Thursday 1 May 2014

अनैतिक और अवैध सम्बन्ध क्या अब हमारे समाज में स्वीकारोक्ति की ओर बढ़ रहे हैं !


अनैतिक और अवैध सम्बन्ध क्या अब हमारे समाज में स्वीकारोक्ति की ओर बढ़ रहे हैं ! विवाह पूर्व शारीरिक सम्बन्ध, समलेंगिक सम्बन्धों को कानूनी मान्यता के लिए दी जा रही दलीलें, फ़टाफ़ट तलाक के लिए क़ानून में संशोधन आदि कुछ ऐसी बातें हैं जो हमारी नैतिकता को छिन्न-भिन्न करने का एक सोचा-समझा षड्यंत्र है !
"अपने आदर्श बदलो-आदतें बदल जायेगी" इस बात पर विचार करें तो आज हमारी पीढ़ी के आदर्श कौन हैं ! घर की दीवारों, मोबाईल स्क्रीन और कापी-पुस्तकों पर किनके चित्र हैं ! जिस तरह के टी वी सीरीयल दिखाए जा रहे हैं, उसमे अवैध सम्बन्धों की भरमार है और उसे गलत भी नहीं माना जा रहा ! कार्टून नेटवर्क चैनलों पर जो केवल बच्चों के लिए होते हैं, उसमे सेक्सुअल विज्ञापन दिखाना धूर्तता की पराकाष्ठा है !
क्रिकेट और फिल्मों के नायक और नायिकाएँ कोक-पेप्सी का जहर, झूठे बाडी स्प्रे और और लगभग नंगे होकर अंडरवियर-बनियान बैच रहे हैं ! और दिन-रात यही चल रहा है, इसको देखकर किस बच्चे में परिवार, समाज और देश के प्रति प्रेम जाग्रत होगा !
इसलिए २०-२५ बरस पहले शुरू हुए इन षड्यंत्रों के साये में एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण हो चुका है जिन्हें ‪#‎दिग्विजय_अमृता‬ प्रकरण में कुछ भी लज्जाहीन नजर नहीं आता !
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यही तो चाहते थे गोरे अंग्रेज...! वो नींव रख गए थे, उन्ही के द्वारा पाले गए काले अंग्रेजों ने उस पर पाश्चात्य माडल के अनैतिक और अवैध निर्माण शिक्षा और प्रसार माध्यमों के द्वारा खड़े कर दिए ! इसलिए आज के सुधी नागरिकों के लिए दो चुनौतियां है ! एक, आज की आपाधापी में अपने बच्चों तथा परिवार के साथ पर्याप्त समय बिताना तथा दूसरा भिन्न-भिन्न माध्यमों द्वारा चल रहे सांस्कृतिक प्रदूषण को जितना हो सके निन्दित करना !

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