Sunday, 31 August 2014

दरबार साहिब (जो स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रचलित है) की लंगर सेवा....
यह सिखों के पवित्र स्थल का वह निशुल्क रसोई घर है जहाँ एक लाख (1,00,000) लोग प्रति दिन लंगर छकते है। भारत का पहला ऐसा मुफ्त रसोई घर जहाँ 2 लाख (2,00,000) रोटियाँ और 1.5 टन दाल रोज़ाना बनती है।
2 लाख रोटियाँ और 1.5 टन दाल का लंगर तकरीबन 1 लाख संगत एवं श्रद्धालुओं द्वारा छका जाता है।
हर रोज़ इतना लंगर उत्पादन और छकने वाला यह आंकड़ा पश्चिमी भारत के अमृतसर शहर के पवित्र गुरुद्वारा दरबार साहिब के इस निशुल्क रसोई घर को सब श्रेणियों से महान एवं श्रेष्ठ रखता है।
यह आंकड़ा विशेष मौकों एवं छुट्टियों के दिनों में दोगुना भी हो जाता है। परन्तु लंगर में कभी कमी नहीं आती।
सामान्य तौर पर लंगर में लगने वाली सामग्री 7000 किलो आटा, 1200 किलो चावल, 1300 किलो दाल, 500 किलो शुद्ध देसी घी रोज़ाना इस्तेमाल होता है।
इस रसोई घर में लंगर बनाने के लिए तरह तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे लकड़ी का, LPG गैस का, और इलेक्ट्रॉनिक रोटी बनाने की मशीन का
तकरीबन 100 सिलिंडर एवं 500 किलो लकड़ी प्रति दिन इस्तेमाल होती है। एवं तकरीबन 450 सेवादार इस निशुल्क रसोई घर में सेवा करते है। जिसमे अन्य बाहर से आयी संगत भी सेवा में लग जाती है।
इस रसोई घर का सालाना बजट हजारों करोड़ो में है। इस सन्देश को सब को बताये वाहेगुरु जी का खालसा ...




वाहेगुरु जी की फ़तेह

‘लव जिहाद’में फंसी हुई युवतीका लष्कर-ए-तोयबाद्वारा प्रयोग !

 कोची शहरकी पुलिसने लष्कर-ए-तोयबाके आतंकवादीको सिमकार्ड देनेके आरोपमें दीपा चेरियन् नामक ३१ वर्षीय युवतीको बंदी बनाया है । दीपा, शाहीन नामसे पहचानी जाती है । नाजिर एवं नौशाद नामक लष्करके आतंकवादी कारागृहमें हैं । दीपाने उन्हें वहां `सिमकार्ड’ दिया था । राष्ट्रीय अन्वेषण तथा गुप्तचर विभागद्वारा नाजिरके विदेशसे होनेवाले संपर्कके विषयमें छानबीन आरंभ की थी । इससे दीपा चेरियन् को एस्.आर्.एम्. मार्गपर पुलिसने पकड लिया । 

पुलिस सूत्रों द्वारा दी हुई जानकारी के अनुसार, दीपा नामक यह युवती नौशाद के साथ रहती थी । नौशाद भी आजकल नाजिर के साथ एर्नाकुलम् उपकारागृह में कारा- वास भोग रहा है । मिली हुई जानकारीके अनुसार शाहीन एवं नौशाद, बांग्लादेश सीमाके समीप मुर्शिदाबाद भाग में एकत्र रहते थे । अलुवा में गाडी चालक का काम करने वाल नौशाद ने दीपा को अपने प्रेमजाल में फांसा था । जिहादियों द्वारा इस्लाम में धर्मांतरित होने के उपरांत दीपा का नाम शाहीन रखा गया । ऐसी सूचना मिली है कि शाहीन ने बिना किसी कागद पत्रों की पूर्तता किए ही दो सिमकार्ड लिए और उन्हें कार्यान्वित किया । उन क्रमांकों पर विदेश से संपर्क हो रहा है, यह ध्यान में आते ही गुप्तचर तंत्र ने छानबीन आरंभ कर दी । तदुपरांत पुलिस  कागद पत्रों के अतिरिक्त सिमकार्ड देनेवाले वितरक तथा शाहीन को तुरंत बंदी बनाया । 

‘लव जिहाद’ संकटको पहचानो !

केरलकी ‘कलाकौमुदी’ साप्ताहिक पत्रने प्रकाशित की, ‘लव जिहाद’के विषयमें केंद्रीय गुप्तचर विभागके प्रतिवेदनमें बताई गई मार्मिक सत्य स्थिति !

लव जिहादका झटका ईसाइयोंको भी !
तिरुवनंतपुरम - केरलके ‘कलाकौमुदी’ नामक प्रसिद्ध साप्ताहिक समाचारपत्र ने ‘लव जिहाद’प्रकरण में मुसलमान जिहादियों द्वारा हिंदू एवं ईसाई लडकियों का किए गए धर्मपरिवर्तनों की सत्यस्थिति प्रकाशित की है । यह समाचार, किसी सुनी हुई कथा अथवा चर्चापर आधारित नहीं है, अपितु केंद्रीय गुप्तचर तंत्रका केंद्रीय गृहमंत्रालय को प्रेषित प्रतिवेदन है । यह समाचार प्रकाशित होते ही सब लोग हडबडाकर जागे, तो मुसलमान आतंकवादियोंने ‘कलाकौमुदी’की इस ‘लव जिहाद’ विशेषांककी पूरी प्रतियां अविलंब क्रय कर जला दिया ।
समाचारपत्र विक्रेताओं से यह विशेषांक मांगने पर उन्होंने कहा कि उनके पास उपलब्ध नहीं है, सब बिक गया है । इस विषयमें अधिक पूछ-ताछ करनेपर दुकानदारों ने बताया कि मुसलमाकों के कुछ गुट इन अंकों की पूरी-की-पूरी प्रतियां खरीद कर ले गए हैं । 
कलाकौमुदी’ साप्ताहिकमें, ‘केरलके विनाश के लिए लव्ह जिहाद, धर्मांतरण और काला पैसा’ यह लेख प्रकाशित हुआ था । केंद्रीय गुप्तचर संस्थाद्वारा केंद्रीय गृहमंत्रालय को भेजे गए प्रतिवेदन के आधार पर यह लेख लिखा गया है ।
इस लेखमें ‘लव जिहाद’ में सम्मिलित मुसलमान आतंकवादी दलोंकी आलोचना की गई है । गुप्तचरोंके प्रतिवेदनके अनुसार वर्ष २००६ से मार्च २०१२ तक केरलमें कुल ६ सहस्र १२९ लडकियोंको ‘लव जिहाद’के माध्यमसे इस्लाम धर्ममें धर्मांतरित किया गया है । इसमें ४ सहस्र ९९७ लडकियां हिंदू हैं, तो १ सहस्र १३२ लडकियां ईसाई हैं । 
‘लव जिहाद’का संकट केवल हिंदुओंपर नहीं है, अपितु यह ईसाइयोंपर भी है, आज ‘लव जिहाद’के विरोधमें जी-जानसे लडनेवाली श्रीराम सेनाका विरोध, केरलके ही आतंकवादी विचारधारा के संगठन, ‘पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ की सहायता से गोवा के कुछ हिंदुद्वेषी लोग विरोध कर रहे हैं ।  यह संगठन भी लव जिहाद की गतिविधियों में सक्रिय रूप से लिप्त है । इसी संगठन के कार्यकर्ताओं ने केरल में एक ईसाई प्राध्यापक का हाथ तोडा था,  इस संगठनके अनेक कार्यकर्ता हिंसक कार्योंमें पकडे गए हैं तथा अनेकपर आतंकवादियों से मिले होनेका आरोप है ।
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‘इमरान’ ने प्रेमिका का अश्लील वीडियो लोगों में बांटा

हरिद्वार : हरिद्वार जिले की ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली युवती का उसके प्रेमी ने ही अश्लील वीडियो बना डाला।सीओ सदर राजेश भट्ट ने बताया कि करीब तीन साल पहले सिडकुल में काम करने के दौरान युवती की मुलाकात गाडोवाली निवासी इमरान से हुई थी।दोनों में गहरी दोस्ती हो गई थी। करीब दो साल पहले इमरान युवती को अपने साथ रुड़की के एक होटल में ले गया और उसकी अश्लील क्लीपिंग बना डाली।

इसके कुछ दिनों बाद वह उसे ब्लैकमेल करने लगा। गाहे-बगाहे उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा। कुछ समय पहले लड़की के रिश्ते वाले आए थे।प्रेमी ने रिश्ता खत्म कराने के लिए लड़का पक्ष तक वीडियो पहुंचा दिया। इसके बाद युवती के गांव के लोगों में भी वीडियो बांट दिया गया। लड़की के परिजनों को इसका पता चला तो परिजन सन्न रह गए।सीओ सदर राजेश भट्ट ने बताया कि युवक लड़की को लगातार ब्लैकमेल कर रहा था, लेकिन उससे शादी भी नहीं करना चाहता था।

स्त्रोत : अमर उजा
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'लव जिहादियों' ने फैलाया उत्तर प्रदेश में आतंक : अशोक सिंहल

मुजफ्फरनगर : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संरक्षक अशोक सिंहल ने कहा कि जब से देश में ‘लव जिहाद’ शुरू हुआ है, चारों तरफ अशांति बढ़ रही है। इस लिए केंद्र सरकार को ‘लव जिहाद’ पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, जब से प्रदेश में सपा सरकार आई तब से जिहादियों के हौसले बुलंद हो गए। उसी का विरोध करने के लिए जाट समुदाय ने ‘बहू-बेटियां बचाओ’ महापंचायत की। महापंचायत से घर लौटने वक्त लोगों पर हमले किए गए।
सिंहल ने कहा कि ये दंगे उसी की प्रतिक्रिया हैं। जिस तरह गुजरात में गोधरा कांड की भारी प्रतिक्रिया हुई थी, उसी तरह मुजफ्फरनगर में लोगों ने ‘लव जिहाद’ के प्रति अपना गुस्सा जताया है। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में वरुण गांधी से भी लोगों ने पूछा था कि उनकी बहू-बेटियों को ‘लव जिहाद’ से कैसे बचाया जाएगा, तब वरुण से  उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिया था।
जब उनसे पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री बनने पर नरेंद्र मोदी ऐसा कर सकते हैं, तो सिंहल ने कहा कि गुजरात का उदाहरण सामने है जहां लव जिहादियों की नहीं चलती है। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार हिंदुओं की दुश्मन के तौर पर काम कर रही है। सपा सरकार एक मंत्री आजम खान के कहने पर ऐसे फैसले कर रही है, जिससे प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल लगातार खराब हो रहा है।
स्त्रोत : पंजाब केसरी
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ड्रग तस्कर से शादी करने के लिए

 ममता कुलकर्णी बन गईं मुस्लिम !

अपने जमाने की मशहूर और बोल्ड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। ममता ने अपना धर्म बदलकर इस्लाम कबूल कर लिया है। उन्होंने अपना धर्म ड्रग तस्कर विकी गोस्वामी से शादी करने के लिए किया है। ममता कुलकर्णी कभी अपने बोल्ड सीन्स और हॉट इमेज के लिए सुर्खियों में रहा करती थीं। लेकिन२०००  के बाद से वो ऐसी गायब हुईं कि किसी को उनकी खबर ही न थी। ममता ने इस्लाम कबूल कर मशहूर ड्रग तस्कर विकी गोस्वामी से शादी कर ली है और शादी के बाद दोनों केन्या के नैरोबी में रह रहे हैं। 
शादी कर रिहा कराया आशिक को 
पिछले १० साल से गायब ममता दुबई में रहकर अपने बॉयफ्रेंड विकी की रिहाई का इंतजार कर रहीं थीं जो दुबई के ही जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। विकी की रिहाई के लिए ममता लंबे समय से कोशिश कर रहीं थी और आखिर में उन्होंने शादी करने का रास्ता निकाला। इसके लिए ममता को इस्लाम कबूल करना पड़ा और इस्लामिक रीति रिवाजों से विकी से निकाह करना पड़ा। इस निकाह से खुश होकर दुबई के शेख ने विकी की सजा माफ कर दी। अगर ममता ऐसा ना करतीं तो विकी २५ साल तक दुबई की जेल में सड़ता रहता।

 वो अंडरवर्ल्ड के साथ मिलकर बड़े स्तर पर ड्रग्स की तस्करी का कारोबार किया करता था। डॉन के साथ रिश्तों के कारण बॉलीवुड में भी उसका काफी दबदबा था। जब विकी और ममता की नजदीकियां बढ़ी तो ममता रातों रात बॉलीवुड की बोल्ड एक्ट्रेस बन गईं। विकी की दहशत के कारण ही ममता को कई फिल्मों में काम मिला। बाद में ममता विकी के साथ दुबई चलीं गईं। बाद में १९९७  में ऐसी खबर आई कि विकी गोस्वामी को दुबई पुलिस ने ११ टन ड्रग्स की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया है जिसके बाद उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

स्त्रोत : जागरण . कोम
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मुंबर्इ : किसी भी फेसबुक फ्रेंड को हसबैंड बनाने से पहले इस वाईफ की कहानी जरूर पढ़ें। सरिता शर्मा (परिवर्तित नाम) को बज्‍जू उजमान अकबर बादशाह उर्फ सुका उर्फ पाशा (२३) ने फेसबुक पर फ्रेंड रिक्‍वेस्‍ट भेजी। प्‍यार-मोहब्‍बत के बाद शादी की बात चली। शादी भी हो गई। उसके शुरू हुआ हैवानियत का खेल। उसने उसे एक चॉल में बंद कर दिया और रोजाना नौ दिनों तक ब्‍लेड से उसके शरीर पर चीरे लगाता रहा। 
वर्चुअल वर्ल्‍ड पर शुरू हुआ था रोमांस
पुलिस के अनुसार, बज्‍जू उजमान सेवरी स्थित आदमजी जिवाजी चॉल में रहता था जबकि सरिता मुलुंड (वेस्‍ट) में रहती थी। फेसबुक के वर्चुअल वर्ल्‍ड पर दोनों में दोस्‍ती हुई और कुछ ही हफ्तों में रोमांस परवान पर चढ़ गया। सरिता उस पर इतना रीझ गई कि तुरंत ही उसके साथ बांद्रा के फैमिली कोर्ट में शादी भी कर ली। शादी के बाद दोनों चॉल में रहने आए। वहां बज्‍जू ने उसे प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं नौ दिनों तक उसने अपनी पहले से शादीशुदा जिंदगी की बात भी छिपाए रखी। उसने ब्‍लेड से सरिता के शरीर पर नौ दिनों में तकरीबन १०० चीरे लगाए। 

 

परत दर परत खुलते गए राज

जल्‍दी ही सरिता के वैवाहिक सुखमय जीवन का अंत हो गया जब बज्‍जू ने उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना शुरू कर दिया। यह भी राज खुल गया कि उसका कोई इंपोर्ट-एक्‍सपोर्ट का बिजनेस नहीं है। एक बार राज खुलने शुरू हुए तो परत दर परत राज फाश होते गए। उसने झूठ कहा कि वह ग्रेजुएट है जबकि बज्‍जू ने ९वीं के बाद से ही पढ़ाई छोड़ दी थी। सरिता के परिवार के प्रति जल्‍दी ही उसका व्‍यवहार बदल गया। उसने धमकी देनी शुरू कर दी और उसे प्रताडि़त करने लगा।

छुटकारा पाने की ठान ली

सरिता ने अब इस नर्क से छुटकारा पाने की ठान ली। १४ अप्रैल को उसने मुलुंड थाने में एक शिकायत दर्ज करा दी। २९ मई को दोनों ने एक काजी और कुछ परिजनों की मौजूदगी में तलाक ले लिया हालांकि तलाक को कोर्ट की कानूनी मंजूरी मिलनी है। इधर बज्‍जू उसे प्रताडि़त करता रहा। १६ जून को सरिता ने उसके खिलाफ दूसरी शिकायत दर्ज कराई। 

 बज्‍जू ने बदला लेने की ठानी और आनन फानन में एक षडयंत्र बना डाला। १७ जून को निर्मल लाईफस्‍टाइल के पास वह घात लगाकर बैठा और अपहरण कर सरिता को अपने सेवरी स्थित चॉल में ले गया। वहां लात-घूंसों से उसने सरिता की पिटाई की। सरिता का हर बचाव उसे और उग्र बना देता था।

 जल्‍दी ही बज्‍जू ने सरिता को प्रताडि़त करने के लिए एक नए हथियार ब्‍लेड का इस्‍तेमाल शुरू कर दिया।अगले नौ दिनों तक वह उस पर ब्‍लेड से वार करता रहा। कभी हाथ पर, कभी चेहरे पर तो कभी गर्दन पर। बज्‍जू ने सरिता के शरीर पर तकरीबन १०० चीरे लगा डाले। उसकी दर्द भरी चीखों से बज्‍जू घबराकर उसे एक प्राइवेट क्‍लीनिक ले गया।

कर डाली सुसाइड की प्‍लानिंग

लेकिन साथ ही उसने सरिता के सुसाइड का भी प्‍लान बना डाला। क्‍लीनिक ले जाते वक्‍त रास्‍ते में उसने सरिता की मोबाइल से फोटो खींची और उसी के नाम से उसकी बहन को मैसेज भेज दिया। जिससे ऐसा लगे कि वह सुसाइड करने जा रही है। मैसेज में उसने किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से भी मना किया। ट्रीटमेंट कराने के बाद वह सरिता को फिर से घर ले गया ताकि अपने मंसूबों को अमली जामा पहना सके। 

फिर मिली नरक से मुक्ति

२६ जून को सरिता उसके चंगुल से बच निकली और उसने अपने वकील सत्‍यम दूबे के माध्‍यम से कुछ पुलिस अधिकारियों को शिकायत की। ३ जुलाई को पुलिस ने बज्‍जू और दो के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। बज्‍जू को अरेस्‍ट कर पुलिस ने गुरुवार को उसे मुलुंड कोर्ट में पेश किया जहां से उसे १४ जुलाई तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। बज्‍जू के खिलाफ मारपीट करने, धारदार हथियार से चोट पहुंचाने, जबरन बंधक बनाने, अपहरण कर शादी के लिए बाध्‍य करने, जान से मारने की धमकी देने, आर्म्‍स एक्‍ट सहित आईपीसी की धाराओं में मामला दर्ज किया है।

जांच के दौरान पुलिस का पता चला कि बज्‍जू के पिता १९९३ मुंबई बम ब्‍लास्‍ट में एक्‍युज्‍ड थे। उसके खिलाफ पहले १६ आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें से १३ तो आरएके मार्ग थाने में ही दर्ज हैं। पुलिस ने उसके पास से तीन हथियार भी बरामद किए हैं। वह उधार देने का धंधा करता था।

स्त्रोत : जागरण.कॉम 
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‘लव जिहाद’ द्वारा हिंदु युवतिसे विवाह 

बलात्कारका अपराध प्रविष्ट...

नई देहली - पहले विवाहकी बात छिपाकर एक हिंदु युवति को ‘लव जिहाद’ के जाल में फंसाने के पश्चात उसका ‘धर्मपरिवर्तन’ कर उससे विवाह करने वाले जमाल नासीर पर नई देहलीके सहायक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश टी.आर्.नवल द्वारा बलात्कार का आरोप निश्चित किया गया है ।
जमालने उस युवतिसे जून २००१ में विवाह किया था । इससे पूर्व उसे ‘इस्लाम’ की दीक्षा दी गई थी ।विवाहके उपरांत एकत्र रहते समय वह अधिकांश समय रात्रि में बाहर ही रहता था । अंत में उसका पहला विवाह होने की बात उजागर हुई । फिर भी जमाल के प्रेममें फंसी युवती उसके साथ रहती थी ।जुलाई २००६ में जमालकी पहली पत्नी मुशहरत, भाई महंमद अनीस एवं भाई की पत्नी ने उस युवती के घर आकर उसकी असीम पिटाई की ।
जमाल ने उसकी उपेक्षा की । तत्पश्चात उस युवती ने आत्महत्या करने का प्रयास किया था । इस प्रकरण में जमाल के साथ उसकी पहली पत्नी एवं दोनों पर आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करनेका अपराध प्रविष्ट किया गया था । अब न्यायालयद्वारा जमाल नासीरके विरोधमें आत्महत्याको प्रवृत्त करना, पहले विवाह की बात छिपाकर कपट कर दूसरा विवाह करना तथा विवाह कानूनन है ऐसा बताकर युवतीके साथ सहवास करना ऐसे अभियोगों के साथ बलात्कार का भी अभियोग लगाया गया ।
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‘लव जिहाद’ रोकनेके उपाय

१. समाजको आवाहन

हिंदू युवतीरूप मूल्यवान थाती को संभालकर अपनी संस्कृति की रक्षा करें ! : ‘स्त्रीके कारण हिंदुस्थानकी नैतिकता और संस्कृति बची हुई है । हिंदू युवतियां हिंदू संस्कृति के गुणसूत्रों की अधिकोष (जीन बैंक) हैं । उनका अन्य पंथियों से विवाह न होने दें, अर्थात हिंदू वंशवृदि्ध के बहुमोल गुणसूत्र अन्य धर्मियों के हाथोंमें न जाने दें । अपनी सांस्कृतिक धरोहर बचाएं ।’अपने क्षेत्रसे ‘लव जिहाद’का षड्यंत्र ध्वस्त करने हेतु आगे बढकर संगठित प्रयास करें ! ‘जिस समाजमें महिलाएं सुरकि्षत हैं, ऐसा समाज ही सुरक्षित होता है’, यह ध्यानमें रख हिंदू युवतियोंकी रक्षा करें !, यह प्रतिज्ञा करो, ‘किसी भी हिंदू परिचित युवती को मैं ‘लव जिहाद’ की बलि नहीं चढने दूंगा !’
धर्मांतरित; किंतु हिंदू धर्ममें पुनप्र्रवेशकी इच्छुक युवतियोंको स्वधर्म में स्थान दें ! : ‘अनेक बार धर्मांतरित असहाय युवती अपने धर्म में लौटने के लिए तत्पर रहती है । तथापि, हिंदू समाज उसे नहीं अपनाता । धर्मशत्रुओं से लड-झगडकर हिंदू युवती पुनः अपने मूल घर तक आई है, इसीसे यह प्रमाणित होता है कि उसमें हिंदुत्व अभी जीवित है । अतएव, हिंदू समाज निःसंकोच होकर उसे स्वधर्ममें पुनप्र्रवेश देकर धर्मांध मुसलमानों पर दबाव बनाए । हमारे हिंदू युवकों को ऐसी उत्पीडित युवती से विवाह करने के लिए आगे आना चाहिए । उसी प्रकार, उसका नया संसार बसाने का दायित्व आर्थिक दृषि्ट से संपन्न हिंदुओं को लेना चाहिए ।’
‘लव जिहाद’की समस्याके संदर्भ में प्रवचनकारों, धर्मपीठों और संतों का दायित्व महत्त्वपूर्ण है; क्योंकि वे लाखोंकी संख्यामें जनसमुदायको उपदेश कर सकते हैं । जिस क्षण से इस्लाम के इतिहास के काले पृष्ठ और आज का भीषण सत्य  प्रवचनोंके माध्यम से वातावरण में गूंजने लगेगा, उस क्षण से गत १,३०० वर्षों से जारी हिंदू सि्त्रयों के करुण-क्रंदनका प्रतिशोध लेनेके लिए आजका हिंदू युवक आगे-पीछे नहीं देखेगा ।’ -
‘लव जिहाद’के रोकनेके उपाय
‘लव जिहाद’के संकटके विषयमें विद्यालय, महाविद्यालय, महिला मंडल, जातिसंस्थाएं, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, धार्मिक कार्यक्रम आदिमें प्रवचन करना आवश्यक है ।जराइल में ज्यू और मुसलमानों के विवाहपर वैधानिक प्रतिबंध है । हिंदुस्थान में भी ‘लव जिहाद’ रोकनेके लिए इजराइल समान विधान बनानेकी आवश्यकता है । इसके लिए अपने क्षेत्रके जन प्रतिनिधियों और मंति्रयों को संगठित रूप से निवेदन देकर लव जिहाद के विरुद्ध विधान बनाने की मांग करें । स्वा. सावरकर हिंदुओं से कहते हैं, ‘अपनी सि्त्रयों को शत्रु भगा ले जाकर मुसलमान बनाते हैं, तो उनसे उत्पन्न लडके आगे चलकर हमारे शत्रु बनते हैं । इसलिए उन सि्त्रयों को छुडाकर पुनः अपने धर्ममें लाएं ।’ अपनी बेटियों को परधर्म में न जाने देने के लिए सदैव सावधान रहना, यह जैसे ‘लव जिहाद’को रोकने का एक मार्ग है, तो दूसरा मार्ग है - सावरकरके विचारों के अनुसार ‘लव जिहाद’की बलि चढी युवतियों को छुडाकर, शुद्ध कर, पुनः स्वधर्म में समि्मलित कर लेना । ‘लव जिहाद’को रोकनेके लिए इस दूसरे मार्ग का तुरंत अवलंबन भी हिंदू समाज को करना चाहिए !

‘लव जिहाद’का प्रसार होने के  कारण


. जिहादी युवकपर तुरंत विश्वास करना :
हिन्दू युवतियोंका ‘लव जिहाद’की बलि चढनेका एक प्रमुख कारण है, हिन्दुस्थानपर इस्लामी आक्रमणकारियोंद्वारा गत १,३०० वर्षोंमें किए गए अत्याचारोंसे और इस्लामकी जिहादी विचारधाराका ज्ञान न होना ।
 ‘एक पाकिस्तानी वंश के जिहादी ने कहा, ‘‘हिन्दू युवतियों को फंसाना सरल होता है; क्योंकि वे भोली होती हैं तथा किसी भी बातपर तुरंत विश्वास कर लेती हैं । उनसे मीठा बोलने पर तथा उनकी झूठी प्रशंसा करते ही उन्हें हम ‘जिहादी’ अपने ही लगते हैं ।‘लव जिहाद ’की बलि चढी अधिकतर हिन्दू युवतियां १३ से १८ वर्षके बीच की होती हैं । इस अल्हड आयु की युवतियों को जिहादी युवक लालच दिखाकर प्रेमके जालमें फांस लेते हैं और बलात्कार करते हैं । ऐसी अल्पवयीन युवतियां लैंगिक आकर्षण के कारण, क्या हितकर है और क्या अहितकर, इसका भेद नहीं समझ पातीं । इस कारण उनके प्रेमजाल में फंस जाती हैं ।’
 कुछ हिन्दू युवतियोंको इस्लामी क्रूरताका इतिहास ज्ञात होता है; तो भी ‘यदि एक भी जिहादीकी मानसिकता परिवर्तित कर मैं उसे राष्ट्रीय प्रवाहमें ला सकी, तो मेरा जीवन सार्थक हो जाएगा’, यह भ्रम वे इस अवयस्क अवस्था में ही पाल लेती हैं और अपने पैरों पर कुल्हाडी मार लेती हैं ।
जिहादीयों को पौरुषयुक्त और हिन्दुओंको पौरुषहीन समझना :
 ‘कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जिहादी के प्रेमजाल में फंसी युवती को समझाने हेतु उसके पास जानेपर वह यह कहकर कि ‘‘जिहादी पौरुष युक्त (मर्द) होते हैं, और हिन्दू ‘नामर्द (पौरुषहीन) होते हैं’’, हिन्दुओं  के पुरुषार्थ को ही चुनौती दे डालती हैं ।’
. हिन्दू धर्मके महत्त्वसे अनभिज्ञ होना : हिन्दू युवतियों को हिन्दू धर्म का महत्त्व ज्ञात न होना, यह भी उनके ‘लव जिहाद’ के बलि चढने का महत्त्वपूर्ण कारण है । ऐसी युवतियों द्वारा धर्मपालन न किए जाने के कारण उनमें हिन्दू धर्म के विषय में अभिमान नहीं होता । इसीलिए वे दूसरे धर्म में जाने के लिए तत्पर हो जाती हैं ।

 अभिभावकों द्वारा अपनी बेटियों को दी जानेवाली अनियंत्रित स्वतंत्रता एवं उन्हें पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण करने की दी जाने वाली छूट के कारण ये युवतियां आगे जाकर अपने माता-पिता की नहीं सुनतीं और मनमाने ढंग से रहने लगती हैं ।

युवतियोंको भावनिक आधार देनेमें असफल रहना :
 ‘एक सर्वेक्षणके अनुसार अकेली अथवा अलिप्त रहनेवाली युवतियों की ‘लव जिहाद’में फंसने की संख्या अधिक है । जिन युवतियों को भावनिक आधार नहीं मिलता, वे युवतियां वह आधार बाहर ढूंढने का प्रयास करती हैं । प्रत्येक युवा को उसके सिरपर हाथ फेरकर आत्मीयता से उसका कुशल-मंगल पूछने वाले तथा उसका कहना खुले मन से सुनने वाले अभिभावक की आवश्यकता होती है ।
 मारवाडी सम्मेलन में ‘लव जिहाद’ में फंसी युवती के अभिभावक ने अपनी व्हृाथा प्रकट करते हुए कहा, ‘‘हमारी बेटियां धार्मिक विचारों की थीं । पूजन-अर्चन और उपवास करती थीं, तो भी जिहादीयों के साथ भाग गर्इं ।’’ यही अभिभावक पहले ‘सर्वधर्मसमभाव’ का खोटा तत्त्वज्ञान समाज को बताया करते थे । परिस्थितिवश कभी हिन्दू-जिहादी का प्रश्न उपस्थित होने पर वे अपनी बेटियों को ‘सर्वधर्मसमभाव का उपदेश करते हुए कहते, ‘‘यह तुम लोगों का विषय नहीं है । यह राजनीति है । तुम लोग अपनी पढाई पर ध्यान दो ।’’
 बेटीका आधुनिक विचारोंका आत्मघाती अभिमान पालना : 
कुछ अभिभावक उनकी बेटी किस पार्टीमें जाती है, किस स्तर के युवकों के साथ पिकनिक पर जाती है, किस प्रकार के चलचित्र देखती है, किस प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेती है आदि की कभी पूछताछ नहीं करते । उलटे, ‘मेरी बेटी आधुनिक विचारों की है’, यह आत्मघाती अभिमान प्रदर्शित करते हैं ।’ ‘लव जिहाद ’की बलि चढी बेटी के विषय में माता-पिता पुलिस में परिवाद लिखवाते तो हैं; किंतु समाज में अपनी छवि कलंकित होने के भयसे उनका प्रयास यह रहता है कि प्रकरण न्यायालय के बाहर ही निपट जाए ।’

हिन्दू समाजकी अनुचित विचार-प्रक्रिया

‘मुझे इससे क्या लेना-देना’ ऐसी मनोवृत्ति : ‘एक हिन्दू घर की युवती को जिहादी भगा ले गया, फिर भी कुछ हिन्दू ऐसा विचार करते हैं कि ‘मेरे घर की बेटियां तो सुरक्षित हैं ! इसलिए, यह सब क्यों सोचूं ?’ ‘जिहादीयों द्वारा भगाई गई हिन्दू युवतियों का करुण-क्रंदन हिन्दू समाज के कुछ लोगों को सुनाई ही नहीं देता; क्योंकि, वे न टूटने वाले धर्मनिरपेक्षता के भ्रामक कवच से अपने दोनों कान बंद कर लिए होते हैं ।
हिन्दू समाज आपस में झगडने में अपने को धन्य मानता है । एक-दूसरेकी त्रुटियां निकालने में बडप्पन मानता है । विविध हिन्दू संगठन और संस्थाएं इसमें अपना अस्तित्व बचाने का प्रयत्न अधिक करती हैं । हिन्दू धर्म और उसपर आए संकटों के विषय में उन्हें कुछ लेना-देना नहीं होता ।’
 ‘जिहादी युवकद्वारा बेटीको भगाकर ले जानेपर उसे छुडाकर वापस लानेका साहस हिन्दू समाज नहीं दिखाता । हिरन के झुंड पर आक्रमण कर उसके उत्तम हिरन को उस झुंड के सामने ही बाघ क्रूरता पूर्वक फाडकर खा जाता है; परंतु केवल विवश होकर वह दृश्य देखने के अतिरिक्त झुंड के अन्य हिरन कुछ नहीं कर पाते । ठीक ऐसी ही अवस्था हिन्दू समाज की हो गई है । ‘बेटी आज से मेरे लिए मर गई’, यह कहते हुए हाथ झटककर अभिभावक अपने नित्य के कामकाज में व्यस्त हो जाते हैं; किंतु इसमें कोई पुरुषार्थ नहीं । `लव जिहाद'की घटना सुनकर हिन्दू समाज के अधिकतर लोगों की मुटि्ठयां कडी तो होती हैं; किंतु उसके विरुद्ध संगठित रूप से लडने की मानसिकता कोई नहीं दिखाता ।’जिहादीों के मत गंवाने के भयसे ‘लव जिहाद ’को कुचलने का साहस कोई राजनीतिक दल नहीं करता ।’
तारा की रंजीत से मुलाकात होटवार स्टेडियम में हुई थी, जहां वो शूटिंग की प्रैक्टिस के लिए अक्सर जाया करती थी। यहीं पर रंजीत ने तारा को सबके सामने पसंद करने व शादी का प्रस्ताव दे दिया था। १४ जून को रंजीत कुमार कोहली ने उसे घर पर डिनर के लिए बुलाया, इसके ठीक एक दिन बाद १५ जून को एक दोस्त के निमंत्रण पर तारा उसके घर डिनर के लिए पहुंची। वहां रंजीत भी पहले से ही मौजूद था, उसने तारा को अंगूठी व कंगन पहना दिया और शादी की तारीख तय करने की बात कही। इसके बाद 20 जून को दोनों की सगाई हुई और सात जुलाई को दोनों विवाह बंधन में बंध गए। लेकिन उसे यह पता नहीं था की मेहंदी का रंग उतरने के पहले ही उस पर सितम ढाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
नेशनल लेवल की शूटर तारा सहदेव से नाम बदलकर शादी करने और शादी के बाद धर्म बदलने के लिए प्रताडि़त करने के आरोपी रकीबुल हसन खान उर्फ रंजीत सिंह कोहली ने बड़े लोगों को लड़कियां सप्लाई करने की बात पूछताछ में कबूल कर ली है।९ जुलाई को उसके पति ने २०-२५ हाजियों को घर बुलाया और उस पर जबरन धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाया। इस दौरान विरोध करने पर उसे न सिर्फ बुरी तरह मारा गया, बल्कि कई बार कुत्ते से कटवाया भी गया, ताकि वह डर से धर्म परिवर्तन कर ले। यही नहीं जुबान खोलने पर उसके भाई को मरवा डालने की धमकी तक दी गई।  रिमांड पर लिए जाने के बाद रांची के जगन्नाथपुर थाने में पूछताछ के दौरान रकीबुल ने सेक्स रैकेट से जुड़े कई पुलिस अफसरों और हाई प्रोफाइल लोगों के नाम भी बताए। इससे पहले उसकी पत्नी तारा सहदेव ने दावा किया था कि 15 विधायकों से उसके संपर्क हैं।

डीएसपी के पास कई बार भेज चुका है लड़कियां

रकीबुल ने पुलिस को बताया कि झारखंड के एक जिले में पदस्थापित डीएसपी जब रांची पहुंचते थे, तब उसके अशोक नगर रोड नंबर छह स्थित किराए के मकान या अशोक विहार स्थित मकान में ठहरते थे। वहां वह लड़कियों को भेजता था। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, रंजीत ने पूछताछ में बताया कि वह उक्त दोनों आवासों का उपयोग बाहर से रांची आने वाले उन्हीं अधिकारियों को ठहराने के लिए करता था जो खातिरदारी में लड़कियों की मांग करते थे।

तारा के आरोप सही

तारा ने कहा कि अब पता चला कि दरिंदगी क्या होती है। पहले सिर्फ सुना करती थी। अब मैं वहां नहीं जाना चाहती हूं। नाम बदल दिया जाता, पहचान छुपा दी जाती। ऐसी जगह रखा जाता कि वहां से निकलना मुश्किल हो जाता। वह तो मेरी मां का आशीर्वाद है कि मैं वहां से निकली।तारा ने सांसद रामटहल चौधरी और डीआईजी प्रवीण सिंह को आपबीती सुनाई।  तारा बताती है कि उसके बाएं हाथ पर ही वह हथियार से प्रहार करता था। वह कहता था कि धर्म परिवर्तन नहीं करोगी तो तुम्हारी प्रतिभा बरबाद कर देंगे। वह अक्सर उसे केहूनी से ही मारता था। वह कहता था कि दुनिया में तुम्हारा नाम न हो, इसके लिए जो भी होगा करेंगे।
तारा ने बताया,  "रकीबुल कई लड़कियों के साथ खेलता था। एक दिन मेरे सामने ही दो-तीन बच्चियां आई थीं। कुछ दिनों के बाद कॉलेज में उनका एडमिशन करा दिया गया। रकीबुल उनके साथ अच्छे से तैयार होकर जाता था। उसके बाद वह गार्ड मंगा लेता था। उसके लिए गाड़ी भेज दी जाती थी। वह ऐसा व्यवहार करता था कि मानो उससे अच्छा और प्रभावशाली इंसान हो ही नहीं सकता। एक बार तो उनसे पूछा कि अगर हमारी शादी नहीं हुई होती, तो क्या आप लोग हमसे शादी करतीं।"लड़कियों ने कहा, "सर, आपके जैसे इंसान के साथ कौन नहीं शादी करना चाहेगा। इस पर उसने कहा, मेरे बहुत सारे दोस्त हैं।"
 रकीबुल ने तारा के उस आरोप को सही बताया, जिसमें तारा ने कहा है कि किन-किन मंत्रियों को वह स्टेशन रोड स्थित होटल में ले जाता था। देवघर के एक न्यायिक अधिकारी के ब्लेयर अपार्टमेंट में आने की बात भी कबूल की। उधर, रकीबुल की नौकरानी हरिमती ने पुलिस को बताया है कि रकीबुल और उसकी मां तारा के साथ मारपीट करते थे।प्रताडि़त करते थे और इस्‍लाम कबूल नहीं करने पर वेश्‍यावृत्ति करवाने की धमकी देते थे।








Friday, 29 August 2014

श्री कृष्ण ने किया इन्द्र के साथ युद्ध 

गवाह बना एक वृक्ष….

उत्तरप्रदेश के बाराबंकी जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा सा गांव किंटूर स्थित है.  इस गांव का नाम पाण्डवों की माता कुंति के नाम पर रखा गया था और इसी स्थान पर पाण्डवों ने कुंति के साथ अपना अज्ञातवास बिताया था. इसी गांव में एक ऐसा वृक्ष है जिसकी कहानी दूर-दूर तक लोकप्रिय है. परिजात वृक्ष का नाम तो आपने सुना ही होगा, लेकिन यह कोई ऐसा-वैसा परिजात वृक्ष नहीं है, बल्कि मान्यता है कि वृक्ष को जो भी छू लेता है उसकी थकान पल भर में छूमंतर हो जाती है
क्यों है यह वृक्ष इतना अलग?
  वृक्ष देखने में किसी भी साधारण वृक्ष की ही तरह होता है लेकिन किंटूर गांव का यह परिजात वृक्ष कुछ खास है. एक सामान्य परिजात वृक्ष की ऊंचाई 10 से 25 फीट ही होती है लेकिन किंटूर के इस वृक्ष की ऊंचाई लगभग 50 फीट है. इतना ही नहीं, यह इकलौता परिजात वृक्ष है जिस पर ना तो बीज लगते हैं और ना ही इसकी किसी भी कलम को बोने से दूसरा वृक्ष लगता है.
इस अद्भुत वृक्ष पर फूल जरूर खिलते हैं लेकिन वे भी रात के समय और सुबह होते-होते वे सब मुरझा जाते हैं. इन फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन केवल वही फूलों को इस्तेमाल किया जाता है जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं, क्योंकि इस पेड़ से फूलों को तोड़ने की मनाही है.
कहां से आया यह वृक्ष?
हरिवंश पुराण में परिजात वृक्ष का एक खास वर्णन है जिससे हमें इस वृक्ष का इतिहास ज्ञात होता है. पुराणों में इस वृक्ष को कल्पवृक्ष कहा गया है और यह मान्यता है कि यह वृक्ष समुन्द्र मंथन से उत्पन्न हुआ था. इस वृक्ष को इंद्र स्वर्गलोक ले गए और इसे कवल छूने से ही वहां देव नर्तकी उर्वशी की सारी थकान दूर हो जाती थी.
लेकिन फिर किंटूर कैसे पहुंचा यह वृक्ष?

पुराणों में एक कथा विख्यात है जिसके अनुसार एक बार देवऋषि नारद श्री कृष्ण से मिलने धरती पर पधारे थे. उस समय उनके हाथों में परिजात के सुन्दर पुष्प थे और उन्होंने वे पुष्प श्री कृष्ण को भेंट में दे दिए. कृष्ण ने वे पुष्प साथ में बैठी अपनी पत्नी रुक्मणी को सौंप दिए लेकिन जब ये बात कृष्ण की दूसरी पत्नी सत्यभामा को पता लगी तो  कृष्ण से अपनी वाटिका के लिए परिजात वृक्ष की मांग की.
और अंत में अपनी पत्नी की जिद के सामने झुकते हुए अपने एक दूत को स्वर्गलोक में परिजात वृक्ष को लाने के लिए भेजा पर उनकी यह मांग पर इंद्र ने इंकार कर दिया और वृक्ष नहीं दिया. जब इस बात का संदेश कृष्ण तक पहुंचा तो  कृष्ण ने इंद्र पर आक्रमण कर दिया. युद्ध में कृष्ण ने विजय प्राप्त की और इंद्र से परिजात वृक्ष ले आए. पराजित इंद्र ने क्रोध में आकर परिजात वृक्ष पर कभी भी फल ना आने का श्राप दिया इसीलिए इस वृक्ष पर कभी भी फल नहीं उगते.
वादे के अनुसार कृष्ण ने उस वृक्ष को लाकर सत्यभामा की वाटिका में लगवा दिया लेकिन उन्हें सबक सिखाते हुए कुछ ऐसा किया जिस कारण रात को वृक्ष पर पुष्प तो उगते थे लेकिन वे उनकी पहली पत्नी रुक्मणी की वाटिका में ही गिरते थे. इसीलिए आज भी जब इस वृक्ष के पुष्प झड़ते भी हैं तो पेड़ से काफी दूर जाकर गिरते हैं.
पाण्डवों से संबंध है इस वृक्ष का?
अज्ञातवास भोग रहे पाण्डव माता कुंती के साथ एक गांव में आए जहां उन्होंने एक शिव मंदिर की स्थापना की ताकि उनकी माता अपनी इच्छानुसार पूजा अर्चना कर सकें. पुराणों में विख्यात कथा में यह वर्णन किया गया है कि माता कुंति के लिए ही पाण्डव सत्यभामा की वाटिका से परिजात वृक्ष को ले आए थे क्योंकि इस वृक्ष के पुष्पों से माता कुंति शिव की पूजा करती थीं. इस तरह से स्वर्गलोक से आया वृक्ष इस छोटे से गांव का हिस्सा बन गया.
लोगों के अति विश्वास और इस वृक्ष की महानता को देखते हुए सरकार ने भी इस ऐतिहासिक परिजात वृक्ष को संरक्षित घोषित कर दिया है. केंद्रीय सरकार द्वारा इस वृक्ष के नाम पर एक डाक टिकट भी बनाया गया है.ना केवल स्वर्गलोक या पृथ्वीलोक की मान्यताओं में इस वृक्ष को ऊंचा स्थान मिला है बल्कि अब तो आयुर्वेद ने भी स्वंय इसे ऊंची पद्वी दी है. आयुर्वेद में परिजात वृक्ष को हारसिंगार कहा जाता है और इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग विभिन्न औषधियां बनाने के लिए किया जाता है.इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग सायटिका रोग को दूर करने के लिए किया जाता है और साथ ही इसके फूल हृदय रोगियों के लिए उत्तम हैं. यदि किसी को हृदय संबंधित कोई कठिनाई है तो अगर वो कम से कम एक माह तक इस वृक्ष के फूलों का किसी भी रूप में सेवन कर लेगा तो उसकी सारी परेशानी दूर हो जाएगी.

इसके साथ ही परिजात की पत्तियों का इस्तेमाल खास तरह का हर्बल तेल बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा स्त्रियां यदि परिजात की कोंपल को पांच काली मिर्च के साथ मिलाकर इसका सेवन करें तो उनके सारे रोग मिट जाएंगे.










बीजेपी बड़े जोर शोर से लव जेहाद को उठाने वाली थी ..प्रस्ताव भी पास होने वाला था ...लेकिन जब कांग्रेस ने बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के द्वारा फैलाये जा रहे लव जेहाद के आंकड़े इकठ्ठे करने शुरू किये तब बीजेपी को "शीघ्रपतन" हो गया ....
 गुजरात में बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा लव जिहाद में पूरी तरह से लिप्त है .. और काफी मुस्लिम बीजेपी की सदस्यता लेकर गले में भगवा खेस लपेटकर हिन्दू लडकियों को बर्बाद करने में लगे है एक महिला नेत्री है ... गुजरात के एक शहर की कार्पोरेटर भी है .. गुजरात बीजेपी की मुस्लिम चेहरा बनने के लिए संघर्ष कर रही है और सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय है .वो हिन्दू थी ... और एक मुस्लिम से शादी करके इस्लाम कुबूल लिया है और अब गुजरात में लव जिहाद का ब्रांड एम्बेसडर बन चुकी है ...
 यदि तुम किसी मुस्लिम लडके से प्यार करती हो तो यदि उसका प्यार सच्चा है तो फिर वो अपना धर्म बदलकर हिन्द धर्म क्यों नही स्वीकार करता ? क्यों तुम लडकियों को ही मुस्लिम बनना पड़ता है ?एक और महानुभाव है .. वो भी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा से जुड़े है ... सोशल मीडिया पर भी सक्रिय है और काफी बड़ी बड़ी राष्ट्रवादी बाते लिखते है ... उन महाशय ने एक शादीशुदा हिन्दू महिला जो पहले से ही दो बच्चियों की माँ थी उसे भगाकर निकाह कर लिया है और उस महिला के साथ साथ हिन्दू पति से पैदा हुई दोनों बच्चियों को भी इस्लाम कुबूल करवा दिया है ...
बीजेपी को लव जिहाद पर कुछ बोलने के पहले बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की आड़ में मुस्लिमो के द्वारा फैलाये जा रहे लव जेहाद पर रोक लगानी चाहिए और ऐसे तत्व जो गले में भगवा लपेटकर उस भगवा का इस तरह से अपमान कर रहे है उन्हें लात मारकर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए ... वरना बीजेपी को हर बार लव जिहाद पर "शीघ्र पतन" हो जायेगा

Thursday, 28 August 2014


ईरान से इंडोनेशिया तक सारा हिन्दुस्थान

प्राचीन भारत की सीमाएं विश्व में दूर-दूर तक फैली हुई थीं। भारत ने राजनैतिक आक्रमण तो कहीं नहीं किए परंतु सांस्कृतिक दिग्विजय अभियान के लिए भारतीय मनीषी विश्वभर में गए। शायद इसीलिए भारतीय संस्कृति और सभ्यता के चिन्ह विश्व के लगभग सभी देशों में मिलते हैं।

यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि सांस्कृतिक और राजनैतिक रूप से भारत का विस्तार ईरान से लेकर बर्मा तक रहा था। भारत ने संभवत विश्व में सबसे अधिक सांस्कृतिक और राजनैतिक आक्रमणों का सामना किया है। इन आक्रमणों के बावजूद भारतीय संस्कृति आज भी मौजूद है। लेकिन इन आक्रमणों के कारण भारत की सीमाएं सिकुड़ती गईं। सीमाओं के इस संकुचन का संक्षिप्त इतिहास यहां प्रस्तुत है।

ईरान – ईरान में आर्य संस्कृति का उद्भव 2000 ई. पू. उस वक्त हुआ जब ब्लूचिस्तान के मार्ग से आर्य ईरान पहुंचे और अपनी सभ्यता व संस्कृति का प्रचार वहां किया। उन्हीं के नाम पर इस देश का नाम आर्याना पड़ा। 644 ई. में अरबों ने ईरान पर आक्रमण कर उसे जीत लिया।

कम्बोडिया – प्रथम शताब्दी में कौंडिन्य नामक एक ब्राह्मण ने हिन्दचीन में हिन्दू राज्य की स्थापना की।

वियतनाम – वियतनाम का पुराना नाम चम्पा था। दूसरी शताब्दी में स्थापित चम्पा भारतीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र था। यहां के चम लोगों ने भारतीय धर्म, भाषा, सभ्यता ग्रहण की थी। 1825 में चम्पा के महान हिन्दू राज्य का अन्त हुआ।

मलेशिया – प्रथम शताब्दी में साहसी भारतीयों ने मलेशिया पहुंचकर वहां के निवासियों को भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से परिचित करवाया। कालान्तर में मलेशिया में शैव, वैष्णव तथा बौद्ध धर्म का प्रचलन हो गया। 1948 में अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो यह सम्प्रभुता सम्पन्न राज्य बना।

इण्डोनेशिया – इण्डोनिशिया किसी समय में भारत का एक सम्पन्न राज्य था। आज इण्डोनेशिया में बाली द्वीप को छोड़कर शेष सभी द्वीपों पर मुसलमान बहुसंख्यक हैं। फिर भी हिन्दू देवी-देवताओं से यहां का जनमानस आज भी परंपराओं के माधयम से जुड़ा है।

फिलीपींस – फिलीपींस में किसी समय भारतीय संस्कृति का पूर्ण प्रभाव था पर 15वीं शताब्दी में मुसलमानों ने आक्रमण कर वहां आधिपत्य जमा लिया। आज भी फिलीपींस में कुछ हिन्दू रीति-रिवाज प्रचलित हैं।

अफगानिस्तान – अफगानिस्तान 350 इ.पू. तक भारत का एक अंग था। सातवीं शताब्दी में इस्लाम के आगमन के बाद अफगानिस्तान धीरे-धीरे राजनीतिक और बाद में सांस्कृतिक रूप से भारत से अलग हो गया।

नेपाल – विश्व का एक मात्र हिन्दू राज्य है, जिसका एकीकरण गोरखा राजा ने 1769 ई. में किया था। पूर्व में यह प्राय: भारतीय राज्यों का ही अंग रहा।
भूटान – प्राचीन काल में भूटान भद्र देश के नाम से जाना जाता था। 8 अगस्त 1949 में भारत-भूटान संधि हुई जिससे स्वतंत्र प्रभुता सम्पन्न भूटान की पहचान बनी।

तिब्बत – तिब्बत का उल्लेख हमारे ग्रन्थों में त्रिविष्टप के नाम से आता है। यहां बौद्ध धर्म का प्रचार चौथी शताब्दी में शुरू हुआ। तिब्बत प्राचीन भारत के सांस्कृतिक प्रभाव क्षेत्र में था। भारतीय शासकों की अदूरदर्शिता के कारण चीन ने 1957 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया।

श्रीलंका – श्रीलंका का प्राचीन नाम ताम्रपर्णी था। श्रीलंका भारत का प्रमुख अंग था। 1505 में पुर्तगाली, 1606 में डच और 1795 में अंग्रेजों ने लंका
पर अधिकार किया। 1935 ई. में अंग्रेजों ने लंका को भारत से अलग कर दिया।

म्यांमार (बर्मा) – अराकान की अनुश्रुतियों के अनुसार यहां का प्रथम राजा वाराणसी का एक राजकुमार था। 1852 में अंग्रेजों का बर्मा पर अधिकार हो गया। 1937 में भारत से इसे अलग कर दिया गया।

पाकिस्तान - 15 अगस्त, 1947 के पहले पाकिस्तान भारत का एक अंग था।

बांग्लादेश – बांग्लादेश भी 15 अगस्त 1947 के पहले भारत का अंग था। देश विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान के रूप में यह भारत से अलग हो गया। 1971 में यह पाकिस्तान से भी अलग हो गया
 झारखंड के चतरा जिले में धर्म बदलकर युवती का यौन शोषण करने का एक नया मामला सामने आया है। पुलिस ने बताया कि प्रतापपुर थाना क्षेत्र से सटे बड़वाटोला माडोगांव में पहचान बदलकर युवती का यौन शोषण करने के आरोप में बुधवार को एक युवक को गिरफ्तार किया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार युवक की पहचान मोहम्मद यासिन के रूप में की गई है। सूत्रों ने बताया कि यह युवक सोनू सिंह के नाम से फर्जी पहचान पत्र बनवा कर बड़वाटोला गांव की एक युवती का लंबे समय से यौन शोषण कर रहा था। ग्रामीणों की सूचना मिलने पर पुलिस ने इसे गिरफ्तार कर लिया और उसके पास से एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड भी बरामद किया।
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ब्रिटेन और फ्रांस कीसंसद में पेश की गयी एक रिपोर्ट में लव जिहाद पर चिंता जताईगयीहै ....भारत में एक के बाद एक कई लडकिया सामने आकर लव जिहाद का पोल खोल रही है फिर भी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी,जेडीयू,बोको हराम पार्टी उर्फ़ समाजवादी पार्टी को लव जेहाद बकवास लगताहै ...क्या शूटर तारा और अन्य कई लडकियाँ बीजेपी की एजेंट है ??===============================
जी न्यूज़ पर राहुल सिन्हा की पड़ताल ... 
लव जिहाद का सच
स्थान --मेरठ कालेज और आर जी गर्ल्स कालेज के बाहर राहुल छुपकर बैठे है । तभी नई बाइक पर धूम स्टाइल में कुछ लडके आये ।। राहुल चुपचाप दोनों की बात सुनते है । फिर कैमरा माइक लेकर जी न्यूज़ रिपोर्टर ने पूछा 
क्या नाम है तुम्हारा ?
जी शिवम तोमर
जी न्यूज़ - झूठ मै तुम दोनों की बात सुन रहा था ये तो तुम्हे दानिश हसन कहकर बुला रहा था 
जी जी दानिश तो मेरे घर का नाम है
मुस्लिम हो ?
चुप
बोलो हिन्दू हो या मुस्लिम
जी मुस्लिम हूँ
फिर हाथ में रक्षा सूत्र और गले में भगवान शंकर के फोटो वाला लाकेट क्यों पहने हो
जी हिन्दू दिखने के लिए ताकि हिन्दू लडकी पटा सकूं
वजह ??? हिन्दू लड़की जल्दी पट जाती है
क्यूँ पटाते हो ... क्या शादी करनी है
जी नही ... पार्टनर भी तो चाहिए ..सिर्फ मौज मस्ती के लिए और उनसे थोड़ा पैसा भी मिल जाता है ..
किसी दिन पकड़े गये तो .............. ?
अभी तक तो पकड़े नहीं गये ....
मुस्लिम लड़की क्यूँ नहीं पटाते ...?
मुस्लिम लड़की पटती नहीं है .........
पैसा कौन देता है ?
जी मस्जिदों से मिलता है कुछ धनवान मुस्लिम पैसे देते है और कहते है जाओ हिन्दू लडकियों को पटाओ मौज मस्ती करो और उनका धर्म परिवर्तन करो

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हिन्दू लड़कियों के लिए Love Jihad से बचने के कुछ जरूरी बातें,, जिनसे आप बात
करती हैं उनसे...

1. उन लडको से गायत्री मंत्र सुनाने को कहें।
2. हनुमान चालीसा सुनाने को कहें।
3. उन्हें अपने साथ मंदिर ले जाएँ।
4. हिन्दुओं के धार्मिक ग्रन्थ जैसे रामायण, महाभारत, गीता आदि में में वर्णित कथाओं के
बारे में पूछिये।
5. उन्हें पूजा का प्रसाद खिलाएं अगर वो संकोच करे तो समझें वो हिन्दू नहीं है।
6. रमजान के महीने में उसे कुछ न कुछ अवश्य खिलायें अगर खाने में आनाकानी करें तो समझिये की वो मुस्लिम है।
7. अगर वो मांसाहारी भोजन में सिर्फ हलाल गोस्त की ही मांग करे तो इसका मतलब वो हिन्दू नहीं है।
8. उसे भगवान् की या रुद्राछ की माला पहनने को दीजिये और हमेशा पहनने को कहें अगर मुस्लिम होगा तो नहीं पहनेगा।
9. जुम्मे की नमाज के वक्त उसे मंदिर जरूर ले जाएँ अगर मुस्लिम होगा तो नहीं जायेगा।
10. उससे इस्लाम के बारे में कुछ बुरा भला बोलते रहिये। उनकी मस्जिद या कुरआन का
अपमान कीजिये। अगर वो आपका विरोध करे तो समझिये वो हिन्दू नहीं है।







Tuesday, 26 August 2014

हमे तो मुहम्मद से शिकवा नही था 
उन्हे राम से फिर ये शिकायत क्यूं है, 
मस्जीद की अजान को हमने ना कोसा 
मंदिर की घंटीयो से ये नफरत क्यूं है ,
बेवजह खून बहाने की हमे नही आदत,
 कत्ल करने की फीर उन्हे फीतरत क्यूं है 
हमने सदा अमन कायम करना चाहा,
हंगामा करने की उन्हे हसरत क्यूं है.

Monday, 25 August 2014

मरने के बाद शव का दाह संस्कार का व्यवहारिक कारण

हिन्दू धर्म में गर्भधारण से लेकर मृत्यु के बाद तक कुल सोलह संस्कार बताए गए हैं। सोलहवें संस्कार को अंतिम संस्कार और दाह संस्कार के नाम से जाना जाता है। इसमें मृत व्यक्ति के शरीर को स्नान कराकर शुद्ध किया जाता है।

इसके बाद वैदिक मंत्रों से साथ शव की पूजा की जाती है फिर बाद में मृतक व्यक्ति का ज्येष्ठ पुत्र अथवा कोई निकट संबंधी मुखाग्नि देता है।

शास्त्रों के अनुसार परिवार के सदस्यों के हाथों से मुखाग्नि मिलने से मृत व्यक्ति की आत्मा का मोह अपने परिवार के सदस्यों से खत्म होता है। और वह कर्म के अनुसार बंधन से मुक्त होकर अगले शरीर को पाने के लिए बढ़ जाता है।

शास्त्रों में बताया गया है शरीर की रचना पंच तत्व से होती है ये पंच तत्व हैं पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। शव का दाह करने से शरीर जल कर पुन: पंचतत्व में विलीन हो जाता है। जबकि अन्य संस्कारों में ऎसा नहीं हो पाता है।

क्योंकि शव को जलाने से सबसे पहले पृथ्वी को राख के रुप में अपना अंश मिला जाता है। धुआं आसमान में जाता है जिससे आकाश का तत्व आकाश में मिल जाता है आैर वायु तत्व वायु में घुल जाता है।

अग्नि शरीर को जलाकर आत्मा को शुद्धि प्रदान करती है और अपना अंश प्राप्त कर लेती है। दाह संस्कार के बाद अस्थियों को चुनकर पवित्र जल में विसर्जित कर दिया जाता है जिस जल तत्व को अपना अंश मिल जाता है।

शव का दाह संस्कार करने के पीछे धार्मिक मान्यता पंच तत्व से जुड़ा हुआ है जबकि व्यवहारिक दृष्टि से भी शव दाह संस्कार का महत्व है। शव का दफनाने से शरीर में कीड़े लग जाते हैं। कई बार कुत्ते या दूसरे जानवर शव को भूमि से निकलकर उन्हें क्षत-विक्षत कर देते हैं। इसलिए शव दाह के नियम बनाए गए होंगे।

एक दूसरा व्यवहारिक पहलू यह भी है कि शव को दफनाने के बाद जमीन बेकार हो जाती है, यानी उस जमीन को पुन: दूसरे कार्य में उपयोग में नहीं लाया जा सकता । जबकि दाह संस्कार से जमीन की उपयोगिता बनी रहती है।

शव दाह संस्कार का एक नियम यह भी है कि अस्थि को गंगा में विसर्जित करना चाहिए। गंगा पृथ्वी पर मुक्ति देने के लिए आई थी और माना जाता है कि गंगा में अस्थि विसर्जन से मुक्ति मिलती है। इसलिए भी अग्नि संस्कार का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया है।

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💥१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।
💥२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |
💥३. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से बुरे सपने आते हैं।
💥४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।
💥५. पूजा सुबह 6 से 8बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |
💥६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें । इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |
💥७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |
💥८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
💥९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |
💥१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।
💥११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |
💥१२. सप्ताह में एकबार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है |
💥१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरने आपके पूजा घर में जरुर पहुचे सबसे पहले |
💥१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो ऐसी व्यवस्था करें ...

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