'अल्पसंख्यक आतंकवाद' फैला रही है यूपी सरकार : नवभारत टाइम्स (Oct 1, 2013)
बीजेपी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार पर सूबे में 'सरकारी अल्पसंख्यक आतंकवाद' फैलाने का आरोप लगाया। बीजेपी का कहना है कि यह सरकार अपनी हरकतों से जनता के सामने पूरी तरह से बेनकाब हो गई है।
बीजेपी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने यहां कहा कि राज्य की एसपी सरकार जहां 'सद्भावना सप्ताह' मना रही है, वहीं वह दंगे के आरोपियों को राज्य अतिथि बनाकर और निर्दोष लोगों को फंसाकर सद्भाव को खत्म भी कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे के बाद 'डैमेज कंट्रोल' के तहत उस मौलाना नजीर के नेतृत्व में उलमा का प्रतिनिधिमंडल बुलाया, जिसके खिलाफ मुजफ्फरनगर के जानसठ थाने में दंगा कराने समेत कई आरोपों में मुकदमा दर्ज है। नजीर को राज्य अतिथि का दर्जा तक दे दिया गया। बाजपेयी ने कहा कि ऐसी ही धाराएं मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में अभियुक्त बनाए गए बीजेपी के विधायकों पर भी लगी हैं, ऐसे में उनकी पार्टी के नेताओं को क्यों गिरफ्तार किया गया और नजीर जैसे लोगों को राज्य अतिथि क्यों बनाया गया? पार्टी की मांग है कि सरकार इस पर 24 घंटे के अंदर जवाब दे। उन्होंने अखिलेश सरकार पर 'सरकारी अल्पसंख्यक आतंकवाद' फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक वर्ग विशेष के अधिकारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है।
बाजपेयी ने एक न्यूज चैनल की ओर से मुजफ्फरनगर दंगों के सिलसिले में किए गए स्टिंग ऑपरेशन को गलत बताने वाली जांच रिपोर्ट को भारतीय प्रेस परिषद के पास नहीं भेजे जाने पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि इन सबसे सरकार बेनकाब हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी सरकार दंगों के मामले में अब भी एकतरफा कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार बीएसपी सांसद कादिर राणा और कांग्रेस नेता सईदुज्जमां को सिर्फ इसलिये गिरफ्तारी नहीं करेगी क्योंकि वे एक धर्म विशेष से ताल्लुक रखते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार जहां बीजेपी विधायकों और बहुसंख्यक तबके के लोगों को फंसा रही है, वहीं मुजफ्फरनगर दंगों की जड़ बने कवाल कांड में मारे गये सचिन और गौरव नामक युवकों के हत्यारों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया। बीजेपी नेता ने मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर उच्चतम न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल या सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। साथ ही कहा कि दंगा मामले में जो भी दोषी हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
दंगों के मामले में गिरफ्तार व राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत निरुद्ध बीजेपी विधायक संगीत सोम के खिलाफ कार्रवाई वापस लेने की मांग के समर्थन में 29 सितंबर को मेरठ के खेड़ा गांव में आयोजित महापंचायत के बारे में बाजपेयी ने कहा कि आयोजकों ने महापंचायत स्थगित करने का निर्णय लेकर गलती की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार लखनऊ और प्रदेश के जिलों में सभी दलों की बैठक बुलाकर उपाय करती तो टकराव को रोका जा सकता था।
(कुलदीप शर्मा)
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