Thursday 24 July 2014

किसान के ज्ञान को विज्ञान का सलाम

न रसायनिक खाद, न कीटनाशक, न बरसात का इंतजार, फिर भी फसल में विज्ञान सरीखा कमाल। टमाटर के पौधे 15 फीट तक ऊंचे और उत्पादन प्रति बीघा 100 क्विंटल। ऐसी खेती देख दक्षिण पूर्व एशियाई देश फिलीपींस के कृषि वैज्ञानिक भी अचरज में पड़ गए। उन्होंने दुनिया में ऐसी खेती न होने का दावा किया। इसके बाद उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के इस किसान के ज्ञान को विज्ञान ने भी सलाम किया और पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय ने सराहा।

रामपुर जिले के बेनजीर गांव निवासी वीरेंद्र सिंह संधु ने अर्थशास्त्र में परास्नातक कर 15 साल पूर्व जैविक खेती का निर्णय लिया। वे खेतों में सिर्फ जैविक खाद डालते हैं और कीटनाशक दवाओं का भी इस्तेमाल नहीं किया। संधु 12 एकड़ के फार्म में धान, मैंथा, मटर, टमाटर, खीरा, गेहूं व धनिया उगाते हैं। फसलों की सिंचाई के लिए रिजर्वायर बना रखा है। बिजली आने पर इसमें पानी भरते हैं। रिजर्वायर से कुछ ऊंचाई पर गाय, भैंस, बछड़े बंधे रहते हैं। उनका गोबर व मूत्र वेयर में आता है, जो पानी में मिलता है और सिंचाई के जरिये फसलों में पहुंचता है। कीटों को मारने के लिए वह बायो कंट्रोल सिस्टम अपनाते हैं। उन्होंने यहीं पर आठ बीघा जमीन पर पोलीहाउस बना रखा है, जो ऊपर से ढका है। इसमें टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा आदि की खेती करते हैं।

इसकी तकनीक सीखने के लिए वह इजराइल गए थे। टमाटर की फसल की ऊंचाई 15 फीट तक है, जिस पर नीचे से ऊपर तक टमाटर लदे हैं। प्रति बीघा सौ क्विंटल टमाटर व 50 क्विंटल खीरा उत्पादन का रिकॉर्ड उनके पास है। वह इनका बीज हॉलैंड से लेकर आए थे। पोलीहाउस में कृत्रिम बारिश करने के साथ दस डिग्री तक तापमान घटाने और बढ़ाने की व्यवस्था है। संधु को मेरठ व पंतनगर के कृषि विश्वविद्यालय अक्सर लेक्चर के लिए बुलाते हैं। वहां से प्रोफेसर, कृषि विशेषज्ञ भी फॉर्म पर आते हैं। बताते हैं कि फिलीपींस के इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट के हेड डॉ. खुश फार्म पर आए थे।

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