Friday 5 January 2018



डॉ. संभाजी भिड़े (प्रोफेसर एवं वैज्ञानीक)
मीडिया के बहकावे में आकर इनको गाली देने से पहले या इनके उपर दंगे भडकाने का स्टीकर चिपकाने से पहले जान लीजिये की ये है कौन-
नाम है डॉक्टर संभाजी भिडे।
साधारण सा दिखने वाला ये आदमी साधारण नहीं बहुत विशेष है। आप भैतिकी( फिजिक्स) मे गोल्ड मेडलिस्ट हैं। आप पुणे के प्रतिष्ठित फेगर्सन कॉलेज में प्रोफेसर रह चुके हैं। आपको आपके कार्य के लिये १०० से भी ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कारों पुरुस्कृत किया जा चुका है। आपने ६७ डॉक्टोरल एवं पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च कार्य किये हैं। आप नासा एवं पेंटागन के सलाहकार सद्स्यों की कमेटी के सद्स्य रह चुके हैं, ये गौरव प्राप्त करने वाले आप पहले और एक मात्र भारतीय वैज्ञानिक हैं। हिंदुत्व के लिये आपका योगदान अवर्णनीय है। वर्तमान में आपका निवास स्थान सबनिसवाडी सतारा में है। आपने प्रचारक के तौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में भी अपनी सेवायें दी हैं। १९८० में आपने स्वेच्छा से संघ से मुक्त होकर "शिव प्रतिष्ठान" नामक एक स्वयंसेवक संगठन का निर्माण किया।
आज ये महापुरुष किसी मल्टीनेशनल कंपनी के लिये काम नहीं कर रहा। बल्कि गांव गांव फिरकर गरीबों की सेवा करना उनको शिक्षित करना उन्हें रोजगार दिलाना ही इनका मुख्य कार्य है। आज महाराष्ट्र मे १० लाख से भी ज्यादा युवा इनको फॉलो करते हैं। इन्होंने मां भारती की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। ये सिर्फ खादी पहनते हैं और बिना चप्पल के यात्रा करते हैं चाहे कितनी दूरी की क्यों न हो।
ये मानव नहीं महामानव है, राष्ट्र के लिये अपना सब कुछ समर्पित करने वाले ऐसे महापुरुष पर दंगे भडकाने का आरोप लगाना राजनीति के रसातल में जाने के संकेत है।
२०० साल से अंग्रेजों की जीत का जो भीमाकोरेगांव उत्सव है जिसे शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है, भिडे जी ने इसे न मनाने के लिये विनम्र निवेदन किया और महारों को समझाने के लिये एक बैठक बुलाई। ३१ दिसंबर को उमर खा-लीद और जिग्नेश मेवाणी ने भिडे जी के खिलाफ भडकाऊ भाषण दिये जिससे वहां की स्थानीय जनता भडक गयी और कुछ हाथापाई हुई। अब इसमें भिडे जी का क्या दोष ???
जनहित के लिए पोस्ट शेयर करें

No comments:

Post a Comment