यायामशालामें श्री. ठाकुर राजसिंह एवं सुश्री साध्वी सरस्वतीजीने उपस्थित हिंदुओंको मार्गदर्शन किया । सुश्री साध्वी सरस्वतीजीने कहा,
१. यह भूमि ना तो हैदरकी है, ना अलीकी, अपितु भाग्यलक्ष्मीकी है ।
२. अब हमें एक हाथमें माला एवं दूसरे हाथमें भाला लेकर लडना चाहिए ।
३. अमरनाथ यात्राके लिए राजस्व; मात्र हज यात्राके लिए अनुदान यह हिंदुओंका दुर्भाग्य है ।
४. यदि प्रत्येक हिंदुने गोहत्या रोकनेका संकल्प किया, तो देशमें की जानेवाली गोहत्या अपनेआप बंद होगी ।
५. भगवान श्रीकृष्णने श्रीमद् भगवदगीताके माध्यमसे हमें युद्ध करनेका संदेश दिया है ।
६. हिंदु यदि संगठित हुए, तो ओवैसीसमान देशद्रोही यहां नहीं रह सकेंगे ।
श्रीरामनवमी शोभायात्रा के संयोजक तथा प्रखर हिंदुत्ववादी नेता श्री. राजा सिहं ठाकूर ने उपस्थित हिंदू समुदाय को छत्रपती शिवाजी महाराज की तरह धर्मक्रांति हेतु सिद्ध रहने के लिए कहा ।



रशियाके गुप्तचर तंत्रद्वारा भारतकी कांग्रेसका सच्चा स्वरुप उजागर किया गया !

चैत्र शुक्ल पक्ष १२, कलियुग वर्ष ५११६
रशियाके के.जी.बी. (कोमिटैट गोसुदास्टॅवेनॉय बिजोपास्नोस्ती)  गुप्तचर संगठनके एक वरिष्ठ अधिकारी वासिली मित्रोखिनद्वारा  लिखित ‘मित्रोखिन अर्काइव - २ केजीबी एंड वर्ल्ड’ बहुचर्चित पुस्तक प्रसिद्ध की गई है । इस पुस्तकमें भारतीय जनमानसपर पूरा प्रकाश डाला गया है । इस पुस्तकको पढनेके उपरांत कलतक सर्वसाधारण भारतीय जिन्हें राष्ट्रका उद्धार करनेवाले नेताओंके रूपमें देखते थे, वे सभी नेता राष्ट्रघाती एवं खलनायक प्रतीत होते हैं । 
वर्ष १९९२ में मित्रोखिनने कुछ महत्त्वपूर्ण दस्तावेज लेकर रशियासे ब्रिटन पलायन किया । इस पुस्तकके ‘द ओपननेस ऑफ इंडियन डेमोक्रसी’ प्रकरणमें मित्रोखिनद्वारा स्पष्ट किया गया है कि उस समय भारतके सभी सत्ताधिकारी किसीके दास बन गए थे । भारतकी प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीके साथ कांग्रेसके अनेक बडे-बडे नेता एवं अनेक अधिकारी बिक गए थे । इसमें तत्कालीन मंत्रीमंडलके रेल्वेमंत्री डॉ. ललित नारायण मिश्र एवं वी.के. कृष्णमेननके भी नाम हैं । तत्पश्चात ललित नारायण मिश्रकी रहस्यमय हत्या हो गई । तदुपरांत उनके पुत्र डॉ. जगन्नाथ मिश्रको भारतकी राजनीतिमें अनेक महत्त्वपूर्ण पदोंकी प्राप्ति हुई । चारा घोटाला एवं अन्य अनेक भ्रष्टाचारोंमें जगन्नाथ मिश्रका हाथ था । वे बिहारके मुख्यमंत्री होनेके उपरांत भी उनके पिता डॉ. ललित नारायण मिश्रकी हत्याका कारण उन्हें ज्ञात नहीं हो सका ।  तत्कालीन रेल्वेमंत्रीका बिक जाना !

अमेरिकाके गुप्तचर संस्थासे इंदिरा गांधीने रिश्वत लेनेके संदर्भमें अमेरिकाके राजदूतद्वारा बताया जाना 

भारतमें काम किए अमेरिकाके राजदूत डेनियल योश्नि हनद्वारा इस बातको स्वीकार किया गया है कि अमेरिकी गुप्तचर संस्थाद्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीको रिश्वत दी गई है । इंदिरा गांधीके निजी सचिव आर.के. धवन तो इस कृत्यमें लथपथ डूबे थे । और भी एक वरिष्ठ मंत्रीने इसमें हाथ काले किए हैं । जिस समय राजनीतिमें उनके बुरे दिन आए, उस समय उन्हें राज्यपालपद दिया गया ! शेष जीवन उन्होंने अपने विदेशी गुप्तचर संस्थाके लिए समर्पित किया । इसे जानकर भी लोगोंको आश्चर्य नहीं प्रतीत होता; क्योंकि कांग्रेसका इतिहास ही वैसा है ।

कांग्रेसके आरंभके कार्यकालमें मेकॉले पद्धतिसे शिक्षित व्यक्तियोंको अध्यक्षपद देनेकी कांग्रेसकी नीति रहना 

कांग्रेसके रोम-रोममें देशद्रोह भरा हुआ है । कांग्रेसके ग्रहोंके अनुसार उनमें प्रबल राष्ट्रद्रोह है । परिणामतः फांसी किसी औरको होगी, परंतु सत्ता कांग्रेसकी ही रहेगी । कांग्रेसके जनक सर एलन आक्टोविचन ह्युमने वर्ष १८८५ में ‘इंडियन नैशनल कांग्रेस’की स्थापना की । कांग्रेसकी नीति ऐसी थी कि कांग्रेसके आरंभके कार्यकालमें मेकॉले पद्धतिसे शिक्षित (अर्थात शरीरसे भारतीय एवं मन तथा आचार विचारसे पश्चिमी सभ्यताके ) व्यक्ति ही कांग्रेसमें कार्य करेंगे । इसलिए मुंबईके गवर्नरको कांग्रेसका प्रथम अध्यक्ष करनेके स्थानपर व्योमेशचंद्र बैनर्जीको अध्यक्षपद दिया गया । व्योमेशचंद्र बैनर्जी बंगालके एक ब्राह्मण कुलसे थे; परंतु पश्चिमी सभ्यताकी शिक्षाके प्रभावसे वे ईसाई बन गए थे । कांग्रेसको इससे अधिक अच्छा अध्यक्ष मिलना कैसे संभव है ? डॉ. पट्टाभी सीतारामैयाके ‘द हिस्ट्री ऑफ इंडियन नैशनल कांग्रेस’ पुस्तकमें इस विषयपर विस्तृत रुपसे विचार-विमर्श किया गया है । तत्पश्चात सर सुरेंद्रनाथ बैनर्जी एवं दादाभाई नौरोजी समान अनेक अध्यक्षोंका चयन करते समय यही निकष रखा गया । इन महान व्यक्तियोंका अध्यक्षीय भाषण पढकर आज भी प्रत्येक भारतीयके मनमें उनके विषयमें घृणा उत्पन्न होगी । ये सभी लोग प्रतिभा संपन्न थे; परंतु अंग्रेजी साम्राज्य एवं ब्रिटनकी महारानीके समक्ष उनकी प्रतिभा कुंठित हो गई थी । जिस समय लोकमान्य तिलकके रूपमें भारतीय संस्कृतिका सूर्य उदित हुआ, उस समय ये अपना पक्ष बदलकर स्वयंको राष्ट्रवादी कहने लगे ।

‘मुस्लिम लीग’की स्थापनाके पश्चात कांग्रेसद्वारा मुसलमानोंकी चापलूसी करनेकी नीतिका अवलंब करना

दिसंबर १९०६ में आगा खान एवं ढाकाके नवाबने ‘मुस्लिम लीग’ सिद्ध कर अपना अलग पक्ष स्थापित किया एवं वर्ष १९१६ में ‘मुस्लिम लीग’ कांग्रेससे अलग हो गई । तबसे राष्ट्रघाती मुसलमानोंके तुष्टिकरणकी नीति चालू हो गई । मुस्लिम लीगके साथ लखनौमें मुसलमान एवं सिक्खोंके लिए अलग मंडल स्थापित करनेका निर्णय लिया गया । कांग्रेसके नेताओंमें केवल मदन मोहन मालवीयने इस निर्णयको विरोध किया ।   

‘खिलाफत आंदोलन’का समर्थन करनेवाला गांधीजीका प्रस्ताव तुर्कस्तानके मुस्तफाने कचराकुंडीमें फेंकना ।

मुसलमानोंका तुष्टिकरण करनेकी देशविघाती मानसिकताके कारण वर्ष १९२० में कोलकाताके अधिवेशनमें मोहनदास गांधीजीने ‘खिलाफत आंदोलन’का प्रस्ताव संम्मत किया । इस प्रस्तावको देशबंधु चित्तरंजन दास, विपिनचंद्र पाल, एसनी बेजंट, रविंद्रनाथ टागोर आदि नेताओंने विरोध किया था । महत्त्वपूर्ण बात यह कि तुर्कस्तानके मुस्तफा कमालपाशाने प्रस्तावके लिए भेजी गई तार कचराकुंडीमें फेंक दी ! उसे मिलने हेतु गए आगा खान एवं अमीर अलीको उसने ‘आप खोजा (मुसलमानोंकी एक जात) हो । तुर्की मुसलमानोंसे आपका संबंध ही क्या है ?’ ऐसा कह अपमानित किया ।

स्वामी श्रद्धानंदकी हत्या करनेवाले लोगोंको कांग्रेसने नजदीक करना एवं भगतसिंह, चंद्रशेखर आजादको मात्र आतंकवादी सिद्ध करना 

आर्य समाज तथा कांग्रेसके नेता स्वामी श्रद्धानंदकी हत्या करनेवाले अब्दुल रशीदको मोहनदास गांधी ‘रशीद भाई’ कहते थे । कांग्रेसके नेताओंद्वारा सुरक्षा दी जानेके कारण ही स्वामीजीकी हत्याके सूत्रधार दंडविधानके (कानूनके ) चंगुलसे मुक्त हुए । एक महत्त्वपूर्ण अपराधीको पाकिस्तानकी निर्मिति करनेमें जिन कांग्रेसी नेताओंकी सहायता मिली, वह आगे भारतका राष्ट्रपति हो गया ! इन कांग्रेसियोंने छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप तथा गुरु गोविंदसिंहको पथभ्रष्ट कहनेका पाप किया था । सरदार भगतसिंहको फासी देनेके लिए पूरे लाहौर नगरका विरोध था; परंतु कांग्रेसके वरिष्ठ नेताओंने उसकी मुक्तिके लिए वाइसरायसे चर्चा नहीं की; क्योंकि उनकी दृष्टिमें भारतमाताके लिए अपने प्राणका बलिदान करनेवाले भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद एवं पंडित रामप्रसाद बिस्मिल आतंकवादी थे ! 
ऐसे अनेक विषयोंपर चर्चा कर सकते हैं । सत्याग्रह आंदोलन, असहकार आंदोलन, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगीत, राष्ट्रभाषा, गोहत्या, शिक्षणविषयक धोरण, स्वा. सावरकरजीको विरोध करना, जिनाको समर्थन देना ऐसे कुकृत्योंके साथ सबसे बडा कुकृत्य  सुभाषचंद्र बोसको अंतरराष्ट्रीय स्तरपर ‘अपराधी’ घोषित करना । ‘मेरे शरीरके ऊपरसे जानेके पश्चात पाकिस्तानकी निर्मिति होगी’, ऐसा कहनेवाले लोगोंने पाकिस्तानकी निर्मितिके निमित्त मिठाई खाई तथा पाकिस्तानको ५५ करोड रुपयोंकी (अभीके १४ सहस्र करोड रुपए) सहायता करने हेतु अनशन भी किया । परिणामतः पाकिस्तानमें ३ लाख हिंदुओंकी क्रूरतासे हत्या की गई तथा २ करोड लोग अपनी प्रिय मातृभूमिसे पराये हो गए । ये कांग्रेसके तथाकथित देशभक्तिके उदाहरण हैं ।
(संदर्भ : सीमा मालवीय, मासिक हिंदु वॉइस : नोव्हेंबर २००५)