Saturday, 1 February 2014

सत्ता में आये तो दूसरी “श्वेत क्रांति” शुरू करेंगे और भारत में हर घर में भारत की ही देशी दुधारू नस्लों को पहुचाया जायेगा : नरेन्द्र मोदी 

भारत की गीर गाय के नाम 65 लिटर दूध देने का रिकार्ड है.
हमें गाय नहीं सांड चाहिए.....हस दिए न.....ऐसे ही आगे की पीढ़ी हमपे हसेगी......
भारत में 18 करोड़ गाय है जिनमे 13 करोड़ गाये बच्चा देने लायक है और इनमे से करीब 70 % देशी नस्ल की गाये कम दुध् देने वाली नस्ल है. जिनको उन्नत नस्ल बनाने के लिए दूध की खान "गीर" गायो के सांडों से "क्रास" कराना चाहिए और लोग कर भी रहे हैं परन्तु गीर नस्ल के सांडों की बेहद कमी हो गयी है जिसके लिए हमारी मुर्खता जिम्मेदार है. हम गायो की फिकर करते हैं लेकिन सांडों के बारे में सोचते ही नहीं....एडवांस हो चुके हैं..नंदी की कदर क्या जाने..

उधर सिर्फ 5000 के करीब गीर गाय पुरे भारत में बची है जो शुद्ध है परन्तु इनके सांडो की संख्या 300 से भी कम है क्योकि हम एडवांस हो चुके हैं, हमें सिर्फ गाय का थन ही दिखता है.

अब आप सोचिये.....13 करोड़ गायो को यदि हम गीर नस्ल से ज्यादा दूध देने वाली और बीमार न होने वाली दुमरेजी गाय बनाना भी चाहे तो 13 करोड़ गाय और 300 सांड यानी एक सांड के पीछे (13,00,00,000/300 = 4,33,333 गाये ) 4 लाख से ज्यादा गाये आयेंगे जो असंभव है. यह आंकडा थोड़ा सा कम ज्यादा हो सकता है लेकिन गलत नहीं है. सांडो की इतनी कमी के पीछे बहुत सारी साजिस भी है.

थोड़ा सा पैसा कमाने के चक्कर में खुद कुछ हिन्दू भी छुट्टा सांडो को चोरी चोरी क़त्ल खानों को बेच रहे हैं. यदि हर १० गाव में एक गीर छुट्टा सांड पाल दिया जाये तो भारत में दूध की नदी फिर से बहेगी.

मोदी ने गोशाला के मुद्दे पर बाबा रामदेव जी को काफी कुछ वादा किया है. गीर गायो के गावो में आने के बाद लोग भैस पालना कम कर देंगे और गाव "गाय-मय" हो जायेंगे. गायो के अपने अलग फायदे होते हैं.


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