Saturday 16 March 2019

patr-vishesh

जूते की दास्तां : 
.
जयपुर की कंपनी सेना के लिए जूते बनाती है, फिर वह जूते इस्राइल को बेचते थे, फिर इजराइल वहीँ जूते भारत को बेचते थे, और फिर वे जूते भारतीय सैनिकों को नसीब होते थे ! भारत एक नंग जूते के Rs. 25,000/- देते थे और यह सिलसिला कोंग्रेस द्वारा कई सालो से चल रहा था ।
.जैसे ही मनोहर पर्रिकर को यह पता चला, आग बबूला हो गए .. जयपुर कंपनी के CEO को मिले, कारण पूछा, तो जवाब मिला : "भारत को डायरेक्ट जूते बेचने पर, भारत का सरकारी तंत्र सालो तक पेमेंट नहीं देती थी, इसलिए हम दूसरे देशों में एक्सपोर्ट करने लगे"
.मनोहर पर्रिकर ने कहा : "एक दिन, सिर्फ एक दिन भी पेमेंट लेट होता है तो आप मुझे तुरंत कॉल कीजिए, बस, आपको हमे डायरेक्ट जूते बेचना है, आप प्राइस बताएं" और इस तरह आखिर पर्रिकर ने वहीँ जूते सिर्फ 2200/- में फाइनल किया !! सोचिए ... जूते के 25,000/- देकर कोंग्रेस ने सालों तक कितनी लूंट मचा रखी थी !!-- Dr Hardik Savani
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

अब इन्हें पता चला है थे कि आतंकवाद क्या होता है
मुस्लिम किसी भी देश के मूल डेमोग्राफिक को और वहां की स्थानीय संस्कृति को किस तरह से बर्बाद कर देते हैं यदि वह आपको देखना है तो आप स्वीडन के गुटेनबर्ग शहर में जाइए या इस शहर के बारे में आप गूगल में सर्च करें
1930 तक स्वीडन में एक भी मुस्लिम नहीं था फिर धीरे धीरे कुछ मुस्लिम मिडिल ईस्ट की देशों से स्वीडन की तरफ गए.. फिर 70 के दशक में इराक सीरिया लेबनान से पलायन होते होते 80 के दशक तक स्वीडन में मुस्लिम इतने हो गए कि आज वहां के जनसंख्या के 20% मुस्लिम हो चुके हैं इतना ही नहीं स्वीडन के दूसरे सबसे बड़े शहर गुटेनबर्ग पर इन्होंने पूरी तरह से कब्जा कर लिया है और वहां उन्होंने यह अब अपनी समानांतर सरकार चलाते हैं शरिया कानून की मांग करने लगे हैं और कई बार स्वीडन में इन्होंने आतंकी हमले किए धीरे धीरे इन्होंने स्वीडन की पूरी स्थानीय संस्कृति को बर्बाद करके रख दिया है
अब ईसाईयों के मन में इस्लाम के प्रति जो नफरत बढ़ रही है वह होना जायज है और मैं इसका समर्थन कर रहा हूं
अब तक अफगानिस्तान में तालिबान ने सैकड़ो हिंदू और सिखों का कत्लेआम कर दिया बमियान में गौतम बुद्ध की प्रतिमा बारूद से उड़ा दी तब इन्हें आतंकवाद नजर नहीं आया... कश्मीर से हिंदुओं का सफाया कर दिया गया तब इन्हें आतंकवाद नजर नहीं आया... सोमालिया में अल शबाब ईसाईयों का सफाया कर रहा है लेकिन किसी भी मुस्लिम को इस में आतंकवाद नजर नहीं आया ...अल शबाब का प्रमुख स्वीडन जाकर वहां की मस्जिदों में तकरीरे करके स्वीडन के मुस्लिम युवाओं को भी जेहाद के लिए उकसा दिया और स्वीडन में भी तमाम आतंकी हमले हुए लेकिन तब शांति दूतों को आतंकवाद का मतलब समझ में नहीं आया
फ्रांस के राजधानी पेरिस में अखबारों की दफ्तर में बंदूकधारी घुसकर कत्लेआम मचाते हैं.. लंदन, मेड्रिड और नीदरलैंड के मेट्रो ट्रेन में कत्लेआम मचाते हैं तब किसी शांतिदूत को दुख नहीं होता तब कोई शांतिदूत यह नहीं कहता कि क्या हुआ किसी का कार्टून बना देने से किसी को मारना गलत है लेकिन तब पूरे दुनिया के शांति दूत कह रहे थे कि जो भी हमारे आराध्य का कार्टून बनाएगा वह मारा जाएगा
 न्यूटन का नियम याद रखना कि प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है और होती रहेगी हां यह जरूर है कि आतंकवाद में सिर्फ निर्दोष ही मरते हैं लेकिन वह भी कम दोषी नहीं है जो किसी आतंकी घटना पर अपना गुस्सा व्यक्त नहीं करते
जितेंद्र सिंह
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

सच्चाई :
न्यूजीलैंड में घुसपैठियों ने एक गूंगी बहरी बच्ची को रौंद डाला था !
इस बच्ची का "बदला" लेने के लिए ही उसके बाप "बैरेट" ने मस्जिद में घुसकर 49 घुसपैठियों को पेल दिया !!
इसमें कहाँ आतंक है ?? बच्ची को न्याय नहीं मिलना चाहिए क्या ?? उसका बाप सिर्फ मोमबत्ती जलाएंगे क्या ?  -- Hardik Savani

No comments:

Post a Comment