भारत में हो रहे चाइनीज सामानों के बहिष्कार की चर्चा अब पूरे विश्व में छाई ...
भारत में हो रहे चीनी सामान के बहिष्कार अभियान को अब विश्व भर में पहचान मिलने लगी है। अमेरिका के एक मैगजीन ने इसबारे में रिपोर्ट पब्लिश की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारतीय लोगों द्वारा चीनी सामान के बहिष्कार के कारण इस दिवाली पर चीन के कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा हैं।
रिपोर्ट में लिखा गया है कि कैसे चाइनीज लड़ियाँ आने से भारत के हजारों छोटे उद्योग ख़त्म हो गए और मिट्टी के दीये और मोमबत्ती बनाने वाले लोगों की रोजी रोटी छीन गई। इसके मुताबिक भारतीयों ने चीनी सामान का बहिष्कार इसीलिए किया क्योंकि चीन ने पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर की पाबन्दी में अड़ंगा डाला था। इससे पहले चीन ने न्यूक्लियर सप्लायर देशों के समूह में भारत के प्रवेश में रुकावट डाली थी।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत कच्चा माल चीन भेजता है और वहां से तैयार माल बनकर चौगुनी पांच गुनी कीमतों पर भारत में बिकने के लिए आता है। चीन से आने वाले सैकड़ो सामानों पर एंटी डंपिंग शुल्क लगा रखा हैं। इसके बावजूद चीन के निर्माता हर साल लाखों टन ऐसा सामान भारतीय बाजारों में डंप कर देते हैं। इसका असर पर्यावरण और देश के लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। पीएम मोदीजी 'मेक इन इंडिया' के माध्यम से चाहते है कि कंपनियां चीन की बजाय भारत में उत्पादों का निर्माण करे।
मैगजीन ने चीनी सामान के बहिष्कार की तुलना महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन से की है। इसमें बताया गया है कि गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन ने इंग्लैंड के कारोबारियों की जड़े हिला दी थी वैसे ही चीन भी भारतीयों द्वारा हो रहे बहिष्कार से हिल गया है। मैगजीन के अनुसार आम लोगों के इस बहिष्कार का कुल मिलाकर ज्यादा असर तो नहीं होगा, क्योंकि वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन का सदस्य होने के नाते दोनों देश एक दूसरे का सामान ओर एकतरफा पाबन्दी नहीं लगा सकते। स्वयं वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि देश में चीन के आयात पर पाबंदी लगाना असंभव है।
इस लेख में लिखा गया है कि, भारत में लोग अपना गुस्सा पटाखों और लड़ियों का बहिष्कार कर निकाल रहे है। लेकिन असली मुद्दा इससे कही अधिक बड़ा है। भारत के ज्यादातर कारोबारी और उद्योगपति सामानों में चीनी कलपुर्जो का इस्तेमाल करते है और इसे रोकना असंभव है क्योंकि उनका इन्ही में फ़ायदा है। लेकिन मोदी सरकार इस बात को ऐसे ही नहीं छोड़ेगी। वो राष्ट्रवाद के इसी उत्साह के दम पर देसी ब्रांड्स बनाने और औमिसे मैन्युफैक्चरिंग हब का बुनियादी ढांचा खड़ा कर रहे है जो आगामी वर्षो में चीन के लिए चुनौती बनने वाला है।
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