Monday 24 October 2016

शरीर के लिए अच्छा है व्रत रखना, इसी खोज के लिए जापानी वैज्ञानिक योशीनोरी ओहसुमी को मिला नोबेल ...

जिस समय जापान के जीवविज्ञानी योशीनोरी ओहसुमी को चिकित्सा या फिज़ियोलॉजी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की जा रही थी, भारत में लाखों लोग नवरात्रि का व्रत कर रहे थे. आपको लग रहा होगा कि नोबेल मिलने और व्रत करने के बीच भला क्या कनेक्शन हो सकता है? लेकिन हम आपको बता दें कि ये कनेक्शन बहुत जबरदस्त है. दरअसल, लोगों द्वारा जो व्रत रखने की प्रक्रिया है, इसी के कारण इस क्षेत्र में रिसर्च की गई और रिसर्चर वैज्ञानिक को प्रतिष्ठित नोबेल से सम्मनित किया गया.

आपने कभी Autophagy के बारे में सुना है? ऑटोफैगी का शाब्दिक अर्थ होता है 'खुद को खाना.' ये एक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर की कोशिकाएं मृत या बेकार कोशिकाओं को खाती हैं. ये प्रक्रिया बॉडी को उस समय ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करती है, जब भोजन से मिलने वाले पोषक तत्व नहीं मिलते और इससे तकनीकी तौर पर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी होती है.
दूसरे शब्दों में कहें तो यदि आप संक्षिप्त अवधि के लिए खाना बंद कर देते हैं, तो आपका शरीर काम करना नहीं बंद करता और कोशिकाएं मरी कोशिकाओं से ऊर्जा प्राप्त करती रहती हैं, जिससे आप इस ऊर्जा के बल पर अपनी दिनचर्या जारी रख सकते हैं
टोकियो प्रौद्योगिकी संस्थान के योशीनोरी ओहसुमी ने इसके लिए कई प्रयोग किए, जिससे इस बारे में ज़्यादा जानकारी मिल पाई. व्रत करने से कोशिकाओं को प्राकृतिक तरीके से बॉडी को साफ़ करने में मदद मिलती है. यानि कम समय के लिए व्रत करना या भूखे रहना बॉडी को डिटॉक्स करने में मददगार साबित होता है.
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस के प्रोफ़ेसर मार्क मैटसन बताते हैं कि व्रत करके हम ब्रेन की क्षमता में सुधार करते हैं. व्रत करना दिमाग के लिए एक चैलेन्ज की तरह होता है कि वो बॉडी को फंक्शन में रखे. इसलिए जब शरीर के भीतर की कोशिकाएं मृत कोशिकाओं को खाना शुरू करती हैं, ब्रेन और भी ज़्यादा अलर्ट हो जाता है. ये ऐसी प्रतिक्रिया करता है, जो शरीर की भोजन की अनुपस्थिति में बीमारियों से बचाती है.
मैटसन बताते हैं कि जब जीव भूखा होता है, तो उसके दिमाग की नर्व सेल्स ज़्यादा एक्टिव हो जाती हैं. वो बताते है कि किस तरह से बॉडी भोजन से मिली ऊर्जा को ग्लाइकोजन के रूप में लिवर में स्टोर करती है. लगातार भोजन करने से (दिन में तीन बार) बॉडी ग्लाइकोजन को स्टोर करती रहती है और व्रत न रखने पर इसे खर्च करने का मौका शरीर को नहीं मिलता.

बहुत से लोग इस स्टोर की हुई ऊर्जा को खर्च करने के लिए एक्सरसाइज़ करते हैं, लेकिन बहुत से लोग नहीं करते. इसके लिए बेस्ट तरीका है कि नियमित अवधि में व्रत रखा जाए.

मैटसन समझाते हैं कि दिन में तीन बार भोजन करने के बाद अगर आप एक्सरसाइज़ करते हैं, तो उससे कहीं ज़्यादा फायदेमंद है व्रत कर लेना. कुल मिलाकर एक नियमित अंतराल पर भोजन न करने के बेहतरीन फायदे हैं. दुनिया को ये बताने के लिए योशीनोरी ओहसुमी का शुक्रिया

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