Tuesday 26 November 2013

• हल्दी के प्रयोग....

• हल्दी : Turmeric इस दृव्य को सभी भारतीय , भोज्य पदार्थ के रूप में प्रयोग करते हैं आयुर्वेद में इसे औषधि के रूप में प्रयोग करते हैं घरेलू उपचार में इसे प्रयोग करते हंर बाहरी उपचार में इसे प्रयोग करते हैं सूखी हल्दी का चूर्ण
• . हल्दी के विभिन्न भाषाओं में नाम संस्कृत : हरिद्रा , कांचनीं , वरवर्णिनीं , पीता बंगला : हलुद , हरिद्रा मराठी : हलद गुजराती : हलदर कन्नड़ : अरसीन तेलुगू : पासुपु फारसी : जरदपोप अरबी : डरूफुस्सुकुर English : Turmeric Latin : Curcuma Longa, Curcuma Domestica • हल्दी के प्रकार हल्दी दो प्रकार की होती है , एक लम्बी तथा दूसरी गोल
लम्बी हल्दी गोल हल्दी
• हल्दी परिचय :1 यह खेतों में बोई जाती है , लेकिन कई स्थानों में यह स्वयमेव उतपन्न हो जाती है जमीन के नीचे कन्द के रूप में इसकी जड़ें होती है ये कन्द रूपी जड़ें हरी अथवा ताजी अथवा कच्ची हल्दी होती है
• हल्दी परिचय : 2 कच्ची हल्दी की सब्जी बनाकर खाते हैं कच्ची हल्दी को सुखा लेते हैं या उबालकर सुखा लेते हैं , ऐसी हल्दी सूखने के बाद रंग परिवर्तन होकर पीला रंग ग्रहण कर लेती है
• हल्दी के रासायनिक तत्व हल्दी में कई प्रकार के रासायनिक तत्व पाये जाते हैं एक प्रकार का सुगंधित उडंनशील तैल 1 प्रतिशत एक प्रकार का गोंद जैसा पदार्थ एक प्रकार का पीले रंग का रंजक पदार्थ एक प्रकार का गाढा तेल
• कुछ आधुनिक तथ्य वैज्ञानिकों का कहना है कि हल्दी में लौह तत्व पाया गया है इसमें विटामिन बी ग्रुप के कुछ तत्व पाये गये हैं
• विश्लेषण में पाये गये तत्व - 1 हल्दी में पाये गये आवश्यक तत्व निम्न प्रकार हैं जल 13.1 % ग्राम प्रोटीन 6.3 % ग्राम वसा 5.1 % ग्राम खनिज पदार्थ 3.5 % ग्राम रेशा 2.6 % ग्राम कारबोहाइड्रेट 69.4 % ग्राम • विश्लेषण में पाये गये तत्व - 2 कैल्शियम 150 मिलीग्राम प्रतिशत फासफोरस 282 मिलीग्राम प्रतिशत लोहा 15 मिलीग्राम प्रतिशत विटामिन ए 50 मिलीग्राम प्रतिशत विटामिन बी 03 मिलीग्राम प्रतिशत कैलोरियां प्रति 100 ग्राम में : 349 कैलोरी
• हल्दी के गुण -1 आयुर्वेद में हल्दी के गुणों का वर्णन कई ग्रंथों में मिलता है हल्दी स्वाद में चरपरी , कड़वी प्रभाव में रूखी और गर्म होती है यह कफ तथा पित्त दोषों को दूर करती है • हल्दी के गुण -2 इसे त्वचा के रोग , वर्ण , प्रमेह , रक्त विकार , सूजन , पान्डु रोग और घावों के इलाज के लिये प्रयोग करते हैं आधुनिक शोधों से पता चला है कि हल्दी तमाम प्रकार के रोगों को दूर करनें में सहायक है • हल्दी के बारे में आयुर्वेद विचार हल्दी तिक्त , कटु , उष्णवीर्य , रूक्ष , वर्ण्य , लेखन , कुष्टघ्न , विषघ्न , शोधन गुण युक्त है इसके प्रयोग से कफ , पित्त , पीनस , अरूचि , कुष्ठ , कन्डू , विष , प्रमेह , व्रण , कृमि , पान्डु रोग , अपची आदि रोंग दूर होते हैं
• हल्दी के बारे में आधुनिक विचार हल्दी के बारे में आधुनिक वैज्ञानिकों नें परीक्षण करके सिद्ध किया है कि यह कैंसर को बढ़नें से रोकती है यह गठिया जैसे रोंगों की पीड़ा को दूर करती है
• हल्दी की औषधीय मात्रा कच्ची हल्दी का रस : 1 से 3 चाय चम्मच तक सूखी हल्दी का चूर्ण : 1 ग्राम से 4 ग्राम तक यह वयस्क व्यक्ति के लिये निश्चित की गयी मात्रा है किशोंरों के लिये 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक बच्चों के लिये 50 मिलीग्राम से 100 मिली ग्राम तक
• हल्दी की मात्रा इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं और हल्दी पूर्ण रूप से सुरक्षित औषधि है इसे आवश्यकतानुसार गुनगुनें पानीं , गरम चाय अथवा दूध के साथ दिन मे , तकलीफ के हिसाब से , एक बार से लेकर चार या पांच बार तक ले सकते हैं
• हल्दी के बाहरी प्रयोग - 1 त्वचा के रोगों में हल्दी का बाहरी प्रयोग करते हैं हल्दी का चूर्ण 1 ग्राम और आवश्कतानुसार दूध मिलाकर बनाया हुआ पेस्ट मुहासों , युवान पीडिका , सफेद दागों या काले दागों , रूखी त्वचा , काले रंग के त्वचा के धब्बे , खुजली , खारिश आदि तकलीफों में लगानें से आरोग्य प्राप्त होता है घाव , कटे एवं पके हुये , पीब से भरे घावों में हल्दी का चूर्ण छिड़कनें से घाव शीघ्र भरते हैं
• हल्दी के बाहरी प्रयोग -2 चाकू या धारदार अस्त्र से शरीर का कोई अंग कट जानें पर हल्दी का चूर्ण छिड़कनें से लाभ प्राप्त होता है बवासीर के मस्सों का दर्द अथवा जलन ठीक करनें के लिये हल्दी का चूर्ण मस्सों पर छिड़कना चाहिये
• हल्दी के बाहरी प्रयोग -3 चेहरे का सौंदर्य , त्वचा का सौंदर्य निखारनें के लिये हल्दी का उबटन प्रयोग करना चाहिये एलर्जी , शीतपित्ती , जलन का अनुभव , ददोरे आदि पड़ जानें की तकलीफ में हल्दी को पानी के साथ पेस्ट जैसा बनाकर लगानें से आराम मिलता है
• हल्दी के बाहरी प्रयोग -4 फोड़ा फुन्सी पकानें के लिये हल्दी की पुल्टिस रखनें से फोड़ा फुंसी शीघ्र पक जाते हैं शरीर के किसी भी स्थान की सूजन के साथ दर्द और जलन हो तो हल्दी के पेस्ट का बाहरी प्रयोग करनें से इन तकलीफों में आम मिल जाती है
• आंतरिक प्रयोग - जुखाम , खांसी , बुखार सभी प्रकार के बुखार , जुखामों और खांसियों में हल्दी का चूर्ण 1 से 3 ग्राम तक गरम पानीं से दिन में दो बार , सुबह शाम , खानें से आरोग्य प्राप्त होता है जुकाम , बुखार अथवा खांसी कैसी भी हो , नया हो अथवा पुराना , उक्त प्रकार से हल्दी का सेवन करनें से सभी अवश्य ठीक हो जाते हैं
• आंतरिक प्रयोग - साइनुसाइटिस नाक से संबंधित सभी तरह की तकलीफों , पुराना जुकाम , पीनस , नाक का गोश्त बढ़ जानें , साइनुसाइटिस में हल्दी का चूर्ण 1 से 2 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार खाने से आरोग्य प्राप्त होता है उक्त तकलीफों से होनें वाले सिर दर्द , बुखार , बदन दर्द आदि लक्षण ठीक हो जाते हैं
• आंतरिक प्रयोग - एलर्जी एलर्जी , शीतपित्ती या इसी तरह के लक्षणों और तकलीफों से परेशान रोगी हल्दी का चूर्ण , 1 से 2 ग्राम , सुबह और शाम , दिन में दो बार , आधा कप दूध और आधा कप पानी मिलाकर , इस प्रकार से पकाये दूध के साथ खानें से आरोग्य प्राप्त होता है दूध में यदि चाहें तो थोड़ी शक्कर स्वाद के लिये मिला सकते हैं
• इस्नोफीलिया इस्नोफीलिया में हल्दी का प्रयोग बहुत सटीक है 2 से 3 ग्राम हल्दी चूर्ण गुनगुनें पानीं से , दिन में तीन बार , खानें से इस रोग में आराम मिलती है कुछ दिनों तक लगातार खानें से रोग समूल नष्ट हो जाते हैं जैसे जैसे इसनोफीलिया का काउन्ट कम होता जाये , वैसे हल्दी की मात्रा अनुपात में घटाते जाना चाहिये
• दमा और अस्थमा में इस रोग में हल्दी का चूर्ण 2 से 3 ग्राम तक अदरख के एक या दो चम्मच रस और शहद मिलाकर दिन में चार बार खानें से आरोग्य प्राप्त होता है कुछ दिनों तक यह प्रयोग लगातार काना चाहिये अगर रोगी एलापैथी की दवायें खा रहा है , तो भी यह प्रयोग कर सकते हैं जैसे जैसे आराम मिलता जाय , एलापैथी दवाओं की मात्रा कम करते जांय
• यकृत प्लीहा की बीमारियों में यकृत की बीमारियों में हल्दी का उपयोग आदि काल से किया जा रहा है यकृत के सभी विकारों में , पीलिया , पान्डु रोग इत्यादि में हल्दी का चूर्ण 1 ग्राम , कुटकी का चूर्ण 500 मिलीग्राम मिलाकर दिन में तीन बार सादे पानीं के साथ खाना चाहिये प्लीहा की सभी बीमारियों में उक्त चूर्ण मिश्रण खाना चाहिये
• प्रमेह प्रमेह रोग से संबंधित सभी विकारों में हल्दी का उपयोग बहुत सटीक है बहुमूत्र , गंदा पेशाब , पेशाब में जलन , पेशाब की कड़क , पेशाब में एल्बूमेंन जाना , पेशाब में रक्त , पीब के कण आदि आदि रोगों में हल्दी चूर्ण 1 ग्राम दिन में चार बार सादे पानीं से सेवन करें अगर इन बीमारियों में कोई एलोपैथी की दवा खा रहे हों , तो उनके साथ हल्दी का उपयोग करें , शीघ्र लाभ होगा
• मधुमेह हल्दी 2 ग्राम , जामुन की गुठली का चूर्ण 2 ग्राम , कुटकी 500 मिलीग्राम मिलाकर दिन में चार बार सादे पानीं से खायें पथ्य , परहेज करें , कई हफ्तों तक औषधि प्रयोग करें मधुमेह के साथ जिनको पैंक्रियाटाइटिस , यकृत प्लीहा विकार , गुर्दे के विकार , आंतों से संबंधित विकार हों , ये सभी तकलीफें दूर होंगी
• शास्त्रोक्त प्रयोग हल्दी के शास्त्रोक्त प्रयोग बड़ी संख्या में आयुर्वेद के चिकित्सा ग्रंथों में मिलते हैं इनमें से बहुत से प्रयोग तमाम प्रकार की बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल किये जाते हैं
• सलाह अगर आप कोंई एलोपैथी की दवा खा रहे हैं या होम्योपैथिक या कोई अन्य उपचार कर रहे हैं , तो भी , आप हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं हल्दी के प्रयोग करनें से , उपचार पर , कोई असर नहीं पड़ता है हल्दी के प्रयोग से , किये जा रहे उपचार , अधिक प्रभावकारी हो जाते हैं

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