सर्वधर्म समभाव की वकालत करने वाली सेक्युलर जमात यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ क्यों ?
इस देश का दुर्भाग्य यह है कि यहाँ वो व्यक्ति सेक्युलर नहीं कहलाता जो कि सभी धर्मों के लोगों का शुभचिंतक हो और उनको एक नजर से देखता हो | यहाँ सेक्युलर उन ढोंगी लोगों को कहा जाता है जो कि विभिन्न मुस्लिम आयोजनों में टोपी पहन के जाते हैं लेकिन असलियत में मुसलमानों को टोपी पहनाते हैं यानि कि बेवकूफ बनाते हैं और साथ ही आये दिन हिन्दू धर्म की आस्था पर सवाल उठाते हुए हिंदुओं का अपमान करते हैं तथा हमेशा हिन्दू विरोधी नीतियों का ही समर्थन करते हैं |
उदाहरण के लिए नया किस्सा यही है कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने दशहरा पर रावण दहन के आयोजन में जय श्री राम का नारा क्या लगा दिया उनको तुरंत फिर से सांप्रदायिक कह दिया गया और जय श्री राम के नारे को चुनावी हथकंडा कह दिया गया | ये बात अलग है कि इस मामले की वजह से मोदी जी को सांप्रदायिक कहने वाले ये वही लोग हैं जो कि मुस्लिम आयोजनों में पूरी शान के साथ टोपी पहन के जाते हैं तथा आये दिन हिन्दू धर्म का अपमान करते हैं और हिंदुओं के खिलाफ काम करते हैं और ऐसा करना उनकी नजर में साम्प्रदायिकता नहीं बल्कि धर्मनिपेक्षता यानी कि सेकुलरिज्म है |
इस देश की सेक्युलर जमात हमेशा अल्पसंख्यकों को बराबर अधिकार देने की बात करती है लेकिन साथ ही यूनिफार्म सिविल कोड यानि कि सामान नागरिक संहिता का विरोध करती हैं, तीन बार तलाक कहकर मुस्लिम महिलाओं पर होने वाले अत्याचार का विरोध करने की जगह इस कानून का समर्थन करती है, हिन्दू धर्म के आयोजनों का यह कहकर विरोध करती है कि इस से मुसलमानों की भावनाएं आहत होती हैं (प. बंगाल सरकार द्वारा दुर्गा पूजा पर लगाए जाने वाले तरह तरह के अंकुश इस का ताजा उदाहरण हैं), गुजरात दंगों को दंगा मानती है लेकिन गोधरा कांड को एक ऐसी छुटपुट घटना मानती है जिसका कि किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं था, जय श्री राम बोलने को सांप्रदायिक कहती है और अल्लाह हु अकबर कहने को धर्मनिरपेक्षता, सभी मुस्लिम त्योहारों के मनाये जाने का समर्थन करती है परंतु हिन्दू धर्म के त्योहारों को क्यों नहीं मनाया जाना चाहिए उस पर ज्ञान देती है | कुल मिलकर सीधा सीधा बोलें तो इस सेक्युलर जमात की नजर में सेक्युलर उसको कहा जाता है जो कि मुसलमानों की हर सही गलत बात का समर्थन करे और हिंदुओं की हर सही गलत बात का विरोध |
सेक्युलरिस्म के ऐसे ठेकेदारों की वजह से ही आज इस देश में सेक्युलर और धर्मनिरपेक्ष शब्द गाली बन के रह गए हैं |
एक सच्चा धर्मनिरपेक्ष एवं देशभक्त होने के नाते तथा देश की एकता और अखंडता की चाहत रखने वाला व्यक्ति होने के नाते में यूनिफार्म सिविल कोड यानि कि सामान नागरिक संहिता का समर्थन करता हूँ तथा तीन बार तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार का भी विरोध करता हूँ | मुस्लिम महिलाओं को भी वो अधिकार मिलने चाहिए जो कि अन्य सभी धर्मों की महिलाओं को मिलते हैं |
इस देश का दुर्भाग्य यह है कि यहाँ वो व्यक्ति सेक्युलर नहीं कहलाता जो कि सभी धर्मों के लोगों का शुभचिंतक हो और उनको एक नजर से देखता हो | यहाँ सेक्युलर उन ढोंगी लोगों को कहा जाता है जो कि विभिन्न मुस्लिम आयोजनों में टोपी पहन के जाते हैं लेकिन असलियत में मुसलमानों को टोपी पहनाते हैं यानि कि बेवकूफ बनाते हैं और साथ ही आये दिन हिन्दू धर्म की आस्था पर सवाल उठाते हुए हिंदुओं का अपमान करते हैं तथा हमेशा हिन्दू विरोधी नीतियों का ही समर्थन करते हैं |
उदाहरण के लिए नया किस्सा यही है कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने दशहरा पर रावण दहन के आयोजन में जय श्री राम का नारा क्या लगा दिया उनको तुरंत फिर से सांप्रदायिक कह दिया गया और जय श्री राम के नारे को चुनावी हथकंडा कह दिया गया | ये बात अलग है कि इस मामले की वजह से मोदी जी को सांप्रदायिक कहने वाले ये वही लोग हैं जो कि मुस्लिम आयोजनों में पूरी शान के साथ टोपी पहन के जाते हैं तथा आये दिन हिन्दू धर्म का अपमान करते हैं और हिंदुओं के खिलाफ काम करते हैं और ऐसा करना उनकी नजर में साम्प्रदायिकता नहीं बल्कि धर्मनिपेक्षता यानी कि सेकुलरिज्म है |
इस देश की सेक्युलर जमात हमेशा अल्पसंख्यकों को बराबर अधिकार देने की बात करती है लेकिन साथ ही यूनिफार्म सिविल कोड यानि कि सामान नागरिक संहिता का विरोध करती हैं, तीन बार तलाक कहकर मुस्लिम महिलाओं पर होने वाले अत्याचार का विरोध करने की जगह इस कानून का समर्थन करती है, हिन्दू धर्म के आयोजनों का यह कहकर विरोध करती है कि इस से मुसलमानों की भावनाएं आहत होती हैं (प. बंगाल सरकार द्वारा दुर्गा पूजा पर लगाए जाने वाले तरह तरह के अंकुश इस का ताजा उदाहरण हैं), गुजरात दंगों को दंगा मानती है लेकिन गोधरा कांड को एक ऐसी छुटपुट घटना मानती है जिसका कि किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं था, जय श्री राम बोलने को सांप्रदायिक कहती है और अल्लाह हु अकबर कहने को धर्मनिरपेक्षता, सभी मुस्लिम त्योहारों के मनाये जाने का समर्थन करती है परंतु हिन्दू धर्म के त्योहारों को क्यों नहीं मनाया जाना चाहिए उस पर ज्ञान देती है | कुल मिलकर सीधा सीधा बोलें तो इस सेक्युलर जमात की नजर में सेक्युलर उसको कहा जाता है जो कि मुसलमानों की हर सही गलत बात का समर्थन करे और हिंदुओं की हर सही गलत बात का विरोध |
सेक्युलरिस्म के ऐसे ठेकेदारों की वजह से ही आज इस देश में सेक्युलर और धर्मनिरपेक्ष शब्द गाली बन के रह गए हैं |
एक सच्चा धर्मनिरपेक्ष एवं देशभक्त होने के नाते तथा देश की एकता और अखंडता की चाहत रखने वाला व्यक्ति होने के नाते में यूनिफार्म सिविल कोड यानि कि सामान नागरिक संहिता का समर्थन करता हूँ तथा तीन बार तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार का भी विरोध करता हूँ | मुस्लिम महिलाओं को भी वो अधिकार मिलने चाहिए जो कि अन्य सभी धर्मों की महिलाओं को मिलते हैं |
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