हमारे देश में धर्म चाहे जो भी हो, उसका महत्व बहुत ज़्यादा होता है. खास कर हिन्दू धर्म में तो हर मंदिर के साथ कोई न कोई कहानी जुड़ी होती है. अकसर उनके चर्चे सुने और पढ़े जाते रहे हैं. हमारे देश के मंदिरों की बात ही कुछ निराली है, तभी तो हर मंदिर अपने आप में प्रसिद्ध है. आज हम बात करेंगे देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में. हम आपको बताएंगे कि देश के ये नामी-गिरामी मंदिर क्यों हैं प्रसिद्ध और क्या है उनके पीछे की प्रचलित कहानियां?
भारत के प्रसिद्ध मंदिरों के चमत्कार और प्रसिद्धि ...
1. तिरुपति बालाजी ...इस मंदिर की गिनती विश्व के सबसे अमीर मंदिरों में होती है. माना जाता है कि भगवान तिरुपति यहां अपनी पत्नी पद्मावती के साथ रहते हैं. इसलिए सच्चे दिल से मांगने पर यहां सब कुछ मिल जाता है. जिनकी मुराद पूरी होती है, वो अपने बाल यहां चढ़ाता है. ऐसा माना जाता है कि एक बार बालाजी ने अपनी बेटी के विवाह के लिए धन देवता कुबेर से बहुत सारा धन उधार लिया था. तब से ये मंदिर बस नकद चढ़ावा स्वीकार करता है.
2. कामख्या मंदिर ...माता के सभी शक्तिपीठों में से कामख्या मंदिर को सर्वोत्तम माना जाता है. ये असम के गुवाहाटी से थोड़ी दूर नीलांचल की पहाड़ियों पर स्थित है. इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि ये वो जगह है, जहां मां सती की योनी गिरी थी. साल में 3 दिन इससे रक्तस्राव होता है, मासिक धर्म की तरह. यहां आने वालों को प्रसाद के रूप में सफ़ेद कपड़ा मिलता है.
3. काशी विश्वनाथ मंदिर ...काशी नगरी, जो भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी है, वहां भगवान शिव के दो मंदिर हैं. ऐसा कहा जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में इसका नौंवा स्थान है. ग्रह और काल के चक्र से मुक्ति पाने के लिए लोग यहां जाते हैं. लोग ऐसा भी मानते हैं कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या करके आशुतोष को प्रसन्न किया था और फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होंने सारे संसार की रचना की.
4. केदारनाथ मंदिर ...देश के सबसे पूज्य माने जाने वाले शिव मंदिरों में से एक है- केदारनाथ मंदिर. सदियों पुरानी चार धाम की यात्रा में केदारनाथ को एक प्रमुख तीर्थ के रूप में माना जाता है. पौराणिक कथा कहती है कि शिव और पार्वती यहां रहते थे और वे केदार की तरफ कभी-कभार आया करते थे. इसी झील के किनारे गणपति का सृजन हुआ था. यह वही स्थान है जहां पहली बार आदि योगी शिव ने खुद को आदि गुरु में रूपांतरित करके अपनी योगिक विद्या को सप्तऋषियों को देना शुरू किया. उत्तराखंड प्रलय के दौरान भी सुरक्षित रहकर ये मंदिर अपनी सिद्धता साबित कर चुका है.
5. मीनाक्षी अम्मान मंदिर ...ये ऐतिहासिक मंदिर मदुरई शहर के वैगई नदी के तट पर स्थित है. ये मंदिर पार्वती को समर्पित है और इस मंदिर में भगवान शिव का नया रूप देखने को मिलता है, जिसे सुन्देश्वर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर के पीछे बहुत सी मान्यताएं हैं, जिसमें से सबसे मुख्य ये है कि इंद्र ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यही उनकी लिंग को स्थापित कर पूजा की थी. इसके साथ और एक मान्यता है कि ये जगह भगवान शिव और पार्वती के विवाह का गवाह रहा है. इसकी दीवारों पर आज भी वो शिलालेख खुदा हुआ है.
चूंकि ये मंदिर मदुरई शहर के बीचो-बीच है, इसलिए इसे इस शहर का दिल भी कहा जाता है.
6. पुरी जगन्नाथ मंदिर ...हिन्दू धर्म के चार धामों में इसका भी एक स्थान है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु यहां अपने परिवार के साथ निवास करते हैं. यहां की वार्षिक रथ यात्रा बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर के कई चमत्कारों के बारे में अकसर सुनने को मिलता है, जैसे मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है. मंदिर के शिखर के ऊपर कोई पंछी नहीं उड़ता और न ही हवाई जहाज़ उड़ता है. मंदिर में कितने भी श्रद्धालु आ जाएं, पर प्रसाद कम नहीं होता. लेकिन मंदिर के द्वार बंद होते ही प्रसाद खत्म हो जाता है. इस जगह को ही धरती पर वैकुंठ कहा जाता है. ये देश की पवित्र जगहों में से एक है.
7. वैष्णो देवी मंदिर ...जम्मू कश्मीर में स्थित ये मंदिर कटरा की पहाड़ी से लगभग 14 किलोमीटर ऊपर की चोटी पर विराजमान है. यहां सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता है. माना जाता है कि मां दुर्गा ने भैरवनाथ नाम के असुर से बचने के लिए यहां तपस्या की थी, इसलिए इस जगह पर उनका मंदिर है. गुफा में जाते वक़्त उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा था, वहां उनकी चरन पादुकायें भी देखी जा सकती हैं. इस दौरान हनुमान जी भी उनके साथ ही थे. उनकी प्यास को मिटाने के लिए देवी दुर्गा ने बाण से पहाड़ काट कर एक जलधारा बहाई थी, जिसे आज भी बाण-गंगा के नाम से जाना जाता है. कहते हैं यहां जाना बहुत कठिन है, पर एक बार चले जाने पर जीवन सफल हो जाता है.
8. बद्रीनाथ मंदिर ...शंकराचार्य द्वारा स्थापित ये जगह चार धामों में से एक है. ये मंदिर हिमालय पर्वत की Foot Hills पर बनाया गया है. इस मंदिर में एक अखंड दीप है, जो पिछले कई सालों से प्रज्वल्लित है. इस मंदिर के साथ ही अलकनंदा नदी बहती है, पर ठंड के कारण वो जम जाती है, इसलिए उसमें नहा पाना मुश्किल होता है. इस मंदिर के साथ कई लोक कथाएं चर्चित हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु को तपस्या करते समय सुरक्षित रखने के लिए देवी लक्ष्मी ने बद्री वृक्ष का रूप लिया था. तब से भगवान विष्णु के कहने पर इस जगह का नाम बद्रीनाथ पड़ गया.
ऐसा माना जाता है कि जो भी यहां आता है, उसे जीवन और मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. जहां भगवान बद्रीनाथ ने तप किया था, वो पवित्र-स्थल आज तप्त-कुण्ड के नाम से विश्व-विख्यात है और आज भी उस कुण्ड में हर मौसम में गर्म पानी उपलब्ध रहता है.
9. सिद्धि विनायक मंदिर ...मुंबई के प्रभादेवी में स्थित श्री सिद्धिविनायक मंदिर देश के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक है. यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है. सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 1801 में विट्ठु और देउबाई पाटिल ने किया था. इस मंदिर में गणपति का दर्शन करने सभी धर्म और जाति के लोग आते हैं. इस मंदिर के अंदर एक छोटे मंडप में भगवान गणेश के सिद्धिविनायक रूप की प्रतिमा स्थापित की गई है. मंदिर के अंदर की छतें सोने की परतों से सुसज्ज्ति हैं. लकड़ी के दरवाजों पर महीन शिल्पकारी सबका मन मोह लेती है. इस मंदिर में रोजा़ना श्रद्धालु आते हैं, लेकिन मंगलवार के दिन यहां बहुत भीड़ होती है. इस मंदिर की वार्षिक आय 46 करोड़ रुपए है. ये महाराष्ट्र का दूसरा सबसे अमीर मंदिर है.
10. सोमनाथ मंदिर ...ये मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग है. इस मंदिर का उल्लेख ऋगवेद में भी मिलता है. सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है. मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है. लोककथाओं के अनुसार, श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर अपना देहत्याग किया था, तो इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ़ गया. ऐसी भी मान्यता है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे, तब ही शिकारी ने हिरण की आंख जानकर धोखे में उनके पैर में तीर मारा था. तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया. इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है.
11. सबरीमाला मंदिर ...अय्यप्पा स्वामी मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है. दक्षिण भारत के राज्य केरल में सबरीमाला में अय्यप्पा स्वामी मंदिर है. इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह-रह कर एक ज्योति दिखती है. इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं. बताया जाता है कि जब ये रोशनी दिखती है, तब इसके साथ शोर भी सुनाई देता है. भक्तों की मानें तो ये मकर ज्योति है. मंदिर प्रबंधन के पुजारियों के मुताबिक, मकर माह के पहले दिन आकाश में दिखने वाला एक खास तारा मकर ज्योति है.
12. अमरनाथ गुफा मंदिर ...कश्मीर में श्रीनगर से करीब 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, हिन्दूओं का पवित्र तीर्थस्थल 'अमरनाथ धाम'. यहां समुद्रतल से 13 हजार 600 फुट की दूरी पर बसी है पवित्र गुफा, जिसमें भगवान भोलेनाथ देवी पार्वती के साथ विराजमान रहते हैं. पुराणों के अनुसार, यही वह स्थान है, जहां भगवान शिव ने पहली बार अमरत्व का रहस्य प्रकट किया था. यहां की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है. आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है, जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए.
13. रामेश्वरम मंदिर ...रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग सनातन धर्म का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है. यह सनातन धर्म के चार धामों में से एक धाम है. यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम ज़िले में स्थित है. भारत के उत्तर में काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम की है. रामेश्वरम चेन्नई से लगभग सवा चार सौ मील दक्षिण-पूर्व में है. यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर शंख के आकार का द्वीप है.
यहां भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व पत्थरों के सेतु का निर्माण करवाया था, जिसपर चढ़कर वानर सेना लंका पहुंची और विजय पाई. बाद में राम ने विभीषण के अनुरोध पर धनुषकोटि नामक स्थान पर यह सेतु तोड़ दिया था. आज भी इस 30 मील (48 किमी) लंबे सेतु के अवशेष सागर में दिखाई देते हैं.
14. सूर्य मंदिर ...कोणार्क का सूर्य मंदिर (जिसे अंग्रेज़ी में ब्लैक पगोडा भी कहा गया है), भारत के उड़ीसा राज्य के पुरी जिले में स्थित है. संपूर्ण मंदिर को बारह जोड़ी चक्रों वाले सूर्य देव के रथ के रूप में बनाया गया है. मंदिर अपनी कामुक मुद्राओं वाली शिल्पाकृतियों के लिये भी प्रसिद्ध है. कोणार्क का सूर्य मंदिर कामुकता को एक नयी परिभाषा देता है. यहां बनी मूर्तियों में बड़ी ही खूबसूरती के साथ काम को दर्शाया गया है. कोणार्क के बारे में एक मिथक और भी है कि यहां आज भी नर्तकियों की आत्माएं आती हैं. अगर कोणार्क के पुराने लोगों की माने तो आज भी यहां आपको शाम में उन नर्तकियों के पायलों की झंकार सुनाई देगी, जो कभी यहां के राजा के दरबार में नृत्य करती थी. यहां मौजूद चुंबक पर भी कई रहस्य हैं. कई कथाओं के अनुसार, सूर्य मंदिर के शिखर पर एक चुम्बक पत्थर लगा है. इसके प्रभाव से, कोणार्क के समुद्र से गुजरने वाले सागरपोत, इस ओर खींचे चले आते है, जिससे उन्हें भारी क्षति हो जाती है.
15. ब्रह्मा मंदिर ...ब्रह्मा मंदिर राजस्थान के प्रसिद्ध शहर अजमेर में पुष्कर झील के किनारे पर स्थित है. यह भारत के उन कुछ गिने-चुने मंदिरों में से एक है, जो हिन्दूओं के भगवान ब्रह्मा को समर्पित हैं. हिन्दू लोक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में 'यजन्या' (अग्नि) की पूजा करने की प्रतिज्ञा की थी. पुष्कर में ब्रह्मा जी का यह मंदिर मूल रूप से 14वीं सदी में बनाया गया था. इस प्रसिद्ध मंदिर में राजसी छवि वाले कमल पर विराजमान ब्रह्मा जी की चार मुख वाली मूर्ति स्थापित है, जिसके बाएं तरफ़ उनकी युवा पत्नी गायत्री और दाएं तरफ़ सावित्री बैठी हैं.
16. दक्षिणेश्वर मंदिर ...दक्षिणेश्वर काली मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में, देवी काली को समर्पित मंदिर है. ये मंदिर हुगली नदी तट पर बेलूर मठ के दूसरी तरफ स्थित है. अनुश्रुतियों के अनुसार, इस मंदिर समूह में भगवान शिव के कई मंदिर थे, जिसमें से अब केवल 12 मंदिर बचे हुए हैं. बेलूर मठ तथा दक्षिणेश्वर मंदिर बंगालियों के आध्यात्म का प्रमुख केंद्र है. विवेकानंद जी के गुरु रामकृष्ण परमहंस का इस मंदिर से नाता है.
इस मंदिर में देश के कोने-कोने से लोग आते हैं. लंबी-लंबी कतारों में घंटो खड़े होकर देवी मां काली के दर्शन का इंतज़ार करते हैं. कहते हैं कि दक्षिणेश्वर काली मंदिर में रामकृष्ण परमहंस को दक्षिणेश्वर काली ने दर्शन दिए थे.
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