Monday, 3 October 2016

खोई हुई इतिहास की और-:
भारत के कुरु वंशी महाराज प्रद्योत जिनका राज्यकाल (1367-1317) अखंड भारतवर्ष के सम्राट थे राजधानी महिष्मति थे
१३६७ -१३१७ (ई पू) था इन्होंने असुरों पर आक्रमण किया था और मिश्र अरब देशो पर विजय प्राप्त किया था । दिग्विजयी सम्राट महाराज प्रद्योत इतिहास विलुप्त योद्धा जिन्होंने असुरों का दमन कर विश्व विजय किया था अपने समय के भारतवर्ष के सर्वश्रेष्ठ सम्राट थे प्रचण्ड भुजदण्ड से जीते हुए अनेक राजा उनके चरणों में सिर झुकाते थे। महाराज प्रद्योत का शौर्य अवर्णनीय हैं महाराजा प्रद्योत ने अपने शौर्य- और अद्भुत तेज के साथ भारतभूमि की पावनधारा पर जन्मे इस शूरवीर ने सनातन धर्म ध्वजा को मिश्र अरब देशो पर लहराकर स्वर्णिम इतिहास रच डाले थे ।
अनगिनत युद्ध में से कुछ ख़ास युद्ध का वर्णन मिलता हैं ।
प्रथम युद्ध-: मिश्र के साम्राज्य के राजा थे फ़राओ अमेनोफ़िस चतुर्थ सन १३५५ (ई.पू) इन्होने कोसला पर आक्रमण किया था महाराज प्रद्योत ने आक्रमण का सफल्तापुर्बक प्रतिरोध कर के अमेनोफ़िस पर विजय पा कर भगवा ध्वज मिश्र पर लहराया था ।
द्वितीय युद्ध-: बेबीलोन (Babylon) के असुर साम्राज्य के शासक बुरना द्वितीय १३६० (ई.पू) सिंध पर आक्रमण किया था महाराज प्रद्योत ने असुर साम्राज्य का भयंकर नाश किया था बेबीलोन पर विजय प्राप्त कर असुर साम्राज्य के असुरों को बंदी बनाया था ।
तृतीय युद्ध-: सन १३६३ (ई.पू) महाराज प्रद्योत ने ऐतिहासिक युद्ध लड़ें में एथेंस ग्रीस पर कब्ज़ा कर सेक्रोप्स द्वितीय को हराकर बन्दी बनाकर भारत लाये थे महाराजा प्रद्योत ने अफ्रीका काईरो को सेक्रोप्स से मुक्त करवाया था सेक्रोप्स ने अफ्रीका काईरो के लोगों को बंदी बनाकर पुरुषों से मजदूरी करवाते थे और उनकी औरतों को भोग की वस्तु के तरह भूखे सैनिको के बिच नग्न कर डाल देते थे इनसब से मुक्त कर एक नयी जीवन दिया था महाराज प्रद्योत ने काईरो वासियों को ।। यही होता हैं भारतीय संस्कृति की पहचान दयाभाव , मानवता के रक्षक और मानवता के दुश्मनों का संघार करनेवाला।चतुर्थ युद्ध-: अश्शूर साम्राज्य अर्थात असीरिया के दानव अशुर पुज़ूर-अशुर तृतीय सन १३६१ (ई.पू) ने त्रिकोणमलाई (वर्तमान में कवरत्ती के नाम से जाने जाते हैं) अरब महासागर पर स्थित होने की वजह से विदेशी आक्रमणकारी इसी जगह पर आक्रमण करते थे ज़्यादातर महाराज प्रद्योत ने आक्रमण का प्रतिरोध करते हुए कई पड़ोसी देशो को असुरों के अधीनता से मुक्त करवाया था पुज़ूर-अशुर के साम्राज्य के विनाश से सनातन धर्म ध्वजा असीरिया की भूमि पर लहराया एवं जैसे की हम जानते हैं सनातन धर्म मतलब स्वाधीन मानसिकता स्वाधीन सरीर सनातन धर्म केरक्षक केवल उसीको घुलाम बनाते हैं जो सनातन धर्म का विनाश चाहता हैं महाराज प्रद्योत ने कई देश जीते पर किसी देश के महिला बच्चो पर कोई अत्याचार नहीं किया उनके सम्मान एवं इज्जत की रक्षा किया आक्रमणकारियों को खदेड़ा बंदी बनाया आक्रमणकारियों को पर उनके औरत एवं बच्चो पर किसी प्रकार का अत्याचार नहीं किये ।। सनातन धर्म ध्वजा के निचे रहकर महाराज प्रद्योत द्वारा जीते गए देश के लोग भी राम-राज्य में रहने का सौभाग्य प्राप्त किये थे ।
पंचम युद्ध-: अशुर-उबाल्लित प्रथम सन १३५१ (ई.पू) विदर्भ राज्य पर ३ लाख की सेना के साथ आक्रमण कर अपने साम्राज्य पर काल को निमंत्रण दिया था महाराज सम्राट महाबली प्रद्योत ने १२००० की सेना के साथ ३ लाख आक्रमणकारियों को हराया था ।
छठा युद्ध-: थूत्मोसे द्वितीय को पराजित कर लेबानन , अरब पर भगवा परचम लहराया था ।
सप्तम युद्ध-: अशुर दुगुल को धुला छठा कर इन देशो पर (अक्कड़ इसीन लार्सा निप्पुर अदाब अक्षक) अपना साम्राज्य स्थापित किया था ।
दिग्विजयी उपाधि प्राप्त किये थे १३० देश एवं अखंड जम्बूद्वीप के नरेश थे उनके भूजाबल के सामने उनके दुश्मन भी अपनी शीश झुकाते थे विदेशी आक्रमणकारी जान बचाना सर्वप्रथम उचित समझते थे ।
संदर्भ-:
१) The text is in a private collection and was published in: Arno Poebel (1955). “Second Dynasty of Isin According to a New King-List Tablet”. Assyriological Studies. University of Chicago Press (15).
२) Babylonia, c. 1000 – 748 B.C.”. In John Boardman; I. E. S. Edwards; N. G. L. Hammond; E. Sollberger. The Cambridge Ancient History (Volume 3, Part 1).
३) Grayson, Albert Kirk (1975). Assyrian and Babylonian Chronicles. Locust Valley, N.Y.
४) Leick, Gwendolyn (2003). Mesopotamia.
५) Kerényi, Karl, The Heroes of the Greeks (1959)
लेखिका-:मनीषा सिंह

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