Monday 11 November 2013

अपनी बहादुर बहनो के लिए ....

ये हैं जल सेना (Indian Navy)
की महिला स्काई डाइविंग टीम (Sky Diving Team)
यह फ़िल्मी नायिकाओ
की तरहबॉडी डबल या नकली स्टंट
नहीं करती,
यह भारत माँ की वो बेटियां हैं
जिनके हवा में किये गए स्टंट देख कर
दुश्मनों के छक्के छुट जाते हैं|

***माँ तुझे सलाम***
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EVM में सात अलग अलग वोट डाले गये ....

लेकिन उसके बाद भी पाँच वोट #कांग्रेस के खाते में चले गये.. कोंग्रेस का देश के साथ बहुत बड़ा धोखा ???

ये समाचार अत्यंत... ही स्तब्धकारी और देश के साथ बहुत बड़ा धोखा है| यह सच है- इस पर तुरंत कार्यवाही करते हुए कांग्रेस की मान्यता भी रद्द कर देनी चाहिए.. 

महाराष्ट्र के अर्धा पुर नगर में पंचायत चुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारी डॉ निशिकांत पाण्डेय ने सभी राजनैतिक दलों की हाजिरी में चुनाव प्रक्रिया, मतदान पद्धति तथा मशीनों की जांच के लिए एक प्रदर्शन (Demonstration)
रखi......यहाँ जिस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सभी उम्मीदवारों को वोट डालने का तरीका समझाया जाना था .....

डेमो के समय उस EVM में सात अलग अलग वोट डाले गये .... लेकिन उसके बाद भी पाँच वोट कांग्रेस के खाते में चले गये ..... उसके बाद अधिकारी चौंक गये और उन्होंने दो बार फिर उस EVM में सात अलग अलग पार्टी के वोट डाले लेकिन नतीजा फिर वही आया ... सात में से पाँच वोट फिर कांग्रेस को ही गये ?????..... और इस घटना पर कांग्रेस के अलावा सभी राजनैतिक दल हैरान थे

निर्वाचन अधिकारी ने किसी तरह से मामले को रफा दफा किया|” जब तक सारे EVM मशीन की जाँच न हो जाये, कोई भी चुनाव न होने चाहिए |

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अब हमें यह समझना पड़ेगा की भ्रष्टाचार बढ़ने से भारतीय सेना, भारतीय वायू-सेना और भारतीय-नौसेना की ताकत कैसे कम होती है |

भ्रष्टाचार बढ़ने से सबसे पहले, विदेशी कम्पनियाँ भारत के सांसद और प्रधानमंत्री को खरीदना शुरू करती हैं | विदेशी कम्पनियाँ, सांसदों से सीधे भारतीय सेना, भारतीय वायू-सेना और भारतीय-नौसेना की ताकत कम करने के लिए नहीं कहती हैं | वे उनको विदेशों से हथियार खरीदने के लिए प्रोत्साहन देतेहैं और आधी-अधूरी जानकारी देते हैं कि विदेशों के हथियार भारत की तुलना में बेहतर गुणवत्ता के हैं | ये आधी-अधूरी जानकारी है | विदेशी कम्पनियाँ भारत के सांसदों को यह नहीं बताती कि युद्ध के समय में जब भारत को विदेशी हथियारों और उनके स्पेर-पार्ट (अतिरिक्त पुर्जों) की जरुरत होगी, तो हम हथियारों की कीमत बढा देंगे या उनकी आपूर्ति ही बंद कर देंगे और ब्लैक-मैल करेंगे और भारत की खनिज सम्पति पर नाटो देशों की विदेशी कंपनिओ को देने के लिए दबाव डालेंगे |
जब तक सांसदों को यह सब जानकारी मिलेगी, तब तक बहुत देर हो जाती है | जैसे कि भारत के साथ हुआ है | मेंरे हिसाब से भारत के पिछले ६५ साल में जितने भी सांसद आये सारे महा-मूर्ख थे | हो सकता है उनमें से कुछ २-४ की नीयत अच्छी हो लेकिन वो निकले तो महा-मूर्ख | इन सबमें सबसे पहला नाम है इंदिरा गाँधी का | इंदिरा गाँधी का नाम इसलिए कि उसने स्वदेशी हथियार बनाने की पहल की लेकिन यह ध्यान नहीं रखा कि कोई ऐसी प्रणाली विकसित की जाए की आने वाला अगला प्रधान-मंत्री अमेरिका या रसिया के हाथ की कठपुतली ना बन जाए | और उसने सारे तानाशाह वाले कदम लिए | इस लिए सभी लोग उनके खिलाफ हो गए | वो सिर्फ एक मूर्ख तानाशाह थी |

कुछ अपवाद मामलों में जब सांसद या हमारे जैसे कुछ कार्यकर्ता स्वदेशी हथियार उत्पादन पर जोर देते हैं, तो विदेशी कम्पनियाँ सांसदों को मूर्ख बनाती हैं या खरीद लेती हैं और उनको हथियार भारत में एसेम्बल (जोड़ने) करने के लिए कहती हैं | फिर वो सांसद बिकाऊ मीडिया (पेड-मीडिया) के साथ मिलकर भारत में यह अफवाह फैलाते हैं कि हमने फलाना-धिकना स्वदेशी बनाया, स्वदेशी फाईटर विमान बनाया, आदि | अरे भाई, उनको पूछो कि संख्या कितनी है तो कहेंगे ५ या १० | स्वदेशी का मतलब होता है १००% भारतीय | उनमें स्क्रू से लेकर सेमी-कंडक्टर और सेटेलाईट टेक्नोलोगी सब १००% भारतीय होना चाहिए |

भ्रष्ट भारत सरकार ने तो भारत में सेमी-कंडक्टर और सेटेलाईट टेक्नोलोगी विकसित करने ही नहीं दी है | तो क्या सरकार अपने पिछवाड़े में से सेमी-कंडक्टर और सेटेलाईट टेक्नोलोगी लाए है | संपूर्ण स्वदेशी का मतलब होता है कि भारत नमूना (सैम्पल) लड़ाकू विमान बनाने के बाद ६ महीने में २०००-३००० लड़ाकू विमान उत्पादन कर डाले | क्या भारत के पास स्वदेशी २०००-३००० युद्ध जहाज हैं और क्या युद्ध की स्थिति में सरकार ४०००-५००० लड़ाकू हवाई-विमान बना सकती है ? बिलकुल नहीं | युद्ध के समय में, भारत को नाटो देश और रूस से भीख मांगनी पड़ेगी |

हमें हमारी वर्तमान परिथिति में, हर एक जिल्ला जिसकी आबादी १० लाख से ऊपर है वहाँ पर एक भारतीय वायू-सेना का अड्डा, छोटी सेना चाहिए | क्या हमारे पास भारत में १००० भारतीय वायू-सेना के अड्डे हैं ? नहीं | क्या हम युद्ध की स्थिति में हा जिल्ले जिसके आबादी १० लाख से ऊपर है, वहाँ हम स्वदेशी युद्ध-हवाई-जहाज, तोप, टैंक, आदि का २-३ दिन में उत्पादन कर सकते है ? बिलकुल नहीं | क्या हम १ दिन में लड़ाकू हवाई-जहाज, लड़ाकू टेंक, मिसाईल आदि के अतिरिक्त पुर्जे (स्पेर पार्ट) और उनका पूरा उत्पादन कर सकते हैं ? बिलकुल नहीं | हमारी कोई हैसियत नहीं है कि आज हम हथियारों का उत्पादन कर सकें |

१९९९ के कारगिल युद्ध में भारत की सेना पाकिस्तान की सेना को पीछे नहीं धकेल पा रही थी | भारत के सैनिक ज्यादा संख्या में शहीद हो रह थे | फिर भारत के प्रधान-मंत्री अटल बिहारी वाजपई ने नाटो देशों से लेसर-मार्गदर्शित (Laser Guided) बोम्ब की भीख मांगी | फिर भारत ने विदेशी इन्स्योरंस कंपनियो को भारत में व्यापर करने की मंजूरी दी और बाद में नाटो ने लेसर-मार्गदर्शित (Laser Guided) बोम्ब भीख में दिए | फिर उन लेसर-मार्गदर्शित (Laser Guided) बोम्ब की मदद से भारत ने पाकिस्तान के काफी सारे सैनिको को मार डाला | फिर नाटो ने पाकिस्तान को पीछे हट जाने के लिए कहा और ना मानने की स्थिति में भारत को और हथियार देंगे इस तरह से धमकाया | फिर जब पाकिस्तान पीछे हट जाने के लिए मान गया, तो भारत को सुरक्षित रास्ता (Safe Passage) देने के लिए कहा | अगर भारत यह बात नहीं मानता, तो नाटो भारत को लेसर-मार्गदर्शित (Laser Guided) बोम्ब और अन्य हथियार की आपूर्ति बंद कर देगा और पाकिस्तान को दुगने हथियार देगा --- इस तरह से नाटो ने भारत को धमकाया | फिर भारत को सुरक्षित रास्ता (Safe Passage) देना पड़ा | इस तरह से भारत और पाकिस्तान दोनों कारगिल का युद्ध हार गए और नाटो देशों(इल्लुमिनाती की सेना ही नाटो की सेना है ) की विजय हुई |

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