Thursday, 24 July 2014

किसान के ज्ञान को विज्ञान का सलाम

न रसायनिक खाद, न कीटनाशक, न बरसात का इंतजार, फिर भी फसल में विज्ञान सरीखा कमाल। टमाटर के पौधे 15 फीट तक ऊंचे और उत्पादन प्रति बीघा 100 क्विंटल। ऐसी खेती देख दक्षिण पूर्व एशियाई देश फिलीपींस के कृषि वैज्ञानिक भी अचरज में पड़ गए। उन्होंने दुनिया में ऐसी खेती न होने का दावा किया। इसके बाद उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के इस किसान के ज्ञान को विज्ञान ने भी सलाम किया और पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय ने सराहा।

रामपुर जिले के बेनजीर गांव निवासी वीरेंद्र सिंह संधु ने अर्थशास्त्र में परास्नातक कर 15 साल पूर्व जैविक खेती का निर्णय लिया। वे खेतों में सिर्फ जैविक खाद डालते हैं और कीटनाशक दवाओं का भी इस्तेमाल नहीं किया। संधु 12 एकड़ के फार्म में धान, मैंथा, मटर, टमाटर, खीरा, गेहूं व धनिया उगाते हैं। फसलों की सिंचाई के लिए रिजर्वायर बना रखा है। बिजली आने पर इसमें पानी भरते हैं। रिजर्वायर से कुछ ऊंचाई पर गाय, भैंस, बछड़े बंधे रहते हैं। उनका गोबर व मूत्र वेयर में आता है, जो पानी में मिलता है और सिंचाई के जरिये फसलों में पहुंचता है। कीटों को मारने के लिए वह बायो कंट्रोल सिस्टम अपनाते हैं। उन्होंने यहीं पर आठ बीघा जमीन पर पोलीहाउस बना रखा है, जो ऊपर से ढका है। इसमें टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा आदि की खेती करते हैं।

इसकी तकनीक सीखने के लिए वह इजराइल गए थे। टमाटर की फसल की ऊंचाई 15 फीट तक है, जिस पर नीचे से ऊपर तक टमाटर लदे हैं। प्रति बीघा सौ क्विंटल टमाटर व 50 क्विंटल खीरा उत्पादन का रिकॉर्ड उनके पास है। वह इनका बीज हॉलैंड से लेकर आए थे। पोलीहाउस में कृत्रिम बारिश करने के साथ दस डिग्री तक तापमान घटाने और बढ़ाने की व्यवस्था है। संधु को मेरठ व पंतनगर के कृषि विश्वविद्यालय अक्सर लेक्चर के लिए बुलाते हैं। वहां से प्रोफेसर, कृषि विशेषज्ञ भी फॉर्म पर आते हैं। बताते हैं कि फिलीपींस के इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट के हेड डॉ. खुश फार्म पर आए थे।

बहानो की अर्थी या सफलता का जनाजा


1 - मुझे उचित शिक्षा लेने का
अवसर नही मिला |
उचित शिक्षा का अवसर 
फोर्ड मोटर्स के मालिक हेनरी फोर्ड
को भी नही मिला |
2- बचपन मे ही मेरे पिता का
देहाँत हो गया था |
प्रख्यात संगीतकार ए.आर.रहमान
के पिता का भी देहांत बचपन मे
हो गया था |
3 - मै अत्यंत गरीब घर से हू |
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी
गरीब घर से थे |
4- बचपन से ही अस्वस्थ था |
आँस्कर विजेता अभिनेत्री
मरली मेटलिन भी बचपन से
बहरी व अस्वस्थ थी |
5 -मैने साइकिल पर घूमकर
आधी जिंदगी गुजारी है ।
निरमा के करसन भाई पटेल ने
भी साइकिल पर निरमा बेचकर
आधी जिन्दगी गुजारी |
6- एक दुर्घटना मे अपाहिज
होने के बाद मेरी हिम्मत
चली गयी |
प्रख्यात नृत्यांगना सुधा चन्द्रन के
पैर नकली है |
7 - मुझे बचपन से मंद बुद्धि
कहा जाता है |
थामस अल्वा एडीसन को भी
बचपन से मंदबुद्धि कहा जाता था |
8 - मै इतनी बार हार चूका अब
हिम्मत नही |
अब्राहम लिंकन 15 बार चुनाव
हारने के बाद राष्ट्रपति बने |
9 - मुझे बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पङी |
लता मंगेशकर को भी बचपन से परिवार की जिम्मेदारी
उठानी पङी थी |
10 - मेरी लंबाई बहुत कम है | सचिन तेंदुलकर की भी लंबाई
कम है |
11 - मै एक छोटी सी नौकरी
करता हू इससे क्या होगा |
धीरु अंबानी भी छोटी नौकरी
करते थे ।
12 - मेरी कम्पनी एक बार दिवालिया
हो चुकी है ,अब मुझ पर कौन भरोसा करेगा |
दुनिया की सबसे बङी शीतल पेय निर्माता पेप्सी कोला भी
दो बार दिवालिया हो चुकी है |
13 - मेरा दो बार नर्वस ब्रेकडाउन हो चुका है ,
अब क्या कर पाऊगा ?
डिज्नीलैंड बनाने के पहले
वाल्ट डिज्नी का तीन बार
नर्वस ब्रेकडाउन हुआ था |
14 - मेरी उम्र बहुत ज्यादा है |
विश्व प्रसिद्ध केंटुकी फ्राइड के
मालिक ने 60 साल की उम्र मे
पहला रेस्तरा खोला था |
15 -मेरे पास बहुमूल्य आइडिया
है पर लोग अस्वीकार कर देते है | जेराँक्स फोटो कापी मशीन के
आइडिये को भी ढेरो कंपनियो ने अस्वीकार किया था पर आज
परिणाम सामने है |
16 - मेरे पास धन नही |
इन्फोसिस के पूर्व चेयरमैन
नारायणमूर्ति के पास भी धन
नही था उन्हे अपनी पत्नी के
गहने बेचने पङे |
17 - मुझे ढेरो बिमारिया है |
वर्जिन एयरलाइंस के प्रमुख भी अनेको बीमारियो मे थे |
राष्ट्रपति रुजवेल्ट के दोनो पैर
काम नही करते थे .......
कुछ लोग कहेगे कि यह जरुरी नही
कि जो प्रतिभा इन महानायको मे
थी , वह हम मे भी हो ________ सहमत हू मै लेकिन यह भी जरुरी नही कि जो प्रतिभा आपके अंदर है
वह इन महानायको मे भी हो |||||||
सार यह है कि
"" आज आप जहा भी है या कल जहाँ भी होगे इसके लिए आप
किसी और को जिम्मेदार नही
ठहरा सकते , इसलिए
आज चुनाव करिये
" सफलता और सपने चाहिए या खोखले बहाने .......?

यदि सफलता चाहिए तो:



किसी शहर में मोहन नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था , साथ ही वह लोगों की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहता था। पर बावजूद इन गुणों के उसे जीवन में सफलता नहीं मिल पा रही थी। 

वह जो सपनो का घर भी पाना चाहता उसके लिए खूब मेहनत करता , पर अंततः उसे नहीं पा पाता। जीवन यूँ ही बीतता गया और अंत में एक दिन उसकी मृत्यु हो गयी।

चूँकि मोहन ने अच्छे कर्म किये थे ,इसलिए मृत्यु के बाद देवदूत उसे स्वर्ग ले गए।

स्वर्ग पहुँचते ही मोहन की आँखें खुली की खुली रह गयी , उसने कभी इतनी सुन्दर और भव्य जगह की कल्पना भी नहीं की थी। उसने कौतूहलवश पुछा , ” क्या अब मुझे इसी जगह रहने को मिलेगा। “

“हाँ “, देवदूत ने जवाब दिया।

यह सुनकर मोहन गदगद हो गया।

” चलिए मैं आपको आपके निवास तक ले चलता हूँ !” , देवदूत ने अपने पीछे आने का इशारा करते हुए कहा।

थोड़ी दूर चलने पर एक शानदार घर आया , जिसके बाहर मोहन का नाम लिखा था।

देवदूत मोहन को घर दिखाने लगा, ” ये आपका शयन कक्ष है , यह दूसरा कक्ष आपके मनोरंजन के लिए है , और ऐसा करते-करते वे एक ऐसे कक्ष के सामने पहुंचे जिसके द्वार पर ” स्वप्न कक्ष ” लिखा था।

अंदर प्रवेश करते ही मोहन स्तब्ध रह गया , वहां ढेर सारी चीजों के छोटे-छोटे प्रतिरूप रखे थे। और ये वही चीजें थी जिन्हे पाने की कभी उसने कल्पना की थी।

मोहन ने उन चीजों की तरफ इशारा करते हुए कहा, ” हे देवदूत ! ये तमाम वस्तुएं, ये कार, ये घर, ये आईएएस अधिकारी का पद, इत्यादि। …ये तो वही हैं जिन्हे मैंने पाने की ना सिर्फ कल्पना की थी बल्कि इनके लिए खूब मेहनत भी की थी। तो भला ये सब मुझे वहां धरती पर क्यों नहीं मिलीं ? और यहाँ पर इनके इन छोटे-छोटे प्रतिरूपों के रखे होना का क्या अर्थ है ?”

देवदूत बोला , ” हर व्यक्ति अपने जीवन में ढेर सारी इच्छाएं रखता है। पर वह कुछ ही इच्छाओं को पूर्ण करने के बारे में गंभीरता से सोचता है और फिर उसके लिए मेहनत करता है। ईश्वर और ये सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड उन सपनो को पूरा करने में उसकी मदद भी करते हैं , पर कई बार इंसान सपनो के पूर्ण होने से ठीक पहले ही अपना प्रयास बंद कर देता है। यहाँ रखी वस्तुएं उन्ही इच्छाओं को दर्शाती हैं जिनके लिए तुमने खूब मेहनत की और जब वे तुम्हे दी जाने वाली ही थीं कि तभी तुम हिम्मत हार गए और वे यहीं रखी रह गयीं। “

Friends, सफल व्यक्तियों का एक बहुत बड़ा गुण होता है persistence या दृढ़ता। वे जो पाना चाहते हैं उसके लिए दृढ होते हैं , वे भले ही उसे पाने के प्रयास में बार-बार विफल होते रहें पर वे तब तक नहीं रुकते जबतक की उसे पा नहीं लेते। इसलिए अगर आपने भी अपने लिए कोई लक्ष्य बना रखे हुए हैं तो तमाम मुश्किलों के बावजूद उन लक्ष्यों को अधूरा मत छोड़िये। … याद रखिये कहीं न कहीं आपके सपनो के प्रतिरूप भी तैयार किये जा रहे हैं …..उन्हें सपना ही मत रहने दीजिये ….अपने सपनो का पीछा करते रहिये … और उन्हें अपने जीवन की हक़ीक़त बनाकर ही दम लीजिये

Monday, 21 July 2014



 ॐ शब्द की खोज नासा द्वारा ----
नासा ने वोएजर के नाम से अपना एक मिशन अंतरिक्ष में रवाना किया था जिसका एक उद्देश्य उसके
पूरे सफ़र के दौरान सुनाई देनेवाली ब्रह्मांडीय आवाजों को रिकॉर्ड करके उनका विश्लेषण
करना भी था. वोयेज़र यान से प्राप्त हुई साउंड रिकॉर्डिंग्स को तीन वर्षों तक अध्ययन करने के बाद नासा ने ब्रह्माण्ड में व्याप्त रहस्यमयी आवाजों का विश्लेषण प्रस्तुत किया. हम लोग केवल 20 to 20,000
हर्ट्ज़ की ध्वनि को ही सुनने की क्षमता रखते है. इस फ्रीक्वेंसी से कही ऊपर की ब्राह्मांड में
व्याप्त ध्वनि को डिकोड करने पर नासा को जो ध्वनि सुनाई दी, वो थी ..... ॐ ...नासा द्वारा इसे The Sound of Sun
(search in google-> Nasa aum) (search inyoutube->aum sun) अर्थात सूर्य की आवाज़ का नाम दिया गया है, और अब वो इस बात का रहस्य जानने को व्याकुल हैं कि आखिर हिन्दू धर्म में
ॐ के शब्द का प्रादुर्भाव कहाँ से हुआ.. ?? वो भी ईसा के जन्म से भी हज़ारों वर्ष पहले !
ॐ भारतीय संस्कृति औरभारतीय ज्ञान को जानो वरना भविष्य में आपकी आने वाली पीढ़ी को स्कूलो मे ये पढ़ाया जायेगा संस्कृत कि उत्पति यूरोप में हुई भगवत गीता का उपदेश भगवान कृष्ण ने यूरोप में दिया वेदो का ज्ञान यूरोप के पास था और नई पीढ़ी ये मान भी लेगी . कृपया इसे शेयर जरुर करे मित्रों ,, क्युकी हिन्दुओ को अभी अपने धर्म की ताकत
का कोई अंदाजा ही नही है । 

इजराइल में हो रहे संग्राम का सच

 इजराइल में हो रहे संग्राम का सच 
"यहूदी लोगों का इतिहास 5700 वर्ष पुराना है. (वर्तमान हिब्रू कैलेंडर वर्ष 5774 है). अब्राहम इसहाक और याकूब के पिता थेए और याकूब पहले यहूदी थे. याकूब से ही B'nei Yisrael कहे जाने वाले इस्राएल के लोगों या इज़रायल के बच्चों का उदय हुआ. वास्तव में यहूदी धर्म को ठीक उसी तरह अरब का बुनियादी मूल धर्म/सभ्यता माना जा सकता है जैसे सनातन धर्म (या हिन्दुओं) भारत का मूल धर्म/सभ्यता है. इसके अलावा, हिंदुओं की एकमात्र मातृभूमि भारतवर्ष की ही तरह, यहूदियों की भी इज़रायल के अतिरिक्‍त कोई अन्य मातृभूमि नहीं है. 
सदियों तक यहूदी कसदियों, यूनानी रोमनों आदि जैसे विभिन्न समूहों/देशों द्वारा अनवरत् किए गए उत्पीड़न और कठिनाइयों का सामना करते हुए इज़रायल का एक राष्ट्र के रूप में अस्तित्व बचाने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे और 3000 से भी अधिक वर्षों तक इस देश ने एक राष्ट्र के रूप में अपनी उपस्थिति बनाए रखी, हालांकि इस पूरे काल में अरब देशों और यूरोप में यहूदियों की विभिन्न जनजातियां यहां-वहां भटकती हुई किसी तरह बची रहीं. द्वितीय विश्च युद्ध के दौरान हिटलर द्वारा 6 लाख यहूदियों के अमानवीय क़त्ले-आम और लगभग उसी समय ब्रिटेन से इज़रायल को स्वतंत्रता मिलने के बाद - दुनिया भर से यहूदियों के जत्थों ने इज़रायल में पहुंचना शुरू कर दिया. वहां से बाहर निकलते समय ब्रिटिश शासकों ने इस्राएल के देश को विभाजित कर दिया. यह अन्यायपूर्ण विभाजन इज़रायल को स्वीकार्य नहीं था और इसने उन्हें अस्थिर सीमाओं के साथ छोड़ दिया. (जैसा कि हमें भारत में भी देखने को मिलता है.) 
इज़रायल के उत्तरी हिस्से यहूदिया पर 117 = 138 ईस्वी के मध्य रोम के लोगों द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था. इज़रायल रोमन साम्राज्य का विस्तार करने के लिए एक संरक्षित राज्य के रूप में काम करने के लिए स्थापित किया गया था. वे इस क्षेत्र को फिलिस्तिया कहा करते थे. जब ब्रिटेन और जार्डन ने इज़रायल पर कब्ज़ा कर लिया तब वे रोमन नाम फिलिस्तिया से मिलते जुलते नाम फिलिस्तीन से इस भूमि को पुकारने लगे. लंबे समय के बाद से वहाँ रह रहे विभिन्न नस्लों के अरब मुसलमानों ने फिलिस्तीन नाम से अपने लिए एक नए देश की मांग करनी प्रारंभ कर दी (ठीक भारतीय मुसलमानों की ही तरह जिन्होंने पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान नाम से एक नई जमीन की मांग प्रारंभ कर दी थी, हालांकि दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि इज़रायल के मामले में मुसलमानों अलग-अलग जातियों व नस्लों के अरबी मुस्लिम थे जबकि पाकिस्तानी मुस्लिमों के पूर्वज भारत के सनातन धर्म के अनुयायी थे जिन्हें बलपूर्वक तलवार से मुसलमान बना दिया गया था.) इज़रायल ने 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त की. इज़रायल के मुस्लिम जातीय समूहों के नेताओं ने उन मुस्लिमों से कहा कि नाजी संहार से पीड़ि‍त यहूदियों के बड़ी संख्या में इज़रायल वापसी के कारण उन्हें यह देश छोड़ देना चाहिए. जहां एक ओर इज़रायल ने देश में आने वाले सभी यहूदी शरणार्थियों को अपने में समाहित कर लिया, वहीं दूसरी ओर वहां रह रहे अरब मुस्लिमों को किसी भी उनके किसी भी सहोदर अरब मुस्लिम देश द्वारा समाहित नहीं किया गया जिनके पास छोटे से राज्य इज़रायल के मुकाबले कहीं अधिक विशाल प्रदेश थे. अंतत: यह मुस्लिम सभी अरब देशों द्वारा लौटाए जाने के बाद वापस इज़रायल लौटे इज़रायल देश ने उन्हें काम करने के लिए वीज़ा दे दिया. उन्होंने पश्चिमी तट और गाजा पट्टी क्षेत्र में रहने के लिए खुद को स्थापित कर लिया, लेकिन अंतत: ख़ुद को 'फिलिस्तीनी' कहना शुरू कर दिया और अपनी इन नई पहचान का आग्रह रखते हुए अपने लिए एक नए गृहक्षेत्र की मांग शुरू कर दी (जोकि भारत, साइप्रस, बांग्लादेश आदि के मुसलमानों जैसे विभाजन में पाया जाने वाला एक आम लक्षण है). 
इस बीच जिन मुस्लिमों ने इज़रायल से पलायन नहीं किया था, वे इज़रायल में लगातार रहते रहे. अपनी पुस्तक "हमास का बेटा" में एक मोसाब हसन यूसुफ़ नाम के एक पूर्व मुस्लिम, जो एक प्रभावशाली हमास नेता के पुत्र हैं, कहते हैं कि फिलीस्तीनी औसतन चार बच्चों को जन्म दे रहे हैं. इनमें से तीन को डॉक्टर, वकील और व्यापारी बनाया जा रहा है और चौथे को जिहाद के लिए दिया जा रहा है. फिलीस्तीनी इस उम्मीद में जनसंख्या जिहाद कर रहे हैं कि जिस दिन उन्हें इज़रायल में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है, उस दिन वे भीतर से इज़रायल को फटने पर मजबूर कर देंगे. 
'मुस्लिम ब्रदरहुड' के साथ मिलीभगत में पूरी मुस्लिम दुनिया फिलीस्तीनियों में घृणा भर रही है. इस घृणा के कारण ही तथाकथित फिलीस्तीनी कभी भी इज़रायल के साथ आत्मसात नहीं हो सकते हैं. यह घृणा का भाईचारा उन्‍हें इस छद्म युद्ध (जैसा कि वे कश्मीर में भी कर रहे हैं) को जारी रखने के लिए उन रॉकेट और अन्य गोला बारूद की आपूर्ति करता है. इसके अलावा सारी दुनिया पर मुसलमानों द्वारा वर्चस्व स्थापित करवाए जाने के लिए दुनिया का एक मुस्लिम खलीफा के अपने परम उद्देश्य की पूर्ति के लिए पूरी दुनिया में मुस्लिम आक्रामकता को मुस्लिम ब्रदरहुड द्वारा कुछ मानक प्रक्रियाओं के ज़रिए बढ़ावा दिया जा रहा है. इसे इज़रायल में अच्छी तरह से देखा जा सकता है. जनसंख्या जिहाद: : 
प्रत्येक फिलीस्तीनी ढाल के रूप में महिलाओं और बच्चों का उपयोग मात्र अपनी संख्या के बल पर इज़रायल को समाप्त कर देने के लिए प्रत्येक फिलीस्तीनी कम से कम 4 बच्चों को जन्म देता है. फिलीस्तीनी आतंकवादी बच्चों और महिलाओं को ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हुए उनके पीछे छिपते हैं और इज़रायल पर भारी बमबारी करते हैं. हालांकि इज़रायल द्वारा प्रतिहिंसक रुख़ अख्तियार करने पर वे पीड़ित होने का पाखंड रचते हैं और मीडिया दुष्प्रचार का जम कर इस्तेमाल करते हैं. झूठा दुष्‍प्रचार: कट्टरपंथी मुसलमानों का यह सबसे बड़ा और सबसे पुराना हथियार है; वे स्वयं को हमेशा पीड़ितों या शहीदों के रूप में प्रस्तुत करते हैं और सफलतापूर्वक अपनी स्थिति को आम जनता की सहानुभूति अर्जित करने के लिए इस्तेमाल करते हैं. यहां तक कि आम तौर पर हॉलीवुड की विभिन्न फिल्मों में भी उन्हें नायक के रूप में दर्शाया जाता है. वास्तव में, उनका दुष्‍प्रचार तंत्र इतना ताक़तवर और सफल है कि पूरा संसार यही मान चुका है कि इज़रायल, जिसके पास वास्तव में प्राकृतिक संसाधनों के नाम पर कुछ नहीं है और जो मात्र अपनी योग्यता के आधार पर ही सफल है, के पास इतना अधिक पैसा है कि वह पूरे मीडिया को ख़रीद चुका है. जबकि इसके ठीक उलट वास्तविकता यह है कि तेल के पैसे से बेहद समृद्ध अरब देश न केवल अपने पैसे की ताक़त के बल पर दुनिया भर के मीडिया को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि सारे संसार में जिहाद का वित्त पोषण भी कर रहे हैं, जिसका असर मीडिया में अक्‍़सर इज़रायल को 'बुरे Zionists' के रूप में चित्रित किए जाने में परि‍लक्षित होता है. 
बाल जिहादी: 
फिलीस्तीनी कार्टून फिल्में जिहाद की राह में खुद को बम से उड़ा लेने को उचित और पवित्र शहादत के रूप में चित्रित करती हैं. बच्चों को चट्टानों और पत्थरों से लैस कर के इज़रायली सैनिकों पर आक्रमण करने के लिए भेजा जाता है, क्यों कि फिलि‍स्तीनी यह अच्छी तरह जानते हैं कि इज़रायली उन पर जवाबी हमला नहीं कर सकते. (ठीक यही कश्मीर में होता है) यहूदियों का किसी के भी प्रति प्रतिशोध, आक्रामकता या किसी भी देश पर आक्रमण करने या कब्ज़ा कर लेने, या किसी जातीय या धार्मिक समूह को सताने का शायद ही कोई इतिहास रहा हो. लेकिन नाजी महासंहार ने यहूदियों को एक सबक बहुत अच्छे से सिखाया है जो हमें उनसे सीखने की ज़रूरत है - 'न क्षमा करो, न भूलो'. इसे आक्रामकता के रूप में पढ़ने की भूल नहीं करनी चाहिए, बल्कि इसे उसी रूप में लिया जाना चाहिए
 यह है - दुनिया में सबसे लाजवाब आत्म रक्षात्मक उपायों से लैस एक देश का क़ीमती सबक़. इसलिए हमें अपनी आंखों से झूठ और मिथ्या भ्रम के पर्दे उठाते हुए यहूदियों का आंकलन मात्र उसके आधार पर ही करना चाहिए जो उन्होंने किया है, न कि उस शातिर और फ़र्जी़ दुष्प्रचार के आधार पर जो हमें उनके खिलाफ एक योजना के तहत घुट्टी में पिलाया गया है. "

Friday, 18 July 2014


'धर्म बदल लो, टैक्स दो या फिर जान गंवाओ'..ईराक में सुन्नी आतंकी संगठन ISIS का पैगाम ...
इराक में आतंकियों ने अपने कब्जे वाले हिस्से में रहे गैर-इस्लामी लोगों से कहा है कि या तो वे धर्म बदल लें या फिर उन्हें धार्मिक टैक्स दें या फिर जान गंवाने को तैयार रहें। इराक के कई शहरों पर कब्जा कर उसे इस्लामिक स्टेट घोषित करने वाले आतंकियों के निशाने पर मुख्यतः मोसुल शहर में रह रहे ईसाई हैं।
इस्लामिक स्टेट की ओर से बांटे गए बयान में कहा गया है कि यह आदेश शनिवार से लागू हो जाएगा। इसके अलावा शुक्रवार को मोसुल में मस्जिदों से भी चेतावनी जारी की गई कि इस आदेश को न मानने वालों के पास शहर छोड़ने को कुछ ही घंटे हैं। इस डर से मोसुल से भारी संख्या में ईसाई पलायन कर रहे हैं। आतंकी संगठन आईएसआईएस ने करीब एक महीने पहले किए गए हमले में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था।इस खबर में अगर आपको कही ''शांति ,भाईचारा ,इंसानियत .गंगा जामुनी संस्कृति ,अमन का सन्देश ,मानवता ''अदि महसूस हो तो  बताए ...
आदेश में कहा गया है कि जो ईसाई इस्लामिक स्टेट (कैलिफेट) में रहना चाहते हैं, उन्हें एक ऐतिहासिक समझौते को मानना पड़ेगा। 'धीमा' नाम के इस समझौते के तहत मुस्लिम क्षेत्रों में रहने वाले उन गैर-मुस्लिम लोगों को सुरक्षा दी जाती थी जो एक टैक्स 'जजिया ' का भुगतान करते थे।आदेश में कहा गया है- 'हमने उनके लिए तीन रास्ते छोड़े हैं- इस्लाम, धीमा और ये दोनों स्वीकार न हों तो फिर तलवार।'
समाचार साभार ....NBT
अमरनाथ हिन्दू तीर्थ यात्रियों पर मुसलमानों का हमला, एक हिन्दू तीर्थयात्री की मौत, लंगर टेंट में  आग...

अगर ऐसी घटना हज यात्रियों के साथ होती तो दुनिया भर में तहलका मच जाती, भारतीय मीडिया गल्ला फाड-फाड कर चिल्लाती, कांग्रेस सहित सभी सेकुलर गिद्ध हंगामा खड़ा कर देते। अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर हमले की घटना को मीडिया ने सेंसर कर दिया है। 
 पंजाब के पटियाला के हिन्दू जम्मू हाइवे को जाम करने पहुंच। आखिर हिन्दू अपने देश में ही कब तक मार खाता रहेगा, अपमान झेलता रहेगा?
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नासा के पास 60,000 ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियों है जो वे अध्ययन का उपयोग कर रहे हैं) (असत्यापित रिपोर्ट का कहना है कि रूसी, जर्मन, जापानी, अमेरिकी सक्रिय रूप से हमारी पवित्र पुस्तकों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं। दुनिया के 17 देशों में एक या अधिक संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्तकरने के लिए है, लेकिन संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत विश्वविद्यालय इंडिया (भारत) में नहीं है।दुनिया की सभी भाषाओं की माँ संस्कृत है। सभी भाषाएँ (97%) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस भाषा से प्रभावित है।संदर्भ: यूएनओ नासा वैज्ञानिक द्वारा एक रिपोर्ट है कि अमेरिका 6 और 7 वीं पीढ़ी के सुपर कंप्यूटर संस्कृत भाषा पर आधारित बना रहा है जिससे सुपर कंप्यूटर अपनी अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जा सके।परियोजना की समय सीमा 2025 (6 पीढ़ी के लिए) और 2034 (7 वीं पीढ़ी के लिए) है, इसके बाद दुनिया भर में संस्कृत सीखने के लिए एक भाषा क्रांति होगी।
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1.एक बार, गांव वालों ने सूखे के हालात देखकर तय किया कि वे
भगवान से बरसात के लिए प्रार्थना करेंगे, प्रार्थना वाले दिन
सभी लोग प्रार्थना के लिए इकट्ठे हुए, लेकिन एक
लड़का छाता लेकर आया.!!!
इसे कहते हैं : विश्वास...........
2. जब आप एक बच्चे को ऊपर की तरफ उछालते हो, तो वह
हंसता है। क्योंकि, वह जानता है कि आप उसे पकड़ लोगे:
इसे कहते हैं : यकीन.........

Thursday, 17 July 2014

क्या अकबर महान था?????

इस पोस्ट को पूरा पढ़िए..और सच जानिए..

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अकबर महान की सुंदरता और अच्छी आदतें
२. बाबर शराब का शौक़ीन था, इतना कि अधिकतर समय धुत रहता था [बाबरनामा]. हुमायूं अफीम का शौक़ीन था और इस वजह से बहुत लाचार भी हो गया. अकबर ने ये दोनों आदतें अपने पिता और दादा से विरासत में लीं. अकबर के दो बच्चे नशाखोरी की आदत के चलते अल्लाह को प्यारे हुए. पर इतने पर भी इस बात पर तो किसी मुसलमान भाई को शक ही नहीं कि ये सब सच्चे मुसलमान थे.
३. कई इतिहासकार अकबर को सबसे सुन्दर आदमी घोषित करते हैं. विन्सेंट स्मिथ इस सुंदरता का वर्णन यूँ करते हैं-
“अकबर एक औसत दर्जे की लम्बाई का था. उसके बाएं पैर में लंगड़ापन था. उसका सिर अपने दायें कंधे की तरफ झुका रहता था. उसकी नाक छोटी थी जिसकी हड्डी बाहर को निकली हुई थी. उसके नाक के नथुने ऐसे दीखते थे जैसे वो गुस्से में हो. आधे मटर के दाने के बराबर एक मस्सा उसके होंठ और नथुनों को मिलाता था. वह गहरे रंग का था”
४. जहाँगीर ने लिखा है कि अकबर उसे सदा शेख ही बुलाता था भले ही वह नशे की हालत में हो या चुस्ती की हालत में. इसका मतलब यह है कि अकबर काफी बार नशे की हालत में रहता था.
५. अकबर का दरबारी लिखता है कि अकबर ने इतनी ज्यादा पीनी शुरू कर दी थी कि वह मेहमानों से बात करता करता भी नींद में गिर पड़ता था. वह अक्सर ताड़ी पीता था. वह जब ज्यादा पी लेता था तो आपे से बाहर हो जाता था और पागलो के जैसे हरकत करने लगता.
अकबर महान की शिक्षा
६. जहाँगीर ने लिखा है कि अकबर कुछ भी लिखना पढ़ना नहीं जानता था पर यह दिखाता था कि वह बड़ा भारी विद्वान है.
अकबर महान का मातृशक्ति (स्त्रियों) के लिए आदर
७. अबुल फज़ल ने लिखा है कि अपने राजा बनने के शुरूआती सालों में अकबर परदे के पीछे ही रहा! परदे के पीछे वो किस बेशर्मी को बेपर्दा कर रहा था उसकी जानकारी आगे पढ़िए.
८. अबुल फज़ल ने अकबर के हरम को इस तरह वर्णित किया है- “अकबर के हरम में पांच हजार औरतें थीं और हर एक का अपना अलग घर था.” ये पांच हजार औरतें उसकी ३६ पत्नियों से अलग थीं.
९. आइन ए अकबरी में अबुल फजल ने लिखा है- “शहंशाह के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था. वहाँ इतनी वेश्याएं इकट्ठी हो गयीं कि उनकी गिनती करनी भी मुश्किल हो गयी. दरबारी नर्तकियों को अपने घर ले जाते थे. अगर कोई दरबारी किसी नयी लड़की को घर ले जाना चाहे तो उसको अकबर से आज्ञा लेनी पड़ती थी. कई बार जवान लोगों में लड़ाई झगडा भी हो जाता था. एक बार अकबर ने खुद कुछ वेश्याओं को बुलाया और उनसे पूछा कि उनसे सबसे पहले भोग किसने किया”.
अब यहाँ सवाल पैदा होता है कि ये वेश्याएं इतनी बड़ी संख्या में कहाँ से आयीं और कौन थीं? आप सब जानते ही होंगे कि इस्लाम में स्त्रियाँ परदे में रहती हैं, बाहर नहीं. और फिर अकबर जैसे नेक मुसलमान को इतना तो ख्याल होगा ही कि मुसलमान औरतों से वेश्यावृत्ति कराना गलत है. तो अब यह सोचना कठिन नहीं है कि ये स्त्रियां कौन थीं. ये वो स्त्रियाँ थीं जो लूट के माल में अल्लाह द्वारा मोमिनों के भोगने के लिए दी जाती हैं, अर्थात काफिरों की हत्या करके उनकी लड़कियां, पत्नियाँ आदि. अकबर की सेनाओं के हाथ युद्ध में जो भी हिंदू स्त्रियाँ लगती थीं, ये उसी की भीड़ मदिरालय में लगती थी.
१०. अबुल फजल ने अकबरनामा में लिखा है- “जब भी कभी कोई रानी, दरबारियों की पत्नियाँ, या नयी लडकियां शहंशाह की सेवा (यह साधारण सेवा नहीं है) में जाना चाहती थी तो पहले उसे अपना आवेदन पत्र हरम प्रबंधक के पास भेजना पड़ता था. फिर यह पत्र महल के अधिकारियों तक पहुँचता था और फिर जाकर उन्हें हरम के अंदर जाने दिया जाता जहां वे एक महीने तक रखी जाती थीं.”
अब यहाँ देखना चाहिए कि चाटुकार अबुल फजल भी इस बात को छुपा नहीं सका कि अकबर अपने हरम में दरबारियों, राजाओं और लड़कियों तक को भी महीने के लिए रख लेता था. पूरी प्रक्रिया को संवैधानिक बनाने के लिए इस धूर्त चाटुकार ने चाल चली है कि स्त्रियाँ खुद अकबर की सेवा में पत्र भेज कर जाती थीं! इस मूर्ख को इतनी बुद्धि भी नहीं थी कि ऐसी कौन सी स्त्री होगी जो पति के सामने ही खुल्लम खुल्ला किसी और पुरुष की सेवा में जाने का आवेदन पत्र दे दे? मतलब यह है कि वास्तव में अकबर महान खुद ही आदेश देकर जबरदस्ती किसी को भी अपने हरम में रख लेता था और उनका सतीत्व नष्ट करता था.
११. रणथंभोर की संधि में अकबर महान की पहली शर्त यह थी कि राजपूत अपनी स्त्रियों की डोलियों को अकबर के शाही हरम के लिए रवाना कर दें यदि वे अपने सिपाही वापस चाहते हैं.
१२. बैरम खान जो अकबर के पिता तुल्य और संरक्षक था, उसकी हत्या करके इसने उसकी पत्नी अर्थात अपनी माता के तुल्य स्त्री से शादी की.
१३. ग्रीमन के अनुसार अकबर अपनी रखैलों को अपने दरबारियों में बाँट देता था. औरतों को एक वस्तु की तरह बांटना और खरीदना अकबर महान बखूबी करता था.
१४. मीना बाजार जो हर नए साल की पहली शाम को लगता था, इसमें सब स्त्रियों को सज धज कर आने के आदेश दिए जाते थे और फिर अकबर महान उनमें से किसी को चुन लेते थे.
नेक दिल अकबर महान
१५. ६ नवम्बर १५५६ को १४ साल की आयु में अकबर महान पानीपत की लड़ाई में भाग ले रहा था. हिंदू राजा हेमू की सेना मुग़ल सेना को खदेड़ रही थी कि अचानक हेमू को आँख में तीर लगा और वह बेहोश हो गया. उसे मरा सोचकर उसकी सेना में भगदड़ मच गयी. तब हेमू को बेहोशी की हालत में अकबर महान के सामने लाया गया और इसने बहादुरी से हेमू का सिर काट लिया और तब इसे गाजी के खिताब से नवाजा गया. (गाजी की पदवी इस्लाम में उसे मिलती है जिसने किसी काफिर को कतल किया हो. ऐसे गाजी को जन्नत नसीब होती है और वहाँ सबसे सुन्दर हूरें इनके लिए बुक होती हैं). हेमू के सिर को काबुल भिजा दिया गया एवं उसके धड को दिल्ली के दरवाजे से लटका दिया गया ताकि नए आतंकवादी बादशाह की रहमदिली सब को पता चल सके.
१६. इसके तुरंत बाद जब अकबर महान की सेना दिल्ली आई तो कटे हुए काफिरों के सिरों से मीनार बनायी गयी जो जीत के जश्न का प्रतीक है और यह तरीका अकबर महान के पूर्वजों से ही चला आ रहा है.
१७. हेमू के बूढ़े पिता को भी अकबर महान ने कटवा डाला. और औरतों को उनकी सही जगह अर्थात शाही हरम में भिजवा दिया गया.
१८. अबुल फजल लिखता है कि खान जमन के विद्रोह को दबाने के लिए उसके साथी मोहम्मद मिराक को हथकडियां लगा कर हाथी के सामने छोड़ दिया गया. हाथी ने उसे सूंड से उठाकर फैंक दिया. ऐसा पांच दिनों तक चला और उसके बाद उसको मार डाला गया.
१९. चित्तौड़ पर कब्ज़ा करने के बाद अकबर महान ने तीस हजार नागरिकों का क़त्ल करवाया.
२०. अकबर ने मुजफ्फर शाह को हाथी से कुचलवाया. हमजबान की जबान ही कटवा डाली. मसूद हुसैन मिर्ज़ा की आँखें सीकर बंद कर दी गयीं. उसके ३०० साथी उसके सामने लाये गए और उनके चेहरे पर गधों, भेड़ों और कुत्तों की खालें डाल कर काट डाला गया. विन्सेंट स्मिथ ने यह लिखा है कि अकबर महान फांसी देना, सिर कटवाना, शरीर के अंग कटवाना, आदि सजाएं भी देते थे.
२१. २ सितम्बर १५७३ के दिन अहमदाबाद में उसने २००० दुश्मनों के सिर काटकर अब तक की सबसे ऊंची सिरों की मीनार बनायी. वैसे इसके पहले सबसे ऊंची मीनार बनाने का सौभाग्य भी अकबर महान के दादा बाबर का ही था. अर्थात कीर्तिमान घर के घर में ही रहा!
२२. अकबरनामा के अनुसार जब बंगाल का दाउद खान हारा, तो कटे सिरों के आठ मीनार बनाए गए थे. यह फिर से एक नया कीर्तिमान था. जब दाउद खान ने मरते समय पानी माँगा तो उसे जूतों में पानी पीने को दिया गया.
न्यायकारी अकबर महान
२३. थानेश्वर में दो संप्रदायों कुरु और पुरी के बीच पूजा की जगह को लेकर विवाद चल रहा था. अकबर ने आदेश दिया कि दोनों आपस में लड़ें और जीतने वाला जगह पर कब्ज़ा कर ले. उन मूर्ख आत्मघाती लोगों ने आपस में ही अस्त्र शस्त्रों से लड़ाई शुरू कर दी. जब पुरी पक्ष जीतने लगा तो अकबर ने अपने सैनकों को कुरु पक्ष की तरफ से लड़ने का आदेश दिया. और अंत में इसने दोनों तरफ के लोगों को ही अपने सैनिकों से मरवा डाला. और फिर अकबर महान जोर से हंसा.
२४. हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की नीति यही थी कि राजपूत ही राजपूतों के विरोध में लड़ें. बादायुनी ने अकबर के सेनापति से बीच युद्ध में पूछा कि प्रताप के राजपूतों को हमारी तरफ से लड़ रहे राजपूतों से कैसे अलग पहचानेंगे? तब उसने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि किसी भी हालत में मरेंगे तो राजपूत ही और फायदा इस्लाम का होगा.
२५. कर्नल टोड लिखते हैं कि अकबर ने एकलिंग की मूर्ति तोड़ी और उस स्थान पर नमाज पढ़ी.
२६. एक बार अकबर शाम के समय जल्दी सोकर उठ गया तो उसने देखा कि एक नौकर उसके बिस्तर के पास सो रहा है. इससे उसको इतना गुस्सा आया कि नौकर को इस बात के लिए एक मीनार से नीचे फिंकवा दिया.
२७. अगस्त १६०० में अकबर की सेना ने असीरगढ़ का किला घेर लिया पर मामला बराबरी का था. न तो वह किला टोड पाया और न ही किले की सेना अकबर को हरा सकी. विन्सेंट स्मिथ ने लिखा है कि अकबर ने एक अद्भुत तरीका सोचा. उसने किले के राजा मीरां बहादुर को आमंत्रित किया और अपने सिर की कसम खाई कि उसे सुरक्षित वापस जाने देगा. तब मीरां शान्ति के नाम पर बाहर आया और अकबर के सामने सम्मान दिखाने के लिए तीन बार झुका. पर अचानक उसे जमीन पर धक्का दिया गया ताकि वह पूरा सजदा कर सके क्योंकि अकबर महान को यही पसंद था.
उसको अब पकड़ लिया गया और आज्ञा दी गयी कि अपने सेनापति को कहकर आत्मसमर्पण करवा दे. सेनापति ने मानने से मना कर दिया और अपने लड़के को अकबर के पास यह पूछने भेजा कि उसने अपनी प्रतिज्ञा क्यों तोड़ी? अकबर ने बच्चे से पूछा कि क्या तेरा पिता आत्मसमर्पण के लिए तैयार है? तब बालक ने कहा कि उसका पिता समर्पण नहीं करेगा चाहे राजा को मार ही क्यों न डाला जाए. यह सुनकर अकबर महान ने उस बालक को मार डालने का आदेश दिया. इस तरह झूठ के बल पर अकबर महान ने यह किला जीता.
यहाँ ध्यान देना चाहिए कि यह घटना अकबर की मृत्यु से पांच साल पहले की ही है. अतः कई लोगों का यह कहना कि अकबर बाद में बदल गया था, एक झूठ बात है.
२८. इसी तरह अपने ताकत के नशे में चूर अकबर ने बुंदेलखंड की प्रतिष्ठित रानी दुर्गावती से लड़ाई की और लोगों का क़त्ल किया.
अकबर महान और महाराणा प्रताप
२९. ऐसे इतिहासकार जिनका अकबर दुलारा और चहेता है, एक बात नहीं बताते कि कैसे एक ही समय पर राणा प्रताप और अकबर महान हो सकते थे जबकि दोनों एक दूसरे के घोर विरोधी थे?
३०. यहाँ तक कि विन्सेंट स्मिथ जैसे अकबर प्रेमी को भी यह बात माननी पड़ी कि चित्तौड़ पर हमले के पीछे केवल उसकी सब कुछ जीतने की हवस ही काम कर रही थी. वहीँ दूसरी तरफ महाराणा प्रताप अपने देश के लिए लड़ रहे थे और कोशिश की कि राजपूतों की इज्जत उनकी स्त्रियां मुगलों के हरम में न जा सकें. शायद इसी लिए अकबर प्रेमी इतिहासकारों ने राणा को लड़ाकू और अकबर को देश निर्माता के खिताब से नवाजा है!
अकबर महान अगर, राणा शैतान तो
शूकर है राजा, नहीं शेर वनराज है
अकबर आबाद और राणा बर्बाद है तो
हिजड़ों की झोली पुत्र, पौरुष बेकार है
अकबर महाबली और राणा बलहीन तो
कुत्ता चढ़ा है जैसे मस्तक गजराज है
अकबर सम्राट, राणा छिपता भयभीत तो
हिरण सोचे, सिंह दल उसका शिकार है
अकबर निर्माता, देश भारत है उसकी देन
कहना यह जिनका शत बार धिक्कार है
अकबर है प्यारा जिसे राणा स्वीकार नहीं
रगों में पिता का जैसे खून अस्वीकार है.
अकबर और इस्लाम
३१. हिन्दुस्तानी मुसलमानों को यह कह कर बेवकूफ बनाया जाता है कि अकबर ने इस्लाम की अच्छाइयों को पेश किया. असलियत यह है कि कुरआन के खिलाफ जाकर ३६ शादियाँ करना, शराब पीना, नशा करना, दूसरों से अपने आगे सजदा करवाना आदि करके भी इस्लाम को अपने दामन से बाँधे रखा ताकि राजनैतिक फायदा मिल सके. और सबसे मजेदार बात यह है कि वंदे मातरम में शिर्क दिखाने वाले मुल्ला मौलवी अकबर की शराब, अफीम, ३६ बीवियों, और अपने लिए करवाए सजदों में भी इस्लाम को महफूज़ पाते हैं! किसी मौलवी ने आज तक यह फतवा नहीं दिया कि अकबर या बाबर जैसे शराबी और समलैंगिक मुसलमान नहीं हैं और इनके नाम की मस्जिद हराम है.
३२. अकबर ने खुद को दिव्य आदमी के रूप में पेश किया. उसने लोगों को आदेश दिए कि आपस में “अल्लाह ओ अकबर” कह कर अभिवादन किया जाए. भोले भाले मुसलमान सोचते हैं कि वे यह कह कर अल्लाह को बड़ा बता रहे हैं पर अकबर ने अल्लाह के साथ अपना नाम जोड़कर अपनी दिव्यता फैलानी चाही. अबुल फज़ल के अनुसार अकबर खुद को सर्वज्ञ (सब कुछ जानने वाला) की तरह पेश करता था. ऐसा ही इसके लड़के जहांगीर ने लिखा है.
३३. अकबर ने अपना नया पंथ दीन ए इलाही चलाया जिसका केवल एक मकसद खुद की बडाई करवाना था. उसके चाटुकारों ने इस धूर्तता को भी उसकी उदारता की तरह पेश किया!
३४. अकबर को इतना महान बताए जाने का एक कारण ईसाई इतिहासकारों का यह था कि क्योंकि इसने हिंदू धर्म और इस्लाम दोनों का ही जम कर अपमान किया और इस तरह भारत में अंग्रेजों के इसाईयत फैलाने के उद्देश्य में बड़ा कारण बना. विन्सेंट स्मिथ ने भी इस विषय पर अपनी राय दी है.
३५. अकबर भाषा बोलने में बड़ा चतुर था. विन्सेंट स्मिथ लिखता है कि मीठी भाषा के अलावा उसकी सबसे बड़ी खूबी अपने जीवन में दिखाई बर्बरता है!
३६. अकबर ने अपने को रूहानी ताकतों से भरपूर साबित करने के लिए कितने ही झूठ बोले. जैसे कि उसके पैरों की धुलाई करने से निकले गंदे पानी में अद्भुत ताकत है जो रोगों का इलाज कर सकता है. ये वैसे ही दावे हैं जैसे मुहम्मद साहब के बारे में हदीसों में किये गए हैं. अकबर के पैरों का पानी लेने के लिए लोगों की भीड़ लगवाई जाती थी. उसके दरबारियों को तो यह अकबर के नापाक पैर का चरणामृत पीना पड़ता था ताकि वह नाराज न हो जाए.
अकबर महान और जजिया कर
३७. इस्लामिक शरीयत के अनुसार किसी भी इस्लामी राज्य में रहने वाले गैर मुस्लिमों को अगर अपनी संपत्ति और स्त्रियों को छिनने से सुरक्षित रखना होता था तो उनको इसकी कीमत देनी पड़ती थी जिसे जजिया कहते थे. यानी इसे देकर फिर कोई अल्लाह व रसूल का गाजी आपकी संपत्ति, बेटी, बहन, पत्नी आदि को नहीं उठाएगा. कुछ अकबर प्रेमी कहते हैं कि अकबर ने जजिया खत्म कर दिया था. लेकिन इस बात का इतिहास में एक जगह भी उल्लेख नहीं! केवल इतना है कि यह जजिया रणथम्भौर के लिए माफ करने की शर्त राखी गयी थी जिसके बदले वहाँ के हिंदुओं को अपनी स्त्रियों को अकबर के हरम में भिजवाना था! यही कारण बना की इन मुस्लिम सुल्तानों के काल में हिन्दू स्त्रियाँ जौहर में जलना अधिक पसंद करती थी.
३८. यह एक सफ़ेद झूठ है कि उसने जजिया खत्म कर दिया. आखिरकार अकबर जैसा सच्चा मुसलमान जजिया जैसे कुरआन के आदेश को कैसे हटा सकता था? इतिहास में कोई प्रमाण नहीं की उसने अपने राज्य में कभी जजिया बंद करवाया हो.
अकबर महान और उसका सपूत
३९. भारत में महान इस्लामिक शासन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि बादशाह के अपने बच्चे ही उसके खिलाफ बगावत कर बैठते थे! हुमायूं बाबर से दुखी था और जहांगीर अकबर से, शाहजहां जहांगीर से दुखी था तो औरंगजेब शाहजहाँ से. जहांगीर (सलीम) ने १६०२ में खुद को बादशाह घोषित कर दिया और अपना दरबार इलाहबाद में लगाया. कुछ इतिहासकार कहते हैं की जोधा अकबर की पत्नी थी या जहाँगीर की, इस पर विवाद है. संभवतः यही इनकी दुश्मनी का कारण बना, क्योंकि सल्तनत के तख़्त के लिए तो जहाँगीर के आलावा कोई और दावेदार था ही नहीं!
४०. ध्यान रहे कि इतिहासकारों के लाडले और सबसे उदारवादी राजा अकबर ने ही सबसे पहले “प्रयागराज” जैसे काफिर शब्द को बदल कर इलाहबाद कर दिया था.
४१. जहांगीर अपने अब्बूजान अकबर महान की मौत की ही दुआएं करने लगा. स्मिथ लिखता है कि अगर जहांगीर का विद्रोह कामयाब हो जाता तो वह अकबर को मार डालता. बाप को मारने की यह कोशिश यहाँ तो परवान न चढी लेकिन आगे जाकर आखिरकार यह सफलता औरंगजेब को मिली जिसने अपने अब्बू को कष्ट दे दे कर मारा. वैसे कई इतिहासकार यह कहते हैं कि अकबर को जहांगीर ने ही जहर देकर मारा.
अकबर महान और उसका शक्की दिमाग
४२. अकबर ने एक आदमी को केवल इसी काम पर रखा था कि वह उनको जहर दे सके जो लोग अकबर को पसंद नहीं!
४३. अकबर महान ने न केवल कम भरोसेमंद लोगों का कतल कराया बल्कि उनका भी कराया जो उसके भरोसे के आदमी थे जैसे- बैरम खान (अकबर का गुरु जिसे मारकर अकबर ने उसकी बीवी से निकाह कर लिया), जमन, असफ खान (इसका वित्त मंत्री), शाह मंसूर, मानसिंह, कामरान का बेटा, शेख अब्दुरनबी, मुइजुल मुल्क, हाजी इब्राहिम और बाकी सब मुल्ला जो इसे नापसंद थे. पूरी सूची स्मिथ की किताब में दी हुई है. और फिर जयमल जिसे मारने के बाद उसकी पत्नी को अपने हरम के लिए खींच लाया और लोगों से कहा कि उसने इसे सती होने से बचा लिया!
समाज सेवक अकबर महान
४४. अकबर के शासन में मरने वाले की संपत्ति बादशाह के नाम पर जब्त कर ली जाती थी और मृतक के घर वालों का उस पर कोई अधिकार नहीं होता था.
४५. अपनी माँ के मरने पर उसकी भी संपत्ति अपने कब्जे में ले ली जबकि उसकी माँ उसे सब परिवार में बांटना चाहती थी.
अकबर महान और उसके नवरत्न
४६. अकबर के चाटुकारों ने राजा विक्रमादित्य के दरबार की कहानियों के आधार पर उसके दरबार और नौ रत्नों की कहानी घड़ी है. असलियत यह है कि अकबर अपने सब दरबारियों को मूर्ख समझता था. उसने कहा था कि वह अल्लाह का शुक्रगुजार है कि इसको योग्य दरबारी नहीं मिले वरना लोग सोचते कि अकबर का राज उसके दरबारी चलाते हैं वह खुद नहीं.
४७. प्रसिद्ध नवरत्न टोडरमल अकबर की लूट का हिसाब करता था. इसका काम था जजिया न देने वालों की औरतों को हरम का रास्ता दिखाना.
४८. एक और नवरत्न अबुल फजल अकबर का अव्वल दर्जे का चाटुकार था. बाद में जहाँगीर ने इसे मार डाला.
४९. फैजी नामक रत्न असल में एक साधारण सा कवि था जिसकी कलम अपने शहंशाह को प्रसन्न करने के लिए ही चलती थी. कुछ इतिहासकार कहते हैं कि वह अपने समय का भारत का सबसे बड़ा कवि था. आश्चर्य इस बात का है कि यह सर्वश्रेष्ठ कवि एक अनपढ़ और जाहिल शहंशाह की प्रशंसा का पात्र था! यह ऐसी ही बात है जैसे कोई अरब का मनुष्य किसी संस्कृत के कवि के भाषा सौंदर्य का गुणगान करता हो!
५०. बुद्धिमान बीरबल शर्मनाक तरीके से एक लड़ाई में मारा गया. बीरबल अकबर के किस्से असल में मन बहलाव की बातें हैं जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं. ध्यान रहे कि ऐसी कहानियाँ दक्षिण भारत में तेनालीराम के नाम से भी प्रचलित हैं.
५१. अगले रत्न शाह मंसूर दूसरे रत्न अबुल फजल के हाथों सबसे बड़े रत्न अकबर के आदेश पर मार डाले गए!
५२. मान सिंह जो देश में पैदा हुआ सबसे नीच गद्दार था, ने अपनी बहन जहांगीर को दी. और बाद में इसी जहांगीर ने मान सिंह की पोती को भी अपने हरम में खींच लिया. यही मानसिंह अकबर के आदेश पर जहर देकर मार डाला गया और इसके पिता भगवान दास ने आत्महत्या कर ली.
५३. इन नवरत्नों को अपनी बीवियां, लडकियां, बहनें तो अकबर की खिदमत में भेजनी पड़ती ही थीं ताकि बादशाह सलामत उनको भी सलामत रखें. और साथ ही अकबर महान के पैरों पर डाला गया पानी भी इनको पीना पड़ता था जैसा कि ऊपर बताया गया है.
५४. रत्न टोडरमल अकबर का वफादार था तो भी उसकी पूजा की मूर्तियां अकबर ने तुडवा दीं. इससे टोडरमल को दुःख हुआ और इसने इस्तीफ़ा दे दिया और वाराणसी चला गया.
अकबर और उसके गुलाम
५५. अकबर ने एक ईसाई पुजारी को एक रूसी गुलाम का पूरा परिवार भेंट में दिया. इससे पता चलता है कि अकबर गुलाम रखता था और उन्हें वस्तु की तरह भेंट में दिया और लिया करता था.
५६. कंधार में एक बार अकबर ने बहुत से लोगों को गुलाम बनाया क्योंकि उन्होंने १५८१-८२ में इसकी किसी नीति का विरोध किया था. बाद में इन गुलामों को मंडी में बेच कर घोड़े खरीदे गए.
५७. जब शाही दस्ते शहर से बाहर जाते थे तो अकबर के हरम की औरतें जानवरों की तरह सोने के पिंजरों में बंद कर दी जाती थीं.
५८. वैसे भी इस्लाम के नियमों के अनुसार युद्ध में पकडे गए लोग और उनके बीवी बच्चे गुलाम समझे जाते हैं जिनको अपनी हवस मिटाने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है. अल्लाह ने कुरान में यह व्यवस्था दे रखी है.
५९. अकबर बहुत नए तरीकों से गुलाम बनाता था. उसके आदमी किसी भी घोड़े के सिर पर एक फूल रख देते थे. फिर बादशाह की आज्ञा से उस घोड़े के मालिक के सामने दो विकल्प रखे जाते थे, या तो वह अपने घोड़े को भूल जाये, या अकबर की वित्तीय गुलामी क़ुबूल करे.
कुछ और तथ्य
६०. जब अकबर मरा था तो उसके पास दो करोड़ से ज्यादा अशर्फियाँ केवल आगरे के किले में थीं. इसी तरह के और खजाने छह और जगह पर भी थे. इसके बावजूद भी उसने १५९५-१५९९ की भयानक भुखमरी के समय एक सिक्का भी देश की सहायता में खर्च नहीं किया.
६१. अकबर ने प्रयागराज (जिसे बाद में इसी धर्म निरपेक्ष महात्मा ने इलाहबाद नाम दिया था) में गंगा के तटों पर रहने वाली सारी आबादी का क़त्ल करवा दिया और सब इमारतें गिरा दीं क्योंकि जब उसने इस शहर को जीता तो लोग उसके इस्तकबाल करने की जगह घरों में छिप गए. यही कारण है कि प्रयागराज के तटों पर कोई पुरानी इमारत नहीं है.
६२. एक बहुत बड़ा झूठ यह है कि फतेहपुर सीकरी अकबर ने बनवाया था. इसका कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है. बाकी दरिंदे लुटेरों की तरह इसने भी पहले सीकरी पर आक्रमण किया और फिर प्रचारित कर दिया कि यह मेरा है. इसी तरह इसके पोते और इसी की तरह दरिंदे शाहजहाँ ने यह ढोल पिटवाया था कि ताज महल इसने बनवाया है वह भी अपनी चौथी पत्नी की याद में जो इसके और अपने सत्रहवें बच्चे को पैदा करने के समय चल बसी थी!
 — Nagendra TomarNiraj DaveNitin Sonar and 93 others के साथ.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की अकबर को टीवी पर जो दिखाया जा रहा हे उसका बस्तिव्कता से कोई लेना देना नहीं हे बस अकबर को सबसे महान घोषित करना हे मुश्लिम लेखको के द्वारा ..
इस अंक में उसके आगे की कहानी हे ......
अकबर महान की सुंदरता और अच्छी आदतें
२. बाबर शराब का शौक़ीन था, इतना कि अधिकतर समय धुत रहता था [बाबरनामा]. हुमायूं अफीम का शौक़ीन था और इस वजह से बहुत लाचार भी हो गया. अकबर ने ये दोनों आदतें अपने पिता और दादा से विरासत में लीं. अकबर के दो बच्चे नशाखोरी की आदत के चलते अल्लाह को प्यारे हुए. पर इतने पर भी इस बात पर तो किसी मुसलमान भाई को शक ही नहीं कि ये सब सच्चे मुसलमान थे.
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३. कई इतिहासकार अकबर को सबसे सुन्दर आदमी घोषित करते हैं. विन्सेंट स्मिथ इस सुंदरता का वर्णन यूँ करते हैं-
“अकबर एक औसत दर्जे की लम्बाई का था. उसके बाएं पैर में लंगड़ापन था. उसका सिर अपने दायें कंधे की तरफ झुका रहता था. उसकी नाक छोटी थी जिसकी हड्डी बाहर को निकली हुई थी. उसके नाक के नथुने ऐसे दीखते थे जैसे वो गुस्से में हो. आधे मटर के दाने के बराबर एक मस्सा उसके होंठ और नथुनों को मिलाता था. वह गहरे रंग का था”
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४. जहाँगीर ने लिखा है कि अकबर उसे सदा शेख ही बुलाता था भले ही वह नशे की हालत में हो या चुस्ती की हालत में. इसका मतलब यह है कि अकबर काफी बार नशे की हालत में रहता था.
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५. अकबर का दरबारी लिखता है कि अकबर ने इतनी ज्यादा पीनी शुरू कर दी थी कि वह मेहमानों से बात करता करता भी नींद में गिर पड़ता था. वह अक्सर ताड़ी पीता था. वह जब ज्यादा पी लेता था तो आपे से बाहर हो जाता था और पागलो के जैसे हरकत करने लगता.
अकबर महान की शिक्षा
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.६. जहाँगीर ने लिखा है कि अकबर कुछ भी लिखना पढ़ना नहीं जानता था पर यह दिखाता था कि वह बड़ा भारी विद्वान है.
अकबर महान का मातृशक्ति (स्त्रियों) के लिए आदर
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७. अबुल फज़ल ने लिखा है कि अपने राजा बनने के शुरूआती सालों में अकबर परदे के पीछे ही रहा! परदे के पीछे वो किस बेशर्मी को बेपर्दा कर रहा था उसकी जानकारी आगे पढ़िए.
८. अबुल फज़ल ने अकबर के हरम को इस तरह वर्णित किया है- “अकबर के हरम में पांच हजार औरतें थीं और हर एक का अपना अलग घर था.” ये पांच हजार औरतें उसकी ३६ पत्नियों से अलग थीं.
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९. आइन ए अकबरी में अबुल फजल ने लिखा है- “शहंशाह के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था. वहाँ इतनी वेश्याएं इकट्ठी हो गयीं कि उनकी गिनती करनी भी मुश्किल हो गयी. दरबारी नर्तकियों को अपने घर ले जाते थे. अगर कोई दरबारी किसी नयी लड़की को घर ले जाना चाहे तो उसको अकबर से आज्ञा लेनी पड़ती थी. कई बार जवान लोगों में लड़ाई झगडा भी हो जाता था. एक बार अकबर ने खुद कुछ वेश्याओं को बुलाया और उनसे पूछा कि उनसे सबसे पहले भोग किसने किया”.
अब यहाँ सवाल पैदा होता है कि ये वेश्याएं इतनी बड़ी संख्या में कहाँ से आयीं और कौन थीं? आप सब जानते ही होंगे कि इस्लाम में स्त्रियाँ परदे में रहती हैं, बाहर नहीं. और फिर अकबर जैसे नेक मुसलमान को इतना तो ख्याल होगा ही कि मुसलमान औरतों से वेश्यावृत्ति कराना गलत है. तो अब यह सोचना कठिन नहीं है कि ये स्त्रियां कौन थीं. ये वो स्त्रियाँ थीं जो लूट के माल में अल्लाह द्वारा मोमिनों के भोगने के लिए दी जाती हैं, अर्थात काफिरों की हत्या करके उनकी लड़कियां, पत्नियाँ आदि. अकबर की सेनाओं के हाथ युद्ध में जो भी हिंदू स्त्रियाँ लगती थीं, ये उसी की भीड़ मदिरालय में लगती थी.
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१०. अबुल फजल ने अकबरनामा में लिखा है- “जब भी कभी कोई रानी, दरबारियों की पत्नियाँ, या नयी लडकियां शहंशाह की सेवा (यह साधारण सेवा नहीं है) में जाना चाहती थी तो पहले उसे अपना आवेदन पत्र हरम प्रबंधक के पास भेजना पड़ता था. फिर यह पत्र महल के अधिकारियों तक पहुँचता था और फिर जाकर उन्हें हरम के अंदर जाने दिया जाता जहां वे एक महीने तक रखी जाती थीं.”
अब यहाँ देखना चाहिए कि चाटुकार अबुल फजल भी इस बात को छुपा नहीं सका कि अकबर अपने हरम में दरबारियों, राजाओं और लड़कियों तक को भी महीने के लिए रख लेता था. पूरी प्रक्रिया को संवैधानिक बनाने के लिए इस धूर्त चाटुकार ने चाल चली है कि स्त्रियाँ खुद अकबर की सेवा में पत्र भेज कर जाती थीं! इस मूर्ख को इतनी बुद्धि भी नहीं थी कि ऐसी कौन सी स्त्री होगी जो पति के सामने ही खुल्लम खुल्ला किसी और पुरुष की सेवा में जाने का आवेदन पत्र दे दे? मतलब यह है कि वास्तव में अकबर महान खुद ही आदेश देकर जबरदस्ती किसी को भी अपने हरम में रख लेता था और उनका सतीत्व नष्ट करता था.
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११. रणथंभोर की संधि में अकबर महान की पहली शर्त यह थी कि राजपूत अपनी स्त्रियों की डोलियों को अकबर के शाही हरम के लिए रवाना कर दें यदि वे अपने सिपाही वापस चाहते हैं.
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१२. बैरम खान जो अकबर के पिता तुल्य और संरक्षक था, उसकी हत्या करके इसने उसकी पत्नी अर्थात अपनी माता के तुल्य स्त्री से शादी की.
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१३. ग्रीमन के अनुसार अकबर अपनी रखैलों को अपने दरबारियों में बाँट देता था. औरतों को एक वस्तु की तरह बांटना और खरीदना अकबर महान बखूबी करता था.
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१४. मीना बाजार जो हर नए साल की पहली शाम को लगता था, इसमें सब स्त्रियों को सज धज कर आने के आदेश दिए जाते थे और फिर अकबर महान उनमें से किसी को चुन लेते थे.
नेक दिल अकबर महान
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१५. ६ नवम्बर १५५६ को १४ साल की आयु में अकबर महान पानीपत की लड़ाई में भाग ले रहा था. हिंदू राजा हेमू की सेना मुग़ल सेना को खदेड़ रही थी कि अचानक हेमू को आँख में तीर लगा और वह बेहोश हो गया. उसे मरा सोचकर उसकी सेना में भगदड़ मच गयी. तब हेमू को बेहोशी की हालत में अकबर महान के सामने लाया गया और इसने बहादुरी से हेमू का सिर काट लिया और तब इसे गाजी के खिताब से नवाजा गया. (गाजी की पदवी इस्लाम में उसे मिलती है जिसने किसी काफिर को कतल किया हो. ऐसे गाजी को जन्नत नसीब होती है और वहाँ सबसे सुन्दर हूरें इनके लिए बुक होती हैं). हेमू के सिर को काबुल भिजा दिया गया एवं उसके धड को दिल्ली के दरवाजे से लटका दिया गया ताकि नए आतंकवादी बादशाह की रहमदिली सब को पता चल सके.
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१६. इसके तुरंत बाद जब अकबर महान की सेना दिल्ली आई तो कटे हुए काफिरों के सिरों से मीनार बनायी गयी जो जीत के जश्न का प्रतीक है और यह तरीका अकबर महान के पूर्वजों से ही चला आ रहा है.
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१७. हेमू के बूढ़े पिता को भी अकबर महान ने कटवा डाला. और औरतों को उनकी सही जगह अर्थात शाही हरम में भिजवा दिया गया.
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१८. अबुल फजल लिखता है कि खान जमन के विद्रोह को दबाने के लिए उसके साथी मोहम्मद मिराक को हथकडियां लगा कर हाथी के सामने छोड़ दिया गया. हाथी ने उसे सूंड से उठाकर फैंक दिया. ऐसा पांच दिनों तक चला और उसके बाद उसको मार डाला गया.
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१९. चित्तौड़ पर कब्ज़ा करने के बाद अकबर महान ने तीस हजार नागरिकों का क़त्ल करवाया.
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२०. अकबर ने मुजफ्फर शाह को हाथी से कुचलवाया. हमजबान की जबान ही कटवा डाली. मसूद हुसैन मिर्ज़ा की आँखें सीकर बंद कर दी गयीं. उसके ३०० साथी उसके सामने लाये गए और उनके चेहरे पर गधों, भेड़ों और कुत्तों की खालें डाल कर काट डाला गया. विन्सेंट स्मिथ ने यह लिखा है कि अकबर महान फांसी देना, सिर कटवाना, शरीर के अंग कटवाना, आदि सजाएं भी देते थे.
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२१. २ सितम्बर १५७३ के दिन अहमदाबाद में उसने २००० दुश्मनों के सिर काटकर अब तक की सबसे ऊंची सिरों की मीनार बनायी. वैसे इसके पहले सबसे ऊंची मीनार बनाने का सौभाग्य भी अकबर महान के दादा बाबर का ही था. अर्थात कीर्तिमान घर के घर में ही रहा!
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२२. अकबरनामा के अनुसार जब बंगाल का दाउद खान हारा, तो कटे सिरों के आठ मीनार बनाए गए थे. यह फिर से एक नया कीर्तिमान था. जब दाउद खान ने मरते समय पानी माँगा तो उसे जूतों में पानी पीने को दिया गया.
न्यायकारी अकबर महान
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२३. थानेश्वर में दो संप्रदायों कुरु और पुरी के बीच पूजा की जगह को लेकर विवाद चल रहा था. अकबर ने आदेश दिया कि दोनों आपस में लड़ें और जीतने वाला जगह पर कब्ज़ा कर ले. उन मूर्ख आत्मघाती लोगों ने आपस में ही अस्त्र शस्त्रों से लड़ाई शुरू कर दी. जब पुरी पक्ष जीतने लगा तो अकबर ने अपने सैनकों को कुरु पक्ष की तरफ से लड़ने का आदेश दिया. और अंत में इसने दोनों तरफ के लोगों को ही अपने सैनिकों से मरवा डाला. और फिर अकबर महान जोर से हंसा.
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२४. हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की नीति यही थी कि राजपूत ही राजपूतों के विरोध में लड़ें. बादायुनी ने अकबर के सेनापति से बीच युद्ध में पूछा कि प्रताप के राजपूतों को हमारी तरफ से लड़ रहे राजपूतों से कैसे अलग पहचानेंगे? तब उसने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि किसी भी हालत में मरेंगे तो राजपूत ही और फायदा इस्लाम का होगा.
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२५. कर्नल टोड लिखते हैं कि अकबर ने एकलिंग की मूर्ति तोड़ी और उस स्थान पर नमाज पढ़ी.
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२६. एक बार अकबर शाम के समय जल्दी सोकर उठ गया तो उसने देखा कि एक नौकर उसके बिस्तर के पास सो रहा है. इससे उसको इतना गुस्सा आया कि नौकर को इस बात के लिए एक मीनार से नीचे फिंकवा दिया.
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२७. अगस्त १६०० में अकबर की सेना ने असीरगढ़ का किला घेर लिया पर मामला बराबरी का था. न तो वह किला टोड पाया और न ही किले की सेना अकबर को हरा सकी. विन्सेंट स्मिथ ने लिखा है कि अकबर ने एक अद्भुत तरीका सोचा. उसने किले के राजा मीरां बहादुर को आमंत्रित किया और अपने सिर की कसम खाई कि उसे सुरक्षित वापस जाने देगा. तब मीरां शान्ति के नाम पर बाहर आया और अकबर के सामने सम्मान दिखाने के लिए तीन बार झुका. पर अचानक उसे जमीन पर धक्का दिया गया ताकि वह पूरा सजदा कर सके क्योंकि अकबर महान को यही पसंद था.
उसको अब पकड़ लिया गया और आज्ञा दी गयी कि अपने सेनापति को कहकर आत्मसमर्पण करवा दे. सेनापति ने मानने से मना कर दिया और अपने लड़के को अकबर के पास यह पूछने भेजा कि उसने अपनी प्रतिज्ञा क्यों तोड़ी? अकबर ने बच्चे से पूछा कि क्या तेरा पिता आत्मसमर्पण के लिए तैयार है? तब बालक ने कहा कि उसका पिता समर्पण नहीं करेगा चाहे राजा को मार ही क्यों न डाला जाए. यह सुनकर अकबर महान ने उस बालक को मार डालने का आदेश दिया. इस तरह झूठ के बल पर अकबर महान ने यह किला जीता.
यहाँ ध्यान देना चाहिए कि यह घटना अकबर की मृत्यु से पांच साल पहले की ही है. अतः कई लोगों का यह कहना कि अकबर बाद में बदल गया था, एक झूठ बात है.
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२८. इसी तरह अपने ताकत के नशे में चूर अकबर ने बुंदेलखंड की प्रतिष्ठित रानी दुर्गावती से लड़ाई की और लोगों का क़त्ल किया.
अकबर महान और महाराणा प्रताप
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२९. ऐसे इतिहासकार जिनका अकबर दुलारा और चहेता है, एक बात नहीं बताते कि कैसे एक ही समय पर राणा प्रताप और अकबर महान हो सकते थे जबकि दोनों एक दूसरे के घोर विरोधी थे?
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३०. यहाँ तक कि विन्सेंट स्मिथ जैसे अकबर प्रेमी को भी यह बात माननी पड़ी कि चित्तौड़ पर .हमले के पीछे केवल उसकी सब कुछ जीतने की हवस ही काम कर रही थी. वहीँ दूसरी तरफ महाराणा प्रताप अपने देश के लिए लड़ रहे थे और कोशिश की कि राजपूतों की इज्जत उनकी स्त्रियां मुगलों के हरम में न जा सकें. शायद इसी लिए अकबर प्रेमी इतिहासकारों ने राणा को लड़ाकू और अकबर को देश निर्माता के खिताब से नवाजा है!
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अकबर और इस्लाम
३१. हिन्दुस्तानी मुसलमानों को यह कह कर बेवकूफ बनाया जाता है कि अकबर ने इस्लाम की अच्छाइयों को पेश किया. असलियत यह है कि कुरआन के खिलाफ जाकर ३६ शादियाँ करना, शराब पीना, नशा करना, दूसरों से अपने आगे सजदा करवाना आदि करके भी इस्लाम को अपने दामन से बाँधे रखा ताकि राजनैतिक फायदा मिल सके. और सबसे मजेदार बात यह है कि वंदे मातरम में शिर्क दिखाने वाले मुल्ला मौलवी अकबर की शराब, अफीम, ३६ बीवियों, और अपने लिए करवाए सजदों में भी इस्लाम को महफूज़ पाते हैं! किसी मौलवी ने आज तक यह फतवा नहीं दिया कि अकबर या बाबर जैसे शराबी और समलैंगिक मुसलमान नहीं हैं और इनके नाम की मस्जिद हराम है.
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३२. अकबर ने खुद को दिव्य आदमी के रूप में पेश किया. उसने लोगों को आदेश दिए कि आपस में “अल्लाह ओ अकबर” कह कर अभिवादन किया जाए. भोले भाले मुसलमान सोचते हैं कि वे यह कह कर अल्लाह को बड़ा बता रहे हैं पर अकबर ने अल्लाह के साथ अपना नाम जोड़कर अपनी दिव्यता फैलानी चाही. अबुल फज़ल के अनुसार अकबर खुद को सर्वज्ञ (सब कुछ जानने वाला) की तरह पेश करता था. ऐसा ही इसके लड़के जहांगीर ने लिखा है.
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३३. अकबर ने अपना नया पंथ दीन ए इलाही चलाया जिसका केवल एक मकसद खुद की बडाई करवाना था. उसके चाटुकारों ने इस धूर्तता को भी उसकी उदारता की तरह पेश किया!
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३४. अकबर को इतना महान बताए जाने का एक कारण ईसाई इतिहासकारों का यह था कि क्योंकि इसने हिंदू धर्म और इस्लाम दोनों का ही जम कर अपमान किया और इस तरह भारत में अंग्रेजों के इसाईयत फैलाने के उद्देश्य में बड़ा कारण बना. विन्सेंट स्मिथ ने भी इस विषय पर अपनी राय दी है.
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३५. अकबर भाषा बोलने में बड़ा चतुर था. विन्सेंट स्मिथ लिखता है कि मीठी भाषा के अलावा उसकी सबसे बड़ी खूबी अपने जीवन में दिखाई बर्बरता है!
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३६. अकबर ने अपने को रूहानी ताकतों से भरपूर साबित करने के लिए कितने ही झूठ बोले. जैसे कि उसके पैरों की धुलाई करने से निकले गंदे पानी में अद्भुत ताकत है जो रोगों का इलाज कर सकता है. ये वैसे ही दावे हैं जैसे मुहम्मद साहब के बारे में हदीसों में किये गए हैं. अकबर के पैरों का पानी लेने के लिए लोगों की भीड़ लगवाई जाती थी. उसके दरबारियों को तो यह अकबर के नापाक पैर का चरणामृत पीना पड़ता था ताकि वह नाराज न हो जाए.
अकबर महान और जजिया कर
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३७. इस्लामिक शरीयत के अनुसार किसी भी इस्लामी राज्य में रहने वाले गैर मुस्लिमों को अगर अपनी संपत्ति और स्त्रियों को छिनने से सुरक्षित रखना होता था तो उनको इसकी कीमत देनी पड़ती थी जिसे जजिया कहते थे. यानी इसे देकर फिर कोई अल्लाह व रसूल का गाजी आपकी संपत्ति, बेटी, बहन, पत्नी आदि को नहीं उठाएगा. कुछ अकबर प्रेमी कहते हैं कि अकबर ने जजिया खत्म कर दिया था. लेकिन इस बात का इतिहास में एक जगह भी उल्लेख नहीं! केवल इतना है कि यह जजिया रणथम्भौर के लिए माफ करने की शर्त राखी गयी थी जिसके बदले वहाँ के हिंदुओं को अपनी स्त्रियों को अकबर के हरम में भिजवाना था! यही कारण बना की इन मुस्लिम सुल्तानों के काल में हिन्दू स्त्रियाँ जौहर में जलना अधिक पसंद करती थी.
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३८. यह एक सफ़ेद झूठ है कि उसने जजिया खत्म कर दिया. आखिरकार अकबर जैसा सच्चा मुसलमान जजिया जैसे कुरआन के आदेश को कैसे हटा सकता था? इतिहास में कोई प्रमाण नहीं की उसने अपने राज्य में कभी जजिया बंद करवाया हो.
अकबर महान और उसका सपूत
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३९. भारत में महान इस्लामिक शासन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि बादशाह के अपने बच्चे ही उसके खिलाफ बगावत कर बैठते थे! हुमायूं बाबर से दुखी था और जहांगीर अकबर से, शाहजहां जहांगीर से दुखी था तो औरंगजेब शाहजहाँ से. जहांगीर (सलीम) ने १६०२ में खुद को बादशाह घोषित कर दिया और अपना दरबार इलाहबाद में लगाया. कुछ इतिहासकार कहते हैं की जोधा अकबर की पत्नी थी या जहाँगीर की, इस पर विवाद है. संभवतः यही इनकी दुश्मनी का कारण बना, क्योंकि सल्तनत के तख़्त के लिए तो जहाँगीर के आलावा कोई और दावेदार था ही नहीं!
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४०. ध्यान रहे कि इतिहासकारों के लाडले और सबसे उदारवादी राजा अकबर ने ही सबसे पहले “प्रयागराज” जैसे काफिर शब्द को बदल कर इलाहबाद कर दिया था.
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४१. जहांगीर अपने अब्बूजान अकबर महान की मौत की ही दुआएं करने लगा. स्मिथ लिखता है कि अगर जहांगीर का विद्रोह कामयाब हो जाता तो वह अकबर को मार डालता. बाप को मारने की यह कोशिश यहाँ तो परवान न चढी लेकिन आगे जाकर आखिरकार यह सफलता औरंगजेब को मिली जिसने अपने अब्बू को कष्ट दे दे कर मारा. वैसे कई इतिहासकार यह कहते हैं कि अकबर को जहांगीर ने ही जहर देकर मारा.
अकबर महान और उसका शक्की दिमाग
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४२. अकबर ने एक आदमी को केवल इसी काम पर रखा था कि वह उनको जहर दे सके जो लोग अकबर को पसंद नहीं!
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४३. अकबर महान ने न केवल कम भरोसेमंद लोगों का कतल कराया बल्कि उनका भी कराया जो उसके भरोसे के आदमी थे जैसे- बैरम खान (अकबर का गुरु जिसे मारकर अकबर ने उसकी बीवी से निकाह कर लिया), जमन, असफ खान (इसका वित्त मंत्री), शाह मंसूर, मानसिंह, कामरान का बेटा, शेख अब्दुरनबी, मुइजुल मुल्क, हाजी इब्राहिम और बाकी सब मुल्ला जो इसे नापसंद थे. पूरी सूची स्मिथ की किताब में दी हुई है. और फिर जयमल जिसे मारने के बाद उसकी पत्नी को अपने हरम के लिए खींच लाया और लोगों से कहा कि उसने इसे सती होने से बचा लिया!
समाज सेवक अकबर महान
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४४. अकबर के शासन में मरने वाले की संपत्ति बादशाह के नाम पर जब्त कर ली जाती थी और मृतक के घर वालों का उस पर कोई अधिकार नहीं होता था.
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४५. अपनी माँ के मरने पर उसकी भी संपत्ति अपने कब्जे में ले ली जबकि उसकी माँ उसे सब परिवार में बांटना चाहती थी.
अकबर महान और उसके नवरत्न
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४६. अकबर के चाटुकारों ने राजा विक्रमादित्य के दरबार की कहानियों के आधार पर उसके दरबार .और नौ रत्नों की कहानी घड़ी है. असलियत यह है कि अकबर अपने सब दरबारियों को मूर्ख समझता था. उसने कहा था कि वह अल्लाह का शुक्रगुजार है कि इसको योग्य दरबारी नहीं मिले वरना लोग सोचते कि अकबर का राज उसके दरबारी चलाते हैं वह खुद नहीं.
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४७. प्रसिद्ध नवरत्न टोडरमल अकबर की लूट का हिसाब करता था. इसका काम था जजिया न देने वालों की औरतों को हरम का रास्ता दिखाना.
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४८. एक और नवरत्न अबुल फजल अकबर का अव्वल दर्जे का चाटुकार था. बाद में जहाँगीर ने इसे मार डाला.
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४९. फैजी नामक रत्न असल में एक साधारण सा कवि था जिसकी कलम अपने शहंशाह को प्रसन्न करने के लिए ही चलती थी. कुछ इतिहासकार कहते हैं कि वह अपने समय का भारत का सबसे बड़ा कवि था. आश्चर्य इस बात का है कि यह सर्वश्रेष्ठ कवि एक अनपढ़ और जाहिल शहंशाह की प्रशंसा का पात्र था! यह ऐसी ही बात है जैसे कोई अरब का मनुष्य किसी संस्कृत के कवि के भाषा सौंदर्य का गुणगान करता हो!
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५०. बुद्धिमान बीरबल शर्मनाक तरीके से एक लड़ाई में मारा गया. बीरबल अकबर के किस्से असल में मन बहलाव की बातें हैं जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं. ध्यान रहे कि ऐसी कहानियाँ दक्षिण भारत में तेनालीराम के नाम से भी प्रचलित हैं.
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५१. अगले रत्न शाह मंसूर दूसरे रत्न अबुल फजल के हाथों सबसे बड़े रत्न अकबर के आदेश पर मार डाले गए!
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५२. मान सिंह जो देश में पैदा हुआ सबसे नीच गद्दार था, ने अपनी बहन जहांगीर को दी. और बाद में इसी जहांगीर ने मान सिंह की पोती को भी अपने हरम में खींच लिया. यही मानसिंह अकबर के आदेश पर जहर देकर मार डाला गया और इसके पिता भगवान दास ने आत्महत्या कर ली.
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५३. इन नवरत्नों को अपनी बीवियां, लडकियां, बहनें तो अकबर की खिदमत में भेजनी पड़ती ही थीं ताकि बादशाह सलामत उनको भी सलामत रखें. और साथ ही अकबर महान के पैरों पर डाला गया पानी भी इनको पीना पड़ता था जैसा कि ऊपर बताया गया है.
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५४. रत्न टोडरमल अकबर का वफादार था तो भी उसकी पूजा की मूर्तियां अकबर ने तुडवा दीं. इससे टोडरमल को दुःख हुआ और इसने इस्तीफ़ा दे दिया और वाराणसी चला गया.
अकबर और उसके गुलाम
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५५. अकबर ने एक ईसाई पुजारी को एक रूसी गुलाम का पूरा परिवार भेंट में दिया. इससे पता चलता है कि अकबर गुलाम रखता था और उन्हें वस्तु की तरह भेंट में दिया और लिया करता था.
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५६. कंधार में एक बार अकबर ने बहुत से लोगों को गुलाम बनाया क्योंकि उन्होंने १५८१-८२ में इसकी किसी नीति का विरोध किया था. बाद में इन गुलामों को मंडी में बेच कर घोड़े खरीदे गए.
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५७. जब शाही दस्ते शहर से बाहर जाते थे तो अकबर के हरम की औरतें जानवरों की तरह सोने के पिंजरों में बंद कर दी जाती थीं.
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५८. वैसे भी इस्लाम के नियमों के अनुसार युद्ध में पकडे गए लोग और उनके बीवी बच्चे गुलाम समझे जाते हैं जिनको अपनी हवस मिटाने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है. अल्लाह ने कुरान में यह व्यवस्था दे रखी है.
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५९. अकबर बहुत नए तरीकों से गुलाम बनाता था. उसके आदमी किसी भी घोड़े के सिर पर एक फूल रख देते थे. फिर बादशाह की आज्ञा से उस घोड़े के मालिक के सामने दो विकल्प रखे जाते थे, या तो वह अपने घोड़े को भूल जाये, या अकबर की वित्तीय गुलामी क़ुबूल करे.
कुछ और तथ्य
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६०. जब अकबर मरा था तो उसके पास दो करोड़ से ज्यादा अशर्फियाँ केवल आगरे के किले में थीं. इसी तरह के और खजाने छह और जगह पर भी थे. इसके बावजूद भी उसने १५९५-१५९९ की भयानक भुखमरी के समय एक सिक्का भी देश की सहायता में खर्च नहीं किया.
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६१. अकबर ने प्रयागराज (जिसे बाद में इसी धर्म निरपेक्ष महात्मा ने इलाहबाद नाम दिया था) में गंगा के तटों पर रहने वाली सारी आबादी का क़त्ल करवा दिया और सब इमारतें गिरा दीं क्योंकि जब उसने इस शहर को जीता तो लोग उसके इस्तकबाल करने की जगह घरों में छिप गए. यही कारण है कि प्रयागराज के तटों पर कोई पुरानी इमारत नहीं है.
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६२. एक बहुत बड़ा झूठ यह है कि फतेहपुर सीकरी अकबर ने बनवाया था. इसका कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है. बाकी दरिंदे लुटेरों की तरह इसने भी पहले सीकरी पर आक्रमण किया और फिर प्रचारित कर दिया कि यह मेरा है. इसी तरह इसके पोते और इसी की तरह दरिंदे शाहजहाँ ने यह ढोल पिटवाया था कि ताज महल इसने बनवाया है वह भी अपनी चौथी पत्नी की याद में जो इसके और अपने सत्रहवें बच्चे को पैदा करने के समय चल बसी थी!
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इस लेख के माध्यम से कोई मुझे बहुत बाधा इतिहासकार न माने ..ये तो उन महान खोजकर्ताओ आर्यसमाजियो की दें हे जो सच को सामने ला रहे हे .........

PART-1 की लिंक ......और अधिक जानकारी के लिए
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=765301270195172&set=a.332688820123088.80369.100001459181855&type=1&relevant_count=1





media ने कभी ये आपको बताया है ....?
1) nestle कंपनी खुद मानती है कि वे अपनी चाकलेट kitkat मे
बछड़े के मांस का रस मिलाती है ! और सबका धर्म भ्रष्ट कर रही है !
2) मद्रास high cout मे fair and lovely कंपनी पर जब case किया
गया था ! तब कंपनी ने खुद माना था कि हम cream मे सूअर की चर्बी
का तेल मिलाते है !
3) ये colgate कंपनी जब अपने देश america मे colgate बेचती है तो
उस पर warning लिखती है, अमेरिका और यूरोप में जब कोलगेट बेचा
जाता है तो उस पर चेतावनी (Warning) लिखी होती है | लिखते अंग्रेजी में
हैं, मैं आपको हिंदी में बताता हूँ,उस पर लिखते हैं...
"please keep out this Colgate from the reach of the children below
6 years"
" मतलब "छः साल से छोटे बच्चों के पहुँच से इसको दूर रखिये/ उसको मत
दीजिये", क्यों? क्योंकि बच्चे उसको चाट लेते हैं, और उसमे कैंसर करने वाला
केमिकल है, इसलिए कहते हैं कि बच्चों को मत देना ये पेस्ट | और आगे लिखते
हैं " In case of accidental ingestion , please contact nearest poison
control center immediately , मतलब "अगर बच्चे ने गलती से चाट लिया तो
जल्दी से डॉक्टर के पास ले के जाइए" इतना खतरनाक है, और तीसरी बात वो लिखते
हैं...
"If you are an adult then take this paste on your brush in pea size "
मतलब क्या है कि " अगर आप व्यस्क हैं / उम्र में बड़े हैं तो इस पेस्ट को अपने ब्रश
पर मटर के दाने के बराबर की मात्रा में लीजिये" | और आपने देखा होगा कि हमारे
यहाँ जो प्रचार टेलीविजन पर आता है उसमे ब्रश भर के इस्तेमाल करते दिखाते हैं |
हमारे देश में बिकने वाले पेस्ट पर ये "warning" नहीं होती...
4) vicks नाम कि दवा यूरोप के कितने देशो मे ban है ! वहाँ इसे जहर घोषित किया
गया है !पर भारत मे सारा दिन tv पर इसका विज्ञापन आता है !!
5) life bouy न bath soap है न toilet soap ! ये जानवरो को नहलाने वाला cabolic
soap है !
यूरोप मे life bouy से कुत्ते है ,और भारत मे 9 करोड़ लोग इससे रगड़ रगड़ कर नहाते
हैं !!
6) ये coke pepsi सच मे toilet cleaner है ! और ये साबित हो गया है इसमे 21
तरह के अलग अलग जहर है ! और तो और संसद की कंटीन मे coke pepsi बेचना
ban है ! पर पूरे देश मे बिक रही है !!
7) ये healt tonic बेचने वाली विदेशी कंपनिया boost ,complan ,horlics,maltov
a ,protinx , इन सबका delhi के all india institute (जहां भारत की सबसे बड़ी लैब
है ) वहाँ इन सबका test किया गया और पता लगा ये सिर्फ मुगफली के खली से बनते
है ! मतलब मूँगफली का तेल निकालने के बाद जो उसका waste बचता है जिसे गाँव मे
जानवर खाते है उससे ये health tonic बनाते है !!
8) अमिताभ बच्चन का जब आपरेशन हुआ था और 10 घंटे चला था तब डाक्टर ने
उसकी बड़ी आंत काटकर निकली थी और डाक्टर मे कहा था ये coke pepsi पीने के
कारण सड़ी है ! और अगले ही दिन से अमिताभ बच्चन ने इसका विज्ञापन करना बंद
कर दिया था और आजतक coke pepsi का विज्ञापन नहीं करते !
कुछ बड़ी शक्तिया हैं, जो की भारत को तोड़ने का काम कर रहीं हैं ! और हमें इसेके लिए एक साथ मिलने की और एक साथ अपनी कमर कसने की जरूरत है! भारत को वैचारिक तौर पर तोड़ने के लिए देसी और विदेशी ताकते काम कर रहीं है (आप राजीव मल्होत्रा जी की पुस्तक "ब्रेकिंग इंडिया" पढ़ें) !

ऐसा नहीं है की अतीत में बड़े देश टूटे नहीं है, रूस, एक बड़ी ताकत था, बड़ा देश था, लेकिन वोह १६ देशो में टूट गया ! यूगोस्लाविया एक बड़ा मुल्क था, विश्व की ६ सबसे बड़ी सैन्य शक्ति था, लेकिन वोह भी ५ देशो में टूट गया !
सबसे बड़ा उधाहरण तोह, हमारा अखंड भारत ही है, जिसके बहोत सारे टुकड़े हो चुके हैं ! बर्मा, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्थान, बांग्लादेश, तिब्बत, इंडोनेशिया यह सब अखंड भारत के ही हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन धीरे धीरे हमसे अलग कर दिए गए!

रूस और यूगोस्लाविया , दोनो देश ही कोमुनिस्ट (वामपंथी) और सोशलिस्ट (समाजवादी) देश हुआ करते थे ! इन देशों में ये वामपंथी विचारधाराएं ,"एक राष्ट्र(One Nation)" की अवधारणा को नष्ट "deconstruct" के लिए काम करती थीं! वे social fault-lines को बनाना और निर्मित करना, और उसे पोषित करते रहने का काम , सांस्कृतिक सामंजस्य और इतिहास विकृत (History distortion) का काम करती रहती थीं ! मार्क्सवादियों के इन सामाजिक इंजीनियरिंग (Social Engineering) के तरीकों से समुदायों के बीच नफरत फैलाने में करने की दिशा में काम किया! जो इन साम्यवादी देशों में अंतता फाइनल ब्रेकअप (Final Break-up) के रूप में उभर कर आया !

हिंदुओं को एक सामूहिक भारतीय राष्ट्रीय पहचान बनाने की आवश्यकता है जो हरेक भारतीय को उसके अपने सभ्यता, सनातन मानसिकता एवं सच्चे इतिहास से जोड़ता है | जो भी भारत विरोधी बल आपसी सहयोग में काम कर रहे हैं उनके हर षड़यंत्र , हर पहलू को सार्वजनिक क्षेत्र में निर्भय चर्चा और बहस करने की जरूरत है!
हमें चर्चा वामपंथी-पश्चिमी-अब्रहमी लेंस (नजरिये) की तुलना में नहीं , बल्कि भारत के और अपने प्राचीन इतिहास और सभ्यता के नजरिये और माध्यम से करनी पड़ेगी! यह नजरिये को हमें बदलने की अत्यंत जरूरत है !

महाभारत युद्ध के पहले का भ्रम और दुर्बलता(मानसिक) के इस "अर्जुन सिंड्रोम" को दूर और स्पष्ट करने हेतु, अब एक विराट भारत राष्ट्र निर्माण किया जाना चाहिए !
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देश में रोज़ हजारों NGO समाज सेवा हेतु पंजीक्रत होते हैं, देश के राष्ट्रपति से लेकर चपरासी तक सबने NGO खोल लिए हैं और अनुदान में सरकारी पैसा पाने की जुगत में लगे रहते हैं !
देश में 20 लाख से भी ज्यादा NGO है ।कुछ राज्यों का विवरण इस प्रकार से है
पश्चिम बंगाल 234000 जिसमे से मात्र 16000 NGO की डिटेल ही सरकार के पास है ।
उत्तरप्रदेश 548194
केरल 369137
महाराष्ट्र 107797
मध्यप्रदेश 140000
इसके अलावा अभी अन्य राज्यों का विवरण जमा करने में CBI ने कोर्ट से अतिरिक्त 3 माह का समय माँगा है ।
ये विवरण भी अभी अपूर्ण  है, पूरी सूचना अभी भी नहीं है ।
2002 से 2009 तक 6654 करोड़ रुपये इन NGOs को मिल चुके है । यानी हर साल 950 करोड़ ।
2010-11 के डेटा के अनुसार 22000 NGOs को $2 billian विदेशो से मिल चुके है जिसमे अकेले अमेरिका से इन्हें $650 million मिले है ।
इसके बाबजूद भी देश में पिचले 10 सालो में 10 करोड़ गरीबो में इजाफा हुआ यानी 10 करोड़ गरीब बढ़ गए ।
अब आप अंदाजा लगा सकते है की ये NGOs वाले इन पैसो का क्या करते है । 10% तो दिखावे के लिए लगाते है वो भी सिर्फ मुफ्त का सामान बाटने में और बाकी पैसे ये सरकार का विरोध और नए नए प्रोजेक्ट के विरोध में लगा देते है ।
जिससे न तो विकास हो पाता है और मुफ्तखोरो की संख्या की संख्या बढ़ती है सो अलग ? । यदि इन्ही पैसो को वो गरीबो की पढ़ाई और काम सिखाने में लगाते तो आज कोई गरीबी रेखा के नीचे ही न होता ।
ये मुफ्त के कुछ कपडे बांट देते है कुछ खाने पीने की वस्तुएं बांट देते है और लोगो को कामचोर बना देते है । अब फैसला आप लोगों को करना है की इनकी दुकाने बंद करनी है या देश में अराजकता का माहौल बनाना है ।

Wednesday, 16 July 2014

एक दिन एक किसान का गधा कुएँ में गिर गया ।वह गधा घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि गधा काफी बूढा हो चूका था,अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था;और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।
किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है ,वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा । और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया। सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एआश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था। जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एस सीढी ऊपर चढ़ आता । जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह गधा कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया।
ध्यान रखो ,तुम्हारे जीवन में भी तुम पर बहुत तरह कि मिट्टी फेंकी जायेगी ,बहुत तरह कि गंदगी तुम पर गिरेगी। जैसे कि ,तुम्हे आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही तुम्हारी आलोचना करेगा ,कोई तुम्हारी सफलता से ईर्ष्या के कारण तुम्हे बेकार में ही भला बुरा कहेगा । कोई तुमसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो तुम्हारे आदर्शों के विरुद्ध होंगे। ऐसे में तुम्हे हतोत्साहित होकर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हिल-हिल कर हर तरह कि गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख लेकर,उसे सीढ़ी बनाकर,बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।
अतः याद रखो !जीवन में सदा आगे बढ़ने के लिए -
१) नकारात्मक विचारों को उनके विपरीत सकारात्मक विचारों से विस्थापित करते रहो।
२) आलोचनाओं से विचलित न हो बल्कि उन्हें उपयोग में लाकर अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करो।
गंगाजल कभी खराब क्यों नहीं होता ??
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हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा (भागीरथी), हरिद्वार (देवप्रयाग) में अलकनंदा से मिलती है। यहाँ तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुलती जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो पानी को सड़ने नहीं देती। हर नदी के जल की अपनी जैविक संरचना होती है, जिसमें वह ख़ास तरह के घुले हुए पदार्थ रहते हैं जो कुछ क़िस्म के जीवाणु को पनपने देते हैं और कुछ को नहीं। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि गंगा के पानी में ऐसे जीवाणु हैं जो सड़ाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते, इसलिए पानी लंबे समय तक ख़राब नहीं होता।
वैज्ञानिक कारण-
वैज्ञानिक बताते हैं कि हरिद्वार में गोमुख- गंगोत्री से आ रही गंगा के जल की गुणवत्ता पर इसलिए कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि यह हिमालय पर्वत पर उगी हुई अनेकों जीवनदायनी उपयोगी जड़ी-बूटियों, खनिज पदार्थों और लवणों को स्पर्श करता हुआ आता है। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा के जल का ख़राब नहीं होने के कई वैज्ञानिक कारण भी हैं।
गंगाजल में बैट्रिया फोस नामक एक बैक्टीरिया पाया गया है जो पानी के अंदर रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होने वाले अवांछनीय पदार्थों को खाता रहता है। इससे जल की शुद्धता बनी रहती है।
गंगा के पानी में गंधक (सल्फर) की प्रचुर मात्रा मौजूद रहती है; इसलिए भी यह ख़राब नहीं होता। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं, जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते।
यही कारण है कि यह पानी सदा पीने योग्य माना गया है। जैसे-जैसे गंगा हरिद्वार से आगे अन्य शहरों की ओर बढ़ती जाती है शहरों, नगर निगमों और खेती-बाड़ी का कूड़ा-करकट तथा औद्योगिक रसायनों का मिश्रण गंगा में डाल दिया जाता है।
वैज्ञानिको के मत एवं शोध-
वैज्ञानिक परीक्षणों से पता चला है कि गंगाजल से स्नान करने तथा गंगाजल को पीने से हैजा, प्लेग, मलेरिया तथा क्षय आदि रोगों के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इस बात की पुष्टि के लिए एक बार डॉ. हैकिन्स, ब्रिटिश सरकार की ओर से गंगाजल से दूर होने वाले रोगों के परीक्षण के लिए आए थे। उन्होंने गंगाजल के परिक्षण के लिए गंगाजल में हैजे (कालरा) के कीटाणु डाले गए। हैजे के कीटाणु मात्र 6 घंटें में ही मर गए और जब उन कीटाणुओं को साधारण पानी में रखा गया तो वह जीवित होकर अपने असंख्य में बढ़ गया। इस तरह देखा गया कि गंगाजल विभिन्न रोगों को दूर करने वाला जल है।
फ्रांस के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. हैरेन ने गंगाजल पर वर्षों अनुसंधन करके अपने प्रयोगों का विवरण शोधपत्रों के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने आंत्र शोध व हैजे से मरे अज्ञात लोगों के शवों को गंगाजल में ऐसे स्थान पर डाल दिया, जहाँ कीटाणु तेजी से पनप सकते थे। डॉ. हैरेन को आश्चर्य हुआ कि कुछ दिनों के बाद इन शवों से आंत्र शोध व हैजे के ही नहीं बल्कि अन्य कीटाणु भी गायब हो गए। उन्होंने गंगाजल से 'बैक्टीरियासेपफेज' नामक एक घटक निकाला, जिसमें औषधीय गुण हैं।
इंग्लैंड के जाने-माने चिकित्सक सी. ई. नेल्सन ने गंगाजल पर अन्वेषण करते हुए लिखा कि इस जल में सड़ने वाले जीवाणु ही नहीं होते। उन्होंने महर्षि चरक को उद्धृत करते हुए लिखा कि गंगाजल सही मायने में पथ्य है।
रूसी वैज्ञानिकों ने हरिद्वार एवं काशी में स्नान के उपरांत 1950 में कहा था कि उन्हें स्नान के उपरांत ही ज्ञात हो पाया कि भारतीय गंगा को इतना पवित्र क्यों मानते हैं।
गंगाजल की पाचकता के बारे में ओरियंटल इंस्टीटयूट में हस्तलिखित आलेख रखे हैं। कनाडा के मैकिलन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. एम. सी. हैमिल्टन ने गंगा की शक्ति को स्वीकारते हुए कहा कि वे नहीं जानते कि इस जल में अपूर्व गुण कहाँ से और कैसे आए। सही तो यह है कि चमत्कृत हैमिल्टन वस्तुत: समझ ही नहीं पाए कि गंगाजल की औषधीय गुणवत्ता को किस तरह प्रकट किया जाए।
आयुर्वेदाचार्य गणनाथ सेन, विदेशी यात्री इब्नबतूता वरनियर, अंग्रेज़ सेना के कैप्टन मूर, विज्ञानवेत्ता डॉ. रिचर्डसन आदि सभी ने गंगा पर शोध करके यही निष्कर्ष दिया कि यह नदी अपूर्व है।
गंगाजल में स्नान-
गंगा नदी में तैरकर स्नान करने वालों को स्नान का विशेष लाभ होता है। गंगाजल अपने खनिज गुणों के कारण इतना अधिक गुणकारी होता है कि इससे अनेक प्रकार के रोग दूर होते हैं। गंगा नदी में स्नान करने वाले लोग स्वस्थ और रोग मुक्त बने रहते हैं। इससे शरीर शुद्ध और स्फूर्तिवान बनता है। भारतीय सभ्यता में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है। गंगा नदी के पानी में विशेष गुण के कारण ही गंगा नदी में स्नान करने भारत के विभिन्न क्षेत्र से ही नहीं बल्कि संसार के अन्य देशों से भी लोग आते हैं। गंगा नदी में स्नान के लिए आने वाले सभी लोग विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति पाने के लिए हरिद्वार और ऋषिकेश आकर मात्र कुछ ही दिनों में केवल गंगा स्नान से पूर्ण स्वस्थ हो जाते हैं। कई विद्वानों ने गंगाजल की पवित्रता का वर्णन अपने निबन्धों में पूर्ण आत्मा से किया है। भौतिक विज्ञान के कई आचार्यो ने भी गंगाजल की अद्भुत शक्ति और प्रभाव को स्वीकार किया है।